आज का न्यू इंडिया अपने एथलीटों पर पदक जीतने के लिए दबाव नहीं देता, बल्कि उनसे अपना सर्वश्रेष्ठ देने की अपेक्षा करता है: पीएम
हमारे गांव और दूरदराज के इलाके प्रतिभा से भरे हुए हैं और पैरा-एथलीटों का दल इसका जीता-जागता उदाहरण है: पीएम
आज देश खिलाड़ियों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है: पीएम
स्थानीय प्रतिभाओं की पहचान के लिए खेलो इंडिया केन्द्र की संख्या को मौजूदा 360 से बढ़ाकर 1,000 किया जायेगा: पीएम
हमें भारत में खेल संस्कृति को विकसित करने के लिए अपने तौर-तरीकों और व्यवस्था में सुधार जारी रखना होगा, पिछली पीढ़ियों के डर को दूर करना होगा: पीएम
देश अपने खिलाड़ियों की खुले दिल से मदद कर रहा है: पीएम
आप किसी भी राज्य, क्षेत्र से आते हों, कोई भी भाषा बोलते हों, इन सबसे बढ़कर आज आप 'टीम इंडिया' हैं। यह भावना हमारे समाज के हर हिस्से में और हर स्तर पर व्याप्त होनी चाहिए: पीएम
पहले दिव्यांगजन को सुविधाएं देना कल्याण का कार्य माना जाता था, आज देश इसे अपना दायित्व समझकर काम कर रहा है: पीएम
'दिव्यांगजनों के लिए अधिकार अधिनियम' जैसे कानून और 'सुगम्य भारत अभियान' जैसी पहल पूरे देश स्तर पर जीवन में बदलाव ला रहे हैं और असंख्य प्रतिभाओं में आत्मविश्वास की भावना का संचार कर रहे हैं: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़ रहे भारत सरकार में हमारे खेल मंत्री श्रीमान अनुराग ठाकुर जी, सभी खिलाड़ी साथियों, सारे कोचेस, और विशेष रूप से अभिभावक आपके माता पिता । आप सभी से बात करके मेरा विश्वास बढ़ गया है कि इस बार पैरालम्पिक गेम्स में भी भारत नया इतिहास बनाने जा रहा है। मैं अपने सभी खिलाड़ियों को और सभी कोचेस को आपकी सफलता के लिए, देश की जीत के लिए ढेरों शुभकामनाएँ देता हूँ।

साथियों,

आपका आत्मबल, कुछ हासिल करके दिखाने की आपकी इच्छा शक्ति मैं देख रहा हूं असीम है। आप सभी के परिश्रम का ही परिणाम है कि आज पैरालम्पिक्स में सबसे बड़ी संख्या में भारत के athletes जा रहे हैं। आप लोग बता रहे थे कि कोरोना महामारी ने भी आपकी मुश्किलों को जरूर बढ़ाया, लेकिन आपने कभी भी इस क्रम को टूटने नहीं दिया। आपने उसको भी overcome करने के लिए जो भी आवश्यकता हो उसको भी कर लिया है। आपने अपना मनोबल कम नहीं होने दिया, अपनी प्रैक्टिस को रुकने नहीं दिया। और यही तो सच्ची 'स्पोर्ट्समैन स्पिरिट' है हर हालात में वो यही हमें सिखाती है कि- yes, we will do it! We can do it और आप सबने करके दिखाया भी । सबने करके दिखाया।

