प्रधानमंत्री सुशील कोइराला जी, दक्षिण एशिया के मेरे सहयोगियों।
मैं काठमांडू लौटकर प्रसन्न हूं।
कोइराला जी, एक शानदार सम्मेलन के आयोजन पर बधाईयां।
एक बार फिर से आपकी गर्मजोशी से भरी मेहमाननवाजी के लिए नेपाल आपको धन्यवाद।
यहां उपस्थित पर्यवेक्षक देशों को बधाईयां।
यह मेरा पहला सार्क सम्मेलन है। लेकिन, आप में से ज्यादातर से मैं दूसरी बार मिल रहा हूं। मैंने पूरी दुनिया की बधाईयों के साथ पदभार ग्रहण किया। लेकिन प्यारे सहयोगियों, जिसने मेरा दिल छू लिया, वह दुनिया की एक चौथाई आबादी की शुभकामनाओं के साथ आपकी व्यक्तिगत उपस्थिति थी। क्योंकि मैं भारत के लिए जिस भविष्य का स्वप्न देखता हूं, मेरी इच्छा हमारे पूरे क्षेत्र के लिए वैसे ही भविष्य की है।
पिछला सम्मेलन तीन वर्ष पहले हुआ था। यहां उपस्थित हम में से केवल दो ही अड्डु में मौजूद थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री शेख हसीना भी उनके फिर से चुने जाने के बाद यहां आई है। राष्ट्रपति राजपक्षे भी जल्द ही चुनाव का सामना करेंगे और मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। मैं विशेष रूप से हमारे सबसे नये सहयोगी, राष्ट्रपति गनी का स्वागत करता हूं।
हमारा क्षेत्र एक जीवंत लोकतंत्र का, समृद्ध विरासत का, युवाओं की अतुलनीय ताकत का और बदलाव तथा प्रगति के लिए मजबूत चाहत का क्षेत्र है।
पिछले कुछ महीनों में, मैंने पूरी दुनिया की यात्रा की है। प्रशांत के मध्य से लेकर अटलांटिक महासागर के दक्षिणी तट तक मैं एकीकरण का एक बढ़ता हुआ ज्वार देख रहा हूं। और, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी, अंत: प्रशांत साझेदारी और अंत: अटलांटिक व्यापार एवं निवेश साझेदारी जैसे बड़े व्यापार समझौतों पर बातचीत बढ़ रही है।
क्योंकि सीमाओं के अवरोध प्रगति को अवरूद्ध करते हैं; अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां इसमें गति प्रदान करती हैं। क्योंकि, किसी भी व्यक्ति विशेष या राष्ट्र के जीवन में एक अच्छा पड़ोस एक सार्वभौमिक अभिलाषा होती है।
दक्षिण एशिया इस विश्व में कहां खड़ा होना चाहता है?
दुनिया में कहीं भी सामूहिक प्रयासों की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी दक्षिण एशिया में; और कहीं भी यह उतनी विनम्र भी नहीं है। छोटी हो या बड़ी, हम एक ही चुनौती का सामना करते हैं – विकास के शिखर पर एक लंबी चढ़ाई की। लेकिन मुझे हमारी असीमित क्षमताओं में पूरा भरोसा है और आत्म विश्वास, जो हमारे देशों में से प्रत्येक से जुड़े नवाचारों और नवीन पहलों की कई प्रेरणादायी कहानियों से हमें मिलता है। हमें एक-दूसरे से काफी कुछ सीखना है और इससे भी ज्यादा – एक साथ मिलकर काम करना है।
यही वो उम्मीद और आकांक्षा थी, जिसने 30 वर्ष पहले सार्क के रूप में हमें एकजुट किया। तबसे हम एक साथ लंबी दूरी तय कर चुके हैं। हमारा प्रत्येक क्षेत्र में एक समझौता, एक संस्थान या सहयोग का एक ढांचा है। हमें कई सफलताएं भी मिली हैं।
फिर भी जब हम सार्क की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमें दो प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलती हैं – निराशावाद और संशयवाद की। दुख की बात है कि यह ऐसे क्षेत्र में है, जो हमारे युवाओं की आशावादिता से स्पंदित है।
आज, क्षेत्र के वैश्विक व्यापार का 5 प्रतिशत से भी कम हमारे बीच होता है। इस सीमित स्तर पर भी क्षेत्र के आंतरिक व्यापार का 10 प्रतिशत से भी कम सार्क मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत होता है। भारतीय कंपनियां विदेशों में अरबों का निवेश कर रही है। लेकिन हमारे अपने क्षेत्र में एक प्रतिशत से भी कम का प्रवाह होता है। अभी भी, बैंकाक या सिंगापुर की यात्रा करना हमारे अपने क्षेत्र के भीतर यात्रा करने से भी ज्यादा कठिन है; और एक दूसरे से बातचीत करनी ज्यादा महंगी है।
हमने अपनी प्राकृतिक संपदा को साझेदारी वाली समृद्धि में बदलने में या अपनी सीमाओं को एक साझेदारी वाले भविष्य के लिए एक मोर्चे के रूप में बदलने में सार्क में कितना कुछ किया है?
