Quoteमराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलना सभी के लिए गर्व का क्षण है: प्रधानमंत्री
Quoteमराठी के साथ-साथ बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया भाषाओं को भी शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया गया है, मैं इन भाषाओं से जुड़े लोगों को भी बधाई देता हूं: प्रधानमंत्री
Quoteमराठी भाषा का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteमहाराष्ट्र के कई क्रांतिकारी नेताओं और विचारकों ने लोगों को जागरूक और एकजुट करने के लिए मराठी भाषा को माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया: प्रधानमंत्री
Quoteभाषा केवल संचार का माध्यम नहीं है, इसका संस्कृति, इतिहास, परंपरा और साहित्य से गहरा संबंध है: प्रधानमंत्री

महाराष्ट्र के गवर्नर सी पी राधाकृष्णन जी, मुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी, अजित पवार जी, केंद्र में मेरे सभी सहयोगी, कई पीढ़ियों पर अपनी गायकी की छाप छोड़ने वाली आशाताई जी, जाने-माने अभिनेता भाई सचिन जी, नामदेव कांबले जी, सदानंद मोरे जी, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री भाई दीपक जी, मंगलप्रभात लोढ़ा जी, बीजेपी के मुंबई के अध्यक्ष भाई आशीष जी, अन्य महानुभाव भाइयों और बहनों!

अगदी सुरुवातीलाच महाराष्ट्रातील, महाराष्ट्राबाहेरील आणि, सर्व जगातील मराठी भाषक मंडळींचे मराठी भाषेला अभिजात भाषा म्हणजे, क्लासिकल लँग्वेज चा, दर्जा मिळाल्याबद्दल, अतिशय मनापासून, अभिनंदन करतो।

केंद्र सरकार द्वारा मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया गया है। आज मराठी भाषा के इतिहास का स्वर्णिम अवसर है और मोरे जी ने बहुत बढ़िया तरीके से इसको sum up किया। इस निर्णय का, इस पल का महाराष्ट्र के लोगों को, मराठी बोलने वाले हर व्यक्ति को दशकों से इंतज़ार था। मुझे खुशी है कि महाराष्ट्र का ये सपना पूरा करने में कुछ करने का सौभाग्य मुझे मिला। आज खुशी के इस पल को साझा करने के लिए मैं आप सबके बीच हूं। मराठी के साथ बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया भाषाओं को भी क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया गया है। मैं इन भाषाओं से जुड़े लोगों को भी बधाई देता हूं।

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साथियों,

मराठी भाषा का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। इस भाषा से ज्ञान की जो धाराएं निकलीं, उन्होंने कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है, और वो आज भी हमें रास्ता दिखाती हैं। इसी भाषा से संत ज्ञानेश्वर ने वेदांत चर्चा से जन-जन को जोड़ा। ज्ञानेश्वरी ने गीता के ज्ञान से भारत की आध्यात्मिक प्रज्ञा को पुनर्जागृत किया। इसी भाषा से संत नामदेव ने भक्ति मार्ग की चेतना को मजबूत किया। इसी तरह संत तुकाराम ने मराठी भाषा में धार्मिक जागरूकता का अभियान चलाया। और संत चोखामेला ने सामाजिक परिवर्तन के आंदोलनों को सशक्त किया।

आज महाराष्ट्र आणि मराठी धर्म वाढविणार्‍या

थोर संतांना मी साष्टांग दंडवत करतो।

मराठी भाषेला हा दर्जा म्हणजे संपूर्ण देशाने

छत्रपती शिवाजी महाराज यांना त्यांच्या राज्याभिषेकाच्या

तीनशे पन्नास वे व्या वर्षात केलेला मानाचा मुजरा आहे।

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साथियों,

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास मराठी भाषा के योगदान से समृद्ध होता है। महाराष्ट्र के कई क्रांतिकारी नेताओं और विचारकों ने लोगों को जागरूक और एकजुट करने के लिए मराठी भाषा को माध्यम बनाया। लोकमान्य तिलक ने मराठी समाचार पत्र, केसरी के द्वारा विदेशी सत्ता की जड़ें हिला दी थी। मराठी में दिए गए उनके भाषणों ने जन-जन में स्वराज पाने की ललक जगा दी थी। मराठी भाषा ने न्याय और समानता की लड़ाई को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया। गोपाल गणेश अगरकर ने अपने मराठी समाचार पत्र सुधारक द्वारा सामाजिक सुधारों के अभियान को घर-घर तक पहुंचाया। स्वतंत्रता संग्राम को दिशा देने में गोपाल कृष्ण गोखले जी ने भी मराठी भाषा को माध्यम बनाया।

