Quoteस्मरणोत्सव के लिए लोगो जारी किया
Quote"महर्षि दयानंद सरस्वती का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है"
Quote" स्वामी जी ने धर्म की कुरीतियों, जिन्हें गलत तरीके से धर्म के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, को धर्म के प्रकाश से ही समाप्त किया"
Quote"स्वामी जी ने समाज में वेदों के ज्ञान को पुनर्जीवित किया"
Quote"अमृत काल में महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती, पावन प्रेरणा के रूप में आई है"
Quote"आज देश पूरे विश्वास के साथ अपनी विरासत पर गर्व करने का आह्वान कर रहा है"
Quote"हमारे यहां धर्म की पहली व्याख्या कर्तव्य के बारे में है"
Quote"आज देश का पहला यज्ञ है, गरीब, पिछड़े और वंचित समुदायों की सेवा,"

कार्यक्रम में उपस्थित गुजरात के राज्यपाल श्रीमान आचार्य देवव्रत जी, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष श्री सुरेश चंद्र आर्य जी, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष श्री धर्मपाल आर्य जी, श्री विनय आर्य जी, मंत्रिमंडल के मेरे साथी जी. किशन रेड्डी जी, मीनाक्षी लेखी जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, सभी प्रतिनिधिगण, उपस्थित भाइयों और बहनों!

महर्षि दयानन्द जी की 200वीं जन्मजयंती का ये अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का अवसर भी है। ये पूरे विश्व के लिए, मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का पल है। स्वामी दयानन्द जी और उनका आदर्श था- “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्”॥ अर्थात, हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाएँ, हम पूरे विश्व में श्रेष्ठ विचारों का, मानवीय आदर्शों का संचार करें। इसलिए, 21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है। ऐसे महत्वपूर्ण दौर में आर्य समाज की तरफ से महर्षि दयानंद जी की 200वीं जन्मजयंती का ये पावन कार्यक्रम दो साल चलने वाला है और मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने भी इस महोत्सव को मनाने का निर्णय किया है। मानवता के कल्याण के लिए ये जो अविरल साधना चली है, एक यज्ञ चला है, अब से कुछ देर पहले मुझे भी आहुति डालने का सौभाग्य मिला है। अभी आचार्य जी बता रहे थे, ये मेरा सौभाग्य है कि जिस पवित्र धरती पर महर्षि दयानंद सरस्‍वती जी ने जन्म लिया, उस धरती पर मुझे भी जन्म लेने का सौभाग्य मिला। उस मिट्टी से मिले संस्कार, उस मिट्टी से मिली प्रेरणा आज मुझे भी महर्षि दयानंद सरस्वती के आदर्शों के प्रति आकर्षित करती रहती है। मैं स्वामी दयानंद जी के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ और आप सभी को हृदय से अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ।

