लगभग 10,000 करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न स्वच्छता एवं सफाई परियोजनाओं का शिलान्यास एवं शुभारंभ किया
“स्वच्छ भारत के दस वर्ष पूरे होने पर, मैं स्वच्छता को ‘जन आंदोलन’ बनाने में 140 करोड़ भारतीयों की अटूट प्रतिबद्धता को सलाम करता हूँ”
“स्वच्छ भारत इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन है”
“स्वच्छ भारत मिशन ने देश के आम लोगों के जीवन पर जो प्रभाव डाला है, वह अमूल्य है”
“स्वच्छ भारत मिशन के कारण महिलाओं में संक्रामक रोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है”
“स्वच्छता की बढ़ती प्रतिष्ठा के कारण देश में बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन हुआ है”
“अब स्वच्छता समृद्धि का नया मार्ग बन रही है”
“स्वच्छ भारत मिशन ने चक्रीय अर्थव्यवस्था को नई गति दी है”
“स्वच्छता का मिशन एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का संस्कार है”
“गंदगी के प्रति घृणा, हमें स्वच्छता के प्रति अधिक सशक्त और मजबूत कर सकती है”
“आइये हम शपथ लें कि हम जहाँ भी रहें, चाहे वह हमारा घर हो, हमारा पड़ोस हो या हमारा कार्यस्थल हो, हम स्वच्छता बनाए रखेंगे”

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान मनोहर लाल जी, सी. आर. पाटिल जी, तोखन साहू जी, राज भूषण जी, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती है। मैं मां भारती के सपूतों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। जिस भारत का सपना, गांधी जी औऱ देश की महान विभूतियों ने देखा था, वो सपना हम सब मिलकर के पूरा करें, आज का दिन हमें ये प्रेरणा देता है।

साथियों,

आज 2 अक्टूबर के दिन, मैं कर्तव्यबोध से भी भरा हुआ हूं और उतना ही भावुक भी हूं। आज स्वच्छ भारत मिशन को, उसकी यात्रा को 10 साल के मुकाम पर हम पहुंच चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन की ये यात्रा, करोड़ों भारतवासियों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीते 10 साल में कोटि-कोटि भारतीयों ने इस मिशन को अपनाया है, अपना मिशन बनाया है, इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है। मेरे आज के 10 साल की इस यात्रा के पड़ाव पर, मैं हर देशवासी, हमारे सफाई मित्र, हमारे धर्मगुरू, हमारे खिलाड़ी, हमारे सेलिब्रिटी, NGOs, मीडिया के साथी...सभी की सराहना करता हूं, भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं। आप सभी ने मिलकर स्वच्छ भारत मिशन को इतना बड़ा जन-आंदोलन बना दिया। मैं राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, पूर्व राष्ट्रपति जी, पूर्व उपराष्ट्रपति जी, उन्होंने भी स्वच्छता की ही सेवा इस कार्यक्रम में श्रमदान किया, देश को बहुत बड़ी प्रेरणा दी। मैं आज राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति महोदय का भी ह्दय से अभिनंदन करता हूं, धन्यवाद करता हूं। आज देशभर में स्वच्छता से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। लोग अपने गांवों को, शहरों को, मोहल्लों को चॉल हो, फ्लैट्स हो, सोसाइटी हो स्वयं बड़े आग्रह से साफ-सफाई कर रहे हैं। अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्रिगण और दूसरे जनप्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनें, इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया। बीते पखवाड़े में, मैं इसी पखवाड़े की बात करता हूं, देश भर में करोड़ों लोगों ने स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। मुझे जानकारी दी गई कि सेवा पखवाड़ा के 15 दिनों में, देशभर में 27 लाख से ज्यादा कार्यक्रम हुए, जिनमें 28 करोड़ से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। निरंतर प्रयास करके ही हम अपने भारत को स्वच्छ बना सकते हैं। मैं सभी का, प्रत्येक भारतीय का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आज के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर...आज स्वच्छता से जुड़े करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स की भी शुरुआत हुई है। मिशन अमृत के तहत देश के अनेक शहरों में वॉटर और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। नमामि गंगे से जुड़ा काम हो या फिर कचरे से बायोगैस पैदा करने वाले गोबरधन प्लांट। ये काम स्वच्छ भारत मिशन को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा, और स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा उतना ही हमारा देश ज्यादा चमकेगा।

