मैं फ्रांस की जनता के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए अपनी बात प्रारम्भ करना चाहता हूं, जो जघन्य आतंकवादी हमले से हुई क्षति के कारण शोकाकुल है। आतंकवाद दुनियाभर में पांव पसार रहा है, ऐसे में आइये, हम सभी मिलकर इसका मुकाबला करने का संकल्प लें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आतंकवादी उस जीवन, जिसके निर्माण के लिए हम सभी यहां एकत्र हुए हैं और उन मूल्यों, जिनके हम पक्षधर हैं, के खिलाफ इस जंग में दोबारा कामयाब नहीं हो।
भारत की जनता और अपनी ओर से, मैं आप सभी का इस सम्मेलन में स्वागत करता हूं। जनवरी 2013 में, छठे सम्मेलन के समापन के अवसर पर मैंने आप सभी को आज के इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया था। आपका उत्साह शानदार रहा है। यहां आपका स्वागत करते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।
इस अवसर पर, मैं इस आयोजन के पुराने भागीदारों- देशों और संगठनों का, आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इनमें जापान और कनाडा शामिल हैं। उनके सहयोग के बिना यह आयोजन इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकता था।
मैं अमरीका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका जैसे नए भागीदारों का भी गर्मजोशी से स्वागत करता हूं और इस आयोजन में शामिल होने के लिए उनका आभार प्रकट करता हूं। मैं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और विश्व बैंक के अध्यक्ष को शामिल होने के लिए विशेष तौर पर धन्यवाद देता हूं। यहां उनकी मौजूदगी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति और समृद्धि के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
आपकी भागीदारी ने छह करोड़ गुजरातियों की उद्यमी भावना को प्रोत्साहन दिया है, जिसने 1.2 बिलियन भारतवासियों का मनोबल को बढ़ा है। यह आयोजन सम्भवत: दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन है, जहां उभरते उद्यमी के पास विश्व बैंक के अध्यक्ष से मिलने का अवसर है और जहां खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने का ख्वाब देखने वाला कोई युवा किसान खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विचारों को जान सकता है। इसलिये पिछले एक आयोजन के दौरान मैंने इसे ‘दावोस इन एक्शन’ करार दिया था।
मित्रों!भारत में हम सदैव पूरे विश्व को परिवार (वसुधैव कटुम्बकम) मानते आये हैं। बहुत कम लोगों ने इसे व्यवहार में देखा है। मुझे बताया गया है कि इस आयोजन में सौ से ज्यादा देश भाग ले रहे हैं।
हम यहां सिर्फ स्थान के संदर्भ में ही परिवार नहीं हैं, बल्कि इसलिये परिवार हैं ,क्योंकि हमारा मानना है कि :
- किसी के सपने किसी के निर्देशों पर निर्भर करते हैं,
- किसी की सफलता किसी के सहयोग पर निर्भर करती है,
- किसी की जिज्ञासा किसी की देखभाल पर निर्भर करती है,
परिवार भी ऐसा ही करता है। अंतिम उद्देश्य सभी का कल्याण है। लोक समस्त सुखिन: भवन्तु।
मुझे यकीन है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव से लेकर विश्व बैंक के अध्यक्ष तक,हम सभी, सशक्त अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं से लेकर छोटे देशों के शिष्टमंडलों तक, फार्चून 500 कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से लेकर नवोदित उद्यमियों तक, सभी चाहते हैं कि धरती रहने की बेहतर जगह बनें।इसलिए यहां हमारी बैठक मात्र-
