"नया भारत नई सोच रखता है, पहल करता है और उसे लागू करता है। नया भारत अब यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि भ्रष्टाचार व्यवस्था का एक हिस्सा है। यह अपनी व्यवस्थाओं को पारदर्शी, प्रक्रियाओं को कुशल और गवर्नेंस को सुचारू देखना चाहता है" – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले, भारत की अर्थव्यवस्था पॉलिसी पैरालिसिस, क्रोनी कैपिटलिज्म, अपारदर्शी लेनदेन, व्यापक भ्रष्टाचार और गवर्नेंस में अक्षमता से पीड़ित थी।

प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल, शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण विधायी सुधारों, तकनीकी हस्तक्षेपों और संस्थागत सुदृढ़ीकरण द्वारा चिह्नित किया गया है। भ्रष्टाचार को लक्षित करने वाली दंडात्मक कार्रवाइयों से लेकर पारदर्शिता में सुधार के उद्देश्य से सक्रिय उपायों और पहलों तक, पीएम मोदी की सरकार ने शासन के एक नए युग की शुरुआत की है जिसमें अखंडता और दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता है। लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में पदभार संभाला, तो उन्होंने जवाबदेही तय की और भ्रष्ट तरीकों पर अंकुश लगाया। प्रधानमंत्री ने प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके और ई-गवर्नेंस का लाभ उठाकर मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने की मांग की ताकि कुशल सर्विस डिलीवरी और समय पर शिकायत समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

भ्रष्टाचार के खिलाफ निवारक उपाय

मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए सबसे प्रभावशाली सुधारों में से एक डिजिटल इंडिया है, जिसका उद्देश्य मानवीय हस्तक्षेप को कम करना, पारदर्शिता बढ़ाना और शासन में दक्षता में सुधार करना है। JAM ट्रिनिटी (जन धन, आधार, मोबाइल) का लाभ उठाते हुए, डिजिटल इंडिया ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान की है, जो एक गेम-चेंजर रहा है, जिसमें 104 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सीधे उनके खातों में लाभ प्राप्त हुआ है, इससे सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी के लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह बचत JAM ट्रिनिटी के कारण संभव हुई है, जिसने लगभग 11 करोड़ फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें हटाने में मदद की है।

एक अन्य महत्वपूर्ण पहल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में संशोधन थी, जिसने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को अधिक अधिकार प्रदान किए और भ्रष्ट प्रथाओं के लिए दंड बढ़ाया। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट जैसे कानूनों को मजबूत करने और सरकारी पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार को समाप्त करने से भ्रष्टाचार के अवसर कम हुए हैं और योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया सुनिश्चित हुई है। ई-फाइलिंग, ई-मूल्यांकन और फेसलेस आकलन सहित डिजिटलीकरण की पहल ने मानवीय इंटरफ़ेस को कम कर दिया है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों की ई-नीलामी को लागू करने से फंड ट्रांसफर और संसाधन आवंटन में पारदर्शिता बढ़ी है, बिचौलियों को खत्म किया गया है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया गया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ दंडात्मक उपाय

काले धन पर एक विशेष जांच दल (SIT) की स्थापना के साथ-साथ काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 और बेनामी संपत्ति अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनों का अधिनियमन, अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप कई मामलों की शुरुआत हुई है और पर्याप्त मात्रा में काले धन की बरामदगी हुई है।

देश से भागने वाले आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के उद्देश्य से भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम पेश करने और CCS (पेंशन) नियम में नियम 56 (j) के माध्यम से दोषी सरकारी अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति ने भ्रष्टाचार से लड़ने के सरकार के संकल्प को और मजबूत किया है।

पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार

केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) जैसे केंद्रीकृत प्लेटफार्मों ने नागरिकों को शिकायतें दर्ज करने की अनुमति दी है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने सार्वजनिक खरीद को सुव्यवस्थित किया है और पारदर्शी बोली प्रक्रियाओं के माध्यम से क्रोनिज्म और भ्रष्टाचार को समाप्त किया है। ई-शासन और ऑनलाइन बोली लगाने/निविदा प्रणाली लागू करने से प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया गया है और सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार के अवसरों को कम किया गया है, जिससे निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी प्रथाओं और पारदर्शी संसाधन आवंटन सुनिश्चित हुए हैं।

मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया एक और महत्वपूर्ण बदलाव, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से रियल टाइम ऑपरेशनल डेटा प्रदान करने के लिए डैशबोर्ड को अपनाना था। इस कदम ने प्रामाणिक जानकारी को केंद्रीकृत किया, टुकड़ों में रिपोर्ट पर निर्भरता को कम किया और राजनीतिक लाभ के लिए डेटा हेरफेर पर अंकुश लगाया। इसने डेटा रिपोर्टिंग में पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुशासन को बढ़ावा दिया, नीति निर्माताओं और जनता को लाभान्वित करने वाले अंडरपरफॉर्मेंस या लीकेज को रोका। इसके अतिरिक्त, सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है, भ्रष्टाचार के आरोपों पर कई आयकर और सीमा शुल्क अधिकारियों को सेवानिवृत्त किया है।

इसके अलावा, वन नेशन वन राशन कार्ड योजना और डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड संशोधन कार्यक्रम जैसी पहलों ने सर्विस डिलीवरी बढ़ाने, भ्रष्टाचार को कम करने और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाया है। ई-ऑफिस सिस्टम और खाद्यान्नों की सप्लाई चेन मैनेजमेंट की ओर बदलाव ने ट्रांसपेरेंट और एफिशिएंट गवर्नेंस सिस्टम को और सुविधाजनक बनाया है, जिससे पेशेवर कदाचार के लिए बहुत कम जगह बची है।

निष्कर्ष

सत्ता के गलियारों से भ्रष्टाचार से निपटने और विभिन्न क्षेत्रों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मोदी सरकार के परिवर्तनकारी प्रयास उल्लेखनीय रहे हैं। मानवीय हस्तक्षेप को कम करके, रिश्वतखोरी के लिए कड़े दंड का इस्तेमाल करके और टेक्नोलॉजी-संचालित समाधानों को अपनाकर, सरकार ने गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाया है, बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम की है और पारदर्शी तथा जवाबदेह सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित की है।

जबकि भारत तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास, जनसेवा में जवाबदेही को बढ़ावा देने की राष्ट्र की प्रतिबद्धता के प्रमाण हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।