केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, जलशक्ति राज्यमंत्री श्री रतन लाल कटारिया जी, अलग-अलग राज्यों और जिलों के सभी माननीय अधिकारीगण, देश के गांव-गांव से जुड़े और इस आंदोलन को चलाने का सबसे बड़ा जिम्मा जिसका है, ऐसे पंच और सरपंचगण, दूसरे सभी जनप्रतिनिधिगण, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!
आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे हिन्दुस्तान के अलग-अलग कोने में हमारे गांव के जो leader हैं वो प्रकृति के लिए, पानी के लिए वहां के जनसुखाकारी के लिए, कैसे एक साधक की तरह साधना कर रहे हैं, सबको जोड़ करके आगे बढ़ रहे हैं, मुझे उन सबकी बातें सुनकर के एक नई प्रेरणा मिली, नई ऊर्जा मिली और कुछ नए ideas भी मिले। मुझे विश्वास है कि हमारे इन प्रतिनिधियों से आज जो बाते हुई हैं, जिन-जिन लोगों ने सुनी होगी। हर किसी को कुछ ना कुछ सीखने को मिला होगा, मुझे भी सीखने को मिला है, हमारे अधिकारियों को भी सीखने के लिए मिला है, जनता जनार्दन को भी सीखने के लिए मिलेगा।
मुझे खुशी है कि जल शक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, प्रयास बढ़ रहे हैं। आज International Water Day पूरी दुनिया आज ये जल के महत्व को उजागर करने के लिए International Water Day मना रहा है। इस अवसर पर हम दो बहुत महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जुटे हैं। आज एक ऐसे अभियान की शुरुआत हो रही है जिसको मैंने मेरी मन की बात में भी कहा था लेकिन आज दुनिया के सामने एक उदाहरण मिले इसलिए और भारत में पानी की समस्या का समाधान हो इसलिए Catch The Rain की शुरुआत के साथ ही केन-बेतबा लिंक नहर के लिए भी बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। अटल जी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लाखों परिवारों के हित में जो सपना देखा था, उसे साकार करने के लिए आज समझौता हुआ है और ये बहुत बड़ा काम हुआ है। अगर आज कोरोना ना होता और अगर हम झांसी में आकर के, बुंदेलखण्ड में आकर के चाहे उत्तर प्रदेश हो या मध्य प्रदेश हो, आज ये कार्यक्रम करते तो लाखों लोग आते और हमें आशीर्वाद देते, इतना बड़ा महत्वपूर्ण ये काम ये हो रहा है।
भाइयों और बहनों,
21वीं सदी के भारत के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता, बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर है। पानी हर घर, हर खेत की ज़रूरत तो है ही, जीवन के, अर्थव्यवस्था के हर पहलू के लिए ये बहुत ज़रूरी है। आज जब हम तेज़ गति से विकास की बात कर रहे हैं, प्रयास कर रहे हैं, तो ये Water Security के बिना, प्रभावी Water Management के बिना संभव ही नहीं है। भारत के विकास का विजन, भारत की आत्मनिर्भरता का विजन, हमारे जल स्रोतों पर निर्भर है, हमारी Water Connectivity पर निर्भर है। इस बात की गंभीरता को समझकर दशकों पहले हमें इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत थी और मैं आपको गुजरात के अनुभव से कहता हूँ अगर हम योजनाबद्ध तरीके से जन भागीदारी के साथ पानी बचाने की पहल करेंगे तो हमें पानी समस्या नहीं लगेगी, पानी हमें पैसों से भी ज्यादा कीमती ताकत के रूप में उभर करके आयेगा। ये काम बहुत पहले होना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से जितनी मात्रा में होना चाहिए, जितने व्यापक स्वरूप में होना चाहिए, जन-जन की भागीदारी से होना चाहिए, उसमें कहीं ना कहीं कमी रह गई। नतीजा ये कि जैसे-जैसे भारत विकास के पथ पर बढ़ रहा है, जल-संकट की चुनौती उतनी ही बढ़ती जा रही है। अगर देश ने पानी की बचत पर ध्यान नहीं दिया, पानी का दोहन नहीं रोका तो आने वाले