भारत और आसियान स्वाभाविक भागीदार हैं। हमारे संबंध अति प्राचीन हैं: प्रधानमंत्री मोदी
आसियान दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक क्षेत्रों में से एक बनकर उभरा है: प्रधानमंत्री मोदी
हमें बदलाव लाने के लिए सुधार लाना होगा: प्रधानमंत्री मोदी
मेरे लिए ‘सुधार’ गंतव्य तक पहुँचने की लंबी यात्रा के बीच का एक स्टेशन है और गंतव्य से मेरा तात्पर्य है - भारत में बदलाव: प्रधानमंत्री
हमें अपने भौगोलिक क्षेत्रों के सभी हिस्सों में बसे प्रत्येक नागरिक का विकास करना होगा: प्रधानमंत्री मोदी
हमारी सरकार के आने के बाद पिछले 18 महीनों में लगभग हर प्रमुख आर्थिक संकेतक के अनुसार भारत का प्रदर्शन बेहतर है: प्रधानमंत्री
भारत किसी भी अन्य बड़ी उभरती अर्थव्यवस्था की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है: द इकोनॉमिस्ट
हमने ‘मेक इन इंडिया’ नामक अभियान की शुरूआत की और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस पर भी हमने तेज़ी से काम किया है: प्रधानमंत्री मोदी
हम भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिए सभी तरीकों से काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
भारत को लगातार कई वैश्विक एजेंसियों और संस्थाओं द्वारा सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में स्थान दिया गया है: प्रधानमंत्री मोदी
निजी निवेश और विदेशी निवेश का इनफ्लो सकारात्मक है। विदेशी निवेश 40% बढ़ा है: प्रधानमंत्री मोदी
हमने बीमा, रक्षा और रेलवे सहित प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देते हुए इसका और विस्तार किया है: प्रधानमंत्री
हमने पूर्वव्यापी कराधान को समाप्त किया है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
हम भारत को व्यापार कार्यों के लिए सबसे सुलभ स्थल बनाने के लिए विशेष रूप से काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी

 

तान श्री दातो डॉ. मुनीर अब्दुल मजीद, आसियान बिजनेस एडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष
दातो रमेश कोड्डामल, आसियान-भारत व्यापार परिषद के सह-अध्यक्ष
आसियान के व्यापारिक नेताओं
आसियान व्यापारिक समुदाय के सदस्यों
विशिष्ट अतिथियों
देवियों और सज्जनों

यहां उपस्थित होकर मैं बहुत खुश हूं। यहां दक्षिण पूर्वी एशिया को दुनिया के सबसे गतिशील क्षेत्र बनाने वाले सम्मानित नेताओं के बीच मुझे गौरव का अनुभव हो रहा है। मैं आपको इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं। मैं आपको आसियान समुदाय बनाने के लिए भी बधाई देता हूं।

भारत और आसियान स्वाभाविक सहयोगी हैं। प्राचीन काल से हमारे संबंध हैं। यह संबंध आज भी दोनों देशों और क्षेत्रों को जोड़ने के काम आ रहा है।

मित्रों, मैं हमेशा यह कहता रहा हूं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। मैं ऐसा एशियाई देशों के ट्रैक रिकार्ड को देख कर कह रहा हूं। एक साथ मिल कर आसियान के दस सदस्य एक आर्थिक पावरहाउस बनाते हैं। आसियान दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक क्षेत्रों में से एक बन कर उभरा है। आपके पिछले 15 साल तेज और स्थिर विकास के रहे हैं। आपकी मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता दक्षिण पूर्वी एशिया के विकास और स्थिरता की प्रमुख वजह रही है। अच्छे गवर्नेंस, भविष्योन्मुखी बुनियादी संरचना और नई प्रौद्योगिकी पर आपना ध्यान केंद्र कर आपने जबरदस्त प्रदर्शन किया है।

पर्यटन जैसी साधारण चीजों में भी आपने चमत्कार किया है।एक बार फिर मैं आसियान के नेतृत्व को उसकी उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं।

जब मैं आसियान के चमत्कार का विश्लेषण करता हूं तो मैं पाता हूं तो इसके छोटे और चीन जैसे बड़े देश दोनों ने एक जैसा श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इससे साफ जाहिर है कि विकास आबादी के आकार पर नहीं बल्कि जज्बे पर निर्भर करता है। मैं दुनिया के कई हिस्सों में कई बार गया हूं। यहां तक कि प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के साथ ही मेरा आसियान नेतृत्व के साथ मिलना-जुलना शुरू हो गया था। पिछले शिखर सम्मेलन में भी मैंने आसियान के कई नेताओं के साथ मुलाकात की थी।

मेरी सरकार ने 18 महीने पहले कामकाज संभाला। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही थी। ऊंचा राजकोषीय घाटा, चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी और बड़ी संख्या में बुनियादी संरचना की रुकी हुई परियोजनाएं।

साफ था कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की जरूरत है। हमने अपने आप से एक सवाल पूछा – सुधार किसलिए, सुधारों का लक्ष्य क्या है, क्या यह सिर्फ जीडीपी में बढ़ोतरी के लिए है या फिर इनका लक्ष्य समाज में बदलाव लाना है। मेरा जवाब साफ है - हमें बदलाव के लिए सुधार करना है।

संक्षेप में कहें तो, सुधार अपने आप में कोई आखिरी मंजिल नहीं है। मेरे लिए सुधार मंजिल की ओर बढ़ता एक पड़ाव है। मंजिल तो भारत में बदलाव है। विकास के फल का स्वाद हमें अपने भूभाग में हाशिये और आबादी में निचले स्तर पर जीवन बसर करने वाले लोगों को चखाना होगा। आसमान छूने की ओर बढ़ने के दौरान हमें लोगों की जिंदगियों को भी छूना होगा।

अगर हम प्रमुख आर्थिक संकेतकों के नजरिये से देखें तो पिछले समय की तुलना में हमारे कामकाज संभालने के 18 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है।

- जीडीपी वृद्धि दर बढ़ी है और महंगाई कम हुई है

- विदेशी निवेश बढ़ा है और चालू खाते का घाटा कम हुआ है

- कर राजस्व बढ़ा है और ब्याज दर कम हुई है

- राजकोषीय घाटा कम हुआ है रुपये की कीमत स्थिर हुई है

निश्चित तौर पर यह सब अचानक नहीं हुआ है। वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं है। भारत की यह सफलता लगातार किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है। हम बेहतर राजकोषीय प्रबंधन की दिशा में बढ़ चले हैं। पहली बार हमने महंगाई घटाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक ढांचा समझौता किया है।

हमने राजकोषीय घाटे को तो कम किया है लेकिन साथ-साथ उत्पादक निवेश भी बढ़ाया है। यह दो तरीके से संभव हुआ है। पहला तो यह कि हमने जीवाश्म ईंधन पर कार्बन टैक्स लगाया है। हमने डीजल कीमतों से नियंत्रण हटाने का साहसिक कदम उठा कर ऊर्जा सब्सिडी खत्म कर दी है। साथ ही जीवाश्म ईंधन पर टैक्स लगाया है। हमने कोयले पर 300 प्रतिशत सेस (उप कर ) बढ़ाया है। दुनिया भर में कार्बन टैक्स पर बहुत बातें होती हैं। हमने इसे करके दिखाया है। हमने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हकदार लोगों तक सब्सिडी पहुंचाई है।

कुल मिलाकर देखें तो देश के बाहर और देश के भीतर लोगों का विश्वास बढ़ा है। आईएमएफ और विश्व बैंक ने इस साल और इसके बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। द इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने इस सप्ताह कहा कि भारत किसी भी उभरती अर्थव्यवस्था की तुलना में बेहतर स्थिति में है।

जैसा कि मैंने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ सुधार करना नहीं है। हम बदलाव के लिए सुधार चाहते हैं। मैक्रोइकोनॉमी स्थिरता तो ठीक है लेकिन भारत में बदलाव के लिए इससे भी ज्यादा कुछ करना होगा। हमने इसके लिए एक साथ कई कदम उठाए हैं। इनमें ढांचागत बदलाव से लेकर सांस्थानिक सुधार तक शामिल हैं।

भारत में कृषि लोगों की जीविका का मुख्य साधन है। हमने इसमें सुधार के लिए सरल लेकिन मजबूत कदम उठाए हैं। सब्सिडी वाले फर्टिलाइजर का इस्तेमाल रसायन के उत्पादन में करने की प्रवृति रही है। हमने इसका साधारण और बेहद प्रभावी हल खोज निकाला है। हमने फर्टिलाइजर में नीम कोटिंग शुरू कर दी है और अब इस तरह रसायन बनाने में इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता। इससे कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली हमारी अरबों रुपये की सब्सिडी बच गई।

हमने मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड शुरू किया है। यह हर किसान को उसकी मिट्टी की स्थिति के बारे में जानकारी देता है। इस तरह उसे सही फसल चुनने में मदद मिलती है। इस कार्ड की मदद से उसे ज्यादा फसल मिल पाती है और वह खेत में डालने के लिए बेहतर सामग्री का चुनाव कर सकता है।

हमने सभी के लिए आवास कार्यक्रम शुरू किया है। यह दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक है। इसके तहत 2 करोड़ शहरी और 2.95 करोड़ ग्रामीण आवासों का निर्माण किया जाएगा। इस तरह कुल मिलाकर पांच करोड़ मकान बनाए जाएंगे। इस कार्यक्रम के तहत जहां यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी भारतीय बगैर घर के नहीं रहे वहीं इससे बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा होगा। इससे अकुशल, कुशल और अर्धकुशल और गरीबों के लिए भी बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा।

परिवहन सेक्टर में हमने काफी सुधार किया है। वर्ष 2014-15 में हमारे प्रमुख बंदरगाहों में सामानों की आवाजाही में 4.65 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और उनके परिचालन आय में 11.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यह भी तब जब दुनिया में व्यापार की मात्रा में कमी आई है।

नए राजमार्ग के निर्माण के लिए ठेके आवंटित करने में भी रफ्तार आई है। वर्ष 2013-14 में प्रति दिन नौ किलोमीटर सड़क बन रही थी लेकिन अब हर दिन 23 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है। अर्थव्यवस्था पर इसका काफी ज्यादा असर होगा।

प्राकृतिक संसाधनों को आवंटित करने की प्रक्रिया में विश्वसनीयता बरकरार रखऩे के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हमारी सरकार ने इसके लिए कानूनी और प्रशासनिक सुधार किए हैं ताकि महत्वपूर्ण सामग्री और कच्चे माल की सप्लाई में सुधार हो। इनमें कोयला, अन्य खनिज और स्पेक्ट्रम शामिल हैं। इस हस्तक्षेप की सबसे बड़ी बात यह है कि हमने अब इन संसाधनों का आवंटन पारदर्शी नीलामी के जरिये करना शुरू किया है।

हमने जन धन योजना शुरू की है। एक साल से भी कम समय में हमने 19 करोड़ नए बैंक अकाउंट खोले हैं। सामाजिक सुरक्षा के मोर्चे पर हमने इंश्योरेंस और पेंशन के लिए नए और आकर्षक स्कीम लांच किए हैं। हमने एमयूडीआरए योजना शुरू की ताकि फंड की कमी का सामना कर रहे छोटे कारोबारियों को वित्त मुहैया कराया जा सके। अब तक इस योजना के तहत 60 लाख से ज्यादा कारोबारियों को कर्ज मिल चुका है।

हमने बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करते हुए बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के भी कदम उठाए हैं। विश्वसनीय और सक्षम बैंकरों को बैंकों का प्रमुख बनाया गया है। पहली बार 46 साल पहले हमारे यहां बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था। तब से पहली बार राष्ट्रीयकृत बैंकों के महत्वपूर्ण पदों पर निजी क्षेत्रों के पेशेवरों को नियुक्त किया गया है। हमने बुनियादी संरचनाओं की परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए एक साथ कई कदम उठाए हैं। हमने बिजली सेक्टर में व्यापक सुधार के लिए बड़े कदम उठाए हैं। इन फैसलों से हमारे बैंकों को भी फायदा होगा।

आइए अब हम निवेश की बात करें यह आपके लिए ज्यादा प्रासंगिक होगा।

हमने 65 साल की परंपरा को तोड़ते हुए अपने देश के राज्यों को विदेश नीति से जोड़ने की शुरुआत की है। जब मैंने चीन का दौरा किया था तो राज्य से राज्य सम्मेलन की शुरुआत की थी। सभी राज्यों से निर्यात संवर्धन परिषद बनाने के लिए कहा गया था। राज्यों को वैश्विक ढंग से सोचने के लिए प्रेरित किया गया। इसमें बदलाव की संभावना छिपी है।

हमारा लक्ष्य एक अरब हाथों के लिए रोजगार सृजन का है। इसके लिए जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत होनी चाहिए। हमने मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है और कारोबार आसान करने की दिशा में बढ़-चढ़ कर काम कर रहे हैं। हम जटिल प्रक्रिया को हटा रहे हैं और एक ही जगह, ऑनलाइन प्लेटफार्म पर इन्हें मुहैया करा रहे हैं। सभी फॉर्म और प्रारूपों को युद्धस्तर पर काम करके सरल बनाया गया है। इस तरह हमने सुगम कारोबार (इज ऑफ डुइंग बिजनेस) के 2016 के विश्व बैंक सूचकांक में भारत को 12 स्थान ऊपर ले जाने में सफलता हासिल की है। उद्योग इन बदलावों के फायदों को हासिल कर रहा है।

विश्वस्तरीय बुनियादी संरचना भारत का सपना रहा है। हमारा अधिकतम ध्यान भविष्योन्मुखी बुनियादी संरचना के निर्माण में है। हमने इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी मॉडल को प्रोत्साहित करना शुरू किया है। हम पूंजी निवेश के लिए नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड का गठन कर रहे हैं। इसके साथ ही करमुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड लेकर भी आ रहे हैं ताकि कॉरपोरेट बांड मार्केट को और विस्तार मिल सके। हम इस सिलसिले में मलेशिया, सिंगापुर और दूसरे आसियान देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।

हमारी इन प्रयासों के निम्नलिखित परिणाम निकले हैं-

- निजी निवेश के प्रति माहौल बेहतर हुआ है और विदेशी निवेश सकारात्मक तौर पर बढ़ा है। विदेशी निवेश 40 प्रतिशत बढ़ा है।

- ग्लोबल एजिंसयों और संस्थाओं ने भारत को लगातार निवेश के लिए आकर्षक अर्थव्यवस्था के तौर पर चिन्हित किया है।

- निवेश के लिए आकर्षक अर्थव्यवस्था के तौर पर अंकटाड की सूची में भारत की रैंकिंग सुधरी है।

- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत ने पांच साल लगातार गिरने के बाद 16 साल स्थान की छलांग लगाई है।

- मूडीज ने भारत के आउटलुक को अपग्रेड किया है

डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया लोगों को इस प्रक्रिया में भागीदार बनाने के लिए शुरू किया गया है। हाल के दिनों में हमारे यहां स्टार्ट-अप में जबरदस्त तेजी आई है। इस ऊर्जा का पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए हमने स्टार्ट-अप अभियान शुरू किया है।

हमने भारत की संभावनाओं के बारे में वैश्विक निवेशक समुदाय की रुचि के बारे में पता है। इसलिए देश की ओर फंड का प्रवाह बढ़ाने के लिए हमने दूसरे दौर का ढांचागत और वित्तीय सुधार शुरू किया है। हम अर्थव्यवस्था को और ज्यादा खोलने और इसमें निश्चितता और टैक्स प्रणाली में स्थिरता लाने के उपाय कर रहे हैं।

आपको इस बारे में कुछ उदाहरण देता हूं-

- हमने बीमा, रक्षा और रेलवे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी है

- अब इनमें से ज्यादा एफडीआई सेक्टर को ऑटोमेटिक अप्रूवल रूट के तहत ले आया गया है

- हमने कई सेक्टरों में एफडीआई नीतियों को तार्किक बनाया है। इनमें कंस्ट्रक्शन, प्लांटेशन और मेडिकल उपकरणों का सेक्टर शामिल है।

- हमने एफडीआई की अनुमति देने वाले हर सेक्टर में फॉरन पोर्टफोलियो के लिए कंपोजिट कैप की अनुमति दी है। इसके लिए पोर्टफोलियो निवेश के लिए अलग से सीमा थी।

- हमने लाइसेंसिंग व्यवस्था को काफी हद तक उदार कर दिया है। उदाहरण के लिए रक्षा क्षेत्र के 60 प्रतिशत आइटमों को लाइसेंसिंग प्रक्रिया से बाहर कर दिया है।

- हमने रेट्रोस्पेक्टिव (पिछली अवधि से टैक्स ) टैक्स की व्यवस्था को खत्म कर दिया है।

- हमने वैकल्पिक (अल्टरनेटिव इनवेस्ट फंड) के नियमों को अधिसूचित कर दिया है।

- हमने रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स के लिए लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स को तार्किक कर दिया है

- हमने जनरल एंटी अवायडेंस रूल्स (जीएएआर) को टालने का फैसला किया है

- हम वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) बिल को संसद में पेश कर चुके हैं। हमें उम्मीद है कि 2016 में यह लागू हो जाएगा। इससे पूरे देश में टैक्स सिस्टम एक हो जाएगा।

- हमने दिवालिया कानून का नया मसौदा तैयार किया है। कंपनी कानून ट्रिब्यूनल बनाया है ताकि इससे जुड़े मामलों को निपटाने में तेजी आए।

ये सुधार के कुछ उदाहरण हैं। वैसे रोजाना हम उन अड़चनों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं जो विकास प्रक्रिया को रोकती हैं। इस महीने की शुरुआत में हमने अपनी अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए और खोला है। सुधारों के इस दौर के साथ अब हम दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्था में से एक हो चुके हैं।

इससे भी बढ़ कर हम यह कहना चाहते हैं कि भारत सभी नवोन्मेषकों के बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में हमने पारदर्शिता अपनाई है और आईपी एडमिनस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। इस साल के अंत में एक नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति आ जाएगी। हम अपनी कर व्यवस्था को और पारदर्शी और स्थिर बनाना चाहते हैं ताकि टैक्स मामलों में जल्दी और उचित फैसले लिए जा सकें।

मित्रों, भारत अपार संभावनाओं की धरती है। कुछ उदाहरण देता हूं। पचास शहर मेट्रो रेल प्रणाली के लिए तैयार हैं। हमें पांच करोड़ लोगों के लिए सस्ते मकान बनाने हैं। सड़क, रेल और जलमार्ग की जबरदस्त जरूरत है। हमने बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने का फैसला किया है। ऊर्जा की यह मात्रा है 175 गीगावाट। और हमें यह सब कम समय में करना है। हमारे लोकतांत्रिक मूल्य और चौकस न्याय प्रणाली देश में निवेश को सुरक्षित करती है। हमने दूरदृष्टि और खुले दिमाग वाले गवर्नेंस की राह खोल दी है। हम भारत को कारोबार के लिए सबसे सुगम स्थान बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

मित्रों, ज्यादातर आसियान देश एशिया के पुनरुत्थान में अपना योगदान दे चुके हैं। अब भारत की बारी है। हम जानते हैं कि हमारा समय अब आ चुका है। हम इसके लिए तैयार हैं। मैं आपको भारत में इस परिवर्तन की हवा को महसूस करने के लिए आमंत्रित करता हूं। बदलावों की हवा को सीमा पार करने में समय लगता है। इसलिए मैं निजी तौर पर आपको आमंत्रित करता हूं। जब आप यहां आएंगे, आपको नए कारोबारी माहौल की उड़ान देखने को मिलेगी। भारत पहुंचने पर मैं आपको अपना पूरा सहयोग दूंगा।

धन्यवाद

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।