एंकर- परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मंत्रीगण, डॉ पी.टी. उषा। आज हमारे पेरिस ओलंपिक्स में भाग लेने वाले सारे एथलीट्स आपके साथ वार्ता करने के लिए आए हैं। सर से मार्गदर्शन करने की अपेक्षा करते हैं। लगभग 98 लोग ऑनलाइन जुड़े हुए हैं सर, क्योंकि उनकी विदेश में ट्रेनिंग चल रही है, देश के दूसरे केंद्रों में ट्रेनिंग चल रही है। और आने वाले कुछ दिनों में आप सभी लोग पेरिस के लिए रवाना होंगे। मैं अनुरोध करती हूँ सर से कि कृपया सभी का मार्गदर्शन करें, उनका प्रोत्साहन करें। धन्यवाद सर!

प्रधानमंत्री- आप सबका स्‍वागत है! और जो साथी सब ऑनलाइन जुड़े हैं उनका भी स्‍वागत है। साथियों, मैं आज तो ज्‍यादा समय नहीं लेता हूं आपका, क्योंकि आज आप जाने के मूड में होंगे और जीतने के मूड में होंगे। और मैं आपका जीत करके वापस आओगे, तब स्‍वागत करने के मूड में हूं। और इसलिए वैसे मेरी कोशिश रहती है कि खेल जगत से जुड़े हुए हमारे देश के जो सितारे हैं, उनसे मिलता रहूं, नई चीजें जानता रहूं, उनके प्रयासों को समझता रहूं। और सरकार के नाते अगर व्‍यवस्‍था में कुछ बदलाव लाना है, कुछ प्रयास बढ़ाने हैं तो इस दिशा में कुछ काम करता रहूं। मेरी कोशिश ये रहती है कि सबसे direct interaction करूं, ताकि first time information मिलती है

खेल का एक स्‍वभाव होता है कि हर विद्यार्थी का जैसे रहता है। जब वो पेपर देने जाता है exam के लिए तो पूरे घर को जैसे विश्‍वास देता है कि आप चिंता मत कीजिए मैं रैंक लेकर वाला हूं। और जब उसको तो पता चल जाता है examination में, क्या होगा, क्या कर पाएगा, ठीक गया, नहीं गया। तो निकलते ही शुरू कर देता है। पंखे की आवाज बहुत आ रही थी। खिड़की खुली थी तो मजा नहीं आ रहा था, टीचर बार-बार मेरी तरफ देखते थे। तो आपने देखे होंगे ऐसे students, उनके पास बहुत सारे बहाने होते हैं और हमेशा वो परिस्थितियों को दोष देते हैं। और ऐसे लोगों के कभी जीवन में प्र‍गति नहीं होती है, वो बहाने बनाने में मास्‍टर हो जाते हैं लेकिन प्रगति नहीं कर पाते हैं।

लेकिन मैंने देखा है कि मैं कई खिलाड़ियों को जानता हूं, वे कभी भी परिस्थितियों को दोष नहीं देते। वो हमेशा कहते मिलेंगे वो जो वो technique मेरे लिए नई थी। वो जो करता था मैंने अंदाज नहीं लगाया कि वो भी एक तरीका हो सकता है।

कहने का तात्‍पर्य है दोस्‍तो, हम खेलने के लिए जा रहे हैं, हम अपनी best performance के लिए जा रहे हैं। लेकिन ओलंपिक सीखने का भी बहुत बड़ा मैदान होता है। अब तो एक तो मैं अपना खेल खेलूं और टेलीफोन करके सबको बताता रहूं देखिए आज ऐसा रहा, वैसा रहा; दूसरे होते हैं बाकी हर खेल देखने जाते हैं। हमारा देश कैसे खेल रहा है, दूसरा देश कैसे खेल रहा है, और वो चीजों को पूरी तरह observe करता है, कोशिश करता है absorb करने की। और आ करके अपने कोच को भी बताएगा, अरे नहीं, मैंने देखा, उसने तो बड़ा कमाल कर दिया था last movement में तो मुझे भी बताइए वो क्‍या technique थी। कभी उस वीडियो को ले करके दस बार देखता है कि उसने कैसे उसको पलटा था।

