Quote“बुद्ध की चेतना शाश्वत है”
Quote“भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित होकर, भारत वैश्विक कल्याण के लिए नई पहल कर रहा है”
Quote“हमने भगवान बुद्ध के मूल्यों और संदेशों का निरंतर प्रसार किया है”
Quote"भारत विश्व के हर मानव के दुःख को अपना दुःख समझता है"
Quote“आईबीसी जैसे मंच समान विचारधारा वाले और समान हृदय वाले देशों को बुद्ध के धम्म और शांति का प्रसार करने का अवसर दे रहे हैं”
Quote“यह समय की मांग है कि हर व्यक्ति और राष्ट्र की प्राथमिकता देशहित के साथ विश्वहित भी हो”
Quote“समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है”
Quote“आज दुनिया जिन समस्याओं से पीड़ित है, बुद्ध ने उन सभी का समाधान दिया था”
Quote“बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग और स्थिरता का मार्ग है”
Quote“मिशन लाइफ बुद्ध की प्रेरणाओं से प्रभावित है और यह बुद्ध के विचारों को आगे बढ़ाता है”

नमो बुद्धाय !

कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य श्रीमान किरण रिजीजू जी, जी किशन रेड्डी जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, मीनाक्षी लेखी जी, International Buddhist Confederation के सेक्रेटरी जनरल, देश-विदेश से यहां पधारे और हमारे साथ जुड़े हुए सभी पूज्य भिक्षु गण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

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Global Buddhist Summit के इस पहले आयोजन में आप सभी दुनिया के कोने-कोने से आए हैं। बुद्ध की इस धरती की परंपरा है- ‘अतिथि देवो भवः’! अर्थात, अतिथि हमारे लिए देवता के समान होते हैं। लेकिन, भगवान बुद्ध के विचारों को जीने वाले इतने व्यक्तित्व जब हमारे सामने हों, तो साक्षात् बुद्ध की उपस्थिति का अहसास होता है। क्योंकि, बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर एक बोध हैं। बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं। बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना है और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है, निरंतर है। ये सोच शाश्वत है। ये बोध अविस्मरणीय है।

इसीलिए, आज इतने अलग-अलग देशों से, इतने अलग-अलग भौगोलिक सांस्कृतिक परिवेश से लोग यहाँ एक साथ उपस्थित हैं। यही भगवान बुद्ध का वो विस्तार है, जो पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है। हम कल्पना कर सकते हैं, दुनिया के अलग-अलग देशों में बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों का ये सामर्थ्य जब एक साथ कोई संकल्प लेता है, तो उसकी ऊर्जा कितनी असीम हो जाती है।

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जब इतने सारे लोग विश्व के बेहतर भविष्य के लिए एक विचार के साथ काम करेंगे, तो भविष्य निश्चित रूप से भव्य ही होगा। और इसलिए, मुझे विश्वास है, पहली Global Buddhist Summit इस दिशा में हम सभी देशों के प्रयासों के लिए एक प्रभावी मंच का निर्माण करेगी। मैं इस आयोजन के लिए भारत के संस्कृति मंत्रालय और International Buddhist Confederation को हृदय से बधाई देता हूँ।

साथियों,

इस समिट से मेरे आत्मीय लगाव की एक और वजह है। मेरा जन्म, गुजरात के जिस वडनगर स्थान में हुआ है, उस स्थान का बौद्ध धर्म से गहरा नाता रहा है। वडनगर से बौद्ध धर्म से जुड़े अनेक पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं। कभी बौद्ध यात्री ह्वेनसांग ने भी वडनगर का दौरा किया था। और यहां पर मैंने जो प्रदर्शनी देखी exhibition में जो चीजें लगी हैं, बहुत सारी चीजें विस्‍तार से यहां रखी हुई हैं। और संयोग देखिए, कि जन्‍म मेरा वडनगर में हुआ है और काशी का मैं सांसद हूं, और वहीं सारनाथ भी स्थित है।

साथियों,

Global Buddhist Summit की मेजबानी एक ऐसे समय में हो रही है जब भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अमृतकाल में भारत के पास अपने भविष्य के लिए विशाल लक्ष्य भी हैं, और वैश्विक कल्याण के नए संकल्प भी हैं। भारत ने आज अनेक विषयों पर विश्व में नई पहल की हैं। और इसमें हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा भगवान बुद्ध ही हैं।

