ई-कोर्ट परियोजना के तहत अनेक नई पहलों का शुभारंभ किया
26/11 के आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की
“भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है और अपनी विविधता पर उसे अत्यंत गर्व है”
“प्रस्तावना में ‘वी द पीपुल’ एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है”
“आधुनिक युग में, संविधान ने राष्ट्र की समस्त सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अंगीकार कर लिया है”
“लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की अस्मिता को और मजबूत करने की आवश्यकता है”
“आजादी का यह अमृतकाल देश के लिये ‘कर्तव्यकाल’ है”
“चाहे व्यक्ति हों या संस्थायें, हमारे दायित्व ही आज हमारी पहली प्राथमिकता हैं”
“जी-20 के अध्यक्षता-काल के दौरान भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान को एक टीम के रूप में विश्व में प्रोत्साहित करें”
“हमारे संविधान की मूल भावना युवा-केंद्रित है”
“संविधान सभा की महिला सदस्यों के योगदान के बारे में हमें और अधिक बात करनी चाहिये”

भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ जी, केंद्रीय कानून मंत्री श्री किरण जी, जस्टिस श्री संजय किशन कौल जी, जस्टिस श्री एस अब्दुल नज़ीर जी, कानून राज्यमंत्री श्री एस.पी सिंह बघेल जी, एटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री विकास सिंह जी, सभी उपस्थित न्यायाधीशगण, सम्मानित अतिथिगण, देवियों और सज्जनों, नमस्‍कार!

आप सभी को और सभी देशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 1949 में, ये आज का ही दिन था, जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नए भविष्य की नींव डाली थी। इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, हम सभी अमृत महोत्सव मना रहे हैं।

मैं आधुनिक भारत का सपना देखने वाले बाबा साहेब आंबेडकर समेत संविधान सभा के सभी सदस्यों को, सभी संविधान निर्माताओं को आदरपूर्वक नमन करता हूं। बीते सात दशकों में संविधान की विकास और विस्तार यात्रा में legislature, judiciary और executive के अनगिनत लोगों का भी योगदान रहा है। मैं इस अवसर पर देश की ओर से उन सबके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।

साथियों,

आज 26/11, मुंबई आतंकी हमले का दिन भी है। 14 वर्ष पहले, जब भारत, अपने संविधान और अपने नागरिकों के अधिकारों का पर्व मना रहा था, उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने भारत पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला किया था। मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई, मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

साथियों,

आज की वैश्विक परिस्थितियों में, पूरे विश्व की नजर भारत पर है। भारत के तेज विकास, भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच, दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। एक ऐसा देश, जिसके बारे में आशंका जताई जाती थी कि वो अपनी आजादी बरकरार नहीं रख पाएगा, जिसके बारे में कहा जाता था कि वो बिखर जाएगा, आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सारी विविधताओं पर गर्व करते हुए, ये देश आगे बढ़ रहा है। और इन सबके पीछे, हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।

हमारे संविधान के preamble की शुरुआत में जो ‘We the people’ लिखा है, ये सिर्फ तीन शब्द नहीं हैं। ‘We the people’ एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। संविधान में लिखी ये भावना, उस भारत की मूल भावना है, जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है, mother of democracy रहा है। यही भावना हमें वैशाली के गणराज्य में भी दिखती है, वेद की ऋचाओं में भी दिखती है।

महाभारत में भी कहा गया है-

लोक-रंजनम् एव अत्र, राज्ञां धर्मः सनातनः।

सत्यस्य रक्षणं चैव, व्यवहारस्य चार्जवम्॥

अर्थात्, लोक को, यानी नागरिकों को सुखी रखना, सच्चाई के साथ खड़े होना और सरल व्यवहार, यही राज्य का व्यवहार होना चाहिए। आधुनिक संदर्भ में भारत के संविधान ने देश की इन सभी सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को समाहित किया हुआ है।

मुझे संतोष है कि, आज देश mother of democracy के रूप में अपने इन प्राचीन आदर्शों को, और संविधान की भावना को लगातार मजबूत कर रहा है। Pro-people policies की ताकत से आज देश और देश का गरीब, देश की माताएं-बहनें, उनका सशक्तिकरण हो रहा है। सामान्य मानवी के लिए आज क़ानूनों को सरल बनाया जा रहा है। Timely justice के लिए हमारी judiciary भी लगातार कई सार्थक कदम उठा रही है। आज भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू किए गए e-initiatives को launch करने का अवसर मुझे मिला है। मैं इस शुरुआत के लिए, और ‘ease of justice’ के प्रयासों के लिए मैं आप सभी को बधाई देता हूँ।