- हाथों का मिलन भर नहीं, बल्कि दिलों का मिलन है,
- विचारों का मिलन भर नहीं, बल्कि आकांक्षाओं का मिलन है
इस पारिवारिक समारोह का मेजबान होने के नाते,
यहां तैरते हजारों ख्वाबों का रखवाला होने के नाते
मैं एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हूं।
मैं आशा करता हूं कि यहां आपका प्रवास सुविधाजनक हो। मुझे यकीन है कि आपको हमारी मेजबानी अच्छी लगेगी। गुजरात में यह पतंग महोत्सव की बेला है। यह त्योहार हमें उमंग और उत्साह का संदेश देता है। आप भी इसमें अवश्य भाग लीजिये।
मित्रों! प्रधानमंत्री बनने के बाद, मैंने भारत के दूरदराज के इलाकों और दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की है। मैंने संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, आसियान,पूर्वी एशियाई देशों के शिखर सम्मेलन, जी-20 और सार्क शिखर सम्मेलनों में शिरकत की है। कुछ समान चिंताएं सभी जगहों पर व्यक्त की गईं। सबसे बड़ी चिंता वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर है। हमें इसकी स्थिरता और बहाली के तरीके तलाश करने होंगे। हमें निरंतर और समावेशी वृद्धि के लिए भी काम करना होगा।
हमारा मानना है कि समस्याएं हमें मजबूत, अनुशासित बनने और कुछ नया करने का अवसर देती है।
मेरी सरकार विश्वास जगाने का प्रयास कर रही है। हमने मजबूत भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक टीम तैयार की है। हमारा मानना है कि बदलाव की शुरूआत सोच बदलने से होती है।
मित्रों! आज यह हमारे लिए बहुत गर्व का विषय है कि भारत को लेकर काफी दिलचस्पी जगी है कई देश हमारे साथ मिलकर काम करने के लिए आगे आ रहे हैं। बेशक इसकी वजह से हमसे अपेक्षाएं भी जगी हैं।
भारत के वर्तमान और साथ ही साथ उसके समृद्ध अतीत को वैश्विक मान्यता मिल रही है। मैं योग को औपचारिक अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव का आभार व्यक्त करता हूं। 177 की रिकॉर्ड संख्या में देशों ने भारत के प्रस्ताव को समर्थन दिया। योग, इंसान के जीवन को बेहतर बनाने का विज्ञान एवं कला दोनों हैं। आज की दुनिया में, यह हमें विपरीत परिस्थितियों में भी शांत रहने की शिक्षा देता है।
मित्रों,जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत निराशाजनक थी उस समय इस आयोजन के 2009 संस्करण ने जीवंतता उत्पन्न की। वर्ष 2011 और 2013 के सम्मेलन निवेशकों का भरोसा मजबूत करने में सफल रहे।
लगातार सकारात्मकता बने रहने की वजह से ही गुजरात सरकार का यह आयोजन पूरे देश का आयोजन बन गया है। यह मंच इतना विस्तृत हो गया है कि अन्य राज्य भी इसका लाभ उठा सकते हैं। आज,बहुत से अन्य राज्यों ने भी यही दृष्टिकोण अपनाया है। भारत सरकार किसी भी राज्य की इस प्रकार की पहल को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मित्रों!हमें समस्याओं से निपटने के तरीके में बदलाव लाना होगा। मंदी को अक्सर व्यापार और उद्योग के संदर्भ में ही देखा जाता रहा है।
क्या हमने कभी मंदी को उन देशों में कम प्रति व्यक्ति आय के परिणाम के तौर पर देखा है, जहां दुनिया की आबादी का बहुसंख्य हिस्सा रहता है?
