‘संत मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव केवल एक संत का जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की सम्पूर्ण संस्कृति और लगाव की परंपरा का एक उत्सव है’
‘मीराबाई ने भारत की चेतना को भक्ति और अध्यात्म से जागृत किया’
‘भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है’
‘मथुरा और ब्रज विकास की दौड़ में पीछे नहीं रहेंगे’
‘ब्रज क्षेत्र में हो रहा विकास राष्ट्र की नव जागृति चेतना के बदलते स्वरूप का प्रतीक है’

राधे-राधे! जय श्रीकृष्ण!

कार्यक्रम में उपस्थित ब्रज के पूज्य संतगण, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, हमारे दोनों उप-मुख्यमंत्रीगण, मंत्रिमंडल के और सहयोगीगण, मथुरा की सांसद बहन हेमामालिनी जी, और मेरे प्यारे ब्रजवासियों!

सबसे पहले तो मैं आपकी क्षमा चाहता हूं क्योंकि मुझे आने में विलंब हुआ क्योंकि मैं राजस्थान में चुनाव के एक मैदान में था, और उस मैदान से अब इस भक्ति वातावरण में आया हूं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज ब्रज के दर्शन का अवसर मिला है, ब्रजवासियों के दर्शन का अवसर मिला है। क्योंकि, यहाँ वही आता है जहां श्रीकृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं। ये कोई साधारण धरती नहीं है। ये ब्रज तो हमारे ‘श्यामा-श्याम जू’ का अपना धाम है। ब्रज ‘लाल जी’ और ‘लाड़ली जी’ के प्रेम का साक्षात् अवतार है। ये ब्रज ही है, जिसकी रज भी पूरे संसार में पूजनीय है। ब्रज की रज-रज में राधा-रानी रमी हुई है, यहाँ के कण-कण में कृष्ण समाये हुये हैं। और इसीलिए, हमारे ग्रन्थों में कहा गया है-सप्त द्वीपेषु यत् तीर्थ, भ्रमणात् च यत् फलम्। प्राप्यते च अधिकं तस्मात्, मथुरा भ्रमणीयते॥ अर्थात्, विश्व की सभी तीर्थ यात्राओं का जो लाभ होता है, उससे भी ज्यादा लाभ अकेले मथुरा और ब्रज की यात्रा से ही मिल जाता है। आज ब्रज रज महोत्सव और संत मीराबाई जी की 525वीं जन्मजयंती समारोह के जरिए मुझे एक बार फिर ब्रज में आप सबके बीच आने का अवसर मिला है। मैं दिव्य ब्रज के स्वामी भगवान कृष्ण और राधा रानी को पूर्ण समर्पण भाव से प्रणाम करता हूँ। मैं मीराबाई जी के चरणों में भी नमन करते हुए ब्रज के सभी संतों को प्रणाम करता हूँ। मैं सांसद बहन हेमामालिनी जी का भी अभिनंदन करता हूँ। वो सांसद तो है लेकिन ब्रज में वो रम गई है। हेमा जी न केवल एक सांसद के रूप में ब्रज रस महोत्सव के आयोजन के लिए पूरी भावना से जुटी है, बल्कि, खुद भी कृष्ण भक्ति में सराबोर यानि होकर प्रतिभा और प्रस्तुति से समारोह को और भव्य बनाने का काम करती है।