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साथियों,

जब महर्षि दयानंद जी का जन्म हुआ था, तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास, सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रतिपल हमारे संस्कारों को, हमारे आदर्शों को, हमारे मूल्‍यों को चूर-चूर करने की लााखों कोशिशें होती रहती थी। जब किसी समाज में गुलामी की हीन भावना घर कर जाती है, तो आध्यात्म और आस्था की जगह आडंबर आना स्वाभाविक हो जाता है। मनुष्य के भी जीवन में देखते हैं जो आत्‍मविश्‍वास हीन होता है वो आडंबर के भरोसे जीने की कोशिश करता है। ऐसी परिस्थिति में महर्षि दयानन्द जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज जीवन में पुनर्जीवित किया। उन्होंने समाज को दिशा दी, अपने तर्कों से ये सिद्ध किया और उन्होंने ये बार-बार बताया कि खामी भारत के धर्म और परम्पराओं में नहीं है। खामी है कि हम उनके वास्तविक स्वरूप को भूल गए हैं और विकृतियों से भर गए हैं। आप कल्पना करिए, एक ऐसे समय में जब हमारे ही वेदों के विदेशी भाष्यों को, विदेशी नैरेटिव को गढ़ने की कोशिश की जा रही थी, उन नकली व्याख्याओं के आधार पर हमें नीचा दिखाने की, हमारे इतिहास को, परंपरा को भ्रष्ट करने के अनेक विद प्रयास चलते थे, तब महर्षि दयानन्द जी के ये प्रयास एक बहुत बड़ी संजीवनी के रूप में, एक जड़ी बूटी के रूप में समाज में एक नई प्राण शक्‍ति बनकर के आ गए। महर्षि जी ने, सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत ऐसी समाज में घर कर गई अनेक विकृतियाँ, अनेक बुराइयों के खिलाफ एक सशक्त अभियान चलाया। आप कल्‍पना कीजिए, आज भी समाज की किसी बुराई की तरफ कुछ कहना है, अगर मैं भी कभी कहता हूँ कि भई कर्तव्‍यपथ पर चलना ही होगा, तो कुछ लोग मुझे डाटते हैं कि आप कर्तव्‍य की बात करते हो अधिकार की बात नहीं करते हो। अगर 21वी सदी में मेरा ये हाल है तो डेढ़ सौ, पौने दो सौ साल पहले महर्षि जी को समाज को रास्‍ता दिखाने में कितनी दिक्‍कतें आई होंगी। जिन बुराइयों का ठीकरा धर्म के ऊपर फोड़ा जाता था, स्वामी जी ने उन्हें धर्म के ही प्रकाश से दूर किया। और महात्मा गांधी जी ने एक बहुत ही बड़ी बात बताई थी और बड़े गर्व के साथ बताई थी, महात्मा गांधी जी ने कहा था कि- “हमारे समाज को स्वामी दयानंद जी की बहुत सारी देन है। लेकिन उनमें अस्पृश्यता के विरुद्ध घोषणा सबसे बड़ी देन है”। महिलाओं को लेकर भी समाज में जो रूढ़ियाँ पनप गईं थीं, महर्षि दयानन्द जी उनके खिलाफ भी एक तार्किक और प्रभावी आवाज़ बनकर के उभरे। महर्षि जी ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया। और ये बातें डेढ़ सौ, पौने दो सौ साल पहले की हैं। आज भी कई समाज ऐसे हैं, जहां बेटियों को शिक्षा और सम्‍मान से वंचित रहने के लिए मजबूर करते हैं। स्वामी दयानंद जी ने ये बिगुल तब फूंका था, जब पश्चिमी देशों में भी महिलाओं के लिए समान अधिकार दूर की बात थी।

भाइयों और बहनों!

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उस कालखंड में स्वामी दयानन्द सरस्वती का पदार्पण, पूरे युग की चुनौतियों के सामने उनका उठकर के खड़े हो जाना, ये असामान्‍य था, किसी भी रूप में वो सामान्य नहीं था। इसलिए, राष्ट्र की यात्रा में उनकी जीवंत उपस्थिति आर्य समाज के डेढ़ सौ साल होते हों, महर्षि जी के दो सौ साल होते हों और इतना बड़ा जन सागर सिर्फ यहां नहीं, दुनिया भर में आज इस समारोह में जुड़ा हुआ है। इससे बड़ी जीवन की ऊंचाई क्‍या हो सकती है? जीवन जिस प्रकार से दौड़ रहा है, मृत्यु के दस साल के बाद भी जिंदा रहना असंभव होता है। दो सौ साल के बावजूद भी आज महर्षि जी हमारे बीच में हैं और इसलिए आज जब भारत आजादी का अमृतकाल मना रहा है, तो महर्षि दयानंद जी की 200वीं जन्मजयंती एक पुण्य प्रेरणा लेकर आई है। महर्षि जी ने जो मंत्र तब दिये थे, समाज के लिए जो स्वप्न देखे थे, देश आज उन पर पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। स्वामी जी ने तब आवाहन किया था- ‘वेदों की ओर लौटे। आज देश अत्यंत स्‍वाभीमान के साथ अपनी विरासत पर गर्व का आवाहन कर रहा है। आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि, हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे। विरासत भी, विकास भी, इसी पटरी पर देश नई ऊंचाइयों के लिए दौड़ पड़ा है।