यानी जो सीखने की वृत्ति से काम करता है उसके लिए सीखने के बहुत अवसर होते हैं जी। जो शिकायत में जीना चाहता है उसके लिए भी अवसरों की कमी नहीं होती। दुनिया के समृद्ध-समृद्ध देश भी, उत्‍तम से उत्‍तम सुविधाओं के साथ आए हुए लोग भी शायद शिकायत करते हुए नजर आएंगे। और हमारे जैसे देश के लोग जाते हैं कई कठिनाइयां होती हैं, बहुत-सी असुविधाएं होती हैं लेकिन दिल में, उसके मन में रहता है मेरा देश, मेरा तिरंगा झंडा। और इसलिए वो कठिनाइयों को, असुविधाओं को बिल्‍कुल साइड में रखता है। वो अपने मिशन के लिए लग जाता है।

और इसलिए साथियों मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि इस बार भी खेल के मैदान में आप भारत का नाम रोशन करके आएंगे। जो पहली बार जा रहे हैं जिनको ओलम्पिक में जाने का पहला मौका मिल रहा है, ऐसे कौन-कौन हैं। अच्‍छा बेटियों की संख्‍या ज्‍यादा है, पहलवानों की भी संख्‍या ज्‍यादा है, हैं?

अच्‍छा जो पहली बार जा रहे हैं, उनके मन में क्‍या चल रहा है। मैं जरा सुनना चाहूंगा, आप क्‍या सोच रहे हैं? आप में से कोई भी बताए, हां बताइए। आप कुछ कहना चाहती हैं ना? ये पीछे। हां बताइए।

खिलाड़ी – मुझे काफी अच्‍छा लग रहा है मैं पहली बार ओलम्पिक में जा रही हूँ।

प्रधानमंत्री – अपना परिचय बता दीजिए!

खिलाड़ी– मैं रमिता जिंदल हूं और एयर राइफल्‍स शूटिंग में मैं पहली बार ओलम्पिक्‍स में जा रही हूं। So I am very excited to go because ओलम्पिक्‍स में जाने का सपना तो starting से ही था मेरा जब से sports start किया है मैंने। तो मुझे काफी excitement भी है और साथ में motivation भी है काफी कि मैं देश के लिए कुछ अच्‍छा करके आऊं वहां।

प्रधानमंत्री – आपकी ट्रेनिंग कहां-कहां हुई है?

खिलाड़ी – मैं हरियाणा से हूं पर मैं ट्रेनिंग चेन्‍नई में करती हूं।

प्रधानमंत्री – परिवार में भी और कोई खेल जगत से जुड़े हुए थे या आप ही ने शुरूआत की?

खिलाड़ी – नहीं, मैंने ही शुरूआत की है।

प्रधानमंत्री – अच्‍छा, वरना हरियाणा में तो हर घर में खिलाड़ी मिलेगा। बैठिए। और कौन कुछ बताएंगे अपना जो पहली बार जा रहे हैं। बेटियां तो बहुत बता सकती हैं। दीजिए, दीजिए, वो बोलेंगी कुछ।

खिलाड़ी - सर मेरा नाम रितिका है और मैं हरियाणा, रोहतक से हूं। मैं बहुत खुश हूं, मैं पहली बार जा रही हूं। Excitement भी बहुत है कि मैं अपना प्रदर्शन दिखाऊंगी, पूरे देश की नजर मुझ पर होगी सभी लोग दुआ भी कर रहे हैं और मैं भी अपना 100 पर्सेंट दूंगी।

प्रधानमंत्री – शाबाश! और, बोलिए न, हां दीजिए, आप संकोच कर रही हैं, बोलना है आपकी body language कह रही है।

खिलाड़ी - मेरा नाम अंतिम तंगाड़ा है। और मैं 53 kg में wrestling करती हूं। मैं अभी 19 साल की हूं और मैं ओलम्पिक खेलने जाऊंगी। बहुत खुशी है मुझे कि अभी ओलम्पिक में सिर्फ कुश्‍ती में एक ही मैडल आया है लड़की का और वो भी Bronze आया है। तो मैं चाहती हूं कि इससे भी अच्‍छा मैडल ले करक आऊं।

प्रधानमंत्री – शाबाश! अच्‍छा आप में से 18 से भी कम उम्र के कौन–कौन हैं? जिनकी age 18 से कम है। एक, हां, बताइए जरा।

खिलाड़ी - Hi, I am Dhinidhi Desinghu. I am 14 years old. I am from Kerala but I represent Karnataka generally. I am really excited to go to the Olympics this year as being part of the team India. It’s a great honor and great privilege that I got to be part of such an amazing team this year. I know that it's just a start of my journey and i know there is a long-long way to go for me and for all of us here. I hope that we all will make the country proud and I hope that we come back with great achievements and life time goals.