मेरे परिवारजनों,

मेरे लिए इस समारोह में आना एक और वजह से भी विशेष है। भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक, ब्रज का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है। ये मथुरा के कान्हा, गुजरात जाकर ही द्वारिकाधीश बने थे। और राजस्थान से आकर मथुरा-वृन्दावन में प्रेम की धारा बहाने वाली संत मीराबाई जी ने भी अपना अंतिम जीवन द्वारिका में ही बिताया था। मीरा की भक्ति बिना वृंदावन के पूरी नहीं होती है। संत मीराबाई ने वृन्दावन भक्ति से अभिभूत होकर कहा था- आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको...घर-घर तुलसी ठाकुर पूजा, दर्शन गोविन्दजी कौ....इसलिए, जब गुजरात के लोगों को यूपी और राजस्थान में फैले ब्रज में आने का सौभाग्य मिलता है, तो हम इसे द्वारिकाधीश की ही कृपा मानते हैं। और मुझे तो मां गंगा ने बुलाया औऱ फिर भगवान द्वारिकाधीश की कृपा से 2014 से ही आपके बीच में आकर के बस गया, आपकी सेवा में लीन हो गया।

मेरे परिवारजनों,

मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव केवल एक संत का जन्मोत्सव नहीं है। ये भारत की एक सम्पूर्ण संस्कृति का उत्सव है। ये भारत की प्रेम-परंपरा का उत्सव है। ये उत्सव नर और नारायण में, जीव और शिव में, भक्त और भगवान में, अभेद मानने वाले विचार का भी उत्सव है। जिसे कोई अद्वैत कहता है। आज इस महोत्सव में अभी मुझे संत मीराबाई के नाम पर स्मारक सिक्का और टिकट जारी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मीराबाई राजस्थान की उस वीरभूमि में जन्मी थीं, जिसने देश के सम्मान और संस्कृति के लिए असीम बलिदान दिये हैं। 84 कोस का ये ब्रजमण्डल खुद भी यूपी और राजस्थान को जोड़कर बनता है। मीराबाई ने भक्ति और आध्यात्म की अमृतधारा बहाकर भारत की चेतना को सींचा था, मीराबाई ने भक्ति, समर्पण और श्रद्धा को बहुत ही आसान भाषा, सहज रूप से समझाया था- मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अबिनासी, रे ।। उनकी श्रद्धा में आयोजित ये कार्यक्रम हमें भारत की भक्ति के साथ-साथ भारत के शौर्य और बलिदान की भी याद दिलाता है। मीराबाई के परिवार ने, और राजस्थान ने उस समय अपना सब कुछ झोंक दिया था। हमारी आस्था के केन्द्रों की रक्षा के लिए राजस्थान और देश के लोग दीवार बनकर खड़े रहे, ताकि भारत की आत्मा को, भारत की चेतना को सुरक्षित रखा जा सके। इसलिए, आज का ये समारोह हमें मीराबाई की प्रेम-परंपरा के साथ-साथ उस पराक्रम की परंपरा की भी याद दिलाता है। और यही तो भारत की पहचान है। हम एक ही कृष्ण में, बांसुरी बजाते कान्हा को भी देखते हैं, और सुदर्शन चक्रधारी वासुदेव के भी दर्शन करते हैं।

मेरे परिवारजनों,

हमारा भारत हमेशा से नारीशक्ति का पूजन करने वाला देश रहा है। ये बात ब्रजवासियों से बेहतर और कौन समझ सकता है। यहाँ कन्हैया के नगर में भी ‘लाड़ली सरकार’ की ही पहले चलती है। यहाँ सम्बोधन, संवाद, सम्मान, सब कुछ राधे-राधे कहकर ही होता है। कृष्ण के पहले भी जब राधा लगता है, तब उनका नाम पूरा होता है। इसीलिए, हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियाँ भी उठाई हैं, और समाज का लगातार मार्गदर्शन भी किया है। मीराबाई जी इसका भी एक प्रखर उदाहरण रही है। मीराबाई जी ने कहा था- जेताई दीसै धरनि गगन विच, तेता सब उठ जासी।। इस देहि का गरब ना करणा, माटी में मिल जासी।। यानी तुझे इस धरती और आसमान के बीच जो कुछ दिखाई दे रहा है। इसका अंत एक दिन निश्चित है। इस बात में कितना बड़ा गंभीर दर्शन छिपा है, ये हम सभी समझ सकते हैं।

साथियों,

संत मीराबाई जी ने उस कालखंड में समाज को वो राह भी दिखाई, जिसकी उस समय सबसे ज्यादा जरूरत थी। भारत के ऐसे मुश्किल समय में मीराबाई जैसी संत ने दिखाया कि नारी का आत्मबल, पूरे संसार को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है। उन्होंने संत रविदास को अपना गुरु माना, और खुलकर कहा भी - “गुरु मिलिआ संत गुरु रविदास जी, दीन्ही ज्ञान की गुटकी”। इसीलिए, मीराबाई मध्यकाल की केवल एक महान महिला ही नहीं थीं बल्कि वो महानतम समाज सुधारकों और पथप्रदर्शकों में से भी एक रहीं।

साथियों,

मीराबाई और उनके पद वो प्रकाश हैं, जो हर युग में, हर काल में उतने ही प्रासंगिक हैं। अगर हम आज वर्तमान काल की चुनौतियों को देखेंगे, तो मीराबाई हमें रूढ़ियों से मुक्त होकर अपने मूल्यों से जुड़े रहने की सीख देती हैं। मीराबाई कहती हैं-मीराँ के प्रभु सदा सहाई, राखे विघन हटाय। भजन भाव में मस्त डोलती, गिरधर पै बलि जाय? उनकी भक्ति में सरलता है पर दृढ़ता भी है। वो किसी भी विध्न से नहीं डरती हैं। वो सिर्फ अपना काम लगातार करने की प्रेरणा देती हैं।

मेरे परिवारजनों,

आज के इस अवसर पर मैं भारत भूमि की एक और विशेषता का जरूर जिक्र करना चाहता हूं। ये भारत भूमि की अद्भुत क्षमता है कि जब-जब उसकी चेतना पर प्रहार हुआ, जब-जब उसकी चेतना कमजोर पड़ी, देश के किसी ना किसी कोने में एक जागृत ऊर्जा पुंज ने भारत को दिशा दिखाने के लिए संकल्प भी लिया, पुरूषार्थ भी किया। और इस पुण्य कार्य के लिए कोई योद्धा बना तो कोई संत बना। भक्ति काल के हमारे संत, इसका अप्रतिम उदाहरण हैं। उन्होंने वैराग्य और विरक्ति के प्रतिमान गढ़े, और साथ ही हमारे भारत को भी गढ़ा। आप पूरे भारत को देखिए, दक्षिण में आलवार संत, और नायनार संत थे, रामानुजाचार्य जैसे आचार्य थे! उत्तर भारत में तुलसीदास, कबीरदास, रविदास, और सूरदास जैसे संत हुये! पंजाब में गुरु नानकदेव हुए। पूरब में, बंगाल के चैतन्य महाप्रभु जैसे संतों का प्रकाश तो आज पूरी दुनिया में फैल रहा है। पश्चिम में भी, गुजरात में नरसी मेहता, महाराष्ट्र में तुकाराम और नामदेव जैसे संत हुये! सबकी अलग-अलग भाषा, अलग-अलग बोली, अलग-अलग रीति-रिवाज और परम्पराएँ थीं। लेकिन, फिर भी सबका संदेश एक ही था, उद्देश्य एक ही था। देश के अलग-अलग क्षेत्रों से भक्ति और ज्ञान की जो धाराएँ निकलीं, उन्होंने एक साथ मिलकर पूरे भारत को जोड़ दिया।

और साथियों,

मथुरा जैसा ये पवित्र स्थान तो, भक्ति आंदोलन की इन विभिन्न धाराओं का संगम स्थान रहा है। मलूकदास, चैतन्य महाप्रभु, महाप्रभु वल्लभाचार्य, स्वामी हरिदास, स्वामी हित हरिवंश प्रभु जैसे कितने ही संत यहाँ आए! उन्होंने भारतीय समाज में नई चेतना फूंकी, नए प्राण फूंके! ये भक्ति यज्ञ आज भी भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से निरंतर जारी है।

