पहली कार्यवाही में, प्रधानमंत्री ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम प्रस्तुत किया
"अमृत काल की भोर में, भारत नए संसद भवन की ओर अग्रसर होकर भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है"
"यह संकल्पों को पूरा करने और नए उत्साह तथा ऊर्जा के साथ नई यात्रा आरंभ करने का समय है"
"सेंगोल हमें हमारे अतीत के एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्से से जोड़ता है"
“नए संसद भवन की भव्यता आधुनिक भारत का गौरव बढ़ाती है; इसमें हमारे इंजीनियरों और श्रमिकों का पसीना लगा है”
"नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और सुदृढ़ बनाएगा"
"भवन बदल गया है, भाव भी बदलने चाहिए"
"हम सभी को संसदीय परंपराओं की लक्ष्मण रेखा का अनुसरण करना चाहिए"
“केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था; 19 सितम्बर 2023 का यह ऐतिहासिक दिन भारत के इतिहास में अमर रहने वाला है”
“महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, हमारी सरकार आज एक प्रमुख संवैधानिक संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर रही है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है''
"मैं देश की सभी माताओं, बहनों और बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं"

आदरणीय अध्यक्ष जी,

नए संसद भवन का ये प्रथम और ऐतिहासिक सत्र है। मैं सभी माननीय सांसदों को और सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में नए सदन में आपने मुझे बात रखने के लिए अवसर दिया है इसलिए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। इस नए संसद भवन में मैं आप सभी माननीय सांसदों का भी ह्दय से स्वागत करता हूं। ये अवसर कई माइनो में अभूतपूर्व है। आज़ादी के अमृतकाल का ये उषाकाल है और भारत अनेक सिद्धियों के साथ नए संकल्प लेकर के, नए भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है। विज्ञान जगत में चंद्रयान-3 की गगनचुंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर देती है। भारत की अध्यक्षता में G-20 का असाधारण आयोजन विश्व में इच्छित प्रभाव इस अर्थ में ये अद्वितीय उपलब्धियां हासिल करने वाला एक अवसर भारत के लिए बना। इसी आलोक में आज आधुनिक भारत और हमारे प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक नए संसद भवन का शुभारंभ हुआ है। सुखद संयोग है कि गणेश चतुर्थी का शुभ दिन है। गणेश जी शुभता और सिद्धी के देवता है, गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी देवता है। इस पावन दिवस पर हमारा ये शुभारंभ संकल्प से सिद्धी की ओर एक नए विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है।

आजादी के अमृतकाल में हम जब नए सकल्पों के लेकर चल रहे हैं तब, अब जब गणेश चतुर्थी का पर्व आज है तब लोकमान्य तिलक की याद आना बहुत स्वाभाविक है। आजादी के आदोंलन में लोकमान्य तिलक जी ने गणेश उत्सव को एक सार्वजनिक गणेश उत्सव के रूप में प्रस्थापित करके पूरे राष्ट्र में स्वराज्य की आहलेख जगाने का माध्यम बनाया था। लोकमान्य तिलक जी ने गणेश पर्व से स्वराज्य की संकल्पना को शक्ति दी उसी प्रकास से आज ये गणेश चतुर्थी का पर्व, लोकमान्य तिलक जी ने स्वतंत्र भारत स्वराज्य की बात कही थी। आज हम समृद्ध भारत गणेश चतुर्थी के पावन दिवस पर उसकी प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सभी देशवासियों को इस अवसर पर फिर एक बार मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज संवत्सरी का भी पर्व है ये अपने आप में एक अद्भुत परंपरा है इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का भी पर्व कहते है। आज मिच्छामी दुक्कड़म कहने का दिन है, ये पर्व मन से, कर्म से, वचन से अगर जाने-अंजाने किसी को भी दुख पहुंचाया है तो उसकी क्षमायाचना का अवसर है। मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे ह्दय से आप सभी को, सभी सांसद सदस्यों को और सभी देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म। आज जब हम एक नई शुरूआत कर रहे हैं तब हमें अतीत की हर कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ना है। स्पिरिट के साथ जब हम यहां से, हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के एक-एक नागरिक के लिए वो प्रेरणा का कारण बनना चाहिए और हम सबको इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ये भवन नया है, यहां सबकुछ नया है, सारी व्यवस्थाएं नई हैं, यहां तक आपके सब साथियों को भी आपने एक नए रंग-रूप के साथ प्रस्तुत किया है। सब कुछ नया है लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वो नया नहीं है, वो पुराना है। और वो आजादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है जो आज अभी हमारे बीच उपस्थित है। वो हमारे समृद्ध इतिहास को जोड़ता है और जब आज हम नए सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र का जब ये नया गृहप्रवेश हो रहा है तो यहां पर आजादी की पहली किरण का साक्षी, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने वाला है, वैसा पवित्र सैंगोल और ये वो सैंगोल है जिसको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था, ये पंडित नेहरू के हाथों में पूजाविधि कर-करके आजादी के पर्व का प्रारंभ हुआ था। और इसलिए एक बहुत महत्वपूर्ण अतीत को उसके साथ ये सैंगोल हमें जोड़ता है। तमिलनाडु की महान परंपरा का वो प्रतीक तो है ही देश को जोड़ने का भी, देश की एकता का भी वो प्रतीक है। और हम सभी माननीय सांसदों को हमेशा जो पवित्र सैंगोल पंडित नेहरू के हाथ में शोभा देता था वो आज हम सबकी प्रेरणा का कारण बन रहा है, इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