प्रधानमंत्री – Wish you all the best.

खिलाड़ी - Thank You Sir!

प्रधानमंत्री – अच्‍छा जो लोग तीन बार से ज्‍यादा बार ओलम्पिक में गए हैं, ऐसे कौन-कौन हैं। More than three times. जरा उनसे सुनेंगे। हां बताइए। तो ये झारखंड वालों को तो छूट है कुछ भी बोलने की।

खिलाड़ी – नमस्‍ते सर, मेरा नाम दीपिका कुमारी है। मैं archery को represent करती हूं और बहुत खुशी है कि ये चौथा ओलम्पिक है मेरा और मैं बहुत excited हूं और मुझे काफी experience है तो मैं चाहूंगी कि उस experience को यूज करूं। और उसी जोश और उसी confidence के साथ represent करूं और अपना 200 पर्सेंट दूं। थैंक्‍यू सर।

प्रधानमंत्री – अच्‍छा आप जो यहां नए खिलाड़ी पहली बार जा रहे हैं उनके लिए क्‍या संदेश देंगी। जो पहली बार जा रहे हैं इस टीम में।

खिलाड़ी- सर, मैं बोलूंगी कि definitely कि excitement बहुत ज्‍यादा होता है but मैं उनको बोलूंगी कि उस चकाचौंध में वो न घुसें। जितना हो सके वो खुद पर फोकस करें और enjoy करें पर पूरे फोकस के साथ, पूरे self confidence के साथ। मैं ये बोलूंगी कि मैडल जीतना है उसके पीछे न भागें, वो perform करे, अच्‍छा perform करें ताकि मैडल उनके पास आए।

प्रधानमंत्री– आप तीन बार हो आईं। पहली बार गईं उसमें सीखा होगा कुछ, आपने आ करके उसको प्रैक्टिस किया होगा। दूसरी बार गईं, कुछ और सीखा होगा। मैं जान सकता हूं कि आपने कौन सी ऐसी चीजें, जो नई adopt की‍ जिसके कारण आपका confidence भी बढ़ा है और आपको लगता है कि आप देश को कुछ दे पाओगी। या ऐसा तो नहीं है कि routine जो प्रैक्टिस करती थीं वो ही करती रही। क्‍योंकि ज्‍यादातर मैंने देखा है, जैसे मैं हूं, मैं योगा वगैरह करने का आदी हूं। तो मैं समझ लेता हूं मेरे लिए। लेकिन मैंने देखा है कि जो एक rhythm बन जाती है जाते ही जिससे शुरू करता हूं वहीं से एकदम से शुरू हो जाता है। फिर मैं थोड़ा conscious होकर कहता हूं नहीं आज ये दो छोड़ो, दो नई चीजें करो तो थोड़ा मुझे। वैसी हरेक की आदत हो जाती है कि वो अपनी जो पुरानी habit है उसी प्रकार से एक्‍ट करता रहता है। और उसको लगता है मैंने कर लिया। आपकी स्थिति क्‍या है।

खिलाड़ी - सर, जो पुरानी अच्‍छी आदत है उसको continue करते हैं और जैसे last time कोई भी मैच से अगर हम हारते हैं तो उससे हम सीखते हैं और प्रैक्टिस में आकर वो गलती हम न करें, उसको हम हरदम repeat करते हैं ताकि हमारी आदत में उतर आए। जो अच्‍छी आदत है वो उतर आए वो ही चीज हम continue करने की कोशिश करते हैं।

प्रधानमंत्री – कभी-कभी बुरी आदत भी तो आदत बन जाती है शरीर का हिस्‍सा बन जाती है।

खिलाड़ी - सर, होता है ऐसा। बहुत बार होता है कि बुरी आदत लग जाती है। But हम खुद से बात करते हैं खुद से और remind कराते हैं खुद को कि ये चीजें हमको कैसे convert करनी हैं अच्‍छी चीजों में।

प्रधानमंत्री- चलिए! और कौन हैं जो तीन बार जा करके आए हैं।

खिलाड़ी - नमस्‍ते सर, मैं Poovamma M R एथलेटिक्‍स से हूं। 2008 में जब मैं ओलम्पिक्‍स में गई थी तो मैं 18 वर्ष की थी। तो मैं रिजर्व में थी सर, तो than 2016 में हम लोग टीम में बाहर गए थे। तो 2002 के बाद हम लोग फाइनल में नहीं आया तो this time we want to create a national record and come into finals.

