Quoteधम्म में अभिधम्म समाहित है, धम्म को सार रूप में समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक है: प्रधानमंत्री
Quoteभाषा केवल संचार का माध्यम नहीं है, भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है: प्रधानमंत्री
Quoteहर राष्ट्र अपनी विरासत को अपनी पहचान से जोड़ता है, दुर्भाग्य से भारत इस दिशा में बहुत पीछे रह गया, लेकिन देश अब हीन भावना से मुक्त होकर बड़े फैसले लेते हुए प्रगति की राह पर है: प्रधानमंत्री
Quoteदेश के युवाओं को नई शिक्षा नीति के तहत अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प मिलने के बाद भाषाएं मजबूत हो रही हैं: प्रधानमंत्री
Quoteआज भारत तीव्र विकास और समृद्ध विरासत, दोनों संकल्पों को एक साथ पूरा करने में लगा हुआ है: प्रधानमंत्री
Quoteभगवान बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नया स्वरूप दे रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिए हैं: प्रधानमंत्री
Quoteआज अभिधम्म पर्व पर मैं पूरी दुनिया से अपील करता हूं कि युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में समाधान खोजकर शांति का मार्ग प्रशस्त करें: प्रधानमंत्री
Quoteसभी के लिए समृद्धि का भगवान बुद्ध का संदेश ही मानवता का मार्ग है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत ने अपने विकास के लिए जो रोडमैप बनाया है, उसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करेंगी: प्रधानमंत्री
Quoteभगवान बुद्ध की शिक्षाएं मिशन लाइफ के केंद्र में हैं, हर व्यक्ति की सतत जीवनशैली से ही स्थायी भविष्य का रास्ता निकलेगा: प्रधानमंत्री
Quoteभारत विकास की ओर बढ़ रहा है और अपनी जड़ें भी मजबूत कर रहा है, भारत के युवाओं को न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति और मूल्यों पर भी गर्व करना चाहिए: प्रधानमंत्री

नमो बुद्धाय!

संस्कृति मंत्री श्रीमान गजेंद्र सिंह शेखावत जी, माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर श्री किरण रिजिजू जी, भंते भदंत राहुल बोधी महाथेरो जी, वेनेरेबल चांगचुप छोदैन जी, महासंघ के सभी गणमान्य सदस्य, Excellencies, Diplomatic community के सदस्य, Buddhist Scholars, धम्म के अनुयायी, देवियों और सज्जनों।

आज एक बार फिर मुझे अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य मिला है। अभिधम्म दिवस हमें याद दिलाता है कि करुणा और सद्भावना से ही हम दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। इससे पहले 2021 में कुशीनगर में ऐसा ही आयोजन हुआ था । वहां उस आयोजन में भी मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला था। और ये मेरा सौभाग्य है कि भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की जो यात्रा मेरे जन्म के साथ ही शुरू हुई है, वो अनवरत जारी है। मेरा जन्म गुजरात के उस वडनगर में हुआ, जो एक समय बौद्ध धर्म का महान केंद्र हुआ करता था। उन्हीं प्रेरणाओं को जीते-जीते मुझे बुद्ध के धम्म और शिक्षाओं के प्रसार के इतने सारे अनुभव मिल रहे हैं।

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पिछले 10 वर्षों में, भारत के ऐतिहासिक बौद्ध तीर्थ-स्थानों से लेकर दुनिया के अलग-अलग देशों तक नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन, मंगोलिया में उनकी प्रतिमा के अनावरण से लेकर श्रीलंका में वैशाख समारोह तक....मुझे कितने ही पवित्र आयोजनों में शामिल होने का अवसर मिला है। मैं मानता हूँ, संघ और साधकों का ये संग, ये भगवान बुद्ध की कृपा का ही परिणाम है। मैं आज अभिधम्म दिवस के इस अवसर पर भी आप सभी को, और भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। आज शरद पूर्णिमा का पवित्र पर्व भी है। आज ही, भारतीय चेतना के महान ऋषि वाल्मीकि जी की जन्म जयंती भी है। मैं समस्त देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती की भी बधाई देता हूं।