नए संसद भवन की भव्यता, आधुनिक भारत के महिमा को भी मंडित करती है। हमारे श्रमिक, हमारे इंजीनियर्स, हमारे कामगारों उनका पसीना इसमें लगा है और कोरोना काल में भी उन्होंने जिस लगन से इस काम को किया है क्योंकि मुझे कार्य जब चल रहा था तब उन श्रमिकों के बीच आने का बार-बार मौका मिलता था और खासकर के मैं उनके स्वास्थ्य को लेकर के उनसे मिलने आता था लेकिन ऐसे समय भी उन्होंने इस बहुत बड़े सपने को पूरा किया। आज मैं चाहूंगा कि हम सब हमारे उन श्रमिकों का, हमारे उन कामगारों का, हमारे इंजीनियर्स का ह्दय से धन्यवाद करें। क्योंकि उनके द्वारा ये निर्मित भाविक पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाला है। और 30 हजार से ज्यादा श्रमिक बंधुओं ने परिश्रम किया है, पसीना बहाया है इस भव्य व्यवस्था को खड़ी करने के लिए और कई पीढ़ियों के लिए ये बहुत बड़ा योगदान होने वाला है।

माननीय अध्यक्ष जी,

मैं उन श्रमयोगियों का नमन तो करता ही हूं लेकिन एक नई परंपरा का प्रारंभ हो रहा है, इसका मुझे अत्यंत आनंद है। इस सदन में एक डिजिटल बुक रखी गई है। जिस डिजिटल बुक में उन सभी श्रमिकों का पूरा परिचय इसमें रखा गया है ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चलेगा कि हिन्दुस्तान के किस कोने से कौन श्रमिक ने आकर के इस भव्य इमारत को, यानी उनके पसीने को भी अमृत्व देने का प्रयास इस सदन में हो रहा है, ये एक नई शुरूआत है, शुभ शुरूआत है और हम सबके लिए गर्व की शुरूआत है। मैं इस अवसर पर 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से, मैं इस अवसर पर लोकतंत्र की महान पंरपरा की तरफ से हमारी इन श्रमिकों का अभिनंदन करता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारे यहां कहा जाता है ‘यद भावं तद भवति’ और इसलिए हमारा भाव जैसा होता है वैसे ही कुछ घटित होता है ‘यद भावं तद भवति’ और इसलिए हम जैसी भावना करते हैं और हमने जैसी भावना करके प्रवेश किया है, मुझे विश्वास है, भावना भीतर जो होगी हम भी वैसे ही खुद भी बनते जाएंगे और वो बहुत स्वाभाविक है। भवन बदला है मैं चाहूंगा भाव भी बदलना चाहिए, भावना भी बदलनी चाहिए।