दशकों में स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ जाएगी और हमारे पूर्वजों ने हमें पानी दिया है, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हमारी आगे वाली पीढ़ी को हमें पानी सुरक्षित देकर के जाना चाहिए। इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं है और इसलिए हम तय करें कि हम पानी को बर्बाद नहीं होने देंगे, हम पानी का दुरुपयोग नहीं होने देंगे, हम पानी के साथ पवित्र रिश्ता रखेंगे। ये हमारी पवित्रता पानी को बचाने के लिए काम आयेगी। ये देश की वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि वो आने वाली पीढ़ियों के लिए अभी से अपनी जिम्मेदारी निभाए।
भाइयों और बहनों,
हमें वर्तमान की इस स्थिति को बदलना भी है, और भविष्य के संकटों का अभी से समाधान भी तलाशना है। इसलिए हमारी सरकार ने water governance को अपनी नीतियों और निर्णयों में प्राथमिकता पर रखा है। बीते 6 साल में इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हो या हर खेत को पानी अभियान हो 'Per Drop More Crop' इसका अभियान हो या नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन हो या अटल भूजल योजना, सभी पर तेजी से काम हो रहा है।
साथियों,
इन प्रयासों के बीच, ये भी चिंता का विषय है कि हमारे देश में वर्षा का अधिकांश जल बर्बाद हो जाता है। भारत वर्षा जल का जितना बेहतर प्रबंधन करेगा उतना ही Ground-water पर देश की निर्भरता कम होगी और इसलिए 'Catch the Rain' जैसे अभियान चलाए जाने, और सफल होने बहुत जरूरी हैं। इस बार जल शक्ति अभियान में विशेष ये भी है कि इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों, दोनों को शामिल किया जा रहा है। मॉनसून आने में अभी कुछ हफ्तों का समय है इसलिए इसके लिए हमें अभी से पानी को बचाने की तैयारी जोरों पर करनी है। हमारी तैयारियों में कमी नहीं रहनी चाहिए। मॉनसून के आने से पहले ही tanks की, तालाबों की सफाई हो, कुओं की सफाई हो, मिट्टी निकालना हो तो वो काम हो जाए, पानी संग्रह की उनकी क्षमता बढ़ाना है, वर्षा जल बहकर आने में उसके रास्ते में कहीं रूकावटें ना हों तो उसका हटाना है, इस तरह के तमाम कार्यों के लिए हमें पूरी शक्ति लगानी है और इसमें कोई बहुत बड़े engineering की जरूरत नहीं है। कोई बहुत बड़े-बड़े engineer आकर के कागज पर बहुत बड़ा design बना दें, उसके बाद में, कोई जरूरी नहीं है। गांव के लोगों को ये चीजें मालूम हैं, वो बड़ी आसानी से कर लेंगे, कोई कराने वाला चाहिए बस और इसमें टेक्नोलॉजी का जितना ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए, उतना ही बेहतर होगा। मैं तो चाहूंगा अब मनरेगा का एक-एक पैसा, एक-एक पाई बारिश आने तक सिर्फ-सिर्फ इसी काम के लिए लगे।
पानी से संबंधित जो भी तैयारियाँ करनी हैं, मनरेगा का पैसा अब कहीं और नहीं जाना चाहिए और मैं चाहूंगा इस कैंपेन को सफल बनाने में सभी देशवासियों का सहयोग आवश्यक है, आप सभी सरपंच गण, सभी डीएम, डीसी और दूसरे साथियों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे बताया गया है कि आज इसके लिए विशेष ग्रामसभाएं भी आयोजित की गई हैं और जल शपथ भी दिलाई जा रही है। ये जल शपथ जन-जन का संकल्प भी बनना चाहिए, जन-जन का स्वभाव भी बनना चाहिए। जल को लेकर जब हमारी प्रकृति बदलेगी, तो प्रकृति भी हमारा साथ देगी। हमने बहुत बार सुना है कि अगर सेना के लिए कहा जाता है कि शांति के समय जो सेना जितना ज्यादा पसीना बहाती है युद्ध के समय खून उतना कम बहता है। मुझे लगता है ये नियम पानी को भी लागू करता है। अगर हम पानी बारिश के पहले, अगर हम मेहनत करते हैं, योजना करते हैं, पानी बचाने का काम करते हैं तो अकाल के कारण जो अरबों-खरबों का नुकसान होता है और बाकी काम रूक जाते हैं, सामान्य मानवी को मुसीबत आती है, पशुओं को पलायन करना पड़ता है, ये सब बच जाएगा। इसलिए जैसे युद्ध में शांति के समय पसीना बहाना ही मंत्र है, वैसे ही जीवन बचाने के लिए वर्षा के पहले जितनी ज्यादा मेहनत करेंगे उतना उपकार होगा।
