प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 1 सितंबर, 2014 को टोक्यो में अपनी बैठक के दौरान अपने देश की आम जनता की तरक्की एवं समृद्धि को सतत रूप से जारी रखने और एशिया तथा विश्व में शांति, स्थिरता और सम़ृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भारत-जापान सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी का पूर्ण इस्तेमाल करने का संकल्प व्यक्त किया। आपसी रिश्ते को एक विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी के मुकाम पर पहुंचाते हुए उन्होंने कहा कि उनकी इस बैठक से भारत-जापान संबंधों में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है।
प्रधानमंत्री आबे ने भारत से बाहर अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए जापान का चयन करने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके इस निर्णय से भारत की विदेश नीति एवं आर्थिक विकास में जापान की अहमियत और भारत की ‘पूरब की ओर देखो’ नीति में जापान के खास स्थान की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जापान सामरिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर गहरी प्रतिबद्धता दिखाने, गर्मजोशी के साथ अपनी अगवानी किए जाने और टोक्यो में आज संपन्न चर्चा के दौरान साहसिक दृष्टिकोण पेश करने के लिए प्रधानमंत्री आबे को धन्यवाद कहा।
दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने यह बात रेखांकित की कि भारत और जापान एशिया के दो सबसे बड़े एवं सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश हैं तथा दोनों देशों के लोगों के बीच प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक संपर्क एवं सदभाव बरकरार रहे हैं। आपस में जुड़ते वैश्विक हितों, महत्वपूर्ण नौवहन अंतर-संपर्क और बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों ने भी इन दोनों देशों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। दोनों देश शांति व स्थिरता, कानून के अंतर्राष्ट्रीय नियम और खुली वैश्विक व्यापार व्यवस्था के प्रति कटिबद्ध हैं। इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में कई चीजें एक-दूसरे की पूरक हैं, जिससे आपसी लाभप्रद आर्थिक भागीदारी के असीम अवसर नजर आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री आबे ने कहा कि भारत और जापान के आपसी रिश्ते इसलिए भी प्रगाढ़ होते जा रहे हैं क्योंकि दोनों देशों के तमाम राजनीतिक दल, कारोबारी समुदाय और वहां की आम जनता इस संबंध की अहमियत एवं संभावनाओं को बखूबी समझती है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने फैक्टशीट में उल्लेखित सहयोग कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं में हुई प्रगति का स्वागत किया तथा संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस दिशा में आपसी सहमति से और ज्यादा प्रगति सुनिश्चित की जाए।
Prime Minister Abe expressed his deep appreciation for Prime Minister Modi's choice of Japan as his first destination for a bilateral visit outside India's immediate neighbourhood. Prime Minister Modi described this decision as a reflection of Japan's importance in India's foreign policy and economic development and her place at the heart of India's Look East Policy. Prime Minister Modi thanked Prime Minister Abe for his deep personal commitment to strengthening India - Japan strategic partnership, the extraordinary warmth of his hospitality, and the bold vision that characterized their discussions in Tokyo today.
The two Prime Ministers noted that India and Japan are Asia's two largest and oldest democracies, with ancient cultural links and enduring goodwill between their people. The two countries are joined together by convergent global interests, critical maritime inter-connection and growing international responsibilities. They share an abiding commitment to peace and stability, international rule of law and open global trade regime. Their economies have vast complementarities that create boundless opportunities for mutually beneficial economic partnership.
The two Prime Ministers observed that the relationship between the two countries draw strength and vitality from the exceptional consensus on the importance and potential of this relationship across the political spectrum, the business community and people in all walks of life in the two countries.
The two Prime Ministers welcomed the progress of individual cooperation programmes and projects enumerated in the Factsheet and directed the respective relevant authorities to further advance cooperation in a mutually satisfactory manner.
