प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी 11वीं ‘मन की बात’ के माध्यम से देश को संबोधित किया #MannKiBaat
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को अपनाने पर अपनी खुशी व्यक्त की
जन-धन योजना का एक वर्ष पूर्ण, मोदी ने इस पर काम कर रहे अधिकारियों और टीमों को बधाई दी
जन-धन योजना के अंतर्गत 17.74 करोड़ बैंक खाते खोले गए जिसमें 22,000 करोड़ रूपये जमा किये गए: प्रधानमंत्री
गुजरात में हिंसा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण, गांधी और सरदार पटेल की भूमि में ऐसा नहीं होना चाहिए था: प्रधानमंत्री
हर आवाज महत्वपूर्ण है लेकिन किसान की आवाज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है: मोदी
सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन करने के लिए तैयार है: नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1965 युद्ध के सभी वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी
कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों के एक दल से मुलाकात की, वे सब असाधारण काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
“जय जवान, जय किसान” मात्र एक नारा नहीं है बल्कि यह गांवों, किसानों और गरीबों के कल्याणार्थ हमारे लिए एक मंत्र है: प्रधानमंत्री #MannKiBaat
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘रेस अक्रॉस अमेरिका’ जीतने वाली भारतीय जोड़ी की सराहना की
यह त्योहारों का समय है। हम इन त्योहारों को साफ-सफाई के साथ जोड़कर एक स्वच्छ भारत की दिशा में काम करें: प्रधानमंत्री #MyCleanIndia #MannKiBaat
साइकल चलाना स्वास्थ्य और पर्यावरण, दोनों के लिए अच्छा है: मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी #MannKiBaat
प्रधानमंत्री मोदी ने लंबे समय से लंबित इंदु मिल की जमीन का मुद्दा हल करने पर महाराष्ट्र सरकार को बधाई दी

 

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। फिर एक बार, मन की बातें करने के लिए, आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला है। सुदूर दक्षिण में लोग ओणम के पर्व में, रंगे हुए हैं और कल पूरे देश ने रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया। भारत सरकार ने, सामाजिक सुरक्षा को लेकर के कई नई-नई योजनायें, सामान्य मानवों के लिए लागू की हैंI मुझे ख़ुशी है कि बहुत कम समय में, व्यापक प्रमाण में, सबने इन योजनाओं को स्वीकारा है।

मैंने एक छोटी सी गुज़ारिश की थी कि रक्षाबंधन के पर्व पर हम अपनी बहनों को ये सुरक्षा योजना दें। मेरे पास जो मोटी-मोटी जानकारी आई है कि योजना आरम्भ होने से अब तक ग्यारह करोड़ परिवार इस योजना से जुड़े हैं। और मुझे ये भी बताया गया कि, क़रीब-क़रीब आधा लाभ, माताओं-बहनों को मिला है। मैं इसे शुभ संकेत मानता हूँ। मैं सभी माताओं-बहनों को रक्षाबंधन के पावन पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनायें भी देता हूँ।

आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, जन-धन योजना को एक वर्ष पहले बड़े पैमाने पर हाथ में लिया गया था। जो काम साठ साल में नहीं हुआ, वो इतने कम समय में होगा क्या? कई सवालिया निशान थे। लेकिन मुझे आज ख़ुशी है कि इस योजना को लागू करने से संबंधित सरकार की सभी इकाइयों ने, बैंक की सभी इकाइयों ने, जी-जान से सब जुट गये, सफ़लता पाई और अब तक मेरी जानकारी के अनुसार क़रीब पौने अठारह करोड़ बैंक खाते खोले गए। सत्रह करोड़ चौहत्तर लाख। मैंने गरीबों की अमीरी भी देखी। ज़ीरो बैलेंस से खाता खोलना था लेकिन गरीबों ने बचत करके, सेविंग करके बाइस हज़ार करोड़ की राशि जमा करवाई। अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा, बैंकिंग क्षेत्र भी है और ये व्यवस्था ग़रीब के घर तक पहुँचे इसलिए बैंक-मित्र की योजना को भी बल दिया है। आज सवा लाख से भी ज़्यादा बैंक-मित्र देश भर में काम कर रहे हैं। नौजवानों को रोज़गार भी मिला है। आपको जानकर के ख़ुशी होगी कि इस एक वर्ष में, Banking sector, अर्थव्यवस्था और ग़रीब आदमी - इनको जोड़ने के लिए एक लाख इकत्तीस हज़ार Financial Literacy कैम्प लगाये गए हैं। सिर्फ़ खाते खोलकर के अटक नहीं जाना है और अब तो कई हजारों लोग इस जन-धन योजना के तहत overdraft लेने के हक़दार भी बन गए और उन्होंने लिया भी। और ग़रीब को बैंक से पैसा मिल सकता है ये विश्वास भी पैदा हुआ। मैं फिर एक बार, संबंधित सब को बधाई देता हूँ और बैंक के अकाउंट खोलने वाले सभी, ग़रीब से ग़रीब भाइयों-बहनों को भी आग्रह करता हूँ, कि, आप बैंक से नाता टूटने मत दीजिये। ये बैंक आपकी है, आपने इसको अब छोड़ना नहीं चाहिये। मैं आप तक लाया हूँ, अब उसको पकड़ के रखना आपका काम है। हमारे सबके खाते सक्रिय होने चाहियेI आप ज़रूर करेंगे, मुझे विश्वास है।

पिछले दिनों गुजरात की घटनाओं ने, हिंसा के तांडव ने, सारे देश को बेचैन बना दिया और स्वाभाविक है कि गाँधी और सरदार की भूमि पर कुछ भी हो जाए तो देश को सबसे पहले सदमा पहुँचता है, पीड़ा होती है। लेकिन बहुत ही कम समय में गुजरात के प्रबुद्ध, सभी मेरे नागरिक भाइयों और बहनों ने परिस्थिति को संभाल लिया। स्थिति को बिगड़ने से रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर एक बार शांति के मार्ग पर गुजरात चल पड़ा। शांति, एकता, भाईचारा यही रास्ता सही है और विकास के मार्ग पर ही कंधे से कंधा मिलाकर के हमें चलना है। विकास ही हमारी समस्याओं का समाधान है।

पिछले दिनों मुझे सूफ़ी परम्परा के विद्वानों से मिलने का अवसर मिला। उनकी बातें सुनने का अवसर मिला। और मैं सच बताता हूँ कि जिस तज़ुर्बे से, जिस प्रकार से, उनकी बातें मुझे सुनने का अवसर मिला एक प्रकार से जैसे कोई संगीत बज रहा है। उनके शब्दों का चयन, उनका बातचीत का तरीका, यानि सूफ़ी परम्परा में जो उदारता है, जो सौम्यता है, जिसमें एक संगीत का लय है, उन सबकी अनुभूति इन विद्वानों के बीच में मुझे हुई। मुझे बहुत अच्छा लगा। शायद दुनिया को इस्लाम के सही स्वरुप को सही रूप में पहुँचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है। मुझे विश्वास है कि सूफ़ी परम्परा जो प्रेम से जुड़ा हुआ है, उदारता से जुड़ा हुआ है, वे इस संदेश को दूर-दूर तक पहुँचायेंगे, जो मानव-जाति को लाभ करेगा, इस्लाम का भी लाभ करेगाI और मैं औरों को भी कहता हूँ कि हम किसी भी संप्रदाय को क्यों न मानते हों, लेकिन, कभी सूफ़ी परम्परा को समझना चाहिये।

आने वाले दिनों में मुझे एक और अवसर मिलने वाला है, और इस निमंत्रण को मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ। भारत में, विश्व के कई देशों के बौद्ध परंपरा के विद्वान बोधगया में आने वाले हैं, और मानवजाति से जुड़े हुए वैश्विक विषयों पर चर्चा करने वाले हैं, मुझे भी उसमें निमंत्रण मिला है, और मेरे लिए खुशी की बात है कि उन लोगों ने मुझे बोधगया आने का निमंत्रण दिया है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु बोधगया गए थे। मुझे विश्व भर के इन विद्वानों के साथ, बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है, मेरे लिए एक बहुत ही आनंद का पल है।

मेरे प्यारे किसान भाइयो-बहनों, मैं फिर एक बार आप को विशेष रूप से आज मन की बात बताना चाहता हूँ। मैं पहले भी ‘मन की बात’ में, इस विषय का जिक्र कर चुका हूं। आप ने सुना होगा, संसद में मुझे सुना होगा, सार्वजनिक सभाओं मे सुना होगा, ‘मन की बात’ में सुना होगा। मैं हर बार एक बात कहता आया हूँ, कि जिस ‘Land Acquisition Act’ के सम्बन्ध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में सरकार का मन खुला है। किसानों के हित के किसी भी सुझाव को मैं स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, ये बार-बार मैं कहता रहा हूं। लेकिन आज मुझे, मेरे किसान भाइयों-बहनों को ये कहना है कि ‘Land Acquisition Act’’ में सुधार की बात राज्यों की तरफ से आई, आग्रहपूर्वक आई और सब को लगता था, कि गाँव, ग़रीब किसान का अगर भला करना है, खेतों तक पानी पहुँचाने के लिए नहरें बनानी हैं, गाँव में बिजली पहुँचाने के लिए खम्बे लगाने हैं, गाँव के लिए सड़क बनानी है, गाँव के ग़रीबों के लिए घर बनाने हैं, गाँव के ग़रीब नौजवानों को रोज़गार के लिए व्यवस्थायें उपलब्ध करानी हैं, तो हमें ये अफ़सरशाही के चंगुल से, कानून को निकालना पड़ेगा और तब जाकर के सुधार का प्रस्ताव आया था। लेकिन मैंने देखा कि इतने भ्रम फैलाए गए, किसान को इतना भयभीत कर दिया गया। मेरे किसान भाइयो-बहनो, मेरा किसान न भ्रमित होना चाहिये, और भयभीत तो कतई ही नहीं होना चाहिए, और मैं ऐसा कोई अवसर किसी को देना नहीं चाहता हूं, जो किसानों को भयभीत करे, किसानों को भ्रमित करे, और मेरे लिए देश में, हर एक आवाज़ का महत्व है, लेकिन किसानों की आवाज़ का विशेष महत्व है। हमने एक Ordinance जारी किया था, कल 31 अगस्त को Ordinance की सीमा समाप्त हो रही है, और मैंने तय किया है, समाप्त होने दिया जाए। मतलब ये हुआ, कि मेरी सरकार बनी, उसके पहले जो स्थिति थी, वो अब पुनःप्रस्थापित हो चुकी है। लेकिन उसमें एक काम अधूरा था, और वो था - 13 ऐसे बिंदु थे, जिसको एक साल में पूर्ण करना था और इसलिए हम Ordinance में उसको लाये थे, लेकिन इन विवादों के रहते वो मामला भी उलझ गया। Ordinance तो समाप्त हो रहा है, लेकिन जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलने वाला है, किसानों का सीधा आर्थिक लाभ जिससे जुड़ा हुआ है, उन 13 बिंदुओं को, हम नियमों के तहत लाकर के, आज ही लागू कर रहे हैं ताकि किसानों को नुकसान न हो, आर्थिक हानि न हो, और इसलिए जिन 13 बिन्दुओं को लागू करना पहले के कानून में बाकी था, उसको आज हम पूरा कर रहे हैं, और मेरे किसान भाइयों और बहनों को मैं विश्वास दिलाता हूँ, कि हमारे लिए ‘’जय-जवान, जय-किसान’ ये नारा नहीं है, ये हमारा मंत्र है - गाँव, ग़रीब किसान का कल्याण - और तभी तो हमने 15 अगस्त को कहा था, कि सिर्फ कृषि विभाग नहीं, लेकिन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग बनाया जायेगा, जिसका निर्णय हमने बहुत तेज़ी से आगे बढ़ाया है। तो मेरे किसान भाइयो-बहनो, अब न भ्रम का कोई कारण है, और न ही कोई भयभीत करने का प्रयास करे, तो आपको भयभीत होने की आवश्यकता है।

मुझे एक बात और भी कहनी है कि दो दिन पूर्व 1965 के युद्ध के पचास साल हुए और जब-जब 1965 के युद्ध की बात आती है तो लाल बहादुर शास्त्री जी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। “जय-जवान, जय-किसान” मंत्र भी याद आना बहुत स्वाभाविक है। और भारत के तिरंगे झंडे को, उसकी आन-बान-शान बनाये रखने वाले, उन सभी शहीदों का स्मरण होना बहुत स्वाभाविक है। 65 के युद्ध के विजय के सभी संबंधितों को मैं प्रणाम करता हूँ। वीरों को नमन करता हूँ। और ऐसी इतिहास की घटनाओं से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती रहे।

जिस प्रकार से पिछले सप्ताह मुझे सूफ़ी परम्परा के लोगों से मिलने का अवसर मिला उसी प्रकार से एक बड़ा सुखद अनुभव रहा। मुझे देश के गणमान्य वैज्ञानिकों के साथ घंटों तक बातें करने का अवसर मिला। उनको सुनने का अवसर मिला, और मुझे प्रसन्नता हुई कि साइंस के क्षेत्र में, भारत कई दिशाओं में, बहुत ही उत्तम प्रकार के काम कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक, सचमुच में उत्तम प्रकार का काम कर रहे हैं। अब हमारे सामने अवसर है कि इन संशोधनों को जन-सामान्य तक कैसे पहुँचायें? सिद्धांतों को उपकरणों में कैसे तब्दील करें? Lab को Land के साथ कैसे जोड़ें? एक अवसर के रूप में उसको आगे बढ़ाना है। कई नई जानकारियां भी मुझे मिलीं। मैं कह सकता हूँ कि मेरे लिए वो एक बहुत ही inspiring भी था, educative भी था। और मैंने देखा, कई नौजवान वैज्ञानिक क्या उमंग से बातें बता रहे थे, कैसे सपने उनकी आँखों में दिखाई दे रहे थे। और जब मैंने पिछली बार ‘मन की बात’ में कहा था कि हमारे विद्यार्थियों को विज्ञान की ओर आगे बढ़ना चाहिये। इस मीटिंग के बाद मुझे लगता है कि बहुत अवसर हैं, बहुत संभावनाएं हैं। मैं फिर से एक बार उसको दोहराना चाहूँगा। सभी नौजवान मित्र साइंस की तरफ़ रूचि लें, हमारे Educational Institutions भी विद्यार्थियों को प्रेरित करें।

मुझे नागरिकों से कई चिट्ठियाँ आती रहती हैं। ठाणे से, श्रीमान परिमल शाह ने ‘MyGov.in’ पर मुझे Educational Reforms के संबंध में लिखा है। Skill Development के लिए लिखा है। तमिलनाडु के चिदंबरम से श्रीमान प्रकाश त्रिपाठी ने प्राइमरी शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों की ज़रूरत पर बल दिया है। शिक्षा क्षेत्र में सुधारों पर बल दिया है।

मुझे ख़ास मेरे नौजवान मित्रों को भी एक बात कहनी है कि मैंने 15 अगस्त को लालकिले पर से कहा था, कि निचले स्तर के नौकरी के लिए ये interview क्यों? और फ़िर जब interview का कॉल आता है तो हर गरीब परिवार, विधवा माँ, सिफारिश कहाँ से मिलेगी, किसकी मदद से नौकरी मिलेगी, जैक किसका लगायेंगे? पता नहीं कैसे-कैसे शब्द प्रयोग हो रहे हैं? सब लोग दौड़ते हैं, और शायद नीचे के स्तर पर भ्रष्टाचार का ये भी एक कारण है। और मैंने 15 अगस्त को कहा था कि मैं चाहता हूँ कि interview की परम्परा से एक स्तर से नीचे तो मुक्ति होनी चाहिये। मुझे खुशी है कि इतने कम समय में, अभी 15 दिन हुए हैं, लेकिन सरकार, बहुत ही तेज़ी से आगे बढ़ रही है। सूचनायें भेजी जा रही हैं, और क़रीब-क़रीब अब निर्णय अमल भी हो जायेगा कि interview के चक्कर से छोटी-छोटी नौकरियाँ छूट जायेंगी। ग़रीब को सिफ़ारिश के लिए दौड़ना नहीं पड़ेगा। exploitation नहीं होगा, corruption नहीं होगा।

