Quote"पीएम-जनमन महाअभियान का लक्ष्य आदिवासी समुदाय के प्रत्येक सदस्य को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करना है"
Quote"आज देश में ऐसी सरकार है जो सबसे पहले निर्धनों के बारे में सोचती है"
Quote"श्री राम की कथा माता शबरी के बिना संभव नहीं"
Quote"मोदी उन लोगों तक पहुंचे जिनकी ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया"
Quote"केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे आकांक्षी जिला कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं"
Quote"आज आदिवासी समाज यह देख और समझ रहा है कि हमारी सरकार आदिवासी संस्कृति और उनके सम्मान के लिए कैसे काम कर रही है"

नमस्कार।

जोहार, राम-राम। इस समय देश में उत्सव का माहौल है। उत्तरायण, मकर संक्रांति, पोंगल, बीहू, कितने ही त्योहारों की उमंग चारों तरफ छाई हुई है। इस उत्साह को आज का ये आयोजन और शानदार, जानदार बना दिया। और आप से बात कर मेरा भी उत्सव बन गया। आज एक ओर जब आयोध्या में दिपावली मनाई जा रही है, तो दूसरी ओर एक लाख अति-पिछड़े मेरे जनजातीय भाई-बहन, जो मेरे परिवार के ही सदस्य हैं। मेरे इन जनजातीय परिवार, अति-पिछड़े जनजातीय परिवार, उनके घर दिवाली मन रही है, ये अपने आप में मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी है। आज उनके बैंक खाते में पक्के घर के लिए पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। मैं इन सभी परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देता हूं, और मुझे ये पुण्य कार्य करने के लिए निमित बनने का अवसर मिलता है, ये भी मेरे जीवन में बहुत आनंद की बात है।

साथियों,

आज, आज से आपके घरों का काम शुरु होने जा रहा है। मुझे विश्वास है कि इस साल की दीपावली आप अपने घरों में जरूर मनाएंगे। तो जल्दी से जल्दी मकान का काम कीजिए, बीच में बारिश आ जाए तो भी अभी से तैयारी कर लिजिए। पक्का कर लिजिए कि इस बार दिवाली अपने पक्के, नए घर में मनानी है। देखिए, अभी कुछ दिनों के बाद 22 जनवरी को रामलला भी अपने भव्य और दिव्य मंदिर में हमें दर्शन देंगे। और मेरा सौभाग्य है कि मुझे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया है, तो ये आप सबके आशीर्वाद से ऐसा सौभाग्य मिलता है। इन दिनों, ये जब इतना बड़ा काम है, आपने इतना बड़ा मुझे दायित्व दिया है, तो मैंने भी 11 दिन व्रत-अनुष्ठान का एक संकल्प किया हुआ है, श्री राम का ध्यान स्मरण कर रहा हूं। और आप तो जानते ही है, जब आप प्रभु राम का स्मरण करेंगे तो माता शबरी की याद आना बहुत स्वाभाविक है।

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साथियों,

श्री राम की कथा माता शबरी के बिना संभव ही नहीं हैं। अयोध्या से जब राम निकले थे, तब तो वो राजकुमार राम थे, लेकिन राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम इस रूप में हमारे सामने आए क्योंकि माता शबरी हो, केवट हो, निषादराज हो, ना जाने कौन-कौन से लोग, जिनके सहयोग, जिनके सानिध्य ने राजकुमार राम को प्रभु राम बना दिया। दशरथ पुत्र राम, दीनबंधु राम तभी बन सके जब उन्होंने आदिवासी माता शबरी के बेर खाए। रामचरित मानस में कहा गया है- कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥ यानी भगवान श्रीराम ने अपने भक्त से सिर्फ भक्ति के संबंध को सबसे बड़ा कहा है। त्रेता में राजाराम की कथा हो या आज की राज कथा, बिना गरीब, बिना वंचित, बिना वनवासी भाई-बहनों के कल्याण के संभव ही नहीं है। इसी सोच के साथ हम लगातार काम कर रहे हैं। हमने 10 साल गरीबों के लिए समर्पित किए, 10 साल में गरीबों को 4 करोड़ से पक्के घर बनाकर दिए हैं। जिनको कभी किसी ने पूछा नहीं, उनको मोदी आज पूछता भी है, पूजता भी है।

