विश्वविद्यालय में बनने वाले प्रौद्योगिकी संकाय, कंप्यूटर सेंटर और अकादमिक ब्लॉक के भवन की आधारशिला रखी
स्मारक शताब्दी खंड-शताब्दी समारोह का संकलन, लोगो बुक - दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके कॉलेजो का लोगो तथा औरा - दिल्ली विश्वविद्यालय के सौ वर्ष का लोकार्पण किया
दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचने के लिए मेट्रो की सवारी की
“दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल एक विश्वविद्यालय बल्कि एक आंदोलन रहा है”
“अगर इन सौ वर्षों में डीयू ने अपनी भावनाओं को जीवित रखा है तो अपने मूल्यों को भी जीवंत रखा है”
“भारत की समृद्ध शिक्षा प्रणाली भारत की समृद्धि की वाहक है”
“दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रतिभाशाली युवाओं की मजबूत पीढ़ी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई”
“जब व्यक्ति या संस्था का संकल्प देश के लिए होता है, तो उसकी उपलब्धियों को देश की उपलब्धियों के बराबर माना जाता है”
“पिछली सदी के तीसरे दशक ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को एक नई गति दी, अब नई सदी का तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को गति देगा”
“लोकतंत्र, समानता और आपसी सम्मान जैसे भारतीय मूल्य मानवीय मूल्य बन रहे हैं”
“विश्व का सबसे बड़ा विरासत संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत’ दिल्ली में बनने जा रहा है”
“भारत की सॉफ्ट पॉवर भारतीय युवाओं की सफलता का कहानी बन रहा है”

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस स्वर्णिम समारोह में उपस्थित देश के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान जी, डीयू के वाइस चांसलर श्रीमान योगेश सिंह जी, सभी प्रोफेसर्स, शिक्षक गण और सभी मेरे युवा साथी। आप लोगों ने मुझे जब ये निमंत्रण दिया था, तभी मैंने तय कर लिया था कि मुझे आपके यहां तो आना ही है। और यहां आना, अपनों के बीच आने जैसा है।

अब सौ साल की‍ ये फिल्‍म हम देख रहे थे, दिल्‍ली यूनिवर्सिटी की दुनिया को समझने के लिए। सिर्फ ये दिग्गजों को देख लेते हैं तो भी पता चल जाता कि दिल्‍ली यूनिवर्सिटी ने क्या दिया है। कुछ लोग मेरे सामने बैठे हैं, जिनको मैं विद्यार्थी काल से जानता हूं, लेकिन अब बहुत बड़े-बड़े लोग बन गए। और मुझे अनुमान था कि मैं आज आऊंगा तो मुझे इन सब पुराने साथियों से मिलने का जरूर अवसर मिलेगा और मुझे मिल रहा है।

साथियों,

DU का कोई भी स्टूडेंट हो, College Fest चाहे अपने कॉलेज में हो या दूसरे कॉलेज में, उसके लिए सबसे Important यही होता है कि बस किसी तरह उस Fest का हिस्सा बन जाएं। मेरे लिए भी ये ऐसा ही मौका है। मुझे खुशी है कि आज जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के 100 साल का सेलिब्रेशन हो रहा है, तो इस Festive माहौल में मुझे भी आप सबके बीच आने का अवसर मिला है। और साथियों, कैम्पस में आने का आनंद भी तभी होता है जब आप कलीग्स के साथ आयें। दो दोस्त चल दिए गप्पे मारते हुए, दुनिया जहान की बातें करेंगे, इजरायल से लेकर मून तक कुछ छोड़ेंगे नहीं। कौन सी फिल्म देखी...OTT पर वो सिरीज अच्छी है...वो वाली रील देखी या नहीं देखी...अरे बातों का अथाह समंदर होता है। इसलिए, मैं भी आज आपकी ही तरह दिल्ली मेट्रो से अपने युवा दोस्तों से गपशप करते-करते यहां पहुंचा हूं। उस बातचीत में कुछ किस्से भी पता चले, और कई दिलचस्प जानकारियाँ भी मुझे मिलीं।