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साथियों,

आप सभी परिचित हैं कि बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, पटिपत्ति और पटिवेध। यानी, Theory, Practice and Realization. पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिन्दुओं पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमने भगवान बुद्ध के मूल्यों का निरंतर प्रसार किया है। हमने बुद्ध की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक समर्पण भाव से काम किया है।

भारत और नेपाल में बुद्ध सर्किट का विकास हो, सारनाथ और कुशीनगर जैसे तीर्थों के कायाकल्प के प्रयास हों, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट हो, लुम्बिनी में भारत और IBC के सहयोग से India International Centre for Buddhist Culture and Heritage का निर्माण हो, भारत के ऐसे हर काम में ‘पटिपत्ति’ की प्रेरणा शामिल है। ये भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का पटिवेध ही है कि भारत विश्व के हर मानव के दुःख को अपना दुःख समझता है। दुनिया के अलग-अलग देशों में पीस मिशन्स हों, या तुर्किए के भूकम्प जैसी आपदा हो, भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर, हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, ‘मम भाव’ से खड़ा होता है।आज भारत के 140 करोड़ लोगों की इस भावना को दुनिया देख रही है, समझ रही है, और स्वीकार भी कर रही है। और मैं मानता हूँ, International Buddhist Confederation का ये मंच इस भावना को नया विस्तार दे रहा है। ये हम सभी like-minded and like-hearted देशों को एक परिवार के रूप में बुद्ध धम्म और शांति के विस्तार के नए अवसर देगा। वर्तमान चुनौतियों को हम किस तरह से हैंडल करते हैं, इस पर चर्चा अपने आप में न केवल प्रासंगिक है, बल्कि विश्व के लिए इसमें उम्मीद की किरण भी समाहित है।

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हमें याद रखना है कि समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है। बुद्ध ने महल इसलिए नहीं छोड़ा था, क्योंकि उन्हें कोई कष्ट था। बुद्ध ने महल, राजसी ठाठ-बाट इसलिए छोड़ा था, क्योंकि उनके लिए उपलब्ध सब सुख-सुविधाओं के बाद भी दूसरों के जीवन में दुःख था। यदि हमें विश्व को सुखी बनाना है, तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। हमें हमारे आस-पास गरीबी से जूझ रहे लोगों के बारे में सोचना ही होगा। हमें संसाधनों के अभाव में फंसे देशों के बारे में सोचना ही होगा। एक बेहतर और स्थिर विश्व की स्थापना के लिए यही एक मार्ग है, यही आवश्यक है। आज ये समय की मांग है कि हर व्यक्ति की, हर राष्ट्र की प्राथमिकता, अपने देश के हित के साथ ही, विश्व हित भी हो, 'ग्लोबल वर्ल्ड इंटरेस्ट’ भी हो।

साथियों,

ये बात सर्वस्वीकार्य है कि आज का ये समय इस सदी का सबसे चैलेंजिंग समय है। आज एक ओर, महीनों से दो देशों में युद्ध चल रहा है, तो वहीं दुनिया आर्थिक अस्थिरता से भी गुजर रही है। आतंकवाद और मजहबी उन्माद जैसे खतरे मानवता की आत्मा पर प्रहार कर रहे हैं। क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौती पूरी मानवता के अस्तित्व पर आफत बनकर मंडरा रही है। ग्लैशियर्स पिघल रहे हैं, ecology नष्ट हो रही है, प्रजातियाँ विलुप्त हो रहीं हैं। लेकिन इस सबके बीच, हमारे आप जैसे करोड़ों लोग भी हैं जिन्हें बुद्ध में आस्था है, जीव मात्र के कल्याण में विश्वास है। ये उम्मीद, ये विश्वास ही इस धरती की सबसे बड़ी ताकत है। जब ये उम्मीद एकजुट होगी, तो बुद्ध का धम्म विश्व की धारणा बन जाएगा, बुद्ध का बोध मानवता का विश्वास बन जाएगा।

