माननीय प्रधानमंत्री श्री अनिरुद्ध जगन्‍नाथ, गणमान्‍य अतिथियों, 

भारतीय नौसेना के हमारे जवान, समुद्र के हमारे रक्षक, जो आज यहां मौजूद हैं- मैं आपका विशेष तौर पर अभिनंदन करता हूं।

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (5) बाराकुडा को नेशनल कोस्‍ट गार्ड ऑफ मॉरिशस की सेवा में प्रदान करना हमारे लिए बहुत गौरव की बात है। 

मुझे यह विशेषाधिकार देने के लिए धन्‍यवाद। भारत को अपना भागीदार बनाने के लिए धन्‍यवाद।

यह पोत कोलकाता से हिंद महासागर का चक्‍कर लगाते हुए इस खूबसूरत किनारे पर पहुंचा है। 

पीढि़यों पहले, भारत के लोग नयी दिशा और नये जीवन की ओर चले थे।

आज, बाराकुडा अपने साथ भारत की जनता की सद्भावना और शुभकामनाएं लाया है। वह हमारे अनूठे विश्‍वास और भरोसे का प्रतिनिधित्व करता है। 

वह हिंद महासागर क्षेत्र- हमारे समान सामुद्रिक आशियाने, की शांति और सुरक्षा के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बाराकुडा एक खूबसूरत पोत है। वह बहुत सक्षम भी है और उसे मॉरिशस की विशिष्‍टताओं के मुताबिक बनाया गया है। 

अब वह मॉरिशस के ध्‍वज के साथ गर्व से तैर रहा है। यह आपके टापुओं और जलक्षेत्र की हिफाजत करेगा। आपदा और आपात परिस्थितियों में आपकी मदद के लिए मुस्‍तैद रहेगा। 

लेकिन, यह उससे बढ़कर काम करेगा। यह हमारे हिंद महासागर को ज्‍यादा सुरक्षित और महफूज बनाएगा। 

ऐसा करते हुए मॉरिशस एक महत्‍वपूर्ण अंतर्राष्‍ट्रीय उत्‍तरदायित्‍व को पूर्ण करेगा, क्‍येांकि हिंद महासागर विश्‍व के भविष्‍य के लिए महत्‍वपूर्ण है। यह महासागर विश्‍व की दो-तिहाई तेल लदान, इसका एक-तिहाई कार्गो, और इसके कंटेनर ट्रैफिक के आधे हिस्‍से का बोझ वहन करता है। इसके ट्रैफिक का तीन-चौथाई से ज्‍यादा हिस्‍सा विश्‍व के अन्‍य क्षेत्रों में जाता है। 

विशाल हिंद महासागर क्षेत्र 40 से ज्‍यादा देशों और दुनिया की करीब 40 प्रतिशत आबादी की मेजबानी करता है। यह ऑस्‍ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के पूर्वी समुद्र तट को छूता है। यह द्वीपीय देशों के रत्‍नों से दमकता है। 

सम्‍भयता के संबंधों पर गौर करें, तो इस विशाल क्षेत्र में बहुत विविधता है! सोचिए इसमें कितने अपार अवसर होंगे! 

आज, विश्‍व का मानना है कि 21वीं सदी एशिया और प्रशांत की गतिशीलता और ऊर्जा से संचालित हो रहा है, लेकिन इसका रुख हिंद महासागर की लहरे निर्धारित करेंगी। इसीलिए हिंद महासागर आज पहले से कहीं ज्‍यादा दुनिया के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 

हम महासागर में बढ़ते वैश्विक हितों और उपस्थिति को भी देख रहे हैं। इस बदलती दुनिया में भी, सौभाग्‍य की कुंजी इसी महासागर के पास है और हम तभी खुशहाल होंगे, जब सागर सबके लिए सुरक्षित, महफूज और मुक्‍त होंगे। 

यह सुनिश्चित करना हम सभी की विशालतम सामूहिक जिम्‍मेदारी होगी। लेकिन हमें अन्‍य चुनौतियों का भी सामना करना होगा, जो हमारे क्षेत्र में असामान्‍य नहीं हैं।

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (6)

हम सुनामी और चक्रवातों की त्रासदी देख चुके हैं। 

आतंकवाद हम तक समुद्र के रास्‍ते पहुंचा। समुद्री डकैती की वजह से इस हद तक लोगों को जान गंवानी पड़ी है और कारोबार पर असर पड़ा है, जो आधुनिक युग में विश्‍वास से परे है।

