"आप इस 'अमृत काल' के 'अमृत रक्षक' हैं’’
पिछले कुछ वर्षों में, हमने अर्धसैनिक बलों की भर्ती प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किए हैं
"कानून के शासन द्वारा एक सुरक्षित माहौल विकास की गति को तेज कर देता है"
"पिछले नौ वर्षों में परिवर्तन का एक नया दौर देखा जा सकता है"
नौ साल पहले आज ही के दिन शुरू की गई ‘जनधन योजना’ ने 'गांव और गरीब' के आर्थिक सशक्तिकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है
"जन धन योजना ने देश में सामाजिक और आर्थिक बदलाव को गति प्रदान करने में जो भूमिका निभाई है, वह वास्तव में अध्ययन का विषय है"
"आप सभी युवा सरकार और शासन में बदलाव लाने के मिशन में मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं"

नमस्कार।

आजादी के इस अमृतकाल में, देश की आजादी के और देश के कोटि-कोटि जनों के अमृत-रक्षक बनने पर आप सबको बहुत-बहुत बधाई। मैंने आपको अमृत रक्षक इसलिए कहा क्योंकि आज जिन युवाओं को नियुक्ति पत्र मिल रहा है, वो देश की सेवा के साथ-साथ देश के नागरिकों की, देश की रक्षा भी करेंगे। इसलिए एक तरह से आप इस अमृतकाल के जन और अमृत-रक्षक भी हैं।

मेरे परिवारजनों,

इस बार रोजगार मेले का ये आयोजन एक ऐसे माहौल में हो रहा है, जब देश गर्व और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। हमारा चंद्रयान और उसका रोवर प्रज्ञान, लगातार चंद्रमा से ऐतिहासिक तस्वीरें भेज रहा है। गर्व से भरे इस क्षण और ऐसे समय में आप अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। मैं सभी सफल अभ्यर्थियों और उनके परिवारजनों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

सेना में आकर, सुरक्षाबलों के साथ जुड़कर, पुलिस सेवा में आकर, हर युवा, उसका का सपना होता है कि वो देश की रक्षा का प्रहरी बने। और इसलिए आप पर बहुत बड़ा दायित्व होता है। इसलिए आपकी जरूरतों के प्रति भी हमारी सरकार बहुत गंभीर रही है।

बीते कुछ वर्षों में अर्धसैनिक बलों की भर्ती प्रक्रिया में हमने कई बड़े बदलाव किए हैं। आवेदन से लेकर चयन तक की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। अर्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षा अब 13 स्थानीय भाषाओं में भी कराई जा रही है। पहले ऐसी परीक्षा में सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी चुनने का ही विकल्प होता था, अब मातृभाषा का मान बढ़ा है। इस बदलाव से लाखों युवाओं के लिए रोजगार पाने के रास्ते खुल गए हैं।

पिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सैकड़ों आदिवासी युवकों की नियुक्ति की गई थी। इन्हें नियमों में छूट देकर सुरक्षाबल में भर्ती पाने का अवसर दिया गया, ताकि विकास की मुख्यधारा से जुड़े रहें। इसी तरह बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट और उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं के लिए कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में कोटा बढ़ाया गया है। सरकार के प्रयासों से अर्धसैनिक बलों को लगातार मजबूती मिल रही है।

साथियों,

देश का विकास सुनिश्चित करने में आपके दायित्व की महत्वपूर्ण भूमिका है। सुरक्षा का वातावरण, कानून का राज, विकास की रफ्तार को तेज कर देता है। आप यूपी का उदाहरण ले सकते हैं। कभी यूपी विकास के मामले में बहुत पीछे था और अपराध के मामले में बहुत आगे। लेकिन अब कानून का राज स्थापित होने से यूपी, विकास की नई ऊंचाई छू रहा है। कभी गुंडों-माफिया की दहशत में रहने वाले उत्तर प्रदेश में आज भय मुक्त समाज की स्थापना हो रही है। कानून-व्यवस्था का ऐसा शासन लोगों में विश्वास पैदा करता है। और जब अपराध कम हुआ है, तो यूपी में निवेश भी बढ़ रहा है, investment आ रहा है। इसके उलट हम ये भी देखते हैं कि जिन राज्यों में अपराध चरम पर है, वहां निवेश भी उतना ही कम हो रहा है, रोजी-रोटी के सारे काम ठप पड़ जाते हैं।

