संसद के केंद्रीय कक्ष में 20 मई, 2014 को श्री नरेन्‍द्र मोदी के भाषण के मुख्‍य अंश :

आदरणीय आडवाणीजी, हमारे राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजनाथजी, भारतीय जनता पार्टी के सभी मुख्‍यमंत्री और सभी नवनिर्वाचित सदस्‍यगण, मैं आप सबका आभारी हूं कि आपने एकमत से मुझे यह नयी जिम्‍मेदारी सौंपी है। मैं विशेष रूप से आडवाणीजी और राजनाथजी का शुक्रगुजार और आभारी हूं जिन्‍होंने मुझे आशीर्वाद दिया है।

मैं अटलजी के स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में सोच रहा था। आज अगर उनका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा होता तो वह हमारे बीच होते और उनकी मौजूदगी से यह क्षण पूर्ण हो जाता। उनका आर्शीवाद हम पर है और भविष्‍य में भी रहेगा।

हम लोकतंत्र के मंदिर में हैं। हम पूरी शुद्धता के साथ काम करेंगे… हम किसी पद के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए काम करेंगे। कार्य और जिम्‍मेदारी सबसे बड़ी चीजें हैं। आपने जो जिम्‍मेदारी मुझे सौंपी है उसे मैं स्‍वीकार करता हूं।

मेरे लिए पद महत्‍वपूर्ण नहीं है, मैंने अपने जीवन में पद को अहमियत नहीं दी, मेरे लिए जिम्‍मेदारी हमेशा बड़ी चीज रही है।

हम सबको इस जिम्‍मेदारी को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित करना होगा। 13 सितंबर 2013 को भाजपा के संसदीय बोर्ड ने मुझे एक जिम्‍मेदारी दी और 15 सितंबर से मैंने एक कार्यकर्ता की भांति पूरी जिम्‍मेदारी के अहसास के साथ अपना कार्य शुरू कर दिया। उस समय मैंने यह 
परिश्रम यज्ञ शुरु किया और जब 10 मई 2014 को चुनाव प्रचार समाप्‍त हो गया तो मैंने अपने अध्‍यक्ष को फोन किया और अहमदाबाद जाने से पहले उनसे मिलना चाहा। उन्‍होंने मुझसे पूछा कि क्‍या मैं थका नहीं हूं और आराम की जरूरत है लेकिन मैंने उन्‍हें प्रचार अभियान का प्रतिवेदन देने की बात कही क्‍योंकि मुझे जो जिम्‍मेदारी सौंपी थी वह 10 मई को पूरी हो गयी थी।

एक अनुशासित सैनिक की तरह मैंने भी अपने अध्‍यक्ष को प्रतिवेदन दिया कि 13 सितंबर से 10 मई तक मैंने अपनी जिम्‍मेदारी अपनी पूरी क्षमता के साथ निभाने की कोशिश की है। इस प्रचार अभियान में मैंने बस एक कार्यक्रम रद्द किया और वह भी घोसी में क्‍योंकि वहां हमारे जिला अध्‍यक्ष की असमय मौत हो गयी थी।

13 years of Peace, Prosperity & ProgressCourtesy : The Hindu

एक वफादार और समर्पित कार्यकर्ता की तरह मैंने उन्‍हें बताया कि मैं आपको इस पवित्र भूमि पर यह प्रतिवेदन दे रहा हूं। मुझे जो भी कार्य सौंपा गया था, मैंने एक पार्टी कार्यकर्ता की भूमिका निभाते हुए उसे पूरा करने की कोशिश की है।

मैंने मुख्‍यमंत्री बनने के बाद पहली बार मुख्‍यमंत्री का चैम्‍बर देखा था। आज भी वैसी ही स्थिति है क्‍योंकि इस ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में मैं पहली बार आया हूं।