साथियों,

मराठी साहित्य भारत की वो अनमोल विरासत है, जिसमें हमारी सभ्यता के विकास और सांस्कृतिक उत्कर्ष की गाथाएं सुरक्षित हैं। महाराष्ट्र में मराठी साहित्य के द्वारा ही स्वराज, स्वदेशी, स्वभाषा और स्व-संस्कृति की चेतना का विस्तार हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शुरू हुए गणेश उत्सव और शिव जयंती के कार्यक्रम, वीर सावरकर जैसे क्रांतिकारियों के विचार, बाबासाहेब आंबेडकर का सामाजिक समता आंदोलन, महर्षि कर्वे का महिला सशक्तिकरण अभियान, महाराष्ट्र का औद्योगीकरण, कृषि सुधार के प्रयास, इन सबकी प्राणशक्ति मराठी भाषा थी। हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता मराठी भाषा से जुड़कर और समृद्ध हो जाती है।

साथियों,

भाषा सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं होती। भाषा का संस्कृति, इतिहास, परंपरा और साहित्य से गहरा जुड़ाव होता है। हम लोक गायन पोवाड़ा का उदाहरण ले सकते हैं। पोवाड़ा के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज और दूसरे नायकों की शौर्य गाथाएं कई सदियों के बाद भी हम तक पहुंची हैं। ये आज की पीढ़ी को मराठी भाषा की अद्भुत देन है। आज जब हम गणपति पूजा करते हैं तो हमारे मन में स्वाभाविक रूप से ये शब्द गूंजते हैं, गणपति बाप्पा मोरया। ये केवल कुछ शब्दों का जोड़ नहीं है, बल्कि भक्ति का अनंत प्रवाह है। यही भक्ति पूरे देश को मराठी भाषा से जोड़ती है। इसी तरह श्री विट्ठल के अभंग को सुनने वाले भी स्वत: मराठी से जुड़ जाते हैं।

साथियों,

मराठी भाषा को ये गौरव दिलाने के लिए मराठी साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और असंख्य मराठी प्रेमियों ने लंबा प्रयास किया है। मराठी भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज की मान्यता के रूप में, कई प्रतिभाशाली साहित्यकारों की सेवा का प्रसाद मिला है। इसमें बाळशास्त्री जांभेकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, कृष्णाजी प्रभाकर खाड़िलकर, केशवसूत, श्रीपाद महादेव माटे, आचार्य अत्रे, शांताबाई शेळके, गजानन दिगंबर माडगूळकर, कुसुमाग्रज जैसी विभूतियों का योगदान अतुलनीय है। मराठी साहित्य की परंपरा केवल प्राचीन ही नहीं बल्कि बहुआयामी है। विनोबा भावे, श्रीपाद अमृत डांगे, दुर्गाबाई भागवत, बाबा आमटे, दलित साहित्यकार दया पवार, बाबासाहेब पुरंदरे जैसी कई हस्तियों ने मराठी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं आज मराठी की सेवा करने वाले पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे, फूला देशपांडे कहूँ तब लोग समझते हैं, डॉ. अरुणा ढेरे, डॉ. सदानंद मोरे, महेश एलकुंचवार, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता नामदेव कांबळे समेत सभी साहित्यकारों के योगदान को भी याद करूंगा। आशा बागे, विजया राजाध्यक्ष, डॉ. शरणकुमार लिंबाळे, नाट्य निर्देशक चंद्रकांत कुलकर्णी जैसे कई दिग्गजों ने वर्षों से इसका सपना देखा था।

