"युवा शक्ति विकसित भारत का आधार है"
महादेव के आशीर्वाद से पिछले 10 वर्षों से काशी में 'विकास का डमरू' गूंज रहा है
"काशी हमारी आस्था का तीर्थ ही नहीं है, बल्कि यह भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र भी है"
"विश्वनाथ धाम एक निर्णायक दिशा देगा और भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा"
"नई काशी नए भारत के लिए प्रेरणा बन कर उभरी है"
“भारत एक विचार है, और संस्कृत इसकी मुख्य अभिव्यक्ति है; भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का मुख्य अध्याय है; भारत विविधता में एकता की भूमि है और संस्कृत इसका उद्गम है"
आज काशी विरासत और विकास के मॉडल के रूप में देखी जा रही है, आज दुनिया देख रही है कि कैसे आधुनिकता परंपराओं और आध्यात्मिकता के इर्द-गिर्द फैलती है।''
"काशी और कांची में वेदों का पाठ 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का स्वर है"

नमः पार्वती पतये.., हर-हर महादेव!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी जी, काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र जी, राज्य सरकार के मंत्री एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण, सम्मानित विद्वतजन, प्रतिभागी साथियों, देवियों और सज्जनों।

आप सब परिवार के लोगन के हमार प्रणाम! महामना के इस प्रांगण में आप सब विद्वानों और विशेषकर युवा विद्वानों के बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा है। जो काशी कालातीत है, जो काशी समय से भी प्राचीन कही जाती है, जिसकी पहचान को हमारी आधुनिक युवा पीढ़ी इतनी ज़िम्मेदारी से सशक्त कर रही है। ये दृश्य हृदय में संतोष भी देता है, गौरव की अनुभूति भी कराता है, और ये विश्वास भी दिलाता है कि अमृतकाल में आप सभी युवा देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। और काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है। आज काशी का वो सामर्थ्य, वो स्वरूप फिर से सँवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। और अभी मुझे काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता, और काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार देने का अवसर मिला है। मैं सभी विजेताओं को उनके परिश्रम..उनकी प्रतिभा के लिए बधाई देता हूं, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं, उनके गुरूजनों को भी बधाई देता हूं। जो युवा सफलता से कुछ कदम दूर रह गए, कुछ तो होंगे, कुछ 4 पर आकर अटके होंगे। मैं उनका भी अभिनंदन करता हूँ। आप काशी की ज्ञान परंपरा का हिस्सा बने, उसकी प्रतियोगिता में भी शामिल हुए। ये अपने आप में बहुत बड़ा गौरव है। आप में से कोई भी साथी हारा नहीं है, न ही पीछे रहा है। आप इस भागीदारी के जरिए काफी कुछ नया सीखकर कई कदम और आगे आए हैं। इसलिए, इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाला हर कोई, बधाई के पात्र हैं। मैं इस आयोजन के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, काशी विद्वतपरिषद और सभी विद्वानों का भी आदरपूर्वक धन्यवाद करता हूँ। आपने काशी के सांसद के रूप में मेरे विज़न को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, अभूतपूर्व सहयोग किया है। पिछले 10 वर्षों में काशी में जो विकास के कार्य हुए हैं और काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लॉन्च की गई है। पिछले 10 वर्ष में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इन कॉफी टेबल बुक में भी किया गया है। इसके अलावा जितनी भी सांसद प्रतियोगिताएं काशी में आयोजित हुई है उन पर भी छोटी-छोटी किताबों को लॉन्च किया गया है। मैं सभी काशीवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