प्रधानमंत्री – This shows confidence. Thank You. Wish you all the best. ये जो बाहर जो है हमारे साथ ऑनलाइन जुड़े हैं, वो भी कुछ अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं तो अच्‍छा लगेगा सब खिलाड़ियों को। कौन बताना चाहता है, हाथ ऊपर करके शुरू कर दीजिए।

खिलाड़ी - नमस्‍कार सर,

प्रधानमंत्री – नमस्‍ते।

खिलाड़ी – मैं पी वी सिंधू. सर, मेरा अभी थर्ड ओलम्पिक्‍स है, मैं जा रही हूं सर। तो फर्स्‍ट ओलम्पिक्‍स में 2016 मे सिल्‍वर लेकर आई थी। और 2020 टोक्‍यो में Bronze लेकर आई थी तो इस बार I hope I change the colour and I hope I come back with a medal. Obviously अभी बहुत experience से जा रही हूं but definitely its not going to be easy but I will try my best and hoping for another medal Sir.

प्रधानमंत्री – ये जो नए खिलाड़ी आ रहे हैं, उनके लिए क्‍या कहोगी।

खिलाड़ी - Firstly, मैं बस यही कहती हूं कि I wish them all the very best. बहुत लोग ये सोचते हैं कि ओलम्पिक्‍स है, कैसा खेलना और प्रेशर भी बहुत रहता है और कुछ-कुछ लोगों को ये रहता है कि वो excitement रहता है कि you know its first Olympics and we want to go the Olympics. But I just want to say that it is like any other tournament. It just that हमें फोकस करना है और we have to have that belief in ourselves that we can do it and definitely सब लोग hard work कर रहे हैं तो I wish them that they keep their 100 percent. Not think that it is some different tournament and it is going to be hard. But I just want to tell them it is like any other tournament. I want them to give their 100 percent. Thank You Sir.

प्रधानमंत्री – और कौन, कोई है जो बाहर से बात करना चाहेंगे.

खिलाड़ी – नमस्‍ते, सर मैं प्रियंका गोस्‍वामी

प्रधानमंत्री – नमस्‍ते जी, तुम्‍हारे बालकृष्‍ण कहां हैं।

खिलाड़ी – सर, मेरे पास ही हैं यहीं स्विटजरलैंड में ही हैं। तो इस बार भी बालकृष्‍ण को लेकर जा रही हो ना।

खिलाड़ी – हां जी सर ओलम्पिक्‍स, उनका भी दूसरा ओलम्पिक्‍स है। सबसे पहले तो सर आपको बधाई हो कि आप तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं और हम सभी खिलाड़ियों को आपसे दोबारा बात करने का और मिलने का मौका मिला है। और सर, जैसा कि दूसरा ओलम्पिक्‍स है और मैं तीन महीने से ऑस्‍ट्रेलिया में ट्रेनिेंग कर रही थी सरकार की तरफ से और अभी स्विटरजलैंड में ट्रेनिेंग कर रही हूं Tops की तरफ से तो काफी support मिल रहा है हमें गवर्नमेंट की तरफ से। दूसरे देश में जाकर अपनी प्रैक्टिस कर रहे हैं तो I hope कि सभी players Olympics में अपना बेस्‍ट देंगे और अच्‍छा रिजल्‍ट देंगे और ज्‍यादा से ज्‍यादा मैडल जीतेंगे।

प्रधानमंत्री – अच्‍छा, आपकी एक शिकायत रहती थी कि तुम्‍हारा खेल ऐसा है कोई देखने वाला नहीं होता है। तो वहां प्रैक्टिस कर रही थी तुम्हें तो कोई होता था देखने वाला।

