"31 अक्टूबर का दिन देश के हर कोने में राष्ट्रवाद की भावना का पर्व बन चुका है"
"लाल किले पर 15 अगस्त, कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी की परेड और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सानिध्य में एकता दिवस राष्ट्रीय उत्थान की त्रिशक्ति बन गया है"
"स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" एक भारत-श्रेष्ठ भारत के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती है"
"भारत गुलामी की मानसिकता को त्यागने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है"
"भारत की पहुंच से परे कोई लक्ष्य नहीं है"
"आज एकता नगर की पहचान वैश्विक हरित नगर के रूप में है"
"आज पूरा विश्व, भारत के अटूट संकल्प, हमारे देशवासियों के साहस और सौम्यता को स्वीकारता है"
"हमारी विकास यात्रा में, राष्ट्रीय एकता के मार्ग में तुष्टीकरण की राजनीति सबसे बड़ी बाधा है"
"समृद्ध भारत की आकांक्षा को साकार रूप देने के लिए हमें अपने देश की एकता को बनाए रखते हुए निरंतर कार्य करना चाहिए"

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

आप सभी युवाओं का, जांबांजों का ये उत्साह, राष्ट्रीय एकता दिवस की बहुत बड़ी ताकत है। एक तरह से मेरे सामने लघु भारत, मिनी इंडिया का स्वरूप दिख रहा है। राज्य अलग हैं, भाषा अलग है, परंपरा अलग है, लेकिन यहां मौजूद हर व्यक्ति एकता की मजबूत डोर से जुड़ा हुआ है। मनके अनेक हैं, लेकिन माला एक है। तन अनेक हैं, लेकिन मन एक है। जैसे 15 अगस्त हमारी स्वतंत्रता के उत्सव का और 26 जनवरी हमारे गणतंत्र के जयघोष का दिवस है, उसी तरह 31 अक्टूबर का ये दिन देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता के संचार का पर्व बन गया है।

15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाला आयोजन, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्यपथ पर परेड, और 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सानिध्य में, मां नर्मदा के तट पर राष्ट्रीय एकता दिवस का ये मुख्य कार्यक्रम राष्ट्र उत्थान की त्रिशक्ति बन गए हैं। आज यहां पर जो परेड हुई, जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, उन्होंने हर किसी को अभिभूत किया है। एकता नगर में आने वालों को सिर्फ इस भव्य प्रतिमा के ही दर्शन नहीं होते, उसे सरदार साहब के जीवन, उनके त्याग और एक भारत के निर्माण में उनके योगदान की झलक भी मिलती है। इस प्रतिमा की निर्माण गाथा में ही एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब है। इसके निर्माण के लिए देश के कोने-कोने से किसानों ने खेती के औजार दिए, लौहपुरुष की प्रतिमा के लिए लोहा दिया। देश के कोने-कोने से मिट्टी लाकर यहां वॉल ऑफ यूनिटी का निर्माण हुआ। ये कितनी बड़ी प्रेरणा है। इसी प्रेरणा से ओत-प्रोत, करोड़ों की संख्या में देशवासी इस आयोजन से जुड़े हुए हैं।

लाखों लोग देश भर में ‘रन फॉर यूनिटी’ में हिस्सा ले रहे हैं। एकता के लिए दौड़, लाखों लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए इसका हिस्सा बन रहे हैं। जब हम देश में एकता का ये प्रवाह देखते हैं, जब 140 करोड़ भारतीयों में एकजुटता का ये भाव देखते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे सरदार साहब के आदर्श ही ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का संकल्प बनकर हमारे भीतर दौड़ रहे हैं। मैं इस पावन अवसर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल के चरणों में नमन करता हूँ। मैं सभी देशवासियों को राष्ट्रीय एकता दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ।