साथियों,

इस बार 15 अगस्त को लाल किले से मैंने कर्तव्यों की बात पर बल दिया था। ये हमारे संविधान की ही भावना का प्रकटीकरण है। महात्मा गांधी कहते थे कि- ‘हमारे अधिकार हमारे वो कर्तव्य हैं, जिन्हें हम सच्ची integrity और dedication के साथ पूरा करते हैं’। आज अमृतकाल में, जब हम आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण करके अगले 25 वर्षों की यात्रा शुरू कर रहे हैं, तो संविधान का ये मंत्र देश के लिए एक संकल्प बन रहा है।

आज़ादी का ये अमृतकाल देश के लिए कर्तव्यकाल है। चाहे व्यक्ति हों या संस्थाएं, हमारे दायित्व ही आज हमारी पहली प्राथमिकता हैं। अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए ही हम देश को विकास की नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। आज भारत के सामने नित नए अवसर बन रहे हैं, भारत हर चुनौती को पार करते हुए आगे बढ़ रहा है।

एक सप्ताह के बाद भारत को जी-20 की प्रेसीडेंसी भी मिलने वाली है। ये बहुत बड़ा अवसर है। हम सभी टीम इंडिया के रूप में विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाएं, भारत का योगदान विश्व के सामने लेकर जाएं, ये भी हम सभी का सामूहिक दायित्व है। भारत की Mother of Democracy के तौर पर जो पहचान है, हमें उसे औऱ सशक्त करना है।

साथियों,

हमारे संविधान की एक और विशेषता है, जो आज के युवा भारत में और भी प्रासंगिक हो गई है। हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है, जो open है, futuristic है, और अपने आधुनिक विज़न के लिए जाना जाता है। इसलिए, स्वाभाविक तौर पर, हमारे संविधान की स्पिरिट, youth centric है।

आज स्पोर्ट्स हों या स्टार्टअप्स, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हो या डिजिटल पेमेंट्स, भारत के विकास के हर आयाम में युवाशक्ति अपना परचम लहरा रही है। हमारे संविधान और संस्थाओं के भविष्य की जिम्मेदारी भी हमारे इन युवाओं के कंधों पर ही है।

इसलिए, आज संविधान दिवस पर मैं सरकार की व्यवस्थाओं से, देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा। आज के युवाओं में संविधान को लेकर समझ और बढ़े, इसके लिए ये जरूरी है कि वो संवैधानिक विषयों पर debates और discussions का हिस्सा बनें। जब हमारा संविधान बना, तब देश के सामने क्या परिस्थितियां थीं, संविधान सभा की बहसों में उस समय क्या हुआ था, हमारे युवाओं को इन सब विषयों की जानकारी होनी चाहिए। इससे उनकी संविधान को लेकर दिलचस्पी और बढ़ेगी। इससे युवाओं में Equality और Empowerment जैसे विषयों को समझने का विज़न पैदा होगा।

उदाहरण के तौर पर, हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। और उनमें एक ‘दक्शायिनी वेलायुधन’ वो महिला थी, जे एक प्रकार से वंचित समाज से निकल करके वहां तक पहुंची थीं। उन्होंने दलितों, मजदूरों से जुड़े कई विषयों पर महत्वपूर्ण interventions किए I दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृतकौर, ऐसे ही और कई महिला सदस्यों ने भी महिलाओं से जुड़े विषयों पर अहम योगदान दिया था। इनके योगदान की चर्चा कम ही हो पाती है।

जब हमारे युवा इन्हें जानेंगे, तो उन्हें अपने सवालों का जवाब भी मिलेगा। इससे संविधान के प्रति जो निष्ठा पैदा होगी, वो हमारे लोकतंत्र को, हमारे संविधान को और देश के भविष्य को मजबूत करेगी। आजादी के अमृतकाल में, ये भी देश की एक अहम जरूरत है। मुझे आशा है, संविधान दिवस इस दिशा में हमारे संकल्पों को और अधिक ऊर्जा देगा।

इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

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Under Rozgar Mela, PM to distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits on 23rd December at around 10:30 AM through video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. It will provide meaningful opportunities to the youth for their participation in nation building and self empowerment.

Rozgar Mela will be held at 45 locations across the country. The recruitments are taking place for various Ministries and Departments of the Central Government. The new recruits, selected from across the country will be joining various Ministries/Departments including Ministry of Home Affairs, Department of Posts, Department of Higher Education, Ministry of Health and Family Welfare, Department of Financial Services, among others.