साथियों,

आज का अवसर एक और वजह से बहुत खास है। डीयू ने एक ऐसे समय में अपने 100 वर्ष पूरे किए हैं, जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। कोई भी देश हो, उसकी यूनिवर्सिटीज़, उसके शिक्षण संस्थान उसकी उपलब्धियों का सच्‍चा प्रतिबिंब होते हैं। DU की भी इन 100 वर्षों की यात्रा में कितने ही ऐतिहासिक पड़ाव आए है! इसमें कितने प्रोफेसर्स का, कितने स्टूडेंट्स का और कितने ही दूसरे लोगों का जीवन जुड़ा रहा है। एक तरह से, दिल्ली यूनिवर्सिटी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि एक मूवमेंट रही है। इस यूनिवर्सिटी ने हर moment को जिया है। इस यूनिवर्सिटी ने हर moment में जान भर दी है। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर यूनिवर्सिटी के सभी प्रोफेसर्स और स्टाफ को, सभी स्टूडेंट्स और alumni को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज इस आयोजन के जरिए यहां नए और पुराने स्टूडेंट्स भी साथ मिल रहे हैं। स्वभाविक है, कुछ सदाबहार चर्चाएँ भी होंगी। नॉर्थ कैंपस के लोगों के लिए कमला नगर, हडसन लाइन और मुखर्जी नगर से जुड़ी यादें, साउथ कैंपस वालों के लिए सत्य निकेतन के किस्से, आप चाहे जिस ईयर के पास आउट हों, दो डीयू वाले मिलकर इन पर कभी भी घंटों निकाल सकते हैं! इस सबके बीच, मैं मानता हूँ, डीयू ने 100 सालों में अगर अपने अहसासों को जिंदा रखा है, तो अपने मूल्यों को भी जीवंत रखा है। “निष्ठा धृति सत्यम”, यूनिवर्सिटी का ये ध्येय वाक्य अपने हर एक स्टूडेंट के जीवन में गाइडिंग लैंप की तरह है।

साथियों,

हमारे यहाँ कहा जाता है-

ज्ञान-वानेन सुखवान्, ज्ञान-वानेव जीवति।

ज्ञान-वानेव बलवान्, तस्मात् ज्ञान-मयो भव॥

अर्थात, जिसके पास ज्ञान है वही सुखी है, वही बलवान है। और वास्तव में वही जीता है, जिसके पास ज्ञान है। इसलिए, जब भारत के पास नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, तब भारत सुख और समृद्धि के शिखर पर था। जब भारत के पास तक्षशिला जैसे संस्थान थे, तब भारत का विज्ञान विश्व को गाइड करता था। भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था, भारत की समृद्धि की वाहक थी।

ये वो समय था जब दुनिया की जीडीपी में बहुत बड़ा शेयर भारत का होता था। लेकिन, गुलामी के सैकड़ों वर्षों के कालखंड ने हमारे शिक्षा के मंदिरों को, इन एजुकेशन सेंटर्स को तबाह कर दिया। और जब भारत का बौद्धिक प्रवाह रुका, तो भारत की ग्रोथ भी थम गई।

लंबी गुलामी के बाद देश आज़ाद हुआ। इस दौरान, आज़ादी के भावनात्मक ज्वार को एक मूर्त रूप देने में भारत की यूनिवर्सिटीज़ ने एक अहम भूमिका निभाई थी। इनके जरिए एक ऐसी युवा पीढ़ी खड़ी हुई, जो उस समय के आधुनिक विश्व को ललकार सकती थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी भी इस मूवमेंट का एक बड़ा सेंटर थी। डीयू के सभी स्टूडेंट्स, वो चाहे किसी भी कोर्स में हो, वो अपने संस्थान की इन जड़ों से जरूर परिचित होंगे। अतीत की ये समझ हमारे अस्तित्व को आकार देती है, आदर्शों को आधार देती है, और भविष्य के विज़न को विस्तार देती है।