साथियों,

आधुनिक विश्व की ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान सैकड़ों वर्ष पहले बुद्ध के उपदेशों में हमें प्राप्त न हुआ हो। आज दुनिया जिस युद्ध और अशांति से पीड़ित है, बुद्ध ने सदियों पहले इसका समाधान दिया था। बुद्ध कहा था- जयन् वेरन् पसवति, दुक्खन् सेति पराजितो, उपसंतो सुखन् सेति, हित्व जय पराजयः अर्थात्, जीत वैर को जन्म देती है, और हारा हुआ व्यक्ति भी दु:ख की नींद सोता है। इसलिए, हार-जीत, लड़ाई-झगड़ा इन्हें छोड़कर ही हम सुखी हो सकते हैं। भगवान बुद्ध ने युद्ध से उबरने का रास्ता भी बताया है। भगवान बुद्ध ने कहा है- नहि वेरेन् वेरानी, सम्मन तीध उदाचन्, अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सन्नतनो। अर्थात्, वैर से...बड़े कम शब्दों में बात बताई है, वैर से वैर शांत नहीं होता। वैर अवैर से शांत होता है। भगवान बुद्ध का वचन है- सुखा संघस्स सामग्गी, समग्गानं तपो सुखो। अर्थात, संघों के बीच एकता में ही सुख समाहित है। सभी लोगों के साथ, मिलजुलकर रहने में ही सुख है।

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साथियों,

हम देखते हैं, आज अपने विचारों, अपनी आस्था को दूसरों पर थोपने की सोच दुनिया के लिए बहुत बड़ा संकट बन रही है। लेकिन, भगवान बुद्ध ने क्‍या कहा था, भगवान् बुद्ध ने कहा था- अत्तान मेव पठमन्, पति रूपे निवेसये यानी कि, पहले खुद सही आचरण करना चाहिए, फिर दूसरे को उपदेश देना चाहिए। आधुनिक युग में हम देखते हैं कि चाहे गांधी जी हों या फिर विश्व के अनेक Leaders, उन्होंने इसी सूत्र से प्रेरणा पाई। लेकिन हमें याद रखना है, बुद्ध सिर्फ इतने पर ही नहीं रुके थे। उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर कहा था- अप्प दीपो भवः यानी ये जो आगे का वाक्‍य है वो ही तो सबसे बड़ा आधार है- अप्‍प दीपो भव: यानि अपना प्रकाश स्वयं बनो। आज अनेकों सवालों का उत्तर भगवान बुद्ध के इस उपदेश में ही समाहित है। इसलिए, कुछ साल पहले, संयुक्त राष्ट्र में मैंने गर्व के साथ कहा था कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। जहां बुद्ध की करुणा हो, वहां संघर्ष नहीं समन्वय होता है, अशांति नहीं शांति होती है।

साथियों,

बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है, sustainability का मार्ग है। अगर विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता, तो क्लाइमेट चेंज जैसा संकट भी हमारे सामने नहीं आता। ये संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में, आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना ही बंद कर दिया। दशकों तक वो ये सोचते रहे कि प्रकृति से इस छेड़छाड़ का प्रभाव उनके ऊपर नहीं आएगा। वो देश इसे दूसरों के ऊपर ही डालते रहे। लेकिन भगवान बुद्ध ने धम्मपद में स्पष्ट रूप से कहा है कि जैसे बूंद-बूंद पानी से घड़ा भर जाता है, वैसे ही लगातार की हुई गलतियाँ विनाश का कारण बन जाती हैं। मानवता को इस तरह सतर्क करने के बाद बुद्ध ने ये भी कहा कि- अगर हम गलतियों को सुधारें, लगातार अच्छे काम करें, तो समस्याओं के समाधान भी मिलते हैं। माव-मईंएथ पुण्‍यीअस्, न मन् तन् आग-मिस्सति, उद-बिन्दु-निपातेन, उद-कुम्भोपि पूरति, धीरो पूरति पुण्‍यीअस्, थोकं थोकम्पि आचिनन्। अर्थात, किसी कर्म का फल मेरे पास नहीं आएगा, ये सोचकर पुण्यकर्म की अवहेलना ना करें। बूंद-बूंद पानी गिरने से घड़ा भर जाता है। ऐसे ही, थोड़ा-थोड़ा संचय करता हुआ धीर व्यक्ति, पुण्य से भर जाता है।