साथियों,

आज से एक हजार साल बाद भी, जब 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा, तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा। स्वच्छ भारत इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन भागीदारी वाला, जन नेतृत्व वाला, जन-आंदोलन है। इस मिशन ने मुझे जनता-जनार्दन की, ईश्वर रूपी जनता-जनार्दन की साक्षात ऊर्जा के भी दर्शन कराए हैं। मेरे लिए स्वच्छता एक जनशक्ति के साक्षात्कार का पर्व बन गया है। आज मुझे कितना कुछ याद आ रहा है...जब ये अभियान शुरू हुआ...कैसे लाखों-लाख लोग एक साथ सफाई करने के लिए निकल पड़ते थे। शादी-ब्याह से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक, हर जगह स्वच्छता का ही संदेश छा गया...कहीं कोई बूढ़ी मां अपनी बकरियां बेचकर शौचालय बनाने की मुहिम से जुड़ी...किसी ने अपना मंगलसूत्र बेच दिया...तो किसी ने शौचालय बनाने के लिए ज़मीन दान कर दी। कहीं किसी रिटायर्ड टीचर ने अपनी पेंशन दान दे दी...तो कहीं किसी फौजी ने रिटायरमेंट के बाद मिले पैसे स्वच्छता के लिए समर्पित कर दिए। अगर ये दान किसी मंदिर में दिया होता, किसी और समारोह में दिया होता तो शायद अखबारों की हेडलाइन बन जाता और सप्ताह भर उसकी चर्चा होती। लेकिन देश को पता होना चाहिए कि जिनका चेहरा कभी टीवी पर चमका नहीं हैं, जिनका नाम अखबारों की सुर्खियों पर कभी छपा नहीं है, ऐसे लक्ष्यावधि लोगों ने कुछ न कुछ दान करके चाहे वो समय का दान हो या संपत्ति का दान हो इस आंदोलन को एक नई ताकत दी है, ऊर्जा दी है। और ये, ये मेरे देश के उस चरित्र का परिचय करवाता है।

जब मैंने सिंगल यूज़ प्लास्टिक को छोड़ने की बात की तो करोड़ों लोगों ने जूट के बैग औऱ कपड़े के थैले निकालकर के बाजार में खरीदी करने के लिए जाने की परंपरा शुरू की। अब मैं उन लोगों का भी आभारी हूं वरना मैं प्लास्टिक, सिंगल यूज़ प्लास्टिक बंद करने की बात करता तो हो सकता था, प्लास्टिक इंडस्ट्री वाले आंदोलन करते, भूख हड़ताल पर बैठते...नहीं बैठे, उन्होंने सहयोग किया, आर्थिक नुकसान भोगा। और मैं उन राजनीतिक दलों का भी आभार व्यक्त करता हूं, जो भी शायद निकल पड़ते कि देखिए मोदी ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक बंद की है, हजारों लोगों का रोज़गार खत्म कर दिया, पता नहीं क्या-क्या कर देते। मैं उनका भी आभार मानता हूं कि उनका इस बात पर ध्यान नही गया, हो सकता है इसके बाद चला जाए।

साथियों,

इस आंदोलन में हमारा फिल्म जगत भी पीछे नहीं रहा...कमर्शियल हित के बजाय, फिल्म जगत ने स्वच्छता के संदेश को जनता तक पहुंचाने के लिए फिल्में बनाईं। इन 10 सालों में और मुझे तो लगता है कि ये विषय कोई एक बार करने का नहीं है, ये पीढ़ी दर पीढ़ी, हर पल, हर दिन करने का काम है। और ये जब मैं कहता हूं, तो मैं इसको जीता हूं। अब जैसे मन की बात की याद करले आप, आप में से बहुत लोग मन की बात से परिचित हैं, देशवासी परिचित हैं। मन की बात में मैंने करीब-करीब 800 बार स्वच्छता के विषय का जिक्र किया है। लोग लाखों की संख्या में चिट्ठियां भेजते हैं, लोग स्वच्छता के प्रयासों को सामने लाते रहे।