आम लोगों की रोजगार योग्यता, आय और क्रय शक्ति बढ़ाने के लिहाज से क्या हमने कभी इसका समाधान करने की बात सोची है? भारत में यह सबसे बड़ा काम है, जो हमें करना है। गांधी जी ने अंतिम व्यक्ति की जो बात कही थी, वह एकदम सही है। गांधी जी का संदेश इस बारे में हमें रास्ता दिखा सकता है। इसलिए यह उचित है कि इस सम्मेलन का आयोजन महात्मा मंदिर में किया जा रहा है।
नजदीक ही दांडी कुटीर में महात्मा गांधी के जीवन के बारे में एक शानदार मल्टीमीडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इसमें गांधी जी की संक्षेप्त जीवन यात्रा चित्रित की गयी है। इसके अलावा यहां से कुछ कदम की दूरी पर एक विश्व स्तयरीय विशाल प्रदर्शनी लगायी गयी है, जिसमें भारत और विदेशी कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं को दर्शाया गया है। मुझे यकीन है कि आप इन शानदार प्रदर्शनियों को देखने का अवसर नहीं गवांयेंगे।
मेरे लिए इस समारोह का सबसे बड़ा नतीजा उन समुदायों का समावेशन और भागीदारी है जिन्हें देखभाल और विकास की आवश्यकता है।
इस तरहइस समारोह निम्नांकित लक्ष्य है-
- बड़े के साथ छोटे का समावेशन;
- अमीर के साथ निर्धन का समावेशन;
- परिपक्व विचारों के साथ मन की भावनाओं का समावेशन;
मैं इस वैश्विक मंच को विश्वास दिलाता हूं कि भारत वैश्विक नेतृत्व के साथ काम करने का इच्छुक है। चाहे गरीबी की समस्या हो या पारिस्थितिकी के मुद्दे हों, भारत विश्व समुदाय के कल्याण के लिए योगदान करना चाहता है। हम जानते हैं कि दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा होने के नाते हमारी गतिविधियों का वैश्विक असर पड़ेगा। हम सीखने और इस प्रभाव को सकारात्मक बनाने के लिए तैयार हैं।
परन्तु, भारत को अलग दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। यह सिर्फ एक आधुनिक राष्ट्र नहीं है बल्कि एक प्राचीन सभ्य्ता भी है। यह सिर्फ कुछ शहरों का देश नहीं है, यह हजारों कस्बों और लाखों गांवों का देश है। यह विविध समुदायों का देश है। अत: अनेक ज्वलंत समस्याओं का समाधान स्वयं भारत के पास है।
- हमारा दर्शन संरक्षण का दर्शन है;
- हमारी संस्कृति प्रकृति को पोषित करने की शिक्षा देती है;
- हमारी जीवन पद्धति सदुपयोग की पद्धति है;
ऐसे विचार और पद्धतियां भारत में सदियों से विद्यमान रही हैं। अत: हम जो कुछ करते हैं वह हमारी संस्कृति, लोकाचार और विश्वासों के साथ जुड़ा होता है। चूंकि हम जानते हैं कि भारत में यही सार्थक होगा।
मित्रो, हमारे पिछले राष्ट्रीय चुनाव भारतीय लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक मोड़ को दर्शाते हैं। चुनाव ने हमारी जनता की उच्च आकांक्षाओं को व्यक्त किया है। मतदाताओें की चुनाव में रिकॉर्ड भागीदारी और तीस वर्षों के अंतराल के बाद किसी एक राजनीतिक पार्टी के पक्ष में स्पष्ट बहुमत से यह बात उचित परिलक्षित होती है।
मेरी सरकार जीवन की गुणवत्ता सहित भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में बदलाव और सुधार लाने के प्रति वचनबद्ध है।
सात महीने की अल्पावधि में हम निराशा और अनिश्चितता का माहौल बदलने में सक्षम रहे हैं। पहले दिन से ही मेरी सरकार अर्थव्यवस्था में गति लाने के लिए सक्रिय होकर काम कर रही है। मेरी सरकार एक ऐसा नीतिगत वातावरण बनाने के प्रति बचनबद्ध है जो विश्वसनीय, पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
मित्रों हम परिवर्तन के मार्ग पर अग्रसर हैं। इस प्रक्रिया को गति देने के लिए हम कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के प्रयास कर रहे हैं। हमें अपने संस्थानों और वितरण प्रणालियों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इस बदलाव को सशक्त रूप देने के लिए हमने हाल ही में योजना आयोग का पुर्नगठन किया है। अब इसे नीति आयोग के रूप में जाना जायेगा।