मेरे परिवारजनों,

आजकल आप लगातार पढ़ते भी हैं और देखते भी हैं हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। भारत इस दशक में टॉप-3 अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगा। और ये गारंटी जब मैं आपको देता हूं ना, बड़ी जिम्‍मेदारी के साथ मेरे देशवासी, मेरे परिवारजनों को ये मोदी गारंटी देता है। लेकिन जब आप ये पढ़ते हैं, तो एक सवाल आपके मन में जरूर आता होगा कि इसका देश के सामान्य नागरिक पर क्या असर होगा? और ये सवाल बहुत स्वभाविक भी है।

साथियों,

किसी भी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने के लिए ये जरूरी है कि देश के हर सेक्टर का विकास हो। फूड सेक्‍टर से ले करके फार्मा तक, स्पेस से ले करके स्टार्टअप तक, जब हर सेक्टर आगे बढ़ेगा तो अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ेगी। आप फार्मा इंडस्ट्री का उदाहरण ले लीजिए। महामारी के समय भारत के फार्मा इंडस्ट्री की बहुत सराहना की गई। आज ये इंडस्ट्री 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की है। और कहा ये जा रहा है कि 2030 तक, भारत की फार्मा इंडस्ट्री करीब 10 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी। अब ये फार्मा इंडस्ट्री आगे बढ़ेगी तो इसका क्या मतलब हुआ? इसका मतलब ये हुआ कि इस दशक में फार्मा इंडस्ट्री को आज की तुलना में कई गुना ज्यादा युवाओं की जरूरत पड़ेगी। रोजगार के अनेक नए अवसर आएंगे।

साथियों,

आज देश में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, इस इंडस्ट्री में भी बहुत तेजी से बढ़त देखने को मिल रही है। फिलहाल ये दोनों इंडस्ट्री 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की है। आने वाले वर्षों में इसके औऱ बढ़ने की उम्मीद है। इस ग्रोथ को संभालने के लिए ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी बहुत सारी संख्‍या में नए युवकों की जरूरत होगी, नए लोगों की जरूरत पड़ेगी, रोजगार के अनगिनत अवसर बनेंगे। आपने देखा होगा कि इन दिनों फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के महत्व की भी काफी चर्चा होती है। भारत का फूड प्रोसेसिंग मार्केट पिछले साल करीब-करीब 26 लाख करोड़ रुपए का था। अब अगले तीन साढ़े-तीन साल में, ये सेक्टर करीब 35 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। यानी जितना विस्‍तार होगा उतने अधिक युवकों की जरूरत पड़ेगी, उतने नए रोजगार के मौके खुल जाएंगे।

साथियों,

भारत में आज इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है। पिछले 9 साल में केंद्र सरकार ने 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए हैं। इससे देश भर में कनेक्टिविटी का विस्तार तो हो रहा है, इसने पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में नई संभावनाओं को जन्म दिया है। और नई संभावनाओं का सीधा मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके बनते जा रहे हैं।

साथियों,

2030 तक हमारी अर्थव्यवस्था में टूरिज्म सेक्टर का योगदान 20 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि अकेले इस इंडस्ट्री से 13 से 14 करोड़ लोगों को नए रोजगार की संभावना बनने वाली है। इन सारे उदाहरणों से आप समझ सकते हैं कि भारत का विकास सिर्फ नंबर की रेस नहीं है। इस विकास का भारत के हर नागरिक के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर तैयार हो रहे हैं। और इससे आय में बढ़ोतरी और क्वालिटी ऑफ लाइफ सुनिश्चित हो रही है। हम परिवार में भी देखते हैं ना अगर हम किसान हैं, अच्‍छी फसल हुई-ज्‍यादा फसल हुई, अच्‍छे दाम मिले तो घर के अंदर कैसे रौनक आ जाती है। कपड़े नए आते हैं, बाहर जाने का मन करता है, नई चीजें खरीदने का मन करता है। घर की अगर आय बढ़ी तो घर के लोगों के जीवन में भी बदलाव आता है। जैसे परिवार में है ना, देश में भी वैसा ही है। जैसे देश की आय बढ़ती है, देश की ताकत बढ़ती है, देश में संपत्ति बढ़ती है तो देश के नागरिकों का जीवन संपन्न बनना शुरू हो जाता है।

