भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
मुंबईतील माझ्या सर्व बंधु आणि भगिनींना,
माझा नमस्कार!
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्रीमान भगत सिंह कोश्यारी जी, मुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, उप-मुख्यमंत्री श्रीमान देवेंद्र फडणवीस जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगीगण, विधानसभा स्पीकर श्री राहुल नार्वेकर जी, महाराष्ट्र सरकार के सभी अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायकगण और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे बहनों और भाइयों!
आज मुंबई के विकास से जुड़े 40 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास यहां हुआ है। मुंबई के लिए बेहद जरूरी मेट्रो हो, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के आधुनिकीकरण का काम हो, सड़कों में सुधार का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट हो, और बालासाहब ठाकरे जी के नाम से आपला दवाखाने की शुरुआत हो, ये मुंबई शहर को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। थोड़ी देर पहले मुंबई के स्ट्रीट वेंडर्स को भी पीएम स्वनिधि योजना के तहत बैंक खातों में पैसा पहुंचा है। ऐसे सभी लाभार्थियों को और हर मुंबईकर को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
भाइयों और बहनों,
आज़ादी के बाद पहली बार आज भारत बड़े सपने देखने और उन सपनों को पूरा करने का साहस कर रहा है। वरना हमारे यहां तो पिछली सदी का एक लंबा कालखंड सिर्फ और सिर्फ गरीबी की चर्चा करना, दुनिया से मदद मांगना, जैसे-तैसे गुज़ारा करने में ही बीत गया। ये भी आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है, जब दुनिया को भी भारत के बड़े-बड़े संकल्पों पर भरोसा है। इसलिए आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण की जितनी उत्सुकता भारतीयों को है, उतना ही आशावाद दुनिया में भी दिख रहा है। और अभी शिंदे जी दावोस का अपना अनुभव वर्णन कर रहे थे। ये सब जगह पर यहीं अनुभव आ रहा है। भारत को लेकर दुनिया में इतनी पॉजिटिविटी इसलिए ,है क्योंकि आज सबको लगता है कि भारत अपने सामर्थ्य का बहुत ही उत्तम तरीके से सदुपयोग कर रहा है। आज हर किसी को लग रहा है कि भारत वो कर रहा है, जो तेज़ विकास के लिए, समृद्धि के लिए बहुत आवश्यक है। आज भारत अभूतपूर्व आत्मविश्वास से भरा हुआ है। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से स्वराज और सुराज की भावना आज के हिंदुस्तान में, डबल इंजन सरकार में भी प्रबल रूप से प्रकट होती है।
भाइयों और बहनों,
हमने वो समय देखा है जब, गरीब के कल्याण के पैसे घोटालों की भेंट चढ़ जाते थे। टैक्सपेयर्स से मिले टैक्स को लेकर संवेदनशीलता का नामोनिशान नहीं था। इसका नुकसान करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को उठाना पड़ा। बीते 8 वर्षों में हमने इस अप्रोच को बदला है। आज भारत, फ्यूचरिस्टिक सोच और मॉर्डन अप्रोच के साथ अपने फिजिकल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर रहा है। आज देश में एक तरफ घर, टॉयलेट, बिजली, पानी, कुकिंग गैस, मुफ्त इलाज, मेडिकल कॉलेज, एम्स, IIT, IIM जैसी सुविधाओं का तेज गति से निर्माण हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ आधुनिक कनेक्टिविटी पर भी उतना ही जोर है। जिस प्रकार के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कभी कल्पना होती थी, आज वैसा इंफ्रास्ट्रक्चर देश में बन रहा है। यानि देश में आज की ज़रूरत और भविष्य में समृद्धि की संभावनाओं, दोनों पर एक साथ काम चल रहा है। दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आज बेहाल हैं, लेकिन ऐसे मुश्किल समय में भी भारत 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन देकर के कभी भी उनके घर का चूल्हा बुझने नहीं देता है। ऐसे माहौल में भी भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर अभूतपूर्व निवेश कर रहा है। ये आज के भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है, विकसित भारत के हमारे संकल्प का प्रतिबिंब है।
