भारत माता की जय!
महात्मा गांधी अमर रहे! महात्मा गांधी अमर रहे! महात्मा गांधी अमर रहे!
लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे! लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे! लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे!
विशाल संख्या में पधारे हुए वरिष्ठ महानुभावों और सभी नौजवानों
साथियों,आज 2 अक्टूबर है। पूज्य महात्मा गांधी का जन्मदिवस है। पूज्य लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिवस है। लाल बहादुर शास्त्री जी ने हमें मंत्र दिया था जय जवान-जय किसान! देश के किसानों ने उस एक आह्वान पर हिंदुस्तान के अन्न के भंडार भर दिए थे।
पूज्य बापू ने हमें संदेश दिया था Quit India-Clean India! देशवासियों ने आजादी का आंदोलन चलाकर के देश को पूज्य बापू के नेतृत्व में गुलामी से मुक्त कराया लेकिन पूज्य बापू का Clean India का सपना अभी अधूरा है। यहां पर एक Crowd Sourcing के माध्यम से देश के लोगों का आह्वान किया था कि इसका Logo बनाकर के हमें Idea दीजिए। लोगों को कहा था कि आप इसका घोष वाक्य हमें दीजिए। महाराष्ट्र के भाई अनंत ने इसमें विजय प्राप्त की। गुजरात राजकोट की एक बहन भाग्यश्री ने इसका इनाम प्राप्त किया।
जब हजारों की तादाद में Logo आए थे और जब मैंने इस Logo को देखा! एक दम से मुझे बड़ा सटीक लगा। मैं देख रहा हूं, इन चश्मों से महात्मा गांधी देख रहे हैं कि बेटे, भारत को स्वच्छ किया कि नहीं किया! ये Logo सिर्फ Logo नहीं है। इस चश्में से गांधी देख रहे हैं – क्या किया? क्या कर रहे हो, कैसे कर रहे हो, कब तक करोगे, इसलिए जब गांधी के चश्में का Logo हम देखते हैं, जो चश्में खुद हमें कहते हैं, स्वच्छ भारत का संदेश देते हैं। मैं इस कल्पना के लिए, इस कृति की रचना करने वाले अनंत को अभनिनंदन देता हूं। एक उन्होंने घोष वाक्य दिया भाग्यश्री ने –“एक कदम स्वच्छता की ओर” बहुत बड़ी बात नहीं है। एक कदम। इसके लिए मैं भाग्यश्री भी बधाई देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों! मैं आज इस मंच पर से बड़ी प्रमाणिकता से, पवित्र मन से, मेरे सामने India Gate है, वहां पर देश के लिए मरने-मिटने वालों की ज्योति जल रही रही है, उसकी साक्षी से मैं कहता हूं, राजनीतिक बयान नहीं कर रहा हूं। इस देश की सभी सरकारों ने, इस कल को करने के लिए कोई न कोई प्रयास किया है। इस देश के अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक नेताओं ने इस काम को करने के लिए प्रयास किया है। जिन-जिन लोगों ने, अलग-अलग नाम रहे होंगे, कार्यक्रम की रचना अलग रही होगी, रूप-रंग अलग रहे होंगे लेकिन जिन-जिन लोगों ने काम किया है। मैं सबसे पहले उन सबको वंदन करता हूं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं।
