अमेरिका में ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट फोरम EMF चिंतन शिविर
गुजरात के मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस से किया सम्बोधन
दुनियाभर के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य अग्रणी EMF में रहे मौजूद
वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरते देशों को इमर्जिंग मार्केट के स्वरूप में नहीं, इमर्जिंग ग्रोथ सेंटर्स के रूप में सशक्त बनाएं : श्री मोदी
- लोगों का स्वयं की सरकार के रूप में लोकतंत्र ही उत्तम पद्धति
- असरदार सुशासन का अन्य विकल्प नहीं
- जनविश्वास और जनभागीदारी से ही सुशासन और लोकतंत्र मजबूत बनेगा
- लोकतंत्र को सक्षम रखने के लिए पांच महत्वपूर्ण आयाम और सुशासन की अनुभूति करवाने के दिशानिर्देशक सुझाव
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका में आयोजित इमर्जिंग मार्केट फोरम की वैश्विक परिषद को वीडियो सम्बोधित करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में देशों को मात्र उभरते बाजार के स्वरूप में नहीं बल्कि इमर्जिंग ग्रोथ सेंटर्स के रूप में स्वीकारने का प्रेरक सुझाव दिया।
गांधीनगर स्थित अपने आवास से सोमवार शाम वाशिंगटन में दुनियाभर के आर्थिक- औद्योगिक क्षेत्र के अग्रणियों की इस गणमान्य फोरम को वीडियो कांफ्रेंस से सम्बोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र अपनी कुदरती और मानवशक्ति संसाधनों को विकास में शामिल कर इमर्जिंग ग्रोथ सेंटर बन सकता है। लोकतंत्र और सुशासन सशक्त रखने की उन्होंने भूमिका पेश की।
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्पीड, स्कील और स्केल के तीन महत्वपूर्ण चालक बलों की भूमिका पेश करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी देश इन्हें अपनाए तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में टिक सकता है।
लोकतंत्र की सुदृढ़ बुनियाद के लिए हम लचीला फ्रेमवर्क तैयार करेंगे तो नये अवसरों का लाभ देश को होगा। लोकतंत्र और सुशासन विकास की सर्वोत्तम पद्धति है। इसमें कमियां हो तो स्वयंसुधार की पद्धति भी है। जहां लोकतंत्र है वहां लोगों की जिन्दगी बेहतर है।
श्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार और जनता विमुख रहे तो तो समस्याएं आती हैं। चुनाव हो जाने के बाद सरकार गठित हो तो उसके बाद मानसिकता यह बनती है कि शासन करनेका लायसेंस मिल गया और शासनकाल के आखिर में हिसाब चुका दिया जाएगा। अगर ऐसा होता हय तो यह लोकतंत्र के लिए घातक है। शासन के हर काम में जनता की आंतरिक भागीदारी होनी ही चाहिए।
सरकार देने वाली है और जनता लेने वाली है, यह मानसिकता समस्याएं पैदा करती है। इस कारण लोग विकास की प्रक्रिया में भागीदार नहीं बनते और उनकी आकांक्षा की वजह से सरकार का डिलीवरी सिस्टम सही नहीं बैठता।
भारत जैसे विशाल देश के लिए लोकतंत्र बेहतर है। अगर लोगों को यह भरोसा बैठ जाए कि सरकार उनके भले के लिए फैसले कर रही है तो जनता अपने निजी हितों का ब्जोग देने को तैयार हो जाती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जब गुजरात का शासन सम्भाला था तब बिजली की स्थिति संकटपूर्ण थी। मैने लोगों को समझाया कि आपको बिजली नहीं पानी की ज्यादा जरूरत है, सरकार इसकी व्यवस्था करेगी। जनभागीदारी से सरकार ने अभियान चलाया। भूगर्भीय जलस्तर ऊपर लाया गया। जलसंचय के लाखों काम हुए। सरकार और समाज के बीत बेहतर सेतु बना और विश्वास पैदा हुआ।