साथियों,

साहित्य और संस्कृति के साथ मराठी सिनेमा ने भी हमें गौरवान्वित किया है। आज भारत में सिनेमा का जो स्वरूप है, उसका आधार भी व्ही शांताराम और दादा साहब फाल्के जैसी हस्तियों ने तैयार किया था। मराठी रंगमंच ने समाज के शोषित, वंचित वर्ग की आवाज को बुलंद किया है। मराठी रंगभूमि के दिग्गज कलाकारों ने हर मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। मराठी संगीत, लोक संगीत, लोक नृत्य की परंपराएं अपने साथ एक समृद्ध विरासत लेकर आगे बढ़ रही हैं। बालगंधर्व, डॉ. वसंतराव देशपांडे, भीमसेन जोशी, सुधीर फड़के, मोगुबाई कुर्डिकर या फिर बाद के युग में लता दीदी, आशाताई, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल जी जैसे दिग्गज लोगों ने मराठी संगीत को एक अलग पहचान दी है। मराठी भाषा की सेवा करने वाले व्यक्तित्वों की संख्या इतनी विशाल है, मैं उनके बारे में बात करूं तो पूरी रात निकल जाएगी।

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साथियों,

मेरा सौभाग्य रहा, यहां कुछ लोगों को संकोच हो रहा था कि मराठी बोलें या हिन्‍दी बोलें, मेरा बीच में नाता टूट गया वरना मेरा सौभाग्य था कि मुझे दो या तीन किताबों का मराठी से गुजराती करने का मुझे सौभाग्य मिला है। अब पिछले 40 साल से मेरा संपर्क टूट गया, वरना मैं काफी मात्रा में मराठी में अपनी गाड़ी चला लेता था। लेकिन अभी भी मुझे कोई ज्‍यादा असुविधा नहीं होती है और इसका कारण ये था कि मैं जब प्रारंभिक मेरा जीवन था, तो मैं अहमदाबाद में एक जगन्नाथ जी मंदिर है वहीं रहता था। और वहीं Calico Mill थी पास में ही और Calico Mill में जो मजदूरों के र्क्‍वाटर थे, उसमें एक भिड़े करके एक महाराष्‍ट्र का परिवार रहता था और उनकी शुक्रवार को छुट्टी होती थी। वो staggering रहता था उस समय बिजली-विजली की जरा तकलीफ रहती थी, मैं कोई Political Comment नहीं कर रहा हूं। लेकिन वो दिन ऐसे ही थे। तो शुक्रवार को उनकी छुट्टी होती थी तो मैं शुक्रवार को उनके घर मिलने जाता था। तो मुझे याद है कि उनके घर के पड़ोस में एक छोटी बच्ची थी। वो मेरे से मराठी में बात करती थी। बस उसी ने मेरा गुरु बनकर के मुझे मराठी सिखा दी।

साथियों,

मराठी को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा मिलने से मराठी भाषा के अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा। इससे रिसर्च और साहित्य संग्रह को बढ़ावा मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत की यूनिवर्सिटीज में मराठी भाषा के अध्ययन की सुविधा मिल सकेगी। केंद्र सरकार के फैसले से मराठी भाषा के विकास के लिए काम करने वाले संगठनों, व्यक्तियों और छात्रों को बढ़ावा मिलेगा। इससे शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

साथियों,

आजादी के बाद देश में पहली बार ऐसी सरकार बनी है, जो मातृभाषा में पढ़ाई को महत्व देती है। मुझे याद है, मैं बहुत साल पहले एक बार अमेरिका गया तो एक परिवार में मुझे रूकना था। और मुझे उस परिवार की एक आदत मेरे मन को छू गयी। वो तेलगू परिवार था लेकिन उनके घर में नियम था लाइट तो अमेरिकन थी, जीवन तो वहीं का था। लेकिन नियम था कि कुछ भी हो जाए शाम को खाना खाते समय टेबल पर परिवार के सब लोग साथ बैठेंगे और दूसरा था शाम को खाना खाते समय परिवार का एक भी व्यक्ति तेलुगू भाषा के सिवा एक भी भाषा बोलेगा नहीं। उसके कारण वहां जो बच्चे पैदा हुए थे, वो भी तेलुगू बोल लेते थे। मैंने देखा है महाराष्ट्रीयन परिवार में जाएंगे तो आज भी सहज रूप से आपको मराठी भाषा सुनने को मिलेगी। बाकि लोगों के यहां ऐसा नहीं है, छोड़ देते हैं फिर उनको hello-Hi करने में मजा आ जाता है।

