विशाल संख्या में आए हुए गोवाहाटी के प्यारे भाईयों और बहनों!
रेलवे के इतिहास में आज एक महत्वपूर्ण अवसर है। भारत का एक राज्य आज एक रेल connectivity से जुड़ रहा है। वो अपने आप में, मेघालय का आज Mendipathar से Guwahati तक का रेल रूट प्रारंभ हो रहा है। उसी के साथ-साथ आज रेलवे का एक और भी कार्यक्रम है - Bhairabi से लेकर Sairang - मिजोरम के लिए, रेल की नई योजना के लिए शिलान्यास का भी अवसर है। ये दोनों प्रोजेक्ट - एक रेल प्रारंभ हो रही है और दूसरा रेलवे के लिए शिलान्यास हो रहा है।
हम लोग, जो वास्तुशास्त्र में विश्वास करते हैं - मैं तो उसके विषय में कुछ ज्यादा जानता नहीं हूं - लेकिन मैंने ऐसा सुना है, कहते हैं कि वास्तुशास्त्र वाले, आपके घर में, कहते हैं कि घर का जो ईशान कोना होता है। ईशान कोने को ठीक ठाक रखो, साफ-सुथरा रखो। अगर एक बार ईशान कोना ठीक रखा, उसकी पवित्रता को संभाला तो घर के अंदर वास्तुशास्त्र की दृश्टि से हमेशा मंगलमय माहौल रहेगा। अब मैं नहीं जानता हूं कि ये सच कितना है, झूठ कितना है। लेकिन मैं इतना जानता हूं कि भारत के इस ईशान कोने को, हमारे North-East को
अगर हम अच्छी तरह से संभाल लें तो पूरा हिंदूस्तान आगे बढ़ जाएगा।
इसलिए, अगर भारत का मंगल करना है, तो हमारे इस ईशान इलाके का भी, North-East part का भी तेज़ गति से भला करना होगा, विकास करना होगा। विकास के अंदर सबसे पहली बात होती है- infrastructure. जो लंबी दूरी की सोच के साथ भव्य सपनों को लेकर जो चलता है, वो विकास की शुरूआत infrastructure से करता है। एक बार infrastructure बन गया तो बाकी चीज़ें जनता अपने आप कर लेती है।
आप में से कई लोग हैं जिन्होंने South Korea का नाम सुना होगा। वो बड़ा प्रदेश नहीं है। वो देश पांच-छः करोड़ की आबादी वाला है। समुद्र के किनारे पर है। बहुत गरीब देश था, बहुत गरीब! यानी हम हिंदुस्तान में जो गरीबी की चर्चा करते हैं, उस से भी ज्यादा गरीब देश था। लेकिन, वहां के एक शासक थे, उनके मन में विचार आया कि कोरिया के बीचोंबीच एक बहुत बड़ा - समृद्ध देशों में होता है - ऐसा हाईवे बना दें, बहुत बड़ा चौड़ा रोड बना दें। पूरे कोरिया में तूफान मच गया- “लोगों को खाना नहीं है, बच्चों को शिक्षा नहीं है, रहने को घर नहीं है और ये कैसा शासक है! इतना बड़ा रोड बनाने जा रहा है, अरबों, खरबों रूपया खर्च कर रहा है!”
लेकिन, वो अपने इरादों को पक्के थे। चारों तरफ उनकी आलोचना हो रही थी, लेकिन उन्होंने उस रोड को बनाया। आलोचना सहते हुए बनाया। लेकिन, उस एक रोड ने पूरे South Korea की ज़िदंगी को बदल दिया।
आज से कई वर्ष पहले, हम इतना बड़ा देश हैं, अभी तीन-चार साल पहले Commonwealth की games का कार्यक्रम हम करना चाहते थे। और दिल्ली का क्या हाल हुआ था, कितनी बदनामी मिली थी, ये सारा देश और दुनिया जानती है। लेकिन South Korea ने आज से करीब 12-15 साल पहले ओलंपिक को host किया था और पूरे विश्व के लोगों को निमंत्रित किया था। इतना वो देश आगे बढ़ गया। गरीबी का नामोनिशान मिटा दिया। एक रास्ता!
