नवनियुक्तों को लगभग 51 हजार नियुक्ति पत्र वितरित किये
"युवाओं के लिए 'विकसित भारत' का निर्माता बनने का मार्ग प्रशस्त कर रहा रोजगार मेला"
"आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता नागरिकों के लिए जीवन सुगम बनाना होना होना चाहिए"
"सरकार उन लोगों के द्वार तक पहुंच रही है, जिन्हें कभी कोई लाभ नहीं मिला"
"भारत बुनियादी ढांचे की क्रांति का साक्षी है"
"अधूरी परियोजनाएं देश के ईमानदार करदाताओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय है, हम इसका समाधान कर रहे हैं"
"वैश्विक संस्थान भारत की विकास गाथा को लेकर आशान्वित हैं"

नमस्कार।

देश में लाखों युवाओं को भारत सरकार की नौकरी देने का अभियान लगातार जारी है। आज 50 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ये नियुक्ति पत्र, आपके परिश्रम और प्रतिभा का नतीजा है। मैं आपको और आपके परिवार को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

अब आप राष्ट्र निर्माण की उस धारा से जुड़ने जा रहे हैं, जिसका सरोकार सीधे जनता-जनार्दन से है। भारत सरकार के कर्मचारी के तौर पर आप सभी को बड़े-बड़े दायित्वों को निभाना है। आप जिस भी पद पर रहें, जिस भी क्षेत्र में काम करें, आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता, देशवासियों की Ease of Living ही होनी चाहिए।

साथियों,

कुछ ही दिन पहले, 26 नवंबर को देश ने संविधान दिवस मनाया है। यही वो तारीख है, जब 1949 में देश ने सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देने वाले संविधान को अपनाया था। संविधान के मुख्य शिल्पी, बाबा साहेब ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां सबको एक समान अवसर देकर सामाजिक न्याय स्थापित किया जाए। दुर्भाग्य से आजादी के बाद लंबे समय तक देश में समानता के सिद्धांत की अनदेखी की गई।

2014 से पहले, समाज के एक बड़े वर्ग को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया था। 2014 में, जब हमें देश ने सेवा करने का मौका दिया, सरकार चलाने की जिम्‍मेदारी दी तो सबसे पहले, हमने वंचितों को वरीयता, इस मंत्र को ले करके आगे बढ़ने की दिशा आरंभ की। सरकार खुद चलकर उन लोगों तक पहुंची, जिन्हें कभी योजनाओं का लाभ नहीं मिला, जिन्हें दशकों तक सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिली थी, हम उनका जीवन बदलने का प्रयास कर रहे हैं।

सरकार की सोच में, सरकार की कार्य संस्कृति में ये जो बदलाव आया है, इसकी वजह से आज देश में अभूतपूर्व परिणाम भी सामने आ रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी वही है, लोग वही हैं। फाइलें वही हैं, काम करने वाले भी वही हैं, तरीका भी वही है। लेकिन जब सरकार ने देश के गरीब को, देश के मध्यम वर्ग को प्राथमिकता दी, तो सारी स्थितियां बदलने लगीं। बहुत तेज गति से एक के बाद एक कार्यशैली भी बदलने लगी, कार्य पद्धति बदलने लगी, जिम्‍मेदारियां तय होने लगीं और जन सामान्‍य की भलाई के पॉजिटिव रिजल्ट सामने आने लगे।

एक अध्ययन के मुताबिक 5 वर्षों में देश के 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं। इससे पता चलता है कि सरकार की योजनाओं का गरीब तक पहुंचना कितना बड़ा परिवर्तन लाता है। आज सुबह ही आपने देखा होगा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा, किस तरह गांव-गांव में जा रही है। आपकी तरह ही सरकार के कर्मचारी, सरकार की योजनाओं को गरीब के दरवाजे तक ले जा रहे हैं। सरकारी सेवा में आने के बाद आपको भी ऐसी ही नीयत से, नेक नीयत से, ऐसे ही समर्पण भाव से, ऐसी ही निष्ठा से अपने-आपको जनता-जनार्दन की सेवा के लिए खपाना ही है

