जापान में बसे हुए सभी मेरे भारतीय भाइयों एवं बहनों, 

ये जो बच्‍चे गीत गा रहे थे, मैं करीब 25-30 साल पहले हर दिन इस गीत को गुनगुनाता था। यह मेरा बड़ा प्रिय गीत था। तो आज मेरी सारी थकान उतर गई और उसी मिजाज से बच्‍चे गा रहे थे, जो ओरिजिनल है। जबसे मैंने सुना है, वैसे ही मैं भी गुनगुनाता था। आज भी मेरा मन कर गया तो आपके साथ जुड़ गया था। इन बच्‍चों को बहुत बहुत बधाई। ये समझ लेते हैं, जो मैं बोल रहा हूं? 

जापान मैं पहले भी आया हूं। यहां के भारतीय समाज से भी मेरा मिलने का अवसर मुझे हमेशा मिला है। आप लोगों को सुनने का भी अवसर मिला है और कुछ कहने का भी अवसर मिला है। दुनिया के किसी भी देश में जाइए, तो अगर कोई भी भारतीय मिलता है तो, दो-तीन चीजें प्रमुख रूप से आती हैं। साफ एयरपोर्ट पर उतरे और ऐसा हुआ। टैक्‍सीवाला मिला, तो ऐसा हुआ। साफ शौचालय, वाश रूम। ये चार-पांच चीजें कॉमन सुनने को मिलती हैं। और बहुत स्‍वाभाविक है कि इतने सालों से यहां रहने बाद, यह सामान्य है और इसलिए मैंने देश में सबसे बड़ा एक काम जो उठाया है, वह है स्‍वच्‍छ भारत का। 

कठिन काम है, लेकिन किसी को तो शुरू करना चाहिए। मैंने देशवासियों के सामने एक बात रखी है कि 2019 जो, महात्‍मा गांधी के 150वीं जयंती का वर्ष है और महात्‍मा जी को सबसे प्रिय अगर कोई चीज थी तो सफाई थी। आपने महात्‍मा गांधी के जीवन को पढ़ा होगा, कहीं बचपन में कुछ बातें सुनने को मिली होगी तो ये बात हमेशा आती होगी। वे सफाई के संबंध में कभी कंपरमाइज नहीं करते थे। बड़े अग्रणी रहते थे। आप वर्धा का आश्रम देखिए, साबरमति का आश्रम देखिए। बहुत ही सिंपल थे। व्‍यवस्‍थाओं की दृष्टि से कोई बहुत नहीं था, लेकिन सफाई के संबंध में कोई कंपरमाइज नहीं करते थे। इसलिए मैंने देशवासियों के सामने एक बात रखी कि महात्‍मा गांधी ने हमें आजादी दिलाई, इतनी बड़ी सौगात महात्‍मा गांधी जी हमें दे के गए, हमने महात्‍मा जी को क्‍या दिया ? कुछ तो हमें लौटाना चाहिए। और इसलिए मैं देशवासियों से कहता रहता हूं कि 2019 तक ऐसा साफ-सुथरा हिंदुस्‍तान बना दें और 2019 में एकदम साफ-सुथरा हिंदुस्‍तान महात्‍मा जी को अर्पित करें। 

तो आप भी अपने रिश्‍तेदारों को चिट्ठी लिखते होंगे यहां से, लेकिन अब चिट्ठी तो नहीं लिखते होंगे, ईमेल करते होंगे, वाट्स अप पर बात करते होंगे। ट्वीटर पर दोस्‍ती बनाई होगी। माध्‍यम कोई भी हो लेकिन बात जरूर पहुंचाइए आप कि हमारे जापान में ऐसी सफाई होती है, आप भी यह काम कीजिए। अपने परिवार में कीजिए, अपने अड़ोस-पड़ोस में कीजिए। ये भी करने जैसा काम है, और मुझे विश्‍वास है कि आप भी इस काम को अवश्‍य करेंगे। 

भारतीय समुदाय की एक विशेषता रही है और हम लोग इस बात का गर्व जितनी मात्रा में करना चाहिए, नहीं करते हैं। बड़ी दबी जबान में, हल्‍के-फुल्‍के, ऐसे करते हैं। विश्‍व में कहीं पर भी अगर भारतीय समाज गया, 100 साल पहले गया, 150 साल पहले गया, कहीं पर भी गया हो, किसी भी देश से, उस समाज से अब तक कोई शिकायत नहीं आई है कि हिंदुस्‍तानियों ने आकर ऐसा कर दिया, हमें लूट लिया। ये छोटे संस्‍कार नहीं हैं जी, ये संस्‍कार छोटे नहीं हैं। 

विश्‍व का कोई भी समाज, कहीं पर भी व्‍यक्तिगत रूप से किसी से कोई गलती हुई होगी, अच्‍छा बुरा हो गया होगा। लेकिन समाज के रूप में दुनिया में कहीं से कोई शिकायत भारतीय समुदाय के लिए नहीं आई है। ऊपर से सुनने को क्‍या मिलता है भई, ये बड़े लॉ एबाइडिंग सिटीजंस हैं, बहुत ही सरल हैं, हमारी इकोनोमी में कंट्रीब्‍यूट करते हैं, लेकिन समस्‍या कभी पैदा नहीं करते हैं। 

ये हमारी विरासत है। हमारी पूंजी है और पीढ़ी दर पीढ़ी संस्‍कारों से यह बनी है। और इसका श्रेय आप सबको जाता है। आपने ये करके दिखाया है। इसलिए मैं विशेष रूप से आपको बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। 

एम्‍बेसी में आ करके भारत क्‍या है, जल्‍दी कोई समझ नहीं पाएगा। लेकिन आपसे मिल कर के तुरंत समझ पाएगा कि भारत क्‍या है। आप भारत को कैसे जीते हैं, आप भारत को कैसे अभिव्‍यक्‍त करते हैं। भारत की बात को गौरव से कैसे प्रस्‍तुत करते हैं। उस पर निर्भर करता है। 

