“सनातन केवल एक शब्द नहीं है, यह नित्य-नवीन है, नित्य-परिवर्तनशील है। इसमें अतीत से खुद को बेहतर बनाने की इच्छा शामिल है और इसलिए यह शाश्वत, अमर है”
"किसी भी राष्ट्र की यात्रा, उसके समाज की यात्रा में प्रतिबिम्बित होती है"
"सदियों पहले के बलिदानों का प्रभाव हम मौजूदा पीढ़ी में देख रहे हैं"
"कई वर्षों से हमने मिलकर कच्छ का कायाकल्प किया है"
“सामाजिक समरसता, पर्यावरण और प्राकृतिक खेती, ये सब देश के अमृत संकल्प से जुड़े हैं”

सभी को हरि ओम, जय उमिया माँ, जय लक्ष्मीनारायण!

यह मेरे कच्छी पटेल कच्छ का ही नहीं परंतु अब पूरे भारत का गौरव है। क्योंकि मैं भारत के किसी भी कोने में जाता हूँ तो वहाँ मेरे इस समाज के लोग देखने को मिलते हैं। इसलिए तो कहा जाता है, कच्छड़ो खेले खलक में जो महासागर में मच्छ, जे ते हद्दो कच्छी वसे उत्ते रियाडी कच्छ।

कार्यक्रम में उपस्थित शारदापीठ के जगद्गुरु पूज्य शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिपरिषद में मेरे साथी पुरुषोत्तम भाई रुपाला, अखिल भारतीय कच्छ कड़वा पाटीदार समाज के अध्यक्ष श्री अबजी भाई विश्राम भाई कानाणी, अन्य सभी पदाधिकारीगण, और देश-विदेश से जुड़े मेरे सभी भाइयों और बहनों!

आप सभी को सनातनी शताब्दी महोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज मेरे लिए सोने पर सुहागा है, मेरे लिए ये पहला अवसर है, जब मुझे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी की उपस्थिति में उनके शंकराचार्य पद धारण करने के बाद किसी कार्यक्रम में आने का अवसर मिला है। उनका स्नेह हमेशा मुझ पर रहा है, हम सब पर रहा है तो आज मुझे उन्हें प्रणाम करने का अवसर मिला है।

साथियों,

समाज की सेवा के सौ वर्ष का पुण्य काल, युवा विंग का पचासवां वर्ष और महिला विंग का पच्चीसवां वर्ष, आपने ये जो त्रिवेणी संगम बनाया है, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। जब किसी समाज के युवा, उस समाज की माताएँ-बहनें, अपने समाज की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हैं, तो मान लेना उसकी सफलता और समृद्धि तय हो जाती है। मुझे खुशी है कि श्रीअखिल भारतीय कच्छ कड़वा पाटीदार समाज के युवा एवं महिला विंग की ये निष्ठा इस महोत्सव के रूप में आज चारों तरफ नजर आ रही है। आपने अपने परिवार के सदस्य के रूप में मुझे सनातनी शताब्दी महोत्सव का हिस्सा बनाया, मैं इसके लिए आप सभी का आभारी हूं। सनातन सिर्फ एक शब्द नहीं है, ये नित्य नूतन है, परिवर्तनशील है, इसमें बीते हुए कल से, खुद को और बेहतर बनाने की एक अंतर्निहित चेष्टा है और इसलिए सनातन अजर-अमर है।

साथियों,

किसी भी राष्ट्र की यात्रा उसके समाज की यात्रा का ही एक दर्शन होती है। पाटीदार समाज का सैकड़ों साल का इतिहास, सौ वर्षों की श्री अखिल भारतीय कच्छ कड़वा समाज की यात्रा, और, भविष्य के लिए विज़न, ये एक तरह से भारत और गुजरात को जानने-देखने का एक माध्यम भी है। सैकड़ों वर्ष इस समाज पर विदेशी आक्रांताओं ने क्या-क्या अत्याचार नहीं किए! लेकिन, फिर भी समाज के पूर्वजों ने अपनी पहचान नहीं मिटने दी, अपनी आस्था को खंडित नहीं होने दिया। सदियों पहले के त्याग और बलिदान का प्रभाव हम आज इस सफल समाज की वर्तमान पीढ़ी के रूप में देख रहे हैं। आज कच्छ कड़वा पाटीदार समाज के लोग देश-विदेश में अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं। वो जहां भी हैं, अपने श्रम और सामर्थ्य से आगे बढ़ रहे हैं। टिंबर हो, प्लाईवुड हो, हार्डवेयर, मार्बल, बिल्डिंग मैटैरियल, हर सेक्टर में आप लोग छाए हुए हैं। और मुझे खुशी है कि इन सबके साथ ही आपने पीढ़ी-दर-पीढ़ी, साल-दर-साल अपनी परम्पराओं का मान बढ़ाया है, सम्मान बढ़ाया है। इस समाज ने अपने वर्तमान का निर्माण किया, अपने भविष्य की नींव रखी!