मेरे परिवारजनों,

आने वाले 25 साल, भारत के लिए इस शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण 25 साल हैं। इन 25 वर्षों में हमें अपने इस भारत को समृद्ध बनाना है, हमारे भारत को विकसित बनाना है। आजादी के पहले 25 साल का एक ऐसा कालखंड आया था पिछली शताब्दी में, जिसमें हर देशवासी ने स्वतंत्र भारत के लिए खुद को खपा दिया था। अब समृद्ध भारत के लिए, वैसे ही अगले 25 वर्ष का अमृतकाल हमारे सामने आया है, अवसर बनके आया है। हमें सरदार पटेल की प्रेरणा से हर लक्ष्य को हासिल करना है।

आज पूरी दुनिया भारत को देख रही है। आज भारत उपलब्धियों के नए शिखर पर है। जी 20 में भारत के सामर्थ्य को देखकर दुनिया हैरान हो गई है। हमें गर्व है कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की साख को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। हमें गर्व है कि अनेक वैश्विक संकटों के बीच हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। हमें गर्व है कि अगले कुछ वर्षों में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहे हैं। हमें गर्व है कि आज भारत चांद पर वहां पहुंचा है, जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच पाया। हमें गर्व है कि आज भारत तेजस फाइटर प्लेन्स से लेकर INS विक्रांत तक खुद बना रहा है। हमें गर्व है कि आज भारत, हमारे प्रोफेशनल्स, दुनिया की अरबों-खरबों डॉलर की कंपनियों को चला रहे हैं, नेतृत्व कर रहे हैं। हमें गर्व है कि आज दुनिया के बड़े-बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स में तिरंगे की शान लगातार बढ़ रही है। हमें गर्व है कि देश के युवा, बेटे-बेटियाँ रिकॉर्ड संख्या में मेडल्स जीत रहे हैं।

साथियों,

इस अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। हम विकास भी कर रहे हैं और अपनी विरासत का संरक्षण भी कर रहे हैं। भारत ने अपनी नौसेना के ध्वज पर लगे गुलामी के निशान को हटा दिया है। गुलामी के दौर में बनाए गए गैर-जरूरी कानूनों को भी हटाया जा रहा है। IPC की जगह भी भारतीय न्याय संहिता लाई जा रही है। इंडिया गेट पर जहां कभी विदेशी सत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा थी, अब नेताजी सुभाष की प्रतिमा हमें प्रेरणा दे रही है।

साथियों,

आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा ना सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी मिलकर सिद्ध ना कर सकें। बीते नौ वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है, तो असंभव कुछ भी नहीं होता है। किसने सोचा था कि कभी कश्मीर, आर्टिकल-370 से मुक्त भी हो सकता है। लेकिन आज कश्मीर और देश के बीच आर्टिकल-370 की वो दीवार गिर चुकी है। सरदार साहब जहां भी होंगे सबसे ज्यादा प्रसन्नता अनुभव करते होंगे और हम सबको आशीर्वाद देते होंगे। आज कश्मीर के मेरे भाई-बहन, आतंकवाद के साये से बाहर आकर खुली हवा में सांस ले रहे हैं, देश के विकास में कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। यहां जो मेरे एक तरफ सरदार सरोवर बांध है, वो भी 5-6 दशक से लटका हुआ था। सबके प्रयास से, इस बांध का काम भी बीते कुछ ही वर्षों में पूरा हुआ है।

साथियों,

संकल्प से सिद्धि का एक बहुत बड़ा उदाहरण हमारा ये एकता नगर भी है। 10-15 वर्ष पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि केवड़िया इतना बदल जाएगा। आज एकता नगर की पहचान Global Green City के तौर पर हो रही है। यही वो शहर है जहां से दुनिया भर के देशों का ध्यान खींचने वाले मिशन लाइफ की शुरुआत हुई थी। जब भी मैं य़हां आता हूं, इसका आकर्षण और बढ़ा हुआ दिखता है। रिवर राफ्टिंग, एकता क्रूज, एकता नर्सरी, एकता मॉल, आरोग्य वन, Cactus और Butterfly गार्डन, जंगल सफारी, मियावाकी फॉरेस्ट, मेज गार्डन यहां पर्यटकों को बहुत आकर्षित कर रहे हैं। पिछले 6 महीने में ही यहां डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। सोलर पावर जेनेरेशन में, City Gas Distribution में भी एकता नगर बहुत आगे चल रहा है।