साथियों,

कोई इंसान हो या संस्थान, जब उसके संकल्प देश के लिए होते हैं, तो उसकी सफलता भी देश की सफलताओं से कदम मिलाकर चलती है। कभी डीयू में केवल 3 कॉलेज थे, आज 90 से ज्यादा कॉलेज हैं। कभी भारत की इकोनॉमी खस्ताहाल थी, आज भारत दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमीज में शामिल हो चुका है। आज डीयू में पढ़ने वाले लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या ज्यादा हो गई है। इसी तरह देश में भी जेंडर रेशियो में काफी सुधार आया है। यानी, शिक्षण संस्थान की जड़ें जितनी गहरी होती हैं, देश की शाखाएँ उतनी ही ऊंचाइयों को छूती हैं। और इसलिए भविष्य के लिए भी यूनिवर्सिटी और देश के संकल्पों में एकरूपता होनी चाहिए, inter-connection होना चाहिए।

25 साल बाद, जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब दिल्ली यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के 125 वर्ष मनाएगी। तब लक्ष्य था भारत की स्वतंत्रता, अब हमारा लक्ष्य है 2047 तक विकसित भारत का निर्माण। पिछली शताब्दी के तीसरे दशक ने, अगर पिछली शताब्‍दी के इतिहास की तरफ नजर करें तो पिछली शताब्‍दी के तीसरे दशक ने स्वतंत्रता संग्राम को नई गति दी थी। अब इस शताब्दी का ये तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को नई रफ्तार देगा। आज देशभर में बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बनाए जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में IIT, IIM, NIT और AIIMS जैसी संस्थाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। ये सभी institutes न्यू इंडिया के बिल्डिंग ब्लॉक्स बन रहे हैं।

साथियों,

शिक्षा सिर्फ सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि ये सीखने की भी प्रक्रिया है। लंबे समय तक शिक्षा का फोकस इसी बात पर रहा कि छात्रों को क्या पढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन हमने फोकस इस बात पर भी शिफ्ट किया कि छात्र क्या सीखना चाहता है। आप सभी के Collective Efforts से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार हुई है। अब छात्रों को ये बड़ी सुविधा मिली है कि वो अपनी इच्छा से अपनी पसंद के विषयों का चुनाव कर सकते हैं।

शिक्षण संस्थाओं की क्वालिटी बेहतर बनाने के लिए भी हम लगातार काम कर रहे हैं। इन इंस्टीट्यूट्स को competitive बनाने के लिए हम National Institutional Ranking Framework लेकर आए हैं। इससे देशभर के institutions को एक motivation मिल रहा है। हमने संस्थाओं की स्वायत्तता को क्वालिटी ऑफ एजुकेशन से भी जोड़ा है। जितना बेहतर संस्थाओं का प्रदर्शन होगा, उतनी ही उन्हें स्वायत्तता मिल रही है।

साथियों,

शिक्षा की Futuristic नीतियों और निर्णयों का परिणाम है कि आज इंडियन यूनिवर्सिटीज़ की ग्लोबल पहचान बढ़ रही है। 2014 में QS वर्ल्ड रैंकिंग में केवल 12 इंडियन यूनिवर्सिटीज़ होती थीं, लेकिन आज ये संख्या 45 हो गई है।

हमारे एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। हमारे संस्थान quality education, student faculty ratio, और reputation सबमें तेजी से सुधार कर रहे हैं। और साथियों, आप जानते हैं इन सबके पीछे सबसे बड़ी गाइडिंग फोर्स कौन सी काम कर रही है? ये गाइडिंग फोर्स है- भारत की युवा शक्ति। इस हॉल में बैठे हुए मेरे युवाओं की शक्ति।

साथियों,

एक समय था जब स्टूडेंट्स किसी इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने से पहले सिर्फ प्लेसमेंट को ही प्राथमिकता देते थे। यानी, एडमिशन का मतलब डिग्री, और डिग्री का मतलब नौकरी, शिक्षा यहीं तक सीमित हो गई थी। लेकिन, आज युवा जिंदगी को इसमें बांधना नहीं चाहता। वो कुछ नया करना चाहता है, अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है।