उसी कड़ी को मुझे आगे ले जाना है। मैं कोई दावा नहीं करता हूं कि अभी-अभी जो चुनकर के आई है, सरकार वो ही सब कर रही है। ना, मैंने लालकिले से भी पुरानी सभी सरकारों को बधाई दी थी, अभिनंदन किया था। आज मैं इस पवित्र मंच से भी जिन-जिन सरकारों ने इस काम को किया है, चाहे केंद्र में हो, चाहे राज्य में हो, चाहे नगर-पालिका में हो, चाहे सामाजिक संगठनों ने किया हो, चाहे सर्वोदयी नेताओं ने किया हो, चाहे सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने किया हो और संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया है, सब के सब अभिनंदन के अधिकारी हैं और आज इस पवित्र अभियान का आरंभ हो रहा है, तब मैं उन सबको नमन करते हुए, उन सबके आशीर्वाद के साथ, इस कार्यक्रम को आरंभ करने के लिए, मै पूरे देशवासियों से प्रार्थना करता हूं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि क्या सफाई, इस देश को गंदगी से मुक्त करना, क्या सिर्फ सफाई कर्मचारियों का काम है क्या? क्या ये उन्हीं का जिम्मा है क्या? क्या सवा सौ करोड़ देशवासियों का कोई दायित्व नहीं है? हम हर बात उन्हीं पर थोपते रहेंगे क्या? अगर कुछ अच्छा हुआ, बुरा हुआ तो उन्हीं को कोसते रहेंगे क्या? ये स्थिति बदलनी है।
सवा सौ करोड़ देशवासी, जैसे भारत माता के संतान हैं, प्रधानमंत्री भी पहले भारत माता की संतान है, बाद में प्रधानमंत्री है। इसलिए इस मां की संतान के रूप में, हम सबका दायित्व बनता है। हम हमारे देश को ऐसा न रखें। गांव हो, गली हो, मोहल्ला हो, घर हो, परिवार, स्कूल हो, कॉलेज हो, मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा हो, कोई भी स्थान हो। ये गंदा कैसे हो सकता है और कहीं गंदगी देखें.. कोई कागज फेंकता है, तो हमें उठाने का मन क्यों नहीं करता?
मैं जानता हूं, ये प्रचार अभियान से होने वाला काम नहीं है। पुरानी आदतों को बदलने के लिए समय लगता है। कठिन काम है, मैं जानता हूं लेकिन हमारे पास 2019 तक महात्मा गांधी के 150 वर्ष मनाएंगे, तब तक का समय है। मैं मीडिया के मित्रों का भी आभारी हूं कि पिछले कुछ दिनों से वो इस बात को फैला रहे हैं, पहुंचा रहे हैं। अगर हम सब मिलकर के इसको एक जन आंदोलन बनाएंगे, तो मैं नहीं मानता हूं कि दुनिया के साफ-सुथरे शहरों में, देशों में, हमारा नाम नहीं होगा। हम भी उस जगह को बना सकते हैं। भारत ये कर सकता है, भारतवासी कर सकते हैं। अगर भारतवासी कम से कम खर्चे में Mars पहुंच सकते हैं, तो क्या भारतवासी अपना गली-मौहल्ला साफ नहीं कर सकते हैं? Mars तक पहुंचाने के लिए कोई प्रधानमंभी नहीं गया, कोई मंत्री नहीं गया, वैज्ञानिकों ने किया, भारत माता के संतानों ने किया था। सफाई भी हम सब मिलकर के करेंगे।
मैं जानता हूं, कुछ ही दिनों में आलोचना शुरू होने वाली है, कि देखो क्या हुआ? देखो क्या हुआ? मेरी ढेर सारी आलोचना होने वाली है, मैं जानता हूं लेकिन मैं मां भारती की गंदगी की सफाई के लिए अगर मुझे आलोचना सहना पड़े, तो उसी मैं तैयारी के साथ आज मैदान में आया हूं। मैं इस तैयारी के साथ आया हूं कि मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी, भारत मां की संतान, हमारी इस भारत मां को अब गंदा नहीं रहने देंगे। पूज्य बापू के सपनों को पूरा करने में, हम कोताही नहीं बरतेंगे और ये जिम्मेवारी हम सबकी है।