साथियों,

आज जब मैं देश और देशवासियों की इस उपलब्धि को देख रहा हूं...तो मन में ये सवाल भी आ रहा है कि जो आज हो रहा है, वो पहले क्यों नहीं हुआ? स्वच्छता का रास्ता तो महात्मा गांधी जी ने हमें आजादी के आंदोलन में ही दिखाया था...दिखाया भी था, सिखाया भी था। फिर ऐसा क्या हुआ कि आजादी के बाद स्वच्छता पर बिल्कुल ध्यान ही नही दिया गया। जिन लोगों ने सालों-साल गांधी जी के नाम पर सत्ता के रास्ते ढूंढे, गांधी जी के नाम पर वोट बटोरे। उन्होंने गांधी जी के प्रिय विषय को भुला दिया। उन्होंने गंदगी को, शौचालय के अभाव को देश की समस्या माना ही नहीं, ऐसा लगा रहा है जैसे उन्होंने गंदगी को ही जिंदगी मान लिया। नतीजा ये हुआ कि मजबूरी में लोग गंदगी में ही रहने लगे...गंदगी रूटीन लाइफ का हिस्सा बन गई...समाज जीवन में इसकी चर्चा तक होनी बंद हो गई। इसलिए जब मैंने लालकिले की प्राचीर से इस विषय को उठाया, तो देश में जैसे तूफान खड़ा हो गया...कुछ लोगों ने तो मुझे ताना दिया कि शौचालय और साफ-सफाई की बात करना भारत के प्रधानमंत्री का काम नहीं है। ये लोग आज भी मेरा मज़ाक उड़ाते हैं।

लेकिन साथियों,

भारत के प्रधानमंत्री का पहला काम वही है, जिससे मेरे देशवासियों का, सामान्य जन का जीवन आसान हो। मैंने भी अपना दायित्व समझकर, मैंने टॉयलेट्स की बात की, सैनिटेरी पैड्स की बात की। और आज हम इसका नतीजा देख रहे हैं।

साथियों,

10 साल पहले तक भारत की 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी। ये मानव गरिमा के विरुद्ध था। इतना ही नहीं ये देश के गरीब का अपमान था, दलितों का, आदिवासियों का, पिछड़ों का, इनका अपमान था। जो पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतर चला आ रहा था। शौचालय ना होने से सबसे ज्यादा परेशानी हमारी बहनों को, बेटियों को को होती थी। दर्द और पीड़ा सहन करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। अगर शौचालय जाना है तो अंधेरे का इंतजार करती थीं, दिन भर परेशानी झेलती थीं और रात में बाहर जाती थीं, तो उनकी सुरक्षा से जुड़े गंभीर खतरे होते थे, या तो सुबह सूर्योदय के पहले जाना पड़ता था, ठंड हो, वर्षा हो। मेरे देश की करोड़ों माताएं हर दिन इस मुसीबत से गुजरती थी। खुले में शौच के कारण जो गंदगी होती थी, उसने हमारे बच्चों के जीवन को भी संकट में डाल रखा था। बाल मृत्यु का एक बड़ा कारण, ये गंदगी भी थी। गंदगी की वजह से गांव में, शहर की अलग-अलग बस्तियों में बीमारियां फैलना आम बात थी।