लेकिन साथियों,

आप भी तो जानते हैं, हम सब तो निमित्त मात्र हैं। काशी में करने वाले तो केवल महादेव और उनके गण हैं। जहां महादेव क कृपा हो जाला, उ धऱती अपने ऐसे ही समृद्ध हो जाले, इस समय महादेव तो अति आनंद में हैं, खूब प्रसन्न हैं महादेव। इसीलिए, महादेव के आशीष के साथ 10 वर्षों में काशी में चारों ओर, चहु ओर विकास का डमरू बजा है। आज एक बार फिर.... काशी के हमरे परिवार के लोगन के लिए करोड़ों रुपया के योजना क लोकार्पण होत हौ। शिवरात्रि और रंगभरी एकादशी से पहले, काशी में आज....विकास क उत्सव मने जात हौ। अभी मंच पर आने से पहले मैं काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता की गैलरी देख रहा था। 10 वर्षों में विकास की गंगा ने काशी को सींचा है, काशी कितनी तेजी से बदली है, ये आप सभी ने साक्षात देखा है। मैं सही बोल रहा हूं ना, तो आप बताएं तो पता चले भई, सचमुच में जो कह रहा हूं, सही है, बदला है, संतोष है। लेकिन जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, उन्होंने तो पहले वाली काशी देखी ही नहीं होगी, उनको तो आम बात, बढ़िया काशी दिख रही होगी। यही मेरी काशी का सामर्थ्य है, और यही काशी के लोगों का सम्मान है, यही महादेव की कृपा की ताकत है। बाबा जौन चाह जालन, ओके के रोक पावेला? एही लिए बनारस में जब भी कुछ शुभ होला! लोग हाथ उठा के बोललन- नम: पार्वती पतये, हर-हर महादेव!

साथियों,

काशी केवल हमारी आस्था का तीर्थ ही नहीं है, ये भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है। एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी। इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी। काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थी। यहाँ साधना भी होती थी, शास्त्रार्थ भी होते थे। यहाँ संवाद भी होता था, शोध भी होता था। यहाँ संस्कृति के स्रोत भी थे, साहित्य-संगीत की सरिताएं भी थीं। इसीलिए, आप देखिए, भारत ने जितने भी नए विचार दिये, नए विज्ञान दिये, उनका संबंध किसी न किसी सांस्कृतिक केंद्र से है। काशी का उदाहरण हमारे सामने है। काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है, और आदि शंकराचार्य को भी यहाँ से बोध मिला था। पूरे देश से, और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज इसके लोग काशी आकर बसे हैं। जिस एक स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है। जहां नए विचार पनपते हैं, वहीं से प्रगति की संभावनाएं पनपती हैं।

इसीलिए भाइयों-बहनों,

विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर मैंने कहा था, याद कीजिए उस समय मैंने क्या कहा था, उस समय मैंने कहा था- “विश्वनाथ धाम भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर लेकर जाएगा”। आज ये दिख रहा है कि नहीं दिख रहा है, हो रहा है कि नहीं हो रहा है। अपने भव्य रूप में विश्वनाथ धाम, भारत को निर्णायक भविष्य की ओर ले जाने के लिए फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा है। विश्वनाथ धाम परिसर में आज देश भर के विद्वानों की ‘विद्वत संगोष्ठियाँ’ हो रही हैं। विश्वनाथ मंदिर, न्यास शास्त्रार्थ की परंपरा को भी पुनर्जीवित कर रहा है। काशी में शास्त्रीय स्वरों के साथ-साथ शास्त्रार्थ के संवाद भी गूंज रहे हैं। इससे देश भर के विद्वानों में विचारों का आदान प्रदान बढ़ेगा। इससे प्राचीन ज्ञान का संरक्षण होगा, नए विचारों का सृजन भी होगा। काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी इसी प्रयास का एक हिस्सा है। संस्कृत पढ़ने वाले हजारों युवाओं को किताबें, कपड़े, और जरूरी संसाधनों के साथ-साथ स्कॉलरशिप भी उपलब्ध कराई जा रही है। शिक्षकों को भी सहायता दी जा रही है। यही नहीं, काशी तमिल संगमम् और गंगा पुष्करुलु महोत्सव जैसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है। आदिवासी सांस्कृतिक आयोजन के जरिए आस्था के इस केंद्र से सामाजिक समावेश के संकल्प को ताकत मिल रही है। काशी के विद्वानों द्वारा, विद्वत परिषद द्वारा प्राचीन ज्ञान पर आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से नए शोध भी किए जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि, जल्द ही मंदिर न्यास शहर के कई स्थानों पर निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी शुरू करने जा रहा है। मंदिर ये सुनिश्चित करेगा कि माँ अन्नपूर्णा की नगरी में कोई भूखा नहीं रहेगा। यानी, आस्था का केंद्र किस तरह सामाजिक और राष्ट्रीय संकल्पों के लिए ऊर्जा का केंद्र बन सकता है, नई काशी नए भारत के लिए इसकी प्रेरणा बनकर उभरी है। मैं आशा करता हूँ कि, यहाँ से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे। बाबा विश्वनाथ की इ धरती, विश्व कल्याण के संकल्प क साक्षी भूमि बनी।

