नमो ड्रोन दीदियों के कृषि ड्रोन प्रदर्शन के साक्षी बने
1,000 नमो ड्रोन दीदियों को ड्रोन सौंपे
स्वयं सहायता समूहों को लगभग 8,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण और 2,000 करोड़ रुपये के पूंजीकरण सहायता कोष का वितरण किया
लखपति दीदियों को सम्मानित किया
"ड्रोन दीदियां और लखपति दीदियां सफलता के नए अध्याय लिख रही हैं
" कोई भी समाज केवल अवसर पैदा करके और नारी शक्ति की गरिमा सुनिश्चित करके ही प्रगति कर सकता है"
"मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले की प्राचीर से शौचालय, सैनिटरी पैड, धुएं से भरी रसोई, नल का जल जैसे मुद्दे उठाए"
"मोदी की संवेदनाएं और मोदी की योजनाएं रोजमर्रा की जिंदगी के अनुभवों से उभरी हैं"
"कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी का परिवर्तनकारी प्रभाव देश की महिलाओं से संचालित हैं"
मुझे पूरा विश्वास है कि नारी शक्ति देश में प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व करेगी"
"पिछले दशक में भारत में स्वयं सहायता समूहों का विस्तार उल्लेखनीय रहा है। इन समूहों ने देश में महिला सशक्तिकरण की कहानी दोबारा लिखी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान गिरिराज सिंह जी, श्री अर्जुन मुंडा जी, श्री मनसुख मांडविया जी, और देश के अलग-अलग हिस्सों से आई हुई, विशाल संख्या में यहां पधारीं हुई और आपके साथ-साथ वीडियो के माध्यम से भी देशभर में लाखों दीदी आज हमारे साथ जुड़ी हुई हैं। मैं आप सबका स्वागत करता हूं, अभिनदंन करता हूं। और इस सभागृह में तो मैं देख रहा हूं कि शायद ये लघु भारत है। हिन्दुस्तान की हर भाषा, हर कोने के लोग यहां नजर आ रहे हैं। तो आप सबको बहुत-बहुत बधाई।
आज का ये कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के लिहाज से बहुत ऐतिहासिक है। आज मुझे नमो ड्रोन दीदी अभियान के तहत, 1000 आधुनिक ड्रोन, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सौंपने का अवसर मिला है। देश में जो 1 करोड़ से ज्यादा बहनें, पिछले दिनों अलग-अलग योजनाओं और लाख प्रयासों के कारण, 1 करोड़ बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं। ये आंकड़ा छोटा नहीं है। और अभी जब मैं बात कर रहा था तो वो किशोरी बहन मुझे कह रही थी, वो तो हर महीने 60-70 हजार, 80 हजार तक पहुंच जाती है, बोले कमाने में। अब देश के नौजवानों को भी प्ररेणा दे सकते हैं, गांव में एक बहन अपने उद्दयन से हर महीने 60 हजार, 70 हजार रूपया कमाती है। उनका आत्मविश्वास देखिए, हां किशोरी वहां बैठी है, हाथ ऊपर कर रही है। और जब मैं ये सुनता हूं, देखता हूं तो मेरा विश्वास बहुत बढ़ जाता है। आपको आश्चर्य होगा कभी-कभी आप जैसे लोगों से छोटी-मोटी बाते सुनने को मिलती है ना, तो मुझे विश्वास बढ़ जाता...हां यार हम सही देशा में हैं, देश का जरूर कुछ भला होगा। क्योंकि हम योजना तो बनाए, लेकिन इस योजना को पकड़कर के आप जो लग जाते हैं ना...और आप परिणाम दिखाते हैं। और उस परिणाम के कारण सरकारी बाबुओं को भी लगता है...हां यार कुछ अच्छा हो रहा है, तो काम तेजी से बढ़ता है। और इसी के कारण जब मैंने फैसला लिया कि मुझे अब 3 करोड़ लखपति दीदी के आंकड़ों को पार करना है। और इस ही उद्देश्य से आज 10 हजार करोड़ रुपए की राशि भी, इन दीदियों के खाते में ट्रांसफर की गई है। और मैं आप सभी बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