मैं सभी स्‍वतंत्रता सेनानियों और हमारे देश के संविधान निर्माताओं को नमन करता हूं क्‍योंकि उनकी वजह से दुनिया लोकतंत्र की ताकत देख रही है। विश्‍व के नेताओं ने जब मुझे फोन किया तो मैंने उन्‍हें भारत के करोड़ों मतदाताओं के बारे में बताया। वे अचंभित थे। यह हमारे संविधान की ताकत है कि एक गरीब और वंचित परिवार का गरीब व्‍यक्ति आज यहां खड़ा है। यह हमारे संविधान की ताकत और हमारे लोकतांत्रिक चुनावों की छाप है कि एक सामान्‍य नागरिक इतनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है। भाजपा की जीत और किसी अन्‍य की हार पर बहस बाद में हो सकती है। नागरिकों को यकीं हो गया है कि यह लोक‍तांत्रिक तंत्र उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। लोकतंत्र में उनकी आस्‍था और मजबूत हुई है।

सरकार वह होती है जो गरीबों के बारे में सोचे, गरीबों की सुने और गरीबों के लिए काम करे। इसलिए नयी सरकार गरीबों, करोड़ों युवाओं, माताओं और बेटियों को समर्पित है जो अपने आदर और सम्‍मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सरकार ग्रामीणों के लिए है, किसानों के लिए है, दलितों और उत्‍पीडि़तों के लिए है, यह सरकार उनके लिए है, उनकी आकांक्षाओं के लिए और इसे पूरा करना ही हमारी जिम्‍मेदारी है। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने हमारे देश के कई नये रूप देखे हैं। मैंने ऐसे भी लोग देखे जिनके तन पर सिर्फ एक कपड़ा था लेकिन हाथ में भाजपा का झंडा थामे हुए थे। यह वर्ग हमारी ओर आशा और आकांक्षा भरी नजरों से देख रहा है। इसलिए हमारा सपना, उनके सपनों को पूरा करने का है।

आडवाणीजी ने एक शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है। मैं आडवाणीजी से प्रार्थना करूंगा कि वह फिर कभी यह शब्‍द इस्‍तेमाल न करें। उन्‍होंने कहा कि नरेन्‍द्रभाई ने हम पर कृपा की है।

(यह कहते ही मोदीजी का गला रुंध जाता है, थोड़ी देर भाषण रुका रहता है)

कृपया इस शब्‍द का इस्‍तेमाल मत कीजिए। क्‍या कोई बेटा कभी अपनी मां पर कृपा कर सकता है? कभी नहीं। जैसे भारत मेरी मां है, वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है। इसलिए एक बेटा कभी कृपा नहीं कर सकता, वह तो सिर्फ समर्पित भाव से अपनी मां की सेवा कर सकता है। कृपा तो पार्टी ने मेरे ऊपर की है। इसने मुझे सेवा का यह मौका देकर मुझ पर उपकार किया है।

विगत में विभिन्‍न सरकारों ने अपने ढंग से कई अच्‍छे कार्य करने की कोशिश की है जिसके लिए वे सराहना पाने की हकदार हैं। जो भी अच्‍छा कार्य हुआ है हम उसे आगे बढ़ायेंगे। हम देश को कुछ देंगे। लोगों को निराश नहीं होना चाहिए। मैंने टीवी या मीडिया को नहीं देखा है, हर कोई इस फैसले का विश्‍लेषण कर रहा है…..लोगों ने उम्‍मीद के लिए वोट दिया है। यह जनादेश आशा का है। मैंने पहले भी कहा है कि यह चुनाव उम्‍मीद का है। आम आदमी में एक नयी आशा जगी है। यह इस चुनाव परिणाम का सबसे बड़ा महत्‍व है।

भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर उन्‍होंने उम्‍मीद और विश्‍वास को वोट दिया है। लोगों ने उम्‍मीद और आस्‍था को वोट दिया है और मैं उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करुंगा। निराशा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए क्‍योंकि निराशा से कुछ हासिल नहीं हो सकता। सरकार का आदर्श वाक्‍य होगा- सबका साथ, सबका विकास। यह समय नयी उम्‍मीद और सामर्थ्‍य का है।

