"पीएम-जनमन महाअभियान का लक्ष्य आदिवासी समुदाय के प्रत्येक सदस्य को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करना है"
"आज देश में ऐसी सरकार है जो सबसे पहले निर्धनों के बारे में सोचती है"
"श्री राम की कथा माता शबरी के बिना संभव नहीं"
"मोदी उन लोगों तक पहुंचे जिनकी ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया"
"केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे आकांक्षी जिला कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं"
"आज आदिवासी समाज यह देख और समझ रहा है कि हमारी सरकार आदिवासी संस्कृति और उनके सम्मान के लिए कैसे काम कर रही है"

नमस्कार।

जोहार, राम-राम। इस समय देश में उत्सव का माहौल है। उत्तरायण, मकर संक्रांति, पोंगल, बीहू, कितने ही त्योहारों की उमंग चारों तरफ छाई हुई है। इस उत्साह को आज का ये आयोजन और शानदार, जानदार बना दिया। और आप से बात कर मेरा भी उत्सव बन गया। आज एक ओर जब आयोध्या में दिपावली मनाई जा रही है, तो दूसरी ओर एक लाख अति-पिछड़े मेरे जनजातीय भाई-बहन, जो मेरे परिवार के ही सदस्य हैं। मेरे इन जनजातीय परिवार, अति-पिछड़े जनजातीय परिवार, उनके घर दिवाली मन रही है, ये अपने आप में मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी है। आज उनके बैंक खाते में पक्के घर के लिए पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। मैं इन सभी परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देता हूं, और मुझे ये पुण्य कार्य करने के लिए निमित बनने का अवसर मिलता है, ये भी मेरे जीवन में बहुत आनंद की बात है।

साथियों,

आज, आज से आपके घरों का काम शुरु होने जा रहा है। मुझे विश्वास है कि इस साल की दीपावली आप अपने घरों में जरूर मनाएंगे। तो जल्दी से जल्दी मकान का काम कीजिए, बीच में बारिश आ जाए तो भी अभी से तैयारी कर लिजिए। पक्का कर लिजिए कि इस बार दिवाली अपने पक्के, नए घर में मनानी है। देखिए, अभी कुछ दिनों के बाद 22 जनवरी को रामलला भी अपने भव्य और दिव्य मंदिर में हमें दर्शन देंगे। और मेरा सौभाग्य है कि मुझे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया है, तो ये आप सबके आशीर्वाद से ऐसा सौभाग्य मिलता है। इन दिनों, ये जब इतना बड़ा काम है, आपने इतना बड़ा मुझे दायित्व दिया है, तो मैंने भी 11 दिन व्रत-अनुष्ठान का एक संकल्प किया हुआ है, श्री राम का ध्यान स्मरण कर रहा हूं। और आप तो जानते ही है, जब आप प्रभु राम का स्मरण करेंगे तो माता शबरी की याद आना बहुत स्वाभाविक है।

साथियों,

श्री राम की कथा माता शबरी के बिना संभव ही नहीं हैं। अयोध्या से जब राम निकले थे, तब तो वो राजकुमार राम थे, लेकिन राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम इस रूप में हमारे सामने आए क्योंकि माता शबरी हो, केवट हो, निषादराज हो, ना जाने कौन-कौन से लोग, जिनके सहयोग, जिनके सानिध्य ने राजकुमार राम को प्रभु राम बना दिया। दशरथ पुत्र राम, दीनबंधु राम तभी बन सके जब उन्होंने आदिवासी माता शबरी के बेर खाए। रामचरित मानस में कहा गया है- कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥ यानी भगवान श्रीराम ने अपने भक्त से सिर्फ भक्ति के संबंध को सबसे बड़ा कहा है। त्रेता में राजाराम की कथा हो या आज की राज कथा, बिना गरीब, बिना वंचित, बिना वनवासी भाई-बहनों के कल्याण के संभव ही नहीं है। इसी सोच के साथ हम लगातार काम कर रहे हैं। हमने 10 साल गरीबों के लिए समर्पित किए, 10 साल में गरीबों को 4 करोड़ से पक्के घर बनाकर दिए हैं। जिनको कभी किसी ने पूछा नहीं, उनको मोदी आज पूछता भी है, पूजता भी है।

साथियों,

सरकार आप तक पहुंचे, सरकार की योजनाएं अति-पिछड़े मेरे जनजातीय भाई-बहन तक पहुंचें, यही पीएम जनमन महाअभियान का उद्देश्य है। और सिर्फ 2 महीने में ही पीएम जनमन महा-अभियान ने वो लक्ष्य हासिल करने शुरू कर दिए हैं, जो पहले कोई नहीं कर सका। मुझे याद है जब ठीक दो महीने पहले भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर सरकार ने ये अभियान शुरू किया था, तो हम सबके सामने चुनौती कितनी बड़ी थी। हमारे अति-पिछड़े मेरे जनजातीय साथी, जो दूर-सुदूर जंगलों में रहते हैं, जो दूर ऊंचे पहाड़ों पर मुश्किल परिस्थितियों में रहते हैं, जो बॉर्डर के, सीमा के क्षेत्रों में रहते हुए दशकों से विकास का इंतजार कर रहे हैं, जिन तक पहुंचना भी सरकारी मशीनरी के लिए बहुत कठिन होता है, उन लोगों तक पहुंचने के लिए इतना बड़ा अभियान हमारी सरकार ने शुरू किया है। और मैं जिले के सभी सरकारी अधिकारी, राज्यों के सरकारी अधिकारी उन सबको सच्चे दिल से बहुत बधाई देता हूं कि इतना बड़ा काम जो 75 साल तक हम नहीं कर पाते थे, अफसरों ने मन बना लिया, मेरी बात का साथ दिया और आज गरीब के घर दिवाली की संभावना पैदा हुई है। देश में बहुत से लोग कल्पना तक नहीं कर सकते कि हमारे ये भाई-बहन कितनी कठिनाइयों में रहते हैं। प्रदूषित पानी की वजह से आप लोग कैसी-कैसी बीमारियों का शिकार होते हैं, आपके बच्चों पर संकट रहा है, इस पर जितना ध्यान देना चाहिए, उतना नहीं दिया गया। बिजली नहीं होने से कभी सांप, कभी बिच्छू, कभी जंगली जानवर का खतरा...गैस कनेक्शन ना होने से रसोई में लकड़ी के धुएं से होने वाला नुकसान...गांव तक सड़क ना होने से कहीं पर भी आना-जाना बहुत बड़ा सिरदर्द होता था। इस संकट, इस परेशानी से ही तो मुझे अपने इन गरीब जनजातीय भाई-बहनों को बाहर निकालना है। अब ऐसी मुसीबतों में आपके मां-बाप को रहना पड़ा, आपके पूर्वजों को रहना पड़ा, मैं आपको ऐसी मुसीबत में रहने नहीं दूंगा। आपके आने वाले पीढ़ी के लिए भी ऐसी मुसीबत में जीना पड़े ये स्थिति हमें मंजूर नहीं है। और आप जानते हैं, इस अभियान का नाम जनमन क्यों रखा गया है? जन मतलब आप सभी जनता जनार्दन...जो मेरे लिए ईश्वर का रूप है। आप सभी जनजातीय भाई-बहन और मन यानि आपके मन की बात। अब मन मारकर नहीं रहना है, अब आपके मन की बात पूरी होगी और इसके लिए सरकार ने भी मन बना लिया है, ठान लिया है। इसलिए सरकार, पीएम जनमन महा-अभियान पर 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

साथियों,

हमारे देश का विकास तभी हो सकता है जब समाज में कोई छूटे नहीं, हर किसी तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे। हमारे अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के भाई-बहन देश के करीब-करीब 190 जिलों में रहते हैं। सिर्फ दो महीने के भीतर सरकार ने ऐसे 80 हजार से ज्यादा अति-पिछड़े मेरे जनजातीय परिवारजन, मेरे भाई-बहनों को खोज कर के उन्हें आयुष्मान कार्ड दिया, जो अब तक उन तक पहुंचा ही नहीं था। इसी तरह सरकार ने अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के करीब 30 हजार किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि से जोड़ा है। इस अभियान के दौरान 40 हजार ऐसे साथी भी मिले, जिनके पास अब तक बैंक खाता ही नहीं था। अब सरकार ने इनके बैंक खाते भी खुलवाए है। ऐसे ही 30 हजार से ज्यादा वंचितों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं, करीब 11 हजार को वन अधिकार एक्ट के तहत जमीन के पट्टे दिए गए हैं। और ये आंकड़े अभी पिछले दो महीनों के ही हैं। अभी तो हर दिन इस संख्या में वृद्धि हो रही है। सरकार पूरी ताकत लगा रही है कि हमारे अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहनों तक सरकार की हर योजना जल्द से जल्द पहुंचे। मेरा कोई अति-पिछड़ा भाई-बहन अब सरकार की योजना के लाभ से छूटेगा नहीं। मैं आपको ये विश्वास दिलाता हूं और ये मोदी की गारंटी है। और आप जानते हैं कि मोदी की गारंटी यानि गारंटी पूरा होने की गारंटी।

साथियों,

इसी कड़ी में आज आप सभी अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहनों को पक्के मकान देने की शुरुआत हुई है। अभी इस कार्यक्रम में एक लाख जनजातीय लाभार्थियों के बैंक खातों में पक्के घर बनाने के लिए सरकार ने सीधे पैसे ट्रांसफर किए हैं। आपको अपना घर बनाने के लिए लगभग एक-एक घर के लिए ढाई लाख रुपए सरकार से मिलेंगे। और हां, बस घर ही नहीं मिलेगा, इतने से बात रूकने वाली नहीं है, बिजली का कनेक्शन मिलेगा ताकि आपके बच्चे पढ़ सकें, आपके सपने पूरे हो सकें। आपके नए घर में साफ पानी की व्यवस्था हो ताकि कोई बीमारी हमारे घर में ना आए, और वो कनेक्शन भी मुफ्त दिया जाएगा। माताओं बहनों को बाहर खुले में शौच जाना पड़ता है, उनके लिए वो कितनी मुसीबत होती है, अंधेरे का इंतजार करना पड़े, सुबह सूरज निकलने से पहले जाना पड़े, और सम्मान को भी चोट पहुंचे। हर मेरी माताओं-बहनों को सम्मान मिले इसलिए हर घर में शौचालय भी होगा। खाना बनाने के लिए रसोई गैस का कनेक्शन भी होगा। और ये सब कुछ मकान तो मिलेगा ही, साथ-साथ ये व्यवस्थाएं भी मिलेंगी। और मेरी माताएं-बहने जरा सुनिए ये तो अभी शुरूआत हुई है। आज 1 लाख लाभार्थियों को अपने घर का पैसा मिला है। एक-एक कर हर लाभार्थी तक, चाहे वो कितनी भी दूर क्यों ना हो, हमारी सरकार उस तक जरूर पहुंचेगी। और ये जब मैं कह रहा हूं तो मैं फिर एक बार आपको कहता हूं ये मोदी की गारंटी है। और आज मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से आप सबको, हर अति-पिछड़े जनजातीय लाभार्थी को एक और भरोसा देना चाहता हूं। आपको अपना घर बनाने के लिए, इसका पैसा पाने के लिए किसी को भी एक भी रुपए नहीं देना है। कोई भी आपसे पैसे मांगे, तो पैसा केंद्र सरकार भेज रही है उसमें से हिस्सा मांगे, तो आप एक भी रुपया किसी को मत देना।

मेरे भाइयों-बहनों,

ये पैसों पर हक आपका है, कोई बिचौलिए का नहीं है। मेरी बहनों और भाइयों मेरे जीवन का बहुत लंबा वक्त आप सभी मेरे आदिवासी भाई-बहनों के बीच गुजरा है। मुझे आपके बीच रहने का सौभाग्य मिला है, शहरों-कस्बों से दूर, घनी आबादी से दूर रहते हुए आप सब जनजातीय लोग जिस तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं, इसका मुझे भली-भांति एहसास है। पीएम जनमन महाअभियान शुरू करने में मुझे इन अनुभवों से बहुत मदद मिली। इसके उपरांत, इस अभियान को शुरू करने में मुझे बहुत बड़ा मार्गदर्शन, हमारे देश की राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी से मिला है। हमारी राष्ट्रपति आदरणीय द्रोपदी मुर्मू जी, आप आदिवासी भाई-बहनों के बीच से ही आई हैं। उन्होंने भी आप लोगों के बीच पूरा जीवन बिताया है। उनसे मुलाकात के दौरान वो अक्सर मुझसे आप सभी लोगों के बारे में विस्तार से बताया करती थीं। और इसलिए ही हमने पीएम जनमन महाअभियान शुरू करके आपको हर परेशानी से मुक्त करने का संकल्प लिया है।