कभी-कभी अमेरिका के राष्ट्रपति केनेडी कहा करते थे कि “संपत्ति नहीं है, जिससे रास्ते बनते हैं, ये रास्ते हैं जिससे संपत्ति बनती है”। विकास की अवधारणा में infrastructure एक सबसे बडी प्राथमिकता होती है। अगर हमें North-East का विकास करना है, North-East को भारत की विकास यात्रा में भागीदार बनाना है तो ये हमारा जो अष्टलक्ष्मी का इलाका है, हमारे जो आठ राज्य, अष्टलक्ष्मी! ये सच्चे अर्थ में भारत की लक्ष्मी बनने की ताकत रखते हैं।
ये अष्टलक्ष्मी, इनको अगर भारत के infrastructure से जोड़ दिया जाए - जिसमें रोड हो, रेल हो, हर प्रकार की connectivity हो। अगर connectivity में हम सफल हुए - और मैं विश्वास करता हूं कि होने वाले हैं - पूरा हिंदुस्तान, आज जो टूरिज्म के लिए, इधर-उधर बेचारा जो जगह खोजता रहता है, जो upper middle class देश में पैदा हुई है, बहुत बड़ी तादात में है, उसको साल में एक बार, दो बार परिवार के साथ कहीं बाहर जाना होता है। अगर अच्छी connectivity North-East को मिल जाए, मैं विश्वास से कहता हूं- यहां का जो प्राकृतिक सौंदर्य है, हरे भरे जंगल हैं, प्यारे लोग हैं, सारा हिंदुस्तान उमड़ पड़ेगा, सारा हिंदुस्तान!
और इसी सोच के कारण जब हमारी सरकार बनी - अभी तो नई नई सरकार है - हमारी, बजट बनाना था, पहले ही बजट में, इस क्षेत्र में, हमारे North-East के राज्यों को रेलवे से जोड़ने के लिए 28 हजार करोड़ रूपया तय कर लिया। क्योंकि मुझे मालूम है कि एक बार अगर ये व्यवस्था बन गई, ये पूरा क्षेत्र विकास की नई ऊंचाईयों को अपने आप पार कर लेगा। उसी प्रकार, पूरे विश्व में जो विकास का चित्र बन रहा है, सारी दूनिया मानती है कि ये शताब्दी, एशिया की शताब्दी है। और अगर ये शताब्दी एशिया की शताब्दी है तो हमने कोई तैयारी की है क्या? हम Look East policy की बात करते रहे। अब हमने तय किय है अगर एशिया की शताब्दी है और हमें सचमुच में उस परिस्थिति का फायदा उठाना है, आगे बढ़ना है तो भारत ने look east policy को आगे बढ़ाना पड़ेगा, Look East नहीं, Look Act (Act East)! Act करना होगा हमने। Look East policy से Act East policy की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं। और हमारी कोशिश ये है कि North-East, रेल से, रोड से म्यांमार से जुड़े, एशिया के और देशों से जुड़े। आप कल्पना कर सकते हैं कि ये भूभाग व्यापार का कितना बड़ा केंद्र बन जाएगा! विकास की कितनी बड़ी अवधारणा पैदा होगी! और फिर North-East के नौजवानों को रोजी रोटी के लिए North-East छोड़ करके - ऑक्सीजन से भरा हुआ इलाका, चारों तरफ हरियाली, पानी ही पानी - ये सब छोड़ करके शहरों में जा करके ज़िदंगी गुज़ारनी नहीं पड़ेगी।
अब वक्त बदल चुका है। अब infrastructure की भी next-generation की सोच को ले करके आगे बढ़ना पड़ेगा। पिछली शताब्दी में रेल, रोड, पोर्ट, एयर पोर्ट - ये काम हो जाता था तो लोग मानते थे कि बस बढ़िया हो गया। अब जगत बदल गया है। अब high ways भी चाहिए, i-ways भी चाहिए। Information ways, i-ways. Digital divide नहीं होना चाहिए।
Digital India का सपना North-East को भी जोड़ने वाला होना चाहिए। i-ways का नेटवर्क हो, connectivity हो। दिल्ली में बैठ करके, मोबाईल फोन पर बैठ करके जो कर सकता है, वो North-East की दुर्गम पहाड़ी पर रहने वाला भी कर पाए, इतनी व्यवस्था मिलनी चाहिए।