साथियों,

कोई भी देश ऐसी परिस्थिति में कैसे आगे बढ़ सकता है? और इसलिए हमने तय किया कि ये जो जैसा चल रहा है, वैसे नहीं चलेगा। हमने इसे एक राष्ट्रीय और मानवीय चुनौती समझकर इसके समाधान का अभियान चलाया। यहीं से स्वच्छ भारत मिशन का बीज पड़ा। ये कार्यक्रम, ये मिशन, ये आंदोलन, ये अभियान, ये जन-जागरण का प्रयास पीड़ा की कोख से पैदा हुआ है। और जो मिशन पीड़ा की कोख से पैदा होता है वो कभी मरता नहीं है। और देखते ही देखते, करोड़ों भारतीयों ने कमाल करके दिखाया। देश में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट्स बनाए गए। टॉयलेट कवरेज का दायरा जो 40 परसेंट से भी कम था, वो शत-प्रतिशत पहुंच गया।

साथियों,

स्वच्छ भारत मिशन से देश के आम जन के जीवन पर जो प्रभाव पड़ा है, वो अनमोल है। हाल में एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय जरनल की स्टडी आई है। इस स्टडी को इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट वाशिंगटऩ, यूएसए, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया...और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर के स्टडी किया है। इसमें सामने आया है कि स्वच्छ भारत मिशन से हर वर्ष 60 से 70 हज़ार बच्चों का जीवन बच रहा है। अगर कोई ब्लड डोनेशन करके किसी एक की जिंदगी बचा दे ना तो भी वो बहुत बड़ी घटना होती है। हम सफाई करके, कूड़ा-कचरा हटाकर के, गंदगी मिटाकर 60-70 हजार बच्चों की जिंदगी बचा पाए, इससे बड़ा परमात्मा का आशीर्वाद क्या होगा। WHO के मुताबिक 2014 और 2019 के बीच 3 लाख जीवन बचे हैं, जो डायरिया के कारण हम खो देते थे। मानव सेवा का ये धर्म बन गया साथियों।

UNICEF की रिपोर्ट है कि घर में टॉयलेट्स बनने के कारण अब 90 परसेंट से ज्यादा महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं। महिलाओं को इंफेक्शन से होनी वाली बीमारियों में भी स्वच्छ भारत मिशन की वजह से बहुत कमी आई है। और बात सिर्फ इतनी ही नहीं है...लाखों स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट्स बनने से, ड्रॉप आउट रेट कम हुआ है। यूनिसेफ की एक और स्टडी है। इसके मुताबिक साफ-सफाई के कारण गांव के परिवार के हर साल औसतन 50 हज़ार रुपए बच रहे हैं। पहले आए दिन होने वाली बीमारियों के कारण ये पैसे इलाज पर खर्च होते थे या तो काम-धंधा ना करने के कारण आय खत्म हो जाती थी, बीमारी में जा नहीं पाते थे।

साथियों,

स्वच्छता पर बल देने से बच्चों का जीवन कैसे बचता है, मैं इसका एक और उदाहरण देता हूं। कुछ साल पहले तक मीडिया में लगातार ये ब्रेकिंग न्य़ूज चलती थी कि गोरखपुर में दिमागी बुखार से, उस पूरे इलाके में, दिमागी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत...ये खबरें हुआ करती थी। लेकिन अब गंदगी जाने से, स्वच्छता आने से ये खबरें भी चली गईं, गंद के साथ क्या-क्या जाता है ये दखिए। इसकी एक बहुत ही बड़ी वजह...स्वच्छ भारत मिशन से आई जन-जागृति, ये साफ सफाई है।