जमाना ऐसा था मुझे याद है, बहुत साल पहले मैं ताईवान गया था, तब तो मैं इस सरकारी नौकरी में नहीं था। ऐसे ही, एक नागरिक के नाते गया था। और सात-आठ दिन, मेरे पास उन दिनों समय भी बहुत रहता था। कोई काम-धाम तो था नहीं। मेरे साथ वहां की सरकार ने एक इंटरप्रेटर लगाया था। इंटरप्रेटर पढ़ा लिखा था, कंप्‍यूटर इंजीनियर था। मेरे साथ इंटरप्रेटर के रूप में काम करता था। उसकी मदद के बिना हमारी गाड़ी चलती नहीं थी। दोस्‍ती हो गई हमारी, 5-6 दिन में। पहले तो बड़ा ही नियम से रहता था, प्रोटोकॉल में रहता था। शायद वह एमईए डिपार्टमेंट का ही होगा। जिसमें सबसे ज्‍यादा प्रोटोकॉल होता है। वह भी ऐसे ही रहता था। थोड़ा सा भी इधर-उधर खिसकता नहीं था। लेकिन 5-6 दिन में मेरा व्‍यवहार देखकर के उसकी लगा कि हां ये आदमी दोस्‍ती करने जैसा है। फिर दोस्‍ती हो गई। बातें करने लगा। आखिर एक-दो दिन बाकी थे तो उन्‍होंने एक सवाल पूछा। बोला, साहब, आपको बुरा न लगे तो मुझे कुछ पूछना है, मैंने कहा जरूर पूछिये। उन्‍होंने कहा- बुरा नहीं लगेगा, मैंने कहा पूछो भाई, कुछ भी बुरा नहीं लगेगा। बोले, सचमुच में आपको बुरा नहीं लगेगा, उसने बड़ा डरते-डरते ये पूछा, फिर मुझे कहता है मैं ताईवान की 20वीं सदी के उत्‍तरार्ध की घटना कह रहा हूं आपको। ब्रिटिश सेंचुरी के लास्‍ट इयर की। उन्‍होंने कहा है कि आज भी भारत में जादू-टोना वाले लोग रहते हैं? आज भी भारत में ब्‍लैक मैजिक चलता है ? आज भी भारत में सांप-छूछूंदर वाला सारा खेल चलता है और वो ये मानता था कि हिंदुस्‍तान में संपेरे लोग ही रहते हैं। यानी, आप कल्‍पना कीजिए, दुनिया इतनी बदल चुकी है, वह एक कंप्‍यूटर इंजीनियर था, लेकिन उस देश में हमारी छवि यह थी। 

मैंने कहा भाई, अब तो हम सांप वाले नहीं रहे। हमारा बहुत डिवेल्‍यूएशन हो गया। पीढ़ी दर पीढ़ी हम और हल्‍के-फुल्‍के हो गए। बेचारा समझा नहीं। मैंने कहा, पहले हम सांप से खेलते थे, अब हम माउस से खेलते हैं। पहले हम और सांप का खेल चलता था और अब हमारा डिवेल्‍यूएशन, डिग्रेडेशन होते होते हम माउस से ऐसे जुड़ गए कि अब हम माउस को हिलाते हैं, तो दुनिया पूरी हिलती है। 

हमारे देश 20- 22- 24 साल के नौजवानों ने दुनिया को अचंभित कर दिया, इंफोर्मेशन टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में। पूरे विश्‍व को भारत की ओर देखने का नजरिया बदलना पड़ा। कोई सरकार, कोई पीआर एजेंसी, अरबों-खरबों का बजट जो काम नहीं कर सकता था, वह हिंदुस्‍तान के 20- 22 साल के नौजवानों ने कंप्‍यूटर पर उंगली घुमा-घुमा कर, दुनिया का रूप बदल दिया है। 

ये ताकत है देश की। इसका गर्व करता है इंडिया। विश्‍व के सामने हमें अपने इंडिया पर गर्व होता है। आप दुनिया का कोई भी देश देख लीजिए, क्‍या दुनिया के देशों में कठिनाइयां नहीं होगीं, होगीं। तकलीफें नहीं होगीं, होगीं। अच्‍छे-बुरे इंसान नहीं होंगे? होंगे। लेकिन विश्‍व का वही समाज आगे बढ़ता है जो अपने अच्‍छाइयों को लेकर के जीता है। रोने बैठता नहीं है। छोड़ो यार। पता नहीं पिछले जन्‍म में क्‍या पाप किया है, हिंदुस्‍तान में जन्‍म लिया। अच्‍छा होता मैं किसी और देश में पैदा हुआ होता। ऐसा समाज दुनिया में कभी कुछ नहीं कर सकता हैं। 

अपने पास जो भी है, उसके लिए जो गर्व करता है, स्‍वाभिमान से जीता है और इसलिए हम दुनिया में कहीं भी रहें, दुनिया भी सारी अच्‍छी चीजों पर गर्व करें, लेकिन अपने स्‍वाभिमान के प्रति कभी भी कंपरमाइज नहीं करना चाहिए। यह अपने आप में बहुत बड़ी ताकत है। देखिए, भगवान राम श्रीलंका गए थे। लंका गए, सोने की लंका गए। आखिर वो भी इंसान तो थे। कौन मोहित नहीं हो जाता। लेकिन सोने की नगरी में विजयी हो के खड़े रहने के बाद भी वह कहते क्‍या हैं, ‘स्‍वर्गादपि गरियसी’। अयोध्‍या के लिए यह भाव था उनके मन में। मेरा अयोध्‍या जैसा भी हो, गरीबी होगी, कठिनाइयां होंगी, भले तुम्‍हारी लंका सोने की हो, तुम्‍हें मुबारक। मेरे लिए तो ‘स्‍वर्गादपि गरियसी’। ये जो सबक है, संदेश है, वह हमारी सबसे बड़ी ताकत है। 

