किसान रेल सेवा, देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा : प्रधानमंत्री
स्टोरेज से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर हो या फिर खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं : प्रधानमंत्री
गांवों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए किसानों को बेहतर जीवन देने के लिए एक के बाद एक कृषि सुधार किए जा रहे हैं : प्रधानमंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी, रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी, अन्य सांसदगण, विधायक गण, और मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं सबसे पहले देश के करोड़ों किसानों को बधाई देता हूं।

अगस्त महीने में देश की पहली किसान और खेती के लिए पूरी तरह से समर्पित रेल शुरु की गई थी। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, देश के हर क्षेत्र की खेती को, किसानों को किसान रेल से कनेक्ट किया जा रहा है। कोरोना की चुनौती के बीच भी बीते 4 महीनों में किसान रेल का ये नेटवर्क आज 100 के आंकड़े पर पहुंच चुका है। आज 100वीं किसान रेल थोड़ी देर पहले महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार के लिए रवाना हुई है। यानि एक प्रकार से पश्चिम बंगाल के किसानों, पशुपालकों, मछुआरों की पहुंच मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे महाराष्ट्र के बड़े बाज़ार तक हो गई है। वहीं महाराष्ट्र के साथियों को अब पश्चिम बंगाल के मार्केट से जुड़ने के लिए सस्ती और सुलभ सुविधा मिल गई है। जो रेल अभी तक पूरे देश को आपस में जोड़ती थी, वो अब पूरे देश के कृषि बाज़ार को भी जोड़ रही है, एक कर रही है।

साथियों,

किसान रेल सेवा, देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इससे देश की cold supply chain की ताकत भी बढ़ेगी। सबसे बड़ी बात ये कि किसान रेल से देश के 80 प्रतिशत से अधिक, छोटे और सीमांत किसानों को बहुत बड़ी शक्ति मिली है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि इसमें किसानों के लिए कोई न्यूनतम मात्रा तय नहीं की गई है। अगर कोई किसान 50-100 किलो का पार्सल भी भेजना चाहता है तो वो भी भेज सकता है। यानि छोटे किसान का छोटे से छोटा उत्पाद भी कम कीमत में सही सलामत बड़े बाज़ार तक पहुंच पाएगा। मैंने कहीं पढ़ा था कि अब तक का जो रेलवे का सबसे छोटा consignment है, वो अनार का 3 किलो का पैकेट किसान रेल से ही भेजा गया। यही नहीं एक मुर्गीपालक ने 17 दर्जन अंडे भी किसान रेल से भेजे हैं।

साथियों,

भंडारण और cold storage के अभाव में देश के किसान का नुकसान हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। हमारी सरकार भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाओं पर, supply chain के आधुनिकीकरण पर करोड़ों का निवेश तो कर ही रही है, किसान रेल जैसी नई पहल भी की जा रही है। आज़ादी के पहले से भी भारत के पास बहुत बड़ा रेलवे नेटवर्क रहा है। Cold storage से जुड़ी technolgy भी पहले से मौजूद रही है। अब किसान रेल के माध्यम से इस शक्ति का बेहतर इस्तेमाल होना शुरू हुआ है।

साथियों,

छोटे किसानों को कम खर्च में बड़े और नए बाज़ार देने के लिए, हमारी नीयत भी साफ है और हमारी नीति भी स्पष्ट है। हमने बजट में ही इससे जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं कर दी थीं। पहली किसान रेल और दूसरी कृषि उड़ान। यानि जब हम ये कह रहे हैं कि हमारी सरकार अपने किसानों की पहुंच को देश के दूर-दराज वाले क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बढ़ा रही है हम हवा में बातें नहीं कर रहे हैं। ये मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर हैं।

साथियों,

शुरुआत में किसान रेल साप्ताहिक थी। कुछ ही दिनों में ऐसी रेल की मांग इतनी बढ़ गयी है कि अब सप्ताह में तीन दिन ये रेल चलानी पड़ रही है। सोचिए, इतने कम समय में सौवीं किसान रेल! ये कोई साधारण बात नहीं है। ये स्पष्ट संदेश है कि देश का किसान क्या चाहता है।

साथियों,

ये काम किसानों की सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। लेकिन ये इस बात का भी प्रमाण है कि हमारे किसान नई संभावनाओं के लिए कितनी तेजी से तैयार हैं। किसान, दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलें बेच सकें, उसमें किसान रेल और कृषि उड़ान की बड़ी भूमिका है। मुझे बहुत संतोष है कि देश के पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि उड़ान से लाभ होना शुरू हो गया है। ऐसी ही पुख्ता तैयारियों के बाद ऐतिहासिक कृषि सुधारों की तरफ हम बढ़े हैं।

साथियों,

किसान रेल से किसान को कैसे नए बाजार मिल रहे हैं, कैसे उसकी आय बेहतर हो रही है और खर्च भी कम हो रहे हैं, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। कई बार हम खबरें देखते हैं कि कुछ वजहों से जब टमाटर की कीमत किसी जगह पर कम हो जाती है, तो किसानों का क्या हाल होता है। ये स्थिति बहुत दुखदायी होती है। किसान अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देखता है, असहाय होता है। लेकिन अब नए कृषि सुधारों के बाद, किसान रेल की सुविधा के बाद, उसे एक और विकल्प मिला है। अब हमारा किसान अपनी उपज देश के उन हिस्सों तक पहुंचा सकता है जहां पर टमाटर की मांग ज्यादा है, जहां उसे बेहतर कीमत मिल सकती है। वो फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी का भी लाभ ले सकता है।

भाइयों और बहनों,

किसान रेल की एक और खास बात है। ये किसान रेल एक प्रकार से चलता फिरता cold storage भी है। यानि इसमें फल हो, सब्ज़ी हो, दूध हो, मछली हो, यानि जो भी जल्दी खराब होने वाली चीजें हैं, वो पूरी सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही हैं। पहले यही सामान किसान को सड़क के माध्यम से ट्रकों में भेजना पड़ता था। सड़क के रास्ते transportation की अनेक समस्याएं हैं। एक तो इसमें समय बहुत लगता है। सड़क के रास्ते भाड़ा भी अधिक होता है। यानि गांव में उगाने वाला हो या फिर शहर में खाने वाला, दोनों को ये महंगा पड़ता है। अब जैसे, आज ही जो ट्रेन पश्चिम बंगाल के लिए निकली है, इसमें महाराष्ट्र से अनार, अंगूर, संतरे और Custard apple जिसको कई जगह सीताफल भी कहते हैं, ऐसे उत्पाद भेजे जा रहे हैं।

ये ट्रेन करीब-करीब 40 घंटे में वहां पहुंचेगी। वहीं रोड से 2 हज़ार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करने में कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान ये ट्रेन बीच में कई राज्यों के बड़े-बड़े स्टेशनों में भी रुकेगी। वहां से भी अगर किसानों ने कोई उपज भेजनी है, या वहां भी कोई ऑर्डर उतरना है, उसको भी किसान रेल पूरा करेगी। यानि बीच में भी अनेक बाज़ारों तक किसान रेल, किसान का माल पहुंचाती भी है और उठाती भी है। जहां तक भाड़े की बात है, तो इस रूट पर रेल का मालभाड़ा ट्रक के मुकाबले वैसे भी लगभग 1700 रुपए कम है। किसान रेल में तो सरकार 50 प्रतिशत छूट भी दे रही है। इसका भी किसानों को लाभ हो रहा है।

साथियों,

किसान रेल जैसी सुविधाएं मिलने से cash crops या ज्यादा दाम वाली, ज्यादा पोषक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन बढ़ेगा। छोटा किसान पहले इन सबसे से इसलिए नहीं जुड़ पाता था क्योंकि उसको cold storage और बड़े मार्केट मिलने में दिक्कत होती थी। दूर के बाज़ार तक पहुंचाने में उसका किराए-भाड़े में ही काफी खर्च हो जाता था। इसी समस्या को देखते हुए 3 साल पहले हमारी सरकार ने टमाटर, प्याज, आलू के transportation के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी गई थी। अब आत्मनिर्भर अभियान के तहत इसको दर्जनों दूसरे फल और सब्जियों के लिए भी बढ़ाया गया है। इसका भी सीधा लाभ देश के किसान को मिल रहा है।

भाइयों और बहनों,

आज पश्चिम बंगाल का किसान भी इस सुविधा से जुड़ा है। पश्चिम बंगाल में आलू, कटहल, गोभी, बैंगन, जैसी अऩेक सब्जियां खूब होती हैं। इसी तरह अनानास, लीची, आम, केला, ऐसे अनेक फल भी वहां के किसान उगाते हैं। मछली चाहे मीठे पानी की हो या खारे पानी की, पश्चिम बंगाल में कोई कमी नहीं है। समस्या इनको देशभर के मार्केट तक पहुंचाने की रही है। अब किसान रेल जैसी सुविधा से पश्चिम बंगाल के लाखों छोटे किसानों को एक बहुत बड़ा विकल्प मिला है। और ये विकल्प किसान के साथ ही स्थानीय बाज़ार के जो छोटे-छोटे व्यापारी हैं उनको भी मिला है। वो किसान से ज्यादा दाम में ज्यादा माल खरीदकर किसान रेल के ज़रिए दूसरे राज्यों में भी बेच सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

गांवों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए, किसानों को बेहतर जीवन देने के लिए नई सुविधा, नए समाधान ज़रूरी है। इसी लक्ष्य के साथ एक के बाद एक कृषि सुधार किए जा रहे हैं। कृषि से जुड़े experts और दुनिया भर के अनुभवों और नई टेक्नॉलॉजी का भारतीय कृषि में समावेश किया जा रहा है। Storage से जुड़ा infrastructure हो या फिर खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं। रेलवे स्टेशनों के पास देशभर में Perishable Cargo Centers बनाए जा रहे हैं, जहां किसान अपनी उपज को स्टोर कर सकता है। कोशिश ये है कि जितनी फल सब्जियां सीधे घरों तक पहुंच सकती हैं वो पहुंचाई जाए। इसके अतिरिक्त जो उत्पादन होता है, उसको जूस, आचार, सॉस, चटनी, चिप्स, ये सब बनाने वाले उद्यमियों तक पहुंचाया जाए।

पीएम कृषि संपदा योजना के तहत mega food parks, cold chain infrastructure, agro processing cluster, processing unit, ऐसे करीब साढ़े 6 हजार projects स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से अनेक project पूरे हो चुके हैं और लाखों किसान परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। आत्मनिर्भर अभियान पैकेज के तहत भी micro food processing उद्योगों के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

साथियों,

आज अगर सरकार देशवासियों की छोटी-छोटी ज़रूरतों को भी पूरा कर पा रही है तो, इसका कारण है सहभागिता। कृषि से जुड़े जितने भी सुधार हो रहे हैं, इनकी सबसे बड़ी ताकत ही गांवों के लोगों की, किसानों की, युवाओं की भागीदारी है। FPOs यानि किसान उत्पादक संघ हों, दूसरे सहकारी संघ हों, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह हों, कृषि व्यापार में और कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में इनको प्राथमिकता दी जा रही है। नए कृषि सुधारों से कृषि से जुड़ा जो व्यापार-कारोबार बढ़ने वाला है, उसके बड़े लाभार्थी भी किसानों के, ग्रामीण युवाओं के, महिलाओं के यही संगठन हैं।

कृषि कारोबार में जो निजी निवेश होगा, उससे सरकार की इन कोशिशों को ताकत ही मिलेगी। हम पूरी निष्ठा से, पूरी ताकत से भारतीय कृषि को और किसान को सशक्त करने के रास्ते पर चलते रहेंगे। एक बार फिर देश के किसानों को 100वीं किसान रेल और नई संभावनाओं के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। रेल मंत्रालय को बधाई देता हूं, कृषि मंत्रालय को बधाई देता हूं और देश के कोटि-कोटि किसानों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.