साथियों,

पिछले 9 वर्षों के हमारे प्रयासों से परिवर्तन का एक औऱ नया दौर दिखने लगा है। पिछले साल भारत ने रिकॉर्ड एक्सपोर्ट किया। ये संकेत है कि दुनियाभर के बाजारों में भारतीय सामानों की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसका मतलब है कि हमारा प्रोडक्शन भी बढ़ा है, और प्रोडक्शन के लिए जो नए नौजवान लगे उसके कारण रोजगार भी बढ़ा है और स्वाभाविक है इसके कारण परिवार की आय भी बढ़ रही है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश है। देश में मोबाइल फोन की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। सरकार के प्रयासों ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को भी कई गुना बढ़ा दिया है। अब देश, मोबाइल से आगे बढ़कर दूसरे इलेक्‍ट्रॉनिक गैजेट्स पर भी फोकस कर रहा है।

IT hardware production के क्षेत्र में, हम वैसी ही सफलता दोहराने वाले हैं, जैसी मोबाइल के क्षेत्र में हासिल की है। वो दिन दूर नहीं होगा जब मोबाइल की तरह ही भारत में बने एक से बढ़कर एक लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर दुनिया में हमारी शान बढ़ाएंगे। वोकल फॉर लोकल के मंत्र पर चलते हुए भारत सरकार भी मेड इन इंडिया लैपटॉप, कंप्यूटर जैसे अनेक प्रॉडक्ट्स खरीदने पर जोर दे रही है। इससे मैन्युफैक्चरिंग भी बढ़ी है और युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके भी बन रहे हैं। इसलिए मैं फिर कहूंगा, अर्थव्यवस्था के इस पूरे चक्र को संभालने की, इसे सुरक्षा देने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप सभी जब ये सुर‍क्षाकर्मी के रूप में आपका जीवन आरंभ हो रहा है, आपका कार्य आरंभ हो रहा है तो कितनी जिम्‍मेदारी आपके सिर पर है इसका आप भली भांति अंदाज लगा सकते हैं।

मेरे परिवारजनों,

9 साल पहले आज के ही दिन प्रधानमंत्री जनधन योजना लॉन्च की गई थी। इस योजना ने गांव और गरीब के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ ही रोजगार निर्माण में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। 9 साल पहले देश में बहुत बड़ी संख्या में लोगों के पास बैंक खाता ही नहीं था, बेचारों ने बैंक का दरवाजा नहीं देखा था। लेकिन जनधन योजना के कारण बीते 9 वर्षों में 50 करोड़ से ज्यादा नए बैंक खाते खुल चुके हैं। इस योजना से गांव-गरीब तक सरकारी लाभ सीधे पहुंचाने में तो मदद मिली ही है औऱ साथ ही महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के रोजगार और स्वरोजगार को इससे बहुत बल मिला है।

जब गांव-गांव में बैंक खाते खुले तो इसके लिए बैंकिंग कॉरेसपोंडेंट्स के रूप में, बैंक मित्र के रूप में लाखों युवाओं को अवसर मिले। बैंक मित्र हो, बैंक सखी हो, इसके रूप में हमारे हजारों बेटे-बेटियों को रोजगार मिला। आज 21 लाख से अधिक युवा साथी बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट या तो कहें बैंक मित्र या बैंक सखी के रूप में गांव-गांव में सेवाएं दे रहे हैं। बड़ी संख्या में डिजिटल सखियां महिलाओं और बुज़ुर्गों को बैंकिंग सेवा से जोड़ रही हैं।