मैं चाहूंगा, विश्‍वभर में फैला हुआ हिंदुस्‍तान का कोई भी नागरिक हो, उसके हृदय में यह भाव बना रहना चाहिए। जिन लोगों ने, कैरिबियन कंट्रीज में हमारे लोग गए, सवा सौ-डेढ़ सौ साल पहले गए, मजदूर के रूप में गए। अंग्रेज उनको मजदूर के रूप में उठा के ले जाते थे। जो जेल में कैदी थे, उनको उठा के ले जाते थे। वहां छोड़ देते थे। उन लोगों ने वहां जाकर देश बनाए। वहां जाकर देखिए। देखिए आज भी एक रामायण की चौपाइयों के भरोसे उन्‍होंने हिंदुस्‍तान के साथ अपना नाता बनाये रखा है। यानी अपना जो मूल है, नाभी से ही तो प्राण तत्‍व मिलता है, नाभी से कभी नाता टूटना नहीं चाहिए। नाभी से नाता कैसे बना रहे, इसके लिए निरंतर प्रयास होना चाहिए। 

हम किसी भी देश में क्‍यों न हो। लेकिन ये तो तय कर सकते हैं कि कम से कम खाना खाते समय शाम को सब इकट्ठे बैठेंगे। तीन पीढ़ी होगी तो तीन पीढ़ी, दो पीढ़ी होगी तो दो पीढ़ी, चार पीढ़ी होगी तो चार पीढ़ी, कम से कम सब खाना खाने के टेबल पर हम अपनी मातृभाषा में बात करेंगे। यह कर सकते हैं क्‍या ? 

बात छोटी है लेकिन ये इसकी बहुत बड़ी ताकत है। और कभी ना कभी एक कंपीटिशन करनी चाहिए विदेश में और मैं चाहूंगा कि आप करेंगे विदेश में। हमारी बच्चियां है, साड़ी पहनने की कंपीटिशन। अच्‍छी से अच्‍छी साड़ी कौन पहनता है। जल्‍दी से जल्‍दी साड़ी कौन पहनता है। ईनाम दीजिए। बच्‍चों के लिए साफा बांधने की प्रैक्टिस। अच्‍छे से अच्‍छा साफा कैसे बांधते हैं, पगड़ी कैसे बांधते हैं। देखिए इन चीजों से लगाव पैदा होता है। कंपीटिशन का कंपीटिशन होगा, खेल का खेल होगा, लेकिन आप की नई पीढ़ी को संस्‍कार मिल जाएगा। और इसलिए चीजें छोटी हो, लेकिन छोटी-छोटी चीजों का, कभी भारतीय व्‍यंजनों का कंपीटिशन। कंपलसरी नहीं पीढ़ी ही बनाकर लाये, पुराने लोग जो हिंदुस्‍तान से आए, वो नहीं। जो यहां पैदा हुए, बढ़े, उनको बनाओ। चलो रोटी बनाके ले आओ। सब्‍जी बना के ले आओ। दाल बना, कैसे बनाते हैं। 

आपको आश्‍चर्य होगा कि मैं ऐसी छोटी-छोटी बातें कर रहा हूं। ये कोई प्रधानमंत्री है कोई ? लेकिन मुझे मालूम है कि ये छोटी-छोटी चीजों की जो ताकत होती है, वही दुनिया बदलती है। और हमारी नई पीढ़ी को इसके लिए तैयार करना चाहिए। अगर आप इसको करेंगे तो अच्छा होगा, बाकी तो मैं इस देश का मेहमान था, भारत की बात ले के आया था, भारत की बात सुनाने आया था। 

जापान की बातें सुनने समझने की कोशिश की। बहुत अच्‍छे निर्णय हुए। जापान के साथ बहुत अच्‍छे निर्णय हुए। हिंदुस्‍तान में ट्रिलियन शब्‍द शायद पहली बार चर्चा में आएगा। कानों पर मिलियन-बिलियन तो थोड़ा बहुत आने लगा है। ट्रिलियन शब्‍द पहली बार वहां चर्चा में आया। 3.5 ट्रिलियन येन, करीब 35 बिलियन डालर, यानी कि 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपये, आने वाले दिनों में जापान भारत में निवेश करेगा। भारत के विकास के अंदर जुड़ेगा। ये अपने आप में बहुत बड़ा निर्णय है। 

कुछ एरिया बड़े सेंसेटिव होते है, जो जिसको दो देशों को जरा अशंका का माहौल रहता है। हमारे देश की छह कंपनियां ऐसी थी, जो प्रोडक्‍शन करती थी, वह जापान में प्रतिबंधित थी। जापान के साथ उस विषय से हमारा लंबे अरसे से झगड़ा चलता था। मुझे सबसे ज्‍यादा आनंद इस बात का है कि जापान ने हम पर भरोसा किया। भरोसा बहुत बड़ी ताकत होती है। दुनिया के संबंधों में भरोसा एक ऐसा केमिकल है जी, जो फेविकल से भी ज्‍यादा घनिष्‍ट दोस्‍ती बनाता है। गहरी दोस्‍ती बनाती ह। और उस भरोसे के कारण जापान ने उन छह हमारे जो कंपनियों के उत्‍पादन पर जो प्रतिबंध लगाया था, उसे हटा दिया। 

मैं पैदा तो गुजरात में हुआ हूं, गुजरात ने मुझे पाला-पोसा, बड़ा किया, लेकिन इन दिनों में काशी की सेवा में हूं। वाराणसी का मैं एमपी हूं। मेरा एक दायित्‍व भी बनता है। वाराणसी, वेद काल से भी पुरानी नगरी मानी जाती है। शायद दुनिया की सबसे पुरानी नगरी के रूप में उसका वर्णन आता है। क्‍योटो भी काफी पुरानी नगरी है। यहां भी हजारों मंदिर हैं। यहां पर भी उसकी आत्‍मा जो है, स्पिरिचुअल आत्‍मा जो है, उसको संभालते हुए उसका मोडर्नाइज किया। मेरे मन में रहता था कि वाराणसी में नहीं हो सकता है ऐसा ? इसलिए, इस यात्रा में मैंने कुछ समय क्‍योटो के लिए भी निकाला। मेरे लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री सारे प्रोटोकाल छोड़कर के क्‍योटो आए। मुझे सब जगह दिखाने के लिए ले गए। काफी समय मेरे साथ बिताया। हल्‍की-फुल्‍की, बहुत सी गप्‍पें, गोष्‍ठी, बातें हुई। हल्‍का-फुल्‍का माहौल रहा। लेकिन मेरा सपना था, मैं एक वाराणसी का जन प्रतिनिधि हूं, तो वहां के लिए भी कुछ में करूं। 

