Quote"विकसित भारत संकल्प यात्रा न केवल सरकार की बल्कि देश की यात्रा बनी"
Quote"जब गरीब, किसान, महिलाएं और युवा सशक्त होंगे, तो देश शक्तिशाली बनेगा"
Quote"वीबीएसवाई का मुख्य लक्ष्य किसी भी हकदार को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं करना है"
Quote"हमारी सरकार ने किसानों की प्रत्येक मुश्किल आसान करने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं"


सभी देशवासियों को आदरपूर्वक मेरा नमस्कार!

2-3 दिन पहले ही विकसित भारत संकल्प यात्रा ने अपने 50 दिन पूरे किए हैं। इतने कम समय में इस यात्रा से 11 करोड़ लोगों का जुड़ना, ये अपने आप में अभूतपूर्व है। समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकार खुद पहुंच रही है, उसे अपनी योजनाओं से जोड़ रही है। विकसित भारत संकल्प यात्रा सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि देश की यात्रा बन चुकी है, सपनों की यात्रा बन चुकी है, संकल्पों की यात्रा बन चुकी है, भरोसे की यात्रा बन चुकी है और इसलिए तो उसे मोदी की गारंटी वाली गाड़ी बड़े भाव से आज देश का हर क्षेत्र, हर परिवार, अपने बेहतर भविष्य की उम्मीद के रूप में ये गारंटी वाली गाड़ी देख रहा है। इस यात्रा को लेकर गांव हो या शहर, हर जगह उमंग है, उत्साह है, विश्वास है। मुंबई जैसा महानगर हो या मिजोरम का दूर-सुदूर का गाँव, कारगिल के पहाड़ हों या फिर कन्याकुमारी का समुद्री तट, देश के कोने-कोने में मोदी की गारंटी वाली गाड़ी पहुंच रही है। जिन गरीब लोगों का जीवन सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के इंतजार में बीत गया, वो आज एक सार्थक बदलाव देख रहे हैं। किसने सोचा था कि कभी सरकारी कर्मचारी, सरकारी अफसर, ये बाबू और ये नेता लोग खुद गरीब के दरवाजे पर पहुंचकर पूछेंगे कि आपको सरकारी योजना का लाभ मिला या नहीं मिला? लेकिन ये हो रहा है और पूरी ईमानदारी से हो रहा है। मोदी की गारंटी वाली गाड़ी के साथ, सरकारी दफ्तर, जनप्रतिनिधि, देशवासियों के पास, उनके गांव-मोहल्ले पहुंच रहे हैं। अभी जिन लोगों से मेरी बात हुई है, उनके चेहरे पर भी इसका संतोष दिख रहा है।

मेरे परिवारजनों,

आज देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी मोदी की गारंटी की बहुत चर्चा हो रही है। लेकिन मोदी की गारंटी का मतलब क्या है? आखिर, इस प्रकार मिशन मोड पर देश के हर लाभार्थी तक सरकार पहुंचना, ये इतनी मेहनत क्यों करते हैं। दिन रात सारी सरकार आपकी सेवा में इतनी मेहनत क्यों कर रही है? सरकारी योजनाओं के सैचुरेशन और विकसित भारत के संकल्प में क्या संबंध है? हमारे देश में अनेक पीढ़ियों ने अभाव में जीवन बिताया है, अधूरे-अधूरे सपनों के साथ जिंदगी सिमट गई। उन्होंने अभाव को ही अपना भाग्य माना और अभाव में ही जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर रहे। छोटी-छोटी ज़रूरतों का ये संघर्ष देश में गरीबों को, किसानों को, महिलाओं को और युवाओं में इन लोगों को सबसे अधिक रहा है। हमारी सरकार चाहती है कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों को वैसा जीवन जीना न पड़े, आपके पूवर्जों को जो मुसीबतें झेलनी पड़ी, आपके बुजुर्गों को जो कठिनाईयां झेलनी पड़ी, वो आपको झेलनी न पड़े, इसी मकसद से हम इतनी मेहनत कर रहे हैं। हम देश की एक बहुत बड़ी आबादी को रोज़मर्रा की छोटो-छोटी ज़रूरतों के लिए होने वाले संघर्ष से बाहर निकालना चाहते हैं। इसलिए हम गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के भविष्य पर फोकस कर रहे हैं। और यही हमारे लिए देश की सबसे बड़ी चार जातियां हैं। जब गरीब-किसान-महिलाएं और युवा ये मेरी चार जातियां, जो मेरी सबसे प्रिय चार जातियां हैं, अगर ये सशक्त हो जाएंगे, ये मजबूत हो जाएंगे तो हिन्दुस्तान का सशक्त होना पक्का हो जाएगा। इसलिए ये विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू हुई है और देश के कोने-कोने में जा रही है।

