नए विद्युतीकृत रेल खडों को राष्ट्र को समर्पित किया तथा उत्तराखंड को शतप्रतिशत विद्युत ट्रैक्शन वाला राज्य घोषित किया
“दिल्ली-देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रा में सहजता के साथ-साथ नागरिकों के लिए अधिक आराम सुनिश्चित करेगी”
“भारत अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और गरीबी से लड़ने में विश्व के लिए आशा की किरण बन गया है”
“यह दशक उत्तराखंड का दशक होने जा रहा है”
“देवभूमि विश्व की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र होगी”
“सरकार का फोकस उत्तराखंड के लिए विकास के नवरत्नों पर है”
“डबल इंजन की सरकार, डबल पावर और डबल स्पीड से काम कर रही है”
“21वीं सदी का भारत बुनियादी ढांचे की क्षमता को अधिकतम करके विकास की और ऊंचाइयों को छू सकता है”
“पर्वतमाला परियोजना आने वाले दिनों में राज्य का भाग्य बदलने जा रही है”
“सही नीयत, नीति और समर्पण विकास को प्रेरित कर रहा है”
“देश अब रुकने वाला नहीं है, देश ने अब अपनी गति पकड़ ली है, पूरा देश वंदे भारत की गति से आगे बढ़ रहा है और आगे बढ़ता रहेगा ”

नमस्‍कार जी।

उत्तराखंड के राज्यपाल श्रीमान गुरमीत सिंह जी, उत्‍तराखंड के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री, श्रीमान पुष्कर सिंह धामी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, उत्तराखंड सरकार के मंत्रीगण, विभिन्न सांसदगण, विधायक, मेयर, जिला परिषद के सदस्य, अन्य महानुभाव, और उत्तराखंड के मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, उत्तराखंड के सभी लोगों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की बहुत-बहुत बधाई।

दिल्ली और देहरादून के बीच चलने वाली ये ट्रेन देश की राजधानी को देवभूमि से और तेज़ गति से जोड़ेगी। वंदे भारत से दिल्ली-देहरादून के बीच रेल सफर में अब समय भी काफी कम हो जाएगा। इस ट्रेन की गति तो अपनी जगह है ही, जो सुविधाएं हैं, वो भी सफर को आनंददायक बनाने वाली हैं।

साथियों,

मैं अभी कुछ घंटे पहले ही तीन देशों की यात्रा करके लौटा हूं। आज पूरा विश्व, भारत को बहुत उम्मीदों से देख रहा है। हम भारत के लोगों ने जिस तरह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिस तरह हम गरीबी से लड़ रहे हें, उसने पूरी दुनिया का विश्वास जगा दिया है। जिस कोरोना से लड़ने में बड़े-बड़े देश पस्त हो गए, उसी कोरोना को हम भारतीयों ने मिलकर कड़ाई से टक्कर दी। हमने दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर चर्चा है, विश्व के लोग भारत को समझने के लिए, देखने के लिए भारत आना चाहते हैं। ऐसे में उत्तराखंड जैसे इतने सुंदर राज्यों के लिए, ये बहुत बेहतरीन अवसर है। इस अवसर का पूरा लाभ उठाने में ये वंदे भारत ट्रेन भी उत्तराखंड की मदद करने वाली है।

साथियों,

उत्तराखंड देवभूमि है। मुझे याद है, मैं जब बाबा केदार के दर्शन करने गया था तो दर्शन के बाद अनायास ही मेरे मुख से कुछ पंक्तियां निकली थीं। बाबा केदार के आशीर्वाद स्वरूप ये पंक्तियां थीं और यूं ही मैं बोल पड़ा था, ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। उत्तराखंड आज जिस तरह से कानून व्यवस्था को सर्वोपरि रखते हुए विकास के अभियान को आगे बढ़ा रहा है, वो बहुत सराहनीय है। ये इस देवभूमि की पहचान को संरक्षित करने के लिए भी अहम है। और मेरा तो विश्वास है कि ये देवभूमि आने वाले समय में पूरे विश्व की आध्यात्मिक चेतना के आकर्षण का केंद्र बनेगी। हमें इस सामर्थ्य के अनुरूप भी उत्तराखंड का विकास करना होगा।