इसी प्रकार जनधन योजना ने रोजगार और स्वरोजगार के एक और बड़े अभियान, मुद्रा योजना को बल दिया। इससे महिलाओं सहित उन वर्गों को छोटे-छोटे बिजनेस के लिए लोन लेना आसान हुआ, जो कभी इसके बारे में सोच भी नहीं सकते थे। इन लोगों के पास बैंको को देने के लिए कोई गारंटी नहीं होती थी। ऐसे में सरकार ने खुद उनकी गारंटी ली। मुद्रा योजना से अभी तक 24 लाख करोड़ रुपए से अधिक के लोन दिए जा चुके हैं। इसमें करीब 8 करोड़ साथी ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार कोई बिजनेस शुरू किया है, अपना काम शुरू किया है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत करीब-करीब 43 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को, रेहड़ी-पटरी वाले जो लोग होते हैं ना हमारे, पहली बार बैंकों से बिना गारंटी का ऋण स्वीकृत हुआ है। मुद्रा और स्वनिधि के लाभार्थियों में बड़ी संख्या में महिलाएं, दलित, पिछड़े और मेरे आदिवासी युवा हैं।

जनधन खातों ने गांवों में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को मजबूत बनाने में भी बहुत मदद की है। आजकल तो मैं गांव में जाता हूं जब महिला सेल्‍फ हेल्‍प ग्रुप की बहनों को मिलता हूं तो कई तो उसमें से आकर कहती हैं मैं तो लखपति दीदी हूं, ये सब इसी से संभव हुआ है। सरकार जो आर्थिक मदद करती है, वो महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं के बैंक खातों में अब सीधे जमा होता है। जनधन योजना ने देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को गति देने में जो भूमिका निभाई है, वो वाकई हमारी बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज के लिए अध्ययन का विषय है।

साथियों,

अब तक रोजगार मेले के अनेक आयोजनों में लाखों युवाओं को मैं संबोधित कर चुका हूं। उन युवाओं को पब्लिक सर्विस या अन्य क्षेत्रों में रोजगार मिला है। Goverment और Governance में बदलाव लाने के मिशन में आप सभी युवा मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं। आप सभी उस पीढ़ी से आते हैं जहां सब कुछ बस एक क्लिक पर मिल जाता है। इसलिए, आप समझ सकते हैं कि लोग हर सर्विस की तेज डिलीवरी चाहते हैं। आप अच्छी तरह जानते हैं कि आज की पीढ़ी समस्याओं का टुकड़ों में समाधान नहीं चाहती है, उन्हें स्थायी समाधान चाहिए। इसलिए, public servants होने के नाते आपको ऐसे फैसले लेने होंगे, ऐसी जिम्मेदारियां निभानी होंगी, हर पल ऐसे तैयार रहना होगा, जो लंबे समय तक लोगों के लिए फायदेमंद हो।

आप जिस पीढ़ी से संबंध रखते हैं, वो कुछ हासिल करने का इरादा रखती है। ये पीढ़ी किसी का फेवर नहीं चाहती, वो बस ये चाहती है कि कोई उनके रास्ते का रोड़ा ना बने। इसलिए, public servants के तौर पर आपके लिए ये समझना बहुत आवश्यक है कि सरकार जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, हमेशा जनता की सेवा के लिए है। आप ये समझते हुए काम करेंगे तो कानून व्यवस्था को बनाए रखने में भी आपको बहुत मदद मिलेगी।

साथियों,

अर्धसैनिक बलों में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को पूरा करने के साथ-साथ आप सीखते रहने की प्रवृत्ति को भी बनाए रखें। आप जैसे कर्मयोगियों के लिए IGOT कर्मयोगी पोर्टल पर 600 से ज्यादा अलग-अलग कोर्सेज उपलब्ध हैं। सर्टिफिकेट कोर्सेज हैं। 20 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। वो ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, परीक्षाएं दे रहे हैं।

मेरा आग्रह है कि आप सब भी इस पोर्टल से पहले दिन से ही जुड़ जाएं और पहले दिन से तय कीजिए मैं ज्‍यादा से ज्‍यादा कोशिश करूं, ज्‍यादा से ज्‍यादा सर्टिफिकेट कोर्स करूं, ज्‍यादा से ज्‍यादा सर्टिफिकेट प्राप्‍त करूं। और आप देखिए, जो सीखेंगे, जानेंगे, समझेंगे वो सिर्फ एग्जाम के लिए नहीं है। आपके जीवन में उत्तम से उत्तम ड्यूटी करने के लिए है। एक श्रेष्ठ अवसर बनने का सामर्थ्‍य उसमें पड़ा हुआ हैा