क्‍योटो के साथ जी हमारा जो एमओयू हुआ है, और विशेषकर के उन परंपराओं को बनाये रखते हुए, हेरीटेज को पूरी तरह संभालते हुए और क्‍योटो एक ऐसी सिटी है, जिसके 17 स्‍ट्रक्‍चर्स ऐसे हैं, जो वर्ल्‍ड हेरीटेज में है। एक नगर के 17 स्‍ट्रक्‍चर्स वर्ल्‍ड हेरिटेज में हों, दुनिया में कहीं नहीं हो सकता है। ऐसी वो नगरी है। उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। क्‍योटो वाराणसी दोनों एज ए नगर ‘हेरीटेज सिटी’ में हैं। तो उसके दिशा में मैंने थोड़ा समय दिया था। मैं मानता हूं कि आने वाले दिनों में जापान के मार्गदर्शन से उस काम को हम भारत में कर पाएंगे। 

मेरे हिसाब से यात्रा बहुत ही सफल रही है। बहुत ही सफल।मैं इस यात्रा को एक और रूप में भी विशेष देखता हूं। समान्‍य रूप के प्रमुख लोग मिलते हैं तो एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं। आपको जानकर के खुशी होगी, मैं गिफ्ट देने के लिए गीता ले आया था, भगवद् गीता। मैं नहीं जानता हूं कि हिंदुस्‍तान में इस पर क्‍या होगा, शायद एक टीवी डिबेट चलेगी इस पर। हमारे सारे सेक्‍यूलर मित्र बड़ा तूफान खड़ा कर देंगे कि मोदी अपने आप को समझता क्‍या है। गीता लेकर गया है, मतलब उसने उसको भी कम्‍यूनल कर दिया है। 

खैर उनकी भी तो रोजी रोटी चलनी चाहिए और अगर हम नहीं रहे तो उनकी कैसे चलेगी। लेकिन पता नहीं आज-कल ऐसे-ऐसे विषयों पर विवाद करते हैं। लेकिन, मेरा कमिटमेंट है, मेरा कनविक्‍शन है, मैंने निर्णय किया कि मैं दुनिया के किसी भी महापुरूष को मिलूंगा तो मैं ये दूंगा। 

मैंने जापान में आज यहां के महाराजा मिलने गया तो मैंने उनको भी गीता भेंट की। क्‍योंकि मेरे पास इससे बढ़कर के देने को कुछ नहीं है। दुनिया के पास भी इससे बढ़ कर पाने को कुछ नहीं है। भारत और जापान की मैत्री, इसका एक विशेष रूप है। जापान के लोगों के दिलों में भारत के लिए एक विशेष स्‍थान है। आप लोग यहां रहते हैं, आपका तो होगा ही। लेकिन उसका कारण हमारे लोगों के कुछ विशेष व्‍यवहार रहे होंगे। मुझे यहां बताया गया कि जब हिरोशिमा की घटना हुई तो उसके बाद दुनिया के कई देशों के लोग मदद को यहां आए थे। सब खत्‍म हो चुका था। अकेले हिन्‍दुस्‍तान के जो वालेंटियर्स आए थे, वही अकेले ऐसे थे जो डेड बॉडी को अपने हाथों से उठाते थे। बाकी दुनिया से आए हुए मशीन से सारी चीजें हटाते थे। भारत के लोग हिरोशिमा के उस आपत्ति में उनके शरीर को अपने हाथों से उठाकर ले जाते थे। इस बात का उनके मन पर प्रभाव आज भी है, कि यह देश जीवित जापानी के ही नहीं, मृतक जापानी को भी उतना ही सम्‍मान देता है, ये शिक्षा दी थी। चीजें छोटी होती है, लेकिन और इसके कारण एक ऐसा इमोशनल बाइंडिंग है। 

इस मैत्री को आगे बढ़ाने के पीछे एक वैश्विक परिदृश्‍य में बहुत अलग रूप देखता हूं। टर्मिनोलॉजिकली, मैं कोई डिप्‍लोमेट नहीं हूं। इसलिए मुझे इस टर्मिनोलोजी का कोई ज्ञान नहीं है कि वे लोग कैसे इसे सोचते होंगे। लेकिन मेरा जो रॉ विजन है, सामान्‍य समझ जो मेरी है, वो मुझे कहती है। सारी दुनिया कहती है कि 21वीं सदी एशिया की होगी। इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं है। सब लोग बोलते है, दुनिया के टॉप मोस्‍ट सब लोग बोल चुके हैं कि 21वीं सदी एशिया की होगी। कोई आगे बढ़ के कहता है कि 21वीं सदी चाइना की होगी, कोई कहता है 21 वीं इंडिया की होगी। लेकिन इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं है कि 21वीं एशिया की होगी। अब 21वीं सदी एशिया की होगी, यह तो कंफर्म है, लेकिन 21वीं सदी कैसी होगी, यह अभी कंफर्म नहीं है और वो कैसी होगी, यह उस बात पर डिपेंड करता है कि भारत और जापान की मैत्री कैसी होगी। भारत और जापान मिल कर के किन वैल्‍यूज को प्रोमोट करते हैं। विश्‍व को किस दिशा में ले जाने के लिए प्रयास करते हैं। उस पर 21 वीं सदी की दिशा, 21वीं सदी की दशा यह निर्भर रहने वाली है। उस अर्थ में, उस अर्थ में भारत और जापान की मैत्री का प्रभाव आने वाली पूरी शताब्‍दी पर रहने वाला है। 

आप जब जापान में रहते है तो इसकी ताकत क्‍या है, इस ताकत को समझ करके एक नागरिक के नाते, एक भारत में प्रतिनिधि के नाते जापानियों के दिल में किस प्रकार से हमारा जुड़ाव बढ़ता चले, और इस सपने को साकार करें। मुझे विश्‍वास है कि भारत के गौरव को बढ़ाने में आप लोगों का बहुत-बहुत योगदान रहेगा। 