आदरणीय साथियों,

इस वर्ष अभिधम्म दिवस के आयोजन के एक साथ, एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी जुड़ी है। भगवान बुद्ध के अभिधम्म, उनकी वाणी, उनकी शिक्षाएँ...जिस पाली भाषा में ये विरासत विश्व को मिली हैं, इसी महीने भारत सरकार ने उसे क्लासिकल लैंग्वेज, शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। और इसलिए, आज ये अवसर और भी खास हो जाता है। पाली भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज का ये दर्जा, शास्त्रीय भाषा का ये दर्जा, पाली भाषा का ये सम्मान...भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है। आप सभी जानते हैं, अभिधम्म धम्म के निहित है। धम्म को, उसके मूल भाव को समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक है। धम्म यानी, बुद्ध के संदेश, बुद्ध के सिद्धान्त...धम्म यानी, मानव के अस्तित्व से जुड़े सवालों का समाधान...धम्म यानी, मानव मात्र के लिए शांति का मार्ग...धम्म यानी, बुद्ध की सर्वकालिक शिक्षाएँ.....और, धम्म यानी, समूची मानवता के कल्याण का अटल आश्वासन! पूरा विश्व भगवान बुद्ध के धम्म से प्रकाश लेता रहा है।

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लेकिन साथियों,

दुर्भाग्य से, पाली जैसी प्राचीन भाषा, जिसमें भगवान बुद्ध की मूल वाणी है, वो आज सामान्य प्रयोग में नहीं है। भाषा केवल संवाद का माध्यम भर नहीं होती! भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा होती है। हर भाषा से उसके मूल भाव जुड़े होते हैं। इसलिए, भगवान बुद्ध की वाणी को उसके मूल भाव के साथ जीवंत रखने के लिए पाली को जीवंत रखना, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने बड़ी नम्रता पूर्वक ये ज़िम्मेदारी निभाई है। भगवान बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों को, उनकी लाखों भिक्षुकों की अपेक्षा को पूरा करने का हमारा नम्र प्रयास है। मैं इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए भी आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

आदरणीय साथियों,

भाषा, साहित्य, कला, आध्यात्म...,किसी भी राष्ट्र की ये धरोहरें उसके अस्तित्व को परिभाषित करती हैं। इसीलिए, आप देखिए, दुनिया के किसी भी देश में कहीं कुछ सौ साल पुरानी चीज मिल भी होती है तो उसे पूरी दुनिया के सामने गर्व से प्रस्तुत करता है। हर राष्ट्र अपनी हेरिटेज को अपनी पहचान के साथ जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से, भारत इस दिशा में काफी पीछे छूट गया था। आज़ादी के पहले भारत की पहचान मिटाने में लगे आक्रमणकारी....और आज़ादी के बाद गुलामी की मानसिकता के शिकार लोग...भारत में एक ऐसे ecosystem का कब्जा हो गया था जिसने हमें उल्टी दिशा में धकेलने के लिए काम किया। जो बुद्ध भारत की आत्मा में बसे हैं...आज़ादी के समय बुद्ध के जिन प्रतीकों को भारत के प्रतीक चिन्हों के तौर पर अंगीकार किया गया....बाद के दशकों में उन्हीं बुद्ध को भूलते चले गए। पाली भाषा को सही स्थान मिलने में 7 दशक ऐसे ही नहीं लगे।