दूनिया बदल रही है। गैस ग्रीड क्यों न हो? पीने के पानी की लाइन क्यों न हो? बिजली चैबीस घंटे क्यों न मिले? Optical fiber network क्यों न हो? नए युग के जीवन को ध्यान में रखते हुए infrastructure की ओर आगे बढ़ना है। मेरा विश्वास है कि आधुनिक भारत बनाने के लिए infrastructure के next generation की जो कल्पना है, उसे हमें तेज गति से आगे बढ़ाना है, उसको साकार करना है। अगर एक बार, North-East में भी optical fiber network बराबर लग गया, connectivity बराबर हो गई - यहां के बच्चों की अंग्रेज़ी में पढ़ाई होती है, नोर्थ ईस्ट में - फिर ये जो दूनिया में, बैंगलोर में, हैदराबाद में कंप्यूटर पर बैठ करके job work करते हैं, उनको बैंगलोर, हैदराबाद नहीं जाना पड़ेगा, वो गांव में अपने घर में बैठ कर पाएगा। Call center के लिए दिल्ली, मुंबई में काम करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, वो North-East के कोने में भी हो सकता है। बदल सकती है दूनिया! बदली जा सकती है! इसलिए North-East के विकास की तरफ मैं ज़रा विशेष रूचि ले रहा हूं।
अभी कुछ दिन पहले मैं म्यांमार गया था। वहां के राष्ट्र के मुखियाओं के साथ भी, हमारी connectivity कैसे बढ़े, व्यापार कैसे बढ़े, इस क्षेत्र के हमारे नौजवानों की शक्ति कैसे काम आए, उस पर मैंने बल दिया है और इसलिए भाईयों बहनों! ये रेलवे का जुड़ना, ये केवल पैसेंजरों के आवागमन का विशय नहीं होता है। रेलवे हमें जोड़ती भी है, रेलवे हमें गति भी देती है, रेलवे हमें एक सामर्थ्य भी देती है। भारत के अंदर रेलवे जैसी व्यवस्था, वो हमारे हिंदुस्तान की आर्थिक गतिविधि की रीढ़ बनने की ताकत रखती है। लेकिन, दुर्भाग्य से आर्थिक विकास की एक उर्जा के रूप में रेलवे को देखने के बजाए हमने रेलवे को उस रूप में ला दिया - Parliament में भी जब रेलवे के बजट की चर्चा होती है, पूरे बजट की चर्चा पर किसी का ध्यान नहीं होता है, न देश में भी किसी का होता है।
लेकिन जैसे ही रेल मंत्री बोलना शुरू करते हैं कि फलानी ट्रेन में एक डिब्बा बढ़ा दिया जाएगा, चारों तरफ तालियों की गूंज शुरू हो जाती है। ‘वहां पर एक ट्रेन लंबी कर दी जाएगी’, तालियां बज जाती हैं। कहीं कह दिया जाता है कि इस स्टेशन को अपग्रेड कर दिया जाएगा, तालियां बज जाती हैं।
यानी रेलवे को ऐसे टुकड़ों में बांट दिया गया है। एक डिब्बा बढ़ जाए, बस काम हो गया। एक रूट चालू हो जाए, काम हो गया। हमने तय किया है कि इन छोटी, छोटी, छोटी चीज़ों से रेलवे की तालियां बज रही हैं, हम वहीं संतोष मानने वाले नहीं हैं। हम रेलवे का विस्तार भी बढ़ाना चाहते हैं और उसका आधुनिकरण भी करना चाहते हैं। रेलवे का horizontal विकास भी हो, vertical विकास भी हो। Horizontal विकास का मेरा मतलब है- हिंदुस्तान में कोने कोने जहां रेलवे पहुंचा सकते हैं, रेलवे पहुंचाए। और vertical का मेरा मतलब है- हमारी सेवाओं को अपग्रेड करें, technology को upgrade करें, स्पीड को बढ़ाएं, समय बचाएं, सुविधाएं बढ़ाएं और सच्चे अर्थ में राष्ट्र के अर्थतंत्र को गति देने वाला, सच्चे अर्थ में रेलवे एक इंजिन बन जाए, उस रूप में रेलवे को ले जाना है।
मुझे विश्वास है कि हमारे नए रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी के नेतृत्व में हिंदुस्तान में पिछले सौ साल में जिस गति से रेल आगे बढ़ी है, उस से अनेक गुना ज्यादा गति से रेल का पूरा तंत्र आगे बढ़ेगा, ये मेरा विश्वास है। पहली बार भारत में हमने एक निर्णय किया है। 100 प्रतिशत फोरेन foreign direct investment. सौ प्रतिशत रेलवे के अंदर विदेशी पूंजी का निवेष। लोग आएंगे, धन लगाएंगे, आधुकनिक रेल बनेगी, आधुनिक पटरी बनेगी, आधुनिक सिग्नल सिस्टम आएगा, आधुनिक तरीके से टिकट दिया जाएगा। पूरी रेलवे की व्यवस्था को आधुनिक बयार बनाया जा सकता है।
सवा सौ करोड़ का देश, कभी न कभी तो हर व्यक्ति पैसेंजर हुआ करता है, हर यात्री नागरिक भी हुआ करता है। कोई साल में एक बार सफर करता है, तो कोई दिन में एक बार सफर करता होगा लेकिन सफर हर कोई करता है। इतना बड़ा मार्केट, Commercial Market जहां हो, और आज रेलवे environment friendly होती है, eco friendly होती है। Mass Transportation - Global Warming के खिलाफ जो लड़ाई चल रही है, उसमें हमारा एक contribution हो सकता है।