गैर कानूनी रूप से मछलियां पकड़ने और तेल रिसाव से हमारी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को नुकसान पहुंचा है। हम अपने तटों और द्वीपों पर जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव महसूस कर रहे हैं। 

हमने यह भी देखा है कि तटीय और द्वीपीय देशों में अस्थिरता और गड़बड़ी का सागरों की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है। 

भारत हिंद महासागर के दोराहे पर है। 

गुजरात के लोथल के दुनिया के प्रारम्भिक बंदरगाहों में से होने की वजह से भारत की सामुद्रिक परम्‍परा बहुत लम्‍बी है। 

हमारे सांस्‍कृतिक पदचिन्‍ह एशिया और अफ्रीका में फैले हैं। हम महासागरों के पार भारतवंशियों की सशक्‍त मौजूदगी में हम यह बात देख सकते है।

समुद्रों ने कई सहस्‍त्राब्दियों से हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे वाणिज्यिक, सांस्‍कृतिक और धार्मिक संबंध जोड़े हैं। 

हमारे हाल के इतिहास ने हमारा ध्‍यान हमारे महाद्वीपीय पड़ोसियों पर केंद्रित कर दिया है। लेकिन भारत ने अपने आसपास फैले सागरों से कई तरह से आकार लिया है। 

आज, हमारा 90 प्रतिशत व्‍यापार और 90 प्रतिशत तेल आयात समुद्र के रास्‍ते होता है। हमारी तटरेखा 7500 किलोमीटर, 1200 द्वीप और 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशिष्‍ट आर्थिक क्षेत्र है। 

भारत वैश्विक रूप से ज्‍यादा जुड़ता जा रहा है। हम महासागर और आसपास के क्षेत्रों पर पहले से ज्‍यादा निर्भर होंगे। हमें इसके भविष्‍य को आकार देने का हमारा उत्‍तरदायित्‍व भी समझना होगा। 

इसलिए, हिंद महासागर क्षेत्र हमारी नीतिगत प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है। 

हिंद महासागर क्षेत्र के लिए हमारा विजन हमारे क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, अपनी क्षमताओं का इस्‍तेमाल हमारे समान सामुद्रिक आशियाने में सभी के लिए करने पर आधारित है। इसका अभिप्राय बहुत सी बाते हैं: 

पहली, हम अपने मुख्‍य भूभाग और महाद्वीपों की सुरक्षा के लिए कुछ भी करेंगे और हमारे हितों की रक्षा करेंगे। 

इसी तरह हम सुरक्षित, महफूज और स्थिर हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेंगे, जो हमें हर तरह की समृद्धि प्रदान करता है और हम महासागर की प्रचंडता अथवा संकट से घिरे लोगों को अपनी क्षमताओं से बचाएंगे।

दूसरी, हम क्षेत्र के अपने मित्रों, खास तौर पर सामुद्रिक पड़ोसी देशों और द्वीपीय देशों के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाएंगे। हम उनकी सामुद्रिक सुरक्षा क्षमताओं और उनकी आर्थिक ताकत का भी निर्माण जारी रखेंगे। 

तीसरी, सामूहिक कार्रवाई और सहयोग हमारे सामुद्रिक क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट शांति एवं सुरक्षा लाएगा। यह हमें आपात स्थितियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए भी तैयार करेगा। 

इसीलिए, 2008 में, भारत ने हिंद महासागर नौ‍सैनिक संगोष्ठि को प्रोत्‍साहन दिया था। आज, इसके माध्‍यम से क्षेत्र की 35 नौसेनाओं एक साथ आयी हैं। हमारा लक्ष्‍य सामुद्रिक चुनौतियों पर आपसी समझ बढ़ाना और उनसे निपटने की सामूहिक योग्‍यता को सशक्‍त बनाना है। 

हम सामुद्रिक सहयोग के लिए समुद्री डकैती आतंकवाद और अन्‍य अपराध से निपटने से लेकर सामुद्रिक सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने तक के हमारे क्षेत्रीय तंत्रों- को सशक्‍त बनाने के प्रयासों का भी समर्थन करते हैं। 

भारत ने मालदीव और श्रीलंका के साथ सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग शुरू किया है और हमें आशा है कि मॉरिशस, सेशेल्‍स और क्षेत्र के अन्‍य देश भी इस पहल से जुड़ेंगे। चौथी, हम क्षेत्र में ज्‍यादा एकीकृत और सहयोगपूर्ण भविष्‍य चाहते हैं जो सभी के लिए निरंतर विकास की सम्‍भावनाओं में वृद्धि करे। 