2014 से पहले भारत में सिर्फ कुछ सौ स्टार्टअप थे। आज भारत में स्टार्ट अप्स की संख्या एक लाख को भी पार कर गई है। 2014-15 की तुलना में आज 40 प्रतिशत से ज्यादा पेटेंट फाइल हो रहे हैं। जो पेटेंट जारी हो रहे हैं, उनमें भी 5 गुना का इजाफ़ा हुआ है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स, जिसमें भारत 81वें पायदान पर था, 80 से भी बाद। वहाँ से बढ़ करके आज हम 46 पर पहुंच चुके हैं, वो स्‍थान हमने प्राप्‍त किया है।

अभी कुछ दिन पहले ही मैं अमेरिका की यात्रा से लौटा हूँ। आप सबने देखा होगा, आज भारत का सम्मान कितना बढ़ा है, गौरव कितना बढ़ा है। क्‍या कारण है, क्‍या कारण है आज भारत का इतना गौरव बढ़ा है? उत्तर वही है। क्योंकि, भारत की क्षमता बढ़ी है, भारत के युवाओं पर विश्व का भरोसा बढ़ा है। इसी यात्रा में भारत और अमेरिका के बीच Initiative on Critical and Emerging Technology यानी, iCET डील हुई है। इस एक समझौते से, हमारे युवाओं के लिए धरती से लेकर स्पेस तक, सेमी-कंडक्टर से लेकर AI तक, तमाम फील्ड्स में नए अवसर पैदा होने वाले हैं।

जो टेक्नोलॉजी पहले भारत की पहुँच से बाहर होती थी, अब हमारे युवाओं को उनकी एक्सैस मिलेगी, उनका स्किल डवलपमेंट होगा। अमेरिका की Micron, Google तथा Applied Materials जैसी कंपनियों ने भारत में बड़े निवेश का फैसला लिया है। और साथियो, ये आहट है कि भविष्य का भारत कैसा होने वाला है, आपके लिए कैसे-कैसे अवसर दस्तक दे रहे है।

साथियों,

इंडस्ट्री ‘फोर पॉइंट ओ’ की क्रांति भी हमारे दरवाजे पर आ चुकी है। कल तक AI और AR-VR के जो किस्से हम साइंस-फिक्शन फिल्मों में देखते थे, वो अब आज हमारी रियल लाइफ का हिस्सा बन रहे हैं। ड्राइविंग से लेकर सर्जरी तक, रोबोटिक्स अब न्यू नॉर्मल बन रहा है। ये सभी सेक्टर्स भारत की युवा पीढ़ी के लिए, हमारे Students के लिए नए रास्ते बना रहे हैं। बीते वर्षों में भारत ने अपने स्पेस सेक्टर को खोला है, भारत ने अपने डिफेंस सेक्टर को खोला है, भारत ने ड्रोन से जुड़ी नीतियों में बहुत बड़ा बदलाव किया है, इन सभी निर्णयों से देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिला है।

साथियों,

भारत की विकास यात्रा से, हजारों युवाओं को, हमारे स्टूडेंट्स का कैसे लाभ हो रहा है, इसका एक और पक्ष है। आज दुनिया के लोग भारत को, भारत की पहचान को, भारत की संस्कृति को जानना चाह रहे हैं। कोरोना के समय दुनिया का हर देश अपनी जरूरतों के लिए परेशान था। लेकिन, भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ दूसरे देशों की भी मदद कर रहा था।

लिहाजा विश्व में एक curiosity पैदा हुई, कि आखिर भारत के वो कौन से संस्कार हैं जो संकट में भी सेवा का संकल्प पैदा करते हैं। भारत का बढ़ता सामर्थ्य हो, भारत की G-20 प्रेसीडेंसी हो, ये सभी भारत के प्रति कौतूहल बढ़ा रहे हैं। इससे हमारे जो humanities के स्टूडेंट्स हैं, उनके लिए अनेकों नए अवसर पैदा होने लगे हैं। योग जैसा हमारा विज्ञान, हमारी संस्कृति, हमारे फेस्टिवल, हमारा लिटरेचर, हमारी history, हमारा heritage, हमारी विधाएँ, हमारे व्यंजन, आज हर किसी की चर्चा हो रही है। हर किसी के लिए नया आकर्षण पैदा हो रहा है। इसलिए, उन भारतीय युवाओं की डिमांड भी बढ़ रही है जो विश्व को भारत के बारे में बता सकें, हमारी चीजों को दुनिया तक पहुंचा सकें। आज democracy, equality और mutual respect जैसी Indian values दुनिया के लिए मानवीय पैमाना बन रहे हैं। गवर्नमेंट फॉरम्स से लेकर diplomacy तक, कई क्षेत्रों में भारतीय युवाओं के लिए लगातार नए मौके बन रहे हैं। देश में हिस्ट्री, हेरिटेज और कल्चर से जुड़े क्षेत्रों ने भी युवाओं के लिए अपार संभावनाएं बना दी हैं।