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लेकिन साथियों,

देश अब उस हीनभावना से मुक्त होकर आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मगौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, देश इसकी बदौलत बड़े फैसले कर रहा है। इसीलिए, आज एक ओर पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा, क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा मिलता है, तो साथ ही यही सम्मान मराठी भाषा को भी मिलता है। और देखिए कितना बड़ा सुभग संयोग है कि बाबा साहेब आंबेडकर से भी ये सुखद रूप से जुड़ जाता है। बौद्ध धर्म के महान अनुयायी हमारे बाबा साहब आंबेडकर….पाली में उनकी धम्म दीक्षा हुई थी, और वो स्वयं उनकी मातृभाषा मराठी थी। इसी तरह, हमने बांग्ला, असमिया और प्राकृत भाषा को भी शास्त्रीय भाषा, क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया है।

साथियों,

भारत की ये भाषाएँ ही हमारी विविधता को पोषित करती हैं। अतीत में, हमारी हर भाषा ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। आज देश ने जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनाई है, वो भी इन भाषाओं के संरक्षण का माध्यम बन रही है। देश के युवाओं को जब से मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प मिला है, मातृभाषाएं और ज्यादा मजबूत हो रही हैं।

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साथियों,

हमने अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए लालकिले से ‘पंच प्राण’ का विज़न देश के सामने रखा है। पंच प्राण यानी- विकसित भारत का निर्माण! गुलामी की मानसिकता से मुक्ति! देश की एकता! कर्तव्यों का पालन! और अपनी विरासत पर गर्व! इसीलिए, आज भारत, तेज़ विकास और समृद्ध विरासत के दोनों संकल्पों को एक साथ सिद्ध करने में जुटा हुआ है। भगवान बुद्ध से जुड़ी विरासत का संरक्षण इस अभियान की प्राथमिकता है। आप देखिए, हम भारत और नेपाल में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को बुद्ध सर्किट के रूप में विकसित कर रहे हैं। कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी शुरू किया गया है। लुम्बिनी में India International Centre for Buddhist Culture and Heritage का निर्माण हो रहा है। लुम्बिनी में ही Buddhist University में हमने डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर Chair for Buddhist Studies की स्थापना भी की है। बोधगया, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, सांची, सतना और रीवा जैसे कई स्थानों पर कितने ही development projects चल रहे हैं। तीन दिन बाद 20 अक्टूबर को मैं वाराणसी जा रहा हूं...जहां सारनाथ में हुए अनेक विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया जाएगा। हम नए निर्माण के साथ-साथ अपने अतीत को भी सुरक्षित कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में हम 600 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों, कलाकृतियों और अवशेषों को दुनिया के अलग-अलग देशों से वापस भारत लाए हैं, 600 से ज्यादा । और इनमें से कई अवशेष बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। यानि बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में, भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नए सिरे से प्रस्तुत कर रहा है।

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आदरणीय साथियों,

भारत की बुद्ध में आस्था, केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है। दुनिया के देश, जो भी बुद्ध को जानने और मानने वाले लोग हैं, उन्हें हम इस मिशन में एक साथ ला रहे हैं। मुझे खुशी है, दुनिया के कई देशों में इस दिशा में सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं। म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड समेत कई देशों में पाली भाषा में टीकाएं संकलित की जा रही हैं। भारत में भी हम ऐसे प्रयासों को तेज कर रहे हैं। पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ हम पाली को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, डिजिटल आर्काइव्स और ऐप्स के जरिए भी प्रमोट करने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। भगवान बुद्ध को लेकर मैंने पहले भी कहा है- “बुद्ध बोध भी हैं, और बुद्ध शोध भी हैं”। इसलिए, हम भगवान बुद्ध को जानने के लिए आंतरिक और अकैडमिक, दोनों तरह की रिसर्च पर जोर दे रहे हैं। और मुझे खुशी है कि इसमें हमारे संघ, हमारे बौद्ध संस्थान, हमारे भिक्षुकगण इस दिशा में युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

