भारत और आसियान आशावाद के प्रतीक: प्रधानमंत्री मोदी
भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में प्रमुख; विकास दर करीब 7.5% है एवं इसके आगे और बढ़ने की संभावना है: प्रधानमंत्री
भारत में परिवर्तन का पैमाने बहुत बड़ा है और इसलिए भारत में आर्थिक अवसर भी बहुत हैं: प्रधानमंत्री मोदी
आसियान की अर्थव्यवस्था गतिशीलता और ताक़त के साथ आगे बढ़ रही है: प्रधानमंत्री मोदी
हम आसियान-भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि को मौजूदा 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर करेंगे: प्रधानमंत्री
भारत की स्वच्छ ऊर्जा की महत्वाकांक्षी योजना है - 2022 तक अक्षय ऊर्जा की 175 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता: प्रधानमंत्री मोदी
हम 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन के माध्यम से 40% ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हम सीओपी-21 के दौरान 122 सौर-संपन्न देशों के अंतर्राष्ट्रीय सौर एलायंस का शुभारंभ करेंगे: प्रधानमंत्री मोदी
भारत जल्द ही सभी 10 आसियान देशों के लिए इलेक्ट्रॉनिक-वीजा की सुविधा उपलब्ध करायेगा: प्रधानमंत्री मोदी
हमें समुद्री सुरक्षा, समुद्री चोरी रोकने और मानवीय तथा आपदा राहत में सहयोग की विशेष योजना बनानी चाहिए: प्रधानमंत्री
आतंकवाद एक प्रमुख वैश्विक चुनौती के रूप में उभरा है: प्रधानमंत्री मोदी
हमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन आयोजित करना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी

महामहिम प्रधानमंत्री श्री मोहम्मद नज़ीब बिन तुन अब्दुल रज्जाक,

महामहिम,

प्रधानमंत्री महोदय इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के लिए धन्यवाद। मैं इस उत्कृष्ट व्यवस्था और आतिथ्य के साथ-साथ आसियान-पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आपके नेतृत्व की अत्यंत सराहना करता हूँ।

एक दोहरी त्रासदी से उबरते हुए मलेशिया ने अपने को मज़बूती से वापस लौटने और संकल्प का प्रदर्शन किया है।

कुआलालंपुर एशियाई पुनरूत्थान और क्षेत्र के उज्जवल भविष्य का प्रतीक है।

आसियान समुदाय के जन्म के एक ऐतिहासिक अवसर पर शुभकामनाएं ।

हमेशा कि तरह, आसियान क्षेत्रीय सहयोग और अखण्डता के लिए प्रेरणा और नेतृत्व दोनों प्रदान कर रहा है, और भारत के दृष्टिकोण से एशिया और प्रशांत क्षेत्र में एकीकरण के लिए आसियान के मूल्य और नेतृत्व केन्द्र बिन्दु बने रहेंगे।

महामहिम मुझे दूसरे आसियान-भारत शिखर सम्मेलन मैं पुनः आने पर प्रसन्नता है। मैं ने.पी.ताव में पिछले शिखर सम्मेलन में मैंने हमारे संबंधों की शक्ति और साझेदारी की क्षमता को देखा और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था। भारत-आसियान सामरिक भागीदारी के प्रति आपके द्वारा जताई गयी वचनबद्धता और विश्वास।

हम बहुल वैश्विक चुनौतियों, आर्थिक अनिश्चिताओं, राजनीतिक अशान्ति और सुरक्षा खतरों के समय मिल रहे हैं।

इस कठिन घड़ी में, भारत-आसियान आशा के दो उज्जवल स्वरूप है।

भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में प्रमुख है। विकास दर 7.5 प्रतिशत को छू रही है और इसके बढ़ने की संभावना है। हमारी मुद्रास्फ्रीति के साथ-साथ हमारे वित्तीय और विदेशी घाटे में भी कमी आई है। हमारे व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय विश्वास में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

भारत में परिवर्तन का पैमाना विशाल है इसलिए भारत में आर्थिक अवसरों का आकार भी व्यापक है।

और अब हमारे पास खुला और स्वागत करता एक माहौल भी है। यह विश्व बैंक के व्यापार को आसान बनाने की नीति में भारत की श्रेणी को तेज़ी से आगे लाने को भी प्रतिबिम्बित करता है और हम गति और साहस के साथ अपने सुधारों को जारी रखेंगे।