सियासी, रक्षा व सुरक्षा भागीदारी
दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय बैठकों के साथ-साथ वार्षिक शिखर बैठकों की परंपरा जारी रखने और कम अंतराल पर ज्यादा से ज्यादा बैठकें आयोजित करने का फैसला किया।
बहु-क्षेत्रीय मंत्रिस्तरीय और कैबिनेट स्तर की बातचीत खासकर विदेश मंत्रियों, रक्षा मंत्रियों तथा वित्त, आर्थिक, व्यापार व ऊर्जा मंत्रियों के बीच वार्ताओं के जरिए भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय भागीदारी की विशेष गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस तरह के आदान-प्रदान को नई गति प्रदान करने का फैसला किया। इस संदर्भ में उन्होंने इस सूचना का स्वागत किया कि विदेश मंत्रियों के बीच सामरिक वार्ता और रक्षा मंत्रियों के बीच सामरिक वार्ता वर्ष 2014 में ही आयोजित की जानी है। उन्होंने जापान में राष्ट्रीय सुरक्षा सचिवालय, जिसे तमाम सुरक्षा मसलों पर आपसी सहमति व सहयोग को बढ़ाने में काफी सहायक माना जा रहा है, के सृजन के तुरंत बाद इस साल के आरंभ में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई बैठक को काफी अहम बताया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी सामरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए विदेश व रक्षा सचिवों को शामिल करते हुए ‘2+2 वार्ता’ की अहमियत रेखांकित की। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने इस तरह की वार्ताओं में और तेजी लाने का फैसला किया है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपनी सामरिक भागीदारी के तहत भारत और जापान के बीच रक्षा संबंधों की अहमियत की फिर से पुष्टि करते हुए इसमें और मजबूती लाने का फैसला किया है। उन्होंने इस यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। इस संदर्भ में उन्होंने द्विपक्षीय नौवहन अभ्यासों को नियमित रूप से जारी रखने और भारत-अमेरिका मालाबार अभ्यास श्रृंखला में जापान की निरंतर भागीदारी को जरूरी बताया। उन्होंने आपसी बातचीत के मौजूदा स्वरूप और भारत तथा जापान के कोस्ट गार्डों के बीच संयुक्त अभ्यास का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से जुड़ी जापानी नीति में हाल में हुए बदलावों का स्वागत किया। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने उम्मीद जतायी है कि इससे रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी में सहयोग का एक नया युग शुरू होगा। उन्होंने यह माना कि भविष्य में दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और सहयोग की भरपूर गुंजाइश है। उन्होंने हवा और पानी दोनों में विचरण करने वाले यूएस-2 विमान एवं उससे जुड़ी प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग पर संयुक्त कार्यदल बनाने की दिशा में हो रही चर्चाओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने अधिकारियों को इन चर्चाओं में तेजी लाने के निर्देश दिया। उन्होंने अपने अधिकारियों को रक्षा उपकरण एवं तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच कारगर सलाह-मशविरा शुरू करने का भी निर्देश दिया।
दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने नौवहन सुरक्षा और साइबर क्षेत्र में अपने व्यापक साझा हितों पर चर्चा की। उन्होंने इन वैश्विक साझा लक्ष्यों को पाने और अखंडता की रक्षा के लिए एक-दूसरे के अलावा समान सोच वाले भागीदारों के साथ भी काम करने का फैसला किया। उन्होंने नौवहन सुरक्षा, नौ-परिवहन व ओवरफ्लाइट की आजादी, नागरिक उड्डयन सुरक्षा, बेरोकटोक वैधानिक वाणिज्य के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप विवादों को शांतिपूर्वक ढंग से सुलझाने को लेकर अपनी साझा प्रतिबद्धता फिर से दोहराई।
क्षेत्र एवं विश्व में शांति तथा सुरक्षा के लिए वैश्विक साझेदारी
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने साझे विश्वास के प्रति संकल्प व्यक्त किया कि ऐसे समय में जब दुनिया में अराजकता, तनाव और अशांति का दौर बढ़ रहा है भारत और जापान के बीच एक घनिष्ठ और मजबूत सामरिक साझेदारी दोनों देशों के समृद्ध भविष्य और विश्व में खासकर परस्पर संबद्ध एशिया, प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और समृद्धि बढ़ाने के लिए अपरिहार्य है। प्रधानमंत्री आबे ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को ‘शांति के प्रति अति सक्रिय योगदान’ की जापानी नीति और समेकित सुरक्षा कानून के विकास पर जापान के मंत्रिमंडल के फैसले के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने क्षेत्र और विश्व की शांति और सुरक्षा में जापान के योगदान का समर्थन किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने खासकर दोनों देशों के आपसी मूल्यों, विविध हितों और पूरक कौशलों तथा संसाधनों की ताकत का उपयोग अन्य इच्छुक देशों तथा क्षेत्रों में आर्थिक तथा सामाजिक विकास, क्षमता निर्माण तथा ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत साझेदारी करने का फैसला किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने, क्षेत्रीय सहयोग और एकता को मजबूत करने, क्षेत्रीय आर्थिक और सुरक्षा मंचों को ताकतवर बनाने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र के अन्य देशों तथा दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के अपने इरादे के प्रति संकल्प दोहराया। उन्होंने पूर्वी एशिया सम्मेलन प्रक्रियाओं तथा मंचों समेत क्षेत्रीय फोरमों में भारत और जापान के बीच घनिष्ठ सलाह-मशविरे तथा समन्वय के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भारत, जापान और अमेरिका के बीच आधिकारिक त्रि-स्तरीय बातचीत में हुई प्रगति पर संतोष जाहिर किया और उम्मीद जताई कि इससे उनके आपसी तथा अन्य साझेदारों के हितों को आगे बढ़ाने में ठोस मदद मिलेगी। उन्होंने अपने विदेश मंत्रियों के बीच इस बातचीत के आयोजन की संभावना ढूंढ़ने का फैसला किया। वे इस क्षेत्र में अन्य देशों के साथ किसी उपयुक्त समय पर अपने सलाह-मशविरे को विस्तारित करने की संभावना की भी तलाश करेंगे।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद के सभी रूपों एवं प्रकारों, चाहे उसका सूत्रधार, उद्भव या मकसद कुछ भी हो, की निंदा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के उभरते चरित्र को देखते हुए इससे निपटने के लिए एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी की जरूरत है जिसमें जानकारियों और खुफिया सूचनाओं का ज्यादा आदान-प्रदान शामिल है। उन्होंने विभिन्न देशों में गिरती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई और आतंकवादियों के खुफिया अड्डों और ढांचों को खत्म करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवाद पर बहुस्तरीय कार्रवाई को फिर से पुनर्जीवित करने की अपील की जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाना तथा अपनाया जाना शामिल है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने उत्तर कोरिया के नाभिकीय अस्त्रों तथा उसकी यूरेनियम समृद्धि गतिविधियों समेत प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रमों के अनवरत विकास पर चिंता जताई। उन्होंने उत्तर कोरिया से गैर नाभिकीयकरण और इसकी अतंर्राष्ट्रीय बाध्यताओं का पूरी तरह अनुपालन करने तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के सभी महत्वपूर्ण समझौतों और ’2005 छह पार्टी वार्ता संयुक्त वक्तव्य’ के तहत इसकी प्रतिबद्धताओं समेत अन्य लक्ष्यों की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने उत्तर कोरिया से जल्द से जल्द अपहरण मुद्दों समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मानवीय चिंताओं पर भी ध्यान देने का आग्रह किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक स्थिर और शांतिपूर्ण मध्य-पूर्व, पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा समेत अपने आपसी हितों पर जोर दिया। उन्होंने संघर्ष के विभिन्न स्रोंतों से क्षेत्र में जारी अराजकता और अस्थिरता पर गहरी चिंता जताई जिसका देशों और क्षेत्र के लोगों पर दुखद और विनाशकारी असर पड़ा था। उन्होंने माना कि क्षेत्र के संघर्षों को खत्म करना, आतंकवाद से मुकाबला करना और लम्बित मुद्दों का समाधान करना न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईरान के नाभिकीय मुद्दे पर पी5+1 और ईरान के बीच बातचीत का स्वागत किया और सभी पक्षों से राजनीतिक इच्छा दिखाने और मतभेद समाप्त करने की अपील की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने आपसी संकल्प को दुहराया और अफगानिस्तान में अफगानों की अगुवाई में 2014 के बाद भी आर्थिक विकास, राजनीतिक बहुवाद और सुरक्षा में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ठोस अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता बनाए रखने की अपील की जिससे कि इसे एक अविभाजित, स्वतंत्र, संप्रभु, स्थिर और आतंकवाद, उग्रवाद और बाहरी हस्तक्षेपों से मुक्त एक लोकतांत्रिक देश बनने में मदद मिले।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधार, खासकर स्थाई एवं अस्थाई दोनों वर्गों में इसके विस्तार, जिससे कि यह ज्यादा प्रतिनिधित्वपूर्ण, वैधानिक, कारगर और 21वीं सदी की वास्तविकताओं के प्रति ज्यादा क्रियाशील बने, के लिए तात्कालिक जरूरत पर बल दिया। उन्होंने 2015 में संयुक्त राष्ट्र की 70वीं सालगिरह तक इस दिशा में ठोस परिणाम की अपील की तथा इसे प्राप्त करने के लिए द्विपक्षीय रूप से तथा जी-4 के तहत अपने प्रयासों को बढ़ाने का फैसला किया। इस दिशा में उन्होंने अपने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने तथा अन्य सदस्य देशों तक पहुंचने का फैसला किया। उन्होंने जुलाई 2014 में टोक्यो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघ मुद्दों पर भारत-जापान सलाह-मशविरे के तीसरे दौर के परिणाम को भी रेखांकित किया।