मैंने Social Media में भी एक आंदोलन खड़ा करने करने का तय किया है। mygov.in, इस वेबसाइट पर भी है। Clean India के लिए एक अलग वेबसाइट बनाई है। Facebook, Twitter पर भी इस काम को आरंभ किया है। # MyCleanIndia, ये भी आज प्रारंभ किया है। मैं देशवासियों से प्रार्थना करता हूं, कि आप एक काम किजिए। कहीं कूड़ा कचरा है, उसकी फोटो आप अपलोड कीजिए। फिर उसकी सफाई आप कीजिए। उसकी वीडियो अपलोड कीजिए। फिर स्वच्छ, उस जगह की फोटो आप अपलोड कीजिए।
भाइयों, बहनों, मैं मीडिया से भी प्रार्थना करता हूं। ये सब, आज भी मैं कहता हूं, हिन्दुस्तान में कई नौजवान ऐसे हैं, कई संगठन ऐसे हैं, और हिन्दुस्तान के हर कोने में हैं, हजारों की तादाद में हैं। वे सफाई का काम, मैं प्रधानमंत्री बना, उससे पहले से कर रहे है। जरा उनको हम हिन्दुस्तान की जनता के सामने मीडिया के माध्यम से लाएं। छोटे छोटे लोग जो सफाई का काम करते हैं, वो देश के सामने लाएं। हम सब मिलके एक एक प्रेरणा का वातावरण बनाएं। किसने किया, किसने नहीं किया, कैन जिम्मेवार है, कौन नहीं है, कौन गुनाहगार, इसमें इस बात को हम न घसीटें।
मैंने पहले ही कहा, यह राजनीति से परे है। यह सिर्फ राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से किया हुआ काम है। हमने, सिर्फ-सिर्फ-सिर्फ राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से ही करना है, राजनीति से प्ररित हो कर के नहीं करना है। यह सफाई तब होगी। इसलिए मैं कहता हूं, अनेक संगठन हैं, अनेक सामाजिक संगठन हैं, अनेक सांस्कृतिक संगठन हैं, वह अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं।
मैंने ऐसे कई गांव देखें हैं, उस गांव का सरपंच इतना जागरूक हैं, गांव के सब लोग, गांव को इतना साफ-सुथरा रखते हैं, देखते ही बनता है। कई लोग हैं, इस काम को करते हैं। कई स्कूल में जाते हैं, एक-आध शिक्षक इतना रूचि लेता है, पूरा शिक्षण क्षेत्र का परिसर कितना साफ-सुथरा, पवित्रता के माहौल की अनुभूति होती है।
जब हम इंडिया गेट पर आते हैं, राष्ट्रपति भवन की ओर जाते हैं, यह सफाई देखते हैं, तो मन कितना अच्छा लगता हैं। क्या मेरा हिन्दुस्तान का हर कोना इतना ही साफ होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। हर गली-मोहल्ला इतना ही साफ होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। यह सामाजिक दायित्व है कि नहीं है और इसलिए कृपा करके, अगर इसको राजनीतिक रंग से रंग दिया गया, अगर इसको इसी बात से तौल दिया, कि देखों एक दिन आए, फोटो निकाल के चले गए, तब तो हम भारत मां की फिर से एक बार कु-सेवा करेंगे। महात्मा गाधी हिन्दुस्तान के हर गली मौहल्ले में सफाई करने नहीं गए थे। लेकिन सफाई की इनकी प्रतिबद्धता ने पूरे हिन्दुस्तान में सफाई के प्रति एक जागरूकता पैदा की। हमको, सबको मिल करके इस काम को करना है।हम जहां हों, जैसे हों, इस काम को करेंगे। मुझे विश्वास है, मैं अपनी भारत माता को गंदगी से मुक्त करा पाएंगे। ये सवा करोड़ देशवासियों का काम है।