हम देश में सहकारिता पर आधारित संघवाद को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इसके साथ ही हम राज्यों के बीच एक प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करना चाहते हैं ताकि वे आवश्यक चीजें सृजित और स्थापित करने के प्रति आकर्षित हों। मैं संघवाद के इस नए रूप को सहकारिता और प्रतिस्पर्धा वाले संघवाद का नाम देता हूं।
आपको ज्ञात होगा कि हमारी आर्थिक वृद्धि दर पिछले कुछ वर्षों में नीचे चली गयी थी। मेरी सरकार तीव्र और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास कर रही है। प्रारंभिक नतीजे उत्साहजनक रहे हैं।
आर्थिक मार्चे पर, प्रथम दो तिमाहियों में हमने पिछले वर्ष की तुलना में एक प्रतिशत अधिक वृद्धि दर हासिल की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का आकलन है कि भारत की अर्थव्यवस्था आगामी वर्षों में दूसरी सबसे तीव्र वृदधि वाली अर्थव्यवस्था होगी।
ओईसीडी के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में भारत मात्र एक ऐसा देश होगा जिसकी वृद्धि दर में इस वर्ष इजाफा होगा। एचएसबीसी की ताजा रिपोर्ट में भारत की पहचान दुनिया के सर्वाधिक विकासशील निर्यातक के रूप में की गयी है। उम्मीद है कि 2030 तक सबसे बड़े निर्यातक देशों की सूची में भारत का स्थान 14 से घटकर पांच पर आ जायेगा।
राजनीतिक मोर्चे पर भी हाल के विधानसभा चुनावों में विभिन्न राज्यों के लोगों ने हमारा समर्थन किया है।
इससे हमें विश्वास हुआ है कि हम सही दिशा में आगे जा रहे हैं। मैं आपको संक्षेप में बताना चाहूंगा कि हम क्या कर रहे हैं और कहां पहुंचना चाहते हैं।
मित्रों हम सिर्फ वायदे करने और घोषणाएं करने तक सीमित नहीं हैं। हम नीति और व्यवहार के स्तर पर ठोस कार्य भी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए मैंने एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम की घोषणा की थी। चार महीनों में हमने दस करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले हैं।
हम विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले स्मार्ट शहर बनाने की योजनाएं बना रहे हैं। इस प्रयोजन के लिए हमने निर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति को और उदार बनाया है।
मैंने घोषणा की है कि हाई स्पीड रेलों सहित एक आधुनिक रेल प्रणाली कायम की जायेगी। हमने तत्काल रेलवे में शत-प्रतिशत एफडीआई की अनुमति प्रदान की। मैंने घोषणा की थी कि देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। अगला कदम रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति देना था। हमने कई अन्य क्षेत्रों में ऐसे कदम उठाये हैं। बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देना भी इनमें शामिल है। चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण के लिए एफडीआई नियमों में उदारता लाना भी इन उपायों में शामिल हैं।
इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर हम नीति संचालित शासन प्रदान करने की दिशा में सक्रिय कार्य कर रहे हैं। हमने महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दूरगामी निर्णय किए हैं। इनमें कोयला, लौह अयस्क और अन्य खनिज शामिल हैं। भूमि की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए हमने कानूनी प्रावधानों में संशोधन भी किए हैं। इनका उद्देश्य दूर-दराज के क्षत्रों में विकास को बढ़ावा देना और कृषक समुदाय के लाभ में वृद्धि सुनिश्चित करना है।
हम आर्थिक सुधारों के चक्र को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। हम यह भी देखना चाहते हैं कि हमारी नीतियां भरोसेमंद हो। हमारी स्पष्ट धारणा है कि हमारी कर व्यवस्था स्थिर होनी चाहिए। पिछले कुछ महीनों में हमने इस दिशा में कई निर्णय किए हैं।
हमने सरकारी और निजी निवेश के जरिये ढांचा खड़ा करने पर ध्यान केन्द्रित किया है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय सड़कों, राष्ट्रीय गैस ग्रिडों, विद्युत और बिजली जैसी चीजों को शामिल किया गया है। इसमें ग्रामीण ढांचा निर्माण, 24x7 विद्युत आपूर्ति, कृषि सिंचाई और नदियों की सफाई जैसे प्रयास शामिल हैं।