असैन्य परमाणु ऊर्जा, परमाणु अप्रसार और निर्यात नियंत्रण
भारत औऱ जापान के प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग की महत्ता पर दृढ़ता व्यक्त की और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए समझौते पर बातचीत में हुई महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया। दोनों ने अपने अधिकारियों को बातचीत में तेजी लाने और जल्द समझौते तक पहुंचने तथा दोनों देशों में परमाणु अप्रसार व परमाणु सुरक्षा के मद्देनज़र सहयोग के लिए निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे ने परमाणु अप्रसार में भारत के प्रयास की सराहना की। श्री आबे ने भारत द्वारा जापान से आने वाली तकनीक और वस्तुओं का इस्तेमाल जन विनाशक हथियारों (डब्लूएमडी) के निर्माण और इसकी व्यवस्था का हिस्सेदार नहीं बनने के दृढ़ आश्वासन की भी प्रशंसा की। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जापान सरकार के उस फैसले की प्रशंसा की जिसमें भारत के 6 अंतरिक्ष और रक्षा संबंधित उद्यमों को जापान के फॉरेन इंड यूजर लिस्ट से हटाये जाने की बात कही गई है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने उच्च तकनीकी और व्यापार में सहयोग को आगे बढ़ाये जाने की संभावनाओं पर विचार किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार प्रयासों को मजबूत करने के उद्देश्य से चार अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रक व्यवस्थाओं में भारत को पूर्ण सदस्य बनाए जाने के लिए मिलकर काम करने की वचनबद्धता पर अपनी दृढ़ता जाहिर की। इन चार क्षेत्रों में परमाणु आपूर्ति समूह, मिसाइल नियंत्रण तकनीक प्रणाली, वासेनार समझौता और आस्ट्रेलिया समूह शामिल हैं।
समृद्धि के लिए सहयोग
जापान के प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत में खासकर बुनियादी ढांचा एवं विनिर्माण क्षेत्र में समावेशी विकास को तेज करने के मकसद से प्रधानमंत्री मोदी की साहसिक और महत्वाकांक्षी दृष्टि के लिए व्यापक तथा मजबूत जापानी भागीदारी को लेकर हामी भर दी है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत के आर्थिक विकास में जापान की ओर से निरंतर समर्थन दिए जाने पर उसकी काफी प्रशंसा की है और कहा है कि जापान के अलावा किसी दूसरे देश ने भारत के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में इतना सहयोग नहीं दिया है।
दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने भारत-जापान निवेश संवर्धन भागीदारी की घोषणा की है जिसके तहत निम्न बिन्दु शामिल हैं :
ए) दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने भारत में पांच वर्षों में जापान के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और जापानी कंपनियों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य संयुक्त रूप से हासिल करने का फैसला किया है। साथ ही दोनों देशों ने साथ मिलकर द्वीपक्षीय व्यापार रिश्ते को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया है।
बी) जापान के प्रधानमंत्री श्री आबे ने अगले पांच वर्षों में जापान की ओर से भारत में 3.5 ट्रिलियन येन का सार्वजनिक और निजी निवेश तथा वित्त पोषण करने का इरादा जताया है। इसमें विदेशों में विकास सहायता (ओडीए), सार्वजनिक एवं निजी परियोजनाओं के लिए उचित आर्थिक मदद मुहैया कराना शामिल है जिनमें दोनों देशों के साझा हित हैं। इन अगली पीढ़ी की परियोजनाओं में, बुनियादी ढांचा, संपर्क, परिवहन प्रणाली, स्मार्ट सिटी, गंगा के अलावा अन्य नदियों का कायाकल्प, उत्पादन, स्वच्छ ऊर्जा, कौशल विकास, जल सुरक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उद्योग, कृषि शीत श्रृंखला और ग्रामीण विकास शामिल हैं। इस संबंध में प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए ओडीए के अंतर्गत इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को 50 अरब येन का ऋण देने को कहा है।
सी) दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रियल पार्क्स की स्थापना को लेकर दोनों देशों के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शुरुआत किए जाने का स्वागत किया है। साथ ही दोनों ने “जापान इंडस्ट्रियल टाउनशिप” और अन्य इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने का साझा इरादा जाहिर किया है जो कंपनियों के लिए निवेश प्रोत्साहन का काम करेगा। इसे विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) के रूप में प्रचलित नीति से कमतर नहीं आंका जाएगा।
डी) दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने अपने अधिकारियों को संयुक्त वित्त पोषण तंत्र तैयार करने का आदेश दिया है जिसके तहत सार्वजनिक-निजी साझेदारी, सार्वजनिक धन के उपयोग के लिए शर्तें, परियोजना की प्रकृति, विकास की प्राथमिकताएं, खरीदारी की नीतियां, औद्योगिक एवं तकनीकी क्षमता का स्तर और स्थानीय स्तर पर मौजूद कौशल का इस्तेमाल शामिल है। इसके अलावा दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने भारत में उचित बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में जापानी और भारतीय भागीदारी बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने का भी फैसला किया है।