आज देश के अलग-अलग राज्यों में tribal museums बन रहे हैं। पीएम-म्यूज़ियम के जरिए आज़ाद भारत की विकास यात्रा के दर्शन होते हैं। और आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा कि दिल्ली में विश्व का सबसे बड़ा हेरिटेज म्यूज़ियम- ‘युगे युगीन भारत’ ये भी बनने जा रहा है। कला, संस्कृति और इतिहास से जुड़े युवाओं के लिए पहली बार passion को profession बनाने के इतने अवसर पैदा हो रहे हैं। इसी तरह, आज दुनिया में भारतीय टीचर्स की अलग पहचान बनी है। मैं ग्लोबल लीडर्स से मिलता हूँ, उनमें से कई अपने किसी न किसी इंडियन टीचर से जुड़े किस्से बताते हैं और बड़े गौरव से बताते हैं।

भारत की ये सॉफ्ट पावर इंडियन यूथ्स की सक्सेस स्टोरी बन सकती है। इस सबके लिए हमारी यूनिवर्सिटीज़ को, हमारे institutions को तैयार होना है, अपने माइंडसेट को तैयार करना है। हर यूनिवर्सिटी को अपने लिए एक रोडमैप बनाना होगा, अपने लक्ष्यों को तय करना होगा।

जब आप इस संस्थान के 125 वर्ष मनाएं, तब आपकी गिनती वर्ल्ड की टॉप रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटी में हो, इसके लिए अपने प्रयास बढ़ाएं। Future making innovations आपके यहां हों, दुनिया के बेस्ट ideas और लीडर्स आपके यहाँ से निकलें, इसके लिए आपको लगातार काम करना होगा।

लेकिन इतने सारे बदलावों के बीच, आप लोग पूरी तरह मत बदल जाइएगा। कुछ बातें वैसे ही छोड़ दीजिएगा भाई। नॉर्थ कैंपस में पटेल चेस्ट की चाय....नूडल्स...साउथ कैंपस में चाणक्याज के मोमोज....इनका टेस्ट ना बदल जाए, ये भी आपको Ensure करना होगा।

साथियों,

जब हम अपने जीवन में कोई लक्ष्य तय करते हैं, तो उसके लिए पहले हमें अपने मन-मस्तिष्क को तैयार करना होता है। एक राष्ट्र के मन-मस्तिष्क को तैयार करने की ये ज़िम्मेदारी उसके education institutes को निभानी होती है। हमारी नई जेनेरेशन future ready हो, वो challenges को accept करने और face करने का temperament रखती हो, ये शिक्षा संस्थान के विज़न और मिशन से ही संभव होता है।

मुझे विश्वास है, दिल्ली यूनिवर्सिटी अपनी इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुये इन संकल्पों को जरूर पूरा करेगी। इसी के साथ, आप सभी को...इस शताब्‍दी वर्ष की यात्रा को जिस प्रकार से आपने आगे बढ़ाया है, उसे और अधिक सामर्थ्‍य से, और अधिक शानदार तरीके से, और अधिक सपने और संकल्‍पों को ले करके सिद्धि को प्राप्‍त करने का रास्‍ता बनाते हुए आगे बढ़ें, सिद्धियां आपके कदम चूमती रहें, आपके सामर्थ्‍य से देश बढ़ता रहे। इसी कामना के साथ आप सबको बहुत बहुत शुभकामनायें।

धन्यवाद!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।