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साथियों,

विकसित भारत संकल्प यात्रा का सबसे बड़ा मकसद है- कोई भी हकदार, सरकारी योजना के लाभ से छूटना नहीं चाहिए। कई बार जागरूकता की कमी से, कई बार दूसरे कारणों से कुछ लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोगों तक पहुंचना हमारी सरकार अपना दायित्व समझती है। इसलिए ये मोदी की गारंटी की गाड़ी गांव-गांव जा रही है। जबसे ये यात्रा शुरु हुई है तब से लगभग 12 लाख नए लाभार्थियों ने उज्ज्वला के मुफ्त गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया है। कुछ दिन पहले जब मैं अयोध्या में था, वहां उज्ज्वला की 10 करोड़वीं लाभार्थी बहन के घर गया था। इसके अलावा सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, पीएम स्वनिधि के लिए भी इस यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं।

साथियों,

विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों के स्वास्थ्य की जांच हुई है। इसी समय में एक करोड़ लोगों की टीबी की बीमारी की भी जांच हुई है, 22 लाख लोगों की सिकल सेल अनीमिया की जांच हुई है। आखिर ये सारे लाभार्थी भाई-बहन, ये कौन लोग हैं? ये सारे लोग गांव-गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज के लोग हैं, जिनके लिए डॉक्टर तक पहुंचना पहले की सरकारों में एक बहुत बड़ी चुनौती रही है। आज डॉक्टर मौके पर ही उनकी जांच कर रहे हैं। और एक बार उनकी शुरुआती जांच हो गई तो उसके बाद आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज तो है ही। किडनी के मरीज़ों के लिए मुफ्त डायलिसिस की सुविधा और जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाएं भी उनके लिए आज उपलब्ध हैं। देशभर में बन रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिर, ये तो गांव और गरीब के लिए आरोग्य के बहुत बड़े केंद्र बन चुके हैं। यानि विकसित भारत संकल्प यात्रा, गरीब के स्वास्थ्य के लिए भी एक वरदान साबित हुई है।

मेरे परिवारजनों,

मुझे खुशी है कि सरकार के इन प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ हमारी करोड़ों माताओं-बहनों को मिल रहा है। आज महिलाएं खुद आगे आकर नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। पहले ऐसी अनेक बहनें थीं, जिनके पास सिलाई-कढ़ाई-बुनाई जैसी कोई न कोई स्किल थी, लेकिन उनके पास अपना काम शुरु करने के लिए कोई साधन नहीं था। मुद्रा योजना ने उन्हें अपने सपने पूरे करने का भरोसा दिया है, मोदी की गारंटी है। आज गांव-गांव में रोजगार-स्वरोजगार इसके नए मौके बन रहे हैं। आज कोई बैंक मित्र है, कोई पशु सखी है, कोई आशा-ANM-आंगनबाड़ी में है। बीते 10 वर्षों में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से 10 करोड़ बहनें जुड़ चुकी हैं। इन बहनों को साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी जा चुकी है। इसमें अनेक बहनें बीते वर्षों में लखपति दीदी बनी हैं। और इस सफलता को देखते हुए ही मैंने सपना संजोया है, मैंने सपना संकल्प के रूप में देखा है और हमने तय किया है कि दो करोड़, आंकड़ा बहुत बड़ा है। दो करोड़ लखपति दीदी मुझे बनाना है। आप विचार कीजिए लखपति दीदी की संख्या दो करोड़ हो जाएगी कितनी बड़ी क्रांति हो जाएगी। सरकार ने नमो ड्रोन दीदी योजना भी शुरु की है। मुझे बताया गया है कि विकसित संकल्प यात्रा के दौरान लगभग 1 लाख ड्रोंस का प्रदर्शन किया गया है। देश के इतिहास में पहली बार किसी टेक्नॉलॉजी से इस प्रकार मिशन मोड पर जनता को जोड़ा जा रहा है। अभी तो कृषि क्षेत्र में ही ड्रोन के उपयोग के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन आने वाले दिनों में इसका दायरा दूसरे क्षेत्रों में भी बढ़ने वाला है

