स्मरणोत्सव के लिए लोगो जारी किया
"महर्षि दयानंद सरस्वती का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है"
" स्वामी जी ने धर्म की कुरीतियों, जिन्हें गलत तरीके से धर्म के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, को धर्म के प्रकाश से ही समाप्त किया"
"स्वामी जी ने समाज में वेदों के ज्ञान को पुनर्जीवित किया"
"अमृत काल में महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती, पावन प्रेरणा के रूप में आई है"
"आज देश पूरे विश्वास के साथ अपनी विरासत पर गर्व करने का आह्वान कर रहा है"
"हमारे यहां धर्म की पहली व्याख्या कर्तव्य के बारे में है"
"आज देश का पहला यज्ञ है, गरीब, पिछड़े और वंचित समुदायों की सेवा,"

कार्यक्रम में उपस्थित गुजरात के राज्यपाल श्रीमान आचार्य देवव्रत जी, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष श्री सुरेश चंद्र आर्य जी, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष श्री धर्मपाल आर्य जी, श्री विनय आर्य जी, मंत्रिमंडल के मेरे साथी जी. किशन रेड्डी जी, मीनाक्षी लेखी जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, सभी प्रतिनिधिगण, उपस्थित भाइयों और बहनों!

महर्षि दयानन्द जी की 200वीं जन्मजयंती का ये अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का अवसर भी है। ये पूरे विश्व के लिए, मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का पल है। स्वामी दयानन्द जी और उनका आदर्श था- “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्”॥ अर्थात, हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाएँ, हम पूरे विश्व में श्रेष्ठ विचारों का, मानवीय आदर्शों का संचार करें। इसलिए, 21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है। ऐसे महत्वपूर्ण दौर में आर्य समाज की तरफ से महर्षि दयानंद जी की 200वीं जन्मजयंती का ये पावन कार्यक्रम दो साल चलने वाला है और मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने भी इस महोत्सव को मनाने का निर्णय किया है। मानवता के कल्याण के लिए ये जो अविरल साधना चली है, एक यज्ञ चला है, अब से कुछ देर पहले मुझे भी आहुति डालने का सौभाग्य मिला है। अभी आचार्य जी बता रहे थे, ये मेरा सौभाग्य है कि जिस पवित्र धरती पर महर्षि दयानंद सरस्‍वती जी ने जन्म लिया, उस धरती पर मुझे भी जन्म लेने का सौभाग्य मिला। उस मिट्टी से मिले संस्कार, उस मिट्टी से मिली प्रेरणा आज मुझे भी महर्षि दयानंद सरस्वती के आदर्शों के प्रति आकर्षित करती रहती है। मैं स्वामी दयानंद जी के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ और आप सभी को हृदय से अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ।