साथियों,

सरकार आप तक पहुंचे, सरकार की योजनाएं अति-पिछड़े मेरे जनजातीय भाई-बहन तक पहुंचें, यही पीएम जनमन महाअभियान का उद्देश्य है। और सिर्फ 2 महीने में ही पीएम जनमन महा-अभियान ने वो लक्ष्य हासिल करने शुरू कर दिए हैं, जो पहले कोई नहीं कर सका। मुझे याद है जब ठीक दो महीने पहले भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर सरकार ने ये अभियान शुरू किया था, तो हम सबके सामने चुनौती कितनी बड़ी थी। हमारे अति-पिछड़े मेरे जनजातीय साथी, जो दूर-सुदूर जंगलों में रहते हैं, जो दूर ऊंचे पहाड़ों पर मुश्किल परिस्थितियों में रहते हैं, जो बॉर्डर के, सीमा के क्षेत्रों में रहते हुए दशकों से विकास का इंतजार कर रहे हैं, जिन तक पहुंचना भी सरकारी मशीनरी के लिए बहुत कठिन होता है, उन लोगों तक पहुंचने के लिए इतना बड़ा अभियान हमारी सरकार ने शुरू किया है। और मैं जिले के सभी सरकारी अधिकारी, राज्यों के सरकारी अधिकारी उन सबको सच्चे दिल से बहुत बधाई देता हूं कि इतना बड़ा काम जो 75 साल तक हम नहीं कर पाते थे, अफसरों ने मन बना लिया, मेरी बात का साथ दिया और आज गरीब के घर दिवाली की संभावना पैदा हुई है। देश में बहुत से लोग कल्पना तक नहीं कर सकते कि हमारे ये भाई-बहन कितनी कठिनाइयों में रहते हैं। प्रदूषित पानी की वजह से आप लोग कैसी-कैसी बीमारियों का शिकार होते हैं, आपके बच्चों पर संकट रहा है, इस पर जितना ध्यान देना चाहिए, उतना नहीं दिया गया। बिजली नहीं होने से कभी सांप, कभी बिच्छू, कभी जंगली जानवर का खतरा...गैस कनेक्शन ना होने से रसोई में लकड़ी के धुएं से होने वाला नुकसान...गांव तक सड़क ना होने से कहीं पर भी आना-जाना बहुत बड़ा सिरदर्द होता था। इस संकट, इस परेशानी से ही तो मुझे अपने इन गरीब जनजातीय भाई-बहनों को बाहर निकालना है। अब ऐसी मुसीबतों में आपके मां-बाप को रहना पड़ा, आपके पूर्वजों को रहना पड़ा, मैं आपको ऐसी मुसीबत में रहने नहीं दूंगा। आपके आने वाले पीढ़ी के लिए भी ऐसी मुसीबत में जीना पड़े ये स्थिति हमें मंजूर नहीं है। और आप जानते हैं, इस अभियान का नाम जनमन क्यों रखा गया है? जन मतलब आप सभी जनता जनार्दन...जो मेरे लिए ईश्वर का रूप है। आप सभी जनजातीय भाई-बहन और मन यानि आपके मन की बात। अब मन मारकर नहीं रहना है, अब आपके मन की बात पूरी होगी और इसके लिए सरकार ने भी मन बना लिया है, ठान लिया है। इसलिए सरकार, पीएम जनमन महा-अभियान पर 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

साथियों,

हमारे देश का विकास तभी हो सकता है जब समाज में कोई छूटे नहीं, हर किसी तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे। हमारे अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के भाई-बहन देश के करीब-करीब 190 जिलों में रहते हैं। सिर्फ दो महीने के भीतर सरकार ने ऐसे 80 हजार से ज्यादा अति-पिछड़े मेरे जनजातीय परिवारजन, मेरे भाई-बहनों को खोज कर के उन्हें आयुष्मान कार्ड दिया, जो अब तक उन तक पहुंचा ही नहीं था। इसी तरह सरकार ने अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के करीब 30 हजार किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि से जोड़ा है। इस अभियान के दौरान 40 हजार ऐसे साथी भी मिले, जिनके पास अब तक बैंक खाता ही नहीं था। अब सरकार ने इनके बैंक खाते भी खुलवाए है। ऐसे ही 30 हजार से ज्यादा वंचितों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं, करीब 11 हजार को वन अधिकार एक्ट के तहत जमीन के पट्टे दिए गए हैं। और ये आंकड़े अभी पिछले दो महीनों के ही हैं। अभी तो हर दिन इस संख्या में वृद्धि हो रही है। सरकार पूरी ताकत लगा रही है कि हमारे अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहनों तक सरकार की हर योजना जल्द से जल्द पहुंचे। मेरा कोई अति-पिछड़ा भाई-बहन अब सरकार की योजना के लाभ से छूटेगा नहीं। मैं आपको ये विश्वास दिलाता हूं और ये मोदी की गारंटी है। और आप जानते हैं कि मोदी की गारंटी यानि गारंटी पूरा होने की गारंटी।