बुनियादी ढांचा योजना के कार्यान्वयन के लिए एक फास्ट ट्रैक सरकारी निजी भागीदारी व्यवस्था कायम की जा रही है।
बंदरगाह आधारित विकास सुनिश्चित करने के लिए हम सागरमाला परियोजना शुरू करने जा रहे हैं। मौजूदा बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। भारतीय तटों के साथ नए विश्वस्तरीय बंदरगाह विकसित किए जायेंगे। बंदरगाहों को मुख्य भूमि के साथ सड़क और रेल मार्ग से बेहतर ढंग से जोड़ा जायेगा। प्रमुख परिवहन मार्गों के रूप में अंतरदेशीय और तटवर्ती जलमार्गों का विकास किया जायेगा। क्षेत्रीय संपर्क में सुधार लाने, विशेषकर द्वितीय स्तर के शहरों और आर्थिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए कम लागत वाले हवाई अड्डे बनाने पर विचार किया जा रहा है।
हम अगली पीढ़ी के ढांचे की दिशा में भी सुधार के इच्छुक हैं। हमें जितनी राजमार्गों की आवश्यकता है, उतनी ही आवश्यकता प्रौद्योगिकी मार्गों (आई-वेज) की भी है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत, सेवा वितरण और कार्यक्रम कार्यान्वयन में सुधार के लिए सरकारी प्रक्रियाओं में आईटी का इस्तेमाल किया जायेगा। गांवों में ब्रॉडबैंड संपर्क स्थापित किया जायेगा।
विनिर्माण ढांचे को उन्नत बनाने के लिए हम प्रतिबद्ध माल ढुलाई मार्गों और औद्योगिक गलियारों के साथ विश्व स्तरीय निवेश और औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना कर रहे हैं। भारत सरकार संघीय और राज्यों के स्तर पर सिंगल विन्डो यानी एकल खिड़की अनुमोदन व्यवस्था कायम करने की दिशा में काम कर रही है।
चार महीने पहले हमने देश में विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था। हम भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केन्द्र बनाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। हम विशेष रूप से श्रम बहुल विनिर्माण को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
मैंने ये सभी कार्यक्रम एक अभियान के रूप में शुरू किए हैं ताकि वे सरकार को तेजी से सुधारों के लिए काम करने की दिशा में बाघ्य करें। वह हमें लालफीता शाही से दूर रहने और सक्रिय होकर काम करने की चुनौती देते हैं। इस प्रयोजन के लिए हमारे अनुप्रयोग और प्रक्रियाएं तेजी से ऑनलाइन की जा रही हैं।
भारत में व्यापार करना आसान हो, यह सबकी स्वाभाविक चिंता है। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि हम इन मुद्दों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहे हैं। हम उन्हें:
- न केवल सरलतम बल्कि शीघ्रतम;
- न केवल अन्यों से सरल
- बल्कि, सबसे सरल बनाना चाहते हैं।
मित्रों आप में से अनेक यह जानना चाहते होंगे कि आखिर भारत में ही निवेश क्यों ?
भारत में तीन चीजें हैं- लोकतंत्र, जन सांख्यिकी और मांग। यही वे चीजें हैं जो आप चाहते हैं।
और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आप ये सभी चीजें एक साथ किसी अन्य लक्ष्य पर नहीं पायेंगे। भारत आपको कम लागत के विनिर्माण की संभावनाएं प्रदान करता है। भारत में कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाली श्रम शक्ति है। हमारी जनसंख्या में 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु वालों की है। हम बेहतर प्रबंधन और बेहतर शासन के जरिये इन ताकतों को और बढ़ाना चाहते हैं।
हाल में प्रारंभ किए गए मंगल आर्बिटर मिशन में हरेक वस्तु देश में बनी थी। वास्तव में मिशन से सम्बन्धित ज्यादातर कल पुर्जे अत्यंत लघु फैक्टरियों में बने थे।
मित्रों हमारे पास काम करने के लिए बड़ी संख्या में श्रमबल हैं। हमारे पास सपने भी असंख्य हैं जिन्हें पूरा करना है। अत: विनिर्माण, कृषि आधारित उद्योगों, पर्यटन और सेवाओं को प्रोत्साहित करते हुए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमने उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए श्रम सुधार शुरू किए हैं ताकि हमारे युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक बाजार का निर्माण किया जा सके।