मेरे परिवारजनों,

ब्रज के बारे में हमारे संतों ने कहा है-वृन्दावन सौं वन नहीं, नन्दगाँव सौं गाँव। बंशीवट सौं वट नहीं, कृष्ण नाम सौं नाँव॥ अर्थात्, वृन्दावन जैसा पवित्र वन कहीं और नहीं है। नन्दगाँव जैसा पवित्र गाँव नहीं है।...यहाँ के बंशीवट जैसा वट नहीं है...और कृष्ण के नाम जैसा कल्याणकारी नाम नहीं है। ये ब्रज क्षेत्र भक्ति और प्रेम की भूमि तो है ही, ये हमारे साहित्य, संगीत, संस्कृति और सभ्यता का भी केंद्र रहा है। इस क्षेत्र ने मुश्किल से मुश्किल समय में भी देश को संभाले रखा। लेकिन जब देश आज़ाद हुआ, तो जो महत्व इस पवित्र तीर्थ को मिलना चाहिए था, दुर्भाग्य से वो नहीं हुआ। जो लोग भारत को उसके अतीत से काटना चाहते थे, जो लोग भारत की संस्कृति से, उसकी आध्यात्मिक पहचान से विरक्त थे, वो आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता नहीं त्याग पाए, उन्होंने ब्रज भूमि को भी विकास से वंचित रखा।

भाइयों-बहनों,

आज आज़ादी के अमृतकाल में पहली बार देश गुलामी की उस मानसिकता से बाहर आया है। हमने लाल किले से ‘पंच प्राणों’ का संकल्प लिया है। हम अपनी विरासत पर गर्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज काशी में विश्वनाथ धाम भव्य रूप में हमारे सामने है। आज उज्जैन के महाकाल महालोक में दिव्यता के साथ-साथ भव्यता के दर्शन हो रहे हैं। आज केदारघाटी में केदारनाथ जी के दर्शन करके लाखों लोग धन्य हो रहे हैं। और अब तो, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के लोकार्पण की तिथि भी आ गई है। मथुरा और ब्रज भी, विकास की इस दौड़ में अब पीछे नहीं रहेंगे। वो दिन दूर नहीं जब ब्रज क्षेत्र में भी भगवान के दर्शन और भी दिव्यता के साथ होंगे। मुझे खुशी है कि ब्रज के विकास के लिए ‘उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ की स्थापना की गई है। ये परिषद श्रद्धालुओं की सुविधा और तीर्थ के विकास के लिए बहुत से काम कर रही है। ‘ब्रज रज महोत्सव’ जैसे कार्यक्रम विकास की इस धारा में अपना प्रकाश भी बिखेर रहे हैं।

साथियों,

ये पूरा क्षेत्र कान्हा की लीलाओं से जुड़ा है। मथुरा, वृंदावन, भरतपुर, करौली, आगरा, फिरोजाबाद, कासगंज, पलवल, बल्लभगढ़ जैसे इलाके अलग-अलग राज्य में आते हैं। भारत सरकार का प्रयास है कि अलग-अलग राज्य सरकारों के साथ मिलकर हम इस पूरे इलाके का विकास करें।

साथियों,

ब्रज क्षेत्र में, देश में हो रहे ये बदलाव, ये विकास केवल व्यवस्था का बदलाव नहीं है। ये हमारे राष्ट्र के बदलते स्वरूप का, उसकी पुनर्जागृत होती चेतना का प्रतीक है। और महाभारत प्रमाण है कि जहां भारत का पुनरोत्थान होता है, वहाँ उसके पीछे श्रीकृष्ण का आशीर्वाद जरूर होता है। उसी आशीर्वाद की ताकत से हम अपने संकल्पों को पूरा करेंगे, और विकसित भारत का निर्माण भी करेंगे। एक बार फिर आप सभी को संत मीराबाई जी की 525वीं जयंती पर मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।

राधे-राधे! जय श्रीकृष्ण!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।