दो छोटी चीजें मैं आपके सामने कहना चाहता हूं। हम इतने सालों से जापान में रहते हैं, एक संकल्‍प कर सकते हैं कि हमारे अपने प्रयत्‍न से कम से कम पांच जापानीज परिवार को हर वर्ष मैं हिंदुस्‍तान जाने के लिए, देखने के लिए प्रेरित करूंगा। कर सकते हैं क्या ? भारत सरकार जो टूरिज्‍म को प्रमोट नहीं कर सकती है, वह आप कर सकते हैं। आप मुझे बताइए, कितने 23000 बताए यहां, पूरे जापान में। अगर 23000 है, पूरे 5000 फैमिली हैं। 5000 फैमिली 5 परिवार को भेजे, मतलब 25000 फैमिली मतलब मोर देन 75000 टू वन लाख लोग, आपके प्रयत्‍न से हर वर्ष हिंदुस्‍तान आए, मुझे बताइए, वहां के गरीब को रोजी-रोटी मिलेगी कि नहीं मिलेगी, चाय बेचने वाले की चाय बिकेगी कि नहीं बिकेगी। आप भी चाहते हैं ना कि चाय बेचने वाले की चाय बिके। 

हम एक काम कर सकते हैं, लेकिन हम करते नहीं है। उनको समझायें, उनको विश्‍वास दें। और आप चलिये, हम आपको अता पता देते हैं, इन चार जगह पर जाके आइये, अच्‍छा लगेगा। देखिए सिर्फ विश्‍व में फैले हुए भारतीय प्रतिवर्ष पांच अपने साथी मित्र परिवारों को हिंदुस्‍तान भेजना शुरू करें, हिंदुस्‍तान का टूरिज्‍म दुनिया में कतई पीछे नहीं रहेगा। बड़ी सरलता से करने वाला काम है। 

दूसरी बात, अब तो दुनिया सारी सोशल मीडिया से जुड़ी हुई है, इंटरनेट से जुड़ी हुई है। मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय में ‘माई गोव. एमआई.जीओवी’, एक इंटरैक्टिव वेबसाइट है। आप इसमें जाकर के डिटेल देखिए। आप एक ग्रुप के रूप में ज्‍वाइन करके भारत में क्‍या किया जा सकता है। बहुत कंस्‍ट्रक्टिव सुझाव डाइटेक्‍ट मुझे भेज सकते हैं। आपके मन में जो भी विचार आए लिख सकते हैं। यह एक ओपन फोरम है, बहुत ही नया कंसेप्‍ट है। ‘माई गोवमेंट’ यानी जनता कहती है, ‘मेरी सरकार’ है। उस मूड में उसको बनाया है। मैं चाहूंगा कि आप उसको स्‍टडी कीजिए। उसमें जिन विषयों को मैंने रेज किया है, आप उस पर अपना योगदान दीजिए। ये कंट्रीबूशन पूरे विश्‍व में फैले हुए अपने लोगों के द्वारा जितना कंट्रीब्‍यूशन मिलेगा, नए-नए आइडियाज भारत की प्रगति के लिए काम आएंगे। मैंने आपसे न येन मांगा है, न पाउंड मांगा है, न डॉलर मांगा है। उसके बावजूद भी आप देश की बहुत कुछ देश की सेवा कर सकते हैं। 

इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।धन्‍यवाद। 

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केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे: खजुराहो, मध्य प्रदेश में पीएम
December 25, 2024
प्रधानमंत्री ने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री ने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की नींव रखी
प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर उनकी याद में एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया
आज हम सभी के लिए बहुत प्रेरणादायक दिन है, आज श्रद्धेय अटल जी की जयंती है: प्रधानमंत्री
केन-बेतवा जोड़ो परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खोलेगी: प्रधानमंत्री
भारत के इतिहास में बीते दशक को जल सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा: प्रधानमंत्री
केंद्र देश-विदेश से आने वाले सभी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने का भी निरंतर प्रयास कर रही है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

वीरों की धरती ई बुंदेलखंड पै रैवे वारे सबई जनन खों हमाई तरफ़ से हाथ जोर कें राम राम पौचे। मध्यप्रदेश के गर्वनर श्रीमान मंगू भाई पटेल, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री भाई मोहन यादव जी, केंद्रीय मंत्री भाई शिवराज सिंह जी, वीरेंद्र कुमार जी, सीआर पाटिल जी, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, अन्य मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य सभी महानुभाव, पूज्य संत गण और मध्यप्रदेश के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

आज पूरे विश्व में क्रिसमस की धूम है। मैं देश और दुनिया भर में उपस्थित इसाई समुदाय को क्रिसमस की ढेर सारी बधाई देता हूं। मोहन यादव जी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार का एक साल पूरा हुआ है। मध्यप्रदेश के लोगों को, भाजपा के कार्यकर्ताओं को मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। इस एक वर्ष में एमपी में विकास को एक नई गति मिली है। आज भी यहां हजारों करोड़ रुपयों की विकास परियोजनाओं की शुरूआत हुई है। आज ऐतिहासिक केन बेतवा लिंक परियोजना का दौधन बांध का शिलान्यास भी हुआ है। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट, उसका भी लोकार्पण हुआ है और ये मध्यप्रदेश का पहला floating plant है। मैं इन परियोजनाओं के लिए एमपी के लोगों को ढेर सारी बधाई देता हूं।

साथियों,

आज हम सभी के लिए बहुत ही प्रेरणदायी दिन है। आज श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती है। आज भारत रत्न अटल जी के जन्म के 100 साल हो रहे हैं। अटल जी की जयंती का ये पर्व सुशासन की सु सेवा की हमारी प्रेरणा का भी पर्व है। थोड़ी देर पहले जब मैं अटल जी की स्मृति में डाक टिक्ट और स्मारक सिक्का जारी कर रहा था, तो अनेक पुरानी बाते मन में चल रही थी। वर्षों वर्षों तक उन्होंने मुझ जैसे अनेक कार्यकर्ताओं को सिखाया है, संस्कारित किया है। देश के विकास में अटल जी का योगदान हमेशा हमारे स्मृति पटल पर अमिट रहेगा। मध्यप्रदेश में 1100 से अधिक अटल ग्राम सेवा सदन के निर्माण का काम आज से शुरू हो रहा है, इसके लिए पहली किस्त भी जारी की गई है। अटल ग्राम सेवा सदन गांवों के विकास को नई गति देंगे।