साथियों,

जब महर्षि दयानंद जी का जन्म हुआ था, तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास, सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रतिपल हमारे संस्कारों को, हमारे आदर्शों को, हमारे मूल्‍यों को चूर-चूर करने की लााखों कोशिशें होती रहती थी। जब किसी समाज में गुलामी की हीन भावना घर कर जाती है, तो आध्यात्म और आस्था की जगह आडंबर आना स्वाभाविक हो जाता है। मनुष्य के भी जीवन में देखते हैं जो आत्‍मविश्‍वास हीन होता है वो आडंबर के भरोसे जीने की कोशिश करता है। ऐसी परिस्थिति में महर्षि दयानन्द जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज जीवन में पुनर्जीवित किया। उन्होंने समाज को दिशा दी, अपने तर्कों से ये सिद्ध किया और उन्होंने ये बार-बार बताया कि खामी भारत के धर्म और परम्पराओं में नहीं है। खामी है कि हम उनके वास्तविक स्वरूप को भूल गए हैं और विकृतियों से भर गए हैं। आप कल्पना करिए, एक ऐसे समय में जब हमारे ही वेदों के विदेशी भाष्यों को, विदेशी नैरेटिव को गढ़ने की कोशिश की जा रही थी, उन नकली व्याख्याओं के आधार पर हमें नीचा दिखाने की, हमारे इतिहास को, परंपरा को भ्रष्ट करने के अनेक विद प्रयास चलते थे, तब महर्षि दयानन्द जी के ये प्रयास एक बहुत बड़ी संजीवनी के रूप में, एक जड़ी बूटी के रूप में समाज में एक नई प्राण शक्‍ति बनकर के आ गए। महर्षि जी ने, सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत ऐसी समाज में घर कर गई अनेक विकृतियाँ, अनेक बुराइयों के खिलाफ एक सशक्त अभियान चलाया। आप कल्‍पना कीजिए, आज भी समाज की किसी बुराई की तरफ कुछ कहना है, अगर मैं भी कभी कहता हूँ कि भई कर्तव्‍यपथ पर चलना ही होगा, तो कुछ लोग मुझे डाटते हैं कि आप कर्तव्‍य की बात करते हो अधिकार की बात नहीं करते हो। अगर 21वी सदी में मेरा ये हाल है तो डेढ़ सौ, पौने दो सौ साल पहले महर्षि जी को समाज को रास्‍ता दिखाने में कितनी दिक्‍कतें आई होंगी। जिन बुराइयों का ठीकरा धर्म के ऊपर फोड़ा जाता था, स्वामी जी ने उन्हें धर्म के ही प्रकाश से दूर किया। और महात्मा गांधी जी ने एक बहुत ही बड़ी बात बताई थी और बड़े गर्व के साथ बताई थी, महात्मा गांधी जी ने कहा था कि- “हमारे समाज को स्वामी दयानंद जी की बहुत सारी देन है। लेकिन उनमें अस्पृश्यता के विरुद्ध घोषणा सबसे बड़ी देन है”। महिलाओं को लेकर भी समाज में जो रूढ़ियाँ पनप गईं थीं, महर्षि दयानन्द जी उनके खिलाफ भी एक तार्किक और प्रभावी आवाज़ बनकर के उभरे। महर्षि जी ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया। और ये बातें डेढ़ सौ, पौने दो सौ साल पहले की हैं। आज भी कई समाज ऐसे हैं, जहां बेटियों को शिक्षा और सम्‍मान से वंचित रहने के लिए मजबूर करते हैं। स्वामी दयानंद जी ने ये बिगुल तब फूंका था, जब पश्चिमी देशों में भी महिलाओं के लिए समान अधिकार दूर की बात थी।

भाइयों और बहनों!

उस कालखंड में स्वामी दयानन्द सरस्वती का पदार्पण, पूरे युग की चुनौतियों के सामने उनका उठकर के खड़े हो जाना, ये असामान्‍य था, किसी भी रूप में वो सामान्य नहीं था। इसलिए, राष्ट्र की यात्रा में उनकी जीवंत उपस्थिति आर्य समाज के डेढ़ सौ साल होते हों, महर्षि जी के दो सौ साल होते हों और इतना बड़ा जन सागर सिर्फ यहां नहीं, दुनिया भर में आज इस समारोह में जुड़ा हुआ है। इससे बड़ी जीवन की ऊंचाई क्‍या हो सकती है? जीवन जिस प्रकार से दौड़ रहा है, मृत्यु के दस साल के बाद भी जिंदा रहना असंभव होता है। दो सौ साल के बावजूद भी आज महर्षि जी हमारे बीच में हैं और इसलिए आज जब भारत आजादी का अमृतकाल मना रहा है, तो महर्षि दयानंद जी की 200वीं जन्मजयंती एक पुण्य प्रेरणा लेकर आई है। महर्षि जी ने जो मंत्र तब दिये थे, समाज के लिए जो स्वप्न देखे थे, देश आज उन पर पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। स्वामी जी ने तब आवाहन किया था- ‘वेदों की ओर लौटे। आज देश अत्यंत स्‍वाभीमान के साथ अपनी विरासत पर गर्व का आवाहन कर रहा है। आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि, हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे। विरासत भी, विकास भी, इसी पटरी पर देश नई ऊंचाइयों के लिए दौड़ पड़ा है।