साथियों,

हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है। इसीलिए, हमारे यहाँ कहा भी गया है- “भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृति-स्तथा”॥ अर्थात्, भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत की बड़ी भूमिका है। एक समय था जब हमारे देश में संस्कृत ही वैज्ञानिक शोध की भाषा होती थी, और शास्त्रीय बोध की भी भाषा संस्कृत होती थी। एस्ट्रॉनॉमी में सूर्यसिद्धान्त जैसे ग्रंथ हों, गणित में आर्यभटीय और लीलावती हों, मेडिकल साइन्स में चरक और सुश्रुत संहिता हों, या बृहत संहिता जैसे ग्रंथ हों, ये सब संस्कृत में ही लिखे गए थे। इसके साथ ही, साहित्य, संगीत और कलाओं की कितनी विधाएँ भी संस्कृत भाषा से ही पैदा हुई हैं। इन्हीं विधाओं से भारत को पहचान मिली है। जिन वेदों का पाठ काशी में होता है, वही वेदपाठ, उसी संस्कृत में हमें कांची में सुनाई देना पड़ता है। ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के वो शाश्वत स्वर हैं, जिन्होंने हजारों वर्षों से भारत को राष्ट्र के रूप में एक बनाए रखा है।

साथियों,

आज काशी को विरासत और विकास के एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। परम्पराओं और आध्यात्म के इर्द-गिर्द किस तरह आधुनिकता का विस्तार होता है, आज दुनिया ये देख रही है। रामलला के अपने नए भव्य मंदिर में विराजने के बाद अब अयोध्या भी इसी तरह निखर रही है। देश में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों पर भी आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। यूपी को कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लाभ मिला है। ऐसे कितने ही काम आज देश में हो रहे हैं। अगले 5 वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा। और ये मोदी की गारंटी है। और आप भी जानते हैं कि मोदी की गारंटी, यानि गारंटी पूरा होने की गारंटी। अब मैं सांसद तो हूं लेकिन हर बार कुछ न कुछ काम लेकर आता हूं, मेरे लिए भी और आपके लिए भी....करोगे ना? देखिए जितनी चीजें मैंने बताई हर चीज को इतने शानदार तरीके से यहां लोगों ने, उसको उठा लिया, सब उससे जुड़ गए और एक नई चेतना नई पीढ़ी में आ गई। ये स्पर्धाएं सामान्य नहीं है जी। जो मेरा सबका प्रयास वाला लक्ष्य है ना, ये सबका प्रयास वाला एक सफल प्रयोग है। आने वाले दिनों में मैं चाहूंगा हर टूरिस्ट प्लेस पर क्या होता है, लोग पोस्ट कार्ड छापते हैं, आगे वहां की एक विशेष तस्वीर होती है और पीछे 2 लाइन लिखने की जगह होती है। मैं चाहता हूं कि जो फोटो कंपटीशन हुआ है, उसमें जो टॉप बढ़िया चित्र है उसका एक वोटिंग हो जाए काशी में, लोग वोट करें और वोटिंग में सबसे अच्छे जो 10 चित्र हैं, उसको पोस्ट कार्ड छापकर के टूरिस्टों को बेचने का कार्यक्रम बनाना चाहिए। और हर वर्ष ये फोटो कंपटीशन होगी, हर वर्ष नए 10 फोटो आएंगे। लेकिन वोटिंग से होना चाहिए, काशी वालों ने वोट करना चाहिए कि इस फोटो को आगे लाओ। सारे फोटो जितने निकले हैं, उस पर एक बार ऑनलाइन कंपटीशन हो जाए, कर सकते हैं? चलिए।

दूसरा काम – जैसे फोटोग्राफी हुई कुछ लोगों ने तो मोबाइल से ही निकाल दिया होगा, कंपटीशन में भाग ले लिया होगा। अब एक हम कार्यक्रम करें कि जगह-जगह पर लोग अपनी मर्जी से बैठें और एक कागज की साइज तय हो, उस पर स्केच से ड्राइंग करें, स्केच बनाएं। और उसमें जो बेस्ट स्केचिंग हो उनके ईनाम भी दिए जाएं और बाद में जो पोस्ट कार्ड निकालेंगे उनके भी बेस्ट 10 पोस्ट कार्ड निकाले, करेंगे? क्यों आवाज दब गई...हां।