फिर भी, दक्षिण एशिया धीरे-धीरे एकजुट हो रहा है। भारत और बांग्लादेश ने रेल, सड़क, बिजली और पारगमन के जरिये अपने सम्पर्कों को मजबूत किया है। भारत और नेपाल ने ऊर्जा में सहयोग के एक नये युग की शुरूआत की है; और, भारत और भूटान उन रिश्तों को लगातार मजबूत बना रहे है। श्रीलंका के साथ, हमने एक मुक्त व्यापार समझौते के जरिये व्यापार को रूपांतरित कर दिया है। हम मालदीव की तेल की जरूरत की पूर्ति करने के लिए जल्दी ही एक नये समझौते की शुरूआत करेंगे। दूरियां और कठिनाईयां भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के बीच आड़े नही आई है। भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच बस और रेलगाड़ी का सम्पर्क बना हुआ है। हमने दक्षिण एशिया के पांच साझेदारों को उनकी वस्तुओं पर 99.7 प्रतिशत की निशुल्क पहुंच उपलब्ध कराई है और दूसरों के साथ भी ऐसा करने को तैयार है।
भारत को पिछले एक दशक के दौरान दक्षिण एशिया में लगभग 8 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
आज के समय में यह एक बड़ी रकम प्रतीत नहीं होती हो, लेकिन हम कृतज्ञ हैं कि हमें हमारे क्षेत्र में कुछ भाईयों और बहनों के जीवन में एक बदलाव लाने का अवसर प्राप्त हुआ। हम में से प्रत्येक ने अपनी खुद की पहल की है। बहरहाल, सार्क के रूप में हम उस गति के साथ बढ़ने में विफल रहे है, जितनी हमारे लोगों ने उम्मीद की थी। कुछ लोगों का तर्क है कि ऐसा इस क्षेत्र के विकास की कमी की वजह से हुआ। लेकिन, उसे वास्तव में हमें ज्यादा कुछ करने के लिए प्रेरित करना चाहिए था। या, ऐसा इसलिये है कि हम अपने मतभेदों की दीवारों के पीछे ठिठक गये हैं और अतीत के साये से बाहर निकलने में हिचकिचा रहे है।
इससे हमारे मतभेदों का समाधान नहीं होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से हमें अवसरों से वंचित कर देगा। आज एक पंजाब से दूसरे पंजाब तक वस्तुओं का आवागमन दिल्ली, मुम्बई, दुबई और कराची के जरिये होता है, जिससे यात्रा 11 गुनी लंबी और लागत 4 गुनी महंगी हो जाती है।
अपने आकार और स्थान के कारण भारत की भी अपनी जिम्मेदारियां है। मैं जानता हूं कि आपकी भी बहुत सारी वस्तुओं को उनके गंतव्यों तक पहुंचने के लिए भारत की परिक्रमा करनी पड़ती है।
जरा सोचिये हम अपने उपभोक्ताओं के साथ – और अपने वातावरण के साथ क्या कर रहे हैं! हमें निश्चित रूप से हमारे उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच दूरी को कम करना चाहिए और व्यापार के ज्यादा प्रत्यक्ष रास्तों का उपयोग करना चाहिए। मैं जानता हूं कि भारत को अग्रणी भूमिका का निर्वाह करना है और हम अपने हिस्से का काम करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं, कि आप में से प्रत्येक भी ऐसा ही करेंगे।
बुनियादी ढांचा हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी है और सबसे महती आवश्यकता भी। जब मैंने सड़क मार्ग द्वारा काठमांडू आने का विचार किया, तो इससे भारत में कई अधिकारी परेशान हो गये। वह सीमा पर सड़कों की स्थिति देखकर चिंतित थे। भारत में बुनियादी ढांचे का विकास मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और मैं हमारे क्षेत्र में ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत में एक विशिष्ट उद्देश्य सुविधा का भी गठन करना चाहता हूं, जो हमारे सम्पर्क और व्यापार को बढ़ाये।
