पर्यटन के प्रति भारत का दृष्टिकोण प्राचीन संस्कृत श्लोक ‘अतिथि देवो भवः’ जिसका अर्थ ‘अतिथि भगवान है’ पर आधारित है”
“पर्यटन के क्षेत्र में भारत के प्रयास पर्यटन के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हुए अपनी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने पर केन्द्रित हैं"
“पिछले नौ वर्षों के दौरान, हमने देश में पर्यटन का एक समग्र इकोसिस्टम विकसित करने पर विशेष जोर दिया है”
“भारत सतत विकास लक्ष्यों को त्वरित गति से हासिल करने में पर्यटन क्षेत्र की प्रासंगिकता को भी पहचान रहा है”
“सरकारों, उद्यमियों, निवेशकों और शिक्षाविदों के बीच सहयोग से पर्यटन क्षेत्र में तकनीकी कार्यान्वयन में तेजी आ सकती है”
“आतंकवाद बांटता है, लेकिन पर्यटन जोड़ता है”
“जी20 की भारत की अध्यक्षता का आदर्श वाक्य, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ अपने आप में वैश्विक पर्यटन के लिए एक आदर्श वाक्य हो सकता है”
“लोकतंत्र की जननी में होने वाले लोकतंत्र के उत्सव में आप जरूर आयें'

महामहिम, देवियों और सज्जनों, नमस्कार!

मैं अतुल्य भारत में आप सभी का स्वागत करता हूं! पर्यटन मंत्री के रूप में, दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक के वैश्विक क्षेत्र को संभालते हुए, ऐसा कम ही होता है कि आपको खुद एक पर्यटक बनने का मौका मिले। लेकिन, आप गोवा में हैं - भारत का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण। इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अपनी गंभीर चर्चाओं से कुछ समय निकालकर गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक पक्ष का अनुभव करें!

महामहिम,

हमारे प्राचीन शास्त्रों में एक उक्ति है। अतिथि देवो भवः, मतलब 'अतिथि भगवान का रूप होता है'। पर्यटन के प्रति हमारा भी यही दृष्टिकोण है। हमारा पर्यटन सिर्फ जाने-देखने तक ही सीमित नहीं है। यह एक तल्लीन हो जाने वाला अनुभव है। चाहे संगीत हो या भोजन, कला या संस्कृति, भारत की विविधता वास्तव में भव्य है। ऊंचे हिमालय से लेकर घने जंगलों तक, सूखे रेगिस्तान से लेकर सुंदर समुद्र तटों तक, एडवेंचर स्पोर्ट्स से लेकर मेडिटेशन रीट्रीट तक, भारत में प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ मौजूद है। हमारी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, हम पूरे भारत में 100 विभिन्न स्थानों पर लगभग 200 बैठकें आयोजित कर रहे हैं। यदि आप अपने उन मित्रों से पूछेंगे, जो इन बैठकों के लिए पहले ही भारत आ चुके हैं, तो मुझे विश्वास है कि कोई भी दो अनुभव एक जैसे नहीं होंगे।

महामहिम,

भारत में, इस क्षेत्र में हमारे प्रयास; हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ पर्यटन के लिए विश्व स्तरीय अवसंरचना निर्माण करने पर केंद्रित हैं। हमारा एक फोकस क्षेत्र है, आध्यात्मिक पर्यटन को विकसित करना। भारत दुनिया के हर बड़े धर्म के तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अवसंरचना उन्नयन के बाद, प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक, शाश्वत शहर वाराणसी अब 70 मिलियन तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है - पहले से दस गुनी वृद्धि। हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसे नए पर्यटक आकर्षण स्थलों का भी निर्माण कर रहे हैं। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में, अपने निर्माण के एक साल के भीतर इसने लगभग 2.7 मिलियन लोगों को आकर्षित किया है। पिछले नौ वर्षों में हमने देश में पर्यटन के पूरे ईको-सिस्टम को विकसित करने पर विशेष बल दिया है। परिवहन अवसंरचना से लेकर आतिथ्य क्षेत्र और कौशल विकास तक; यहां तक कि अपनी वीजा व्यवस्था में भी हमने पर्यटन क्षेत्र को अपने सुधारों के केंद्र-बिंदु के रूप में रखा है। आतिथ्य क्षेत्र में रोजगार सृजन, सामाजिक समावेश और आर्थिक प्रगति की काफी संभावनाएं हैं। यह कई अन्य क्षेत्रों की तुलना में महिलाओं और युवाओं को अधिक रोजगार देता है। मुझे खुशी है कि हम सतत विकास लक्ष्यों को जल्द हासिल करने के लिए पर्यटन क्षेत्र की प्रासंगिकता को भी महत्व दे रहे हैं।