तीसरा काम – देखिए काशी अब करोड़ों की तादाद में लोग आते हैं, गाइड की बहुत जरूरत होती है, लोग चाहते हैं कि भई हमें कोई समझाए, बताएं। बड़ी मेहनत करके जो यात्री आता है उस पर काशी छा जाए, उसके दिल, दिमाग से काशी ना निकले। इसके लिए एक अच्छे गाइड की जरूरत पड़ती है। और इसलिए मैंने कहा है कि उत्तम से उत्तम गाइड की कंपटीशन हो, सब लोग आए गाइड बनकर के अपना परफॉर्म करें और उसमें से जो बेस्ट गाइड होंगे, उनको ईनाम दिया जाए, उनको सर्टिफिकेट दिया जाए। भविष्य में वो गाइड के रूप में रोजी-रोटी भी कमा सकता है, एक नया क्षेत्र विकसित होगा, तो करेंगे? आप तो मना ही नहीं कर रहे हो यार, तो परीक्षा-वरीक्षा देनी है कि नहीं देनी है...हे फिर आपके टीचर लोग कहेंगे कि एमपी ऐसा है कि हमारे बच्चों की पढ़ाई के बजाय और ही काम करवाता है। देखिए हमारे भीतर जितनी स्किल डेवलप हो सकती है, ये होनी चाहिए। प्रतिभा को विकसित होने के लिए हर अवसर देना चाहिए जी। परमात्मा ने हर एक को हर प्रकार की शक्ति दी है, कुछ लोग उसे संवारते हैं, कुछ लोग उसे ठंडे बक्से में डालकर के पड़ी रहने देते हैं।

दूसरा काम – जैसे फोटोग्राफी हुई कुछ लोगों ने तो मोबाइल से ही निकाल दिया होगा, कंपटीशन में भाग ले लिया होगा। अब एक हम कार्यक्रम करें कि जगह-जगह पर लोग अपनी मर्जी से बैठें और एक कागज की साइज तय हो, उस पर स्केच से ड्राइंग करें, स्केच बनाएं। और उसमें जो बेस्ट स्केचिंग हो उनके ईनाम भी दिए जाएं और बाद में जो पोस्ट कार्ड निकालेंगे उनके भी बेस्ट 10 पोस्ट कार्ड निकाले, करेंगे? क्यों आवाज दब गई...हां।

तीसरा काम – देखिए काशी अब करोड़ों की तादाद में लोग आते हैं, गाइड की बहुत जरूरत होती है, लोग चाहते हैं कि भई हमें कोई समझाए, बताएं। बड़ी मेहनत करके जो यात्री आता है उस पर काशी छा जाए, उसके दिल, दिमाग से काशी ना निकले। इसके लिए एक अच्छे गाइड की जरूरत पड़ती है। और इसलिए मैंने कहा है कि उत्तम से उत्तम गाइड की कंपटीशन हो, सब लोग आए गाइड बनकर के अपना परफॉर्म करें और उसमें से जो बेस्ट गाइड होंगे, उनको ईनाम दिया जाए, उनको सर्टिफिकेट दिया जाए। भविष्य में वो गाइड के रूप में रोजी-रोटी भी कमा सकता है, एक नया क्षेत्र विकसित होगा, तो करेंगे? आप तो मना ही नहीं कर रहे हो यार, तो परीक्षा-वरीक्षा देनी है कि नहीं देनी है...हे फिर आपके टीचर लोग कहेंगे कि एमपी ऐसा है कि हमारे बच्चों की पढ़ाई के बजाय और ही काम करवाता है। देखिए हमारे भीतर जितनी स्किल डेवलप हो सकती है, ये होनी चाहिए। प्रतिभा को विकसित होने के लिए हर अवसर देना चाहिए जी। परमात्मा ने हर एक को हर प्रकार की शक्ति दी है, कुछ लोग उसे संवारते हैं, कुछ लोग उसे ठंडे बक्से में डालकर के पड़ी रहने देते हैं।

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."