आदरणीय साथियों,

21वीं सदी का ये समय….आज विश्व की geopolitical परिस्थिति...आज एक बार फिर विश्व कई अस्थिरताओं और आशंकाओं से घिरा है। ऐसे में, बुद्ध न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि अपरिहार्य भी बन चुके हैं। मैंने एक बार यूनाइटेड नेशन्स में कहा था- भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बुद्ध दिये हैं। और आज मैं बड़े विश्वास से कहता हूँ- पूरे विश्व को युद्ध में नहीं, बुद्ध में ही समाधान मिलेंगे। मैं आज अभिधम्म पर्व पर पूरे विश्व का आवाहन करता हूं- बुद्ध से सीखिए...युद्ध को दूर करिए...शांति का पथ प्रशस्त करिए...क्योंकि, बुद्ध कहते हैं- “नत्थि-संति-परम-सुखं”। अथवा अर्थात्, शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है। भगवान बुद्ध कहते हैं-

“नही वेरेन वैरानि सम्मन्तीध कुदाचनम्

अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्ततो”

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वैर से वैर, दुश्मनी से दुश्मनी शांत नहीं होती। वैर अवैर से, मानवीय उदारता से खत्म होता है। बुद्ध कहते हैं- “भवतु-सब्ब-मंगलम्” ।। यानी, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो- यही बुद्ध का संदेश है, यही मानवता का पथ है।

आदरणीय साथियों,

2047 तक के ये 25 वर्ष का कार्यकाल, इस 25 वर्ष को अमृतकाल की पहचान दी है। अमृतकाल का ये समय भारत के उत्कर्ष का होगा। ये विकसित भारत के निर्माण का कालखंड होगा। भारत ने अपने विकास का जो रोडमैप बनाया है, उसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ हमारा पथप्रदर्शन करेंगी। ये बुद्ध की धरती पर ही संभव है कि आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी संसाधनों के उपयोग को लेकर सजग है। आप देखिए, आज क्लाइमेट चेंज के रूप में इतना बड़ा संकट दुनिया के सामने है। भारत इन चुनौतियों के लिए न केवल खुद समाधान तलाश रहा है, बल्कि उन्हें विश्व के साथ साझा भी कर रहा है। हमने दुनिया के कई देशों को साथ जोड़कर मिशन LiFE शुरू किया है। भगवान बुद्ध कहते थे- “अत्तान मेव पठमन्// पति रूपे निवेसये”।। अर्थात्, हमें किसी भी अच्छाई की शुरुआत स्वयं से करनी चाहिए। बुद्ध की यही शिक्षा मिशन LiFE के केंद्र में है। यानी, sustainable future का रास्ता हर व्यक्ति की sustainable lifestyle से निकलेगा।

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भारत ने जब दुनिया को इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसा मंच दिया….भारत ने जब जी-20 की अपनी अध्यक्षता में Global Biofuel Alliance का गठन किया...भारत ने जब One Sun, One World, One Grid का विजन दिया...तो उसमें बुद्ध के विचारों का ही प्रतिबिंब दिखता है। हमारा हर प्रयास दुनिया के लिए sustainable future को सुनिश्चित कर रहा है। India-Middle East- Europe Economic corridor हो, हमारा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन हो, भारतीय रेलवे को 2030 तक नेट जीरो करने का लक्ष्य हो, पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग को बढ़ाकर 20 परसेंट तक करना हो...ऐसे कई तरीकों से हम इस धरती की रक्षा का अपना मजबूत इरादा दिखा रहे हैं, जता रहे हैं।

साथियों,

हमारी सरकार के कितने ही निर्णय, बुद्ध, धम्म और संघ से प्रेरित रहे हैं। आज दुनिया में जहां भी संकट की स्थिति होती है, वहां भारत first responder के रूप में मौजूद रहता है। यह बुद्ध के करुणा के सिद्धांत का ही विस्तार है। चाहे तुर्किए में भूकंप हो, श्रीलंका में आर्थिक संकट की स्थिति हो, कोविड जैसी महामारी के हालात हों, भारत ने आगे बढ़कर मदद का हाथ बढ़ाया है। विश्वबंधु के रूप में भारत सबको साथ लेकर चल रहा है। आज योग हो या मिलेट्स से जुड़ा अभियान, आयुर्वेद हो या नैचुरल फार्मिंग से जुड़ा अभियान, हमारे ऐसे प्रयासों के पीछे भगवान बुद्ध की भी प्रेरणा है।