साथियों,

राजनैतिक जीवन में मैंने आप सबके बीच एक लंबा समय गुजारा है, आप सभी से बहुत कुछ सीखा है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुये आपके साथ कई विषयों पर काम करने का अवसर भी मिला है। चाहे कच्छ में आए भूकंप का मुश्किल दौर हो, या उसके बाद राहत-बचाव और पुनर्निर्माण के लंबे प्रयास हों, ये समाज की ताकत ही थी, जिससे मुझे हमेशा एक आत्मविश्वास मिलता था। विशेषकर, जब मैं कच्छ के दिनों के बारे में सोचता हूं तो कितना ही कुछ पुराना याद आने लगता है। एक समय था, जब कच्छ देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक था। पानी की किल्लत, भूखमरी, पशुओं की मौत, पलायन, बदहाली, यही कच्छ की पहचान थी। किसी अफसर का ट्रांसफर कच्छ होता था, तो उसे पनिशमेंट पोस्टिंग माना जाता था, काला पानी माना जाता था। लेकिन बीते वर्षों में हमने साथ मिलकर कच्छ का कायाकल्प कर दिया है। हमने कच्छ के पानी संकट को हल करने के लिए जिस तरह साथ मिलकर काम किया, हमने साथ मिलकर जिस तरह कच्छ को विश्व का इतना बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाया, वो सबका प्रयास का एक बेहतरीन उदाहरण है। आज मुझे ये देखकर गर्व होता है कि कच्छ, देश के सबसे तेजी से विकसित होते जिलों में से एक है। कच्छ की कनेक्टिविटी सुधर रही है, वहां बड़े-बड़े उद्योग आ रहे हैं। जिस कच्छ में कभी खेती के बारे में सोचना भी मुश्किल था, आज वहां से कृषि उत्पाद एक्सपोर्ट हो रहे हैं, दुनिया में जा रहे हैं। इसमें आप सभी लोगों की बड़ी भूमिका रही है।

भाइयों और बहनों,

मैं नारायण रामजी लिंबानी से बहुत प्रेरित रहा हूं। श्रीअखिल भारतीय कच्छ कड़वा पाटीदार समाज को आगे बढ़ाने वाले कई लोगों से मेरा व्यक्तिगत आत्मीय संबंध भी रहा है। इसलिए, समय-समय पर समाज के कामों और अभियानों के बारे में मुझे जानकारी भी मिलती रहती है। कोरोना के समय भी आप सभी ने बहुत प्रशंसनीय कार्य किया है। मुझे खुशी है कि, इस सनातनी शताब्दी समारोह के साथ ही आपने अगले 25 वर्षों का विज़न और उसके संकल्प भी सामने रखे हैं। आपके 25 वर्षों के ये संकल्प उस समय पूरे होंगे, जब देश अपनी आज़ादी के 100 वर्ष मनाएगा। आपने इकॉनामी से लेकर टेक्नोलॉजी तक, सामाजिक समरसता से लेकर पर्यावरण और प्राकृतिक खेती तक जो संकल्प लिए हैं, वो देश के अमृत-संकल्पों से जुड़े हुए हैं। मुझे विश्वास है श्रीअखिल भारतीय कच्छ कड़वा समाज के प्रयास इस दिशा में देश के संकल्पों को ताकत देंगे, उन्हें सिद्धि तक पहुंचाएंगे। इसी भावना के साथ, आप सभी को एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

धन्यवाद!

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.