साथियों,

आप इस मुकाम तक पहुँचे हैं क्योंकि आप असली चैम्पियन हैं। जिंदगी के खेल में आपने संकटों को हराया है। जिंदगी के खेल में आप जीत चुके हैं, चैम्पियन हैं। एक खिलाड़ी के रूप में आपके लिए आपकी जीत, आपका मेडल बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं बार बार कहता हूँ कि नई सोच का भारत आज अपने खिलाड़ियों पर मेडल का दबाव नहीं बनाता। आपको बस अपना शत-प्रतिशत देना है, पूरी लगन के साथ,कोई भी मानसिक बोझ के बिना, सामने कितना मजबूत खिलाड़ी है इसकी चिंता किए बिना बस हमेशा याद रखिए और इसी विश्वास के साथ मैदान पर अपनी मेहनत करनी है। मैं जब नया-नया प्रधानमंत्री बना तो दुनिया के लोगों से मिलता था। अब वो तो ऊँचाई में भी हमसे ज्यादा होते हैं। उन देशों को रूतबा भी बड़ा होता है। मेरा भी बैकग्राउंड आपके जैसा ही था और देश में भी लोग शंका करते थे कि ये मोदी जी को दुनिया का तो कुछ पता नहीं हैं ये प्रधानमंत्री बन गये क्या करेंगा। लेकिन मैं जब दुनिया के लीडरों से हाथ मिलाता था। तो मैं कभी यह नहीं सोचता था कि नरेन्द्र मोदी हाथ मिला रहा है। मैं यही सोचता था कि 100 करोड़ से भी बड़ी आबादी वाला देश हाथ मिला रहा है। मेरे पीछे 100 करोड़ से ज्यादा देशवासी खड़े हैं। ये भाव रहता था और उसके कारण मुझे कभी भी मेरे कान्फिडेंस को समस्या नहीं आती थी। मैं देख रहा हूं आपके अंदर तो जिंदगी को जीतने का कान्फिडेंस भी है और गेम जीतना तो आपके लिए बाएं हाथ का खेल होता है। मेडल तो मेहनत से अपने आप आने ही वाले हैं। आपने देखा ही है, ओलम्पिक्स में हमारे कुछ खिलाड़ी जीते, तो कुछ चूके भी। लेकिन देश सबके साथ मजबूती से खड़ा था, सबके लिए cheer कर रहा था।

साथियों,

एक खिलाड़ी के तौर पर आप ये बखूबी जानते हैं कि, मैदान में जितनी फ़िज़िकल स्ट्रेंथ की जरूरत होती है उतनी ही मेंटल स्ट्रेंथ भी मायने रखती है। आप लोग तो विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों से निकलकर आगे बढ़े हैं जहां मेंटल स्ट्रेंथ से ही इतना कुछ मुमकिन हुआ है। इसीलिए, आज देश अपने खिलाड़ियों के लिए इन सभी बातों का ध्यान रख रहा है। खिलाड़ियों के लिए 'स्पोर्ट साइकॉलजी' उसपर वर्कशॉप्स और सेमिनार्स इसकी व्यवस्था लगातार करते रहे हैं। हमारे ज़्यादातर खिलाड़ी छोटे शहरों, कस्बों और गाँवों से आते हैं। इसलिए, exposure की कमी भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती होती है। नई जगह, नए लोग, अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ, कई बार ये चुनौतियाँ ही हमारा मनोबल कम कर देती है। इसीलिए ये तय किया गया कि इस दिशा में भी हमारे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि टोक्यो पैरालम्पिक्स को ध्यान में रखते हुए जो तीन सेशन्स आपने जॉइन किए, इनसे आपको काफी मदद भी मिली होगी।

साथियों,

हमारे छोटे छोटे गाँवों में, दूर-सुदूर क्षेत्रों में कितनी अद्भुत प्रतिभा भरी पड़ी है, कितना आत्मविश्वास है, आज मैं आप सबको देखकर के कह सकता हूं कि मेरे सामने प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। कई बार आपको भी लगता होगा कि आपको जो संसाधन सुविधा मिली, ये न मिली होती तो आपके सपनों का क्या होता? यही चिंता हमें देश के दूसरे लाखों युवाओं के बारे में भी करनी है। ऐसे कितने ही युवा हैं जिनके भीतर कितने ही मेडल लाने की योग्यता है। आज देश उन तक खुद पहुँचने की कोशिश कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आज देश के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में 360 'खेलो इंडिया सेंटर्स' बनाए गए हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर ही प्रतिभाओं की पहचान हो, उन्हें मौका मिले। आने वाले दिनों में इन सेंटर्स की संख्या बढ़ाकर एक हजार तक की जाएगी। इसी तरह, हमारे खिलाड़ियों के सामने एक और चुनौती संसाधनों की भी होती थी। आप खेलने जाते थे तो अच्छे ग्राउंड, अच्छे उपकरण नहीं होते थे। इसका भी असर खिलाड़ी के मनोबल पर पड़ता था। वो खुद को दूसरे देशों के खिलाड़ियों से कमतर समझने लग जाता था। लेकिन आज देश में स्पोर्ट्स से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर का भी विस्तार किया जा रहा है। देश ने खुले मन से अपने हर एक खिलाड़ी की पूरी मदद कर रहा है। 'टार्गेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम' के जरिए भी देश ने खिलाड़ियों को जरूरी व्यवस्थाएं दीं, लक्ष्य निर्धारित किए। उसका परिणाम आज हमारे सामने है।