भाइयों और बहनों,
वर्षा जल से संरक्षण के साथ ही हमारे देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है। हमने देखा है, कई जगह पर dam बने हैं लेकिन desalting ही नहीं हुआ है। अगर हम थोड़ा desalting करें, उसमें जरा जो engineer हैं उनके मार्गदर्शन में करना चाहिए, तो भी पानी ज्यादा रूकेगा, ज्यादा रूकेगा तो ज्यादा दिन चलेगा और इसलिए उसी प्रकार से हमारी ये नदियाँ, हमारी canal, ये सारी चीजें हैं, बस करने की जरूरत है। देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में अब तेजी से कार्य करना हम सबकी जिम्मेदारी है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी इसी विजन का हिस्सा है। मैं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश, वहां के दोनों मुख्यमंत्री, दोनों सरकारें और दोनों राज्यों की जनता, आज मैं उनको जितनी बधाई दूँ, उतनी कम है। आज इन दो नेताओं ने, इन दो सरकारों ने इतना बड़ा काम किया है जो हिन्दुस्तान के पानी के उज्जवल भविष्य के लिए इस स्वर्णिम पृष्ठ से लिखा जाएगा। ये मामूली काम नहीं है, ये सिर्फ एक कागज पर उन्होंने sign नहीं किया है, इन्होंने बुंदेलखंड की भाग्य रेखा को आज एक नया रंगरूप दिया है। बुंदेलखंड की भाग्य रेखा बदलने का काम किया है और इसलिए ये दोनों मुख्यमंत्री, उन दोनों राज्य की सरकारें, वो दोनों राज्य की जनता बहुत अभिनंदन की अधिकारी है। लेकिन मेरे बुंदेलखंड के भाइयों आपकी भी जिम्मेदारी है इस काम में इतना जुटिये, इतना जुटिये, कि केन-बेतवा का काम हमारी आंखों के सामने पूरा हो जाए और पानी हमें दिखाई देने लगे। हमारे खेत हरे-भरे लगने लगे, आइए मिलकर के करे हम। इस प्रोजेक्ट से जिन जिलों की लाखों लोगों को, किसानों को पानी तो मिलेगा ही, इससे बिजली भी पैदा की जाएगी। यानि प्यास भी बुझेगी और प्रगति भी होगी।
भाइयों और बहनों,
जब प्रयास भगीरथ जितने बड़े हों, तो हर लक्ष्य प्राप्त होता ही है। और आज हम देश में जल जीवन मिशन में भी ऐसा ही होते हुए देख रहे हैं। सिर्फ डेढ़ साल पहले हमारे देश में 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में सिर्फ साढ़े 3 करोड़ परिवारों के घर नल से जल आता था। मुझे खुशी है कि जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद इतने कम समय में ही लगभग 4 करोड़ नए परिवारों को नल का कनेक्शन मिल चुका है। इस मिशन की भी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके मूल में जनभागीदारी है, लोकल गवर्नेंस का मॉडल है और मैं तो कहूंगा और मेरा ये अनुभव से मैं ये कहता हूँ, ये जल जीवन मिशन में जितनी ज्यादा मात्रा में बहनें आगे आएंगी, जितनी ज्यादा मात्रा में बहनें इस जिम्मेदारियों को लेंगी, आप देखिये पानी का मूल्य माताएं-बहनें जितना समझती हैं ना वो और कोई नहीं समझ सकता है। माताओं-बहनों को पता होता है अगर पानी कम है तो घर में कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। अगर उस मां के हाथ में पानी की व्यवस्था देंगे, उस बहन के हाथ में पानी की व्यवस्था दे के आप देखिए, ये माताएं-बहनें ऐसा परिवर्तन लाकर के देंगी जो शायद हम सोच भी नहीं सकते। आप सभी पंचायती राज के साथी भलीभांति जानते हैं, कि इस पूरे प्रोग्राम को गांव ही संभाल रहे हैं, गांव ही चला रहे हैं। विशेषकर मैंने पहले कहा, उसी प्रकार से हमारी महिलाओं के नेतृत्व में इसको आगे बढ़ाइए, आप देखिए परिणाम मिलना शुरू हो जाएगा। मुझे खुशी है कि स्कूल हों, आंगनबाड़ी हों, आश्रम-शालाएं हों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हों, कम्यूनिटी सेंटर हों, ऐसे स्थानों पर प्राथमिकता के आधार पर नल से जल पहुंचाया जा रहा है।