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साथियों,

आम तौर पर दुनिया में जब धर्म की बात होती है तो उसका दायरा केवल पूजा-पाठ, आस्था और उपासना, उसकी रीत-रस्म, उसकी पद्धतियां, उसी तक सीमित माना जाता है। लेकिन, भारत के संदर्भ में धर्म के अर्थ और निहितार्थ एकदम अलग हैं। वेदों ने धर्म को एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति के रूप में परिभाषित किया है। हमारे यहाँ धर्म का पहला अर्थ कर्तव्य समझा जाता है। पितृ धर्म, मातृ धर्म, पुत्र धर्म, देश धर्म, काल धर्म, ये हमारी कल्पना है। इसलिए, हमारे संतों और ऋषियों की भूमिका भी केवल पूजा और उपासना तक सीमित नहीं रही। उन्होंने राष्ट्र और समाज के हर आयाम की ज़िम्मेदारी संभाली, holistic aproach लिया, inclusive appoach लिया, integrated approach लिया। हमारे यहाँ भाषा और व्याकरण के क्षेत्र को पाणिनी जैसे ऋषियों ने समृद्ध किया। योग के क्षेत्र को पतंजलि जैसे महर्षियों ने विस्तार दिया। आप दर्शन में, philosophy में जाएंगे तो पाएंगे की कपिल जैसे आचार्यों ने बौद्धिकता को नई प्रेरणा दी। नीति और राजनीति में महात्मा विदुर से लेकर भर्तहरि और आचार्य चाणक्य तक, कई ऋषि भारत के विचारों को परिभाषित करते रहे हैं। हम गणित की बात करेंगे तो भी भारत का नेतृत्व आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भास्कर जैसे महानतम गणितज्ञों ने किया। उनकी प्रतिष्ठा से ज़रा भी कम नहीं ही। विज्ञान के क्षेत्र में तो कणाद और वराहमिहिर से लेकर चरक और सुश्रुत तक अनगिनत नाम हैं। जब स्वामी दयानंद जी को देखते हैं, तो हमें पता चलता है कि उस प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करने में उनकी कितनी बड़ी भूमिका रही है और उनके भीतर आत्‍मविश्‍वास कितना गजब का होगा।

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भाइयों और बहनों,

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने अनेक अलग-अलग संस्थाओं, संस्थागत व्यवस्थाओं का भी सृजन किया और मैं कहूंगा कि ऋषि जी अपने जीवन काल में, क्रांतिकारी विचारों को लेकर चले, उसको जीए। लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। लेकिन उन्‍होंने हर विचार को व्‍यवस्‍था के साथ जोड़ा, institutionalised किया और संस्थानों को जन्‍म दिया। ये संस्थाएं दशकों से अलग-अलग क्षेत्रों में कई बड़े सकारात्मक काम कर रहीं हैं। परोपकारिणी सभा की स्थापना तो महर्षि जी ने खुद की थी। ये संस्था आज भी प्रकाशन और गुरुकुलों के माध्यम से वैदिक परंपरा को आगे बढ़ा रही है। कुरुक्षेत्र गुरुकुल हो, स्वामी श्रद्धानंद ट्रस्ट हो, या महर्षि दयानन्द सरस्वती ट्रस्ट हो, इन संस्थानों ने राष्ट्र के लिए समर्पित कितने ही युवाओं को गढ़ा है। इसी तरह, स्वामी दयानंद जी से प्रेरित विभिन्न संस्थाएं गरीब बच्चों की सेवा के लिए, उनके भविष्य के लिए सेवा भाव से काम कर रही हैं और ये हमारे संस्कार हैं, हमारी परंपरा है। मुझे याद है अभी जब हम टीवी पर तुर्किये के भूकंप के दृश्य देखते हैं तो बेचैन हो जाते हैं, पीड़ा होती है। मुझे याद है 2001 में जब गुजरात में भूकंप आया, पिछली शताब्दी का भयंकर भूकंप था। उस समय जीवन प्रभात ट्रस्ट के सामाजिक कार्य और राहत बचाव में उसकी भूमिका का तो मैंने खुद ने देखा है। सब महर्षि जी की प्रेरणा से काम करते थे। जो बीज स्वामी जी ने रोपा था वो आज विशाल वट वृक्ष के रूप में आज पूरी मानवता को छाया दे रहा है।

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साथियों,

आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की भी प्राथमिकताओं में थे। आज हम देश में बिना भेदभाव के नीतियों और प्रयासों को आगे बढ़ते देख रहे हैं। जो गरीब है, जो पिछड़ा और वंचित है, उसकी सेवा आज देश के लिए सबसे पहला यज्ञ है। वंचितों को वरीयता, इस मंत्र को लेकर हर गरीब के लिए मकान, उसका सम्मान, हर व्यक्ति के लिए चिकित्सा, बेहतर सुविधा सबके लिए पोषण, सबके लिए अवसर, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का ये मंत्र देश के लिए एक संकल्प बन गया है। बीते 9 वर्षों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में देश तेज कदमों से आगे बढ़ा है। आज देश की बेटियाँ बिना किसी पाबंदी के रक्षा-सुरक्षा लेकर स्टार्टअप्स तक, हर भूमिका में राष्ट्र निर्माण को गति दे रही हैं। अब बेटियाँ सियाचिन में तैनात हो रहीं हैं, और फाइटर प्लेन राफेल भी उड़ा रही हैं। हमारी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों के एडमिशन उस पर जो पाबंदी थी, उसे भी हटा दिया है। स्वामी दयानंद जी ने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गुरुकुलों के जरिए भारतीय परिवेश में ढली शिक्षा व्यवस्था की भी वकालत की थी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश ने अब इसकी भी बुनियाद मजबूत की है।