आज यहां एक स्पेशल हेरिटेज ट्रेन का एक नया आकर्षण भी जुड़ने जा रहा है। एकता नगर स्टेशन और अहमदाबाद के बीच चलने वाली इस ट्रेन में हमारी विरासत की झलक भी है और आधुनिक सुविधाएं भी हैं। इसके इंजन को स्टीम इंजन का लुक दिया गया है, लेकिन ये चलेगी बिजली से। एकता नगर में eco-friendly transport की व्यवस्था भी की गई है। अब यहां पर्यटकों को ई-बस, ई-गोल्फ कार्ट और ई-साइकिल के साथ पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम की सुविधा भी मिलेगी। पिछले 5 वर्षों में डेढ़ करोड़ से ज्यादा पर्यटक यहां आ चुके हैं और ये संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के हमारे आदिवासी भाई-बहनों को हो रहा है, उन्हें रोजगार के नए साधन मिल रहे हैं।

साथियों,

आज पूरा विश्व भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारतवासियों के पौरुष और प्रखरता को, भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को, आदर और विश्वास से देख रहा है, भारत की अविश्वसनीय, अतुलनीय यात्रा आज हर किसी के लिए प्रेरणा का केंद्र बन चुकी है।

लेकिन मेरे प्यारे देशवासियों,

हमें कुछ बातों को कभी भी भूलना नहीं है, उसे सदा-सर्वदा याद भी रखना है। मैं आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रत्येक देशवासी से, इस बारे में मेरे मन के भाव, आज उनके सामने मैं प्रकट करना चाहता हूं। आज पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। कोरोना के बाद से कई देशों की अर्थव्यवस्था की हालत चरमरा गई है, बहुत खराब है। बहुत सारे देश 30-40 सालों की सबसे ज्यादा महंगाई से आज जूझ रहे हैं। उन देशों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। ऐसी परिस्थिति में भी भारत दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है। हम एक के बाद एक चुनौतियों को पार करते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हमने नए रिकॉर्ड बनाए हैं, हमने नए पैमाने भी बनाए हैं। पिछले 9 साल में देश जिन नीतियों और निर्णयों के साथ आगे बढ़ा है, उसका प्रभाव भी आज जीवन के हर क्षेत्र में देख रहे हैं। भारत में गरीबी कम हो रही है। 5 वर्षों में साढ़े 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं। हमें ये विश्वास मिला है कि हम देश से गरीबी को खत्म कर सकते हैं। और हमें इसी दिशा में निरंतर आगे बढ़ते ही रहना है। और इसलिए प्रत्येक भारतवासी के लिए ये समय बहुत महत्वपूर्ण है। किसी को भी ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे देश की स्थिरता पर आंच आए। हमारे कदम भटकने से हम लक्ष्य से भी भटक जाएंगे। जिस परिश्रम से 140 करोड़ भारतीय देश को विकास के पथ पर लेकर आए हैं, वो कभी भी व्यर्थ नहीं होना चाहिए। हमें भविष्य को ध्यान में रखना है, और अपने संकल्पों पर डटे रहना है।