साथियों,
जल जीवन मिशन का एक और पहलू है जिसकी चर्चा कम ही होती है। हमारे यहां आर्सेनिक और दूसरे प्रदूषकों से पानी जो कुछ प्रकार के element युक्त होता है, chemical युक्त होता है, ये बहुत बड़ी समस्या है। दूषित पानी के कारण बहुत तरह की बीमारियां, लोगों का जीवन तबाह कर देती हैं, उसमें भी हड्डियों की बीमारी जीना मुश्किल कर देती है। इन बीमारियों को अगर हम रोक पाएं तो अनेक जीवन बचा पाएंगे। इसके लिए पानी की टेस्टिंग भी उतनी ही जरूरी है। लेकिन अगर वर्षा का पानी बहुत बड़ी मात्रा में बचाएंगे तो बाकी जो ताकत है वो कम हो जाएगी। आजादी के बाद पहली बार पानी की टेस्टिंग को लेकर किसी सरकार द्वारा इतनी गंभीरता से काम किया जा रहा है। और मुझे इस बात की भी खुशी है कि पानी की टेस्टिंग के इस अभियान में हमारे गांव में रहने वाली बहनों-बेटियों को जोड़ा जा रहा है। कोरोनाकाल के दौरान ही साढ़े 4 लाख से ज्यादा महिलाओं को वॉटर टेस्टिंग की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। हर गांव में कम से कम 5 महिलाओं को पानी टेस्ट करने के लिए ट्रेन किया जा रहा है। Water Governance में हमारी बहनों-बेटियों की भूमिका को जितना अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा, उतना ही बेहतर नतीजे मिलने तय हैं।
मुझे विश्वास है कि जनभागीदारी से, जन सामर्थ्य से हम देश के जल को बचाएंगे, और देश के कल को हम फिर से एक बार उज्जवल बनाएँगे। मेरा एक बार फिर देश के सभी नौजवानों को, सभी माताओं-बहनों को, सभी बच्चों को, लॉकल बॉडीज को, सामाजिक संस्थाओं को, सरकार के विभागों, सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि जल शक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए हम सब एक संकल्प लेकर के आगे बढ़े। आने वाले 100 दिन, पानी की तैयारी, जैसे घर में बड़े ही मेहमान आने वाले हों, जैसे गांव में बारात होने वाली हो तो गांव कैसे तैयारी करता है? महीने भर पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं, भई बारात आने वाली है। ये बारिश आने के लिए पूरे गांव में ऐसी तैयारी होनी चाहिए, भई बारिश आने वाली है, चलो भाई पानी बचाना है। एक प्रकार का उमंग-उत्साह ये शुरू हो जाना चाहिए। आप देखिए, एक बूंद बाहर नहीं जाएगा और दूसरा जब पानी आता है तो फिर दुरुपयोग करने की आदत भी बन जाती है। मेरा आपसे आग्रह है, पानी बचाना जितना जरूरी है, उतना ही पानी विवेक-बुद्धि से उपयोग करना भी जरूरी है, इसको हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
मैं फिर एक बार आज विश्व जल दिवस पर, World Water Day पर, पानी को लेकर के इस जागरुकता अभियान को और जिन सरपंचों ने जिन्होंने धरती पर काम किया है, जिन नौजवानों ने धरती पर पानी के लिए अपना मिशन बनाया है, ऐसे अनेकों लोग हैं, आज तो मुझे पांच लोगों से बात करने का मौका मिला लेकिन हिन्दुस्तान के कोने-कोने में ऐसे लोग हैं, ऐसी सारी शक्तियों को नमन करते हुए आइए, हम पानी के लिए प्रयास करें। पानी को बचाने के लिए हम सफल हों और पानी हमारी धरती को पानीदार बनाए, पानी हमारे जीवन को पानीदार बनाए, पानी हमारी अर्थव्यवस्था को पानीदार बनाए, हम एक ऊर्जा से भरा हुआ राष्ट्र बनकर के आगे बढ़े, इसी एक कल्पना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !