मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूं, मुझे विलम्‍ब हुआ, आपको बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी। लेकिन नागपुर हवाई अड्डे पर इतनी तेज बारिश थी, यहां पहुंचने का कोई रास्‍ता ही नहीं मिल रहा था। आखिरकार आप लोगों की बात वरूण देवता ने सुन ली और बारिश रूक गई और इसके कारण, मैं आप सबके बीच पहुंच पाया।

किसी भी देश में अगर विकास करना है तो सबसे पहले प्राथमिकता देनी होती है, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को। और अगर, समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने में हम सफल होते हैं, तो विकास की संभावनाएं अपने आप बढ़ जाती है। और उसमें भी सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है बिजली की। आज टेक्‍नोलोजी का युग है, किसान भी अपने खेत में हर प्रकार के काम के लिए बिजली का उपयोग करता है। पहले तो शायद, या तो दीपक जलाने के लिए या जमीन में से पानी निकालने के लिए वह बिजली का उपयोग करता था। लेकिन आज कृषि क्षेत्र में भी बहुत बड़ी मात्रा में बिजली से चलने वाले साधनों का उपयोग होता है। ग्रामीण जीवन में भी अगर क्‍वालिटी ऑफ लाइफ में चेंज लाना है तो बिजली से शुरूआत होती है।

आज गांव में, डॉक्‍टर रात में रूकने को तैयार नहीं, शिक्षक गांव में रुकने को तैयार नहीं, पटवारी गांव में रुकने को तैयार नहीं। वो शाम को दफ्तर बंद करके शहर चला जाता है। इनके मुसीबत का कारण क्‍या है? अगर गांव में बिजली है, पंखा चलता है, एसी चलता है, टी. वी. चलता तो उसको रात को रुकने का मन करता है। और रात को रुकता है तो धीरे-धीरे गांव से उसका लगाव होता है। गांव के सुख-दुख का वह साथी बन जाता है। इसलिए बिजली जितनी जल्‍दी हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में पहुंचे यह हमारी प्राथमिकता है। आजादी के इतने सालों के बाद भी जहां बिजली है, वहां भी 24 घंटे बिजली नहीं मिलती है। कहीं 4 घंटे मिलती है, कहीं 6 घंटे कहीं, कहीं 8 घंटे और कहीं 10 घंटे बिजली मिलती है। अब मुझे बताइए कि क्‍या 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिजली का उत्‍पादन नहीं होगा तो बिजली मिलेगी कहां से? अगर बिजली के कारखाने नहीं लगेंगे तो बिजली आएगी कहां से? इसलिए आपने देखा होगा, मेरी नई सरकार बनने के बाद मैंने सर्वाधिक जो कार्यक्रम किए हैं, वो बिजली से जुड़े हुए कार्यक्रम किए हैं।

मैं भूटान गया तो; भूटान में बहुत पानी है। उस पानी के माध्‍यम से बिजली पैदा करना, सस्‍ती बिजली पैदा करने की संभावना है। भूटान में जाकर वो काम किया, उनसे योजना आगे बढ़ाई। अभी नेपाल गया तो नेपाल में भी हिमालय की नदियां बहुत हैं, उनमें से बिजली पैदा हो सकती है। बिजली के काम को वहां गति देने के लिए वहां की सरकार से विस्‍तार से बातें की। जम्‍मू-कश्‍मीर गया वहां भी पानी की संभावना है। वहां पर बिजली की चिंता की। क्‍लीन एनर्जी, ये जितनी संभावनाएं बनती हैं, उन सारों को टैप करने का प्रयास है। आखिरकार कोशिश यह है कि आने वाले कुछ वर्षों में हिन्‍दुस्‍तान के हर गांव में हर गरीब से गरीब के परिवार को भी 24 घंटे बिजली पहुंचाना है। और जब बिजली आती है तो सिर्फ अंधेरा जाता है- ऐसा नहीं है। सिर्फ टी. वी. पर सीरियल देखने को मिलती है ऐसा नहीं हैं। बिजली आती है तो उसके साथ उद्योग भी आते हैं। रोजगार की संभावनाएं पैदा होती है। अपने इस क्षेत्र में आज 1000 मेगावाट बिजली का कारखाना राष्‍ट्र को समर्पित हो रहा है, लेकिन साथ-साथ 1320 मेगावाट बिजली नई उत्‍पादन का एक और कारखाना लगाने का शिलान्‍यास भी हो रहा है और इसके कारण विदर्भ के पूरे क्षेत्र में बिजली प्राप्‍त होना सरल हो जाएगा।

जब मैं यहां चुनाव के दिनों में यहां आया था, मैं यवतमाल इलाके में गया था, जब हमारे किसान भाई आत्‍महत्‍या करते हैं ,उनके परिवारों में गया था, हजारों किसानों को आत्‍महत्‍या करनी पड़े, इससे बड़ी कोई पीड़ा नहीं हो सकती। और जब मैंने वहां पूछा तो कई किसानों ने मुझे बताया कि उनके यहां पानी 20-25 मीटर नीचे है। ज्‍यादा नहीं 20-25 मीटर। लेकिन बिजली न होने के कारण पानी का कोई प्रबंध नहीं है और उनके कारण अकाल की नौबत आती है। किसान कर्जदार बन जाता है और किसान को आत्‍महत्‍या की नौबत आती है। अगर ये बिजली हम पहुंचाते हैं तो जिन किसानों को अपनी खेती में बिजली की आवश्‍यकता है। उनको आवश्‍यक बिजली मिले, कम दामों में मिले, और कभी उसको अकाल के संकट से गुजरने की नौबत आये तो इन बिजली के द्वारा निकाले गये पानी के माध्‍यम से वो अपना साल भर का गुजारा कर सकता है और इसलिए बिजली, वो सिर्फ सुख वैभव का साधन नहीं है। बिजली विकास के लिए पर्याय बन गई है।

हमारी सरकार का यह प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में जहां-जहां बिजली उत्‍पादन की संभावनाएं हैं। चाहे विन्‍ड एनर्जी की हो, सोलर एनर्जी हो, कोयले से पैदा एनर्जी हो, गैस से पैदा होने वाली एनर्जी हो, इतना ही नहीं शहरों में अगर कूड़े-कचरे से अगर बिजली पैदा होती हो तो उसको भी करना है। लिग्‍नाइट से पैदा होती हों तो उसे भी करना है। ऊर्जा के जितने स्रोत हैं उन सारे स्रोतों का उपयोग करते हुए और हो सके उतना ज्‍यादा क्‍लीन एनर्जी की तरफ जाने का हमारा प्रयास है। हमारे देश में सौर ऊर्जा बहुत बड़ी मात्रा में है। सौर ऊर्जा से निकली हुई बिजली एक जमाने में बहुत महंगी थी। लेकिन अब उसमें काफी सुधार हुआ है। अब वो इतनी महंगी नहीं पड़ती, जितना पहले कभी सोचा जाता था। और अल्‍टीमेटली, वो सस्‍ती पड़ती है क्‍योंकि फ्यूल की कोई जरूरत नहीं पड़ती। और ये पूरे देश में सोलर एनर्जी का भी जाल बिछाने का इस सरकार का इरादा है, और इतना ही नहीं एक दिन वो आ सकता है, कि जब हम, रूफ टॉप पर लगाकर हर परिवार अपने छत पर अपनी जरूरत की बिजली पैदा कर सके। सोलर एनर्जी के द्वारा पैदा कर सके बिजली का खर्चा बच जाए, यहां तक इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों ने प्रयोग सफल किये हैं, भारत जैसा देश जिसके पास इतनी सूर्य शक्ति हो उस सूर्य शक्ति का हम भरपूर उपयोग करना चाहते हैं। हमारे यहां शास्‍त्रों में सूर्य भगवान की कल्‍पना सात घोड़े के रथ पर सवार की गई है। उसके चित्र भी बनते हैं कि सूर्य भगवान सात घोड़े के रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान ऊर्जा का प्रतीक है। और ये जो सात घोड़े हैं न, आज के जमाने में नये रूप में देखता हूं मैं उनको। ये ऊर्जा के सात स्रोत हैं- कोयला है, गैस है, पानी है, लिगनाईट है, सोलर है, विन्‍ड है, कूड़ा-कचरा है। इसमें से बिजली पैदा हो सकती है। इन सातों घोड़ों से ये सूर्य का रथ चल सकता है, ऊर्जा का रथ चल सकता है और इस काम को करने की दिशा में हम प्रयासरत हैं।

मैं आज जब विदर्भ में आया हूं, और किसानों की आत्‍महत्‍या को मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। सरकार ने एक योजना, मैंने 15 अगस्‍त को लाल किले से उसकी घोषणा की थी- प्रधानमंत्री जन धन योजना। ये प्रधानमंत्री जन धन योजना का लाभ सबसे ज्‍यादा हमारे किसान ले सकते हैं। अब ये किसान को आत्‍महत्‍या करने की नौबत इसलिए आती है कि वो साहूकार से कर्ज लेता है और साहूकार से कर्ज लेने के कारण जब कर्ज चुका नहीं पाता है, तो ब्‍याज के संकटों के कारण आखिरकार वो मौत के लिए खुद को तैयार कर लेता है।

ये प्रधानमंत्री जन धन योजना के द्वारा हर परिवार का बैंक एकाउंट खोलने का हमारा प्रयास है और मेरा भी आग्रह है आप सबको। 28 तारीख को ये योजना प्रारंभ होगी। आप सबके परिवार का अगर बैंक एकाउंट नहीं है, तो बैंक एकाउंट खोल दीजिए। और अगर आप बैंक एकाउंट खोलेंगे तो बैंक की तरफ से आपको एक डैबिट कार्ड मिलेगा और उसके साथ ही आपके परिवार के लिए एक लाख रूपये का इंश्‍योरेंस भारत सरकार निकालेगी। एक लाख रूपये का बीमा उसके साथ आपका बन जाएगा। इसके कारण एक सुरक्षा की गारंटी बनेगी। और इसलिए मैं किसान भाईयों से, विशेष कर के विदर्भ के हमारे किसान भाइयों से आग्रह करता हूं कि साहूकारों के चक्‍कर से मुक्ति के लिए, ये प्रधानमंत्री जन धन योजना जो मुख्‍य रूप से गरीबों के लिए है, आप अपना खाता खोलिए और आप ही अपना भाग्‍यविधाता बनिए। ये योजना उसी काम के लिए आने वाली है।

इस बार बजट आपने देखा होगा, सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की घोषणा की है। इन इन्‍फ्रास्‍टक्‍चर का एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र ये भी है। जिस प्रकार से रोड को गांवों को जोड़ा जाता है, उसी प्रकार से पानी की व्‍यवस्‍था खेतों तक पहुंचाने का प्रबंध भी होना चाहिए। और हमारे देश का किसान इतना ताकतवर है एक बार उसको अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत हमारा किसान रखता है। इसलिए हर क्षेत्र में पानी कैसे पहुंचे, पानी बचाने का काम कैसे हो, जल संचय भी अच्‍छी तरह हो, जल सिंचन भी अच्‍छी तरह हो। उस पर बल देकर के हमारी कृषि को आज जो संकटों के घेरे में रहती है, आशंका के बादल छाये रहते हैं, बारिश हुई तो किसान के लिए जिंदगी ठीक, बारिश नहीं हुई तो किसान को मुसीबत। ये जो स्थिति है, उसमें से कुछ एश्‍योरेंस की स्थिति बने। इस दिशा में प्रयास दिल्‍ली में बैठी हुई भारत सरकार का है। और इसलिए किसान को बिजली मिले, किसान को पानी मिले।

गांवों के जीवन में भी बदलाव लाना है, बहुत तेजी से दुनिया बदल रही है। हमने डिजिटल इंडिया की बात कही है। हम जानते हैं कि शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिसके पास मोबाईल फोन न हो। मोबाइल फोन की हमें इतनी आदत हो गई है, अगर घंटा दो घंटा बैटरी डिसचार्ज हो जाए तो हम परेशान हो जाते हैं जैसे हम ही डिसचार्ज हो गये हों। मन से एकदम असंतुलित हो जाते हैं। और कनेक्टिविटी नहीं मिलती है तो भी परेशान हो जाते हैं। उस टेक्‍नोलोजी का हमारे जीवन से इतना जुड़ाव हो गया है। इसलिए टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से शासन व्‍यवस्‍थाओं को सुचारू रूप से चलाने में बहुत बड़ी मदद मिल सकती है। उसी मदद के हेतु डिजिटल इंडिया के द्वारा आपके मोबाइल फोन में ही आपकी सरकार क्‍यों न हो? आपकी सरकार आपकी हथेली में क्‍यों न हो। ये काम मुश्किल नहीं है। बड़ा देश है पूरा करना एक दिन में संभव नहीं होता लेकिन काम संभव है। और इसलिए भाईयों और बहनों उस काम को करने का संकल्‍प भी हमने किया है, जिसकी हमने शुरूआत कर दी है।

आज जब मैं, बिजली के इस कार्यक्रम के लिए आया हूं, तब सरकार का काम है, बिजली उत्‍पादन हो। सरकार का काम है बिजली उत्‍पादन करने वालों को कोयला मिले, गैस मिले, जो आवश्‍यक ईंधन हैं, फ्यूल हैं वो मिले। लेकिन नागरिकों के नाते हमारी, भी जिम्‍मेदारी है। और वो है, बिजली बचाना। आज अगर हमारा सौ रूपये का बिल आता है तो हमें तय करना चाहिए कि अगले महीने का बिल 90 रूपये का कैसे आये। दस रूपये कैसे बचायें। अगर दस रुपये बचाएंगे तो बच्‍चों के लिए दूध ला सकते हैं। ये सब संभव है। थोड़ा सा जागरूता से प्रयास करना पड़ता है। और अगर हम सब नागरिक बिजली बचाने का काम करें तो, बिजली उत्‍पादन करने में जितना खर्च लगता है, उससे ज्‍यादा देशभक्ति का काम बिजली बचाकर करके भी हो सकता है। और बिजली बचाना ये कोई उपकार नहीं है। हम ‍बिजली बचाते हैं तो हमारा खर्चा भी बचता है, हमारा बिल भी कम आता है। परिवार को लाभ होता है। देश को भी लाभ होता है। और इसलिए मैं सभी नागरिक भाई-बहनों से सार्वजनिक रूप से आग्रह करता हूं कि आप घर में सब परिवार के लोग बैठकर तय करो कि अगले महीने हमारे बिजली के बिल में कितनी कमी लानी चाहिए। कोई दस रुपये तय करें कोई 20 रुपये तय करें कोई 25 रुपये तय करें कोई 50 रुपये करें और अगले महीने का जब बिल आये तो परिवार के लोग बैठ करके चर्चा करें कि भई, तय किया था दस रुपये बिल कम करेंगे वो नहीं हुआ। आठ रुपये कम हुआ। क्‍या कमी रह गई। परिवार में एक चर्चा स्‍वभाव बनना चाहिए। बिजली के अलग बजट पर चर्चा होनी चाहिए परिवार में। और मैं तो स्‍कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी कहता हूं, टीचर्स को भी कहता हूं, वो बच्‍चों को शिक्षा दें कि हर बच्‍चा अपने घर में अपने परिवार के माता-पिता बड़े भाई जो भी हों, उनसे शपथ लें कि अपने घर में हम बिजली बचाएंगे। एक बार बिजली बचाने का माहौल बन गया तो जीवन बदल जाता है।

हमें बिजली की आदत इतनी हो गई है कि पूर्णिमा का जो पूर्ण चांद होता है उस चांद की शीतलता क्‍या होती है, वो हम भूल गये है। अरे कभी तो पूर्णिमा की रात को बिजली बंद करके देखो तो सही आसमान में, बिजली भी बचेगी और चंद्रमा शीतलता का अनुभव भी होगा। एक सहज स्‍वभाव हम कैसे बनाएं और अगर सहज स्‍वभाव बनाते हैं, तो हम राष्‍ट्र की सेवा में काम आ सकते हैं और इसलिए मैं भाईयों और बहनों, आपसे आग्रह करता हूं कि हम सब विकास की ओर कोई न कोई कदम उठायें। हमारी आने वाली पीढी को अगर रोजगार दिलाना है, उनको सुख चैन की जिंदगी जीने की व्‍यवस्‍था हमें करनी है, तो विकास की राह पर हमें चलना आज से ही शुरू करना पड़ेगा। विकास का एक ही मंत्र लेकर हम चलेंगे। आप देखिए, देखते-देखते ही बदलाव शुरू हो जाएगा।

आज किसान भी, उसके अगर तीन बेटे हैं तो क्‍या योजना करता है। वो योजना ये करता है, कि चलो ये छोटे वाला बेटा खेती संभालेगा। लेकिन दो बेटे शहर में जाएंगे नौकरी करेंगे। किसान भी अपने तीन बेटे में से दो बेटों को नौकरी के लिए भेजता है। क्‍योंकि उसको लगता है कि परिवार चलाना है तो नौकरी के लिए जाना पड़ेगा। इसका मतलब रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी पड़ेगी। और रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी हैं तो वह औद्योगिक विकास के द्वारा होगा। ये बिजली के माध्‍यम से इस क्षेत्र में छोटे-छोटे कारखाने लगे। यहां के नौजवान खुद कोई उत्‍पादन के क्षेत्र में जाएं। मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में जाएं। इतना ही नहीं, गांव में तो कृषि आधारित उद्योग भी शुरू किये जा सकते हैं। जिसके कारण किसान को भी लाभ होगा। उद्योग आएगा तो रोजगार भी बढ़ेगा। इसलिए कृषि आधारित रोजगार उद्योग और उसके आधार पर ग्रामीण नौजवान को रोजगार इस काम के लिए हम बिजली का उपयोग कैसे करें। आज जो काम हम स्‍थानीय कुम्‍हार है, वो मिट्टी का काम करता है, लेकिन अगर बिजली से चलने वाला यंत्र उसको मिल गया तो अपना कुम्‍हारी काम में पहले दस रुपये का काम करता था अब सौ रुपये का काम करने लग जाएगा। टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करके उसका उत्‍पादन बढ़ेगा। उसकी क्‍वालिटी भी बढ़ेगी। हरेक क्षेत्र में हम कैसे आगे बढ़ें, हम उत्‍पादन ज्‍यादा कैसे दें और देश की आर्थिक विकास यात्रा में एक नागरिक के नाते हम भी भागीदार बने उसी दायित्‍व को लेकर के अगर हम चलेंगे तो मुझे विश्‍वास है, देश को आगे बढ़ाने का जो हमारा सपना है, सवा सौ करोड़ देशवासी उन सपनों को जरूर साकार कर पाएंगे। ये मेरा विश्‍वास है।

इतनी बड़ी संख्‍या में आप लोगों का आना ये छोटी बात नहीं है। ये एनटीपीसी वालों ने, बिजली के कई कार्यक्रम पहले भी किये होंगे। कई उद्घाटन भी किये होंगे। लेकिन शायद, इतनी बड़ी संख्‍या में लोगों को कभी देखा नहीं होगा। ये जन-सैलाब यहां है इसका कारण क्‍या है। उसका कारण साफ है, देश की जनता को विकास चाहिए और जहां भी विकास की बात होगी, मैं विश्‍वास से कहता हूं कि देश की जनता इसी प्रकार से जुड़ जाएगी। देश की जनता विकास के लिए ज्‍यादा प्रतीक्षा करने को तैयार नहीं है। ये जन सैलाब इस बात का प्रतीक है कि उसको एक मात्र काम में विश्‍वास है, विकास। और इसलिए भाईयों-बहनों विकास की दिशा में हमें आगे बढ़ना है।

आज देश में जब भी कहीं जाते हैं तो समान्‍य मानव को एक बात की चिढ़ है, गुस्‍सा है, दु:ख है, पीड़ा है, और वो है भ्रष्‍टाचार। भ्रष्‍टाचार ने हमारे देश को तबाह करके रखा हुआ है। और हालत ये बन गई है, कि कुछ लोगों के जीवन में भ्रष्‍टाचार, शिष्‍टाचार बन गया है। देशवासीयो आईए, मैं इस काम को करना चाहता हूं। मेरी मदद कीजिए। ये बीमारी देश से निकालनी है और निकाली जा सकती है। और एक बार अगर समाज मेरे साथ जुड़ गया मैं नहीं मानता हूं कि किसी ताकत है कि अब ये पाप करने की हिम्‍मत करेगा। ये भ्रष्‍टाचार के खिलाफ बोलने से कई लोगों को जरा परेशानी होती है। लेकिन कितने दिन तक हम चीजों को छिपाकर रखेंगे। आप मुझे बताइए पाप है या नहीं ये हमारे घरों में। हमारे देश में, हमारे समाज में, पाप है कि नहीं, भईया ? बताइए है या नहीं है ? तो कब तक छिपाकर रखेंगे ? इस पाप से हमें मुक्ति पानी है और हम सबने मिलकर के इस दिशा में कदम उठाना है। हम सबका सहयोग होगा तो, मैं नहीं मानता भ्रष्‍टाचारी कुछ कर सकते हैं, भाइयों। ये अलग-थलग पड़ जाएंगे। अब उनको भी लगना पड़ेगा कि समाज की सोच बदल चुकी है। हम भी अब सीधी लाइन में चलें। पहले जितना पाप किया कर लिया कि अब हमें पाप करने का अवसर नहीं मिलेगा ये बात हमें करनी होगी।