माताओं-बहनों,

कोई भी देश हो, कोई भी समाज हो, वो नारीशक्ति की गरिमा बढ़ाते हुए, उनके लिए नए अवसर बनाते हुए ही आगे बढ़ सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से देश में पहले जो सरकारें रहीं, उनके लिए आप सभी महिलाओं का जीवन, आपकी मुश्किलें, कभी प्राथमिकताएं नहीं रहीं, और आपको, आपके नसीब पर छोड़ दिया। मेरा अनुभव ये है कि अगर हमारी माताओं-बहनों को थोड़ा अगर अवसर मिल जाए, थोड़ा उनको सहारा मिल जाए तो फिर उनको सहारे की जरूरत नहीं रहती है, वे खुद लोगों का सहारा बन जाती है। औऱ ये मैंने तब ज्यादा महसूस किया, जब लाल किले से मैंने महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करनी शुरू की। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से हमारी माताओं-बहनों को शौचालय ना होने के विषय में जो मुश्किलें होती हैं, उस पीड़ा को मैंने व्यक्त किया था कि कैसे गांव की बहनें, कैसे जिंदगी जीती हैं।

मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से सैनीटरी पैड्स का विषय उठाया था। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से कहा कि रसोई में लकड़ी पर खाना बनाती हमारी माताएं-बहनें 400 सिगरेट का जितना धुआं होता है ना...वो हर रोज बर्दाश्त करती हैं, अपने शरीर में ले जाती हैं। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने घर में नल से जल ना आने पर आप सभी महिलाओं को होने वाली परेशानी का जिक्र किया, इसके लिए जल जीवन मिशन का ऐलान किया। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से हर महिला के पास बैंक खाते होने की जरूरत पर बात कही। मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से आप महिलाओं के खिलाफ बोले जाने वाले अपमानजनक शब्दों का विषय उठाया।

मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने कहा कि बेटी तो अगर देर से घर आती है शाम को तो मां, बाप, भाई सब पूछते हैं कि कहा गई थी, क्यों देर हो गई। लेकिन ये दुर्भाग्य है कि कोई मां-बाप अपना बेटा देर से आता है तो पूछता नहीं कि बेटा कहा गया था, क्यों? बेटे को भी तो पूछो। और ये बात मैंने लाल किले से उठाई थी। और मैं आज देश की हर महिला, हर बहन, हर बेटी को ये बताना चाहता हूं। जब-जब मैंने लाल किले से आपके सशक्तिकरण की बात की, दुर्भाग्य से कांग्रेस जैसे देश के राजनीतिक दल, उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया, मेरा अपमान किया।

साथियों,

मोदी की संवेदनाएं और मोदी की योजनाएं, ये जमीन से जुड़े जीवन के अनुभवों से निकली हैं। बचपन में जो अपने घर में देखा, अपने आस-पास, पड़ोस में देखा, फिर देश के गांव-गांव में अनेक परिवारों के साथ रहकर के अनुभव किया, वही आज मोदी की संवेदनाओं और योजनाओं में झलकता है। इसलिए ये योजनाएं मेरी माताओं-बहनों-बेटियों के जीवन को आसान बनाती हैं, उनकी मुश्किलें कम करती हैं। सिर्फ अपने परिवार के लिए सोचने वाले, परिवारवादी नेताओं को ये बात कतई समझ नहीं आ सकती है। देश की करोड़ों को मुश्किलों से, माताओं-बहनों को मुक्ति दिलाने की सोच, ये हमारी सरकार की अनेक योजनाओं का आधार रही है।

मेरी माताओं-बहनों,

पहले की सरकारों ने एक दो योजनाएं शुरू करने को ही महिला सशक्तिकरण का नाम दे दिया था। मोदी ने इस राजनीतिक सोच को ही बदल दिया। 2014 में सरकार में आने के बाद मैंने आप महिलाओं के जीवन चक्र के हर पड़ाव के लिए योजनाएं बनाईं, उन्हें सफलतापूर्वक लागू किया। आज पहली सांस से लेकर आखिरी सांस तक मोदी कोई ना कोई योजना लेकर के भारत की बहन-बेटियों की सेवा में हाजिर हो जाता है। गर्भ में बेटी की हत्या ना हो, इसके लिए हमने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया। गर्भ की अवस्था में मां को सही पोषण मिले, इसके लिए हर गर्भवती को 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी। जन्म के बाद बेटी को पढ़ाई में मुश्किल ना हो, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा, ज्यादा ब्याज देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की। बड़ी होकर बेटी काम करना चाहे तो आज उसके पास मुद्रा योजना का इतना बड़ा साधन है। बेटी के करियर पर प्रभाव ना पड़े, इसके लिए हमने प्रेगनेंसी लीव को भी बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया। 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान योजना हो, 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवा देने वाले जन औषधि केंद्र हों, इन सबका सबसे ज्यादा लाभ आप माताओं-बहनों-बेटियों को ही तो हो रहा है।