हमें व्‍यापार, पर्यटन और निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास, सामुद्रिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, निरंतर मछली पालन, सामुद्रिक पर्यावरण की सुरक्षा तथा महासागर अथवा ब्‍लू इकॉनोमी में सहयोग को अवश्‍य बढ़ावा देना चाहिए।

मेरे लिए भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नीला चक्र नीली क्रांति अथवा महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था की सम्‍भावनाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है। इस प्रकार महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था हमारे लिए इतनी महत्‍वपूर्ण है।

जो लोग महासागरों के समीप रहते हैं, उनके लिए जलवायु परिवर्तन बहस का विषय नहीं है, बल्कि उनके वजूद के लिए गम्‍भीर खतरा हैं। हमें अपने क्षेत्र में नेतृत्‍व संभालना चाहिए और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तटस्‍थ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करना चाहिए। 

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barracud (2)

हमारी इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन क्षेत्र में निरंतर एवं समृद्ध भविष्‍य के हमारे विजन का महत्‍वपूर्ण माध्‍यम साबित हो सकती है।

हम अक्‍सर जमीन के क्षेत्र के आसपास क्षेत्रीय समूहों को परिभाषित करते हैं। अब वक्‍त आ गया है कि हम हिंद महासागर के गिर्द सशक्‍त समूह बनाने के लिए आगे आएं। हम आने वाले वर्षों में इसे नए जोश के साथ आगे बढ़ाएंगे। 

आईओआरए के सचिवालय के लिए मॉरिशस से बेहतर कोई और जगह हो ही नहीं सकती थी। मुझे खुशी है कि महासचिव भारत से हैं। 

पांचवीं, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्‍थायित्‍व और खुशहाली इस क्षेत्र में रहने वालों की प्राथमिक जिम्‍मदारी है। 

लेकिन हम जानते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनके इस क्षेत्र में जबरदस्‍त हित और दांव हैं। 

भारत उनसे गहन संपर्क बनाए हुए है। हम ऐसा वार्ता,यात्रा,अभ्‍यासों, क्षमता निर्माण और आर्थिक भागीदारी के जरिये कर रहे हैं।

हमारा लक्ष्‍य विश्‍वास और पारदर्शिता का वातावरण बनाना, सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक नियमों और कानूनों के प्रति सम्‍मान, प्राप्‍त करना, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, सामुद्रिक मसलों का शांतिपूर्ण हल और सामुद्रिक सहयोग बढ़ाना है। 

हम हिंद महासागर के लिए ऐसा भविष्‍य चाहते हैं जो एसएजीएआर- यानी सिक्‍योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति) के नाम पर खरा उतरे। 

हमें मॉनसून से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो क्षेत्र में हम सभी को पोषित करता है और आपस में जोड़ता है। 

हम भागीदारी के जरिये अपने क्षेत्र को उसी तरह एकजुट करेंगे, जैसे कभी भागौलिक रूप से रहे हैं। 

एक महासागर जो हमारी दुनिया को जोड़ता है उसे सभी के लिए शांति और समृद्धि का मार्ग बनना चाहिए।

यह कोई इत्‍तेफाक नहीं है कि हिन्‍द महासागर क्षेत्र के लिए अपनी आशाएं मैं मॉरिशस में व्‍यक्‍त कर रहा हूं। 

मॉरिशस के साथ हमारी भागीदारी दुनिया में हमारे सशक्‍त सामुद्रिक संबंधों में से है। 

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (8)

हमारी भागीदारी बढ़ेगी। हम मिलकर अपनी क्षमताओं का निर्माण करेंगे। हम मिलकर प्रशिक्षण लेंगे और मिलकर समुद्र में गश्‍त करेंगे।

लेकिन इस भागीदारी की बुनियाद बहुत बड़ी है। यह हमारे साझा मूल्‍य और समान विजन है। 

हम अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर क्षेत्र के लिए अपने उत्‍तरदायित्‍व का वहन करना चाहते हैं। 

मॉरिशस हिंद महासागर के सुरक्षित और सतत भविष्‍य के लिए प्रमुख लीडर है। हमें, भारत को आपका भागीदार होने पर गर्व है। 

बहुत बहुत धन्यवाद और आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !