किसान हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। संघर्षों से त्रस्त दुनिया में, भोजन-सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा, किसान अपनी आय का 37% कृषि कार्य से कमाते हैं। इसलिए, कृषि आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने वाली रणनीति सही है, क्योंकि यह पूरी अर्थव्यवस्था के सतत और मजबूत विकास के लिए जमीन तैयार करती है।
2014 में अपनी सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रणनीति को मजबूत समर्थन दिया है। मोदी सरकार ने कृषि गतिविधियों को मजबूत और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, 2016 में सरकार ने कृषि आय को दोगुना करने के तरीकों का सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया और लगातार प्रयासों के साथ उसकी सिफारिशों पर तेजी से कार्रवाई की गई।
इन उपायों में सबसे महत्वपूर्ण है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)। दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम में से एक मानी जाने वाली PM-KISAN, देश भर के सभी भूमिधारक किसानों को 6,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह समर्थन न केवल कृषि को लाभदायक बनाने में बल्कि उत्पादक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब तक, देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिल चुका है।
सीधी वित्तीय सहायता के अलावा, मोदी सरकार किसानों को कई तरह की सब्सिडी देती है, जो उन्हें बढ़ती इनपुट लागत से बचाती हैं और कृषि से उचित आय सुनिश्चित करती हैं। गौरतलब है कि अकेले फर्टिलाइजर सब्सिडी प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के बजट को पार कर जाती है। हालांकि, सरकार जितना भी कृषि आय को स्थिर बनाना चाहती है, वह टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने और साथ ही साथ वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के प्रति भी सजग है। एक राष्ट्र-एक फर्टिलाइजर जैसी पहल, नीम और सल्फर कोटेड यूरिया के अलावा, उसी दिशा में एक ठोस कदम है। यह न केवल फर्टिलाइजर्स की पारदर्शिता और सामर्थ्य को बढ़ाता है बल्कि कृषि क्षेत्र में इनपुट-उपयोग क्षमता को भी बढ़ाता है।
राज्य सरकारें भी किसानों को प्रचुर मात्रा में बिजली सब्सिडी, विशेषकर सिंचाई पर सहायता देकर इन पहलों को आगे बढ़ाती हैं। फिर भी पीएम कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और पीएम-KUSUM जैसी योजनाएं इस समर्थन को समावेशी और प्रभावी बनाने का इरादा रखती हैं। PMKSY के तहत Per Drop More Crop का लक्ष्य, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी सूक्ष्म सिंचाई टेक्नोलॉजीज को बढ़ावा देकर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने का है। इस उद्देश्य के लिए एक सूक्ष्म सिंचाई कोष की स्थापना की गई है, जबकि आंकड़ों से पता चलता है कि राज्यों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की केंद्रीय सहायता जारी करने के साथ 2015-16 से सूक्ष्म सिंचाई के तहत 78 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर किया गया है। इससे न केवल किसानों की इनपुट लागत कम होती है, बल्कि संसाधनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हुए खेत की कुल उत्पादकता भी बढ़ती है।
दूसरी ओर, PM-KUSUM कृषि में व्यापक बिजली खपत के लिए सौर विकल्प प्रदान करता है। यह खेतों में मौजूदा डीजल पंपों के सोलराइजेशन को बढ़ावा देता है, कृषि भूमि पर छोटे सोलर एनर्जी प्लांट्स की स्थापना, अन्य चीजों के साथ-रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देता है तथा किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करता है। अगस्त 2023 तक लगभग 2.46 लाख किसान इस योजना के तहत लाभान्वित हुए हैं।
भारत की कृषि कहानी का सबसे बड़ा तत्व भारतीय मानसून है। हमारे देश में खेती काफी हद तक बारिश पर निर्भर करती है, जिसके कारण अक्सर सूखा और बाढ़ का सामना करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन की समस्या से और उत्पन्न हो रहे चरम मौसम की घटनाओं ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया है। उदाहरण के लिए, सरकारी अध्ययनों से पता चलता है कि यदि अनुकूलन उपाय न किए गए, तो भारत में वर्ष 2050 में वर्षा-आधारित चावल की पैदावार 20% और 2080 में 47% तक कम हो सकती है। ये घटनाएं न केवल हमारे देश की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती हैं, बल्कि किसानों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
कृषि को जोखिम-मुक्त बनाने के लिए, सरकार ने 2016 में पीएम-फसल बीमा योजना शुरू की थी। यह योजना बुवाई से पहले और कटाई के बाद भी किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों के हमलों और बीमारियों जैसे कारकों के कारण होने वाली फसल हानि से सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना के तहत बीमा कवरेज के साथ-साथ किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे उन्हें कृषि जारी रखने और नए, आधुनिक कृषि तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 2016-17 से अब तक, 5.5 लाख से अधिक किसान आवेदनों का बीमा किया गया है और लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का दावा भुगतान किया गया है।