पूरे देश में ये एक अलख जगानी है, इन चीजों पर हमने सफलता पानी है अगर जनता का सहयोग मिलता है, ये काम कठिन नहीं है। ये बीमारी ज्‍यादा मुश्किल काम नहीं है और मेरा विश्‍वास है, इन स्थितियों को प्राप्‍त किया जा सकता है। आपके आशीर्वाद से इस बीमारी से भी देश को मुक्ति दिलाने में हम सफल होंगे। हम महाराष्‍ट्र के अंदर संकल्‍प करें, इस बीमारी से हमें मुक्ति लानी है। हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में बात पहुंच जाएगी क्‍योंकि महाराष्‍ट्र तो है, जहां से लोक मान्‍य तिलक जी ने कहा था – ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है’। वही तो महाराष्‍ट्र कहता है, ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है’। उस बात को हम लेकर चलें ।

फिर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद। मेरे साथ पूरी ताकत के साथ बोलिए

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

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हमारी सरकार की नीयत, नीतियां और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा के साथ सशक्त बना रहे हैं: पीएम
January 04, 2025
हमारा विजन गांवों को विकास और अवसर के जीवंत केंद्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है: प्रधानमंत्री
हमने हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी के लिए अभियान शुरू किया है: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार की नीयत, नीतियां और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा के साथ सशक्त बना रहे हैं: प्रधानमंत्री
आज, भारत सहकारी संस्थाओं के जरिए समृद्धि हासिल करने में लगा हुआ है: प्रधानमंत्री

मंच पर विराजमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी, वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी जी, यहां उपस्थित, नाबार्ड के वरिष्ठ मैनेजमेंट के सदस्य, सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्य,कॉपरेटिव बैंक्स के सदस्य, किसान उत्पाद संघ- FPO’s के सदस्य, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

आप सभी को वर्ष 2025 की बहुत बहुत शुभकामनाएँ। वर्ष 2025 की शुरुआत में ग्रामीण भारत महोत्सव का ये भव्य आयोजन भारत की विकास यात्रा का परिचय दे रहा है, एक पहचान बना रहा है। मैं इस आयोजन के लिए नाबार्ड को, अन्य सहयोगियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

हममें से जो लोग गाँव से जुड़े हैं, गाँव में पले बढ़े हैं, वो जानते हैं कि भारत के गाँवों की ताकत क्या है। जो गाँव में बसा है, गाँव भी उसके भीतर बस जाता है। जो गाँव में जिया है, वो गाँव को जीना भी जानता है। मेरा ये सौभाग्य रहा कि मेरा बचपन भी एक छोटे से कस्बे में एक साधारण परिवेश में बीता! और, बाद में जब मैं घर से निकला, तो भी अधिकांश समय देश के गाँव-देहात में ही गुजरा। और इसलिए, मैंने गाँव की समस्याओं को भी जिया है, और गाँव की संभावनाओं को भी जाना है। मैंने बचपन से देखा है, कि गाँव में लोग कितनी मेहनत करते रहे हैं, लेकिन, पूंजी की कमी के कारण उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते थे। मैंने देखा है, गाँव में लोगों की कितने यानी इतनी विविधताओं से भरा सामर्थ्य होता है! लेकिन, वो सामर्थ्य जीवन की मूलभूत लड़ाइयों में ही खप जाता है। कभी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नहीं होती थी, कभी बाज़ार तक पहुँच न होने के कारण फसल फेंकनी पड़ती थी, इन परेशानियों को इतने करीब से देखने के कारण मेरे मन में गाँव-गरीब की सेवा का संकल्प जगा, उनकी समस्याओं के समाधान की प्रेरणा आई।

आज देश के ग्रामीण इलाकों में जो काम हो रहे हैं, उनमें गाँवों के सिखाये अनुभवों की भी भूमिका है। 2014 से मैं लगातार हर पल ग्रामीण भारत की सेवा में लगा हूँ। गाँव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना, ये सरकार की प्राथमिकता है। हमारा विज़न है भारत के गाँव के लोग सशक्त बने, उन्हें गाँव में ही आगे बढ़ने के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें, उन्हें पलायन ना करना पड़े, गांव के लोगों का जीवन आसान हो और इसीलिए, हमने गाँव-गाँव में मूलभूत सुविधाओं की गारंटी का अभियान चलाया। स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हमने घर-घर में शौचालय बनवाए। पीएम आवास योजना के तहत हमने ग्रामीण इलाकों में करोड़ों परिवारों को पक्के घर दिए। आज जल जीवन मिशन से लाखों गांवों के हर घर तक पीने का साफ पानी पहुँच रहा है।

साथियों,

आज डेढ़ लाख से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर विकल्प मिल रहे हैं। हमने डिजिटल टेक्नालजी की मदद से देश के बेस्ट डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स को भी गाँवों से जोड़ा है। telemedicine का लाभ लिया है। ग्रामीण इलाकों में करोड़ों लोग ई-संजीवनी के माध्यम से telemedicine का लाभ उठा चुके हैं। कोविड के समय दुनिया को लग रहा था कि भारत के गाँव इस महामारी से कैसे निपटेंगे! लेकिन, हमने हर गाँव में आखिरी व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाई।

