“अमृत काल में भारत जल को भविष्य के रूप में देख रहा है”
“भारत जल को देव और नदियों को मां मानता है”
“जल संरक्षण हमारे समाज की संस्कृति और हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है”
“नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा है”
“देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है”

ब्रह्माकुमारी सस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी, मंत्रिमंडल के मेरे साथी गजेंद्र सिंह शेखावत जी, ब्रह्माकुमारी संस्था के सभी सदस्यगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों मुझे खुशी है कि ब्रह्मकुमारीज़ द्वारा शुरू किए गए ‘जल-जन अभियान’ के शुभारंभ पर मैं आप सबसे जुड़ रहा हूँ। आप सबके बीच आना, आपसे सीखना, जानना हमेशा मेरे लिए विशेष रहा है। स्वर्गीय राजयोगिनी दादी जानकी जी से मिला आशीर्वाद, मेरी बहुत बड़ी पूंजी है। मुझे याद है, 2007 में दादी प्रकाश मणि जी के ब्रह्मलोक गमन पर मुझे आबू रोड आकर श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला था। बीते वर्षों में ब्रह्मकुमारी बहनों के कितने ही स्नेहिल निमंत्रण मुझे अलग-अलग कार्यक्रमों के लिए मिलते रहे हैं। मैं भी हमेशा प्रयास करता हूँ कि इस आध्यात्मिक परिवार के सदस्य के रूप में आपके बीच आता जाता रहूँ। 2011 में अहमदाबाद में ‘फ्यूचर ऑफ़ पावर’ का कार्यक्रम हो, 2012 में संस्थान की स्थापना के 75 वर्ष से जुड़ा कार्यक्रम हो, 2013 में संगम तीर्थधाम का कार्यक्रम हो, 2017 में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का अस्सीवां स्थापना दिवस हो, या फिर पिछले वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा स्वर्णिम भारत का कार्यक्रम हो, मैं जब भी आपके बीच आता हूँ, आपका ये स्नेह, ये अपनापन मुझे अभिभूत कर देता है। ब्रह्मकुमारीज़ से मेरा ये संबंध इसलिए भी खास है, क्योंकि स्व से ऊपर उठकर समाज के लिए सर्वस्व समर्पित करना, आप सभी के लिए आध्यात्मिक साधना का स्वरूप रहा है।

साथियों,

‘जल-जन अभियान’ एक ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब पानी की कमी को पूरे विश्व में भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है। 21वीं सदी में दुनिया इस बात की गंभीरता को समझ रही है कि हमारी धरती के पास जल संसाधन कितने सीमित हैं। इतनी बड़ी आबादी के कारण वॉटर सेक्योरिटी भारत के लिए भी एक बड़ा प्रश्न है। इसलिए आजादी के अमृतकाल में आज देश ‘जल को कल’ के रूप में देख रहा है। जल रहेगा, तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे। मुझे संतोष है कि जल संरक्षण के संकल्प को अब देश एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ब्रह्मकुमारीज़ के इस ‘जल-जन अभियान’ से जनभागीदारी के इस प्रयास को नई ताकत मिलेगी। इससे जल संरक्षण के अभियान की पहुँच भी बढ़ेगी, प्रभाव भी बढ़ेगा। मैं ब्रह्मकुमारीज़ संस्था से जुड़े सभी वरिष्ठ मार्गदर्शकों का, इसके लाखों अनुयायियों का हृदय से अभिनंदन करता हूँ।

साथियों,

भारत के ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले ही प्रकृति, पर्यावरण और पानी को लेकर संयमित, संतुलित और संवेदनशील व्यवस्था का सृजन किया था। हमारे यहाँ कहा गया है- मा आपो हिंसी। अर्थात्, हम जल को नष्ट न करें, उसका संरक्षण करें। ये भावना हजारों वर्षों से हमारे आध्यात्म का हिस्सा है, हमारे धर्म का हिस्सा है। ये हमारे समाज की संस्कृति है, हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है। इसीलिए, हम जल को देव की संज्ञा देते हैं, नदियों को माँ मानते हैं। जब कोई समाज प्रकृति से ऐसे भावनात्मक संबंध जोड़ लेता है, तो विश्व जिसे sustainable development कहता है, वो उसकी सहज जीवनशैली बन जाती है। इसलिए, आज जब भविष्य की चुनौतियों के समाधान खोज रहे हैं, तो हमें अतीत की उस चेतना को पुनर्जागृत करना होगा। हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से वैसी ही आस्था पैदा करनी होगी। हमें हर उस विकृति को भी दूर करना होगा, जो जल प्रदूषण का कारण बनती है। और, इसमें हमेशा की तरह भारत की आध्यात्मिक संस्थाओं की, ब्रह्मकुमारीज की एक बड़ी भूमिका है।

साथियों,

बीते दशकों में हमारे यहाँ एक ऐसी नकारात्मक सोच भी बन गई थी कि हम जल संरक्षण और पर्यावरण जैसे विषयों को मुश्किल मानकर छोड़ देते हैं। कुछ लोगों ने ये मान लिया था कि ये इतने बड़े काम हैं कि इन्हें किया ही नहीं जा सकता! लेकिन बीते 8-9 वर्षों में देश ने इस मानसिकता को भी बदला है, और हालात भी बदले हैं। ‘नमामि गंगे’ इसका एक सशक्त उदाहरण है। आज न केवल गंगा साफ हो रहीं हैं, बल्कि उनकी तमाम सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रहीं हैं। गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं। ‘नमामि गंगे’ अभियान, आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभरा है।

साथियों,

जल प्रदूषण की तरह ही, गिरता भूजल स्तर भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए देश ने ‘Catch the rain’ मूवमेंट शुरू किया, जो अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की हजारों ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना के जरिए भी जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर के निर्माण का अभियान भी, जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है।

साथियों,

हमारे देश में जल जैसी जीवन की महत्वपूर्ण व्यवस्था पारंपरिक रूप से महिलाओं के हाथ में रही है। आज देश में जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजना का नेतृत्व भी पानी समिति के माध्यम से गाँव में महिलाएं ही कर रही हैं। हमारी ब्रह्मकुमारी बहनें यही भूमिका देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी निभा सकती हैं। जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संबंधी इससे जुड़े सभी विषयों को भी हमें उतनी ही मुखरता से उठाना होगा। खेती में पानी से संतुलित उपयोग के लिए देश ड्रिप इरिगेशन जैसी techniques को बढ़ावा दे रहा है। आप किसानों को इसके ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए प्रेरित करें। इस समय भारत की पहल पर पूरा विश्व, इंटरनेशनल मिलेट ईयर भी मना रहा है। हमारे देश में मिलेट्स, जैसे श्रीअन्न बाजरा, श्री अन्न ज्वार, सदियों से खेती और खानपान का हिस्सा रहे हैं। मिलेट्स में पोषण भी भरपूर होता है, और इनकी खेती में पानी भी कम लगता है। इसलिए, ज्यादा से ज्यादा लोग अपने भोजन में मोटे अनाजों को शामिल करें, आप इसके लिए उन्हें बताएँगे तो इस अभियान को ताकत मिलेगी और पानी का संरक्षण भी बढ़ेगा।

मुझे भरोसा है, हमारे आपके ये साझा प्रयास ‘जल-जन अभियान’ को सफल बनाएँगे। हम एक बेहतर भारत और बेहतर भविष्य का निर्माण करेंगे। आप सभी को एक बार फिर बहुत बहुत शुभकामनाएं। ओम शांति।

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.