जिम्‍मेदारी का युग शुरु हो गया है। 2019 में, मैं संसद सदस्‍यों से एक रिपोर्ट कार्ड के साथ मुलाकात करूंगा। मेरी सरकार मेरे लिए नहीं बल्कि देश के लिए है। सरकार गरीबों के लिए है और हम उनके लिए कुछ करना चाहते हैं।

आपने मुझे जो जिम्‍मेदारी सौंपी है उसे पूरा करने के लिए मैं अपनी ताकत लगा दूंगा। मैं आपको कभी भी नीचा नहीं दिखाऊंगा।

हमें अपने देश के लिए मरने का सौभाग्‍य तो प्राप्‍त नहीं हुआ लेकिेन आजाद भारत में पैदा हुए प्रत्‍येक नागरिक को अपना जीवन देश के लिए जीने को समर्पित करना चाहिए। हमारे जीवन का हर क्षण और हमारे शरीर के हर अंश को 125 करोड़ देशवासियों के लिए समर्पित करना चाहिए, हमें इस सपने को संजोये रखना है। तभी देश तेजी से प्रगति करेगा।

स्‍वभाव से मैं एक आशावादी हूं। यह मेरे डीएनए में लिखा है। निराशा मेरे पास नहीं फटकती। इस मौके पर मैं वो बात दोहराना चाहता हूं जो मैने यहां एक कालेज में कही थी। पानी के इस ग्‍लास को देखिये, कुछ लोग कहेंगे कि यह पानी से आधा भरा है और कुछ कहेंगे कि आधा खाली है। मेरी सोच तीसरे तरह की है। मैं कहता हूं कि यह ग्‍लास आधा पानी से भरा है आधा हवा से भरा है। आपको यह आधा खाली नजर आ सकता है लेकिन मैं इसे ऐसे नहीं देखता। यही वजह है कि मैं सवभाव से आशावादी हूं। एक रचनात्‍मक सफर पर चलने के लिए आशावादी होना जरूरी और महत्‍वपूर्ण है। एक आशावादी व्‍यक्ति ही देश में उम्‍मीद ला सकता है और कायम कर सकता है। हर व्‍यक्ति के जीवन में कठिनाइयां और प्रतिकूल समय आता है। 2001 में, गुजरात में जब भूकंप आया था तो हम सबके चारों ओर मौत पसरी थी। हर ओर तबाही थी। दुनियाभर में सबने सोचा कि सब कुछ मिट गया है। लेकिन थोड़े से ही वक्‍त में गुजरात अपने पैरों पर खड़ा हो गया। हमें निराशा पीछे छोड़नी होगी। कौन कहता है कि दुनिया का सबसे बड़ा और जागरुक लोकतंत्र आगे नहीं बढ़ सकता? अगर 125 करोड़ देशवासी एक कदम आगे बढ़ायेंगे तो पूरा देश 125 करोड़ कदम आगे बढ़ेगा।

दुनिया में कौन सा दूसरा देश है जहां छह ऋतुएं होती हैं। हमारी धरती पर कृपा हुई है, हमारी जमीन उपजाऊ है और प्राकृतिक संसाधनों से भरी हुई है। हमारे देश से लोग विदेश में जाते हैं, वे दौलत और शोहरत कमाते हैं, हमें बस उन्‍हें यहां अवसर देना होगा।

इस चुनाव में हमने दो बातों पर जोर दिया- सबका साथ, सबका विकास। हम सबका विकास और तरक्‍की चाहते हैं लेकिन यह भी जरूरी है कि हम सबको साथ लेकर चलें। यह चुनाव नयी आशा का प्रतीक है। मेरे साथ योग्‍य साथी हैं और मेरे वरिष्‍ठ नेताओं के मार्गदर्शन के साथ मुझे पूरा विश्‍वास है कि जो जिम्‍मेदारी मुझे 13 सितंबर 2013 को मिली थी और जो 16 मई 2014 को पूरी हुई और आज जो नई जिम्‍मेदारी मुझे मिली है, मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूं कि जब हम 2019 में मिलेंगे तब मैं आपके समक्ष अपना रिपोर्ट कार्ड रखूंगा। मैं सतत मेहनत और कठोर परिश्रम करूंगा।