आसियान देशों की अर्थव्यवस्था का गतिशीलता और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना जारी है। निसंदेह हम अपने 1.9 अरब लोगों की समृद्धी को सुदृढ़ करेगें।

महामहिम,

मुझे प्रसन्नता है कि एक स्थायी गिरावट के बाद हमारा व्यापार 2014-15 में करीब 760.5 बिलियन अमरिकी डॉलर तक बढ़ा है और इसी गति में निवेश भी आसियान आतंरिक और बाह्य दोनों मामलों में सबसे बड़ा निवेश सहभागी बना हुआ है। हालांकि आर्थिक साझेदारी के लिए बहुत सी क्षमताओँ से लाभ लिया जाना बाकी हैं। मुझे विश्वास है कि जैसे हमारी अर्थव्यवस्थाओँ ने वृद्धि की है वैसे ही हमारे व्यापार और निवेश भी व्यापक होंगे।

महामहिम,

मैं सहयोग के अपने प्रारूप की प्रगति के प्रति भी आश्वस्त हूं। इस संदर्भ में जुलाई 2015 में सेवाओँ और निवेश में समझौते हमारे व्यापार के लिए एक प्रमुख आगामी कदम है। हम एक संतुलित और महत्वकांक्षी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए वार्ता की दिशा में प्रगति के प्रति भी आशान्वित हैं जिसमें माल और सेवाओं के साथ-साथ निवेश भी शामिल होगा।

साझा समृद्धि के लिए संपर्क एक प्रमुख मार्ग है। त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना अच्छी प्रगति कर रही है और इसे 2018 तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए। हम भारत और आसियान के बीच भौतिक डिजिटल संपर्क को प्रोस्ताहित करने वाली परियोजनाओं के लिए 1.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की ऋण सहायता के लिए प्रतिबद्ध होने का भी प्रस्ताव करते हैँ।

जैसा कि अतीत में हमने कंबोडिया, लाओस, म्यामांर और वियतनाम के साथ अपनी साझेदारी पर विशेष बल दिया।

क्षमता संवर्धन परियोजनाओँ के क्षेत्र में हमारी साझेदारी इनमें विस्तार करेगी। इसके अलावा सीएलएमवी देशों में विनिर्माण केन्द्रों को विकसित करने के लिए हमारा एक परियोजना विकास कोष के गठन का इरादा है।

महामहिम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अभिनव हमारे सहयोग और हमारी आर्थिक साझेदारियों को समर्थन देने में एक मज़बूत स्तंभ का कार्य करते हैं। हम आसियान-भारत और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष को वर्तमान एक मिलियन अमरिकी डॉलर से बढ़ाकर 5 मिलियन अमरिकी डॉलर करेंगे। हम न्यून लागत तकनीकियों के व्यवसायीकरण, तकनीकी हस्तांतरण और अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को सुविधा देने के लिए एक आसियान-भारत अभिनव मंच के गठन का भी इरादा रखते हैं।

वियतनाम में अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारी सहयोगी परियोजना मज़बूत प्रगति की ओर है। मैं इसके शीघ्र पूर्ण होने का आपको विश्वास दिलाता हूँ। भारत ने स्वदेश में निर्मित जीपीएस सहायता प्राप्त भू संवर्धित नेविगेशन अथवा गगन सेवाओँ का भी आसियान पेशकश की है, जो सूचना सुविधाओं और स्थिति निर्धारण की सहायता के मामले में उन्नत नेविगेशन तकनीक प्रदान करती है।

मैं महासागर अथवा नील अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक विकास में सहयोग का भी प्रस्ताव रखता हूँ। यह हमारी भविष्य गत अर्थव्यवस्था को बढाने में एक महत्वपूर्ण संचालक के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, चिकित्‍सा और स्‍वच्‍छ ऊर्जा का एक स्रोत होगा। भारत बहुत से महासागरीय देशों के साथ सहयोग संबंध स्‍थापित कर चुका है।