भाइयों और बहनों,
विकसित भारत के निर्माण में हमारे शहरों की भूमिका सबसे अहम है। इसमें भी अगर हम महाराष्ट्र की बात करें तो आने वाले 25 वर्षों में राज्य के अनेक शहर भारत की ग्रोथ को गति देने वाले हैं। इसलिए मुंबई को भविष्य के लिए भी तैयार करना ये डबल इंजन सरकार की प्राथमिकता है। हमारी ये प्रतिबद्धता, मुंबई में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार में भी दिखती है। 2014 तक मुंबई में सिर्फ 10-11 किलोमीटर तक मेट्रो चलती थी। जैसे ही आपने डबल इंजन सरकार बनाई, वैसे ही इसका तेज़ी से विस्तार हुआ है। कुछ समय के लिए काम धीमा ज़रूर हुआ, लेकिन शिंदे जी और देवेंद्र जी की जोड़ी के आते ही, अब फिर तेज़ी से काम होने लगा है। मुंबई में 300 किलोमीटर के मेट्रो नेटवर्क की तरफ हम तेज़ गति से आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों,
आज देशभर में रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए मिशन मोड पर काम चल रहा है। मुंबई लोकल और महाराष्ट्र की रेल कनेक्टिविटी को भी इससे फायदा हो रहा है। डबल इंजन सरकार सामान्य मानवी को भी वही आधुनिक सुविधा, वही साफ-सफाई, उसी तेज़ रफ्तार का अनुभव देना चाहती है, जो कभी साधन-संपन्न लोगों को ही मिलती थी। इसलिए आज रेलवे स्टेशनों को भी एयरपोर्ट की तरह ही विकसित किया जा रहा है। अब देश के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस का भी कायाकल्प होने जा रहा है। हमारी ये धरोहर अब 21वीं सदी के भारत की शान के रूप में भी विकसित होने जा रही है। यहां लोकल और लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए अलग-अलग सुविधाएं बनेंगी। लक्ष्य यही है कि सामान्य यात्रियों को बेहतर सुविधा मिले, काम के लिए आना-जाना आसान हो। ये स्टेशन सिर्फ रेलवे की सुविधाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ये मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी का भी हब होगा। यानी बस हो, मेट्रो हो, टैक्सी हो, ऑटो हो, यातायात के हर साधन यहां एक ही छत के नीचे कनेक्टेड होंगे। इससे यात्रियों को एक सीमलेस कनेक्टिविटी मिलेगी। यही मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी है, जिसे हम देश के हर शहर में विकसित करने जा रहे हैं।
साथियों,
आधुनिक होती मुंबई लोकल, मेट्रो का व्यापक नेटवर्क, दूसरे शहरों से वंदे भारत और बुलेट ट्रेन से तेज़ आधुनिक कनेक्टिविटी, आने वाले कुछ वर्षों में मुंबई का कायाकल्प होने जा रहा है। गरीब मजदूर से लेकर कर्मचारी, दुकानदार और बड़े-बड़े बिजनेस संभालने वाले, सबके लिए यहां रहना सुविधाजनक होगा। यहां तक कि आस-पास के जिलों से भी मुंबई आना-जाना भी सुलभ होने वाला है। कोस्टल रोड हो, इंदू मिल स्मारक हो, नवी मुंबई का एयरपोर्ट हो, ट्रान्सहार्बर लिंक हो, ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स मुंबई को नई ताकत दे रहे हैं। धारावी पुनर्विकास, पुरानी चाल का विकास सब कुछ अब ट्रैक पर आ रहा है। और मैं इसके लिए शिंदे जी और देवेंद्र जी को बधाई देता हूं। मुंबई की सड़कों को सुधारने के लिए भी आज बहुत बड़े स्तर पर जो काम शुरु हुआ है, ये भी डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