माताओं-बहनों,

मोदी समस्याओं को टालता नहीं, उनसे टकराता है, उनके स्थाई समाधान के लिए काम करता है। मैं जानता हूं कि भारत में महिलाओं को सशक्त करने के लिए हमें उनकी आर्थिक भागीदारी बढ़ानी होगी। इसलिए हमने अपनी सरकार के हर निर्णय में, हर योजना में इस पहलू का ध्यान रखा। मैं आप माताओं-बहनों को एक उदाहरण देता हूं। आप भी जानती हैं कि हमारे यहां, संपत्ति होती थी तो पुरुष के नाम पर होती थी। कोई जमीन खरीदता था...तो पुरुष के नाम पर..कोई दुकान खरीदी जाती थी...तो पुरुष के नाम पर...घर की महिला के नाम पर कुछ भी नहीं होता था? इसलिए हमने पीएम आवास के तहत मिलने वाले घर महिलाओं के नाम रजिस्टर किए। आपने तो खुद देखा है कि पहले नई गाड़ी आती थी, ट्रैक्टर आता था, तो ज्यादातर पुरुष ही चलाते थे। लोग सोचते थे कि कोई बिटिया इसे कैसे चला पाएगी? घर में कोई नया उपकरण आता था, नया टीवी आता था, नया फोन आता था, तो पुरुष ही खुद को उसके स्वाभाविक जानकार मानते थे। उन परिस्थितियों से, उस पुरानी सोच से अब हमारा समाज आगे निकल रहा है। और आज का ये कार्यक्रम इसका एक और उदाहरण बना है कि भारत की कृषि को नई दिशा देने वाली ड्रोन टेक्नोलॉजी की पहली पायलट ये मेरी बेटियां हैं, ये मेरी बहनें हैं।

हमारी बहनें देश को सिखाएंगी कि ड्रोन से आधुनिक खेती कैसे होती है। ड्रोन पायलट, नमो ड्रोन दीदियों का कौशल अभी मैं मैदान में जाकर के देखके आया हूं। मेरा विश्वास है और मैं कुछ दिन पहले ‘मन की बात’ में ऐसे ही एक ड्रोन दीदी से बात करने का मौका मिला था। उसने कहा मैं एक दिन में इतने खेत में काम करती हूं, एक दिन में इतने खेत में, मेरी इतनी कमाई होती है। और बोले मेरा इतना विश्वास बढ़ गया है और गांव में मेरा इतना सम्मान बढ़ गया है, गांव में अब मेरी पहचान बदल गई है। जिसको साइकिल चलाना भी नहीं आता है, उसको गांव वाले पायलट कहकर के बुलाते हैं। मेरा विश्वास है देश की नारीशक्ति, 21वीं सदी के भारत की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व दे सकती है। आज हम स्पेस सेक्टर में देखते हैं, IT सेक्टर में देखते हैं, विज्ञान के क्षेत्र में देखते हैं, कैसे भारत की महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं। और भारत तो महिला कमर्शियल पायलट्स के मामले में दुनिया का नंबर वन देश है। हवाई जहाज उड़ाने वाली बेटियों की संख्या हमारी सबसे ज्यादा है। आसमान में कमर्शियल फ्लाइट हो या खेती किसानी में ड्रोन्स, भारत की बेटियां कहीं भी किसी से भी पीछे नहीं हैं। और इस बार तो 26 जनवरी आपने देखा होगा TV पे, 26 जनवरी के कार्यक्रम में कर्तव्य पथ पर सारा हिन्दुस्तान देख रहा था, नारी-नारी-नारी-नारी की ही ताकत का जलवा था वहां पर।

साथियों,

आने वाले सालों में देश में ड्रोन टेक्नोलॉजी का बहुत विस्तार होने वाला है। छोटी-छोटी मात्रा में दूध-सब्ज़ी और दूसरे उत्पाद अगर नज़दीक के मार्केट तक पहुंचाना हैं, तो ड्रोन एक सशक्त माध्यम बनने वाला है। दवाई की डिलिवरी हो, मेडिकल टेस्ट के सैंपल की डिलिवरी हो, इसमें भी ड्रोन बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। यानि नमो ड्रोन दीदी योजना से जो बहनें ड्रोन पायलट बन रही हैं, उनके लिए भविष्य में अनगिनत संभावनाओं के द्वार खुलने जा रहे हैं।