साथियों,

आज के बदलते हुए भारत में आप सभी एक इंफ्रास्ट्रक्चर क्रांति के भी साक्षी बन रहे हैं। आधुनिक एक्सप्रेसवे हों, आधुनिक रेलवे स्टेशंस हों, एयरपोर्ट्स हों, वॉटर वे हों, आज देश इन पर लाखों करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। और जब सरकार इतने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च कर रही है, इंवेस्ट करती है, तो बहुत स्‍वाभाविक है, इसको कोई नकार नहीं सकता है क्योंकि इसके कारण रोजगार के भी लाखों नए अवसर बनते हैं।

2014 के बाद से एक और बहुत बड़ा बदलाव ये भी आया है कि बरसों से अटकी-भटकी-लटकी परियोजनाओं को खोज-खोज करके मिशन मोड पर पूरा कराया जा रहा है। आधी-अधूरी परियोजनाएं ईमानदार जो देश के हमारे टैक्स पेयर्स हैं, उनके पैसे तो बर्बाद करती ही करती हैं, लागत भी बढ़ जाती है, और जो उसका लाभ मिलना चाहिए, वो भी नहीं मिलता है। ये हमारे टैक्‍स पेयर्स के साथ भी बहुत बड़ी नाइंसाफी है।

बीते वर्षों में केंद्र सरकार ने लाखों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करके उन्हें तेजी से पूरा करवाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की है और सफलता पाई है। इससे भी देश के कोने-कोने में रोजगार के अनेक नए अवसर बने हैं। जैसे- बीदर-कलबुर्गी रेलवे लाइन ऐसी ही एक परियोजना थी, जिसे 22-23 साल पहले शुरू किया गया था। लेकिन ये प्रोजेक्ट भी अटका हुआ था, भटका हुआ था। हमने 2014 में इसे पूरा करने का संकल्प लिया और केवल 3 तीन साल में इस परियोजना को पूरा करके दिखाया। सिक्किम के पाक्योंग एयरपोर्ट की परिकल्पना भी 2008 में की गई थी। लेकिन 2014 तक ये सिर्फ कागजों पर ही बनता रहा। 2014 के बाद इस प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी बाधाओं को हटाकर इसे 2018 तक पूरा कर लिया गया। इसने भी रोजगार दिए। पारादीप रिफाइनरी की भी चर्चा 20-22 साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन 2013 तक कुछ खास हुआ ही नहीं। जब हमारी सरकार आई तो हमने सभी अटके हुए, रुके हुए प्रोजेक्ट्स की तरह पारादीप रिफाइनरी को भी हाथ में लिया, उसको पूरा किया। जब इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पूरा होते हैं, तो इससे प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तो बनते ही हैं, साथ ही ये रोजगार के कई अप्रत्यक्ष अवसरों को भी तैयार करते हैं।

साथियों,

देश में रोजगार निर्माण करने वाला एक बहुत बड़ा सेक्टर है- रीयल इस्टेट। ये सेक्टर जिस दिशा में जा रहा था, उसमें बिल्डरों के साथ ही मध्यम वर्ग की बर्बादी तय थी। रेरा कानून की वजह से आज रीयल इस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आई है, इस सेक्टर में इंवेस्टमेंट लगातार बढ़ रहा है। आज देश के एक लाख से ज्यादा रियल इस्टेट प्रोजेक्ट्स रेरा कानून के तहत रजिस्टर्ड हैं। पहले प्रोजेक्ट रूक जाते थे, रोजगार के नए अवसर ठप पड़ जाते थे। देश का बढ़ता हुआ ये रीयल इस्टेट बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर बना रहा है।

साथियों,

भारत सरकार की नीति और निर्णयों ने आज देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। दुनिया की बड़ी-बड़ी संस्थाएं भारत की विकास दर को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। हाल ही में, निवेश रेटिंग के एक ग्लोबल लीडर ने भारत के तेज विकास पर अपनी मुहर लगाई है। उनका अनुमान है कि रोजगार के बढ़ते अवसर, working-age population इसकी बड़ी संख्या और labour productivity में बढ़ोतरी की वजह से भारत में विकास तेज गति से जारी रहेगा। भारत के मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की मजबूती भी इसकी बड़ी वजह है।