साथियों,

आम तौर पर दुनिया में जब धर्म की बात होती है तो उसका दायरा केवल पूजा-पाठ, आस्था और उपासना, उसकी रीत-रस्म, उसकी पद्धतियां, उसी तक सीमित माना जाता है। लेकिन, भारत के संदर्भ में धर्म के अर्थ और निहितार्थ एकदम अलग हैं। वेदों ने धर्म को एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति के रूप में परिभाषित किया है। हमारे यहाँ धर्म का पहला अर्थ कर्तव्य समझा जाता है। पितृ धर्म, मातृ धर्म, पुत्र धर्म, देश धर्म, काल धर्म, ये हमारी कल्पना है। इसलिए, हमारे संतों और ऋषियों की भूमिका भी केवल पूजा और उपासना तक सीमित नहीं रही। उन्होंने राष्ट्र और समाज के हर आयाम की ज़िम्मेदारी संभाली, holistic aproach लिया, inclusive appoach लिया, integrated approach लिया। हमारे यहाँ भाषा और व्याकरण के क्षेत्र को पाणिनी जैसे ऋषियों ने समृद्ध किया। योग के क्षेत्र को पतंजलि जैसे महर्षियों ने विस्तार दिया। आप दर्शन में, philosophy में जाएंगे तो पाएंगे की कपिल जैसे आचार्यों ने बौद्धिकता को नई प्रेरणा दी। नीति और राजनीति में महात्मा विदुर से लेकर भर्तहरि और आचार्य चाणक्य तक, कई ऋषि भारत के विचारों को परिभाषित करते रहे हैं। हम गणित की बात करेंगे तो भी भारत का नेतृत्व आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भास्कर जैसे महानतम गणितज्ञों ने किया। उनकी प्रतिष्ठा से ज़रा भी कम नहीं ही। विज्ञान के क्षेत्र में तो कणाद और वराहमिहिर से लेकर चरक और सुश्रुत तक अनगिनत नाम हैं। जब स्वामी दयानंद जी को देखते हैं, तो हमें पता चलता है कि उस प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करने में उनकी कितनी बड़ी भूमिका रही है और उनके भीतर आत्‍मविश्‍वास कितना गजब का होगा।

भाइयों और बहनों,

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने अनेक अलग-अलग संस्थाओं, संस्थागत व्यवस्थाओं का भी सृजन किया और मैं कहूंगा कि ऋषि जी अपने जीवन काल में, क्रांतिकारी विचारों को लेकर चले, उसको जीए। लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। लेकिन उन्‍होंने हर विचार को व्‍यवस्‍था के साथ जोड़ा, institutionalised किया और संस्थानों को जन्‍म दिया। ये संस्थाएं दशकों से अलग-अलग क्षेत्रों में कई बड़े सकारात्मक काम कर रहीं हैं। परोपकारिणी सभा की स्थापना तो महर्षि जी ने खुद की थी। ये संस्था आज भी प्रकाशन और गुरुकुलों के माध्यम से वैदिक परंपरा को आगे बढ़ा रही है। कुरुक्षेत्र गुरुकुल हो, स्वामी श्रद्धानंद ट्रस्ट हो, या महर्षि दयानन्द सरस्वती ट्रस्ट हो, इन संस्थानों ने राष्ट्र के लिए समर्पित कितने ही युवाओं को गढ़ा है। इसी तरह, स्वामी दयानंद जी से प्रेरित विभिन्न संस्थाएं गरीब बच्चों की सेवा के लिए, उनके भविष्य के लिए सेवा भाव से काम कर रही हैं और ये हमारे संस्कार हैं, हमारी परंपरा है। मुझे याद है अभी जब हम टीवी पर तुर्किये के भूकंप के दृश्य देखते हैं तो बेचैन हो जाते हैं, पीड़ा होती है। मुझे याद है 2001 में जब गुजरात में भूकंप आया, पिछली शताब्दी का भयंकर भूकंप था। उस समय जीवन प्रभात ट्रस्ट के सामाजिक कार्य और राहत बचाव में उसकी भूमिका का तो मैंने खुद ने देखा है। सब महर्षि जी की प्रेरणा से काम करते थे। जो बीज स्वामी जी ने रोपा था वो आज विशाल वट वृक्ष के रूप में आज पूरी मानवता को छाया दे रहा है।