साथियों,

स्वामी दयानन्द जी ने हमें जीवन जीने का एक और मंत्र दिया था। स्वामी जी ने बहुत ही सरल शब्दों में, उन्होंने बताया था कि आखिर परिपक्व कौन होता है? आप किसको परिपक्व कहेंगे? स्वामी जी का कहना था और बहुत ही मार्मिक है, महर्षि जी ने कहा था - “जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही परिपक्व है। आप कल्पना कर सकते हैं कितनी सरलता से उन्होंने कितनी गंभीर बात कह दी थी। उनका ये जीवन मंत्र आज कितनी ही चुनौतियों का समाधान देता है। अब जैसे इसे पर्यावरण के संदर्भ में भी देखा जा सकता है। उस सदी में, जब ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज ऐसे शब्दों ने जन्म भी नहीं लिया था, उन शब्‍दों के लिए कोई सोच भी नहीं सकता था, उनके भीतर महर्षि जी के मन में ये बोध कहाँ से आया? इसका उत्तर है- हमारे वेद, हमारी ऋचाएँ! सबसे पुरातन माने जाने वेदों में कितने ही सूक्त प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित हैं। स्वामी जी ने वेदों के उस ज्ञान को गहराई से समझा था, उनके सार्वभौमिक संदेशों को उन्होंने अपने कालखंड में विस्तार दिया था। महर्षि जी वेदों के शिष्य थे और ज्ञान मार्ग के संत थे। इसलिए, उनका बोध अपने समय से बहुत आगे का था।

भाइयों और बहनों,

आज दुनिया जब sustainable development की बात कर रही है, तो स्वामी जी का दिखाया मार्ग, भारत के प्राचीन जीवनदर्शन को विश्व के सामने रखता है, समाधान का रास्ता प्रस्तुत करता है। पर्यावरण के क्षेत्र में भारत आज विश्व के लिए एक पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है। हमने प्रकृति से समन्वय के इसी विज़न के आधार पर ‘ग्लोबल मिशन लाइफ़’ LiFE और उसका मतलब है Lifestyle for Environment. ये Lifestyle for Environment एक life mission की शुरुआत भी की है। हमारे लिए गर्व की बात है कि इस महत्वपूर्ण दौर में दुनिया के देशों ने G-20 की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी भी भारत को सौंपी है। हम पर्यावरण को G-20 के विशेष एजेंडे के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। देश के इन महत्वपूर्ण अभियानों में आर्य समाज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आप हमारे प्राचीन दर्शन के साथ, आधुनिक परिप्रेक्ष्यों और कर्तव्यों से जन-जन को जोड़ने की ज़िम्मेदारी आसानी से उठा सकते हैं। इस समय देश और जैसा आचार्य जी ने वर्णन किया, आचार्य जी तो उसके लिए बड़े समर्पित हैं। प्राकृतिक खेती से जुड़ा व्‍यापक अभियान हमें गांव-गांव पहुंचाना है। प्राकृतिक खेती, गौ-आधारित खेती, हमें इसे फिर से गाँव-गाँव में लेकर जाना है। मैं चाहूँगा कि आर्य समाज के यज्ञों में एक आहुति इस संकल्प के लिए भी डाली जाए। ऐसा ही एक और वैश्विक आवाहन भारत ने मिलेट्स, मोटे अनाज, बाजरा, ज्वार वगैरह जिससे हम परिचित हैं और मिलेट्स को अभी हमने एक वैश्विक पहचान बनाने के लिए और अब पूरे देश के हर मिलेट्स की एक पहचान बनाने के लिए अब उसके लिए एक नया नामकरण किया है। हमने कहा है मिलेट्स को श्रीअन्न। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र इंटरनेशनल मिलेट ईयर मना रहा है। और हम तो जानते हैं, हम तो यज्ञ संस्कृति के लोग हैं और हम यज्ञों में आहुति में जो सर्वश्रेष्ठ है उसी को देते हैं। हमारे यहां यज्ञों में जौं जेसे मोटे अनाज या श्रीअन्न की अहम भूमिका होती है। क्योंकि, हम यज्ञ में वो इस्तेमाल करते हैं जो हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इसलिए, यज्ञ के साथ-साथ सभी मोटे अनाज- श्रीअन्‍न, देशवासियों के जीवन और आहार को उसे वो जीवन में ज्यादा से ज्यादा जोड़े, अपने नित्‍य आहार में वो हिस्सा बनें, इसके लिए हमें नई पीढ़ी को भी जागरूक करना चाहिए और आप इस काम को आसानी से कर सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