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साथियों,

हर व्यक्ति का हर काम किसी न किसी रूप में धरती को प्रभावित कर रहा है। हमारी लाइफ स्टाइल चाहे जो हो, हम जो भी पहनते हों, हम जो भी खाते हों, हम जिस भी साधन से यात्रा करते हों, हर बात का प्रभाव होता ही होता है, फर्क पड़ता ही पड़ता है। हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ भी सकता है। अगर लोग जागरूक होकर अपनी जीवनशैली में बदलाव करें तो इस बड़ी समस्या से भी निपटा जा सकता है और यही तो बुद्ध का मार्ग है। इसी भावना को लेकर भारत ने मिशन LiFE की शुरुआत की है। मिशन LiFE यानी Lifestyle For Environment! ये मिशन भी बुद्ध की प्रेरणाओं से प्रभावित है, बुद्ध के विचारों को आगे बढ़ाता है।

साथियों,

आज बहुत आवश्यक है कि विश्व, कोरी भौतिकता और स्वार्थ की परिभाषाओं से निकलकर ‘भवतु सब्ब मंगलन्’ इस भाव को आत्मसात करें। बुद्ध को केवल प्रतीक नहीं, बल्कि प्रतिबिंब भी बनाया जाए, तभी ‘भवतु सब्ब मंगलम्’ का संकल्प चरितार्थ होगा। इसलिए, हमें बुद्ध के वचन को याद रखना है- “मा निवत्त, अभि-क्कम”! यानी, Do not turn back. Go forward! हमें आगे बढ़ना है, और लगातार आगे बढ़ते जाना है। मुझे विश्वास है, हम सब साथ मिलकर अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएंगे। इसी के साथ, आप सभी को एक बार फिर हमारे निमंत्रण पर यहां पधारने के लिए आभार भी व्‍यक्‍त करता हूं और इस दो दिवसीय विचार-विमर्श से मानवता को नया प्रकाश मिलेगा, नई प्रेरणा मिलेगी, नया साहस मिलेगा, नया सामर्थ्‍य मिलेगा, यही भावना के साथ मेरी आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं।

नमो बुद्धाय!

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यूपी, अब सिर्फ संभावनाओं की धरती नहीं रहा; अब ये सामर्थ्य और सिद्धियों की संकल्प भूमि बन रहा है: वाराणसी में पीएम मोदी
April 11, 2025
Quoteपिछले 10 वर्षों में बनारस के विकास को नई गति मिली है: प्रधानमंत्री
Quoteमहात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने महिला सशक्तिकरण, उनके आत्मविश्वास और समाज के कल्याण के लिए जीवन भर कार्य किया: प्रधानमंत्री
Quoteबनास डेयरी ने काशी के हजारों परिवारों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी है: प्रधानमंत्री
Quoteकाशी अब आरोग्‍य की राजधानी बन रही है: प्रधानमंत्री
Quoteआज काशी जाने वाला हर व्‍यक्ति यहां के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की प्रशंसा करता है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत आज विकास और विरासत दोनों को एक साथ आगे बढ़ा रहा है, हमारी काशी इसका सर्वोत्तम मॉडल बन रही है: प्रधानमंत्री
Quoteउत्तर प्रदेश अब सिर्फ संभावनाओं की भूमि नहीं बल्कि सामर्थ्य और सिद्धियों की संकल्‍प भूमि बन रहा है: प्रधानमंत्री

नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव!

मंच पर विराजमान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, उपस्थित मंत्रीगण, अन्‍य जनप्रतिनिधिगण, बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर भाई चौधरी और यहां इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए मेरे सभी परिवार जन,

काशी के हमरे परिवार के लोगन के हमार प्रणाम। आप सब लोग यहां हमें आपन आशीर्वाद देला। हम ए प्रेम क कर्जदार हई। काशी हमार हौ, हम काशी क हई।

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साथियों,

कल हनुमान जन्मोत्सव का पावन दिन है और आज मुझे संकट मोचन महाराज की काशी में आपके दर्शन का सौभाग्य मिला है। हनुमान जन्मोत्सव से पहले, काशी की जनता आज विकास का उत्सव मनाने यहां इकट्ठी हुई है।

साथियों,

पिछले 10 वर्षों में बनारस के विकास ने एक नई गति पकड़ी है। काशी ने आधुनिक समय को साधा है, विरासत को संजोया है और उज्ज्वल बनाने की दिशा में मजबूत कदम भी रखे हैं। आज काशी, सिर्फ पुरातन नहीं, प्रगतिशील भी है। काशी अब पूर्वांचल के आर्थिक नक्शे के केंद्र में है। जौने काशी के स्वयं महादेव चलाव लन… आज उहे काशी पूर्वांचल के विकास के रथ के खींचत हौ!