साथियों,

आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की भी प्राथमिकताओं में थे। आज हम देश में बिना भेदभाव के नीतियों और प्रयासों को आगे बढ़ते देख रहे हैं। जो गरीब है, जो पिछड़ा और वंचित है, उसकी सेवा आज देश के लिए सबसे पहला यज्ञ है। वंचितों को वरीयता, इस मंत्र को लेकर हर गरीब के लिए मकान, उसका सम्मान, हर व्यक्ति के लिए चिकित्सा, बेहतर सुविधा सबके लिए पोषण, सबके लिए अवसर, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का ये मंत्र देश के लिए एक संकल्प बन गया है। बीते 9 वर्षों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में देश तेज कदमों से आगे बढ़ा है। आज देश की बेटियाँ बिना किसी पाबंदी के रक्षा-सुरक्षा लेकर स्टार्टअप्स तक, हर भूमिका में राष्ट्र निर्माण को गति दे रही हैं। अब बेटियाँ सियाचिन में तैनात हो रहीं हैं, और फाइटर प्लेन राफेल भी उड़ा रही हैं। हमारी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों के एडमिशन उस पर जो पाबंदी थी, उसे भी हटा दिया है। स्वामी दयानंद जी ने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गुरुकुलों के जरिए भारतीय परिवेश में ढली शिक्षा व्यवस्था की भी वकालत की थी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश ने अब इसकी भी बुनियाद मजबूत की है।

साथियों,

स्वामी दयानन्द जी ने हमें जीवन जीने का एक और मंत्र दिया था। स्वामी जी ने बहुत ही सरल शब्दों में, उन्होंने बताया था कि आखिर परिपक्व कौन होता है? आप किसको परिपक्व कहेंगे? स्वामी जी का कहना था और बहुत ही मार्मिक है, महर्षि जी ने कहा था - “जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही परिपक्व है। आप कल्पना कर सकते हैं कितनी सरलता से उन्होंने कितनी गंभीर बात कह दी थी। उनका ये जीवन मंत्र आज कितनी ही चुनौतियों का समाधान देता है। अब जैसे इसे पर्यावरण के संदर्भ में भी देखा जा सकता है। उस सदी में, जब ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज ऐसे शब्दों ने जन्म भी नहीं लिया था, उन शब्‍दों के लिए कोई सोच भी नहीं सकता था, उनके भीतर महर्षि जी के मन में ये बोध कहाँ से आया? इसका उत्तर है- हमारे वेद, हमारी ऋचाएँ! सबसे पुरातन माने जाने वेदों में कितने ही सूक्त प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित हैं। स्वामी जी ने वेदों के उस ज्ञान को गहराई से समझा था, उनके सार्वभौमिक संदेशों को उन्होंने अपने कालखंड में विस्तार दिया था। महर्षि जी वेदों के शिष्य थे और ज्ञान मार्ग के संत थे। इसलिए, उनका बोध अपने समय से बहुत आगे का था।

भाइयों और बहनों,

आज दुनिया जब sustainable development की बात कर रही है, तो स्वामी जी का दिखाया मार्ग, भारत के प्राचीन जीवनदर्शन को विश्व के सामने रखता है, समाधान का रास्ता प्रस्तुत करता है। पर्यावरण के क्षेत्र में भारत आज विश्व के लिए एक पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है। हमने प्रकृति से समन्वय के इसी विज़न के आधार पर ‘ग्लोबल मिशन लाइफ़’ LiFE और उसका मतलब है Lifestyle for Environment. ये Lifestyle for Environment एक life mission की शुरुआत भी की है। हमारे लिए गर्व की बात है कि इस महत्वपूर्ण दौर में दुनिया के देशों ने G-20 की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी भी भारत को सौंपी है। हम पर्यावरण को G-20 के विशेष एजेंडे के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। देश के इन महत्वपूर्ण अभियानों में आर्य समाज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आप हमारे प्राचीन दर्शन के साथ, आधुनिक परिप्रेक्ष्यों और कर्तव्यों से जन-जन को जोड़ने की ज़िम्मेदारी आसानी से उठा सकते हैं। इस समय देश और जैसा आचार्य जी ने वर्णन किया, आचार्य जी तो उसके लिए बड़े समर्पित हैं। प्राकृतिक खेती से जुड़ा व्‍यापक अभियान हमें गांव-गांव पहुंचाना है। प्राकृतिक खेती, गौ-आधारित खेती, हमें इसे फिर से गाँव-गाँव में लेकर जाना है। मैं चाहूँगा कि आर्य समाज के यज्ञों में एक आहुति इस संकल्प के लिए भी डाली जाए। ऐसा ही एक और वैश्विक आवाहन भारत ने मिलेट्स, मोटे अनाज, बाजरा, ज्वार वगैरह जिससे हम परिचित हैं और मिलेट्स को अभी हमने एक वैश्विक पहचान बनाने के लिए और अब पूरे देश के हर मिलेट्स की एक पहचान बनाने के लिए अब उसके लिए एक नया नामकरण किया है। हमने कहा है मिलेट्स को श्रीअन्न। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र इंटरनेशनल मिलेट ईयर मना रहा है। और हम तो जानते हैं, हम तो यज्ञ संस्कृति के लोग हैं और हम यज्ञों में आहुति में जो सर्वश्रेष्ठ है उसी को देते हैं। हमारे यहां यज्ञों में जौं जेसे मोटे अनाज या श्रीअन्न की अहम भूमिका होती है। क्योंकि, हम यज्ञ में वो इस्तेमाल करते हैं जो हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इसलिए, यज्ञ के साथ-साथ सभी मोटे अनाज- श्रीअन्‍न, देशवासियों के जीवन और आहार को उसे वो जीवन में ज्यादा से ज्यादा जोड़े, अपने नित्‍य आहार में वो हिस्सा बनें, इसके लिए हमें नई पीढ़ी को भी जागरूक करना चाहिए और आप इस काम को आसानी से कर सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