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मेरे परिवारजनों,

हमारे देश में किसानों को लेकर, कृषि नीति को लेकर जो चर्चाएं होती हैं, पहले की सरकारों में उसका दायरा भी बहुत सीमित था। किसान के सशक्तिकरण की चर्चा सिर्फ पैदावार और उपज की बिक्री के इर्दगिर्द तक सीमित रही। जबकि किसान को अपने दैनिक जीवन में भांति-भांति की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमारी सरकार ने किसान की हर मुश्किल को आसान करने के लिए चौतरफा प्रयास किए। पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से हर किसान को कम से कम 30 हजार रुपए दिए जा चुके हैं। छोटे किसानों को मुसीबतों से बाहर निकालने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं। कृषि में सहकारिता को बढ़ावा देना, ये इसी सोच का परिणाम है। PACS हों, FPO हों, छोटे किसानों के ऐसे संगठन आज बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बनते जा रहे हैं। भंडारण की सुविधा से लेकर फूड प्रोसेसिंग उद्योग तक किसानों के ऐसे अनेक सहकारी संगठनों को हम आगे ला रहे हैं। कुछ दिन पहले सरकार ने दाल किसानों के लिए भी, पल्सेज की जो खेती करते हैं उनके लिए एक बहुत बड़ा निर्णय लिया है। अब दाल पैदा करने वाले किसान जो दाल किसान हैं, वो ऑनलाइन भी सीधे सरकार को दालें बेच पाएंगे। इसमें दाल किसानों को MSP पर खरीद की गारंटी तो मिलेगी ही, साथ ही बाज़ार में भी बेहतर दाम सुनिश्चित होंगे। अभी ये सुविधा तूर या अरहर दाल के लिए दी गई है। लेकिन आने वाले समय में दूसरी दालों के लिए भी इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। हमारा प्रयास है कि दाल खरीदने के लिए जो पैसा हम विदेश भेजते हैं, वो देश के ही किसानों को मिल सके।

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साथियों,

विकसित भारत संकल्प यात्रा में साथ जा रहे इस काम को संभालने वाले सभी कर्मचारियों की भी मैं प्रशंसा करूंगा। कई स्थानों पर ठंड बढ़ रही है, कई स्थानों पर बारिश हो रही है, कठिनाईयां भी आती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, स्थानीय प्रशासन के लोग और बड़े-बड़े अधिकारी भी पूरी निष्ठा से इस संकल्प यात्रा का लाभ अधिकतम लोगों को मिले, लोगों की जिंदगी बेहतर हो, इसके लिए काम कर रहे हैं। अपने कर्तव्य का ऐसे ही पालन करते हुए हमें आगे बढ़ना है, देश को विकसित बनाना है। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनायें! और जिन-जिन लोगों से मुझे संवाद करने का मौका मिला, अनेक पहलू मुझे समझने को मिले और उनका आत्मविश्वास देखा, उनकी बातों में संकल्प नजर आया। ये वाकई भारत के सामान्य मानवीय का जो सामर्थ्य है, जो सामर्थ्य देश को आगे ले जाने वाला है, इसकी अनुभूति हो रही है। ये हम सबका सौभाग्य है कि आज देश का जन-जन भारत को 2047 में विकसित भारत बनाने के मिजाज से काम कर रहा है। बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर के और विकसित यात्रा के साथ फिर एक बार जुड़ने का मौका मिलेगा, तब जरूर मिलेंगे। बहुत-बहुत धन्यवाद!

  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 15, 2025

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QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!