सवा सौ करोड़ में एक मोदी नाम का इंसान भी है। अकेला मोदी है, ऐसा नहीं है। इसलिए काम सवा सौ करोड़ देशवासियों का है, ये मैं सवा सौ करोड़ बार बोल रहा हूं। काम सरकार का सिर्फ नहीं है। यह काम सिर्फ मंत्रियों का नहीं है। यह काम सिर्फ सामाजिक संगठन, समर्पित समाज सेवकों का नहीं है। यह जन-सामान्य का काम है। जितना ज्यादा हम जन सामान्य को जोड़ेंगे, लाभ होगा।
मैंने आज एक और भी काम...., आज नवरात्रि की भी पूर्णहुति हो रही है। कल विजयादशमी का पर्व हम मनाने वाले हैं। कल के विजया-दशमी के पर्व के लिए भी राष्ट्रवासियों को शुभकामना देता हूं।
आज मैंने सोशल मीडिया के एक आंदोलन चलाने के कार्यक्रम शुरू किया है। मैंने आज नौ लोगों को निमंत्रित किया है कि आप भी पब्लिक प्लेस पर आके, अपने आदमियों को ले के स्वच्छता के अभियान पर काम करेंगे। मैं विश्वास करता हूं, जिन नौ लोगों को मैं आज निमंत्रित किया है, वे जरूर इस काम को करेंगे। इतना ही नहीं उनसे भी मेरा आग्रह है, कि वे भी और नौ लोगों का नाम तय करके उनको भी निमंत्रित करे, वो और नौ लोगों को करे, वौ और नौ लोगों को कहे। आपको भी मैं कहता हूं, आप भी इस प्रकार का सफाई का काम करके उसका वीडियो upload करके और नौ लोगों को आप निमंत्रित कीजिए। अरे, नौ-नौ की चैन चलती ही रहे, चलती ही रहे।
आज मैंने गोवा के गवर्नर माननीय मृदुला सिन्हा जी को निमंत्रित किया है। मैंने भारत रत्न सचिन तेंदुलकर जी को निमंत्रित किया है। मैंने योग गुरू बाबा रामदेव जी को निमंत्रित किया है। मैंने कांग्रेस के नेता श्रीमान शशि थरूर जी को निमंत्रित किया है। मैंने श्रीमान कमल हसन जी को निमंत्रित किया है। मैने श्रीमान सलमान खान जी को निमंत्रित किया है, मैंने बहन प्रियंका चोपड़ा जी को निमंत्रित किया है। इतना ही नहीं, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, उस पूरी टीम को मैंने कहा है, मैं इस काम में आपको निमंत्रण देता हूं, आप भी करिए और अपने सीरियल के माध्यम से, और भी सीरियल के माध्यम से इस काम को आगे बढ़ाइए।
हमारी फिल्म इंडस्ट्री देखेगी, पिछले 50 सालों में कई ऐसी फिल्में आई हैं, बहुत सी फिल्में ऐसी हैं, जिनमें कोई न कोई एपिसोड ऐसा है, जिसमें सफाई के विषय में कोई न कोई लोकशिक्षा का काम किया गया है। इस बात को हमें बढ़ाना। हमें इस बात की जिम्मेवारी निभानी है।
भाईयों और बहनों, डब्ल्यूएचओ का एक बहुत बड़ा चौंकाने वाला मूल्यांकन है- उनका कहना है कि भारत में गंदगी के कारण जो बीमारी आती है, बीमारी के कारण जो रोजी-रोटी छूट जाती है, नौकरी नहीं हो पाती है, परिवार को तकलीफ होती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गंदगी के कारण हर वर्ष भारत के प्रत्येक नागरिक को करीब 6500 रूपयों का अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ता। बीमारी के कारण, बीमारी के कारण ऑटों रिक्शा नहीं चला पाता है। बीमारी के कारण टैक्सी नहीं चला पाता है। बीमारी के कारण अखबार बांटने के लिए नहीं जा पाता है। बीमारी के कारण दूध बेचने के लिए नहीं जा पाता है। यह भारत की कुल संख्या का average निकाला है, लेकिन सुखी घर के लोगों को ये नहीं भुगतना पड़ता है। अगर उनको निकाल दिया जाए तो average 6500 से बढ़कर के गरीब आदमी के सर पर बोझ की average 12-15 हजार रूपये हो सकती है।