खिलाड़ी- हां सर विदेशों में तो इस खेल को भी मतलब उतनी एहमियत दी जाती है। जितनी की और खेलों में दी जाती है तो अपने अपने देश में थोड़ा सा कम था। लेकिन जब से आप भी उसको encourage कर रहे हो कि सब देखो, हर खिलाड़ी के लिए आप बोलते हैं तो हमारे देश में अभी बहुत लोग अभी खेल को देख रहे हैं और काफी बढ़ावा मिल रहा है खिलाड़ी को और हमें भी सपोर्ट मिलता है कि कोई देखता है हमारा इवेंट कि हां बैठकर देख रहे हैं तो हमें भी और motivation आता है कि अच्छा करना है।

प्रधानमंत्री – चलिए बहुत-बहुत बधाई आपको, और कौन है वहां से कोई बात करना चाहेगा?

खिलाड़ी – सर नमस्कार सर, मैं निखद बोल रही हूं सर। मैं boxing में 50 category में इंडिया को represent करने जा रही हूं Olympics में। और ये मेरा पहला Olympics है और मैं बहुत excited हूं at the same मैं अपने आपको फोकस रख रही हूं। क्योंकि पूरे देशवासियों का मेरे ऊपर expectations हैं तो मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती हूं और अपना देश का नाम ऊंचा करके वापस लौटना चाहूंगी।

प्रधानमंत्री – बहुत-बहुत शुभकामनाएं, नीरज कुछ कह रहे थे।

खिलाड़ी – नमस्ते सर!

प्रधानमंत्री – नमस्ते भईया।

खिलाड़ी – कैसे हो सर?

प्रधानमंत्री – मैं वैसा ही हूं, तेरा चूरमा अभी तक आया नहीं।

खिलाड़ी – चूरमा लेकर आएंगे सर इस बार। पिछली बार वो दिल्ली में चीनी वाला चूरमा था। अब तो हरियाणा का देशी घी।

प्रधानमंत्री – वही तो, भई मुझे तेरी मां के हाथ का चूरमा खाना है।

खिलाड़ी – पक्का सर।

प्रधानमंत्री – हम्म बताइये।

खिलाड़ी– बिल्कुल सर अभी हम बाहर हैं जर्मनी में और ट्रेनिंग बहुत अच्छी चल रही है। इस बार मैं काफी कम competition खेला हूं, क्योंकि बीच-बीच में मुझे एक injury हो रही है। पर अभी काफी better है। अभी कुछ दिन पहले फ़िनलैंड में एक competition खेला था और वो काफी अच्छा रहा, और एक महीना है अभी हमारे पास Olympics के लिए और ट्रैनिंग बहुत बढ़िया चल रही है। कोशिश कर रहे हैं कि अपने आप को पूरा फिट करके जाएं पेरिस में और 100% दें सर अपनी country के लिए क्योंकि चार साल में आता है। मैं सभी athlete को ये बोलना चाहूंगा कि चार साल में मौका मिलता है और अपने अंदर घुसकर उस चीज को निकालें कि क्या वो चीज है जिससे हम अपना बेस्ट दे सकते हैं। क्योंकि टोक्यो मेरा पहला Olympics था और पहले Olympics में बहुत ही अच्छा रिजल्ट रहा, गोल्ड जीता देश के लिए और उसका reason मैं मानता हूं कि यही है कि मन में डर नहीं था, नीडर होकर खेला और बहुत ही belief था खुद पर कि ट्रेनिंग बहुत अच्छी हुई है और मैं सभी athletes को यह बोलूंगा कि वैसे ही खेलें किसी से डरने की घबराने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि वो भी इंसान हैं। कई बार हमको लगता है कि शायद Europeans ज्यादा स्ट्रॉंग हैं या फिर US के athelete या दूसरी country’s के ज्यादा स्ट्रॉंग हैं। लेकिन वही है कि अगर हम खुद को पहचान लें कि हां हम इतनी मेहनत कर रहे हैं, अपने घर बार को छोड़कर इतनी दूर हैं तो कुछ भी possible है जी।

प्रधानमंत्री - चलिए बहुत बढ़िया टिप दिए हैं सबको, मैं आपका धन्यवाद करता हूं और आपको शुभकामनाएं देता हूं आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे। एक महीने में कोई नई injury न हो भाई।