अगर हम अभी ही देखें तो चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या हर वर्ष पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ देती है, नया रिकॉर्ड बना देती है। अभी बाबा केदार के दर्शनों के लिए कितने श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, ये हम सब देख रहे हैं। हरिद्वार में होने वाले कुंभ और अर्धकुंभ में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। हर वर्ष जो काँवड़ यात्रा होती है, उसमें भी लाखों-करोड़ों लोग उत्तराखण्ड पहुंचते हैं। देश में ऐसे राज्य कम ही हैं, जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की ये संख्या उपहार भी है और इतनी बड़ी संख्या को संभाल पाना, एक भगीरथ कार्य भी है। इस भगीरथ कार्य को आसान बनाने के लिए ही डबल इंजन की सरकार, डबल शक्ति से, डबल गति से काम कर रही है। बीजेपी सरकार का पूरा जोर, विकास के नवरत्नों पर है। पहला रत्न- केदारनाथ-बद्रीनाथ धाम में 1300 करोड़ रुपए से पुनर्निर्माण का कार्य, दूसरा रत्न- ढाई हजार करोड़ रुपए की लागत से गौरीकुण्ड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुण्ट साहिब रोपवे का कार्य, तीसरा रत्न- कुमायूं के पौराणिक मंदिरों को भव्य बनाने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन का काम, चौथा रत्न- पूरे राज्य में होम स्टे को बढ़ावा। मुझे बताया गया है कि राज्य में 4000 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। पांचवा रत्न- 16 ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन का विकास, छठा रत्न- उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार। उधमसिंह नगर में AIIMS का सेटलाइट सेंटर भी बनाया जा रहा है। सातवां रत्न- करीब 2 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली टिहरी लेक डेवलपमेंट परियोजना। आठवां रत्न- ऋषिकेश-हरिद्वार का एडवेंचर टूरिज्म औऱ योग की राजधानी के रूप में विकास और नौवा रत्न- टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन। इस रेल लाइन पर भी जल्द काम शुरू हो जाएगा। और आप लोगों ने एक कहावत सुनी होगी- सोने पर सुहागा। इसलिए इन नवरत्नों की माला को पिरोने के लिए, इंफ्रास्ट्रक्चर के जो प्रोजेक्ट यहां चल रहे हैं, उन्हें भी धामी जी की सरकार ने नई ऊर्जा दी है। 12 हजार करोड़ रुपए की लागत से चारधाम महापरियोजना पर तेज गति से काम हो रहा है। दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे तैयार होने से देहरादून-दिल्ली के बीच सफर और आसान हो जाएगा। रोड कनेक्टिविटी के साथ ही, रोप-वे कनेक्टिविटी के लिए भी उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। पर्वतमाला योजना आने वाले दिनों में उत्तराखंड का भाग्य बदलने जा रही है। इसके लिए जिस कनेक्टिविटी का उत्तराखंड के लोगों ने बरसों इंतजार किया है, वो इंतजार भी हमारी सरकार समाप्त कर रही है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना दो-तीन साल में पूरी हो जाएगी। 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च इस योजना के पीछे किए जा रहे हैं। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद उत्तराखण्ड का एक बड़ा क्षेत्र राज्य के लोगों और पर्यटकों के लिए सुगम हो जाएगा। इससे यहाँ निवेश, उद्योगों के विकास, रोजगार के नए-नए अवसर बनेंगे। और देवभूमि पर विकास के इस महाअभियान के बीच, अब ये वंदे भारत ट्रेन भी उत्तराखंड के लोगों के लिए एक भव्य उपहार साबित होगी।

साथियों,

आज राज्य सरकार के प्रयासों से उत्तराखण्ड तेजी से पर्यटन हब, एडवेंचर टूरिज्म हब, फिल्म शूटिंग डेस्टिनेशन, वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी उभर रहा है। आज उत्तराखंड के नए-नए स्थल, नए-नए टूरिस्ट हब, देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इन सभी को वंदे भारत ट्रेन से बहुत मदद मिलेगी। अब तो देश के कोने-कोने में वंदे भारत ट्रेनें चलनी शुरू हो चुकी हैं। जब परिवार के साथ कहीं लंबी दूरी तय करनी हो तो, ट्रेन ही लोगों की पहली पसंद होती है। ऐसे में अब वंदे भारत, भारत के सामान्य परिवारों की पहली पसंद बनती जा रही है।