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साथियों,

इसी कड़ी में आज आप सभी अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहनों को पक्के मकान देने की शुरुआत हुई है। अभी इस कार्यक्रम में एक लाख जनजातीय लाभार्थियों के बैंक खातों में पक्के घर बनाने के लिए सरकार ने सीधे पैसे ट्रांसफर किए हैं। आपको अपना घर बनाने के लिए लगभग एक-एक घर के लिए ढाई लाख रुपए सरकार से मिलेंगे। और हां, बस घर ही नहीं मिलेगा, इतने से बात रूकने वाली नहीं है, बिजली का कनेक्शन मिलेगा ताकि आपके बच्चे पढ़ सकें, आपके सपने पूरे हो सकें। आपके नए घर में साफ पानी की व्यवस्था हो ताकि कोई बीमारी हमारे घर में ना आए, और वो कनेक्शन भी मुफ्त दिया जाएगा। माताओं बहनों को बाहर खुले में शौच जाना पड़ता है, उनके लिए वो कितनी मुसीबत होती है, अंधेरे का इंतजार करना पड़े, सुबह सूरज निकलने से पहले जाना पड़े, और सम्मान को भी चोट पहुंचे। हर मेरी माताओं-बहनों को सम्मान मिले इसलिए हर घर में शौचालय भी होगा। खाना बनाने के लिए रसोई गैस का कनेक्शन भी होगा। और ये सब कुछ मकान तो मिलेगा ही, साथ-साथ ये व्यवस्थाएं भी मिलेंगी। और मेरी माताएं-बहने जरा सुनिए ये तो अभी शुरूआत हुई है। आज 1 लाख लाभार्थियों को अपने घर का पैसा मिला है। एक-एक कर हर लाभार्थी तक, चाहे वो कितनी भी दूर क्यों ना हो, हमारी सरकार उस तक जरूर पहुंचेगी। और ये जब मैं कह रहा हूं तो मैं फिर एक बार आपको कहता हूं ये मोदी की गारंटी है। और आज मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से आप सबको, हर अति-पिछड़े जनजातीय लाभार्थी को एक और भरोसा देना चाहता हूं। आपको अपना घर बनाने के लिए, इसका पैसा पाने के लिए किसी को भी एक भी रुपए नहीं देना है। कोई भी आपसे पैसे मांगे, तो पैसा केंद्र सरकार भेज रही है उसमें से हिस्सा मांगे, तो आप एक भी रुपया किसी को मत देना।

मेरे भाइयों-बहनों,

ये पैसों पर हक आपका है, कोई बिचौलिए का नहीं है। मेरी बहनों और भाइयों मेरे जीवन का बहुत लंबा वक्त आप सभी मेरे आदिवासी भाई-बहनों के बीच गुजरा है। मुझे आपके बीच रहने का सौभाग्य मिला है, शहरों-कस्बों से दूर, घनी आबादी से दूर रहते हुए आप सब जनजातीय लोग जिस तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं, इसका मुझे भली-भांति एहसास है। पीएम जनमन महाअभियान शुरू करने में मुझे इन अनुभवों से बहुत मदद मिली। इसके उपरांत, इस अभियान को शुरू करने में मुझे बहुत बड़ा मार्गदर्शन, हमारे देश की राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी से मिला है। हमारी राष्ट्रपति आदरणीय द्रोपदी मुर्मू जी, आप आदिवासी भाई-बहनों के बीच से ही आई हैं। उन्होंने भी आप लोगों के बीच पूरा जीवन बिताया है। उनसे मुलाकात के दौरान वो अक्सर मुझसे आप सभी लोगों के बारे में विस्तार से बताया करती थीं। और इसलिए ही हमने पीएम जनमन महाअभियान शुरू करके आपको हर परेशानी से मुक्त करने का संकल्प लिया है।