खिलाड़ी- बिल्कुल सर वही कोशिश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री – देखिए साथियों, आपने देखा होगा कि दो तीन बातें बहुत अच्छी निकली। कोई आप जो अनुभवी लोग हैं, उनसे जानने को मिलता है। उसकी एक अहमियत होती है। जैसा कि आपको बताया कि वहां के ताम झाम में डूब मत जाना, खो मत जाना, ये बहुत सही है जी। Otherwise, हमारे लिए वो उसी का प्रभाव इतना होता है कि हम शायद अपनी चीज को फोकस नहीं कर पाते हैं। दूसरा परमात्मा ने हमें एक कद दिया है बाकि खिलाड़ी हमसे बड़े कद वाले होते हैं। लेकिन हम पक्का मानकर चलें यहां कद का खेल नहीं है जी। यहां कौशल का खेल है, आपके टैलेंट का खेल है। सामने वाले का शरीर हमसे दो फीट ऊंचा है, चौड़ा है इसकी परवाह मत कीजिए। आपको अपने टैलेंट पर भरोसा होना चाहिए और फिर सामने कितना ही शरीर मोटा हो, बड़ा तगड़ा हो, दिखने में बड़ा शानदार हो तो वो जीत ही जाएगा ये मानने का कारण नहीं होता है। तो हमने कोशिश अपने पास जो कौशल है, अपने पास जो टैलेंट है उस पर ही हमारा फोकस होना चाहिए और वो ही हमें परिणाम देता है। आपने देखा होगा कि बहुत सारे लोग बहुत कुछ आता है उनको, लेकिन examination के समय गड़बड़ हो जाती है। तो उनको लगता है यार याद नहीं आता है फिर सोचते है कुछ correlate करता है और उसका मूल कारण उसका exam पर ध्यान कम होता है। उसका मूल कारण होता है कि अगर मैं अच्छा नहीं करूंगा तो घरवाले क्या कहेंगे? अगर मैं marks कम लाया तो क्या, उसी प्रेशर में रहता है। आप चिंता छोड़ दीजिए दोस्तों, आप खेलिए अच्छा बस। अरे मेडल आते भी हैं, नहीं भी आते हैं, क्या है। ये प्रेशर कभी मत रखिए। हां अपना 100% बेस्ट देना है ये मिजाज अपना होना चाहिए और उसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