साथियों,

कुछ देर पहले काशी और पूर्वांचल के अनेक हिस्सों से जुड़ी ढेर सारी परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। कनेक्टिविटी को मजबूती देने वाले अनेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, गांव-गांव, घर-घर तक नल से जल पहुंचाने का अभियान, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल सुविधाओं का विस्तार और हर क्षेत्र, हर परिवार, हर युवा को बेहतर सुविधाएं देने का संकल्प ये सारी बातें, ये सारी योजनाएं, पूर्वांचल को विकसित पूर्वांचल बनाने की दिशा में मील का पत्थर बनने वाली हैं। काशी के हर निवासी को इन योजनाओं से खूब लाभ मिलेगा। इन सभी विकास कार्यों के लिए, बनारस के लोगों को, पूर्वांचल के लोगों को मैं ढेर सारी बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज सामाजिक चेतना के प्रतीक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती भी है। महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने जीवन भर, नारी शक्ति के हित, उनके आत्मविश्वास और समाज कल्याण के लिए काम किया। आज हम उनके विचारों को, उनके संकल्पों को नारी सशक्तिकरण के उनके आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं, नई ऊर्जा दे रहे हैं।

साथियों,

आज मैं एक बात और भी कहना चाहूंगा, महात्मा फुले जी जैसे त्यागी, तपस्वी, महापुरुषों से प्रेरणा से ही देश सेवा का हमारा मंत्र रहा है, सबका साथ, सबका विकास। हम देश के लिए उस विचार को लेकर के चलते हैं, जिसका समर्पित भाव है, सबका साथ, सबका विकास। जो लोग सिर्फ और सिर्फ सत्ता हथियाने के लिए, सत्ता पाने के लिए, दिन रात खेल खेलते रहते हैं, उनका सिद्धांत है, परिवार का साथ, परिवार का विकास। आज मैं सबका साथ, सबका विकास के इस मंत्र को साकार करने की दिशा में पूर्वांचल के पशुपालक परिवारों को, विशेष रूप से हमारी मेहनतकश बहनों को विशेष बधाई देता हूं। इन बहनों ने बता दिया है, अगर भरोसा किया जाए, तो वो भरोसा नया इतिहास रच देता है। ये बहनें अब पूरे पूर्वांचल के लिए नई मिसाल बन चुकी हैं। थोड़ी देर पहले, उत्तर प्रदेश के बनास डेयरी प्लांट से जुड़े सभी पशुपालक साथियों को बोनस वितरित किया गया है। बनारस और बोनस, ये कोई उपहार नहीं है, ये आपकी तपस्या का पुरस्कार है। 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का ये बोनस, आपके पसीने का, आपके परिश्रम का तोहफा है।

साथियों,

बनास डेयरी ने काशी में हजारों परिवारों की तस्वीर और तक़दीर दोनों बदल दी है। इस डेयरी ने आपकी मेहनत को इनाम में बदला और सपनों को नई उड़ान दी और खुशी की बात ये, कि इन प्रयासों से, पूर्वांचल की अनेकों बहनें अब लखपति दीदी बन गई हैं। जहाँ पहले गुज़ारे की चिंता थी, वहाँ अब कदम खुशहाली की तरफ बढ़ रहे हैं। और ये तरक्की बनारस, यूपी के साथ ही पूरे देश में दिखाई दे रही है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। 10 साल में दूध के उत्पादन में करीब 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, डबल से भी ज्यादा। ये सफलता आप जैसे देश के करोड़ों किसानों की है, मेरे पशुपालक भाइयों और बहनों की है। और ये सफलता एक दिन में नहीं मिली है, बीते 10 सालों से, हम देश के पूरे डेयरी सेक्टर को मिशन मोड में आगे बढ़ा रहे हैं।

हमने पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा है, उनके लिए लोन की सीमा बढ़ाई है, सब्सिडी की व्यवस्था की है और सबसे बड़ा महत्वपूर्ण एक काम, जीव दया का काम भी है। खुरपका-मुंहपका, Foot and Mouth Disease से पशुधन को बचाने के लिए मुफ्त वैक्सीन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। कोविड की मुफ्त वैक्सीन की तो सबको चर्चा करनी याद आती है, लेकिन ये सरकार ऐसी है, जिसके सबका साथ, सबका विकास में मेरे पशुओं को भी मुफ्त में टीकाकरण हो रहा है।