हम भारत में व्यवसाय करने को सरल बनाने की बात करते है। इसे हम अपने क्षेत्र तक विस्तारित करे। मैं यह सुनिश्चित करने का वायदा करता हूं कि सीमा पर हमारी सुविधाएं व्यापार में तेजी लाएंगी, मंदी नही। आईऐ हम सभी अपनी प्रक्रियाओं को सरल बनाये, सुविधाओं को बेहतर करे, अपने मानदंडों को समान बनाये और अपने कागज़ी कार्यों को कम बोझिल बनाये। भारत सार्क के लिए 3-5 वर्षों के लिए व्यापार वीजा देगा। हम अपने व्यवसाय को एक सार्क बिजनेस ट्रेवलर कार्ड के जरिये और अधिक आसान बना सकते हैं। महानुभावों, भारत का सार्क देशों के साथ एक विशाल व्यापार अधिशेष है। मेरा विश्वास है कि यह न तो सही है और न ही निर्वहनीय। हम आपकी चिंताओं को दूर करेंगे और भारत में एक समान अवसर प्रदान करेंगे। लेकिन, मैं आपको भारतीय बाजार के लिए उत्पादन करने के लिए भारतीय निवेश आकर्षित करने और आपके युवाओं के लिए रोजगारों का सृजन करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। मैं भविष्य की ओर भी देखता हूं जब आपकी कंपनियां अपने देशों में निवेश के लिए भारत में आसानी से फंड जुटा सकती हैं; और जब हमारे पास सीमा पार औद्योगिक गलियारे होंगे, जिससे हम अपने सीमावर्ती राज्यों में प्राकृतिक समन्वयों और संबंधित जीवनों का लाभ उठा सकते है।
मेरा यह भी विश्वास है कि अगर हम एक दूसरे के शहरों और गांवों को प्रकाशित कर सकते है, तो हम अपने क्षेत्र के लिए एक सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। या, एक ऐसे भविष्य का सामना कर सकते है, जब कोई अंतरिक्ष से हमारी ओर नीचे देखे और कहे कि यह दुनिया का सबसे अंधकारपूर्ण कोना है। आईये, हम बिजली को किसी भी अन्य वस्तु की तरह देखें, जिसमें हम निवेश और व्यापार कर सकते है। भारत इस क्षेत्र में इन नवीन पहलों का पूरा समर्थन करेगा। हमें महत्वाकांक्षापूर्वक सौर ऊर्जा और सूक्ष्म ग्रिडों का उपयोग करने पर भी विचार करना चाहिए, जिससे हम शीघ्रता से पूरे क्षेत्र में गांवों को स्वच्छ बिजली मुहैया करा सकें।
जब हम अपने देशों के सामान्य नागरिकों के जीवनों को जोड़ते है, तो हमारे संबंध और मजबूत हो जाते हैं। यहीं वजह है कि रेल और सड़क के जरिये सम्पर्क और सेवायें इतनी महत्वपूर्ण हैं। हमें अपने को वायु मार्ग से भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ना चाहिए। हम न केवल अपने लोगों के जीवन में अंतर ला पायेगे, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे। हमें अपनी साझी विरासत और विविधता की ताकत का अपने क्षेत्र के भीतर उपयोग करना चाहिए और विश्व के सामने दक्षिण एशिया को पेश करना चाहिए। हम बौद्ध सर्किट के साथ शुरूआत कर सकते हैं लेकिन हमें वहां रूकना नहीं है।
जैसा कि हम समृद्धि के लिए पुल बनाने की कोशिश करते है, हमें बिना किसी उम्मीद के साथ जी रहे लाखों लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से आंखें नहीं मूंदनी चाहिए। हमें अपने हृदय के आवेग के साथ तो काम करना ही चाहिए, विज्ञान की ताकत का भी उपयोग करना चाहिए।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में, भारत तपेदिक और एचआईवी के लिए सार्क क्षेत्रीय सुप्रा रेफरेंस लैबोरेट्री की स्थापना में फंड की कमी की पूर्ति करेगा। हम दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए एक-में-पांच टीकों की पेशकश करते हैं। हम पोलियो मुक्त देशों की निगरानी और चौकसी का समर्थन करेंगे और जहां भी यह फिर से दिखाई देगा टीके मुहैया करायेंगे और ऐसे लोगों के लिए जो ईलाज के लिए भारत आ रहे हैं, भारत रोगी और एक परिचारक के लिए तत्काल मेडिकल वीजा मुहैया करायेगा।
