गुजरात मॉडल

Published By : Admin | April 14, 2014 | 17:44 IST

पिछले कुछ वर्षों में गुजरात विकास के नए आयाम बनाने में सफल रहा है। गुजरात की विकास गाथा की प्रशंसा न केवल राष्ट्रीय स्तर पर होती है अपितु अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सुशासन की तारीफ की जाती है। श्री मोदी की विकासोन्मुखी शासन व्यवस्था में समाज के हर तबके का सक्रिय योगदान सुनिश्चित किया गया है। श्री नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व गुजरात एक विनाशकारी भूकंप की त्रासदी झेल चुका था। साथ ही सूखा, चक्रवाती तूफान एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण विकास की रफ़्तार धीमी पड़ गयी थी। विशेषज्ञों का यह मानना था कि गुजरात को इन आपदाओं के कुप्रभाव से निकलने में समय लगेगा। श्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी टीम ने प्रशंसनीय कार्य करते हुए न केवल मात्र तीन वर्षों में बिगड़े हुए हालात को सुधारा बल्कि विकास की नयी रफ़्तार भी प्रदान की।

सम्पूर्ण विश्व में गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा है। गुजरात में विकास को आम जनता की सहभागिता से एक विस्तृत रूप दिया गया है। गुजरात की विकास यात्रा जनता को सहभागी होने का साथ ही समावेशी भी बनाती है। गुजरात में जनहित के निर्णय चंद लोगों द्वारा बंद कमरे में न लेकर सभी से परामर्श के पश्चात लिए जाते हैं। तकनीक के अधिक से अधिक उपयोग के माध्यम से निर्णय प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सुचारु भी बनाया गया है। इन उपायों से जनता सरकार के प्रति विश्वास आया है। गुजरात में हुए विकास का एक विशेष पहलू यह भी है कि पूरी प्रक्रिया किसी एक स्थान पर केंद्रित नहीं है। अर्थव्यवस्था के तीनों प्रमुख क्षेत्रों कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में समान रूप से विकास कार्य हुए हैं एवं जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने संमृद्धि के नए पड़ावों को छुआ है। किसान भाइयों को विभिन्न योजनाओं से लाभ हुआ है। कृषि महोत्सव जैसे वार्षिक आयोजनों से किसानों को उन्नत तकनीक एवं बाजार की संभावनाओं का ज्ञान अर्जित हुआ है। राज्य सरकार ने उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है एवं भूमि की स्थिति पर वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण कर कार्ड बनाये जाते है। पशुपालन का भी राज्य सरकार की प्राथमिकता में अहम स्थान रहा है। वर्ष 2001 के बाद गुजरात की औद्योगिक विकास दर ने उल्लेखनीय स्तर बनाये रखा है। द्विवार्षिक वाइब्रेंट गुजरात समिट के माध्यम से निवेशकों में गुजरात के प्रति उत्साह का संचार हुआ है एवं इन समिट में लाखों करोड़ रुपये  के निवेश प्रस्तावों के सहमति पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किए गए हैं। गुजरात में भूमि अधिग्रहण क़ानून में भी शासन ने पारदर्शी व्यवस्था अपनाते हुए किसानों एवं उद्योगों के साथ न्याय सुनिश्चित किया है। श्री नरेन्द्र मोदी युवाओं के समग्र विकास के प्रति सदैव सक्रिय रहते है। तकनीकी ज्ञान के साथ ही कौशल विकास के प्रशिक्षण के कई अवसर युवाओं को प्रदान किये जा रहे है। आईटीआई के पाठ्यक्रम और बुनियादी सुविधाओं में सुधार ने युवाओं में नए उत्साह का संचार किया है। गुजरात के कौशल वर्धन केन्द्रों को 2013 में प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है।

हाल के वर्षों में गुजरात की उल्लेखनीय सफलता को केंद्र सरकार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया है साथ बड़े वैचारिक समूहों एवं संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी गुजरात के विकास की सरहाना की है।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।