मेरे देशवासियों,

देश के पहले गृह मंत्री होने के नाते, सरदार पटेल, देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर बहुत सख्त रहते थे, लौह पुरूष थे ना। पिछले 9 वर्षों से देश की आंतरिक सुरक्षा को कई मोर्चों से चुनौती मिलती रही है। लेकिन हमारे सुरक्षाबलों की दिन-रात की मेहनत भी और उसकी वजह से देश के दुश्मन अपने मंसूबों में पहले की तरह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। लोग अब भी उस दौर को नहीं भूले हैं, जब भीड़ भरी जगहों पर जाने से पहले मन शंका से भर जाता था। त्योहारों की भीड़, बाजार, पब्लिक प्लेस और जो भी आर्थिक गतिविधियों के केंद्र होते थे, उन्हें निशाना बनाकर देश के विकास को रोकने की साजिश होती थी। लोगों ने ब्लास्ट के बाद की तबाही देखी है, बम के धमाकों से हुई बर्बादी देखी है। उसके बाद जांच के नाम पर उस समय की सरकारों की सुस्ती भी देखी है। आपको, देश को उस दौर में वापस लौटने नहीं देना है, हमारे सामर्थ्य से उसे रोकते ही रहना है। जो लोग देश की एकता पर हमले कर रहे हैं, हम सभी देशवासियों को उन्हें जानना है, पहचानना है, समझना है और उनसे सतर्क भी रहना है।

साथियों,

देश की एकता के रास्ते में, हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है तुष्टीकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता, उसकी विकरालता कभी दिखाई नहीं देता। तुष्टीकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है। वो आतंकी गतिविधियों की जांच में कोताही करते हैं, वो देशविरोधी तत्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टीकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वो आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाती है। ऐसी सोच से किसी समाज का भला नहीं हो सकता। इससे कभी देश का भी भला नहीं हो सकता। एकता को खतरे में डालने वाली ऐसी सोच से हर-पल, हर समय, देश के हर कोने में, हर देशवासी को सावधान रहना ही है।

मेरे प्यारे देशवासियों,

अभी देश में चुनाव का भी माहौल बना हुआ है। राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया चल ही रही है और अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होने वाले हैं। आपने देखा होगा, कि देश में एक बहुत बड़ा पॉलिटिकल धड़ा ऐसा है जिसे सकारात्मक राजनीति का कोई तरीका नहीं दिख रहा। दुर्भाग्य से ये पॉलिटिकल धड़ा ऐसे-ऐसे हथकंडों को अपना रहा है, जो समाज और देश के खिलाफ है। ये धड़ा अपने स्वार्थ के लिए देश की एकता अगर टूटती भी है, तो उनके लिए, उनका स्वार्थ सर्वोपरि है। इसलिए इन चुनौतियों के बीच आप मेरे देशवासी, जनता-जनार्दन, आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। ये लोग देश की एकजुटता पर चोट करके अपना राजनीतिक हित साधना चाहते हैं। देश इनसे सतर्क रहेगा, तभी विकास के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएगा। हमें विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश की एकता बनाए रखने का प्रयास एक पल भी छोड़ना नहीं है, एक कदम भी पीछे रहना नहीं है। हमें निरंतर एकता के मंत्रों को जीना है। एकता को साकार करने के लिए हमें अपना निरंतर योगदान देना है। हम जिस भी क्षेत्र में हो, हमें उसमें अपना शत-प्रतिशत देना है। आने वाली पीढ़ियों को बेहतर भविष्य देने का केवल ये उत्तम से उत्तम मार्ग है। और यही सरदार साहब की हम सभी से अपेक्षा है।

साथियों,

आज से MyGov पर सरदार साहब से जुड़ी एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता भी शुरू हो रही है। Sardar Sahab Quiz के माध्यम से, देश के युवाओं को उन्हें जानने का और मौका मिलेगा।

मेरे परिवारजनों,

आज का भारत, नया भारत है। हर भारतवासी आज असीम आत्मविश्वास से भरा हुआ है। हमें सुनिश्चित करना है कि ये आत्मविश्वास बना भी रहे और देश बढ़ता भी रहे। ये भाव बना रहे। ये भव्यता बनी रहे। इसी के साथ मैं एक बार फिर, आदरणीय सरदार पटेल को 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं। हम सब राष्ट्रीय एकता के इस राष्ट्र उत्सव को पूरे उत्साह से मनाएं। जीवन में एकता के मंत्र को जीने की आदत बनाए, जीवन को हर- पल एकता के लिए समर्पित करते रहे। इसी कामना के साथ एक बार फिर आप सभी को ढेर सारी बधाई।

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।