भाइयों और बहनों,

21वीं सदी का भारत, अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाकर औऱ तेजी से विकसित हो सकता है। पहले लंबे समय तक जिन दलों की सरकारें रहीं, उन्होंने देश की इस जरूरत को कभी समझा ही नहीं। उन दलों का ध्यान घोटालों पर था, भ्रष्टाचार पर था। परिवारवाद के अंदर ही वो सिमटे हुए थे। परिवारवाद के बाहर निकलने के लिए उनकी ताकत का ही विषय नहीं था। भारत में हाई स्पीड ट्रेनों को लेकर भी पहले की सरकारों ने बड़े-बड़े दावे किए। इन दावों में कई-कई साल बीत गए। हाई स्पीड रेल तो छोड़िए, रेल नेटवर्क से मानव रहित फाटक तक हटा नहीं पाए थे। रेलवे के बिजलीकरण की स्थिति तो और भी गंभीर थी। 2014 तक देश के एक तिहाई रेल नेटवर्क का ही बिजलीकरण हो पाया था। जब ये स्थिति हो, तो तेज़ी से चलने वाली ट्रेन चलाने के बारे में सोचना भी असंभव था। साल 2014 के बाद हमने रेलवे को ट्रांसफॉर्म करने के लिए चौतरफा काम शुरु किया। एक तरफ हमने देश की पहली हाई स्पीड ट्रेन के सपने को ज़मीन पर उतारना शुरु किया। दूसरी तरफ पूरे देश को सेमी-हाईस्पीड ट्रेनों के लिए तैयार करना शुरु किया। जहां 2014 से पहले हर वर्ष औसतन 600 किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण होता था। वहीं अब हर साल 6 हज़ार किलोमीटर रेल लाइनों का बिजलीकरण हो रहा है। कहां 600 और कहां 6000, इसलिए आज देश के 90 प्रतिशत से अधिक रेलवे नेटवर्क का बिजलीकरण हो चुका है। उत्तराखंड में तो पूरे रेल नेटवर्क का शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है।

भाइयों और बहनों,

ये काम इसलिए हो रहा है, क्योंकि आज सही विकास की नीयत भी है, नीति भी है और निष्ठा भी है। 2014 की तुलना में रेल बजट में जो वृद्धि हुई है, इसका सीधा लाभ उत्तराखंड को भी हुआ है। 2014 से पहले के 5 सालों में उत्तराखंड के लिए औसतन 200 करोड़ रुपए से भी कम का बजट मिलता था। और अभी अश्‍विनी जी ने विस्‍तार से इसके विषय में बताया भी। 200 करोड़ रुपये से कम, इतना दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र रेलवे का अभाव और बजट कितना, 200 करोड़ से भी कम। इस वर्ष उत्तराखंड का रेल बजट 5 हज़ार करोड़ रुपए है। यानि 25 गुणा बढ़ोतरी। यही कारण है कि आज उत्तराखंड के नए-नए क्षेत्रों तक रेल का विस्तार हो रहा है। रेलवे ही नहीं, बल्कि आधुनिक हाईवे का भी उत्तराखंड में अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश के लिए ये कनेक्टिविटी कितनी ज़रूरी है, ये हम समझते हैं। कनेक्टिविटी के अभाव में अतीत में कैसे गांव के गांव खाली हो गए, उस पीड़ा को हम समझते हैं। आने वाली पीढ़ी को उस पीड़ा से हम बचाना चाहते हैं। उत्तराखंड में ही टूरिज्म से, खेती-किसानी से, उद्योगों से रोज़गार के अवसर बने, इसलिए इतना परिश्रम आज हम कर रहे हैं। हमारी सीमाओं तक पहुंच आसान हो, राष्ट्ररक्षा में जुटे हमारे सैनिकों को असुविधा ना हो, इसमें भी ये आधुनिक कनेक्टिविटी बहुत काम आएगी।

भाइयों और बहनों,

हमारी डबल इंजन की सरकार, उत्तराखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड का तेज विकास, भारत के तेज विकास में भी मदद करेगा। और देश अब रुकने वाला नहीं है, देश अब अपनी गति पकड़ चुका है। पूरा देश वंदे भारत की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और आगे ही बढ़ता जाएगा। एक बार फिर आप सभी को उत्तराखंड की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के लिए अनेक-अनेक बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और इन दिनों तो बाबा केदार के चरणों में, बद्री विशाल के चरणों में, यमुनोत्तरी, गंगोत्री के चरणों में बहुत तेजी से देश भर के लोग आ रहे हैं। उसी समय वंदे भारत एक्‍सप्रेस का पहुंचना, यह उनके लिए भी बड़ा सुखद अनुभव होगा। मैं फिर एक बार बाब केदार के चरणों में प्रणाम करते हुए, देवभूमि को नमन करते हुए आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!

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Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella meets Prime Minister, Shri Narendra Modi
January 06, 2025

Chairman and CEO of Microsoft, Satya Nadella met with Prime Minister, Shri Narendra Modi in New Delhi.

Shri Modi expressed his happiness to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. Both have discussed various aspects of tech, innovation and AI in the meeting.

Responding to the X post of Satya Nadella about the meeting, Shri Modi said;

“It was indeed a delight to meet you, @satyanadella! Glad to know about Microsoft's ambitious expansion and investment plans in India. It was also wonderful discussing various aspects of tech, innovation and AI in our meeting.”