दूसरा आप लोग जानते होंगे, आपको शायद ये आपके coaches हैं, वो सब ये आपके जो physiological जो treat करते हैं वो भी आपको समझाते होंगे। खेल जगत में practise का जितना महत्व है, consistency का जितना महत्व है, उतना ही महत्व नींद का है। और कभी-कभी तो कल सुबह मैच होने वाला है आज रात को नींद ही नहीं आ रही है। और शायद कोई और चीज हमें जितना नुकसान नहीं करती हैं उससे ज्यादा नींद का अभाव नुकसान करती है। और आपको आश्चर्य होगा कि ये कैसा प्रधानमंत्री है जो हमको सोने के लिए कह रहा है। लेकिन मैं आपसे आग्रह से कहूंगा अच्छी नींद बहुत जरूरी है खेल जगत के लिए, किसी भी जीवन के हर चीज के लिए। और आजकल तो medical science भी नींद पर बहुत बल दे रहा है कि आपकी नींद कितने समय की है, कितनी sound sleep है, इसका बड़ा महत्व माना जाता है। और नए medical science में इन चीजों को बड़ा स्वीकार किया जा रहा है। और इसलिए कितना ही excitement क्यों न हो जी आप नींद पक्की करके, वैसे आप लोग मेहनत इतनी करते हैं कि आपको नींद आना बहुत स्वाभाविक होता है क्योंकि आप गहरी नींद में चले जाएं कोई इतनी मेहनत करते हो शरीर से। लेकिन शरीर की मेहनत वाली नींद एक बात है और सभी चिंताओं से मुक्त सोना ये अलग चीज है और इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप नींद के संबंध में जरा भी compromise और थोड़े दिन पहले इसीलिए भेजते हैं कि थोड़ा आप वहां पर jackleg (अस्पष्ट) वगैरह समस्याओं से बच जाएं, वहां थोड़ा comfort feel करें और उसके बाद आप खेल के मैदान में उतरें तो आपको सुविधा रहे इसलिए ये व्यवस्था सरकार करती है। खिलाड़ियों की सुविधा के लिए इस बार भी कुछ नई-नई चीजें करने का प्रयास किया है। लेकिन फिर भी मैं कह नहीं सकता हूं कि हरेक को सब कुछ वहां सुविधजनक होगा ही कि नहीं होगा, लेकिन कोशिश की है। इन दिनों हम वहां के जो भारतीय समुदाय हैं। उनको भी जरा एक्टिवेट करते हैं, उनको mobilize करते हैं, जरा आप भी हमारे खिलाड़ियों के साथ जरा जुड़िये, कुछ discipline रहती है इसलिए उतने तो निकट नहीं रह सकते लेकिन फिर भी वो ख्याल रखते हैं, चिंता करते हैं। जिसका खेल पूरा हो जाता है उसकी तो भरपूर चिंता करते हैं। लेकिन हम कोशिश करते हैं कि एक प्रकार से आप लोगों के लिए comfort रहें, असुविधा न हो और आप लोग अच्छा परिणाम लेकर के आएं। मेरी तरफ से आप लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं और मैं आप लोगों का फिर से एक बार इंतजार करूंगा। जब आप 11 अगस्त को तो सारा खेल पूरा होगा। आपमें से वो लोग जल्दी जाएंगे, जल्दी आएंगे ऐसा तो क्रम रहता है। लेकिन मैं कोशिश करूंगा की 15 अगस्त को एक बार लाल किले पर जब कार्यक्रम होता है तो आप लोग भी उसमें उपस्थित रहें। ताकि देश देखेगा कि भई यहां से हमारे Olympic खेलने के लिए जो गए थे, क्योंकि Olympic खेलने जाना ये भी बहुत बड़ी बात होती है जी। खेल में क्या करके आते हैं वो तो उसमें तो चार चांद लगा देता है, लेकिन देश के अंदर इतना सारा खेल जगत के लोगों का होने के बाद। आपमें से खेलो इंडिया से निकलकर के खिलाड़ी बने हैं ऐसे कितने हैं? अच्छा ये भी काफी लोग हैं। तो आपका क्या, कैसा, कौन सा खेल रहा है बता दीजिए जरा।

खिलाड़ी – Hello Sir, मैं Sift हूं और मैं शूटिंग करती हूँ तो खेलो इंडिया ने मुझे काफी help की है। क्योंकि दिल्ली में ट्रेनिंग करके और उस स्कीम में आकर जो भी मेरा रिजल्ट आया तो खेलो इंडिया के कारण ही आया।

प्रधानमंत्री- चलिए अच्छी शुरूआत है।

खिलाड़ी – हां जी।

प्रधानमंत्री – आपका।

खिलाड़ी – नमस्ते सर, मेरा नाम मनुभाकर है। मैं शूटिंग में ही अभी दूसरे Olympic में इंडिया को represent करूंगी। 2018 में जो first addition था खेलो इंडिया स्कूल गेम्स का। उसमें मैंने national record के साथ gold medal जीता था। और वहीं से उसके बाद मैं टॉप्स के कोर ग्रुप में आ गई थी और तब से बस यही था कि इंडिया की जर्सी चाहिए और इंडिया के लिए खेलना है और खेलो इंडिया एक ऐसा platform था, जो बहुत सारे लोगों को उसने एक मार्गदर्शन दिया है, और I think वहां से काफी सारे athletes ऐसे हैं जो आज मैं अपनी टीम में देखती हूं, मेरे साथ भी खेलते हैं और मेरे से जूनियर भी हैं। जो खेलो इंडिया से आए हैं, और उसकी एक बड़ी स्टेप होती है टॉप्स, जो मुझे 2018 से ही उसका सपोर्ट मिला है, और मैं बहुत ही शुक्रगुजार हूं कि इनकी सपोर्ट की वजह से जो एक खिलाड़ी की छोटी-छोटी समस्याएं होती हैं, वो उनका हल निकाल देते हैं तो I think बहुत major role play किया है मेरे लिए तो खेलो इंडिया ने और टॉप्स ने। जी सर जो आज मैं यहां हूँ, उसके लिए काफी हद तक इनका सहारा रहा है। जी शुक्रिया सर।