महामहिम,

आप आपस-में-जुड़े पाँच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर काम कर रहे हैं: हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल विकास, पर्यटन एमएसएमई और गंतव्य स्थल प्रबंधन। ये प्राथमिकताएं भारतीय और वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) की प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं। हमें नवाचार के संचालन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संवर्धित वास्तविकता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का अधिक उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत में, हम देश में बोली जाने वाली भाषाओं की विस्तृत श्रृंखला के वास्तविक-समय पर अनुवाद को सक्षम करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने पर काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि सरकारों, उद्यमियों, निवेशकों और शिक्षाविदों के बीच सहयोग से पर्यटन में इस तरह की प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन में तेजी आ सकती है। वित्त तक पहुंच बढ़ाने, व्यापार नियमों को आसान बनाने और कौशल विकास में निवेश करने में अपनी पर्यटन कंपनियों की मदद करने के लिए भी हमें मिलकर काम करना चाहिए।

महामहिम,

यह कहा जाता है कि आतंकवाद विभाजन पैदा करता है, लेकिन पर्यटन आपस में जोड़ता है। वास्तव में, पर्यटन में सभी क्षेत्रों के लोगों को जोड़ने की क्षमता है, जिससे एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण हो सकता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यूएनडब्ल्यूटीओ के साथ साझेदारी में जी20 पर्यटन डैशबोर्ड विकसित किया जा रहा है। यह सर्वोत्तम तौर-तरीकों, केस स्टडी और प्रेरक कहानियों को एक साथ लाएगा। यह अपनी तरह का पहला प्लेटफॉर्म होगा और आपकी स्थायी विरासत होगी। मुझे उम्मीद है कि आपके विचार-विमर्श और 'गोवा रोडमैप'; पर्यटन की परिवर्तनकारी ताकत को साकार करने के हमारे सामूहिक प्रयासों में गुणात्मक वृद्धि करेंगे। भारत की जी20 अध्यक्षता का आदर्श वाक्य, ''वसुधैव कुटुम्बकम''- ''एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य'' अपने आप में वैश्विक पर्यटन के लिए भी एक आदर्श वाक्य हो सकता है।

महामहिम,

भारत त्योहारों का देश है। पूरे देश में साल भर हमारे त्योहार होते हैं। गोवा में साओ जोआओ फेस्टिवल जल्द ही होने वाला है। लेकिन, एक और त्योहार है, जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए। लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र का पर्व। अगले साल, भारत अपना अगला आम चुनाव आयोजित करेगा। एक महीने से अधिक समय तक, लगभग एक अरब मतदाता लोकतांत्रिक मूल्यों में अपने दृढ़ विश्वास की पुष्टि करते हुए इस त्योहार को मनाएंगे। दस लाख से अधिक मतदान केंद्रों के साथ, इस उत्सव को इसकी विविधता के साथ देखने के लिए आपके पास स्थानों की कोई कमी नहीं होगी। मैं आप सभी को इस सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक उत्सव में भारत आने के लिए आमंत्रित करता हूं। और इस आमंत्रण के साथ, मैं विचार-विमर्श में आपकी सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद!

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