मेरे परिवारजनों,

आज देश में वो सरकार है जो सबसे पहले आप के बारे में, आप जैसे मेरे गरीब भाई-बहनों के बारे में, दूर-सुदूर जंगलों में रहने वाले मेरे भाई-बहनों के बारे में सोचती है। आज देश में वो सरकार है जो गरीबों की मुश्किलें कम करने के लिए काम करती है। जिनके पास कुछ नहीं है सबसे पहले हम उनके सुख-दुख की चिंता कर रहे हैं, जिसका कोई नहीं मोदी उसके लिए खड़ा है। पहले सरकारी योजनाओँ से जुड़े नियम इतने कठिन होते थे कि योजनाओं का पैसा और योजनाओं का लाभ आप तक पहुंच ही नहीं पाता था। और एक दिक्कत ये थी कि योजना कागजों पर चलती रहती थी और असली लाभार्थी को ये पता ही नहीं चलता था कि ऐसी कोई योजना शुरू भी हुई है। जिसको योजना का पता चल भी जाता था, उसे लाभ पाने के लिए कितनी मुश्किलें आती थीं। यहां अगूंठा लगाओ, फलाने के साइन लाओ.. ये पर्चा दिखाओ, आज नहीं कल आओ...ना जाने क्या-क्या सुनना पड़ता था। अब पीएम जनमन महाअभियान में हमारी सरकार ने ऐसे सभी नियम बदल दिए हैं जिससे आपको परेशानी होती थी। पिछड़ी जनजातियों के गांवों तक आसानी से सड़क बने, इसके लिए सरकार ने पीएम ग्राम सड़क योजना के नियम बदल दिए। जब सड़कें बनती हैं तो स्कूल जाना भी आसान हो जाता है। बीमारी के समय कोई मुसीबत आ जाए, अस्पताल पहुंचना है तो अगर रास्ता है तो जिंदगी बच जाती है। सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट से जुड़ा नियम भी बदल दिया। पिछड़ी जनजातियों के हर परिवार तक बिजली पहुंचे, इसके लिए विशेष तौर पर उन्हें सौलर पावर वाले कनेक्शन दिए जा रहे हैं। आपके क्षेत्र में युवाओं को, दूसरे लोगों को तेज इंटरनेट कनेक्शन मिलता रहे, इसके लिए सैकड़ों नए मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं।

साथियों,

हम अब जो कर रहें है उसमें आपकी हर चिंता का खयाल रखा जा रहा है। आपको भोजन की दिक्कत ना हो इसके लिए अब मुफ्त राशन वाली योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। आपके बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो सके, वो कुछ काम सीख सकें और अपना जीवन अच्छा कर सकें, उन्हें नौकरी मिल जाए, इन सबके लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। जनजातीय इलाकों में सरकार की सुविधाएं एक ही इमारत में देना भी उतना ही जरूरी होता है। इसलिए सरकार की कोशिश ऐसे एक हजार केंद्र बनाने की है जहां एक ही जगह आपको कई योजनाओं का लाभ मिल जाए। टीका लगाने का काम हो, दवाइयां लेनी हो, डॉक्टर को दिखाना हो, रोजगार-स्वरोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग हो, आँगनवाड़ी भी वहीं हो तो आपको इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। पिछड़ी जनजातियों के नौजवान अच्छे से पढ़ाई कर सकें, इसके लिए सरकार, नए हॉस्टल बनवा रही है। पिछड़ी जनजातियों के लिए सैकड़ों नए वन-धन विकास केन्द्रों को भी बनाने का काम शुरू किया जा रहा है।

मेरे परिवारजनों,

आजकल आप देख रहे हैं कि मोदी की गारंटी वाली गाड़ी, गांव-गांव पहुंच रही है। ये गाड़ी देश के आप जैसे लोगों को, विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के लिए ही चलाई जा रही है। केंद्र सरकार जो आकांक्षी जिला, Aspirational District Programme चला रही है उसका सबसे बड़ा लाभ हमारे आदिवासी भाई-बहनों को ही मिला है। हमने आदिवासी इलाक़ो तक बिजली और सड़क पहुंचायी। हमने ऐसी व्यवस्था की है कि एक राज्य का राशन कार्ड दूसरे राज्य में भी चल जाए। ऐसे ही आयुष्मान भारत योजना है। इस योजना के तहत आपको देश भर में कहीं पर भी मुफ्त इलाज़ मिलेगा ही मिलेगा।