साथियों,

हमारे लिए सुशासन दिवस सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम भर नहीं है। गुड गर्वनेंस, सुशासन, भाजपा सरकारों की पहचान है। देश की जनता ने लगातार तीसरी बार केंद्र में भाजपा की सरकार बनाई। मध्य प्रदेश में आप सभी, लगातार भाजपा को चुन रहे हैं, इसके पीछे सुशासन का भरोसा ही सबसे प्रबल है। और मैं तो जो विद्वान लोग हैं, जो लिखा पढ़ी analysis करने में माहिर हैं।, ऐसे देश के गणमान्य लोगों से आग्रह करूंगा कि जब आजादी के 75 साल हो चुके हैं तो एक बार evaluation किया जाए। एक 100-200 विकास के, जनहित के, गुड गर्वनेंस के पेरामीटर निकाले जाएं और फिर जरा हिसाब लगाएं कि कांग्रेस सरकारें जहां होती हैं वहां क्या काम होता है, क्या परिणाम होता है। जहां left वालों ने सरकार चलाई, कम्युनिस्टों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां परिवारवादी पार्टियों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां मिली जुली सरकारे चलीं वहां क्या हुआ और जहां जहां भाजपा को सरकार चलाने का मौका मिला, वहां क्या हुआ I

मैं दावे से कहता हूं, देश में जब जब भाजपा को जहां जहां भी सेवा करने का अवसर मिला है, हमनें पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ कर जनहित के, जनकल्याण के और विकास के कामों में सफलता पाई है। निश्चित मानदंडों पर मूल्यांकन हो जाए, देश देखेगा कि हम जनसामान्य के प्रति कितने समर्पित हैं। आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को साकार करने के लिए हम दिन रात पसीना बहाते हैं। जिन्होंने देश के लिए खून बहाया, उनका रक्त बेकार न जाए हम अपने पसीने से उनके सपनों को सींच रहे हैं। और सुशासन के लिए अच्छी योजनाओं के साथ ही उन्हें अच्छी तरह लागू करना भी जरूरी है। सरकार की योजनाओं का लाभ कितना पहुंचा, ये सुशासन का पैमाना होता है। अतीत में कांग्रेस सरकारें घोषणाएं करने में माहिर हुआ करती थी। घोषणाएं करना, , फीता काटना, दीया जलाना, अखबार मे तस्वीर छपवा देना, उनका काम वहीं पूरा हो जाता था। और उसका फायदा कभी भी लोगों को नहीं मिल पाता था। प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं प्रगति के कार्यक्रम के एनालिसिस में पुराने प्रोजेक्ट देखता हूं। मैं तो हैरान हूं 35-35, 40-40 साल पहले जिसके शिलान्यास हुए, बाद में वहां एक इंच भी काम नहीं हुआ। कांग्रेस की सरकारों की ना तो नीयत थी और ना ही उनमें योजनाओं को लागू करने की गंभीरता थी।

आज हम पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजना का लाभ देख रहे हैं। मध्य प्रदेश के किसानों को किसान सम्मान निधि के 12 हज़ार रुपए मिल रहे हैं। ये भी तभी संभव हुआ, जब जनधन बैंक खाते खुले। यहां एमपी में ही लाडली बहना योजना है। अगर हम बहनों के बैंक खाते ना खुलवाते, उनको आधार और मोबाइल से ना जोड़ते, तो क्या ये योजना लागू हो पाती? सस्ते राशन की योजना तो पहले से भी चलती थी, लेकिन गरीब को राशन के लिए भटकना पड़ता था। अब आज देखिए, गरीब को मुफ्त राशन मिल रहा है, पूरी पारदर्शिता से मिल रहा है। ये तभी हुआ, जब टेक्ऩॉलॉजी लाने के कारण, फर्ज़ीवाड़ा बंद हुआ। जब एक देश, एक राशन कार्ड जैसी देशव्यापी सुविधाएं लोगों को मिलीं।

साथियों,

सुशासन का मतलब ही यही है, कि अपने ही हक के लिए नागरिक को सरकार के सामने हाथ फैलाना ना पड़े, सरकारी दफ्तरों के चक्कर ना काटने पड़ें। और यही तो सैचुरेशन की, शत-प्रतिशत लाभार्थी को, शत-प्रतिशत लाभ से जोड़ने की हमारी नीति है। सुशासन का यही मंत्र, भाजपा सरकारों को दूसरों से अलग करता है। आज पूरा देश इसे देख रहा है, इसलिए बार-बार भाजपा को चुन रहा है।

साथियों,

जहां सुशासन होता है, वहां वर्तमान चुनौतियों के साथ ही, भविष्य की चुनौतियों पर भी काम किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्य से, देश में लंबे वक्त तक कांग्रेस की सरकारें रहीं। कांग्रेस, गवर्नमेंट पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है लेकिन गवर्नेंस का उससे छत्तीस का नाता रहा है। जहां कांग्रेस, वहां गवर्नेंस हो नहीं सकती। इसका बहुत बड़ा खामियाजा दशकों तक यहां बुंदेलखंड के लोगों ने भी भुगता है। पीढ़ी दर पीढ़ी, यहां के किसानों, यहां की माताओं-बहनों ने बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष किया है। ये हालात क्यों बने? क्योंकि कांग्रेस ने कभी जल संकट के स्थाई समाधान के बारे में सोचा ही नहीं।

