अलग-अलग क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियां विश्व में स्थिरता लाती हैं और वह एक 'विश्व-मित्र' के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, देश के डेवलपमेंटल अप्रोच ने भी वैश्विक कल्याण को ध्यान में रखा है। पीएम मोदी ने कहा, "अब भारत में भरोसा है।" भारत को दिया जा रहा महत्व अभूतपूर्व है।
पिछले एक दशक में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत एक भरोसेमंद 'विश्व मित्र' के रूप में उभरा है। विभिन्न क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियां विश्व में स्थिरता ला रही हैं।
वास्तव में, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत वैश्विक महामारी से निपटने में दुनिया की मदद करने के बाद 'विश्व-मित्र' और 'विश्व का अटूट साथी' के रूप में उभरा है। दुनिया ने विनाशकारी कोविड -19 महामारी के बाद भारत की उल्लेखनीय सुधार और पुनर्निर्माण के लिए सराहना की। भारत ने एक "वैक्सीन चमत्कार" किया था और उदारतापूर्वक 100 से अधिक देशों को 300 मिलियन टीके प्रदान किए थे। इस "वैक्सीन मैत्री" ने भारी सद्भावना पैदा की, कुछ विदेशी नेताओं ने भारतीय वैक्सीन को उनके जीवन को बचाने और अभी भी उनकी नसों में बहने के रूप में संदर्भित किया।
भारत की आर्थिक और तकनीकी प्रगति को न केवल देशवासियों बल्कि विश्व समुदाय ने भी सराहा है। टेक्नोलॉजी 4.0 के क्षेत्र में स्मार्ट डिजिटल तकनीकों को अपनाकर मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल प्रोसेस में आधुनिकीकरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और अंतरिक्ष जैसे अग्रणी क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां भारत की ताकत को दर्शाती हैं। चंद्रयान-3 का शिव-शक्ति पॉइंट पर सफलतापूर्वक लैंडिंग, "सबका विकास सबका साथ" के तहत सतत और समावेशी विकास के शानदार प्रयास, प्रभावशाली सामाजिक बदलाव परियोजनाएं - ये सब आशा का दीपक बनकर खड़े हैं। इनके दोहराए जाने और विश्व स्तर पर विस्तारित होने की संभावनाएं, विकासशील और विकसित देशों दोनों के लिए प्रेरणादायक हैं।
गहरे विभाजित विश्व में गहन संघर्ष के दौरान सर्वसहमति प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो रिश्तों को संभालने और पूरे स्पेक्ट्रम में मित्रता बनाए रखने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है। रूस-यूक्रेन युद्ध पर मतभेदों के बावजूद, 2023 में दिल्ली डिक्लेरेशन सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर "100% सर्वसम्मति" का ऐतिहासिक उदाहरण है। दिल्ली में आयोजित G20 समिट ने इस सफलता को रेखांकित किया, जहां युद्ध को एजेंडे पर हावी नहीं होने दिया गया, जैसा कि 2022 में बाली G20 डिक्लेरेशन में हुआ था। इसके विपरीत, भारत ने वैश्विक नेताओं द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध पर बड़े मतभेदों को दूर करते हुए सर्वसम्मति से घोषणा को अपनाने के साथ एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की। प्रधानमंत्री मोदी ने "ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट" को समाप्त करने का आह्वान किया। आतंकवाद की सभी प्रकारों की निंदा करने और आतंकवादी समूहों को सहायता देने के प्रयासों को कमजोर करने में भी भारत सफल रहा। साथ ही, उन्होंने 2030 तक वैश्विक स्तर पर रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी को तीन गुना करने और कोयला आधारित बिजली को कम करने की आवश्यकता पर सहमति प्राप्त की। मोदी सरकार का नेगोशिएटर अप्रोच, जिसमें एक-एक मुद्दे से बातचीत के माध्यम से निपटा जाता है, भारत की सफलता का एक प्रमुख कारण है।
प्रधानमंत्री मोदी "विश्वमित्र भारत" के मुख्य प्रतिनिधि हैं और उन्होंने विश्व को "सबका साथ" यानी समावेशिता का "विश्व मंत्र" दिया है। G20 समिट में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना "सबका साथ" का सबसे बड़ा प्रमाण है। पीएम नरेन्द्र मोदी के शब्दों में, यह अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रति एक "समावेशी और मानव-केंद्रित" दृष्टिकोण भी था। दुनियाभर के नेताओं ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा की, क्योंकि विविध क्षेत्रों में भारत की पहल और उपलब्धियां दुनिया में स्थिरता लाती हैं।
पिछले नौ वर्षों में, भारत वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) में अग्रणी के रूप में उभरा है। "वसुधैव कुटुम्बकम" - पूरी दुनिया एक परिवार है - की सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप, भारत क्षेत्र और उससे आगे HADR प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नेपाल में भूकंप के दौरान बचाव अभियान - ऑपरेशन मैत्री, 2016 में चक्रवात रोआनु के दौरान श्रीलंका को सहायता, 2018 में इंडोनेशिया में भूकंप, जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़, ऑपरेशन दोस्त - 2023 भूकंप के बाद सीरिया और तुर्की की मदद के लिए एक राहत और बचाव अभियान, और कोविड वैक्सीन, ये सभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत की 'विश्वमित्र' साख में महत्वपूर्ण योगदान हैं।
"विश्वमित्र" की अवधारणा में भारत के हित भी शामिल हैं। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत आदि जारी कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए विदेशी साझेदारों, फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने गारंटी दी है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत, दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में होगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की "विश्वमित्र डिप्लोमेसी" मुख्य रूप से भारत के विकास के लिए है, क्योंकि यह आर्थिक कूटनीति को राजनीतिक कूटनीति के साथ जोड़ती है।