माताओं-बहनों,

बीते 10 वर्षों में जिस तरह भारत में महिला स्वयं सहायता समूहों का विस्तार हुआ है, वो अपने आप में एक अध्ययन का विषय है। इन महिला स्वयं सहायता समूहों ने भारत में नारी सशक्तिकरण का नया इतिहास रच दिया है। आज इस कार्यक्रम से मैं स्वयं सहायता समूह की हर बहनों को उनका मैं गौरवगान करता हूं, उनको शुभकामनाएं देता हूं। उनकी मेहनत ने महिला स्वयं सहायता समूहों को राष्ट्र निर्माण का प्रमुख समूह बना दिया है। आज स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। बीते 10 वर्षों में हमारी सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का विस्तार ही नहीं किया, बल्कि 98 प्रतिशत समूहों के बैंक अकाउंट भी खुलवाए हैं, यानि करीब-करीब 100 परसेंट। हमारी सरकार ने समूहों को मिलने वाली मदद भी 20 लाख रुपए तक बढ़ा दी है। अभी तक 8 लाख करोड़ से, अब आंकड़ा छोटा नहीं है। आप लोगों के हाथ में 8 लाख करोड़ रूपये से भी अधिक की मदद बैंकों से मेरी इन बहनों के पास पहुंच चुकी है। इतना पैसा, सीधा-सीधा गांव में पहुंचा है, बहनों के पास पहुंचा है। और बहनों का स्वभाव होता है, सबसे बड़ा गुण होता है ‘बचत’ वो बर्बाद नहीं करती वो बचत करती है। और जो बचत की ताकत होती है ना...वो उज्जवल भविष्य की निशानी भी होती है। और मैं जब भी इन दीदियों से बात करता हूं तो ऐसी-ऐसी, नई-नई चीजें बताती है वो, उनका आत्मविश्वास बताता है। यानि, सामान्य मानवी कल्पना नहीं कर सकता है। और जो इतने बड़े स्तर पर गांव में आजकल जो सड़कें बनी हैं, हाईवे बने हैं, इसका लाभ भी इन समूहों को हुआ है। अब लखपति दीदियां, अपने उत्पादों को शहर में जाकर आसानी से बेच पा रही हैं। बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से शहर के लोग भी अब गांवों में जाकर इन समूहों से सीधी खरीद करने लगे हैं। ऐसे ही कारणों से बीते 5 वर्षों में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के सदस्यों की आय में 3 गुना की वृद्धि हुई है।

साथियों,

जिन बहनों को, उनके सपनों को, आकांक्षाओं को सीमित कर दिया गया था, आज वे राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका का विस्तार कर रही हैं। आज गांव-देहात में नए-नए अवसर बन रहे हैं, नए-नए पद बने हैं। आज लाखों की संख्या में बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, मत्स्य सखी और सर्विस सेक्टर से जुड़ी दीदियां, गांवों में सेवाएं दे रही हैं। ये दीदियां, स्वास्थ्य से लेकर डिजिटल इंडिया तक, देश के राष्ट्रीय अभियानों को नई गति दे रही हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान को चलाने वाली 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं और 50 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी भी महिलाएं हैं। सफलताओं की ये श्रंखला ही नारीशक्ति पर मेरे भरोसे को और ज्यादा मजबूत करती है। मैं देश की हर माता-बहन-बेटी को ये विश्वास दिलाता हूं कि हमारा तीसरा कार्यकाल नारीशक्ति के उत्कर्ष का नया अध्याय लिखेगा।

