भारत माता की जय, भारत माता की जय,

भारत माता की जय, भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

मेरे साथ आप एक नारा बुलवाइये, जय जवान – जय किसान, जय जवान – जय किसान,

आगे मैं एक और कह रहा हूं। मैं कहूंगा जय विज्ञान, आप कहेंगे जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय जवान- जय किसान, जय जवान – जय किसान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान।

सूर्योदय की बेला हो और बैंगलुरु का ये नजारा हो, देश के वैज्ञानिक देश को जब इतनी बड़ी सौगात देते हैं, इतनी बड़ी सिद्धि प्राप्त करते हैं तो जो दृश्य मुझे आज बैंगलुरु में दिख रहा है, वो ही मुझे ग्रीस में भी दिखाई दिया। जोहन्सबर्ग में भी दिखाई दिया। दुनिया के हर कोने में न सिर्फ भारतीय विज्ञान में विश्वास करने वाले, भविष्य को देखने वाले, मानवता को समर्पित सब लोग इतने ही उमंग और उत्साह से भरे हुए हैं। आप सुबह-सुबह इतना जल्दी आए, मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। क्योंकि मैं यहां से दूर विदेश में था, तो मैंने तय किया कि भारत जाऊंगा तो पहले बैंगलुरु जाऊंगा, सबसे पहले उन वैज्ञानिकों को नमन करूंगा। अब इतनी दूर से आना था तो कब पहुचेंगे 5-50 मिनट इधर उधर हो जाता है। मैं यहां आदरणीय मुख्यमंत्री जी, उपमुख्यमंत्री जी, गर्वनर साहब उन सबको रिक्वेस्ट किया था, कि आप इतना जल्दी–जल्दी कष्ट मत उठाइये। मैं तो वैज्ञानिकों को प्रणाम करके चला जाऊंगा। तो मैंने उनको रिक्वेस्ट की थी लेकिन जब मैं विधिवत रूप से कर्नाटक आऊंगा जरूर मुख्यमंत्री जी, उप मुख्यमंत्री जी प्रोटोकॉल जरूर निभाएं। लेकिन उन्होंने सहयोग किया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

ये समय यहां मेरे उद्बोधन का नहीं है, क्योंकि मेरा मन उन वैज्ञानिकों के पास पहुंचने के लिए बहुत उत्सुक है, लेकिन मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि बैंगलुरु के नागरिक अभी भी उस पल को उमंग और उत्साह से जी कर के दिखा रहे हैं। इतनी सुबह-सुबह मैं देखता हूं छोटे-छोटे बच्चे भी मुझे नजर आ रहे हैं। ये भारत का भविष्य है। मेरे साथ फिर से बोलिए, भारत माता की–जय, भारत माता की – जय, भारत माता की – जय, जय जवान-जय किसान, जय जवान-जय किसान, जय जवान-जय किसान। अब जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान, जय विज्ञान – जय अनुसंधान,

बहुत-बहुत धन्यवाद साथियों।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर शोक व्यक्त किया
December 23, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री मोदी ने कहा कि हिंदी साहित्य जगत में उनके अमूल्य योगदान का सदैव समरण किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा:

"ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।"