साथियों,

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है कि गांव में हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियां बनें। मुझे खुशी है कि पिछले 10 साल में हमारी सरकार ने गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं, निर्णय लिए हैं। दो-तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने पीएम फसल बीमा योजना को एक वर्ष अधिक तक जारी रखने को मंजूरी दे दी। DAP दुनिया, में उसका दाम बढ़ता ही चला जा रहा है, आसमान को छू रहा है। अगर वो दुनिया में जो दाम चल रहे हैं, अगर उस हिसाब से हमारे देश के किसान को खरीदना पड़ता तो वो बोझ में ऐसा दब जाता, ऐसा दब जाता, किसान कभी खड़ा ही नहीं हो सकता। लेकिन हमने निर्णय किया कि दुनिया में जो भी परिस्थिति हो, कितना ही बोझ न क्यों बढ़े, लेकिन हम किसान के सर पर बोझ नहीं आने देंगे। और DAP में अगर सब्सिडी बढ़ानी पड़ी तो बढ़ाकर के भी उसके काम को स्थिर रखा है। हमारी सरकार की नीयत, नीति और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा से भर रहे हैं। हमारा मकसद है कि गांव के लोगों को गांव में ही ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद मिले। गांव में वो खेती भी कर पाएं और गांवों में रोजगार-स्वरोजगार के नए मौके भी बनें। इसी सोच के साथ पीएम किसान सम्मान निधि से किसानों को करीब 3 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई है। पिछले 10 वर्षों में कृषि लोन की राशि साढ़े 3 गुना हो गई है। अब पशुपालकों और मत्स्य पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है। देश में मौजूद 9 हजार से ज्यादा FPO, किसान उत्पाद संघ, उन्हें भी आर्थिक मदद दी जा रही है। हमने पिछले 10 सालों में कई फसलों पर निरंतर MSP भी बढ़ाई है।

साथियों,

हमने स्वामित्व योजना जैसे अभियान भी शुरू किए हैं, जिनके जरिए गांव के लोगों को प्रॉपर्टी के पेपर्स मिल रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में, MSME को भी बढ़ावा देने वाली कई नीतियां लागू की गई हैं। उन्हें क्रेडिट लिंक गारंटी स्कीम का लाभ दिया गया है। इसका फायदा एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीण MSME को भी मिला है। आज गांव के युवाओं को मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं से ज्यादा से ज्यादा मदद मिल रही है।

साथियों,

गांवों की तस्वीर बदलने में को-ऑपरेटिव्स का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज भारत सहकार से समृद्धि का रास्ता तय करने में जुटा है। इसी उद्देश्य से 2021 में अलग से नया सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। देश के करीब 70 हजार पैक्स को कंप्यूटराइज्ड भी किया जा रहा है। मकसद यही है कि किसानों को, गांव के लोगों को अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिले, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो।

साथियों,

कृषि के अलावा भी हमारे गाँवों में अलग-अलग तरह की पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े हुए कितने ही लोग काम करते हैं। अब जैसे लोहार है, सुथार है, कुम्हार है, ये सब काम करने वाले ज़्यादातर लोग गाँवों में ही रहते आए हैं। रुरल इकॉनमी, और लोकल इकॉनमी में इनका बहुत बड़ा contribution रहा है। लेकिन पहले इनकी भी लगातार उपेक्षा हुई। अब हम उन्हें नई नई skill, उसमे ट्रेन करने के लिए, नए नए उत्पाद तैयार करने के लिए, उनका सामर्थ्य बढ़ाने के लिए, सस्ती दरों पर मदद देने के लिए विश्वकर्मा योजना चला रहे हैं। ये योजना देश के लाखों विश्वकर्मा साथियों को आगे बढ़ने का मौका दे रही है।

साथियों,

जब इरादे नेक होते हैं, नतीजे भी संतोष देने वाले होते हैं। बीते 10 वर्षों की मेहनत का परिणाम देश को मिलने लगा है। अभी कुछ दिन पहले ही देश में एक बहुत बड़ा सर्वे हुआ है और इस सर्वे में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। साल 2011 की तुलना में अब ग्रामीण भारत में Consumption खपत, यानी गांव के लोगों की खरीद शक्ति पहले से लगभग तीन गुना बढ़ गई है। यानी लोग, गांव के लोग अपने पसंद की चीजें खरीदने में पहले से ज़्यादा खर्च कर रहे हैं। पहले स्थिति ये थी कि गांव के लोगों को अपनी कमाई का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा, आधे से भी ज्यादा हिस्सा खाने-पीने पर खर्च करना पड़ता था। लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि ग्रामीण इलाकों में भी खाने-पीने का खर्च 50 प्रतिशत से कम हुआ है, और, और जीवन की चीजें खरीदने ती तरफ खर्चा बढ़ा है। इसका मतलब लोग अपने शौक की, अपनी इच्छा की, अपनी आवश्यकता जी जरूरत की और चीजें भी खरीद रहे हैं, अपना जीवन बेहतर बनाने पर खर्च कर रहे हैं।