साथियों,

स्वच्छता की प्रतिष्ठा बढ़ने से देश में एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी हुआ है। आज मैं इसकी चर्चा भी आवश्यक समझता हूं। पहले साफ-सफाई के काम से जुड़े लोगों को किस नजर से देखा जाता था, हम सब जानते हैं। एक बहुत बड़ा वर्ग था जो गंदगी करना अपना अधिकार मानता था और कोई आकर के स्व्च्छता करे ये उसकी जिम्मेवारी मानकर के अपने आप को बड़े अहंकार में जीते थे, उनके सम्मान को भी चोट पहुंचाते थे। लेकिन जब हम सब स्वच्छता करने लग गए तो उसको भी लगने लगा कि मैं जो करता हूं वो भी बड़ा काम करता हूं और ये भी अब मेरे साथ जुड़ रहे हैं, बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन। और स्वच्छ भारत मिशन ने, ये बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन कर करके सामान्य परिवार, साफ-सफाई करने वालों को मान-सम्मान मिला, उनको गर्व को महसूस कराया, और वो आज अपने आप को सम्मान के साथ हमें देख रहा है। गर्व इस बात का कि वो भी अब मानने लगा है कि वो सिर्फ पेट भरने के लिए करता है, इतना ही नहीं है वो इस राष्ट्र को चमकाने के लिए भी कड़ी मेहनत कर रहा है। यानि स्वच्छ भारत अभियान ने लाखों सफाई मित्रों को गौरव दिलाया है। हमारी सरकार सफाई मित्रों के जीवन की सुरक्षा और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा ये भी प्रयास है कि सेप्टिक टैंक्स में मैनुअल एंट्री से जो संकट आते हैं, उनको दूर किया जाए। इसके लिए सरकार, प्राइवेट सेक्टर और जनता के साथ मिलकर काम कर रही है, कई नए-नए Startup आ रहे हैं, नई-नई टेक्नोलॉजी लेकर आ रह हैं।

साथियों,

स्वच्छ भारत अभियान सिर्फ साफ-सफाई का ही प्रोग्राम है, इतना भर नहीं है। इसका दायरा व्यापक रुप से बढ़ रहा है। अब स्वच्छता संपन्नता का नया रास्ता बन रहा है। स्वच्छ भारत अभियान से देश में बड़े पैमाने पर रोजगार भी बन रहे हैं। बीते सालों में करोड़ों टॉयलेट्स बनने से अनेक सेक्टर्स को फायदा हुआ...वहां लोगों को नौकरियां मिलीं...गांवों में राजमिस्त्री, प्लंबर, लेबर, ऐसे अनेक साथियों को नए अवसर मिले। यूनिसेफ का अनुमान है कि करीब-करीब सवा करोड़ लोगों को इस मिशन की वजह से कुछ ना कुछ आर्थिक लाभ हुआ, कुछ ना कुछ काम मिला है। विशेष रूप से महिला राजमिस्त्रियों की एक नई पीढ़ी इस अभियान की देन है। पहले महिला राजमिस्त्री कभी नाम नहीं सुना था, इन दिनों महिला राजमिस्त्री आपको काम करती नज़र आ रही हैं।

अब क्लीन टेक से और बेहतर नौकरियां, बेहतर अवसर हमारे नौजवानों को मिलने लगे हैं। आज क्लीन टेक से जुड़े करीब 5 हज़ार स्टार्ट अप्स रजिस्टर्ड हैं। वेस्ट टू वेल्थ में हो, वेस्ट के क्लेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन में हो, पानी के रीयूज़ और रीसाइकलिंग में हों...ऐसे अनेक अवसर वॉटर एंड सेनीटेशन के सेक्टर में बन रहे हैं। एक अनुमान है कि इस दशक के अंत तक इस सेक्टर में 65 लाख नई जॉब्स बनेंगी। और इसमें निश्चित तौर पर स्वच्छ भारत मिशन की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

स्वच्छ भारत मिशन ने सर्कुलर इकॉनॉमी को भी नई गति दी है। घर से निकले कचरे से आज, Compost, Biogas, बिजली और रोड पर बिछाने के लिए चारकोल जैसा सामान बना रहे हैं। आज गोबरधन योजना, गांव और शहरों में बड़ा परिवर्तन ला रही है। इस योजना के तहत गांवों में सैकड़ों बायोगैस प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। जो पशुपालन करते हैं किसान कभी-कभी उनके लिए जो पशु वृद्ध हो जाता है, उसको संभालना एक बहुत बड़ी आर्थिक बोझ बन जाता है। अब गोबरधन योजना के कारण वो पशु जो दूध भी नहीं देता है या खेत पर काम भी नहीं कर सकता है, वो भी कमाई का साधन बन सके ऐसे संभावनाएं इस गोबरधन योजना में है। इसके अलावा देश में सैकड़ों CBG प्लांट भी लगाए जा चुके हैं। आज ही कई नए प्लांट्स का लोकार्पण हुआ है, नए प्लांट्स का शिलान्यास किया गया है।