साथियों,

भारत के लिए नदी जल का महत्व क्या है, इसको समझने वाले पहले लोगों में और आपको भी जब बताऊं तो आश्चर्य होगा, यहां किसी को भी पूछ लीजिए, हिन्दुस्तान में किसी को पूछ लीजिए, देश आजाद होने के बाद सबसे पहले जल शक्ति, पानी का सामर्थ्य, पानी के लिए दूरदर्शी आयोजन, इसके विषय में किसने सोचा था? किसने काम किया था? यहां मेरे पत्रकार बंधू भी जवाब नहीं दे पाएंगे। क्यों, जो सच्चाई है उसको दबा कर रखा गया, उसे छिपा कर के रखा गया और एक ही व्यक्ति को क्रेडिट देने के नशे में सच्चे सेवक को भुला दिया गया। और आज मैं बताता हूं, देश आजाद होने के बाद भारत की जलशक्ति, भारक के जल संसाधन, भारत में पानी के लिए बांधों की रचना, इन सबकी दूरदृष्टि किसी एक महापुरूष को क्रेडिट जाती है, तो उस महापुरूष का नाम है बाबा साहेब आंबेडकर। भारत में जो बड़ी नदी घाटी परियोजनाएं बनीं, इन परियोजनाओं के पीछे डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर का ही विजन था। आज जो केंद्रीय जल आयोग है, इसके पीछे भी डॉक्टर आंबेडकर के ही प्रयास थे। लेकिन कांग्रेस ने कभी जल संरक्षण से जुड़े प्रयासों के लिए, बड़े बांधों के लिए बाबा साहेब को श्रेय नहीं दिया, किसी को पता तक चलने नहीं दिया। कांग्रेस इसके प्रति कभी भी गंभीर नहीं रही। आज सात दशक बाद भी देश के अनेक राज्यों के बीच पानी को लेकर कुछ ना कुछ विवाद है। जब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, कांग्रेस का ही शासन था, तब ये विवाद आसानी से सुलझ सकते थे। लेकिन कांग्रेस की नीयत खराब थी इसलिए उसने कभी भी ठोस प्रयास नहीं किए।

साथियों,

जब देश में अटल जी की सरकार बनी तो उन्होंने पानी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए गंभीरता से काम शुरू किया था। लेकिन 2004 के बाद, उनके प्रयासों को भी जैसे ही अटल जी की सरकार गई, वो सारी योजनाए, सारे सपने, ये कांग्रेस वालों ने आते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब आज हमारी सरकार देशभर में नदियों को जोड़ने के अभियान को गति दे रही है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का सपना भी अब साकार होने वाला है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खुलेंगे। छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित मध्यप्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। अभी मैं मंच पर आ रहा था। मुझे यहां अलग अलग जिलों के किसानों से मिलने का मौका मिला, मैं उनकी खुशी देख रहा था। उनके चेहरों पर आनंद देख रहा था। उनको लगता था कि हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन बन गया है।

साथियों,

उत्तरप्रदेश में जो बुंदेलखंड का हिस्सा है, उसके भी बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिलों को फायदा होने वाला है।

साथियों,

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना है, जहां नदियों को जोड़ने के महाअभियान के तहत दो परियोजनाएं शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले ही मैं राजस्थान में था, मोहन जी ने उसका विस्तार से वर्णन किया। वहां पार्वती-कालीसिंध-चम्बल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं के माध्यम से कई नदियों का जुड़ना तय हुआ है। इस समझौते का बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को भी होने जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- जल सुरक्षा। 21वीं सदी में वही देश आगे बढ़ पाएगा, वही क्षेत्र आगे बढ़ पाएगा, जिसके पास पर्याप्त जल होगा और उचित जल प्रबंधन होगा। पानी होगा तभी खेत-खलिहान खुशहाल होंगे, पानी होगा तभी उद्योग-धंधे फलेंगे फूलेंगे, और मैं तो उस गुजरात से आता हूं, जहां के ज्यादातर हिस्सों में साल में ज्यादातर समय सूखा ही पड़ता था। लेकिन मध्य प्रदेश से निकली मां नर्मदा के आशीर्वाद ने, गुजरात का भाग्य बदल दिया। एमपी के भी सूखा प्रभावित इलाकों को पानी के संकट से मुक्त करना, मैं अपना दायित्व सझता हूं। इसलिए मैंने बुंदेलखंड की बहनों से, यहां के किसानों से वादा किया था कि आपकी मुश्किलें कम करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करुंगा। इसी सोच के तहत, बुंदेलखंड में पानी से जुड़ी करीब 45 हज़ार करोड़ रुपए की योजना हमने बनाई थी। हमने मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकारों को निरंतर प्रोत्साहित किया। और आज केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत दौधन बांध का भी शिलान्यास हो गया है। इस बांध से सैकड़ों किलोमीटर लंबी नहर निकलेगी। बांध का पानी करीब 11 लाख हेक्टेयर भूमि तक पहुंचेगा।

साथियों,

बीता दशक, भारत के इतिहास में जल-सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा। पहले की सरकारों के दौरान पानी से जुड़ी ज़िम्मेदारियां, अलग-अलग विभागों के बीच बंटी हुई थीं। हमने इसके लिए जलशक्ति मंत्रालय बनाया। पहली बार, हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरु किया गया। आज़ादी के बाद के 7 दशक में, सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही नल से जल नल कनेक्शन था। बीते 5 वर्षों में 12 करोड़ नए परिवारों तक हमने नल से जल पहुंचाया है। इस योजना पर अभी तक साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जा चुका है। जल जीवन मिशन का एक और पक्ष है जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। वो है, पानी की गुणवत्ता की जांच। पीने के पानी को टेस्ट करने के लिए देशभर में 2100 वॉटर क्वालिटी लैब बनाई गई हैं। पानी को टेस्ट करने के लिए गांवों में 25 लाख महिलाओं को ट्रेन किया गया है। इससे देश के हज़ारों गांव ज़हरीला पानी पीने की मजबूरी से मुक्त हो चुके हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, बच्चों को, लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए ये कितना बड़ा काम हुआ है।