सूचना प्रौद्योगिकी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। भारत ऑन लाइन कोर्स और ई-लाईब्रेरी के जरिये हमारे दक्षिण एशियाई छात्रों के साथ जुड़ने को तैयार है। जब हम भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क की स्थापना करेंगे तो इसे सार्क क्षेत्र तक विस्तारित करके प्रसन्न होंगे। एक दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय का स्वप्न नई दिल्ली में एक वास्तविकता बन चुका है, लेकिन वास्तव में दक्षिण एशियाई बनने के लिए प्रत्येक सार्क देश में कम से कम एक विश्वविद्यालय के साथ इसकी साझेदारी भी होनी चाहिए। सार्क क्षेत्र के लिए भारत का नया तोहफा एक उपग्रह के रूप में है जो शिक्षा, टेलीमेडिसिन, आपदा प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन, मौसम और संचार के क्षेत्र में हमें बेहद लाभ पहुंचाएगा। हम अगले साल अपने दक्षिण एशियाई सहयोगियों के लिए भारत में एक सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं जो आर्थिक विकास और सुशासन में स्पेस टेक्नोलॉजी की हमारी सामूहिक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। साथ ही, हमारी योजना इस उपग्रह को 2016 में सार्क दिवस पर शुभारंभ करने की है।
पड़ोसी के रूप में हमें अच्छे और बुरे समय में साथ रहना है। आपदा प्रबंधन में भारत की क्षमता और अनुभव दक्षिण एशिया के लिए सदा उपलब्ध रहेगा। साथ ही, पूरे विश्व में जहां भी हम युद्ध और आपदा जैसी परिस्थितियों में फंसे भारतीयों की मदद के लिए जाएंगे, वहां हमारा लक्ष्य सभी दक्षिण एशियाई नागरिकों की मदद करना भी होगा।
संपन्न सार्क के लिए सुरक्षित दक्षिण एशिया की मजबूत नींव डालनी होगी। यदि हम एक-दूसरे और अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है तो हमारी दोस्ती गहरी होगी, आपसी सहयोग बढ़ेगा और पूरे क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
आज जब हम 2008 में मुंबई में उस खौफनाक आतंकी घटना को याद करते हैं तो हमें अपने लोगों को खोने का कभी न खत्म होने वाला दर्द महसूस होता है। आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से लड़ने के लिए हमने जो प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा।
भारत के लिए सार्क क्षेत्र पर हमारा दृष्टिकोण पांच स्तंभों पर निर्भर है। वे हैं – व्यापार, निवेश, सहायता, सभी क्षेत्रों में सहयोग, हमारे लोगों के बीच आपसी संवाद और इन सभी के लिए मजबूत सूचना तंत्र (कनेक्टिविटी), यहीं आज के समय की मांग है। यह सोशल मीडिया का युग है जहां सीमाएं मायने नहीं रखती। दक्षिण एशिया में एक नए जागरण की शुरुआत हुई है। एक-दूसरे से जुड़े भाग्य व मंजिलों को नई पहचान और अवसरों को साझा करने की नई उम्मीद इस जागरण की विशेषता है।
हमारे संबंध और प्रगाढ़ होंगे।
सार्क के जरिए और इससे बाहर भी।
हम सभी में और कुछेक आपस में।
हम सभी अपनी मंजिलों के लिए अपने पथ का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन जब हम एक-दूसरे का हाथ पकड़कर कदम आगे बढ़ाते हैं तो मार्ग सुगम हो जाता है यात्रा तेज होती है और मंजिल भी बिलकुल पास दिखती है।
ये सारी बातें, जितनी मैं आपको कह रहा हूं उतनी ही बातें मैं अपने देशवासियों और अपनी सरकार को भी कहता हूं।
हम हिमालय की गोद में मिल रहे हैं। वही हिमालय जिसने हमें सदियों से पोसा है। आज वह हमें एकजुट कार्य करने को कह रहा है।
हमें संकीर्णता को आशावाद में बदलने के लिए साथ काम करना होगा।
दक्षिण एशिया की बढ़ती हुई उम्मीदों को हमें शांति और संपन्नता के एक विस्तृत क्षेत्र में परिवर्तित करना है।