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आदरणीय साथियों,

विकसित होने की तरफ बढ़ रहा भारत, अपनी जड़ों को भी मजबूत कर रहा है। हमारा प्रयास है कि भारत का युवा, साइंस और टेक्नॉलॉजी में विश्व का नेतृत्व करे। और साथ ही, हमारा युवा, अपनी संस्कृति और अपने संस्कारों पर भी गर्व करे। इन प्रयासों में बौद्ध धर्म की शिक्षाएं हमारी बड़ी मार्गदर्शक हैं। मुझे भरोसा है, हमारे संतों और भिक्षुकों के मार्गदर्शन से, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से हम सब साथ मिलकर निरंतर आगे बढ़ेंगे।

मैं आज के इस पवित्र दिवस पर, इस आयोजन के लिए आप सभी को एक बार फिर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और पाली भाषा शास्त्रीय भाषा बनने के गौरव के पल, गौरव के साथ-साथ उस भाषा के संरक्षण, संवर्धन के लिए हम सबकी एक सामूहिक जिम्मेवारी भी बनती है, उस संकल्प को हम लें, उसे पूरा करने का प्रयास करें, ये ही अपेक्षाओं के साथ मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

नमो बुद्धाय!

  • Jitendra Kumar March 31, 2025

    🙏🇮🇳
  • Shubhendra Singh Gaur February 24, 2025

    जय श्री राम।
  • Shubhendra Singh Gaur February 24, 2025

    जय श्री राम
  • Gopal Saha December 23, 2024

    hi
  • Vivek Kumar Gupta December 21, 2024

    नमो ..🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vivek Kumar Gupta December 21, 2024

    नमो .......................🙏🙏🙏🙏🙏
  • Jahangir Ahmad Malik December 20, 2024

    ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
  • krishangopal sharma Bjp December 17, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩,,
  • krishangopal sharma Bjp December 17, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩,
  • krishangopal sharma Bjp December 17, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत अभियान की स्थिति एवं प्रगति की समीक्षा की
May 13, 2025
Quoteप्रधानमंत्री ने भारत की टीबी उन्मूलन रणनीति से संबंधित हाल के उन नवाचारों की सराहना की, जिनसे टीबी के मरीजों के लिए कम समय में उपचार, तेजी से निदान और बेहतर पोषण संभव हो पाया है
Quoteप्रधानमंत्री ने टीबी उन्मूलन के प्रति संपूर्ण सरकार एवं संपूर्ण समाज वाले दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने हेतु जनभागीदारी को मजबूत करने का आहवान किया
Quoteप्रधानमंत्री ने टीबी उन्मूलन के लिए स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया
Quoteप्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा की और कहा कि इसे देशभर में तेजी से बढ़ाया व लागू किया जा सकता है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) से संबंधित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

वर्ष 2024 में टीबी के रोगियों की शीघ्र पहचान एवं उपचार की दिशा में हुई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने देशभर में सफल रणनीतियों को लागू करने का आहवान किया और भारत से टीबी को समाप्त करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दोहराया।

