साल 2009 की शुरुआत का यह पहला दिन था। गुजरात में कच्छ के रण में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की सूखी रेत पर सूरज की तीखी किरणें पड़ रहीं थीं। इस दिन ऐसे उजाड़ से मंजर के बीच मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन हुआ। उनकी मौजूदगी, इस सूखे और गर्म इलाके में आशा की किरण थी, जो यहां के लिए सिर्फ सुर्ख़ियों के अलावा और भी बहुत कुछ लेकर आई थी। श्री मोदी हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि वे साल के अहम अवसरों पर सशस्त्र बलों के अपने जवानों के बीच रहें और इस साल भी उन्होंने ऐसा ही किया।

किस्से-कहानियां सुनाते और हंसी-मजाक करते हुए वे जवानों के साथ बैठे। लेकिन आनंद के इस माहौल के परे, एक चिंता उन्हें परेशान कर रही थी। उन्हें पानी जैसी बुनियादी जरूरत के लिए जवानों की रोजमर्रा की कठिनाई के बारे में पता चला; जहां टैंकरों से हर रोज 50 किलोमीटर का एक थकाऊ सफर नजदीकी सुईगाम गांव से इस बंजर आउटपोस्ट तक पीने के पानी को ढोने के लिए करना पड़ता था।

मुख्यमंत्री ने इस समस्या को गौर से सुना, उनके माथे पर चिंता की लकीरें थीं। अपने दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाने वाले श्री मोदी ने सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने इसका समाधान खोजने का वादा किया और जवानों को भरोसा दिया कि वह उनके लिए पीने का पानी लेकर आएंगे। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह राठौर, जो श्री मोदी को बॉर्डर के सुदूरवर्ती क्षेत्र, जीरो प्वाइंट तक ले गए थे, याद करते हैं कि मुख्यमंत्री मोदी ने बीएसएफ जवानों की मांगों पर हामी भरने में केवल 2 सेकंड का समय लिया और एक साहसिक दावा किया कि 'आज 01 जनवरी है - आपको 6 महीने के भीतर पाइपलाइन से पीने का साफ पानी मिलेगा।'

राठौर बताते हैं कि कच्छ का रण भीषण गर्मी और खारे पानी के लिए जाना जाता है, और आम तौर पर पाइपलाइनें इस क्षेत्र में टिक नहीं पातीं। उन्हें याद है कि श्री मोदी ने समस्या का ठोस समाधान करने के लिए जर्मनी से कुछ ख़ास किस्म के पाइप मंगवाए थे। वादे के छह महीने बाद, जून माह में, बीएसएफ कैम्प के पास एक बड़ा जलाशय बनाया गया और नई पाइपलाइन के जरिए वहां तक पानी पहुंचाया गया।

बॉर्डर यात्रा से जुड़ा पीएम मोदी का यह किस्सा सिर्फ पानी तक सीमित नहीं है; यह भरोसे का एक किस्सा है; एक सुनने, समझने और डिलीवर करने वाले प्रामाणिक नेता से जुड़ा एक प्रसंग है। एक ऐसा नेता, जिसकी गारंटी को भरोसे का सम्मान हासिल है।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
How Modi Government Defined A Decade Of Good Governance In India

Media Coverage

How Modi Government Defined A Decade Of Good Governance In India
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री मोदी का मार्मिक पत्र
December 03, 2024

दिव्यांग आर्टिस्ट दीया गोसाई के लिए रचनात्मकता का एक पल, जीवन बदलने वाले अनुभव में बदल गया। 29 अक्टूबर को पीएम मोदी के वडोदरा रोड शो के दौरान, उन्होंने पीएम मोदी और स्पेन सरकार के राष्ट्रपति महामहिम श्री पेड्रो सांचेज़ के अपने स्केच भेंट किए। दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उनके भावनात्मक उपहार को स्वीकार किया, जिससे वह बहुत खुश हुईं।

कुछ सप्ताह बाद, 6 नवंबर को, दीया को प्रधानमंत्री से एक पत्र मिला जिसमें उनकी कलाकृति की प्रशंसा की गई थी और बताया गया था कि कैसे महामहिम श्री सांचेज़ ने भी इसकी प्रशंसा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समर्पण के साथ ललित कलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, और "विकसित भारत" के निर्माण में युवाओं की भूमिका पर विश्वास व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार को दीपावली और नववर्ष की शुभकामनाएं भी दीं, जो उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाता है।

खुशी से अभिभूत दीया ने अपने माता-पिता को वह पत्र पढ़कर सुनाया, जो इस बात से बहुत खुश थे कि उसने परिवार को इतना बड़ा सम्मान दिलाया। दीया ने कहा, "मुझे अपने देश का एक छोटा सा हिस्सा होने पर गर्व है। मोदी जी, मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद।" उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के पत्र से उन्हें जीवन में साहसिक कदम उठाने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की गहरी प्रेरणा मिली।

पीएम मोदी का यह कदम, दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनके योगदान को सम्मान देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुगम्य भारत अभियान जैसी अनेक पहलों से लेकर दीया जैसे व्यक्तिगत जुड़ाव तक, वह लगातार प्रेरणा देते हैं और उत्थान करते हैं, यह साबित करते हुए कि उज्जवल भविष्य बनाने में हर प्रयास महत्वपूर्ण है।