सच्चा धैर्य

Published By : Admin | September 16, 2016 | 23:46 IST

27 अक्टूबर 2013 का दिन एक सामान्य रविवार की तरह बीत जाता यदि उस दिन पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भयानक और दुर्भाग्यपूर्ण बम बलास्ट ना हुए होते। थोड़ी देर में गांधी मैदान में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी की रैली होनी थी।

सभा स्थल पर उत्साही लोगों का सैलाब उमड़ रहा था, और दूसरी ओर मैदान में एक के बाद एक बम बलास्ट हो रहे थे।

जब श्री नरेंद्र मोदी पटना पहुंचे तो उनके पास दो विकल्प थे – या तो वो गुजरात लौट जाते और रैली को संबोधित न करते (और इतने अधिक लोगों के बीच डर को और बढ़ा देते) या फिर वो वहां जाकर रैली को संबोधित करते।

श्री मोदी ने न सिर्फ रैली को संबोधित किया बल्कि हिंदुओं और मुसलमानों से बहुत भावुक अपील की कि वो आपस में लड़ने की जगह मिलकर गरीबी से लड़ें। उन्होंने बार-बार रिकार्ड संख्या में आए लोगों से कहा कि वो शांतिपूर्वक बाहर निकलें और किसी को कोई दिक्कत न हो।

बाद में मालुम चला कि एक बम उस स्टेज के नीचे भी छिपाया गया था, जहां श्री मोदी बोल रहे थे।

रैली के कई सप्ताह बाद श्री मोदी ने कहा, “मेरे संगठनात्मक अनुभव ने मुझे सिखाया है कि रैली स्थल पर सिर्फ एक जानवर के आ जाने की अफवाह भी अत्यधिक भगदड़ का कारण बन सकती है, तो सोचिए क्या होता जब कोई ये घोषणा करता कि वहां बम हैं या यदि मैं रैली को संबोधित ना करता। मेरा मत एकदम साफ था कि स्टेज पर ना जाने का तो कोई सवाल ही नहीं है।”

एक सप्ताह बाद श्री मोदी फिर पटना गए, उन परिवारों से मिलने के लिए जिन्होंने इन बम धमाकों के चलते अपने प्रियजनों को खोया था।

पटना हुंकार रैली को एक टर्निंग प्वाइंट के रूप में याद रखा जाएगा। इसने बेहतरीन तरीके से ये स्पष्ट किया कि अत्यधिक विपरीत दशाओं में एक सच्ची लीडरशिप क्या होती है। आपस में लड़ने की जगह गरीबी से लड़ने का संदेश भी करोड़ों भारतीयों के दिलदिमाग में बस गया।

 

डिस्कलेमर :

यह उन कहानियों या खबरों को इकट्ठा करने के प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव पर उपाख्यान / राय / विश्लेषण का वर्णन करती हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी का मार्मिक पत्र
December 03, 2024

दिव्यांग आर्टिस्ट दीया गोसाई के लिए रचनात्मकता का एक पल, जीवन बदलने वाले अनुभव में बदल गया। 29 अक्टूबर को पीएम मोदी के वडोदरा रोड शो के दौरान, उन्होंने पीएम मोदी और स्पेन सरकार के राष्ट्रपति महामहिम श्री पेड्रो सांचेज़ के अपने स्केच भेंट किए। दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उनके भावनात्मक उपहार को स्वीकार किया, जिससे वह बहुत खुश हुईं।

कुछ सप्ताह बाद, 6 नवंबर को, दीया को प्रधानमंत्री से एक पत्र मिला जिसमें उनकी कलाकृति की प्रशंसा की गई थी और बताया गया था कि कैसे महामहिम श्री सांचेज़ ने भी इसकी प्रशंसा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समर्पण के साथ ललित कलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, और "विकसित भारत" के निर्माण में युवाओं की भूमिका पर विश्वास व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार को दीपावली और नववर्ष की शुभकामनाएं भी दीं, जो उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाता है।

खुशी से अभिभूत दीया ने अपने माता-पिता को वह पत्र पढ़कर सुनाया, जो इस बात से बहुत खुश थे कि उसने परिवार को इतना बड़ा सम्मान दिलाया। दीया ने कहा, "मुझे अपने देश का एक छोटा सा हिस्सा होने पर गर्व है। मोदी जी, मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद।" उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के पत्र से उन्हें जीवन में साहसिक कदम उठाने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की गहरी प्रेरणा मिली।

पीएम मोदी का यह कदम, दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनके योगदान को सम्मान देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुगम्य भारत अभियान जैसी अनेक पहलों से लेकर दीया जैसे व्यक्तिगत जुड़ाव तक, वह लगातार प्रेरणा देते हैं और उत्थान करते हैं, यह साबित करते हुए कि उज्जवल भविष्य बनाने में हर प्रयास महत्वपूर्ण है।