राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना और श्रीमती सिरीसेना का भारत में स्वागत करना अपार हर्ष और सौभाग्य की बात है।
यह हमारे लिए बहुत सम्मानजनक है कि आपने भारत को अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चुना है।
आपकी ऐतिहासिक विजय के लिए मैं भारत की जनता की ओर से आपको बधाई देता हूं। चुनावों ने श्रीलंका में लोकतंत्र की ताकत को परिलक्षित किया है।
आपको मिला जनादेश श्रीलंका की सामूहिक आवाज है। यह एकजुट, पूर्णतया शांतिपूर्ण एवं समृद्ध राष्ट्र की आपकी जनता की महत्वाकांक्षा को प्रतिबिम्बित करता है।
भारत, श्रीलंका का करीबी पड़ोसी एवं मित्र है। भारत की जनता की सदभावना और समर्थन सदैव आपके साथ बना रहेगा।
इतिहास, धर्म और संस्कृति के कालातीत संबंध हमारी सहभागिता को मजबूत आधार उपलब्ध कराते हैं।
हमारे व्यापक साझा हित भी हैं- हमारे देशों के लिए आर्थिक विकास, दक्षिण एशिया में शांति और खुशहाली, क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा।
सचमुच, मेरा विश्वास है कि हमारे भाग्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारी सुरक्षा और समृद्धि अविभाज्य हैं।
राष्ट्रपति सिरीसेना और मेरे बीच आज आपसी रिश्तों और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर उत्कृष्ट विचार-विमर्श हुआ।
राष्ट्रपति और मैं हमारे आर्थिक सहयोग की अपार सम्भावनाओं को तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमें श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनने की खुशी है। मैं जानता हूं कि भारत के पास विशाल व्यापार अधिशेष है। मैं व्यापार में दोनों पक्षों के लिए ज्यादा संतुलित वृद्धि के प्रति समर्थन व्यक्त करता हूं।
मैं श्रीलंका में भारतीय निवेश के ज्यादा प्रवाह और पर्यटकों को बढ़ावा देने की दिशा में अपनी तत्परता व्यक्त करता हूं।
हमने ऊर्जा क्षेत्र, परम्परागत और नवीकरणीय दोनों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
हमारे वाणिज्य सचिव, आपसी वाणिज्यिक संबंधों की समीक्षा के लिए जल्द ही मुलाकात करेंगे।
हम भारत और श्रीलंका के बीच हवाई एवं सामुद्रिक संपर्क को और बेहतर बनाने के इच्छुक हैं।
असैन्य परमाणु सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता हमारे आपसी विश्वास का एक और प्रमाण है। श्रीलंका ने पहली बार ऐसे किसी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इसने कृषि और स्वास्थ्य की देख-रेख जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए द्वार खोले हैं।
राष्ट्रपति और मैं रक्षा और सुरक्षा सहयोग को व्यापक बनाने पर भी सहमत हैं। हमने मालदीव के साथ त्रिपक्षीय प्रारूप सहित हमारी सामुद्रिक सुरक्षा में प्रगति का स्वागत किया है।
श्रीलंका में आंतरिक तौर पर विस्थापित लोगों के लिए भारत की सहायता वाली परियोजनाओं में शानदार प्रगति हुई है। इनमें आवास परियोजना शामिल है जिसके अतंर्गत 27000 से ज्यादा मकानों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। राष्ट्रपति और मैं इस प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हैं।
मैं राष्ट्रपति सिरीसेना को श्रीलंका के साथ उसके विकास में भागीदारी की भारत की प्रतिबद्धता का भरोसा दिलाता हूं। इसमें बुनियादी ढांचे सहित व्यापक क्षेत्रों को शामिल किया जाना जारी रहेगा। मैं इस संदर्भ में कृषि क्षेत्र में सहयोग संबंधी सहमति पत्र पर भी प्रसन्नता व्यक्त करता हूं।
राष्ट्रपति और मैं मछुआरों के मामले को अत्यधिक महत्व देते हैं। यह दोनों तरफ आजीविका को प्रभावित करते हैं। हम इस बात पर सहमत हैं कि इस बारे में रचनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये।
हम दोनों पक्षों के मछुआरा संगठनों को जल्द ही दोबारा मिलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्हें कोई समाधान तलाशना चाहिये, जिस पर दोनों सरकारें आगे बढ़ें।
क्रिकेट की तरह, संस्कृति भी हम दोनों के बीच सशक्त नाता है। आज सांस्कृतिक सहयोग के जिस कार्यक्रम पर हस्ताक्षर हुए हैं, वह उन संबंधों को और मजबूत बनाएगा और हमारी जनता के बीच संपर्क को बढ़ावा देगा।
मुझे इस बात की भी खुशी है कि श्रीलंका अब नालंदा विश्वविद्यालय परियोजना का हिस्सा है।
मैं श्रीलंका में अरहत महिंदा के नाम से विख्यात राजकुमार महिंद्र और उनकी बहन संघमित्रा द्वारा 2300 साल पहले स्थापित संबंध को याद करता हूं। वे बौद्ध धर्म के प्रचारक बनकर श्रीलंका गये थे।
श्रीलंका के नागरिक कपिलवस्तु की निशानियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए बड़ी तादाद में नयी दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय आते हैं। हमने लिए शुल्क घटाने का फैसला किया है।
मैं स्वयं को श्रीलंका की यात्रा पर आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करता हूं। मैं मार्च में उनके खूबसूरत देश की यात्रा पर जाने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूं।
मैं एक बार फिर राष्ट्रपति सिरीसेना का भारत में स्वागत करता हूं। हम अपने आपसी संबंधों को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के अभूतपूर्व अवसर वाले दौर में हैं। उनकी आज की इस यात्रा ने हमें इस दिशा में और दृढ़ किया है।
धन्यवाद