साथियों,

सिकल सेल अनीमिया के खतरों से आप सभी अच्छी तरह परिचित हैं। इस बीमारी से आदिवासी समाज की कई-कई पीढ़ियां प्रभावित रहीं हैं। अब सरकार कोशिश में जुटी है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली ये बीमारी जड़ से ही समाप्त हो। इसलिए हमारी सरकार ने देश भर में एक अभियान शुरु किया है। इसलिए विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी सिकल सेल की जांच की जा रही है। पिछले 2 महीनों में 40 लाख से ज्यादा लोगों का सिकल सेल परीक्षण किया जा चुका है।

मेरे परिवारजनों,

हमारी सरकार, अपने जनजातीय भाई-बहनों के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही। अनुसूचित जनजाति से जुड़ी योजनाओं का बजट हमारी सरकार ने 5 गुना ज्यादा बढ़ा दिया है। आपके बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले जो छात्रवृत्ति मिलती थी, अब उसका कुल बजट भी ढाई गुना से ज्यादा कर दिया गया है। 10 साल पहले तक हमारे देश में आदिवासी बच्चों के लिए केवल 90 एकलव्य मॉडल स्कूल थे। जबकि हमने बीते 10 साल में 500 से ज्यादा नए एकलव्य मॉडल स्कूल बनाने का काम शुरू किया है। आदिवासी बच्चे सिर्फ स्कूली पढ़ाई करके रुक जाएं, ये सही नहीं। अति-पिछड़े जनजातीय समाज के बच्चे जब MA, BA और बड़ी क्लास की पढ़ाई पूरी करेंगे, बड़ी कंपनियों में काम करने के लिए जिस पढ़ाई की ज़रूरत होती है वो पढ़ाई करेंगे तब हमारे लिए खुशी की बात होगी। इसके लिए आदिवासी इलाकों में कक्षाओं को आधुनिक बनाया जा रहा है, उच्च शिक्षा के केंद्र बढ़ाए जा रहे हैं।

साथियों,

पूरे आदिवासी समाज की आमदनी कैसे बढ़े, income कैसे बढ़े, इसके लिए हम हर स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। आदिवासी साथियों के लिए वन-उपज बहुत बड़ा सहारा है। 2014 से पहले करीब 10 वन उपजों के लिए ही MSP तय की जाती थी। हम लगभग 90 वन उपजों को MSP के दायरे में लाए हैं। वन उपजों के अधिक से अधिक दाम मिले, इसके लिए हमने वनधन योजना बनाई। आज इस योजना के लाखों लाभार्थियों में बहुत बड़ी संख्या बहनों की है। बीते 10 वर्षों में आदिवासी परिवारों को 23 लाख पट्टे जारी किए जा चुके हैं। हम जनजातीय समुदाय के हाट बाजार को भी बढ़ावा दे रहे हैं। हमारे आदिवासी भाई जो सामान हाट-बाजार में बेचते हैं, वही सामान वो देश के दूसरे बाजारों में भी बेच पाएं इसके लिए भी कई अभियान चलाए जा रहे हैं।

साथियों,

मेरे आदिवासी भाई बहन, भले ही दूर दराज के इलाक़ों में रहते हों लेकिन दूरदृष्टि कमाल की होती है, अभी-अभी हमने अनुभव किया जिन लोगों से बात किया। आज आदिवासी समाज देख और समझ रहा है कि कैसे हमारी सरकार जनजातीय संस्कृति और उनके सम्मान के लिए काम कर रही है। हमारी ही सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया। हमारी ही सरकार पूरे देश में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के 10 बड़े संग्रहालय बना रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपके मान-सम्मान, आपके सुख-सुविधा के लिए हम ऐसे ही पूरे समर्पण भाव से लगातार काम करते हैं, करते रहेंगे। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप मेरे आदिवासी भाई-बहन मुझे आशीर्वाद देने आए, ऐसा लग रहा है जैसे माता शबरी के आशीर्वाद मुझे मिल रहे हैं। मैं आप सबको प्रणाम करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद !

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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
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QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
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QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!