ई) प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कर, प्रशासन और वित्तीय नियमन तथा निवेश को बढ़ावा देकर भारत में व्यापार माहौल को सुधारने को लेकर अपनी दृढ़ता को रेखांकित किया है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आगे द्विपक्षीय आर्थिक और वित्तीय सहयोग को मजबूत करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री श्री आबे ने मिझुहो बैंक की अहमदाबाद शाखा को मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया है।
पूर्वोत्तर भारत में विकास और संपर्क बढ़ाने और इस क्षेत्र को शेष भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के आर्थिक गलियारों से जोड़ने के लिए जापान के सहयोग पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने विशेष जोर दिया। इन प्रयासों को इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और समृद्धि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे को स्मार्ट सिटी और हेरिटेज सिटी, जिसमें कि वाराणसी भी शामिल है, का कायाकल्प करने के बारे में अपने प्रयासों से अवगत कराया। प्रधानमंत्री श्री आबे ने उनके इस उद्देश्य में जापान द्वारा सहयोग देने की इच्छा जाहिर की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्राचीन शहर वाराणसी और क्योतो के बीच सहयोग समझौते के दस्तावेज पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास व हाई स्पीड रेलवे प्रणाली को लेकर प्रधानमंत्री श्री मोदी की दृष्टि की सराहना की। श्री आबे ने आशा जाहिर की कि भारत अहमदाबाद-मुंबई रूट पर शिंकांसेन प्रणाली लागू करेगा। प्रधानमंत्री श्री आबे ने कहा कि जापान शिंकांसेन प्रणाली के लिए आर्थिक, तकनीकी और संचालनगत सहायता के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी शिंकांसेन प्रणाली की सराहना की है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अहमदाबाद-मुंबई रूट पर हाई स्पीड रेल सिस्टम की व्यावहारिकता का संयुक्त रूप से अध्ययन पूरा करने की उम्मीद जाहिर की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने वर्तमान में चल रही भारत-जापान आर्थिक साझेदारी की प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति का स्वागत किया और इसे तेजी से पूरा करने के लिए दृढ़ता जाहिर की। इन परियोजनाओं में से कुछ हैं – डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी), दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी), चेन्नई-बंगलुरू इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (सीबीआईसी)। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इन कॉरिडोर में नए स्मार्ट शहरों और औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए जापानी निवेशकों को आमंत्रित किया। भारत में शहरी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के विकास में जापान के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अहमदाबाद मेट्रो परियोजना में जापान से सहयोग की उम्मीद जाहिर की। प्रधानमंत्री श्री आबे ने कहा कि जापान इस परियोजना को आपसी हितों के आधार पर सहयोग करने के लिए तैयार है।
दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के आयातित ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता और ऊर्जा आपूर्ति में अचानक आने वाली रुकावटों की गंभीरता को स्वीकार करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने आगे ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को भारत-जापान द्विपक्षीय बातचीत के जरिये मजबूत करने की अपनी इच्छा पर दृढ़ता जाहिर की। दोनों ने इस बात की भी इच्छा जाहिर की कि भारत और जापान वैश्विक तेल और प्राकृतिक गैस बाजार में उच्चस्तरीय रणनीतिक सहयोग की संभावना तलाशेंगे। इसमें एलएनजी की संयुक्त खरीद, तेल और गैस का धारा के प्रतिकूल विकास और लचीले एलएनजी बाजार को बढ़ावा देने के लिए मिलकर प्रयास करना शामिल होगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने पर्यावरण हित के लिहाज से हितकर और बेहद सक्षम, कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन तकनीक का इस्तेमाल करने और स्वच्छ कोयला तकनीक (सीसीटी) में सहयोग बढ़ाने का स्वागत किया।
दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने वाणिज्यिक करार के तहत भारत से जापान को दुर्लभ खनिज क्लोराइड के उत्पादन और पूर्ति किये जाने का स्वागत किया। इस ठोस समझौते के तहत दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इसे जल्दी से जल्दी अंतिम रूप देने और इसके वाणिज्यिक उत्पादन की शुरुआत करने की पुष्टि की है।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) वार्ता में सक्रिय भागीदारी निभाने और इसे आधुनिक रूप से उच्च स्तर का बनाने व आपसी आर्थिक साझेदारी समझौते के तहत पारस्परिक तौर पर लाभप्रद बनाने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की है। उन्होंने आरसीईपी वार्ता में नतीजे पर पहुंचने के लिए आगामी सहयोग का फैसला किया।
विज्ञान, प्रेरणादायक नव-प्रवर्तन और विकसित प्रौद्योगिकी
दोनों प्रधानमंत्रियों ने शिक्षा, संस्कृति, खेल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल में हुई मंत्री स्तरीय सार्थक चर्चा पर संतोष जताया और उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने प्रतिभावान लोगों के लिए नये अवसर पैदा करने के वास्ते विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नव-प्रवर्तन, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने संबंधों का पूरे सामर्थ्य के साथ उपयोग कर सकते हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्टीम सेल अनुसंधान, भौतिक विज्ञान, ज्ञान-विज्ञान, अंक गणित का इस्तेमाल, कम्प्यूटर और सूचना विज्ञान, महासागर संबंधी तकनीक, महासागर निगरानी, स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा जलवायु परिवर्तन विज्ञान और जल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे का सहयोग करने का निर्णय लिया है। उन्होंने भारत और जापान में संयुक्त प्रयोगशालाओं को शुरू करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने दोनों देशों की अनुसंधान एजेंसियों और प्रयोगशालाओं के बीच बढ़ते सहयोग का स्वागत किया और दोनों देशों के युवा वैज्ञानिकों और छात्रों के बीच अनुसंधान संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ाने को प्राथमिकता दी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को स्वीकार करते हुए लोगों से आपसी संपर्क और पारस्परिक समझ को बढ़ाने पर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। इस दिशा में उन्होंने पर्यटन, युवा आदान-प्रदान, शिक्षा सहयोग और संस्कृति आदान-प्रदान में बढ़ते सहयोग का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री श्री आबे ने डिजिटल इंडिया के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्रशंसा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आईसीटी विस्तृत सहयोग फ्रेमवर्क के द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के महत्व को स्व्ीकार किया।
प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत को (सपोर्ट फॉर टूमारो) कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार से सामाजिक विज्ञान समेत बढ़ती शैक्षणिक एवं अनुसंधान साझेदारी पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (हैदराबाद) और जबलपुर में स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी डिजाइन एवं विनिर्माण संस्थान के माध्यम से हम भविष्य की चुनौतियों से भी निपट लेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों ने निर्णय लिया कि भारत और जापान के बीच छात्रों का आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए प्रयास किये जायेंगे और इसके साथ भारत में जापानी भाषा, शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने हेल्थ केयर के क्षेत्र में सहयोग शुरू करने का स्वागत किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री श्री आबे ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को अपने उन प्रयासों के बारे में अवगत कराया, जिसमें उन्होंने एक ऐसे समाज बनाने का प्रयास किया है, जिसमें सभी महिलाएं उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ें। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने महिलाओं की शक्ति को मान्यता देने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि देश की विकास यात्रा तथा राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका होती है।
भविष्य की ठोस तैयारी
भारतीयों और जापानियों के मौजूदा समय में एक साथ आने के बीच दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों की सफलता के महत्व को स्वीकार किया और दोनों देशों के बीच इस साझेदारी के निर्माण में पूर्व के नेताओं के बहुमूल्य योगदान के लिए आभार जताया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ऐसी रिश्ते बनाने का निर्णय लिया, जिसमें इस शताब्दी में दोनों देशों की तरक्की की राह और इस क्षेत्र तथा दुनिया के स्वरूप को तय करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जापान में अपने भव्य स्वागत और प्रधानमंत्री श्री आबे, जापान की सरकार एवं लोगों के भावपूर्ण सत्कार पर अपनी खुशी जाहिर की। प्रधानमंत्री श्री आबे ने वर्ष 2015 में अगली वार्षिक शिखर बैठक के लिए भारत की यात्रा के प्रधानमंत्री श्री मोदी के निमंत्रण को स्वीकार किया।