साथियों,

तेजी से बदलते हुए इस समय में, आज हमें स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियों को भी समझना, जानना जरूरी है। जैसे-जैसे हमारी economy बढ़ेगी, शहरीकरण बढ़ेगा, waste generation की संभावनाएं भी बढ़ेंगी, कूड़ा-कचरा ज्यादा निकलेगा। और आजकल जो economy का एक मॉडल है यूज एक थ्रो वो भी एक कारण बनने वाला है। नए-नए प्रकार के कूड़े कचरे आने वाले हैं, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट आने वाला है। इसलिए हमें फ्यूचर की अपनी स्ट्रैटजी को और बेहतर करना है। हमें आने वाले समय में construction में ऐसी टेक्नॉलॉजी डवलप करनी होंगी, जिससे रिसाइकिल के लिए सामान का ज्यादा उपयोग हो सके। हमारी जो कॉलोनियां हैं, हमारे जो हाउसिंग है, complexes हैं, उनको हमें ऐसे डिज़ाइन करना होगा कि कम से कम zero की तरफ हम कैसे पहुंचे, हम zero कर पाए तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन कम से कम अंतर बचे zero से।

हमारा प्रयास होना चाहिए कि पानी का दुरुपयोग ना हो और waste पानी को treat करके इस्तेमाल करने के तरीके सहज बनने चाहिए। हमारे सामने नमामि गंगे अभियान का एक मॉडल है। इसके कारण आज गंगा जी कहीं अधिक साफ हुई हैं। अमृत मिशन और अमृत सरोवर अभियान से भी एक बहुत बड़ा परिवर्तन आ रहा है। ये सरकार और जनभागीदारी से परिवर्तन लाने के बहुत बड़े मॉडल हैं। लेकिन मैं मानता हूं सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। वॉटर कंज़र्वेशन, वॉटर ट्रीटमेंट और नदियों की साफ-सफाई के लिए भी हमें निंरतर नई टेक्नॉलॉजी पर निवेश करना है। हम सब जानते हैं कि स्वच्छता का कितना बड़ा संबंध टूरिज्म से है। और इसलिए, अपने पर्यटक स्थलों, अपने आस्था के पवित्र स्थानों, हमारी धरोहरों को भी हमें साफ-सुथरा रखना है।

साथियों,

हमने स्वच्छता को लेकर इन 10 वर्षों में बहुत कुछ किया है, बहुत कुछ पाया है। लेकिन जैसे गंदगी करना ये रोज का काम है, वैसे स्वच्छता करना भी रोज का ही काम होना ही चाहिए। ऐसा कोई मनुष्य नहीं हो सकता है, प्राणी नहीं हो सकता है कि वो कहे कि मेरे से गंदगी होगी ही नहीं, अगर होनी है तो फिर स्वच्छता भी करनी ही होगी। और एक दिन, एक पल नहीं, एक पीढ़ी नहीं, हर पीढ़ी को करनी होगी युगों-युगों तक करने वाला काम है। जब हर देशवासी स्वच्छता को अपना दायित्व समझता है, कर्तव्य समझता है, तो साथियों मेरा इस देशवासियों पर इतना भरोसा है कि परिवर्तन सुनिश्चित है। देश का चमकना ये सुनिश्चित है।

स्वच्छता का मिशन एक दिन का नहीं ये पूरे जीवन का संस्कार है। हमें इसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना है। स्वच्छता हर नागरिक की सहज प्रवृत्ति होनी चाहिए। ये हमें हर रोज़ करना चाहिए, गंदगी के प्रति हमारे भीतर एक नफरत पैदा होनी चाहिए, हम गंदगी को टॉलरेट न करें, देख ना पाए ये स्वभाव हमने विकसित करना चाहिए। गंदगी के प्रति नफरत ही हमें स्वच्छता के लिए मजबूर कर सकती हैं और मजबूत भी कर सकती हैं।