संसद राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च स्थान है। ये संसद दलहित के लिए नहीं है, हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी पवित्र संस्था का निर्माण दलहित के लिए नहीं सिर्फ और सिर्फ देशहित के लिए किया है। नए भवन में हम सभी अपने वाणी से, विचार से, आचार से संविधान के जो स्पिरिट है उन मानदंडों को लेकर के नए संकल्पों के अनुसार नवी भाव को लेकर के, नई भावना को लेकर के, मैं आशा करता हूं अध्यक्ष जी आप कल भी कह रहे थे, आज भी कह रहे थे, कभी स्पष्ट कह रहे थे, कभी थोड़ा लपेट कर भी कह रहे थे हम सांसदों के व्यवहार के संबंध में, मैं मेरी तरफ से आपको आश्वासन देता हूं कि हमारा पूरा प्रयास रहेगा और मैं चाहूंगा कि सदन के नेता के नाते हम सभी सांसद आपकी आशा-अपेक्षा में खरे उतरें। हम अनुशासन का पालन करें देश हमें देखता है, आप जैसा दिशानिर्देश करे।

लेकिन माननीय अध्यक्ष जी,

अभी चुनाव तो दूर है और जितना समय हमारे पास बचा है इस Parliament के, मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार होगा ये निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन वहां बैठने के लिए व्यवहार करता है। जो वहां ही बैठे रहना चाहता है उसका व्यवहार क्या होगा और जो जहां आकर के भविष्य में बैठना चाहता है उसका व्यवहार क्या होगा इसका फर्क बिल्कुल आने वाले महिनों में देश देखेगा और उनके बर्ताव से पता चलेगा ये मुझे पूरा विश्वास है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

हमारे यहां वेदों में कहा गया है, ‘संमिच, सब्रता, रुतबा बाचंम बदत’ अर्थात हम सब एकमत होकर, एक समान संकल्‍प लेकर, कल्‍याणकारी सार्थक संवाद करें। यहां हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं लेकिन हमारे संकल्‍प एकजुट ही होते हैं, एकजुट ही रहते हैं। और इसलिए हमें उसकी एकजुटता के लिए भी भरपूर प्रयास करते रहना चाहिए।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

हमारी संसद ने राष्‍ट्रहित के तमाम बड़े अवसरों पर ही इसी भावना से काम किया है। न कोई इधर का है, न उधर का है, सब कोई राष्‍ट्र के लिए करते रहे हैं। मुझे आशा है कि इस नई शुरूआत के साथ इस संवादीय के वातावरण में और इस संसद के पूरे डिबेट में हम उस भावना को जितना ज्‍यादा मजबूत करेंगे, हमारी आने वाली पीढ़ियों को अवश्‍य हम प्रेरणा देंगे। संसदीय परम्‍पराओं की जो लक्ष्‍मण रेखा है, उन लक्ष्‍मण रेखा का पालन हम सबको करना चाहिए और वो स्‍पीकर महोदय की अपेक्षा को हमें जरूर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

लोकतंत्र में राजनीति, नीति और शक्ति का इस्‍तेमाल, ये समाज में प्रभावी बदलाव का एक बहुत बड़ा माध्‍यम होता है। और इसलिए स्‍पेस हो या सपोर्ट्स हों, स्‍टार्टअप हो या सेल्‍फ हेल्‍फ ग्रुप हो, हर क्षेत्र में दुनिया भारतीय महिलाओं की ताकत देख रही है। G20 की अध्‍यक्षता women-led development की चर्चा, आज दुनिया इसका स्‍वागत कर रही है, स्‍वीकार कर रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं के विकास की बात enough नहीं है। हमें मानव जाति की विकास यात्रा में उस नए पड़ाव को अगर प्राप्‍त करना है, राष्‍ट्र की विकास यात्रा में हमने नई मंजिलों को पाना है, तो ये आवश्‍यक है कि women-led development को हम बल दें और G-20 में भारत की बात को विश्‍व ने स्‍वीकार किया है।