ये सारे तथ्य इस बात के प्रमाण हैं कि आने वाले समय में भी भारत में रोजगार और स्वरोजगार की असीम संभावनाएं इसी तरह बनती रहेंगी। ये देश के युवाओं के लिए अपने आप में बहुत अहम है। एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते, आपकी भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। आपको ये सुनिश्चित करना है कि भारत में हो रहे विकास का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक जरूर पहुंचे। कोई क्षेत्र कितना ही दूर क्यों ना हो, वो आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। कोई व्यक्ति कितने ही दुर्गम स्थान पर क्यों ना हो, आपको उस तक पहुंचना ही होगा। भारत सरकार के कर्मचारी के तौर पर जब आप इस अप्रोच से आगे बढ़ेंगे, तभी विकसित भारत का सपना साकार होगा।

साथियों,

अगले 25 वर्ष आपके और देश के लिए बहुत अहम हैं। बहुत कम पीढ़ियों को इस तरह का अवसर मिला है। इस अवसर का पूरा उपयोग करें। मेरा ये भी आग्रह है कि आप सभी नए learning module ''कर्मयोगी प्रारंभ'' से जरूर जुड़ें। एक भी ऐसा हमारा साथी नहीं होना चाहिए कि जो इसके साथ जुड़ करके अपनी capacity न बढ़ाता हो। सीखने की जो प्रवृत्ति आपको यहां इस मुकाम तक लेकर आई है, कभी भी सीखने की उस प्रवृत्ति को बंद मत होने देना, लगातार सीखते जाइए, लगातार अपने-आपको ऊपर उठाते जाइए। ये तो आपकी जिंदगी का प्रारंभ है, देश भी बढ़ रहा है, आपको भी बढ़ना है। यहां आए हैं अटक नहीं जाना है। और इसके लिए बहुत बड़ी व्‍यवस्‍था की गई है।

कर्मयोगी प्रारंभ को एक वर्ष पहले शुरू किया गया था। तब से लाखों नए सरकारी कर्मचारी इसके द्वारा ट्रेनिंग ले चुके हैं। मेरे साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में, पीएमओ में जो काम करते हैं, वे सब भी बड़े सीनियर लोग हैं, देश की महत्वपूर्ण चीजों को वो देखते हैं, लेकिन वे भी इसके साथ जुड़ करके लगातार टेस्‍ट दे रहे हैं, एग्‍जाम दे रहे हैं, कोर्सेज कर रहे हैं, जिससे उनकी capacity, उनका सामर्थ्‍य मेरे पीएमओ को भी मजबूत करता है, देश को भी मजबूत करता है।

हमारे ऑनलाइन ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म iGoT Karmayogi पर भी 800 से ज्यादा कोर्सेस उपलब्ध हैं। अपने स्किल को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग अवश्‍य करें। और जब आज आपके जीवन की एक नई शुरुआत हो रही है, आपके परिवार के सपने, उसको एक नई ऊंचाई मिल रही है। मेर तरफ से आपके परिवारजनों को भी मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप जब सरकार में आए हैं तो अगर हो सके तो एक बात आज ही डायरी पर लिख दीजिए कि एक सामान्‍य नागरिक के नाते आपकी 20, 22, 25 साल की जो भी उम्र बीती होगी, सरकार में आपको कहां-कहां दिक्‍कतें आईं। कभी बस स्टेशन पर दिक्‍कत आई होगी, कभी चौराहे पर पुलिस के कारण कभी दिक्‍कत आई होगी। कहीं पर सरकारी दफ्तर में दिक्‍कत आई होगी।

आप जरा उसको याद कीजिए और तय कीजिए कि मैंने जिंदगी में सरकार से जो कुछ भी दिक्‍कते प्राप्त की हैं, और वो किसी सरकारी मुलाजिम के कारण की हैं, मैं कम से कम जीवन में कभी भी किसी भी नागरिक को ऐसी मुसीबत झेलनी पड़े, ऐसा व्‍यवहार नहीं करूंगा। इतना भी अगर आप निर्णय कर लेते हैं कि मेरे साथ जो हुआ वो मैं किसी के साथ नहीं करूंगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि जन-सामान्‍य के जीवन में हम कितनी बड़ी सहायता का काम कर सकते हैं। राष्‍ट्र निर्माण की दिशा में आपके उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!