साथियों,

2014 से पहले देश में ऐसी 100 के करीब बड़ी सिंचाई परियोजनाएं थीं, जो कई दशकों से अधूरी पड़ी हुई थीं। हम हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करवा रहे हैं। हम सिंचाई के आधुनिक तौर-तरीकों का भी उपयोग बढ़ा रहे हैं। पिछले 10 साल में करीब-करीब एक करोड़ हेक्टेयर भूमि को माइक्रो इरिगेशन की सुविधा से जोड़ा गया है। मध्य प्रदेश में भी पिछले 10 साल में करीब 5 लाख हेक्टेयर भूमि माइक्रो इरिगेशन से जुड़ी है। बूंद-बूंद पानी का सदुपयोग हो इसे लेकर लगातार काम हो रहा है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर, हर जिले में 75 अम़ृत सरोवर बनाने का अभियान भी चलाया गया। इसके तहत देशभर में 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए गए। हमने देशभर में जल शक्ति अभियान: कैच द रेन भी शुरु किया है। आज देशभर में 3 लाख से अधिक री-चार्ज वेल बन रहे हैं। और बड़ी बात ये कि इन अभियानों का नेतृत्व जनता जनार्दन खुद कर रही है, शहर हो या गांव, हर क्षेत्र के लोग इनमें बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। मध्य प्रदेश सहित देश के जिन राज्यों में भूजल स्तर सबसे कम था, वहां अटल भूजल योजना चलाई जा रही है।

साथियों,

हमारा मध्य प्रदेश, टूरिज्म के मामले में हमेशा से अव्वल रहा है। और मैं खजुराहो आया हूं और पर्यटन की चर्चा ना करुं ऐसा भला हो सकता है क्या? पर्यटन एक ऐसा सेक्टर है, जो युवाओं को रोजगार भी देता है और देश की अर्थव्यवस्था को भी ताकत देता है। अब जब भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है, तो दुनिया में भारत को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। आज दुनिया भारत को जानना चाहती है, समझना चाहती है। इसका बहुत अधिक फायदा मध्य प्रदेश को होने वाला है। हाल में एक अमेरिकी अखबार में एक रिपोर्ट छपी है। हो सकता है मध्य प्रदेश के अखबारों में भी आपको नजर आई हो। अमेरिका के इस अखबार में छपी खबर में लिखा गया है कि मध्य प्रदेश को दुनिया के दस सबसे आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक बताया गया है। दुनिया के टॉप 10 में एक मेरा मध्य प्रदेश। मुझे बताइये हर मध्य प्रदेश वासी को खुशी होगी कि नहीं होगी? आपका गौरव बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? आपका सम्मान बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? आपके यहां टूरिज्म बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? गरीब से गरीब को रोजगार मिलेगा कि नहीं मिलेगा?

साथियों,

केंद्र सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है कि देश और विदेश के सभी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ें, यहां आना-जाना आसान हो। विदेशी पर्यटकों के लिए हमने ई-वीज़ा जैसी योजनाएं बनाई हैं। भारत में जो हैरिटेज और वाइडलाइफ टूरिज्म है, उसको विस्तार दिया जा रहा है। यहां मध्य प्रदेश में तो इसके लिए अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। खजुराहो के इस क्षेत्र में ही देखिए, यहां इतिहास की, आस्था की, अमूल्य धरोहरें हैं। कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर अनेक आस्था स्थल हैं। भारत के पर्यटन का प्रचार करने के लिए हमने देशभर में जी-20 की बैठकें रखी थीं। एक बैठक यहां खजुराहो में भी हुई थी। इसके लिए, खजुराहो में एक अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र भी बनाया गया।

साथियों,

केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश को सैकड़ों करोड़ रुपए दिए गए हैं। ताकि यहां इको टूरिज्म सुविधाओं का, पर्यटकों के लिए नई सुविधाओं का निर्माण हो सके। आज साँची और अन्य बौद्ध स्थलों को बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है। गांधीसागर, ओंकारेश्वर डेम, इंदिरा सागर डेम, भेड़ा घाट, बाणसागर डेम, ये इको सर्किट का हिस्सा हैं। खजुराहो, ग्वालियर, ओरछा, चंदेरी, मांडू, ऐेसे स्थलों को हेरिटेज सर्किट के रूप में कनेक्ट किया जा रहा है। पन्ना नेशनल पार्क को भी वाइल्डलाइफ सर्किट से जोड़ा गया है। बीते वर्ष तो पन्ना टाइगर रिजर्व में ही करीब ढाई लाख पर्यटक आए हैं। मुझे खुशी है कि यहां जो लिंक नहर बनाई जाएगी, उसमें पन्ना टाइगर रिजर्व के जीवों का भी ध्यान रखा गया है।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने के ये सारे प्रयास, स्थानीय अर्थव्यस्था को बड़ी ताकत देते हैं। जो पर्यटक आते हैं, वे भी यहां का सामान खरीदते हैं। यहां ऑटो, टैक्सी से लेकर होटल, ढाबे, होम स्टे, गेस्ट हाउस, सभी को फायदा पहुंचाता हैं। इससे किसान को भी बहुत फायदा होता है, क्योंकि दूध-दही से लेकर फल-सब्जी तक हर चीज के उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं।

साथियों,

बीते दो दशकों में मध्य प्रदेश ने अनेक पैमानों में शानदार काम किया है। आने वाले दशकों में मध्य प्रदेश, देश की टॉप इक़ॉनॉमीज में से एक होगा। इसमें बुंदेलखंड की बहुत बड़ी भूमिका होगी। विकसित भारत के लिए विकसित मध्य प्रदेश बनाने में बुंदेलखंड का रोल अहम होगा। मैं आप सभी को भरोसा देता हूं डबल इंजन की सरकार इसके लिए ईमानदारी से प्रयास करती रहेगी। एक बार फिर, आप सभी को, ढेर सारी शुभकामनाएं। ये आज का कार्यक्रम है ना, इतना बड़ा कार्यक्रम, इस कार्यक्रम का मतलब मैं समझता हूं। इतन बड़ी संख्या में माताओं बहनों का आने का मतलब समझता हूं। क्योंकि ये पानी से जुड़ा काम है और हर जीवन से जुड़ा हुआ होता है पानी और ये आशीर्वाद देने के लिए लोग आए हैं ना, उसका मूल कारण पानी है, पानी के लिए काम कर रहे हैं और आपके आशीर्वाद से हम इन कामों को निरंतर करते रहेंगे, मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!