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साथियों,

नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत अब मराठी में भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई संभव हुई है। इतना ही नहीं मैंने सुप्रीम कोर्ट के judges के सामने request की थी। मैंने कहा एक गरीब आदमी आपकी अदालत में आता है और आप उसको अंग्रेजी में judgement देते हैं वो बेचारा क्या समझेगा, क्‍या दिया है आपने? और मुझे खुशी है कि आज हमारे जो judgement हैं, उसका जो operative part है, वो मातृभाषा में दिया जाता है। मराठी में लिखी साइंस, इकोनॉमिक्स, आर्ट, poetry और तमाम विषयों की किताबें उपलब्ध होती रही हैं और बढ़ रही हैं। हमें इस भाषा को vehicle of ideas बनाना है, ताकि ये हमेशा जीवंत बनी रहे। हमारा प्रयास होना चाहिए कि मराठी साहित्य की रचनाएं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, मैं चाहता हूं कि मराठी भाषा ग्लोबल ऑडियंस तक पहुंचे। और आपको मालूम होगा, आपको ये translation भाषा में तो एक भारत सरकार ने भाषिणी ऐप बनाया है। आप जरूर इसका उपयोग कर सकते हैं। इससे बहुत आसानी से आप अपनी चीजों को भारतीय भाषा में interpret कर सकते हैं। ट्रांसलेशन के इस फीचर से भाषा की दीवार खत्म हो सकती है। आप मराठी बोलें, अगर मैं भाषिणी ऐप लेकर के बैठा हूं तो मैं उसको गुजराती में सुन सकता हूं। मैं हिन्दी में सुन सकता हूं। तो ये एक व्यवस्था, टेक्‍नोलॉजी के कारण बहुत आसान हुई है।

साथियों,

आज हम इस ऐतिहासिक अवसर इसकी खुशी तो मना रहे हैं, ये मौका हमारे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आया है। मराठी बोलने वाले हर व्यक्ति का दायित्व है कि वो इस सुंदर भाषा को आगे बढ़ाने में योगदान दें। जिस तरह मराठी लोग सरल होते हैं, वैसे ही मराठी भाषा भी बहुत सरल होती है। इस भाषा से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें, इसका विस्तार हो, अगली पीढ़ी में इसे लेकर गर्व का बोध हो, इसके लिए हम सबको प्रयास करना चाहिए। आप सबने मेरा स्वागत-सम्मान किया, मैं राज्‍य सरकार का आभारी हूं। ये coincidence था क्योंकि मेरा एक और कार्यक्रम से मेरा आज यहां आना होता था। लेकिन अचानक यहां के साथियों ने मुझे कह दिया कि एक घंटा और दे दीजिए और उसी में से ये कार्यक्रम बन गया। और आप लोग सभी गणमान्य लोग हैं जिनका जीवन इन बातों से जुड़ा हुआ है, उन सबका यहां उपस्थित होना ये अपने आप में मराठी भाषा के महात्मय को उजागर करता है। मैं इसके लिए आप सबका बहुत आभारी हूं। मैं एक बार फिर आप सभी को मराठी भाषा को शास्त्रीय दर्जा मिलने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

महाराष्ट्रातील आणि जगातील सर्व मराठीजनांना

खूप खूप शुभेच्छा देतो।

धन्यवाद।

  • Jitendra Kumar April 16, 2025

    🙏🇮🇳❤️
  • Shubhendra Singh Gaur February 25, 2025

    जय श्री राम ।
  • Shubhendra Singh Gaur February 25, 2025

    जय श्री राम
  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • JYOTI KUMAR SINGH December 09, 2024

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हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

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हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
Nation Applauds Armed Forces After PM Modi’s Address On Operation Sindoor

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प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन
May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

प्रिय देशवासियों,

नमस्कार!

हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं। हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।

साथियों,

22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

साथियों,

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

साथियों,

भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

साथियों,

भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।

पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा।

तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

साथियों,

युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

साथियों,

हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

साथियों,

पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।

मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।

प्रिय देशवासियों,

आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है, और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।

मैं एक बार फिर भारत की सेना और सशस्त्र बलों को सैल्यूट करता हूं। हम भारतवासी के हौसले, हर भारतवासी की एकजुटता का शपथ, संकल्प, मैं उसे नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!