महिला सशक्तिकरण की हमारी हर योजना ने महिला नेतृत्‍व करने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। आर्थिक समावेश को ध्‍यान में रखते हुए जनधन योजना शुरू की, 50 करोड़ लाभार्थियों में से भी अधिकतम महिला बैंक एकाउंट की धारक बनीं है। ये अपने आप में बहुत बड़ा परिवर्तन भी है, नया विश्‍वास भी है। जब मुद्रा योजना रखी गई, ये देश गर्व कर सकता है कि उसमें बिना बैंक गारंटी 10 लाख रुपये की लोन देने की योजना और उसका लाभ पूरे देश में सबसे ज्‍यादा महिलाओं ने उठाया, महिला entrepreneur का ये पूरा वातावरण देश में नजर आया। पीएम आवास योजना- पक्‍के घर ये भी उसकी रजिस्‍ट्री ज्‍यादातर महिलाओं के नाम हुई, महिलाओं का मालिकाना हक बना।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

हर देश की विकास यात्रा में ऐसे milestone आते हैं, जब वो गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सब ने नया इतिहास रचा है। ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्‍त होते हैं।

और आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में, मैं बड़े विश्‍वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज के ये पल, आज का ये दिवस संवत्‍सरी हो, गणेश चतुर्थी हो, उससे भी आशीर्वाद प्राप्‍त करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है। हम सबके लिए ये पल गर्व का पल है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं, बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण का बिल पेश किया गया, कई बार। लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उसके कारण वो सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने का, महिलाओं की शक्ति का उपयोग करने का वो काम, शायद ईश्‍वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना है।

एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण वाला जो विधेयक है उसको मंजूरी दी गई है। आज 19 सितम्‍बर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्‍व को प्राप्‍त करने जा रही है। आज जब महिलाएं हर सेक्‍टर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्‍व कर रही हैं, तो बहुत आवश्‍यक है कि नीति-निर्धारण में, पॉलिसी मेकिंग में हमारी माताएं, बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें, ज्‍यादा से ज्‍यादा योगदान दें। योगदान ही नहीं, वे महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएं।

आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदी सदन की, सदन की पहली कार्यवाही के रूप में, उस कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है और देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिल करके नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्‍वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। Women-led development के अपने संकल्‍प के आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार आज एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक प्रस्‍तुत कर रही है। इस विधेयक का लक्ष्‍य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्‍तार करने का है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम - इसके माध्‍यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।

मैं देश की माताओं, बहनों, बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्‍वस्‍त करता हूं कि हम इस बिल को कानून बनाने के लिए संकल्‍पबद्ध हैं। मैं सदन में सभी साथियों से आग्रहपूर्वक निवेदन करता हूं, आग्रह भी करता हूं और जब एक पावन शुरूआत हो रही है, पावक विचार हमारे सामने आया है तो सर्वसम्‍मति से, जब ये बिल कानून बनेगा तो उसकी ताकत अनेक गुना बढ़ जाएगी। और इसलिए मैं सभी मान्‍य सांसदों से, दोनों सदन के सभी मान्‍य सांसदों से इसे सर्वसम्‍मति से पारित करने के लिए प्रार्थना करते हुए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं। इस नए सदन के प्रथम सत्र में मुझे आपने मेरी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने का अवसर दिया। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Income inequality declining with support from Govt initiatives: Report

Media Coverage

Income inequality declining with support from Govt initiatives: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella meets Prime Minister, Shri Narendra Modi
January 06, 2025

Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella met with Prime Minister, Shri Narendra Modi in New Delhi.

Shri Modi expressed his happiness to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. Both have discussed various aspects of tech, innovation and AI in the meeting.

Responding to the X post of Satya Nadella about the meeting, Shri Modi said;

“It was indeed a delight to meet you, @satyanadella! Glad to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. It was also wonderful discussing various aspects of tech, innovation and AI in our meeting.”