अनेक ऐसे पहलू हैं, जिन पहलुओं को ले करके, रेलवे के माध्यम से हम एक पूरी नई व्यवस्था विकसित करना चाहते हैं। उसी प्रकार से, रेलवे का पूरा काम, एक प्रकार से expertise चाहिए, dedicated technology चाहिए, Technology upgradation चाहिए। और उसके लिए लोग चाहिएं। आज रेलवे की हालत ऐसी है कि रेवले का advertisement आता है, तो लोग अर्जी करते हैं, हमें रेलवे में नौकरी चाहिए। लोग अर्जी करते हैं, फिर रेलवे वाले इंटरव्यू करते हैं और जिसका नंबर लग गया, लग गया। फिर रेलवे वाले उसको सिखाते हैं, कैसे काम करना है।
हमने नया रूप सोचा है और मेरे नौजवान मित्रों को बहुत पसंद आएगा। हमने कहा है पूरे देश में, चार अलग अलग कोने में, अलग रेलवे की universities बनेंगी। उसमें सारे विशय पढ़ाए जाएंगे, उसके साथ रेलवे संबंधी अध्ययन होगा उसमें ताकि वहां से पढ़कर जो नौजवान निकलेगा, वो तुरंत रेलवे में काम आएगा। रेलवे का भी लाभ होगा, उस नौजवान का भी लाभ होगा।
Human resource development के साथ technology upgradation, व्यवस्था के साथ गति में सुधार, सुविधा के साथ सेवा की गुणवत्ता में परिवर्तन। मुझे बताइए, आज हमारे जो रेलवे स्टेशन हैं, बड़े बड़े शहरों के बीचों बीच बड़े बड़े रेलवे स्टेशन हैं। मीलों तक बड़े शहर के अंदर रेलवे चल रही है और आज ज़मीन इतनी मंहगी हो गई है। और हमारे रेलवे स्टेषन सौ साल पहले जैसे थे, वैसे ही हैं। कुर्सी वैसी ही, बैठने बैंच ऐसी ही, पैसेंजर जाएगा तो स्थिति ऐसी ही। ये बदला जा सकता है कि नहीं बदला जा सकता? हमने कहा है कि रेलवे स्टेशनों को प्राइवेटाइज़ करो। नीचे ट्रेन चलती रहे, ऊपर फाइव स्टार, सेवन स्टार हॉटल बना दो। मोटल बना लो। मॉल बना दो। ट्रेन चलती रहेगी, ट्रेन के ऊपर आसमान पूरा खुला पड़ा है, उसमें से इनकम करो और रेलवे को अच्छी करो, ऐसा मैंने उनको समझाया है।
अभी रेलवे ने निर्णय भी कर लिया है - कुछ रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाने वाले हैं। एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन अच्छा होना चाहिए मेरा मत है - क्योंकि रेलवे स्टेशन पर गरीब से गरीब इंसान जाता है। सामान्य मानव भी जाता है, मजदूर भी जाएगा तो बेचारा रेल से जाएगा। एयरपोर्ट पर अच्छी सुविधा हो, रेलवे पर क्यों न हो? इसलिए पूरे रेलवे स्टेशन की व्यवस्थाएं बदलनी हैं। देखते ही देखते आप देखिए, कुछ मॉडल रूप तो दस-बारह जगह पर मैं करवा दूंगा। और एक बार हो गया तो फिर तो सारे हिंदुस्तान में होने में देर नहीं लगेगी, फिर चल पड़ेगी गाड़ी।
भाईयों, बहनों! रेलवे में अमूल चूल परिवर्तन लाना है। विश्व का पूरा अच्छे से अच्छा काम है, उसमें से जो नईं चीज़ें ला सकते हैं हमें लानी हैं। और North-East को रेल connectivity से जोड़ करके। North-East! ये अष्टलक्ष्मी का प्रदेश! भारत की लक्ष्मी बन जाए, भारत का सबसे धनी प्रदेश बन जाए, उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला। मैं रेलवे के अधिकारियों को शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं। रेवले विभाग को, मंत्री श्री को बधाई देता हूं कि वे इस काम को संपन्न कर रहे हैं आगे की योजनाओं को तेज़ गति से आगे बढ़ा रहे हैं। मैं मेघालय, मिजोरम की जनता को भी बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। उनके मुख्यमंत्री श्री और गर्वनर श्री का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि हम सब मिल करके राष्ट्र को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के प्रयास में हमारे देश का कोई कोना भी पीछे न रह जाए, उसके लिए विकास की वो अवधारणा को लेकर आगे चलें, विकास वो हो जो सर्वस्पर्शी हो, सार्वदेशिक हो, सर्वपोषक हो, सर्वपूरक हो। ऐसे विकास को आगे बढ़ाने में, सबके योगदान के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं। श्रीमान तरूण जी का आभार व्यक्त करता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद।