किसान रेल सेवा, देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा : प्रधानमंत्री
स्टोरेज से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर हो या फिर खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं : प्रधानमंत्री
गांवों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए किसानों को बेहतर जीवन देने के लिए एक के बाद एक कृषि सुधार किए जा रहे हैं : प्रधानमंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी, रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी, अन्य सांसदगण, विधायक गण, और मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं सबसे पहले देश के करोड़ों किसानों को बधाई देता हूं।

अगस्त महीने में देश की पहली किसान और खेती के लिए पूरी तरह से समर्पित रेल शुरु की गई थी। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, देश के हर क्षेत्र की खेती को, किसानों को किसान रेल से कनेक्ट किया जा रहा है। कोरोना की चुनौती के बीच भी बीते 4 महीनों में किसान रेल का ये नेटवर्क आज 100 के आंकड़े पर पहुंच चुका है। आज 100वीं किसान रेल थोड़ी देर पहले महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार के लिए रवाना हुई है। यानि एक प्रकार से पश्चिम बंगाल के किसानों, पशुपालकों, मछुआरों की पहुंच मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे महाराष्ट्र के बड़े बाज़ार तक हो गई है। वहीं महाराष्ट्र के साथियों को अब पश्चिम बंगाल के मार्केट से जुड़ने के लिए सस्ती और सुलभ सुविधा मिल गई है। जो रेल अभी तक पूरे देश को आपस में जोड़ती थी, वो अब पूरे देश के कृषि बाज़ार को भी जोड़ रही है, एक कर रही है।

साथियों,

किसान रेल सेवा, देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इससे देश की cold supply chain की ताकत भी बढ़ेगी। सबसे बड़ी बात ये कि किसान रेल से देश के 80 प्रतिशत से अधिक, छोटे और सीमांत किसानों को बहुत बड़ी शक्ति मिली है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि इसमें किसानों के लिए कोई न्यूनतम मात्रा तय नहीं की गई है। अगर कोई किसान 50-100 किलो का पार्सल भी भेजना चाहता है तो वो भी भेज सकता है। यानि छोटे किसान का छोटे से छोटा उत्पाद भी कम कीमत में सही सलामत बड़े बाज़ार तक पहुंच पाएगा। मैंने कहीं पढ़ा था कि अब तक का जो रेलवे का सबसे छोटा consignment है, वो अनार का 3 किलो का पैकेट किसान रेल से ही भेजा गया। यही नहीं एक मुर्गीपालक ने 17 दर्जन अंडे भी किसान रेल से भेजे हैं।

साथियों,

भंडारण और cold storage के अभाव में देश के किसान का नुकसान हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। हमारी सरकार भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाओं पर, supply chain के आधुनिकीकरण पर करोड़ों का निवेश तो कर ही रही है, किसान रेल जैसी नई पहल भी की जा रही है। आज़ादी के पहले से भी भारत के पास बहुत बड़ा रेलवे नेटवर्क रहा है। Cold storage से जुड़ी technolgy भी पहले से मौजूद रही है। अब किसान रेल के माध्यम से इस शक्ति का बेहतर इस्तेमाल होना शुरू हुआ है।

साथियों,

छोटे किसानों को कम खर्च में बड़े और नए बाज़ार देने के लिए, हमारी नीयत भी साफ है और हमारी नीति भी स्पष्ट है। हमने बजट में ही इससे जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं कर दी थीं। पहली किसान रेल और दूसरी कृषि उड़ान। यानि जब हम ये कह रहे हैं कि हमारी सरकार अपने किसानों की पहुंच को देश के दूर-दराज वाले क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बढ़ा रही है हम हवा में बातें नहीं कर रहे हैं। ये मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर हैं।

साथियों,

शुरुआत में किसान रेल साप्ताहिक थी। कुछ ही दिनों में ऐसी रेल की मांग इतनी बढ़ गयी है कि अब सप्ताह में तीन दिन ये रेल चलानी पड़ रही है। सोचिए, इतने कम समय में सौवीं किसान रेल! ये कोई साधारण बात नहीं है। ये स्पष्ट संदेश है कि देश का किसान क्या चाहता है।