साथियों,

इसी सर्वे में एक और बड़ी अहम बात सामने आई है। सर्वे के अनुसार शहर और गाँव में होने वाली खपत का अंतर कम हुआ है। पहले शहर का एक प्रति परिवार जितना खर्च करके खरीद करता था और गांव का व्यक्ति जो कहते है बहुत फासला था, अब धीरे-धीरे गांव वाला भी शहर वालो की बराबरी करने में लग गया है। हमारे निरंतर प्रयासों से अब गाँवों और शहरों का ये अंतर भी कम हो रहा है। ग्रामीण भारत में सफलता की ऐसी अनेक गाथाएं हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं।

साथियों,

आज जब मैं इन सफलताओं को देखता हूं, तो ये भी सोचता हूं कि ये सारे काम पहले की सरकारों के समय भी तो हो सकते थे, मोदी का इंतजार करना पड़ा क्या। लेकिन, आजादी के बाद दशकों तक देश के लाखो गाँव बुनियादी जरूरतों से वंचित रहे हैं। आप मुझे बताइये, देश में सबसे ज्यादा SC कहां रहते हैं गांव में, ST कहां रहते हैं गांव में, OBC कहां रहते हैं गांव में। SC हो, ST हो, OBC हो, सामज के इस तबके के लोग ज्यादा से ज्यादा गांव में ही अपना गुजारा करते हैं। पहले की सरकारों ने इन सभी की आवश्यकताओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। गांवों से पलायन होता रहा, गरीबी बढ़ती रही, गांव-शहर की खाई भी बढ़ती रही। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। आप जानते हैं, पहले हमारे सीमावर्ती गांवों को लेकर क्या सोच होती थी! उन्हें देश का आखिरी गाँव कहा जाता था। हमने उन्हें आखिरी गाँव कहना बंद करवा दिया, हमने कहा सूरज की पहली किरण जब निकलती है ना, तो उस पहले गांव में आती है, वो आखिरी गांव नहीं है और जब सूरज डूबता है तो डूबते सूरज की आखिरी किरण भी उस गांव को आती है जो हमारी उस दिशा का पहला गांव होता है। और इसलिए हमारे लिए गांव आखिरी नहीं है, हमारे लिए प्रथम गांव है। हमने उसको प्रथम गाँव का दर्जा दिया। सीमांत गांवों के विकास के लिए Vibrant विलेज स्कीम शुरू की गई। आज सीमांत गांवों का विकास वहां के लोगों की आय बढ़ा रहा है। यानि जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है। हमने आदिवासी आबादी वाले इलाकों के विकास के लिए पीएम जनमन योजना भी शुरू की है। जो इलाके दशकों से विकास से वंचित थे, उन्हें अब बराबरी का हक मिल रहा है। पिछले 10 साल में हमारी सरकार द्वारा पहले की सरकारों की अनेक गलतियों को सुधारा गया है। आज हम गाँव के विकास से राष्ट्र के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि, 10 साल में देश के करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। और इनमें सबसे बड़ी संख्या हमारे गांवों के लोगों की है।

अभी कल ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भी एक अहम स्टडी आई है। उनका एक बड़ा अध्ययन किया हुआ रिपोर्ट आया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट क्या कह रही है, वो कहते हैं 2012 में भारत में ग्रामीण गरीबी रूरल पावर्टी, यानि गांवों में गरीबी करीब 26 परसेंट थी। 2024 में भारत में रूरल पावर्टी, यानि गांवों में गरीबी घटकर के पहले जो 26 पर्सेंट गरीबी थी, वो गरीबी घटकर के 5 परसेंट से भी कम हो गई है। हमारे यहां कुछ लोग दशकों तक गरीबी हटाओ के नारे देते रहे, आपके गांव में जो 70- 80 साल के लोग होंगे, उनको पूछना, जब वो 15-20 साल के थे तब से सुनते आए हैं, गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ, वो 80 साल के हो गए हैं। आज स्थिति बदल गई है। अब देश में वास्तविक रूप से गरीबी कम होना शुरू हो गई है।

साथियों,

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का हमेशा से बहुत बड़ा स्थान रहा है। हमारी सरकार इस भूमिका का और विस्तार कर रही है। आज हम देख रहे हैं गाँव में बैंक सखी और बीमा सखी के रूप में महिलाएं ग्रामीण जीवन को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं। मैं एक बार एक बैंक सखी से मिला, सब बैंक सखियों से बात कर रहा था। तो एक बैंक सखी ने कहा वो गांव के अंदर रोजाना 50 लाख, 60 लाख, 70 लाख रुपये का कारोबार करती है। तो मैंने कहा कैसे? बोली सुबह 50 लाख रुपये लेकर निकलती हूं। मेरे देश के गांव में एक बेटी अपने थैले में 50 लाख रुपया लेकर के घूम रही है, ये भी तो मेरे देश का नया रूप है। गाँव-गाँव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के जरिए नई क्रांति कर रही हैं। हमने गांवों की 1 करोड़ 15 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाया है। और लखपति दीदी का मतलब ये नहीं कि एक बार एक लाख रुपया, हर वर्ष एक लाख रुपया से ज्यादा कमाई करने वाली मेरी लखपति दीदी। हमारा संकल्प है कि हम 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाएंगे। दलित, वंचित, आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए हम विशेष योजनाएँ भी चला रहे हैं।