किसानों के लिए सेफ्टी-नेट का विस्तार करते हुए, मोदी सरकार ने 2018 में एक नई न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति (MSP) पेश की। नई नीति में खरीफ, रबी और वाणिज्यिक फसलों के लिए उत्पादन लागत पर कम से कम 50% MSP बढ़ाया गया है। इसके अलावा, किसानों को कृषि उत्पादों के लिए इंटीग्रेटेड नेशनल मार्केट e-NAM के माध्यम से बेहतर मूल्य सुनिश्चित किए जाते हैं। आज की तारीख में 23 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों में कुल 1,389 APMC मंडियों को इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है, जिससे लगभग 209 जिंसों के जरिए ट्रेडिंग की सुविधा मिल रही है। दिसंबर 2023 तक 1.76 करोड़ से अधिक किसान इस प्लेटफॉर्म में पंजीकृत हैं।
इन प्रयासों को कृषि के मशीनीकरण और व्यापक पैमाने पर टेक्नोलॉजी के उपयोग जैसी कई अन्य पहलों द्वारा सशक्त गया है। इनपुट लागत को कम करने, कृषि के आधुनिकीकरण तथा कृषि गतिविधि को भविष्य का दृष्टिकोण देने के लिए मशीनीकरण आवश्यक है।
इस दिशा में, मोदी सरकार ने कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन के तहत परीक्षण, प्रशिक्षण, कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना, हाई-टेक हब के विकास जैसी गतिविधियों के लिए 2014-15 और 2022-23 के बीच राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि वितरित की है। इसके अलावा, एक सराहनीय प्रयास के तहत राज्य सरकारों को ट्रैक्टर, पावर टिलर और स्वचालित मशीनरी सहित कृषि मशीनरी तथा उपकरणों की 15.24 लाख यूनिट्स रियायती दरों पर वितरित की गई हैं।
पीएम मोदी अक्सर इनोवेटर्स और रिसर्चर्स से आग्रह करते हैं कि वे 'एक इंच जमीन पर अधिकाधिक फसल' के बारे में सोचें। यह किसानों की समस्याओं के त्वरित तकनीकी समाधान खोजने का आह्वान है। इस संबंध में, सरकार कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना लेकर आई है। इसके तहत, राज्य सरकारों को आधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन के उपयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है। इसके अतिरिक्त, कृषि के लिए एक डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) भी बनाया जा रहा है ताकि कृषि इनपुट, मार्केट इंटेलिजेंस, क्रेडिट और बीमा सहित प्रासंगिक सूचना सेवाओं के माध्यम से किसान-केंद्रित समाधान सक्षम किए जा सकें। कृषि में उपयोग के लिए ड्रोन तकनीक को मुख्यधारा में लाने के प्रयास चल रहे हैं। सरकार ड्रोन लागत के 100% और ऑन-फील्ड डेमो के लिए संबंधित खर्चों को कवर करने वाली वित्तीय सहायता प्रदान करती है। किसान-केंद्रित ड्रोन पहल के लिए कुल 138 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। हाल ही में, नमो ड्रोन दीदी योजना के लिए 1,261 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य 15,000 महिला SHG को उर्वरकों और कीटनाशकों के आवेदन जैसी गतिविधियों के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित करना है।
किसानों को उनकी अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों में मदद करते हुए, सरकार ने संस्थागत ऋण तक उनकी पहुंच को 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 18.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है।
इन प्रयासों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी अद्वितीय पहलों द्वारा और मजबूती दी गई है। अब इस योजना का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को भी मिलने लगा है। मार्च 2023 तक, परिचालन में कुल 7.35 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड खाते हैं, जिनकी कुल स्वीकृत सीमा 8.85 लाख करोड़ रुपये है।
लॉजिस्टिक रूप से, किसान-रेल और कृषि-उड़ान जैसी अनूठी पहल कृषि क्षेत्र में आसानी से पहुंच बनाकर, भारतीय बाजार को सीधे खेतों तक ले जाती हैं।
स्पष्ट रूप से, सरकार ने कृषि आय को बढ़ाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाकर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। सॉइल हेल्थ कार्ड योजना, जैविक खेती को बढ़ावा देना, किसान उत्पादक संगठनों का गठन, इथेनॉल उत्पादन के माध्यम से अतिरिक्त आय सृजन, और कृषि-निर्यात को बढ़ावा देना कुछ प्रमुख पहल हैं जिन्हें मोदी सरकार ने कृषि को लाभदायक गतिविधि बनाने के लिए शुरू किया है।
इसके अलावा, 1.60 लाख से अधिक पीएम-किसान समृद्धि केंद्र, केंद्रीय हब के रूप में कार्य करते हैं, जो किसानों को मिट्टी परीक्षण, उर्वरकों, बीजों, खेती के तरीकों और सभी सरकारी योजनाओं आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
कृषि आय बढ़ाने की दिशा में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता बेजोड़ है। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के बजट को 4.35 गुना से अधिक बढ़ाकर 2013-14 के 30,223 करोड़ रुपये से 2023-24 में 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने के अलावा, सरकार प्रत्येक किसान को किसी न किसी रूप में औसतन 50,000 रुपये प्रदान कर रही है। परिणाम हम में से प्रत्येक के लिए देखने के लिए हैं। NSSO के हालिया सिचुएशन असेसमेंट सर्वे (2018-19) के अनुसार, मासिक कृषि घरेलू आय 2012-13 में 6,426 रुपये से बढ़कर 2018-19 में 10,218 रुपये हो गई है।
खेती को लाभकारी बनाने के लिए इन कार्यक्रमों और नीतियों के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने वास्तव में पूरे क्षेत्र को समावेशिता और स्थिरता की ओर उन्मुख करने के लिए सराहनीय रूप से काम किया है। मोटे अनाज जैसी पर्यावरण और किसान हितैषी फसलों को बढ़ावा देना इस दृष्टिकोण का एक शानदार उदाहरण है।