साथियों,

ये काम किसानों की सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। लेकिन ये इस बात का भी प्रमाण है कि हमारे किसान नई संभावनाओं के लिए कितनी तेजी से तैयार हैं। किसान, दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलें बेच सकें, उसमें किसान रेल और कृषि उड़ान की बड़ी भूमिका है। मुझे बहुत संतोष है कि देश के पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि उड़ान से लाभ होना शुरू हो गया है। ऐसी ही पुख्ता तैयारियों के बाद ऐतिहासिक कृषि सुधारों की तरफ हम बढ़े हैं।

साथियों,

किसान रेल से किसान को कैसे नए बाजार मिल रहे हैं, कैसे उसकी आय बेहतर हो रही है और खर्च भी कम हो रहे हैं, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। कई बार हम खबरें देखते हैं कि कुछ वजहों से जब टमाटर की कीमत किसी जगह पर कम हो जाती है, तो किसानों का क्या हाल होता है। ये स्थिति बहुत दुखदायी होती है। किसान अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देखता है, असहाय होता है। लेकिन अब नए कृषि सुधारों के बाद, किसान रेल की सुविधा के बाद, उसे एक और विकल्प मिला है। अब हमारा किसान अपनी उपज देश के उन हिस्सों तक पहुंचा सकता है जहां पर टमाटर की मांग ज्यादा है, जहां उसे बेहतर कीमत मिल सकती है। वो फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी का भी लाभ ले सकता है।

भाइयों और बहनों,

किसान रेल की एक और खास बात है। ये किसान रेल एक प्रकार से चलता फिरता cold storage भी है। यानि इसमें फल हो, सब्ज़ी हो, दूध हो, मछली हो, यानि जो भी जल्दी खराब होने वाली चीजें हैं, वो पूरी सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही हैं। पहले यही सामान किसान को सड़क के माध्यम से ट्रकों में भेजना पड़ता था। सड़क के रास्ते transportation की अनेक समस्याएं हैं। एक तो इसमें समय बहुत लगता है। सड़क के रास्ते भाड़ा भी अधिक होता है। यानि गांव में उगाने वाला हो या फिर शहर में खाने वाला, दोनों को ये महंगा पड़ता है। अब जैसे, आज ही जो ट्रेन पश्चिम बंगाल के लिए निकली है, इसमें महाराष्ट्र से अनार, अंगूर, संतरे और Custard apple जिसको कई जगह सीताफल भी कहते हैं, ऐसे उत्पाद भेजे जा रहे हैं।

ये ट्रेन करीब-करीब 40 घंटे में वहां पहुंचेगी। वहीं रोड से 2 हज़ार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करने में कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान ये ट्रेन बीच में कई राज्यों के बड़े-बड़े स्टेशनों में भी रुकेगी। वहां से भी अगर किसानों ने कोई उपज भेजनी है, या वहां भी कोई ऑर्डर उतरना है, उसको भी किसान रेल पूरा करेगी। यानि बीच में भी अनेक बाज़ारों तक किसान रेल, किसान का माल पहुंचाती भी है और उठाती भी है। जहां तक भाड़े की बात है, तो इस रूट पर रेल का मालभाड़ा ट्रक के मुकाबले वैसे भी लगभग 1700 रुपए कम है। किसान रेल में तो सरकार 50 प्रतिशत छूट भी दे रही है। इसका भी किसानों को लाभ हो रहा है।

साथियों,

किसान रेल जैसी सुविधाएं मिलने से cash crops या ज्यादा दाम वाली, ज्यादा पोषक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन बढ़ेगा। छोटा किसान पहले इन सबसे से इसलिए नहीं जुड़ पाता था क्योंकि उसको cold storage और बड़े मार्केट मिलने में दिक्कत होती थी। दूर के बाज़ार तक पहुंचाने में उसका किराए-भाड़े में ही काफी खर्च हो जाता था। इसी समस्या को देखते हुए 3 साल पहले हमारी सरकार ने टमाटर, प्याज, आलू के transportation के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी गई थी। अब आत्मनिर्भर अभियान के तहत इसको दर्जनों दूसरे फल और सब्जियों के लिए भी बढ़ाया गया है। इसका भी सीधा लाभ देश के किसान को मिल रहा है।