हम सिर्फ गंदगी साफ करें तो हमारे देश के गरीबों के जेब से कम से कम 6500 रूपये बचने वाले है। वह बीमारी से बचने वाला है। वह नौकरी पर नहीं जा पा रहा है, बेरोजगारी से बचने वाला है। ये गंदगी से मुक्ति गरीबों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा महत्वपूर्ण काम है। इसलिए ये भारत माता की सेवा, गरीबों की सेवा है।
आइये हम सब मिलकर करके देखें, Mygov.in वेबसाइट पर, मेरे फेसबुक पर, ट्विटर पर, सामान्य जनता का जो मिजाज देख रहा हूं, जो उमंग देख रहा हूं। मुझे विश्वास है कि सरकार से भी जनता 100 कदम आगे चलने को तैयार है और अगर जनता चलती है तो फिर इसे रोकने का कोई कारण नहीं है।
भाईयो-बहनों, महात्मा गांधी को हमें कुछ तो देना चाहिए। 2019 में गांधी के जब 150 वर्ष होते हैं, तब हमें ‘स्वच्छ भारत’ और ये सामूहिक दायित्वों से बना हुआ भारत। Quit India की सफलता इसलिए थी कि सारा देश आजादी के आंदोलन में जुड़ा हुआ था। Clean India की सफलता इसमें है कि सवा सौ करोड़ देशवासी इसमें जुड़ें। जय जवान-जय किसान के मंत्र की सफलता इसलिए थी, क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री ने जय किसान का नारा दिया, अन्न उत्पादन के लिए आहवान किया, लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को किसी ने ये पूछा कि नहीं था कि तुम खेत में जाकर के हल चला रहे हो, तुमने खेती की या नहीं की, तुमने अनाज पैदा किया कि नहीं किया, ये किसी ने नहीं पूछा था लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था जय किसान! और हिंदुस्तान के किसान खड़े हो गए थे। अन्न के भंडार भर दिए थे और भारत के हर गरीब व्यक्ति का पेट भरने का काम, उस एक महापुरुष के शब्दों पर हुआ था। महात्मा गांधी के शब्दों को पूरा करने का ये वक्त है।
उस महापुरुष के शब्दों की पवित्रता देखिए, उस महापुरुष के शब्दों की ताकत को देखिए, उस महापुरुष के शब्दों के समर्पण को देखिए, क्या हमें वो प्रेरणा नहीं दे सकते हैं। चाहे मैं हूं या आप हों, हम सबके लिए महात्मा गांधी का Quit India नारा, ये सफलता जैसा हमें आनंद देती है, Clean India भी हमें उतना ही आनंद देगी, उतना ही सुख देगी, उतना ही समृद्धि का रास्ता प्रशस्त करेगी, इस विश्वास के साथ इन महापुरुषों के शब्दों पर भरोसा करके हम चल पड़े हैं।
मेरे पर भरोसा मत कीजिए, मेरी सरकार पर भरोसा मत कीजिए, भरोसा हम करें महात्मा गांधी पर! भरोसा करें, महात्मा गांधी के त्याग, तपश्चर्या और समर्पण पर! भरोसा करें, हम महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपनों पर। आज हमारी जिम्मेदारी बनती है, अगर हम मां भारती के संतान हैं, तो ये हमारा दायित्व बनता है, न मैं गंदगी करूंगा और न मैं गंदगी करने दूंगा। यह हमारा दायित्व होना चाहिए। दुनिया के समृद्ध देश...