और मैं देखता हूं कि कई बहनें शायद स्वयं सहायता समूह की अपनी मिले, बैठे का छोटा सा आर्थिक कारोबार ऐसा नहीं, कुछ लोग तो मैंने देखा है गांव में बहुत सी चीजें कर रही हैं। खेलकूद स्पर्धाएं कर रही है, स्वयं सहायता समूह बहनों को प्रोत्साहित कर रही हैं। जो बच्चियां पढ़ती हैं, उनको बुलाकर के, लोगों को बुलाकर के उनसे बातचीत करवाती है। खेलकूद में जो बच्चियां गांव में अच्छा काम कर रही हैं, स्वयं सहायता समूह की बहनें उनका स्वागत-सम्मान करती हैं। यानि, मैंने देखा है कि कुछ स्कूलों में इन स्वयं सहायता समूह की बहनों को भाषण के लिए बुलाते हैं, उनको कहते हैं आपका सफलता का कारण बताइए। और स्कूल वाले भी बड़े आतुरतापूर्वक सुनते है बच्चे, टीचर सुनते हैं। यानि एक प्रकार से बहुत बड़ा Revolution आया है। और मैं स्वयं सहायता समूह की दीदी से कहूंगा, मैं अभी एक योजना लाया हूं जैसे ड्रोन दीदी है ना, वो तो मैंने आप ही के चरणों में रख दी है, और मुझे विश्वास है, जिन माताओं-बहनों के चरणों में मैंने ड्रोन रखा है ना, वो माताएं-बहनें ड्रोन को आसमान में तो ले जाएगी, देश के संकल्प को भी इतना ही ऊंचा ले जाएगी।

लेकिन एक योजना ऐसी है जिसमें हमारी स्वयं सहायता समूह की बहनें आगे आए। मैंने एक योजना बनाई है ‘पीएम सूर्यघर’ ये ‘पीएम सूर्यघर’ की विशेषता ये है, एक प्रकार से मुफ्त बिजली की ये योजना है। बिजली का बिल जीरो। अब आप ये काम कर सकते हैं कि नहीं कर सकते? कर सकते हैं कि नहीं कर सकते? सब बताए तो मैं बोलू...कर सकते हैं...पक्का कर सकते हैं। हमने तय किया है कि हर जो परिवार में छत होती है उस पर ‘सोलर पैनल’ लगाना, सूर्य किरण से बिजली पैदा करना, और उस बिजली का घर में उपयोग करना। 300 यूनिट से ज्यादा बिजली का उपयोग करने वाले परिवार बहुत कम होते हैं। पंखा हो, एयर कंडीशन हो, घर में फ्रिज हो, वाशिंग मशीन हो तो 300 यूनिट में गाड़ी चल जाती है। मतलब आपका जीरो बिल आएगा, जीरो बिल। इतना ही नहीं, अगर आपने ज्यादा बिजली पैदा की, आप कहेंगे बिजली पैदा तो बड़े-बड़े कारखाने में बिजली पैदा होती है, बड़े-बड़े अमीर लोग बिजली पैदा कर सकते हैं, हम गरीब क्या कर सकते हैं। यही तो मोदी करता है, अब गरीब भी बिजली पैदा करेगा, अपने घर पर ही बिजली का कारखाना लग जाएगा। और अतिरिक्त जो बिजली बनेगी, वो बिजली सरकार खरीद लेगी। उससे भी हमारी इन बहनों को, परिवार को इनकम होगी।

तो आप ये पीएम सूर्यघर, उसको आप अगर, आपके यहां कॉमन सभी सेंटर में जाएंगे तो वहां पर अप्लाई कर सकते हैं। मैं सब बहनों को कहूंगा स्वयं सहायता समूह की बहनों को कहूंगा कि आप मैदान में आइए और इस योजना को घर-घर पहुंचाइए। आप इसका कारोबार हाथ में ले लीजिए। आप देखिए कितना बड़ा बिजली का काम अब मेरी बहनों के द्वारा हो सकता है और मुझे पूरा विश्वास है, हर घर में जब जीरो यूनिट बिजली का बिल हो जाएगा ना...पूरा जीरो बिल तो वो आपको आशीर्वाद देंगे कि नहीं देंगे। और उनका जो पैसा बचेगा वो अपने परिवार के काम आएगा कि नहीं आएगा। तो ये योजना का सबसे ज्यादा लाभ हमारी स्वयं सहायता समूह की जो बहनें हैं उसका नेतृत्व करके अपने गांव में करवा सकती हैं। और मैंने सरकार को भी कहा है कि जहां-जहां स्वयं सहायता समूह की बहनें इस काम के लिए आगे आती हैं, हम उनको प्राथमिकता देंगे और जीरो बिल बिजली का इस अभियान को भी सफलतापूर्वक मुझे आगे बढ़ाना है। मैं फिर एक बार आपको

बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!