प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज नीति आयोग को एक विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए बुलाया। ये दस्तावेज भारत के अगले 15 वर्षों के विकास का रोडमैप या रूपरेखा तैयार करने के साथ ही 21 वीं सदी के आने वाले दशकों में देश की वृद्धि की नींव भी रखेगा।
नीति आयोग के सदस्यों के साथ संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ समय तक वृद्धि संबंधी सुधारों का समय जो पूरे विश्व का मानक था अब खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि मौजूदा युग एक ऐसा है जिसमें रूपांतरणीय बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने बीते तीन दशकों में परिवर्तन के उभरते हुए चालक के तौर पर प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला और दावा किया कि परिवर्तनों की ये गति कम नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि केंद्र सरकार के पास लोगों के जीवन की बेहतर बनाने के लिए परिवर्तनकारी बदलाव लाने का साहस और क्षमता है।
उन्होंने कहा कि, ऐतिहासिक रूप से भारतीय नीति निर्माताओं इसकी कमी पर विलाप करने के बजाय अपनी ताकत पर खेलने के लिए खड़ा होना था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास पथ की व्यापक रूपरेखा बनाने के लिए भारत के प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का विवेकपूर्ण और बुद्धिमान इस्तेमाल इस परिवर्तन के केंद्र में होगा। इस विषय के कई उदाहरण देते हुए उन्होंने उपलब्ध भूमि,देश की खनिज संपदा और विशाल अप्रयुक्त सौर ऊर्जा की क्षमता का उल्लेख किया है। इसी तरह उन्होंने कहा कि भारत ने अभी तक अपनी विशाल समुद्र तट का उपानुकूलतम उपयोग किया है।
मानव संसाधन विकास के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रित कौशल विकास अतिआवश्यक है, क्योंकि भविष्य में मानव संसाधन की वैश्विक आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता भारत के पास है। प्रधानमंत्री ने भारत की पर्यटन क्षमता के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विकास को बढ़ावा देने और निर्यात बढ़ाने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी सहकारी संघवाद का सिर्फ एक तत्व ही नहीं बल्कि ये समय की जरूरत भी है।
कृषि की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अकेले कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया सकता है, लेकिन एक जीवंत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के समग्र विकास पर ध्यान होना चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों, मालगोदाम विकास और प्रौद्योगिकी निवेश के महत्व पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नीति निर्माताओं के खुद के इरादे (नियत) नीतियों (नीति) से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं । सुशासन के लिए क्षमता का निर्माण करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने समयोचित तथ्यों की उपलब्धता के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने नीति आयोग से गिव-इट-अप अभियान की सफलता और लोगों से बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान को मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाओं जैसी घटनाओं से प्रेरणा लेने की अपील की। यह अनुभव आमतौर पर विशेषज्ञों कि इस धारणा को असत्य सिद्ध करता है कि लोग केवल खुद के फायदे में दिलचस्पी रखते हैं। ये दिखाता है कि लोग बड़े सार्वजनिक हित से प्रेरित होते हैं।
बैठक में योजना राज्य मंत्री श्री राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन श्री अरविंद पनगढ़िया और नीति आयोग के सदस्यों,वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।