दूध का संगठित कलेक्शन हो इसके लिए देश की 20 हजार से ज्यादा सहकारी समितियों को फिर से खड़ा किया गया है। इसमें लाखों नए सदस्य जोड़े गए हैं। प्रयास ये है कि डेयरी सेक्टर से जुड़े लोगों को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ाया जा सके। देश में गाय की देसी नस्लें विकसित हों, उनकी क्वालिटी अच्छी हो। गायों की ब्रीडिंग का काम साइंटिफिक अप्रोच से हो। इसके लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन चल रहा है। इन सारे कामों का मूल यही है कि देश में जो पशुपालक भाई बहन हैं, वो विकास के नए रास्ते से जुड़ें। उन्हें अच्छे बाजार से, अच्छी संभावनाओं से जुड़ने का अवसर मिले। और आज बनास डेरी का काशी संकुल, पूरे पूर्वांचल में इसी प्रोजेक्ट को, इसी सोच को आगे बढ़ा रहा है। बनास डेयरी ने यहां गिर गायों का भी वितरण किया है और मुझे बताया गया है कि उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। बनास डेयरी ने यहां बनारस में पशुओं के चारे की व्यवस्था भी शुरू कर दी है। पूर्वांचल के करीब-करीब एक लाख किसानों से आज ये डेयरी दूध कलेक्ट कर रही है, किसानों को सशक्त कर रही है।

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साथियों,

अभी कुछ देर पहले मुझे यहां कई बुजुर्ग साथियों को आयुष्मान वय वंदना कार्ड सौंपने का अवसर मिला है। मैंने उन साथियों के चेहरे पर जो संतोष का भाव देखा, मेरे लिए वो इस योजना की सबसे बड़ी सफलता है। इलाज को लेकर घर के बुजुर्गों की जो चिंता रहती है, वो हम सब जानते हैं। 10-11 साल पहले इस क्षेत्र में, पूरे पूर्वांचल में, इलाज को लेकर जो परेशानियां थीं, वो भी हम सब जानते हैं। आज स्थितियां बिल्कुल अलग हैं, मेरी काशी अब आरोग्य की राजधानी भी बन रही है। दिल्ली-मुंबई के बड़े-बड़े जो अस्पताल, ये अस्पताल अब आज आपके घर के पास आ गए हैं। यही तो विकास है, जहाँ सुविधाएं लोगों के पास आती हैं।

साथियों,

बीते 10 वर्षों में हमने सिर्फ अस्पतालों की गिनती ही नहीं बढ़ाई है, हमने मरीज की गरिमा भी बढ़ाई है। आयुष्मान भारत योजना मेरे गरीब भाई-बहनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। ये योजना सिर्फ इलाज नहीं देती, ये इलाज के साथ-साथ विश्वास देती है। उत्तर प्रदेश के लाखों और वाराणसी के हजारों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। हर इलाज, हर ऑपरेशन, हर राहत, जीवन की एक नई शुरुआत बन गई है। आयुष्मान योजना से यूपी में ही लाखों परिवारों के करोड़ों रुपये बचे हैं, क्योंकि सरकार ने कहा, अब आपके इलाज की जिम्मेदारी हमारी है।

और साथियों,

जब आपने हमें तीसरी बार आशीर्वाद दिया, तो हमने भी आपको सेवक के रूप में स्नेह स्वरूप अपने कर्तव्य को निभाया है और कुछ लौटाने का नम्र प्रयास किया है। मेरी गारंटी थी, बुजुर्गों का इलाज मुफ्त होगा, इसी का परिणाम है, आयुष्मान वय वंदना योजना! ये योजना, बुजुर्गों के इलाज के साथ ही उनके सम्मान के लिए है। अब हर परिवार के 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग, चाहे उनकी आय कुछ भी हो, मुफ्त इलाज के हकदार हैं। वाराणसी में सबसे ज़्यादा, करीब 50 हज़ार वय वंदना कार्ड यहां के बुजुर्गों तक पहुंच गए हैं। ये कोई आंकड़ा नहीं, ये सेवा का, एक सेवक का नम्र प्रयास है। अब इलाज के लिए जमीन बेचने की जरूरत नहीं! अब इलाज के लिए कर्ज लेने की मजबूरी नहीं! अब इलाज के लिए दर-दर भटकने की बेबसी नहीं! अपने इलाज के पइसा क चिंता मत करा, आयुष्मान कार्ड से आपके इलाज के पइसा अब सरकार देई!