हमने देखा है कि कैसे घरों में छोटे-छोटे बच्चे साफ-सफाई को लेकर बड़ों को मोटिवेट करते रहते हैं, मुझे कई लोग कहते हैं कि मेरा पोता, मेरा नाती ये टोकता रहता है कि देखो मोदी जी ने क्या कहा है, तुम क्यों कचरा डालते हो, कार में जा रहे हैं बोला बोतल क्यों बाहर फेकतें हो, रूकवा देता है। ये आंदोलन की सफलता उसमें भी बीज बो रही है। और इसलिए आज मैं देश के युवाओं को...हमारी अगली पीढ़ी के बच्चों को कहूंगा- आइए हम सब मिलकर के डटे रहें, आइए डटे रहिए। दूसरों को समझाते रहिए, दूसरों को जोड़ते रहिए। हमें देश को स्वच्छ बनाए बिना रूकना नहीं है। 10 साल की सफलता ने बताया है कि अब आसान हो सकता है, हम achieve कर सकते हैं, और गंदगी से भारत मां को हम बचा सकते हैं।

साथियों,

मैं आज राज्य सरकारों से भी आग्रह करुंगा कि वे भी इस अभियान को अब जिला, ब्लॉक, गांव, मोह्ल्ले और गलियों के लेवल पर ले जाएं। अलग-अलग जिलों में, ब्लॉक्स में स्वच्छ स्कूल की स्पर्धा हो, स्वच्छ अस्पताल की स्पर्धा हो, स्वच्छ ऑफिस की स्पर्धा हो, स्वच्छ मोहल्ले की स्पर्धा हो, स्वच्छ तालाब की स्पर्धा हो, स्वच्छ कुए के किनारे की स्पर्धा हो। तो एकदम से वातावरण और उसके कंपटिशन उसे हर महिने, तीने महिने ईनाम दिए जाए, सर्टिफिकेट देए जाए। भारत सरकार सिर्फ कंपटिशन करे और 2-4 शहरों को स्वच्छ शहर, 2-4 जिलों को स्वच्छ जिला इतने से बात बनने वाली नहीं है। हमने हर इलाके में ले जाना है। हमारी म्यूनिसिपैल्टीज भी लगातार देखें कि पब्लिक टॉयलेट्स की अच्छे से अच्छे मैंटेनेंस हो रही है, चलो उनको ईनाम दें। अगर किसी शहर में व्यवस्थाएं पुराने ढर्रे की तरफ वापस लौटीं तो इससे बुरा क्या हो सकता है। मैं सभी नगर निकायों से, लोकल बॉडीज़ से आग्रह करुंगा कि वे भी स्वच्छता को प्राथमिकता दें, स्वच्छता को सर्वोपरि माने।

आइए...हम सब मिलके शपथ लें, मैं देशवासियों से अनुरोध करता हूं...आइए हम जहां भी रहेंगे, फिर चाहे वो घर हो, मोहल्ला हो या हमारा workplace हो, हम गंदगी ना करेंगे, ना गंदगी होने देंगे और स्वच्छता ये हम हमारा सहज स्वाभाव बनाकर के रहेंगे। जिस प्रकार हम अपने पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखते हैं, वही भाव हमें अपने आसपास के वातावरण के लिए जगाना है। विकसित भारत की यात्रा में हमारा हर प्रयास स्वच्छता से संपन्नता के मंत्र को मजबूत करेगा। मैं फिर एक बार देशवासियों से 10 साल के ही जैसे, यात्रा ने एक नया विश्वास पैदा किया है, अब हम अधिक सफलता के साथ, अधिक ताकत से परिणाम प्राप्त रह सकते हैं, और इसलिए आइए एक नए उमंग, नए विश्वास के साथ पूज्य बापू को सच्ची श्रद्धांजलि का एक काम लेकर के चल पड़े और हम इस देश को चमकाने के लिए गंदगी ना करने का शपथ लेते हुए, स्व्च्छता के लिए जो भी कर सकते हैं, पीछे ना हटे। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

बहुत-बहुत धन्यवाद

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।