स्वामी दयानन्द जी के व्यक्तित्व से भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कितने ही स्वतन्त्रता सेनानियों के भीतर राष्ट्रप्रेम की लौ जलाई थी। कहते हैं एक अंग्रेज अफसर उनसे मिलने आया और उनसे कहा कि भारत में अंग्रेजी राज के सदैव बने रहने की प्रार्थना करें। स्वामी जी का निर्भीक जवाब था, आँख में आँख मिलाकर अंग्रेज़ अफसर को कह दिया था- “स्वाधीनता मेरी आत्मा और भारतवर्ष की आवाज है, यही मुझे प्रिय है। मैं विदेशी साम्राज्य के लिए कभी प्रार्थना नहीं कर सकता”। अनगिनत महापुरुष, लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर, लाला लाजपतराय, लाला हरदयाल, श्यामजी कृष्ण वर्मा, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे लाखों लाख स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी महर्षि जी से प्रेरित थे। दयानंद जी, दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय शुरू करने वाले महात्मा हंसराज जी हों, गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करने वाले स्वामी श्रद्धानंद जी हों, भाई परमानंद जी हों, स्वामी सहजानंद सरस्वती हों, ऐसे कितने ही देवतुल्य व्यक्तित्वों ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी से ही प्रेरणा पाई। आर्य समाज के पास महर्षि दयानंद जी की उन सभी प्रेरणाओं की विरासत है, आपको वो सामर्थ्य विरासत में मिला हुआ है। और इसीलिए देश को भी आप सभी से बहुत अपेक्षाएं हैं। आर्य समाज के एक एक आर्यवीर से अपेक्षा है। मुझे विश्वास है, आर्य समाज राष्ट्र और समाज के प्रति इन कर्तव्य यज्ञों को आयोजित करता रहेगा, यज्ञ का प्रकाश मानवता के लिए प्रसारित करता रहेगा। अगले वर्ष आर्यसमाज की स्थापना का 150वां वर्ष भी आरम्भ होने जा रहा है। ये दोनों अवसर महत्वपूर्ण अवसर हैं। और अभी आचार्य जी ने स्वामी श्रद्धानंद जी के मृत्यु तिथि के सौ साल यानी एक प्रकार से त्रिवेणी की बात हो गई। महर्षि दयानंद जी स्वयं ज्ञान की ज्योति थे, हम सब भी इस ज्ञान की ज्योति बनें। जिन आदर्श और मूल्यों के लिए वो जिए, जिन आदर्शों और मूल्यों के लिए उन्होंने जीवन खपाया और जहर पीकर के हमारे लिए अमृत दे करके गए हैं, आने वाले अमृतकाल में वो अमृत हमें मां भारती के और कोटि-कोटि देशवासियों के कल्याण के लिए निरंतर प्रेरणा दे, शक्ति दे, सामर्थ्य दे, मैं आज आर्य प्रतिनिधि सभा के सभी महानुभावों का भी अभिनंदन करता हूं। जिस प्रकार से आज के कार्यक्रम को प्लान किया गया है, मुझे आकर के ये जो भी 10-15 मिनट इन सब चीजों को देखने का मौका मिला, मैं मानता हूं कि प्लानिंग, मैनेजमेंट, एजुकेशन हर प्रकार से उत्तम आयोजन के लिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।