भाइयों और बहनों,
आज हम देश के शहरों के कंप्लीट ट्रांसफॉर्मेशन पर काम कर रहे हैं। प्रदूषण से लेकर स्वच्छता तक, शहरों की हर समस्या का समाधान ढूंढा जा रहा है। इसलिए हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर इतना बल दे रहे हैं, इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। बायोफ्यूल आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम हम तेज़ी से लाना चाहते हैं। हाईड्रोजन फ्यूल से जुड़े ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए भी देश में मिशन मोड पर काम चल रहा है। यही नहीं, हमारे शहरों में कूड़े की, waste की जो समस्या है, उसे भी हम नई टेक्नॉलॉजी से दूर करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। Waste to Wealth का बहुत बड़ा अभियान देश में चल रहा है। नदियों में गंदा पानी ना मिले, इसके लिए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए जा रहे हैं।
साथियों,
शहरों के विकास के लिए देश के पास सामर्थ्य की और राजनीतिक इच्छाशक्ति की, किसी भी चीज की कमी नहीं है। लेकिन हमें एक बात और समझनी होगी। मुंबई जैसे शहर में प्रोजेक्ट को तब तक तेज़ी से नहीं उतारा जा सकता, जब तक स्थानीय निकाय की प्राथमिकता भी तेज विकास की ना हो। जब राज्य में विकास के लिए समर्पित सरकार होती है, जब शहरों में सुशासन के लिए समर्पित शासन होता है, तभी ये काम तेज़ी से जमीन पर उतर पाते हैं। इसलिए मुंबई के विकास में स्थानीय निकाय की भूमिका बहुत बड़ी है। मुंबई के विकास के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। बस मुंबई के हक का पैसा सही जगह पर लगना चाहिए। अगर वो भ्रष्टाचार में लगेगा, पैसा बैंकों की तिजोरियों में बंद पड़ा रहेगा, विकास के काम को रोकने की प्रवृत्ति होगी, तो फिर मुंबई का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा? मुंबई के लोग, यहां के सामान्य जन परेशानियां झेलते रहें, ये शहर विकास के लिए तरसता रहे, ये स्थिति 21वीं सदी के भारत में कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकती है और शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में तो कभी नहीं हो सकती है। मैं मुंबई के लोगों की हर परेशानी को समझते हुए बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ इस बात को रख रहा हूं। भाजपा की सरकार हो, एनडीए की सरकार हो, कभी विकास के आगे राजनीति को नहीं आने देती। विकास हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। अपने राजनीतिक स्वार्थ की सिद्धि के लिए भाजपा और एनडीए की सरकारें कभी विकास के कार्यों पर ब्रेक नहीं लगातीं। लेकिन हमने पहले के समय मुंबई में ऐसा होते बार-बार देखा है। पीएम स्वनिधि योजना भी इसका एक उदाहरण है। हमारे शहरों में रेहड़ी वाले, पटरी वाले, ठेले वाले ये काम करने वाले साथी, जो शहर की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं, उनके लिए हमने पहली बार योजना चलाई। हमने इन छोटे व्यापारियों के लिए बैंकों से सस्ता और बिना गारंटी का ऋण निश्चित किया। देशभर में लगभग 35 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को इसका लाभ मिल चुका है। इसके तहत महाराष्ट्र में भी 5 लाख साथियों को ऋण स्वीकृत हो चुके हैं। आज भी 1 लाख से अधिक साथियों के बैंक खाते में सीधे पैसे जमा हो गए हैं। ये काम बहुत पहले होना चाहिए था। लेकिन बीच के कुछ समय में डबल इंजन की सरकार ना होने के कारण हर काम में अड़ंगे डाले गए रुकावटें पैदा की गई। जिसका नुकसान इन सभी लाभार्थियों को उठाना पड़ा। ऐसा फिर ना हो इसलिए ज़रूरी है कि दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और मुंबई तक सबका प्रयास लगे, बेहतर तालमेल वाली व्यवस्था बने।