भाइयों और बहनों,

आज पश्चिम बंगाल का किसान भी इस सुविधा से जुड़ा है। पश्चिम बंगाल में आलू, कटहल, गोभी, बैंगन, जैसी अऩेक सब्जियां खूब होती हैं। इसी तरह अनानास, लीची, आम, केला, ऐसे अनेक फल भी वहां के किसान उगाते हैं। मछली चाहे मीठे पानी की हो या खारे पानी की, पश्चिम बंगाल में कोई कमी नहीं है। समस्या इनको देशभर के मार्केट तक पहुंचाने की रही है। अब किसान रेल जैसी सुविधा से पश्चिम बंगाल के लाखों छोटे किसानों को एक बहुत बड़ा विकल्प मिला है। और ये विकल्प किसान के साथ ही स्थानीय बाज़ार के जो छोटे-छोटे व्यापारी हैं उनको भी मिला है। वो किसान से ज्यादा दाम में ज्यादा माल खरीदकर किसान रेल के ज़रिए दूसरे राज्यों में भी बेच सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

गांवों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए, किसानों को बेहतर जीवन देने के लिए नई सुविधा, नए समाधान ज़रूरी है। इसी लक्ष्य के साथ एक के बाद एक कृषि सुधार किए जा रहे हैं। कृषि से जुड़े experts और दुनिया भर के अनुभवों और नई टेक्नॉलॉजी का भारतीय कृषि में समावेश किया जा रहा है। Storage से जुड़ा infrastructure हो या फिर खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं। रेलवे स्टेशनों के पास देशभर में Perishable Cargo Centers बनाए जा रहे हैं, जहां किसान अपनी उपज को स्टोर कर सकता है। कोशिश ये है कि जितनी फल सब्जियां सीधे घरों तक पहुंच सकती हैं वो पहुंचाई जाए। इसके अतिरिक्त जो उत्पादन होता है, उसको जूस, आचार, सॉस, चटनी, चिप्स, ये सब बनाने वाले उद्यमियों तक पहुंचाया जाए।

पीएम कृषि संपदा योजना के तहत mega food parks, cold chain infrastructure, agro processing cluster, processing unit, ऐसे करीब साढ़े 6 हजार projects स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से अनेक project पूरे हो चुके हैं और लाखों किसान परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। आत्मनिर्भर अभियान पैकेज के तहत भी micro food processing उद्योगों के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

साथियों,

आज अगर सरकार देशवासियों की छोटी-छोटी ज़रूरतों को भी पूरा कर पा रही है तो, इसका कारण है सहभागिता। कृषि से जुड़े जितने भी सुधार हो रहे हैं, इनकी सबसे बड़ी ताकत ही गांवों के लोगों की, किसानों की, युवाओं की भागीदारी है। FPOs यानि किसान उत्पादक संघ हों, दूसरे सहकारी संघ हों, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह हों, कृषि व्यापार में और कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में इनको प्राथमिकता दी जा रही है। नए कृषि सुधारों से कृषि से जुड़ा जो व्यापार-कारोबार बढ़ने वाला है, उसके बड़े लाभार्थी भी किसानों के, ग्रामीण युवाओं के, महिलाओं के यही संगठन हैं।

कृषि कारोबार में जो निजी निवेश होगा, उससे सरकार की इन कोशिशों को ताकत ही मिलेगी। हम पूरी निष्ठा से, पूरी ताकत से भारतीय कृषि को और किसान को सशक्त करने के रास्ते पर चलते रहेंगे। एक बार फिर देश के किसानों को 100वीं किसान रेल और नई संभावनाओं के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। रेल मंत्रालय को बधाई देता हूं, कृषि मंत्रालय को बधाई देता हूं और देश के कोटि-कोटि किसानों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।