महामहिम, हमारे अनुसंधान और अभिनव प्रयासों में समान चुनौतियों, व्‍यापक शहरीकरण और बड़े शहरों के साथ-साथ भविष्‍य के कौशल, खादय सुरक्षा, जल और वहनीय स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं को भी शामिल होना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चिंता का मुद्दा है। भारत ने महत्वकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा योजनाएं तैयार की हैं, जिनमें 2022 तक अक्षय ऊर्जा की 175 गीगावॉट अतिरिक्त क्षमता और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन के माध्यम से ऊर्जा के 40 प्रतिशत भाग को प्राप्त करना शामिल हैं।

महामहिम, हमें अपने संस्थानों में अक्षय ऊर्जा के 100 से अधिक कार्यशालाओं की पेशकश करने पर भी प्रसन्नता होगी।

मैंने 122 सौर समृद्ध देशों के एक अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का भी प्रस्ताव दिया है जिसका शुभारंभ 30 नवंबर को पेरिस में मैं, और फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद करेंगे। हम इस गठबंधन में आपकी भागीदारी के प्रति भी आशान्वित हैं।

महामहिम,

मैं हमारे संबंधों के सांस्कृतिक स्तम्भों को पुनः और मज़बूत बनाने के सामूहिक प्रयासों को भी बेहद महत्व देता हूँ। आसियान-भारत सांस्कृतिक संबंधों पर नई दिल्ली में जुलाई में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। हम पूर्व की ओर अपने गेटवे शिलोंग में उत्तर-पूर्वी विश्वविद्यालय में एक आसियान अध्ययन केन्द्र खोलने का प्रस्ताव कर रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के लिए इस वर्ष गठित हुए प्रतिष्ठित पुरस्कार के प्रथम प्राप्तकर्ता आसियान के महासचिव महामहिम ले.लूओंग.मिन्ह के लिए प्रसन्नता व्यक्त करता हूँ।

भारत जल्द ही सभी दस आसियान देशों को इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा सुविधा का विस्तार करेगा।

महामहिम,

हमारी भविष्य की समृद्धि हमारे क्षेत्र, महासागरों, अंतरिक्ष और साइबर विश्व की सुरक्षा और स्थिरता की नींव पर टिकी है। जनवरी 2015 में हमने प्रथम आसियान-भारत साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया। जो इस क्षेत्र में सहयोग का एक महत्वपूर्ण आधार होगा।

भारत समुद्र के कानून पर 1982 संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के स्वीकृत सिद्धांतों के अनुरूप बे-रोक-टोक व्यापार और नेविगेशन की आज़ादी के प्रति प्रतिबद्धता में आसियान के साथ है। क्षेत्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए।

भारत को आशा है कि दक्षिण चीन सागर में विवाद से जुड़े सभी पक्ष आचरण पर घोषणा के कार्यान्वयन के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे और इस मामले में एक आम सहमति बनाने के लिए आचार संहिता को शीघ्र अपनाने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करेंगे।

हमें समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती से मुकाबला, मानवीय और आपदा राहत में सहयोग की विशेष योजनाओं को भी विकसित करना चाहिए।

आतंकवाद हम सबके समक्ष एक प्रमुख वैश्विक चुनौती बनकर उभरा है। हम आसियान सदस्यों के साथ उत्कृष्ट द्विपक्षीय सहयोग रखते हैं और हमें यह देखना चाहिए कि हम क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए अपने सहयोगों को कैसे बढ़ा सकते हैं। इसके लिए हमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक कन्वेंशन को स्वीकारने का समर्थन देना चाहिए।

महामहिम, तेज़ी से बदल रही क्षेत्रीय व्यवस्थाओं और अनिश्चित समय के इस दौर में एक शान्तिपूर्ण और समृद्ध भविष्य के लिए हम क्षेत्र की रूपरेखा को निर्धारित करने के मामले में आसियान के नेतृत्व को लेकर आशान्वित हैं।

महामहिम आपकी उपस्थिति में धन्यवाद के साथ मैं भारत की इस प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अपने संबोधन का समापन करना चाहूंगा कि भारत इस साझेदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और इसके लिए हमने जकार्ता में आसियान हेतू एक स्थायी मिशन का शुभारंभ कर दिया है।

अपने सहयोगी एजेंडें को भविष्य में किस प्रकार से विकसित कर सकते हैं इस विषय पर मैं आपके विचार सुनने के लिए तत्पर हूँ।

धन्यवाद

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Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.