‘शहरीकरण को अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए, खतरे के रूप में नहीं’

नरेन्द्र मोदी

आज भारत अपर्याप्त और कमज़ोर पड़ती अवसंरचना के संकट से जूझ रहा है. उचित योजनाओं के अभाव में, हमारी अधिकांश सड़कें भीड़ से भरी हैं और सार्वजनिक परिवहन ज़्यादा सक्षम नहीं है. साथ ही हमारे अधिकांश शहरों में मनोरंजन स्थलों का भी अभाव है. योजनाओं में असंतुलन और तेज़ी से बढ़ती मांगें अधिकांश कस्बों और शहरों में समस्या का मुख्य कारण है.

वर्तमान यूपीए सरकार हमारे देश में व्याप्त इस अवसंरचना के अभाव को दूर करने में और समितियों के गठन के दृष्टिकोण से ऊपर उठकर सोचने में असफल रही है. पूरा ध्यान परियोजनाओं को लागू करने की ओर दिया जा रहा है, जबकि परिणाम अधिकतर असंतोषजनक रहे हैं.

दूसरी ओर, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने अवसंरचना के क्षेत्र में क्रांति लायी थी. उनकी कुछ उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  • अपने ५ वर्षों के कार्यकाल के दौरान एनडीए ने पिछले ३० वर्षों के भीतर बने ५०% राजमार्गों का निर्माण किया
  • सड़कों का सुनहरा चतुर्भुज
  • राष्ट्रीय ग्राम सड़क योजना: ग्रामीण सड़कों की एक विशाल परियोजना
  • रिवर इंटरलिंकिंग परियोजना की नींव रखी
  • खुले आसमान की नीति तथा हवाई अड्डों का निजीकरण और आधुनिकीकरण

यह एक ऐसा समय है जब अवसंरचना को लेकर नरेन्द्र मोदी की सोच हमारी तकलीफों के रामबाण इलाज के रूप में उभर कर आयी है. दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में, नरेन्द्र मोदी ने हमारे देश के लिये अपने नज़रिये को प्रस्तुत किया, जिसमें निम्नलिखित का समावेश है:

  • १०० नये शहरों का निर्माण
  • बड़े शहरों के आस-पास सैटेलाइट सिटीज़ तैयार करना
  • बुलेट ट्रेन्स का नेटवर्क
  • नदियों को जोड़ना
  • पानी के ग्रिड

देखिए नए भारत के लिए नरेन्द्र मोदी का सपना:

एक शहर के भीतर, अक्सर संरचना संबंधी कई ऐसी चीज़ें होती हैं जो नागरिकों के जीवनस्तर को सुधार सकती हैं. इनमें सार्वजनिक परिवहन, खुले सार्वजनिक स्थलों, अच्छी सड़कों इत्यादि का समावेश है.

इन्हीं कुछ विशेषताओं में गुजरात मॉडल अन्य क्षेत्रों से कहीं आगे है. आइए कुछ ऐसी खूबियों पर नज़र डालें:

देखिए कैसे नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के शहरी क्षेत्र को रूपांतरित किया है और लोगों की सुविधा को सर्वोपरि स्थान दिया है:

जनमार्ग - बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस):

अहमदाबाद की सड़कों पर चलते समय, आपका ध्यान शहर की अत्याधुनिक बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस), जनमार्ग की ओर ज़रूर जाएगा. जहां कई शहरों में बीआरटीएस असफल रहा है, जनमार्ग अहमदाबाद के लोगों के लिए किफ़ायती, सुविधाजनक और आरामदेह परिवहन व्यवस्था के रूप में उभर कर आया है. जनमार्ग में ६० से ज़्यादा बसें शामिल हैं जिनमें विशेष आवश्यकता वाले लोगों का भी ध्यान रखा गया है.

जनमार्ग यानि कि ‘जनता के मार्ग’ने २००९ से खुद को अहमदाबाद के लोगों के लिए सुरक्षा और आराम के साथ-साथ सबसे तेज़ परिवहन व्यवस्था के रूप में स्थापित किया है. जनमार्ग बसों, पदयात्रियों और नॉन-मोटराइज़्ड परिवहन को प्राथमिकता देता है, जो कि इसे बाकी के मोटराइज़्ड यातायात से अलग करके प्राप्त की जाती है. जहां एक ओर बसें सड़कों के बीच में बनी विशेष लेन्स में चलती हैं, साइकलयात्रियों के लिए अलग रास्ते तथा पदयात्रियों के लिए चौड़े फुटपाथ की व्यवस्था है.

जनमार्ग के विषय में और जानें:

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साबरमती नदी तट:

साबरमती नदी तट की पिछले कुछ वर्षों की कहानी आपको बतायेगी कि कैसे बच्चों के खेलने या सर्कस लगाने के काम आने वाली सूखी ज़मीन एक बार फिर अहमदाबाद का गौरव बन गयी. नदी की परियोजना में साबरमती नदी के १०.५ किमी लम्बे दोनों किनारों का समावेश है, जिसमें १८५ हेक्टेयर पुनर्निर्मित क्षेत्र शामिल है. इस परियोजना में बाढ़ पर नियंत्रण के लिए जल प्रबंधन प्रणाली और साबरमती की सफाई के लिए नालियों की नयी संरचना का भी समावेश है. पदमार्गों और झूलों की व्यवस्था के साथ, यह तट दिन भर की भाग-दौड़ से लौटते अहमदाबाद वासियों के लिए मन बहलाने का मनपसंद स्थान बन गया है.

और जानें: और साबरमती की बह रही है नयी उमंग के साथ... साबरमती के अद्भुत रूपांतरण और तट के निर्माण की कहानी यहां पढ़ें.

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कांकरिया झील विकास परियोजना

अहमदाबाद के हृदय-पटल पर स्थित, कांकरिया झील शहर में सबसे ज़्यादा लोगों को आकर्षित करने वाली जगह है. लेकिन झील का विकास यहां आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के अनुसार नहीं हो पाया था. श्री मोदी के नेतृत्व में कांकरिया झील तट परियोजना ने पूरे इलाके को पुनर्निर्मित करते हुए, इसे दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का एक स्थल बना दिया है. कांकरिया के मुख्य आकर्षणों में अटल एक्सप्रेस, किड्स सिटी, गुजरात का इतिहास बताने वाली बलुआ पत्थर की दीवार और हर दिसंबर में होने वाले बेहद लोकप्रिय कांकरिया कार्निवल का समावेश है.

कांकरिया झील परि योजना के मुख्य आकर्षणों को जानें

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सूरत महानगरपालिका की आउटर रिंग रोड परियोजना

तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और शहरी क्षेत्रों की भौतिक संरचना पर बढ़ते दबाव को देखते हुए, विस्तार और नवनिर्माण और भी आवश्यक हो जाता है. और इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सूरत ने आउटर रिंग रोड परियोजना का विकास किया है. इस मॉडल के अंतर्गत, सूरत महानगरपालिका निगम (एसएमसी) और सूरत शहरी विकास प्राधिकरण (एसयूडीए) ने संयुक्त रूप से पांच वर्षों में प्रस्तावित सड़क के विकास द्वारा रु. ११,९६० करोड़ के लाभ की प्राप्ति की योजना बनायी है. इसका अर्थ है कि ये संस्थाएं रु. ५,७९६ करोड़ के खर्च पर इस परियोजना को पूरा करेंगी. अतिरिक्त राशि का उपयोग तेज़ परिवहन व्यवस्था जैसी परियोजनाओं पर किया जा सकता है.

इस परियोजना को केंद्र द्वारा अवसंरचना निर्माण के नमूने के रूप में दर्शाया गया है.

और जानें: https://www.narendramodi.in/smcs-outer-ring-road-project-lauded-by-centre-as-a-model-project-as-gujs-development-strides-put-upa-in-catch-22-situation/

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वडोदरा का अत्याधुनिक सेन्ट्रल बस टर्मिनस

फरवरी २०१४ में, श्री मोदी ने वडोदरा में एयरपोर्ट जैसे बस टर्मिनस का उद्घाटन किया, जो भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बस टर्मिनल था. स्टेशन को पीपीपी मॉडल के अनुसार बनाया गया है और बस स्टेशन की दीवारों पर तसवीरों और पेंटिंग्स के माध्यम से वडोदरा का इतिहास दर्शाया गया है. २०१२ में अपनी अनोखी सोच के साथ बस चालकों को संबोधित करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘जब एयरपोर्ट टर्मिनल से ज़्यादा लोग एसटी स्टेशनों का इस्तेमाल करते हैं, तो बस स्टेशन एयरपोर्ट कॉम्प्लेक्स जैसे क्यों न हों?’’ वडोदरा सेन्ट्रल बस स्टेशन भारत के सभी बस स्टेशनों में काफी ऊंचा स्थान रखता है और नयी सोच का एक उदाहरण है.

टर्मिनल के परिसर में एक सुपरमार्केट, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्टोरंट और फूड कोर्ट, व्यावसायिक कार्यालय तथा एक बजट होटल मौजूद है.

तसवीरों में इस शानदार बस टर्मिनस के दर्शन कीजिए: https://www.narendramodi.in/in-pictures-vadodara-gets-a-state-of-the-art-bus-terminus/

Urban development initiatives led by Shri Narendra Modi - Making Lives Better

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।