लोकतंत्र को ज्यादा सक्षम बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने पांच आयाम सुझाए:(1) समरसता का स्तर संवर्धित करना- गुजरात ने ग्राम चुनावों में संघर्ष निवारण कर कई गांवों को समरस बनाया, महिला पंचायतों का मार्ग बनाया।(2) मात्र जनप्रतिनिधि नहीं, जनभागीदारी को प्रेरित करना- गुजरात ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि सहित कई क्षेत्रों में जनभागीदारी को प्रेरित किया।वास्मो ने जल संचालन का युएन अवार्ड दिया है।(3) सूचना स्त्रोत बढ़ाना: गुजरात में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का ऑप्टीकल फाइबर नेटवर्क गांव गांव में फैला है। नीति निर्धारण में जनता का परामर्श करने की पारदर्शिता से गुजरात पॉलिसी ड्रिवन स्टेट बना।(4) संस्थागत ढांचे का संवर्धन: लोकतंत्र की मजबूत संस्थागत बुनियाद है। ढांचा मनबूत होगा तो फैसले परिपक्व होंगे।(5) जनता की आवाज को सुनने की शासक की क्षमता: जनता की समस्याओं को सुनने और उनका निवारण करने से लोकतंत्र की मजबूती बढ़ती है। गुजरात ने जनशिकायत निवारन स्वागत ऑनलाइन कार्यक्रम में भी युनो का अवार्ड जीता है।
श्री मोदी ने कहा कि स्वागत ऑनलाइन को युनो ने अवार्ड देते हुए पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रतिभाव देने के लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को उत्तम करार दिया है।
गुजरात की परम्परागत रूप से ट्रेडर्स स्टेट की पहचान थी उसमें से टेक्नोलॉजी एंड नॉलेज बेस सोसायटी की पहचान खड़ी की है। इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि युनिवर्सिटी शिक्षा में नयी विशिष्ट युनिवर्सिटियों और आई क्रिएट जैसे इनोवेशन टेलेंट को प्रोत्साहित करता प्लेटफॉर्म शुरु करके गुजरात ने मानव संसाधन विकास में नये आयाम अपनाए हैं।
जनभागीदारी के लिए शासक और शासन व्यवस्था पर जनता को भरोसा हो तो नेताओं की शक्ति और समय की बर्बादी होने के बजाय जनता की दीर्धकालिक समस्याओं को जनसहयोग से ही निपटाया जा सकता है। इसका उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परस्पर भरोसे से ही गुजरात में सरकार और समाज ने अनेक चुनौतियों और कसौटियों पर विजय हासिल की है। अगर इरादों में ईमान और नियत साफ हो तो जनता अच्छे- बुरे का फैसला विवेक से करती है और भरोसा रखती है। गुजरात में हमारी सरकार ने लगातार चार विधानसभा चुनावों में जनादेश का भरोसा हासिल किया है। विकास के लिए उभर रहे देशों की मानवशक्ति को उत्पादकीय सतर पर सशक्त बनाने के लिए श्री मोदी ने कौशल्य विकास, संसाधन, ढांचागत सुविधाओं और सेवाओं के सशक्तिकरण की दिशा स्पष्ट की। ग्लोबल प्रोडक्शन साइकल इमर्जिंग कंट्री की ओर गति करे, यह महत्वपूर्ण है।
सुशासन (गुड गवर्नेंस) का कोई विकल्प नहीं है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अच्छे इरादे से शुरु करके सक्षम संस्थागत व्यवस्था पर आधारित गुड गवर्नेंस का प्रभाव राष्ट्रीय सीमाओं से भी पर है। असरदार शासन पर ही जीवन की गुणवत्ता, व्यापार- उद्योग की प्रगति का पर्यावरण और आर्थिक विकास पर असर होता है।
सुशासन का अभाव डायबिटीज जैसा असाध्य रोग है। असरदार और सरल शासन 21 वीं सदी की जरूरत है।
श्री मोदी ने सम्बोधन के बाद सवालों के जवाब में भारत का विकास एजेंडा, स्थापित हितों के चक्रव्यूह से बाहर आकर जनता से सीधे सम्पर्क का नेतृत्व, भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास का मंत्र साकार करने का गुजरात प्रयोग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, किसानों के सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन कि प्रक्रिया और रोजगार के अवसर, चिंतन शिविरों द्वारा सरकारी अधिकारियों की कार्यसंस्कृति में बदलाव, गुजरात में भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए पारदर्शी नीतियों और प्रणालिगत शासन की रूपरेखा पेश की।
प्रारम्भ में हरिन्दर कोहली और गौतम काजी ने ग्लोबल फोरम की कार्यशैली की भूमिका पेश कर देकर श्री मोदी के विचारों का स्वागत किया।