प्रधानमंत्री – चलिए, बहुत शुभकामनाएं हैं आपको। और कोई हैं जो कुछ कहना चाहते हैं। अपने हिसाब से कुछ बात बताना चाहते हैं। हां।

खिलाड़ी – नमस्कार सर! मैं हरमनप्रीत सिंह हूं हॉकी टीम से। तो सर last time जो हमने Olympic में Bronze Medal जीता था 41 इयर्स के बाद। तो वो देख बहुत हमारे लिए प्राउड मोमेंट थी हमारे लिए। And क्योंकि Hockey की जो history है वो बड़ी रही है & इस बार कोशिश बहुत अच्छी चल रही है & facilities की बात करूं।

प्रधानमंत्री – सब देख रहे हैं आपकी टोली के।

खिलाड़ी – तो facilities सर Bungalow SAI में रहते हैं तो one of the best facilities हमें मिल रही हैं। जैसे ये आपने रिकवरी के बारे में बोला, sleep के बारे में बोला वहां पर जो हमारा रिकवरी का है foods से लेकर सारा कुछ सर बहुत अच्छा मिल रहा है हमें। और इस बार भी हम पूरी अपनी मेहनत कर रहे हैं & टीम हमारी जो है बहुत स्ट्रॉग है। तो उम्मीद करते हैं सर इस बार और बेहतर करें और देश के लिए Medal लेकर आएं सर।

प्रधानमंत्री – शायद किसी एक खेल पर सबसे ज्यादा देश का प्रेशर है तो हॉकी पर होता है। क्योंकि देश के सब लोग मानते हैं ये तो हमारा खेल है हम कैसे पीछे रहे गए। सबसे ज्यादा प्रेशर रहता है हॉकी के खिलाड़ियों पर, क्योंकि देश का हर बच्चा-बच्चा ये मानता है ये तो हमारा खेल है, ये हम कैसे हार सकते हैं? बाकियों में तो कहते हैं हां भई चलो हमारे लोगों ने कोशिश की, प्रयास किया, निकाल रहे हैं। ये हॉकी के विषय में compromise नहीं करते हैं और इसलिए उनको मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ती है। लेकिन मेरी शुभकामनाएं हैं, आप पक्का करके लाओगे मुझे पूरा भरोसा है जी।

खिलाड़ी – Thank You Sir.

प्रधानमंत्री - चलिए साहब! मैं आपसे यही कहूंगा कि ये देश के लिए कुछ कर गुजरने का एक अवसर होता है। आप अपनी तपस्या से इस स्थान तक पहुंचे हैं। अब आपके लिए अवसर है देश को कुछ देने का। और देश को देने के लिए खुद का बेस्ट खेल के मैदान में देना पड़ता है। जो खेल के मैदान में खुद का बेस्ट देता है, वो देश के लिए गौरव लेकर आता है। और मुझे पक्का विश्वास है हमारे सभी साथी इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर के आएंगे। इस बार भारत की ये कोशिश है कि हम 2036 में Olympic की मेजबानी हमारे देश में करें। उससे भी एक बड़ा माहौल बनता है कि हमारी दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं और हो सकता है अभी तैयारियां infrastructure के लिए जो चाहिए उसके लिए काम काफी चल रहा है। जो भी expert लोग हैं उस पर काम कर रहे हैं। आप लोग भी अगर खेल के बाद, खेल के पहले तो मैं नहीं कहूंगा, वहां व्यवस्थाएं क्या हैं? इस बार फ्रांस में अलग-अलग शहरों में Olympic हो रहा है और एक तो पूरा बहुत दूर एक island पर हो रहा है। तो एक अलग प्रकार का ही वहां माहौल रहेगा। लेकिन फिर भी वहां की व्यवस्थाओं में अगर आपकी रूचि हो, उसको observe करें, उसको नोट करें, क्योंकि खिलाड़ियों से जो input मिलता है तो जब हम 2036 की तैयारी करेंगे वो input बहुत काम आएगा। कि भई वहां ये था, वहां वो था, वहां इस चीज की कमी थी, वहां उस चीज की कमी थी, तो ऐसी चीजें भी अगर आप observe करके आएंगे तो 2036 के लिए हमें जो करना है, उसमें हमें बहुत सुविधा मिलेगी। तो मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.