मेरे परिवारजनों,

आज देश में वो सरकार है जो सबसे पहले आप के बारे में, आप जैसे मेरे गरीब भाई-बहनों के बारे में, दूर-सुदूर जंगलों में रहने वाले मेरे भाई-बहनों के बारे में सोचती है। आज देश में वो सरकार है जो गरीबों की मुश्किलें कम करने के लिए काम करती है। जिनके पास कुछ नहीं है सबसे पहले हम उनके सुख-दुख की चिंता कर रहे हैं, जिसका कोई नहीं मोदी उसके लिए खड़ा है। पहले सरकारी योजनाओँ से जुड़े नियम इतने कठिन होते थे कि योजनाओं का पैसा और योजनाओं का लाभ आप तक पहुंच ही नहीं पाता था। और एक दिक्कत ये थी कि योजना कागजों पर चलती रहती थी और असली लाभार्थी को ये पता ही नहीं चलता था कि ऐसी कोई योजना शुरू भी हुई है। जिसको योजना का पता चल भी जाता था, उसे लाभ पाने के लिए कितनी मुश्किलें आती थीं। यहां अगूंठा लगाओ, फलाने के साइन लाओ.. ये पर्चा दिखाओ, आज नहीं कल आओ...ना जाने क्या-क्या सुनना पड़ता था। अब पीएम जनमन महाअभियान में हमारी सरकार ने ऐसे सभी नियम बदल दिए हैं जिससे आपको परेशानी होती थी। पिछड़ी जनजातियों के गांवों तक आसानी से सड़क बने, इसके लिए सरकार ने पीएम ग्राम सड़क योजना के नियम बदल दिए। जब सड़कें बनती हैं तो स्कूल जाना भी आसान हो जाता है। बीमारी के समय कोई मुसीबत आ जाए, अस्पताल पहुंचना है तो अगर रास्ता है तो जिंदगी बच जाती है। सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट से जुड़ा नियम भी बदल दिया। पिछड़ी जनजातियों के हर परिवार तक बिजली पहुंचे, इसके लिए विशेष तौर पर उन्हें सौलर पावर वाले कनेक्शन दिए जा रहे हैं। आपके क्षेत्र में युवाओं को, दूसरे लोगों को तेज इंटरनेट कनेक्शन मिलता रहे, इसके लिए सैकड़ों नए मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं।

साथियों,

हम अब जो कर रहें है उसमें आपकी हर चिंता का खयाल रखा जा रहा है। आपको भोजन की दिक्कत ना हो इसके लिए अब मुफ्त राशन वाली योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। आपके बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो सके, वो कुछ काम सीख सकें और अपना जीवन अच्छा कर सकें, उन्हें नौकरी मिल जाए, इन सबके लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। जनजातीय इलाकों में सरकार की सुविधाएं एक ही इमारत में देना भी उतना ही जरूरी होता है। इसलिए सरकार की कोशिश ऐसे एक हजार केंद्र बनाने की है जहां एक ही जगह आपको कई योजनाओं का लाभ मिल जाए। टीका लगाने का काम हो, दवाइयां लेनी हो, डॉक्टर को दिखाना हो, रोजगार-स्वरोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग हो, आँगनवाड़ी भी वहीं हो तो आपको इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। पिछड़ी जनजातियों के नौजवान अच्छे से पढ़ाई कर सकें, इसके लिए सरकार, नए हॉस्टल बनवा रही है। पिछड़ी जनजातियों के लिए सैकड़ों नए वन-धन विकास केन्द्रों को भी बनाने का काम शुरू किया जा रहा है।

मेरे परिवारजनों,

आजकल आप देख रहे हैं कि मोदी की गारंटी वाली गाड़ी, गांव-गांव पहुंच रही है। ये गाड़ी देश के आप जैसे लोगों को, विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के लिए ही चलाई जा रही है। केंद्र सरकार जो आकांक्षी जिला, Aspirational District Programme चला रही है उसका सबसे बड़ा लाभ हमारे आदिवासी भाई-बहनों को ही मिला है। हमने आदिवासी इलाक़ो तक बिजली और सड़क पहुंचायी। हमने ऐसी व्यवस्था की है कि एक राज्य का राशन कार्ड दूसरे राज्य में भी चल जाए। ऐसे ही आयुष्मान भारत योजना है। इस योजना के तहत आपको देश भर में कहीं पर भी मुफ्त इलाज़ मिलेगा ही मिलेगा।

साथियों,

सिकल सेल अनीमिया के खतरों से आप सभी अच्छी तरह परिचित हैं। इस बीमारी से आदिवासी समाज की कई-कई पीढ़ियां प्रभावित रहीं हैं। अब सरकार कोशिश में जुटी है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली ये बीमारी जड़ से ही समाप्त हो। इसलिए हमारी सरकार ने देश भर में एक अभियान शुरु किया है। इसलिए विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी सिकल सेल की जांच की जा रही है। पिछले 2 महीनों में 40 लाख से ज्यादा लोगों का सिकल सेल परीक्षण किया जा चुका है।

मेरे परिवारजनों,

हमारी सरकार, अपने जनजातीय भाई-बहनों के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही। अनुसूचित जनजाति से जुड़ी योजनाओं का बजट हमारी सरकार ने 5 गुना ज्यादा बढ़ा दिया है। आपके बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले जो छात्रवृत्ति मिलती थी, अब उसका कुल बजट भी ढाई गुना से ज्यादा कर दिया गया है। 10 साल पहले तक हमारे देश में आदिवासी बच्चों के लिए केवल 90 एकलव्य मॉडल स्कूल थे। जबकि हमने बीते 10 साल में 500 से ज्यादा नए एकलव्य मॉडल स्कूल बनाने का काम शुरू किया है। आदिवासी बच्चे सिर्फ स्कूली पढ़ाई करके रुक जाएं, ये सही नहीं। अति-पिछड़े जनजातीय समाज के बच्चे जब MA, BA और बड़ी क्लास की पढ़ाई पूरी करेंगे, बड़ी कंपनियों में काम करने के लिए जिस पढ़ाई की ज़रूरत होती है वो पढ़ाई करेंगे तब हमारे लिए खुशी की बात होगी। इसके लिए आदिवासी इलाकों में कक्षाओं को आधुनिक बनाया जा रहा है, उच्च शिक्षा के केंद्र बढ़ाए जा रहे हैं।

साथियों,

पूरे आदिवासी समाज की आमदनी कैसे बढ़े, income कैसे बढ़े, इसके लिए हम हर स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। आदिवासी साथियों के लिए वन-उपज बहुत बड़ा सहारा है। 2014 से पहले करीब 10 वन उपजों के लिए ही MSP तय की जाती थी। हम लगभग 90 वन उपजों को MSP के दायरे में लाए हैं। वन उपजों के अधिक से अधिक दाम मिले, इसके लिए हमने वनधन योजना बनाई। आज इस योजना के लाखों लाभार्थियों में बहुत बड़ी संख्या बहनों की है। बीते 10 वर्षों में आदिवासी परिवारों को 23 लाख पट्टे जारी किए जा चुके हैं। हम जनजातीय समुदाय के हाट बाजार को भी बढ़ावा दे रहे हैं। हमारे आदिवासी भाई जो सामान हाट-बाजार में बेचते हैं, वही सामान वो देश के दूसरे बाजारों में भी बेच पाएं इसके लिए भी कई अभियान चलाए जा रहे हैं।

साथियों,

मेरे आदिवासी भाई बहन, भले ही दूर दराज के इलाक़ों में रहते हों लेकिन दूरदृष्टि कमाल की होती है, अभी-अभी हमने अनुभव किया जिन लोगों से बात किया। आज आदिवासी समाज देख और समझ रहा है कि कैसे हमारी सरकार जनजातीय संस्कृति और उनके सम्मान के लिए काम कर रही है। हमारी ही सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया। हमारी ही सरकार पूरे देश में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के 10 बड़े संग्रहालय बना रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपके मान-सम्मान, आपके सुख-सुविधा के लिए हम ऐसे ही पूरे समर्पण भाव से लगातार काम करते हैं, करते रहेंगे। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप मेरे आदिवासी भाई-बहन मुझे आशीर्वाद देने आए, ऐसा लग रहा है जैसे माता शबरी के आशीर्वाद मुझे मिल रहे हैं। मैं आप सबको प्रणाम करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद !

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.