साथियो,

आपका क्षेत्र यूनिफॉर्म की दुनिया का है, मैं आप सबसे आग्रह करूंगा फिजिकल फिटनेस में जरा भी compromise कीजिए। क्योंकि आपका काम समय के बंधनों में बंधा हुआ नहीं होता। मौसम की हर मार आपको झेलनी पड़ती है। फिजिकल फिटनेस ये आपके विभाग में काम करने वालों के लिए बहुत जरूरी है। फिजिकल फिटनेस से ही आधा काम तो यूं ही हो जाता है। अगर ढंग से आप खड़े हैं तो कानून व्‍यवस्‍था संभालने में कुछ करना नहीं पड़ता है, खड़ा रहना ही काफी हो जाता है।

दूसरा मेरा मत है आपकी ड्यूटी में तनावपूर्ण पल बहुत बार आते हैं, छोटी-छोटी बात पर तनाव आ जाता है। योगा, ये आपके जीवन में नित्य प्रैक्टिस होनी चाहिए। आप देखेंगे संतुलित मन आपके कार्य के लिए बहुत बड़ी ताकत देगा। योगा- ये सिर्फ फिजिकल एक्सरसाइज नहीं है, स्वस्थ मन के लिए, संतुलित मन के लिए और आप जैसे लोगों की ड्यूटी में तनाव से मुक्त रहने के लिए ये जीवन का हिस्सा होना बहुत जरूरी है।

साथियो,

देश 2047 में जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब आप सरकार में बहुत उच्‍च पद पर पहुंचे होंगे। ये 25 साल देश के और ये 25 साल आपकी जिंदगी के कितना अद्भुत संयोग है, अब मौका आपको नहीं गंवाना है। अपनी पूरी शक्ति, सामर्थ्‍य, जितना उसका विकास कर सकते हैं करिए, जितना ज्‍यादा समर्पण कर सकते हैं करिए। जितना ज्‍यादा जन सामान्‍य के जीवन के लिए अपने जीवन को खपा दें, आप देखिए जीवन में अद्भुत संतोष मिलेगा, एक अद्भुत आनंद मिलेगा। और आपके व्‍यक्तिगत जीवन की सफलता आपको संतोष देगी।

मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं, आपके परिवारजनों को बहुत-बहुत बधाई है। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री ने 45वें प्रगति संवाद की अध्यक्षता की
December 26, 2024
प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की नौ प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की
परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि जनता भी परियोजना के अपेक्षित लाभों से वंचित हो जाती है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान प्रभावित परिवारों के समय पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया
प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की समीक्षा की और राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया
प्रधानमंत्री ने उन शहरों में अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां मेट्रो परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं या पाइपलाइन में हैं ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं महत्वपूर्ण सीखों को समझा जा सके
प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की समीक्षा की और शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रगति, जो केन्द्र एवं राज्य सरकारों को शामिल करते हुए सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन से संबंधित आईसीटी-आधारित बहु-स्तरीय प्लेटफॉर्म है, के 45वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में, आठ महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें शहरी परिवहन की छह मेट्रो परियोजनाएं और सड़क कनेक्टिविटी तथा थर्मल पावर से संबंधित एक-एक परियोजना शामिल है। विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में फैली इन परियोजनाओं की संयुक्त लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्य, दोनों स्तरों पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि परियोजना में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता को भी अपेक्षित लाभ प्राप्त करने में बाधा आती है।

संवाद के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने जहां निपटान में लगने वाले समय में कमी लाने का उल्लेख किया, वहीं उन्होंने शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।

यह देखते हुए कि अधिक से अधिक शहरों में पसंदीदा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक के रूप में मेट्रो परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है, प्रधानमंत्री ने उन शहरों के लिए अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां ऐसी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रहीं हैं या पाइपलाइन में हैं, ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों से सीख ली जा सके।

समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के समय पर पुनर्वास और पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नई जगह पर गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करके ऐसे परिवारों के लिए जीवनयापन में आसानी को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की भी समीक्षा की। उन्होंने एक गुणवत्तापूर्ण विक्रेता इकोसिस्टम विकसित करके राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में रूफटॉप की स्थापना की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने मांग के सृजन से लेकर रूफटॉप सोलर के संचालन तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया।

प्रगति बैठकों के 45वें संस्करण तक, लगभग 19.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत की 363 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।