साथियों,

खेलों में अगर देश को शीर्ष तक पहुँचना है तो हमें उस पुराने डर को मन से निकालना होगा जो पुरानी पीढ़ी के मन में बैठ गया था। किसी बच्चे का अगर खेल में ज्यादा मन लगता तो घर वालों को चिंता हो जाती थी कि ये आगे क्या करेगा? क्योंकि एक-दो खेलों को छोड़कर खेल हमारे लिए सफलता या करियर का पैमाना ही नहीं रह गए थे। इस मानसिकता को, असुरक्षा की भावना को तोड़ना हमारे लिए बहुत जरूरी है।

साथियों,

भारत में स्पोर्ट्स कल्चर को विकसित करने के लिए हमें अपने तौर-तरीकों को लगातार सुधारते रहना होगा। आज अंतर्राष्ट्रीय खेलों के साथ साथ पारंपरिक भारतीय खेलों को भी नई पहचान दी जा रही है। युवाओं को अवसर देने के लिए, professional environment देने के लिए मणिपुर के इम्फ़ाल में देश की पहली स्पोर्ट यूनिवर्सिटी भी खोली गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी पढ़ाई के साथ साथ खेलों को बराबर प्राथमिकता दी गई है। आज देश खुद आगे आकर 'खेलो इंडिया' अभियान चला रहा है।

साथियों,

आप किसी भी स्पोर्ट्स से जुड़े हों, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को भी मजबूत करते हैं। आप किस राज्य से हैं, किस क्षेत्र से हैं, कौन सी भाषा बोलते हैं, इन सबसे ऊपर आप आज 'टीम इंडिया' हैं। ये स्पिरिट हमारे समाज के हर क्षेत्र में होनी चाहिए, हर स्तर पर दिखनी चाहिए। सामाजिक बराबरी के इस अभियान में, आत्मनिर्भर भारत में मेरे दिव्यांग भाई-बहन देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण भागीदार हैं। आपने ये साबित किया है कि शारीरिक कठिनाई से जीवन रुक नहीं जाना चाहिए। इसलिए आप सभी के लिए, देशवासियों के लिए खासकर के नई पीढ़ी के लिए आप सब बहुत बड़ी प्रेरणा भी हैं।

साथियों,

पहले दिव्यांगजनों के लिए सुविधा देने को वेलफेयर समझा जाता था। लेकिन आज देश इसे अपना दायित्व मानकर काम कर रहा है। इसीलिए, देश की संसद ने 'The Rights for Persons with Disabilities Act, जैसा कानून बनाया, दिव्यांगजनों के अधिकारों को कानूनी सुरक्षा दी। सुगम्य भारत अभियान' इसका एक और बड़ा उदाहरण है। आज सैकड़ों सरकारी buildings, सैकड़ों रेलवे स्टेशन,हजारों ट्रेन कोच, दर्जनों domestic airports के इनफ्रास्ट्रक्चर को दिव्यांग जनों के लिए सुगम बनाया जा चुका है। इंडियन साइन लैंग्वेज की स्टैंडर्ड डिक्शनरी बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। NCERT की किताबों को भी साइन लैंग्वेज में translate किया जा रहा है। इस तरह के प्रयासों से कितने ही लोगों का जीवन बदल रहा है, कितनी ही प्रतिभाओं को देश के लिए कुछ करने का भरोसा मिल रहा है।

साथियों,

देश जब प्रयास करता है, और उसके सुनहरे परिणाम भी हमें तेजी से मिलते हैं, तो हमें और बड़ा सोचने की, और नया करने की प्रेरणा भी उसी में से मिलती है। हमारी एक सफलता हमारे कई और नए लक्ष्यों के लिए हमारा रास्ता साफ कर देती है। इसलिए, जब आप तिरंगा लेकर टोक्यो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे तो केवल मेडल ही नहीं जीतेंगे, बल्कि भारत के संकल्पों को भी आप बहुत दूर तक ले जाने वाले हैं, उसको एक नई ऊर्जा देने वाले हैं, उसको आगे बढ़ाने वाले हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके ये हौसले, आपका ये जोश टोक्यो में नए कीर्तिमान गढ़ेगा। इसी विश्वास के साथ आप सभी को एक बार फिर ढेरों शुभकामनाएँ। बहुत बहुत धन्यवाद!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।