इन दिनों भारत में विश्व के कई देशों के मेहमान आये हैं। स्वास्थ्य के लिए, ख़ासकर के माता-मृत्युदर और शिशु-मृत्युदर कम हो, उसकी कार्य योजना के लिए ‘Call to Action’ दुनिया के 24 देश मिलकर के भारत की भूमि में चिंतन किया। अमेरिका के बाहर ये पहली बार, किसी और देश में ये कार्यक्रम हुआ। और ये बात सही है कि आज भी हमारे देश में हर वर्ष क़रीब-क़रीब 50 हज़ार मातायें और 13 लाख बच्चे, प्रसूति के समय ही और उसके तत्काल बाद ही उनकी मृत्यु हो जाती है। ये चिन्ताजनक है और डरावना है। वैसे सुधार काफ़ी हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सराहना भी होने लगी है, फ़िर भी ये आंकड़ा कम नहीं है। जैसे हम लोगों ने पोलियो से मुक्ति पाई, वैसे ही, माताओं और शिशु के मृत्यु में टिटनेस, उससे भी मुक्ति पाई। विश्व ने इसको स्वीकारा है। लेकिन हमें अभी भी हमारी माताओं को बचाना है, हमारे नवजात बच्चों को बचाना है।

भाइयो-बहनो, आजकल डेंगू की खबर आती रहती है। ये बात सही है कि डेंगू खतरनाक है, लेकिन उसका बचाव बहुत आसान है। और जो मैं स्वच्छ भारत की बात कर रहा हूँ न, उससे वो सीधा-सीधा जुड़ा हुआ है। TV पर हम advertisement देखते हैं, लेकिन हमारा ध्यान नहीं जाता है। अखबार में advertisement छपती है, लेकिन हमारा ध्यान नहीं जाता है। घर में छोटी-छोटी चीज़ों में सफाई शुद्ध पानी से भी रख-रखाव करने के तरीके हैं। इन बातों में व्यापक लोक-शिक्षा हो रही है, लेकिन हमारा ध्यान नहीं जाता है और कभी-कभी लगता है कि हम तो बहुत ही अच्छे घर में रहते हैं, बहुत ही बढ़िया व्यवस्था वाले हैं और पता नहीं होता है कि हमारे ही कहीं पानी भरा हुआ है और कहीं हम डेंगू को निमंत्रण दे देते हैं। मैं आप सब से यही आग्रह करूँगा कि मौत को हमने इतना सस्ता नहीं बनने देना चाहिए। ज़िंदगी बहुत मूल्यवान है। पानी की बेध्यानी, स्वच्छता पर उदासीनता, ये मृत्यु का कारण बन जाएं, ये तो ठीक नहीं है! पूरे देश में करीब 514 केन्द्रों पर डेंगू के लिए मुफ़्त में जांच की सुविधायें उपलब्ध हैं। समय से रहते ही, जांच करवाना ही जीवन रक्षा के लिए उपयोगी है और इसमें आप सबका साथ-सहयोग बहुत आवश्यक है। और स्वच्छता को तो बहुत महत्व देना चाहिए। इन दिनों तो रक्षा-बंधन से दीवाली तक एक प्रकार से हमारे देश में उत्सव ही उत्सव होते हैं। हमारे हर उत्सव को स्वच्छता के साथ अब क्यों न जोड़ें? आप देखिये संस्कार स्वभाव बन जाएंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज मुझे एक खुशखबरी सुनानी है आपको, मैं हमेशा कहता हूँ कि अब हमें देश के लिए मरने का सौभाग्य नहीं मिलेगा, लेकिन देश के लिए जीने का तो सौभाग्य मिला ही है। हमारे देश के दो नौजवान और दोनों भाई और वे भी मूल हमारे महाराष्ट्र के नासिक के - डॉ. हितेंद्र महाजन, डॉ. महेंद्र महाजन, लेकिन इनके दिल में भारत के आदिवासियों की सेवा करने का भाव प्रबल रहता है। इन दोनों भाइयों ने भारत का गौरव बढ़ाया है। अमेरिका में ‘Race across America’ एक Cycle-Race होती है, बड़ी कठिन होती है, करीब चार हजार आठ सौ किलोमीटर लम्बी रेस होती है। इस वर्ष इन दोनों भाइयों ने इस रेस में विजय प्राप्त किया। भारत का सम्मान बढ़ाया। मैं इन दोनों भाइयों को बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, अभिनंदन करता हूँ। लेकिन सबसे ज्यादा मुझे इस बात की खुशी हुई कि उनका ये सारा अभियान ‘Team India – Vision for Tribal’ आदिवासियों के लिए कुछ कर गुज़रने के इरादे से वो करते हैंI देखिये, देश को आगे बढ़ाने के लिए हर कोई कैसे अपने-अपने प्रयास कर रहा है। और यही तो हैं, जब ऐसी घटनाएं सुनते हैं तो सीना तन जाता है।

कभी-कभार perception के कारण हम हमारे युवकों के साथ घोर अन्याय कर देते हैं। और पुरानी पीढ़ी को हमेशा लगता है, नई पीढ़ी को कुछ समझ नहीं है और मैं समझता हूँ ये सिलसिला तो सदियों से चला आया है। मेरा युवकों के संबंध में अनुभव अलग है। कभी-कभी तो युवकों से बातें करते हैं तो हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मैं कई ऐसे युवकों को मिला हूँ जो कहते हैं कि भई, मैंने तो जीवन में व्रत लिया हुआ है ‘Sunday on Cycle’। कुछ लोग कहते हैं कि मैंने तो सप्ताह में एक दिन Cycle-Day रखा हुआ है। मेरी health के लिए भी अच्छा रहता है। environment के लिए भी अच्छा रहता है। और मुझे अपने युवा होने का बड़ा आनंद भी आता है। आजकल तो हमारे देश में भी साइकिल कई शहरों में चलती है और साइकिल को promote करने वाले लोग भी बहुत हैं। लेकिन ये पर्यावरण की रक्षा के लिए और स्वास्थ्य के सुधार के लिए अच्छे प्रयास हैं। और आज जब मेरे देश के दो नौजवानों ने अमेरिका में झंडा फहरा दिया, तो भारत के युवक भी जिस दिशा में जो सोचते हैं, उसका उल्लेख करना मुझे अच्छा लगा।

मैं आज विशेष रूप से महाराष्ट्र सरकार को बधाई देना चाहता हूँ। मुझे आनंद होता है। बाबा साहेब अम्बेडकर - मुंबई की ‘इंदू मिल’ की ज़मीन - उनका स्मारक बनाने के लिए लम्बे अरसे से मामला लटका पड़ा था। महाराष्ट्र की नई सरकार ने इस काम को पूरा किया और अब वहाँ बाबा साहेब अम्बेडकर का भव्य-दिव्य प्रेरक स्मारक बनेगा, जो हमें दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित के लिए कार्य करने की प्रेरणा देता रहेगा। लेकिन साथ-साथ, लंदन में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर जहाँ रहते थे - 10, किंग हेनरी रोड, वो मकान भी अब खरीद लिया है। विश्व भर में सफ़र करने वाले भारतीय जब लंदन जाएंगे तो बाबा साहेब अम्बेडकर जो स्मारक अब महाराष्ट्र सरकार वहाँ बनाने वाली है, वो एक हमारा प्रेरणा-स्थल बनेगा। मैं महाराष्ट्र सरकार को बाबा साहेब अम्बेडकर को सम्मानित करने के इन दोनों प्रयासों के लिए साधुवाद देता हूँ, उनका गौरव करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ।

मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, अगली “मन की बात” आने से पूर्व आप अपने विचार जरुर मुझे बताइये, क्योंकि मेरा विश्वास है कि लोकतंत्र लोक-भागीदारी से चलता है। जन-भागीदारी से चलता है। कंधे से कन्धा मिला करके ही देश आगे बढ़ सकता है। मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.