आगामी वर्ष 2015-16 हम सबके लिए महत्‍वपूर्ण है, यह पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय का शताब्‍दी वर्ष होगा। उन्‍होंने चरैवेति-चरैवेति का मंत्र दिया और इससे ही बलिदान और कठोर परिश्रम का तंत्र स्‍थापित हुआ। हमें सोचना होगा कि हम उनके सपनों को किस तरह पूरा करें और उन्‍हें पूरा करने के लिए कार्य करें। पार्टी और सरकार दोनों को सोचना चाहिए कि इस आगामी कार्यक्रम को हम किस तरह आयोजित कर सकते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय ने अंत्‍योदय यानी सबसे कमजोर की सेवा पर जोर दिया था। यही वजह है कि मैं यह कहता हूं कि यह सरकार गरीबों और वंचितों की है। वैश्विक परिप्रेक्ष्‍य में भी भारत के चुनाव और इन नतीजों की रचनात्‍मक और सकारात्‍मक ढंग से समीक्षा की जा रही है। विश्‍व को पहला संदेश यह नहीं जाता है कि करोड़ों लोगों ने एक पार्टी को वोट देकर एक व्‍यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया है। लेकिन महत्‍वपूर्ण तो यह है कि करोड़ों लोगों ने एक अच्‍छा जनादेश दिया है और दुनिया में भारत के स्‍थान को ऊंचा किया है।यही इन चुनावों का संदेश है। कौन चुनाव जीता और कौन हारा, ये महत्‍वपूर्ण नहीं है। चुनाव के ये नतीजे विश्‍व को भारत और उसके लोकतांत्रिक मूल्‍यों और क्षमताओं की ओर आकर्षित करेंगे। भारत के आम नागरिकों में आशा का संचार हआ है और यही उम्‍मीद विश्‍व में मानवतावादी शक्तियों में जगी है। यह बहुत अच्छा संकेत है।

भाइयो और बहनो, एक बार फिर मैं आप सब लाखों कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करता हूं जिन्‍होंने यह जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की। जो मोदी आपके समक्ष खड़ा है, वह आपको इसलिए बड़ा दिखायी देता है क्योंकि मेरी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने मोदी को कंधे पर बिठा लिया है। आज हमने जो कुछ भी हासिल किया है वह हमारी पांच पीढ़ियों के बलिदान का परिणाम है। जनसंघ को लोग नहीं जानते थे, कुछ लोगों को लगा कि यह सामाजिक, सांस्‍कृतिक संगठन है। आज, मैं उन सभी पीढि़ेयों को नमन करता हूं जिन्‍होंने राष्‍ट्रवादी लक्ष्‍य के लिए बलिदान दिया। हमें नहीं भूलना चाहिए कि आज हम यहां पूर्ववर्ती पीढ़ियों के बलिदान की वजह से खड़े हैं। यह जीत हमारे लाखों कार्यकर्ताओं की है। अगर हम इस प्रकार सोचेंगे तो समाज और पार्टी को शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा। भाजपा ऐसी पार्टी है जो अपने मजबूत संगठन पर टिकी है। यह हमारी ताकत है और हममें से कोई भी संगठन के ऊपर या बाहर नहीं है।

आपने मुझे यह नयी जिम्‍मेदारी सौंपी है, आडवाणीजी ने मुझे आशीर्वाद दे दिया है। आपने मुझ पर भरोसा जताया है। आपको मुझसे उम्‍मीदें हैं और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपको किसी भी क्षण ऐसा नहींलगेगा कि आपको पीछे छोड़ दिया गया है। एक बार फिर आप सबको धन्‍यवाद देता हूं।

( द हिन्‍दू से साभार)

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।