साथियों,

आज देश में जितना rural infrastructure पर फोकस किया जा रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। आज देश के ज़्यादातर गाँव हाइवेज, एक्सप्रेसवेज और रेलवेज के नेटवर्क से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 साल में ग्रामीण इलाकों में करीब चार लाख किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई है। डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी हमारे गाँव 21वीं सदी के आधुनिक गाँव बन रहे हैं। हमारे गांव के लोगों ने उन लोगों को झुठला दिया है जो सोचते थे कि गांव के लोग डिजिटल टेक्नोलॉजी अपना नहीं पाएंगे। मैं यहां देख रहा हूं, सब लोग मोबाइल फोन से वीडियो उतार रहे हैं, सब गांव के लोग हैं। आज देश में 94 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवारों में टेलीफोन या मोबाइल की सुविधा है। गाँव में ही बैंकिंग सेवाएँ और UPI जैसी वर्ल्ड क्लास टेक्नालजी उपलब्ध है। 2014 से पहले हमारे देश में एक लाख से भी कम कॉमन सर्विस सेंटर्स थे। आज इनकी संख्या 5 लाख से भी ज्यादा हो गई है। इन कॉमन सर्विस सेंटर्स पर सरकार की दर्जनों सुविधाएं ऑनलाइन मिल रही हैं। ये इनफ्रास्ट्रक्चर गाँवों को गति दे रहा है, वहां के रोजगार के मौके बना रहा है और हमारे गाँवों को देश की प्रगति का हिस्सा बना रहा है।

साथियों,

यहां नाबार्ड का वरिष्ठ मैनेजमेंट है। आपने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड जैसे कितने ही अभियानों की सफलता में अहम रोल निभाया है। आगे भी देश के संकल्पों को पूरा करने में आपकी अहम भूमिका होगी। आप सभी FPO’s- किसान उत्पाद संघ की ताकत से परिचित हैं। FPO’s की व्यवस्था बनने से हमारे किसानों को अपनी फसलों का अच्छा दाम मिल रहा है। हमें ऐसे और FPOs बनाने के बारे में सोचना चाहिए, उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। आज दूध का उत्पादन,किसानों को सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा है। हमें अमूल के जैसे 5-6 और को-ऑपरेटिव्स बनाने के लिए काम करना होगा, जिनकी पहुंच पूरे भारत में हो। इस समय देश प्राकृतिक खेती, नेचुरल फ़ार्मिंग, उसको मिशन मोड में आगे बढ़ा रहा है। हमें नेचुरल फ़ार्मिंग के इस अभियान से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ना होगा। हमें हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को लघु और सूक्ष्म उद्योगों को MSME से जोड़ना होगा। उनके सामानों की जरूरत सारे देश में है, लेकिन हमें इनकी ब्रांडिंग के लिए, इनकी सही मार्केटिंग के लिए काम करना होगा। हमें अपने GI प्रॉडक्ट्स की क्वालिटी, उनकी पैकेजिंग और ब्राडिंग पर भी ध्यान देना होगा।

साथियों,

हमें रुरल income को diversify करने के तरीकों पर काम करना है। गाँव में सिंचाई कैसे affordable बने, माइक्रो इरिगेशन का ज्यादा से ज्यादा से प्रसार हो, वन ड्रॉप मोर क्रॉप इस मंत्र को हम कैसे साकार करें, हमारे यहां ज्यादा से ज्यादा सरल ग्रामीण क्षेत्र के रुरल एंटरप्राइजेज़ create हों, नेचुरल फ़ार्मिंग के अवसरों का ज्यादा से ज्यादा लाभ रुरल इकॉनमी को मिले, आप इस दिशा में time bound manner में काम करें।

साथियों,

आपके गाँव में जो अमृत सरोवर बना है, तो उसकी देखभाल भी पूरे गाँव को मिलकर करनी चाहिए। इन दिनों देश में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भी चल रहा है। गाँव में हर व्यक्ति इस अभियान का हिस्सा बने, हमारे गाँव में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगें, ऐसी भावना जगानी जरूरी है। एक और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारे गाँव की पहचान गाँव के सौहार्द और प्रेम से जुड़ी होती है। इन दिनों कई लोग जाति के नाम पर समाज में जहर घोलना चाहते हैं। हमारे सामाजिक ताने बाने को कमजोर बनाना चाहते हैं। हमें इन षडयंत्रों को विफल बनाकर गाँव की सांझी विरासत, गांव की सांझी संस्कृति को हमें जीवंत रखना है, उसको सश्क्त करना है।

भाइयों बहनों,

हमारे ये संकल्प गाँव-गाँव पहुंचे, ग्रामीण भारत का ये उत्सव गांव-गांव पहुंचे, हमारे गांव निरंतर सशक्त हों, इसके लिए हम सबको मिलकर के लगातार काम करना है। मुझे विश्वास है, गांवों के विकास से विकसित भारत का संकल्प जरूर साकार होगा। मैं अभी यहां GI Tag वाले जो लोग अपने अपने प्रोडक्ट लेकर के आए हैं, उसे देखने गया था। मैं आज इस समारोह के माध्यम से दिल्लीवासियों से आग्रह करूंगा कि आपको शायद गांव देखने का मौका न मिलता हो, गांव जाने का मौका न मिलता हो, कम से कम यहां एक बार आइये और मेरे गांव में सामर्थ्य क्या है जरा देखिये। कितनी विविधताएं हैं, और मुझे पक्का विश्वास है जिन्होंने कभी गांव नहीं देखा है, उनके लिए ये एक बहुत बड़ा अचरज बन जाएगा। इस कार्य को आप लोगों ने किया है, आप लोग बधाई के पात्र हैं। मेरी तरफ से आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।