मैं हमेशा कहता हूं कि विकास प्रक्रिया का लाभ व्यापार क्षेत्र के साथ साथ सामान्य जन को भी होना चाहिए।
इसलिए मेरी सरकार ने कौशल विकास के लिए नए मंत्रालय का गठन किया है। इसका लक्ष्य अपनी मानव संसाधन क्षमता में बढ़ोतरी करना है। इसके लिए हम ज्ञान,प्रौद्योगिकी, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास पर समान रूप से बल दे रहे हैं। इन प्रयासों में शासन और संसाधान प्रबंधन में सुधार के लिए आईसीटी यानी सूचना संचार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी शामिल है। मैं यह भलिभांति समझता हूं क्योंकि मैं स्वयं संचार के आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करता हूं।
मित्रों आज भारत अवसरों की भूमि है। हमने फास्ट ट्रैक सड़क और रेल मार्गों का निर्माण किया है। हमें घरों और फैक्टरियों को नियमित रूप से बिजली प्रदान करनी है। हमें अपने शहरों के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा, जहां लगभग हमारी आधी आबादी रहती है। हमें आधुनिक सुविधाओं का लाभ प्रत्येक गांव तक पहुंचाना होगा। हमें प्राकृतिक संसाधनों और कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन के जरिये विकास की गति को तेज करना होगा। हमें अपने लोगों के लिए विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करनी होगी। इसके साथ ही समूचा विश्व भी कुछ सेवाओं की मांग कर रहा है। यदि हमारे मानव संसाधन कौशल और प्रौद्योगिकी से युक्त होंगे तो हम अनेक क्षेत्रों में विश्व को सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।
स प्रकार भारत में वैश्विक निवेशकों के लिए विपुल संभावनाएं हैं। विकास की जो प्रक्रिया अभी तक अपनायी गयी है, वह वृद्धिशील नहीं है। हम एक बड़ी छलांग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यह केवल एक सैक्टर या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह वास्तव में असीमित है और हम इसे स्वच्छ और हरित तरीके से करना चाहते हैं। हम जानकारी, निवेश, और नवाचार प्राप्त करने का प्रस्ताव करते हैं।
मित्रों
- हमने अपने लोगों से वायदे किए हैं
- हमने स्वयं से वायदे किए हैं
- हमने भारत के महान भविष्य के लिए वायदे किए हैं
- हमें अपनी नयी नियति तय करनी होगी
- और हमें बहुत कम समय में इसे लिखना होगा
हम जानते हैं कि ऐसा करने के लिए हमें एक सक्षम नीति फ्रेमवर्क तैयार करने की आवश्यकता है। हम इसमें और सुधार के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।
परन्तु, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज भी भारतीय लोकतंत्र की शक्ति और हमारी न्याय प्रणाली की स्वतंत्रता दीर्घावधि के व्यापार के लिए समान अवसर प्रदान करती है।
मैं निम्नांकित शब्दों में सार रूप में कहना चाहता हूं कि
- हम बड़े सपने देख रहे हैं;
- और हमारे सपने असंख्य हैं;
- हमारे सपने हमारी वृद्धि के बीज मंत्र बन सकते हैं;
- हमारी आकांक्षाएं आपकी महत्वाकांक्षाओं को बल प्रदान कर सकती हैं;
मित्रों सरकार की ओर से मैं आपको एक आश्वासन देना चाहता हूं। हम आपको यकीन दिलाते हैं कि जब भी जरूरत पड़ेगी हम आपकी मदद के लिए मौजूद रहेंगे। अपनी यात्रा में आप हमेशा हमें साथ पायेंगे। यदि आप एक कदम चलेंगे तो हम आपके लिए दो कदम आगे बढ़ेगें।
अंत में मैं आपसे अपील करता हूं कि आप स्वयं देखें और महसूस करें कि-
- भारत तेजी से बदल रहा है;
- भारत तेजी से विकसित हो रहा है;
- भारत उम्मीद से अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है;
- भारत अधिक तीव्र गति से सीख रहा है;
- भारत पहले की तुलना में अधिक तैयार है;
आइए हम हाथ मिलाएं, प्रगति, समृद्धि, और शांति के लिए मिल कर काम करें।
धन्यवाद।