साथियों,
हमें याद रखना है कि स्वनिधि योजना सिर्फ लोन देने की योजना भऱ नहीं है, बल्कि ये रेहड़ी-पटरी और ठेले वाले हमारे साथियों का आर्थिक सामर्थ्य बढ़ाने का अभियान है। ये स्वनिधि स्वाभिमान की जड़ी-बूटी है। मुझे बताया गया है कि स्वनिधि के लाभार्थियों को डिजिटल लेन-देन की ट्रेनिंग के लिए मुंबई में सवा तीन सौ कैंप लगाए गए हैं। जिसके चलते हमारे रेहड़ी-पटरी वाले हज़ारों साथी डिजिटल लेनदेन शुरु कर चुके हैं। ये सुनकर अनेक लोग चौंक जाएंगे कि इतने कम समय में देशभर में स्वनिधि योजना के लाभार्थियों ने करीब-करीब 50 हज़ार करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन किया है। जिनको हम अनपढ़ मानते हैं, जिनको हम लोग किसी भी भाषा में अपमानित करते रहते हैं, उन मेरे छोटे-छोटे साथियों ने जो आज मेरे सामने बैठे हैं, ये रेहड़ी-पटरी वालो ने ऑनलाइन मोबाइल से 50 हजार करोड़ रूपए का काम किया है। और उनका ये पराक्रम, उनका परिवर्तन का ये मार्ग निराशावादियों के लिए बहुत बड़ा जवाब है, जो कहते थे कि रेहड़ी-ठेले पर डिजिटल पेमेंट कैसे होगी। डिजिटल इंडिया की सफलता इस बात का उदाहरण है कि जब सबका प्रयास लगता है, तो असंभव कुछ भी नहीं होता है। सबका प्रयास की इसी भावना से हम मिलकर मुंबई को विकास की नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। और मैं मेरे रेड़ही-पटरी वाले भाइयों से मैं कहना चाहता हूं, आप मेरे साथ चलिए आप 10 कदम चलेंगे तो मैं 11 कदम चलूंगा आपके लिए। मैं ये इसलिए कह रहा हूं कि हमारे रेड़ही-पटरी वाले भाई-बहन साहूकार के पास पैसे ब्याज लेने के लिए जाते थे। दिन भर व्यापार करने के लिए उसको 1 हजार रूपए की जरूरत है, वो देने से पहले ही 100 काट लेता थो 900 देता था। और शाम को जाकर के अगर हजार वापस नहीं लौटाए तो उसको दूसरे दिन पैसे नहीं मिलते थे। और कभी अगर अपना माल नहीं बिका हजार रूपया नहीं दे पाया तो ब्याज बढ़ जाता था, रात को बच्चे भूखे सोते थे। इन सब मुसीबतों से आपको बचाने के लिए स्वनिधि योजना है।
और साथियों,
जितना ज्यादा आप डिजिटल उपयोग करोगे, थोक में लेने जाओगे उसको भी डिजिटल पेमेंट करो, जहां पर बेचते हो वहां भी लोगों को कहो कि डिजिटल पेमेंट करो तो स्थिति ये आएगी कि आपको ब्याज का एक नया पैसा नहीं लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं कि आपके कितने पैसे बचेंगे, आपके बच्चों की शिक्षा के लिए, आपके बच्चों के भविष्य के लिए कितना बड़ा काम होने वाला है। इसलिए मैं कहता हूं, साथियों मैं आपके साथ खड़ा हूं आप 10 कदम चले मैं 11 चलने के लिए तैयार हूं, वादा करने आया हूं। आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए मैं आज आपसे आंख में आंख मिलाकर के ये वादा करने मुंबई की धरती पर आया हूं साथियों। और मुझे भरोसा है कि इन छोटे-छोटे लोगों के पुरूषार्थ और परिश्रम से देश नई ऊंचाइयों को पार करके रहेगा। इसी विश्वास को लेकर के जब मैं आज फिर एक बार आपके पास आया हूं। मैं सभी लाभार्थियों को, सभी मुंबईकरों को, पूरे महाराष्ट्र को और मुंबई तो देश की धड़कन है। पूरे देशवासियों को भी मैं इस विकास कार्यों के लिए बधाई देता हूं। शिंदे जी और देवेंद्र जी की जोड़ी आपके सपनों को साकार करेगी, ये मेरा पूरा विश्वास है।
बोलो-भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।