स्वामी दयानन्द जी के व्यक्तित्व से भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कितने ही स्वतन्त्रता सेनानियों के भीतर राष्ट्रप्रेम की लौ जलाई थी। कहते हैं एक अंग्रेज अफसर उनसे मिलने आया और उनसे कहा कि भारत में अंग्रेजी राज के सदैव बने रहने की प्रार्थना करें। स्वामी जी का निर्भीक जवाब था, आँख में आँख मिलाकर अंग्रेज़ अफसर को कह दिया था- “स्वाधीनता मेरी आत्मा और भारतवर्ष की आवाज है, यही मुझे प्रिय है। मैं विदेशी साम्राज्य के लिए कभी प्रार्थना नहीं कर सकता”। अनगिनत महापुरुष, लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर, लाला लाजपतराय, लाला हरदयाल, श्यामजी कृष्ण वर्मा, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे लाखों लाख स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी महर्षि जी से प्रेरित थे। दयानंद जी, दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय शुरू करने वाले महात्मा हंसराज जी हों, गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करने वाले स्वामी श्रद्धानंद जी हों, भाई परमानंद जी हों, स्वामी सहजानंद सरस्वती हों, ऐसे कितने ही देवतुल्य व्यक्तित्वों ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी से ही प्रेरणा पाई। आर्य समाज के पास महर्षि दयानंद जी की उन सभी प्रेरणाओं की विरासत है, आपको वो सामर्थ्य विरासत में मिला हुआ है। और इसीलिए देश को भी आप सभी से बहुत अपेक्षाएं हैं। आर्य समाज के एक एक आर्यवीर से अपेक्षा है। मुझे विश्वास है, आर्य समाज राष्ट्र और समाज के प्रति इन कर्तव्य यज्ञों को आयोजित करता रहेगा, यज्ञ का प्रकाश मानवता के लिए प्रसारित करता रहेगा। अगले वर्ष आर्यसमाज की स्थापना का 150वां वर्ष भी आरम्भ होने जा रहा है। ये दोनों अवसर महत्वपूर्ण अवसर हैं। और अभी आचार्य जी ने स्वामी श्रद्धानंद जी के मृत्यु तिथि के सौ साल यानी एक प्रकार से त्रिवेणी की बात हो गई। महर्षि दयानंद जी स्वयं ज्ञान की ज्योति थे, हम सब भी इस ज्ञान की ज्योति बनें। जिन आदर्श और मूल्यों के लिए वो जिए, जिन आदर्शों और मूल्यों के लिए उन्होंने जीवन खपाया और जहर पीकर के हमारे लिए अमृत दे करके गए हैं, आने वाले अमृतकाल में वो अमृत हमें मां भारती के और कोटि-कोटि देशवासियों के कल्याण के लिए निरंतर प्रेरणा दे, शक्ति दे, सामर्थ्य दे, मैं आज आर्य प्रतिनिधि सभा के सभी महानुभावों का भी अभिनंदन करता हूं। जिस प्रकार से आज के कार्यक्रम को प्लान किया गया है, मुझे आकर के ये जो भी 10-15 मिनट इन सब चीजों को देखने का मौका मिला, मैं मानता हूं कि प्लानिंग, मैनेजमेंट, एजुकेशन हर प्रकार से उत्तम आयोजन के लिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Geeta pramod bodkhe January 28, 2025

    महर्षी दयानंद जी की २००जन्मशताब्दी की shubkamnaye
  • Santosh Dabhade January 24, 2025

    jay mahakal
  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा🙏🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा🙏🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा🙏🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा🙏🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • Uttam Das November 28, 2024

    Modi hai to Mumkin hai
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।