साथियों,

आज काशी होकर जो भी जाता है, वो यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर की, यहां की सुविधाओं की बहुत प्रशंसा करता है। आज हर दिन लाखों लोग बनारस आते हैं। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हैं, मां गंगा में स्नान करते हैं। हर यात्री कहता है, बनारस, बहुत बदल गया है। कल्पना कीजिए, अगर काशी की सड़कें, यहां की रेल और एयरपोर्ट की स्थिति 10 साल पहले जैसी ही रहती, तो काशी की हालत कितनी खराब हो गई होती। पहले तो छोटे-छोटे त्योहारों के दौरान भी जाम लग जाता था। जैसे किसी को चुनार से आना हो और शिवपुर जाना हो। पहले उसको पूरा बनारस घूम कर, जाम में फंसकर, धूल-धूप में तपकर जाना पड़ता था। अब फुलवरिया क फ्लाईओवर बन गइल हो। अब रास्ता भी छोटा, समय भी बचत हो, जीवन भी राहत में हौ! ऐसे ही जौनपुर और गाजीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आने-जाने में और बलिया, मऊ, गाजीपुर जिलों के लोगों को एयरपोर्ट जाने के लिए वाराणसी शहर के भीतर से जाना होता था। घंटों लोग जाम में फंसे रहते थे। अब रिंग रोड से कुछ ही मिनट में, लोग इस पार से उस पार पहुंच जाते हैं।

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साथियों,

केहू के गाजीपुर जाए के हौ त पहिले कई घंटा लगत रहल। अब गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़ हर शहर में जाने का रास्ता, पहुंचने का रास्ता चौड़ा हो गया है। जहां पहले जाम था, आज वहाँ विकास की रफ्तार दौड़ रही है! बीते दशक में वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी, उस पर करीब 45 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ये पैसा सिर्फ कंक्रीट में नहीं गया, ये विश्वास में बदला है। इस निवेश का लाभ आज पूरी काशी और आसपास के जिलों को मिल रहा है।

साथियों,

काशी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो रहे इस निवेश को आज भी विस्तार दिया गया है। हजारों करोड़ के प्रोजेक्टस का आज शिलान्यास किया गया है। हमारा जो लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है, उसके विस्तारीकरण का काम तेजी से चल रहा है। जब एयरपोर्ट बड़ा हो रहा है, तो उसको जोड़ने वाली सुविधाओं का विस्तार भी ज़रूरी था। इसलिए अब एयरपोर्ट के पास 6 लेन की अंडरग्राउंड टनल बनने जा रही है। आज भदोही, गाजीपुर और जौनपुर के रास्तों से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भी काम शुरु हुआ है। भिखारीपुर और मंडुवाडीह पर फ्लाईओवर की मांग लंबे समय से हो रही थी। हमके खुशी हौ कि इहो मांग पूरा होए जात हौ। बनारस शहर और सारनाथ को जोड़ने के लिए नया पुल भी बनने जा रहा है। इससे एयरपोर्ट और अन्य जनपदों से सारनाथ जाने के लिए शहर के अंदर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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साथियों,

अगले कुछ महीनों में, जब ये सारे काम पूरे हो जाएंगे, जो बनारस में आवाजाही और भी आसान होगी। रफ्तार भी बढ़ेगी और कारोबार भी बढ़ेगा। इसके साथ-साथ, कमाई-दवाई के लिए बनारस आने वालों को भी बहुत सुविधा होगी। और अब तो काशी में सिटी रोपवे का ट्रायल भी शुरू हो गया है, बनारस अब दुनिया के चुनिंदा ऐसे शहरों में होगा, जहां ऐसी सुविधा होगी।

साथियों,

वाराणसी में विकास का, इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई भी काम होता है, तो इसका लाभ पूरे पूर्वांचल के नौजवानों को होता है। हमारी सरकार का बहुत जोर इस पर भी है कि काशी के युवाओं को स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने के लगातार मौके मिलें। और अब तो 2036 में, ओलंपिक भारत में हो, इसके लिए हम लगे हुए हैं। लेकिन ओलंपिक में मेडल चमकाने के लिए मेरे काशी के नौजवानों आपको अभी से लगना पड़ेगा। और इसलिए आज, बनारस में नए स्टेडियम बन रहे हैं, युवा साथियों के लिए अच्छी फैसिलिटी बन रही है। नया स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खुल गया है। वाराणसी के सैकड़ों खिलाड़ी उसमें ट्रेनिंग ले रहे हैं। सांसद खेल प्रतियोगिता के भी प्रतिभागियों को इस खेल के मैदान में अपना दम दिखाने का अवसर मिला है।

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साथियों,

भारत आज विकास और विरासत, दोनों एक साथ लेकर चल रहा है। इसका सबसे बढ़िया मॉडल, हमारी काशी बन रही है। यहां गंगा जी का प्रवाह है और भारत की चेतना का भी प्रवाह है। भारत की आत्मा, उसकी विविधता में बसती है और काशी उसकी सबसे सुंदर तस्वीर है। काशी के हर मोहल्ले में एक अलग संस्कृति, हर गली में भारत का एक अलग रंग दिखता है। मुझे खुशी है कि काशी-तमिल संगमम् जैसे आयोजन से, एकता के ये सूत्र निरंतर मजबूत हो रहे हैं। अब तो यहां एकता मॉल भी बनने जा रहा है। इस एकता मॉल में भारत की विविधता के दर्शन होंगे। भारत के अलग-अलग जिलों के उत्पाद, यहां एक ही छत के नीचे मिलेंगे।

साथियों,

बीते वर्षों में, यूपी ने अपना आर्थिक नक्शा भी बदला है, नजरिया भी बदला है। यूपी, अब सिर्फ संभावनाओं की धरती नहीं रहा, अब ये सामर्थ्य और सिद्धियों की संकल्प भूमि बन रहा है! अब जैसे आजकल ‘मेड इन इंडिया’ की गूंज हर तरफ है। भारत में बनी चीजें, अब ग्लोबल ब्रांड बन रही हैं। आज यहां कई उत्पादों को GI टैग दिया गया है। GI टैग, ये सिर्फ एक टैग नहीं है, ये किसी जमीन की पहचान का प्रमाण पत्र है। ये बताता है कि ये चीज़, इसी मिट्टी की पैदाइश है। जहां GI टैग पहुंचता है, वहां से बाजारों में बुलंदियों का रास्ता खुलता है।

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साथियों,

आज यूपी पूरे देश में GI टैगिंग में नंबर वन है! यानी हमारी कला, हमारी चीजें, हमारे हुनर की अब तेजी से अंतरराष्ट्रीय पहचान बन रही है। अब तक वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में 30 से ज्यादा उत्पादों को GI टैग मिला है। वाराणसी का तबला, शहनाई, दीवार पर बनने वाली पेंटिंग, ठंडाई, लाल भरवां मिर्च, लाल पेड़ा, तिरंगा बर्फी, हर चीज़ को मिला है पहचान का नया पासपोर्ट, GI टैग। आज ही, जौनपुर की इमरती, मथुरा की सांझी कला, बुंदेलखंड का कठिया गेहूँ, पीलीभीत की बांसुरी, प्रयागराज की मूंज कला, बरेली की ज़रदोज़ी, चित्रकूट की काष्ठ कला, लखीमपुर खीरी की थारू ज़रदोज़ी, ऐसे अनेक शहरों के उत्पादों को GI टैग वितरित किए गए हैं। यानी यूपी की मिट्टी में जो खुशबू है, अब वो सिर्फ हवा में नहीं, सरहदों के पार भी जाएगी।

साथियों,

जो काशी को सहेजता है, वह भारत की आत्मा को सहेजता है। हमें काशी को निरंतर सशक्त करते रहना है। हमें काशी को, सुंदर और स्वप्निल बनाए रखना है। काशी की पुरातन आत्मा को, आधुनिक काया से जोड़ते रहना है। इसी संकल्प के साथ, मेरे साथ एक बार फिर, हाथ उठाकर कहिए। नमः पार्वती पतये, हर हर महादेव। बहुत बहुत धन्यवाद।