प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा की, जिसमें उच्च फोकस वाले जिलों को शामिल किया गया था और 12.97 करोड़ व्यक्तियों की जांच की गई थी। कुल 7.19 लाख टीबी के मामलों का पता चला, जिनमें 2.85 लाख लक्षणविहीन टीबी के मामले शामिल थे। इस अभियान के दौरान एक लाख से अधिक नए नि-क्षय मित्र इस प्रयास में शामिल हुए। यह अभियान जनभागीदारी का एक ऐसा मॉडल साबित हुआ है, जिसे देशभर में तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है और संपूर्ण सरकार एवं संपूर्ण समाज वाले दृष्टिकोण के साथ लागू किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों और उनके व्यवसायों के आधार पर टीबी रोगियों के रुझानों का विश्लेषण करने की आवश्यकता पर बल दिया। इससे उन समूहों की पहचान करने में मदद मिलेगी जिन्हें शीघ्र जांच एवं उपचार की आवश्यकता है, विशेष रूप से निर्माण, खनन, कपड़ा मिलों और इसी तरह के अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को। जैसे-जैसे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बेहतर प्रौद्योगिकी का समावेश होता है, नि-क्षय मित्रों (टीबी रोगियों के सहायकों) को टीबी रोगियों से जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ये नि-क्षय मित्र संवादात्मक तथा उपयोग में आसान तकनीक का प्रयोग करके रोगियों को बीमारी एवं उसके उपचार को समझने में मदद कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चूंकि टीबी अब नियमित उपचार से ठीक हो सकती है, इसलिए लोगों में इसके प्रति भय कम होना चाहिए तथा जागरूकता बढ़नी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने टीबी के उन्मूलन में जनभागीदारी के माध्यम से स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने प्रत्येक रोगी तक व्यक्तिगत रूप से पहुंचने के प्रयासों का आग्रह किया ताकि उन्हें उचित उपचार मिलना सुनिश्चित किया जा सके।

बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 के उत्साहजनक निष्कर्षों के बारे में बात की। इस रिपोर्ट में टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी (2015 और 2023 के बीच प्रति एक लाख की जनसंख्या पर टीबी की रोगियों की संख्या 237 से घटकर 195 होने) की पुष्टि की गई है, जो वैश्विक दर से दोगुनी है। टीबी से होने वाली मृत्यु दर में 21 प्रतिशत की कमी (प्रति एक लाख जनसंख्या पर 28 से घटकर 22 होने) और 85 प्रतिशत का उपचार कवरेज, इस कार्यक्रम की बढ़ती पहुंच और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने टीबी डायग्नोस्टिक नेटवर्क के विस्तार सहित प्रमुख बुनियादी ढांचे में उन्नति की समीक्षा की, जिसमें 8,540 एनएएटी (न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्टिंग) प्रयोगशालाएं और 87 कल्चर एवं ड्रग ससेप्टिबिलिटी प्रयोगशालाएं शामिल हैं। कुल 26,700 से अधिक एक्स-रे इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिनमें 500 एआई-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरण शामिल हैं तथा 1,000 और इकाइयां पाइपलाइन में हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मुफ्त जांच, निदान, उपचार और पोषण संबंधी सहायता सहित सभी टीबी सेवाओं के विकेंद्रीकरण पर भी प्रकाश डाला गया।

प्रधानमंत्री को कई नई पहलों की शुरूआत के बारे में अवगत कराया गया, जैसे कि जांच के लिए एआई संचालित हैंड-हेल्ड एक्स-रे, दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए कम समय वाली उपचार व्यवस्था, नए स्वदेशी आण्विक निदान, पोषण संबंधी उपाय और खानों, चाय बागानों, निर्माण स्थलों, शहरी मलिन बस्तियों आदि जैसे सामूहिक स्थानों में पोषण संबंधी पहलों सहित जांच एवं शुरुआती पहचान। नि-क्षय पोषण योजना के तहत 2018 से 1.28 करोड़ टीबी रोगियों को डीबीटी भुगतान और 2024 में प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 1,000 रुपये किया गया है। नि-क्षय मित्र पहल के तहत 2.55 लाख नि-क्षय मित्रों द्वारा 29.4 लाख खाद्य पदार्थों की टोकरियां वितरित की गई हैं।

इस बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 श्री शक्तिकांत दास, प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री अमित खरे, स्वास्थ्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।