कभी हम विदेशों में जाते हैं और आकर के कहते हैं वाह! इतना साफ-सुथरा! कहीं गंदगी नहीं थी। तो मैं लोगों को पूछता हूं – साफ देखा, स्वच्छ देखा, आपको अच्छा लगा न? मैंने कहा कि आपने किसी को गंदगी करते हुए देखा था, कूड़ा-कचरा फेंकते हुए देखा था, पान की पिचकारी लगाते हुए देखा था तो उन्होंने कहा कि नहीं देखा था, तो मैंने कहा कि सफाई का रहस्य वहां के नागरिकों का discipline है। ये अगर हम लाते हैं तो मुझे विश्वास है, हम बहुत बड़ा काम कर सकते हैं।
एक काम और है, वह है टॉयलेट बनाना। हमारे देश के गांवों में 60 प्रतिशत से भी ज्यदा लोग आज खुले में शौचालय के लिए जा रहे हैं। मुझे सबसे बड़ी पीड़ा होता है, मां-बहनों को जब खुले में जाना पड़ता है, ये कलंक मिटाना है, हम सबने मिलकर के मिटाना है। मैंने Corporate Social Responsibility वालों से भी कहा है कि इस काम को प्राथमिकता दीजिए। मां-बहनों के सम्मान के लिए हम इतना तो करें।
आज भी कई स्कूल ऐसे हैं, कि जहां बालिकाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है ये स्थिति बदलनी है। किसी का इसमें दोष नहीं है, कोई जिम्मेवार नहीं है, बस हमने सकारात्मक रूप से भविष्य की ओर देख कर के चल पड़ना हैं। कोई राजनीतिक टीका-टिप्पणी, इस आंदोलन से जुड़ा हुआ कोई आदमी न करे क्योंकि सबने काम किया है। हमारे पहले सबने काम किया है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी इसकी सिरमौर रही है।
मैं इस काम को वंदन करता हूं और इसलिए मैं हाथ जोड़ करके, विशेष करके मीडिया को और देशवासियों को कहता हूं, कि सारे आंदोलन को सिर्फ मां भारती की भक्ति से जोडि़ए, गरीब से गरीब के स्वास्थ्य से जोडि़ए, कौन कर रहा है, कौन नहीं कर रहा, कौन सफल हुआ, और विफल हुआ, इसके पीछे पड़ करके हम स्थितियों को न बिगाड़ें, न बदलें, हम एक जिम्मेदारी से चलें। और हम सामूहिक जिम्मेवारी से चलेंगे तो सफलता मिलेगी।
मैं फिर एक बार आप सबको निमंत्रित करता हूं। हम यहां पर शपथ लेने वाले हैं। मेरी प्रार्थना है कि हम बैठे-बैठे ही शपथ लेंगे, खड़े होने की जरूरत नहीं, जो खड़े हैं, वे खड़े रहें और दूसरी मेरी प्रार्थना है कि हम दोनों हाथ ऊपर करके महात्मा गांधी को स्मरण करें और महात्मा गांधी को स्मरण करके, हम जहां हैं वहां दोनों हाथ ऊपर करके महात्मा गांधी का स्मरण करना है। तो ये काम पूज्य बापू को उनके सपनों का भारत बनाने के लिए है। इसलिए दोनों हाथ ऊपर करके, पूज्य बापू स्मरण करके मेरे साथ ये शपथ समारोह में शरीक होंगे। और ये शपथ सिर्फ बोलना नहीं है, शपथ लेना है।
आप शपथ लेंगे? ये सफाई आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे? कोई कोताही नहीं बरतेंगे ?
मेरे साथ बोलिए ‘‘महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना की थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।“
“मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्व्च्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा। हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह दो घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा। मैं न गंदगी करूंगा और न किसी और को करने दूंगा। सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से मेरे मोहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरूआत करूंगा। मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं, उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं। इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा। मैं आज जो शपथ ले रहा हूं वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाउंगा। वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा। मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।’’
भारत माता की जय।
जय हिन्द।
महात्मा गांधी अमर रहे
महात्मा गांधी अमर रहे
महात्मा गांधी अमर रहे
बहुत-बहुत शुभकानाएं।
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भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
नमस्कार,
अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I
यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।
साथियों,
आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।
साथियों,
थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।
और साथियों,
जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।
साथियों,
भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।
कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।
साथियों,
भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।
साथियों,
अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।
साथियों,
हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।
साथियों,
भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।
साथियों,
विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।
साथियों,
हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।
मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।
साथियों,
हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।
साथियों,
विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।
साथियों,
मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय!
बहुत-बहुत धन्यवाद।