शोभना भरतिया जी, हिंदुस्तान टाइम्स के, आपकी टीम के सभी सदस्य, यहां उपस्थित सभी Guests, देवियों और सज्जनों।
सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं क्योंकि मैं चुनावी मैदान में था तो वहां से आते-आते थोड़ी देर हो गई। लेकिन सीधा एयरपोर्ट से पहुंचा हूं आपके बीच। शोभना जी बहुत बढ़िया बोल रही थी, यानि मुद्दे अच्छे थे, जरूर कभी ना कभी पढ़ने को भी मिलेगा। चलिए उसमें देर हो गई।
साथियों,
आप सबको नमस्कार। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में एक बार फिर आपने मुझे यहां निमंत्रित किया, इसके लिए मैं HT ग्रुप का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। 2014 में जब हमारी सरकार बनी थी, और हमारा सेवाकाल शुरू हुआ था, उस वक्त इस समिट की थीम थी- Reshaping India यानि HT Group ये मानकर चल रहा था कि आने वाले समय में भारत में बहुत कुछ बदलेगा, Reshape होगा। 2019 में जब हमारी सरकार पहले से भी ज्यादा बहुमत के साथ वापस आई, तो उस समय आपने थीम रखी- Conversations for a Better Tomorrow. आपने HT समिट के माध्यम से दुनिया को संदेश दिया कि भारत एक बेहतर भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। अब 2023 में जब देश में अगले वर्ष होने वाले चुनावों की चर्चा हो रही है, तो आपकी थीम है- Beyond Barriers... और मैं जनता के बीच रहने, जीने वाले वाला इंसान हूं, पॉलिटिकल आदमी हूं तो और जनप्रतिनिधि हूं तो मुझे उसमें कुछ एक संदेश दिखता है। आम तौर पर ओपिनियन पोल, चुनावों के कुछ हफ्तों पहले आते हैं और बताते हैं, क्या होने वाला है। लेकिन आपने साफ संकेत दे दिया है कि देश की जनता इस बार सारे बैरियर्स तोड़कर हमारा समर्थन करने वाली है। 2024 Election Results will be beyond barriers.
साथियों,
‘Reshaping India’ से ‘Beyond Barriers’ तक के भारत के इस सफर ने आने वाले उज्ज्वल भविष्य की नींव गढ़ दी है। इसी नींव पर विकसित भारत का निर्माण होगा, भव्य और समृद्ध भारत का निर्माण होगा। लंबे समय तक, भारत और हम भारतीयों को अनेक Barriers का सामना करना पड़ा है। हम पर हुए हमलों और गुलामी के लंबे कालखंड ने भारत को बहुत सारे बंधनों में बांध दिया था। स्वतंत्रता आंदोलन के समय जो एक ज्वार उठा, जो जज्बा पैदा हुआ, सामूहिकता की जो भावना पैदा हुई, उसने ऐसे कई बंधनों को तोड़ दिया था। आजादी के बाद उम्मीद थी कि यही momentum आगे भी जारी रहेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया। अनेक तरह के बंधनों में बंधा हुआ हमारा देश, उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाया, जितना उसका सामर्थ्य था। एक बहुत बड़ा Barrier मानसिकता का था, Mental Barriers. कुछ Barriers real थे, असल में थे। कुछ Barriers perceived थे, बनाए गए थे, और कुछ Barriers exaggerated, बढ़ा-चढ़ाकर हमारे सामने हौवे की तरह प्रस्तुत कर दिए गए थे। 2014 के बाद से ही भारत, लगातार इन बंधनों को तोड़ने के लिए मेहनत कर रहा है। मुझे संतोष है कि हमने अनेक बाधाएं पार की हैं और अब हम ‘Beyond Barriers’ की बात कर रहे हैं। आज भारत हर Barrier तोड़ते हुए चांद पर वहां पहुंचा है, जहां कोई नहीं पहुंचा है। आज भारत हर चुनौती को पार करते हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन में नंबर वन बना है। आज भारत, हर बाधा से निकलकर, मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में लीड ले रहा है। आज भारत, स्टार्ट अप्स की दुनिया में टॉप तीन में है। आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा Skilled Pool अपने यहां बना रहा है। आज भारत, जी-20 जैसे आयोजनों में अपना परचम लहरा रहा है। आज भारत अपने को हर बंधन से मुक्त करके आगे बढ़ रहा है। और आपने सुना ही होगा- सितारों के आगे जहां और भी है। भारत, इतने पर ही रुकने वाला नहीं है।
साथियों,
जैसा मैं अभी कह रहा था, सबसे बड़ा बैरियर तो हमारे यहां Mindset का ही था, मेंटल बैरियर्स थे। इसी माइंडसेट की वजह से हमें कैसी-कैसी बातें सुनने को मिलती थीं। इस देश का कुछ हो ही नहीं सकता...इस देश में कुछ बदल ही नहीं सकता...और, अपने यहां सब ऐसे ही चलता है....अगर लेट आए तो भी कहते थे – Indian Time, बड़े गर्व से कहते थे। करप्शन का, अरे उसका तो कुछ हो ही नहीं सकता है साहब, जीना सीख लो...कोई चीज सरकार ने बनाई है तो उसकी क्वालिटी खराब ही होगी ही होगी साहब, ये तो सरकारी है...कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो पूरे देश को मेंटल बैरियर तोड़कर बाहर आने के लिए प्रेरित करती हैं। गांधी जी ने दांडी यात्रा में उठाया तो एक चुटकी भर नमक था, लेकिन पूरा देश खड़ा हो गया, हम आजादी प्राप्त कर सकते हैं लोगों का ये विश्वास बढ़ गया था। अभी चंद्रय़ान की सफलता से कोई 140 करोड़ देशवासी अचानक वैज्ञानिक नहीं बन गए हैं, Astronaut नहीं बन गए हैं। लेकिन पूरे देश में एक आत्म विश्वास से भरे हुए माहौल को आज भी हम अनुभव कर रहे हैं। और क्या निकलता है- हम कर सकते हैं, हम हर सेक्टर में आगे जा सकते हैं। आज हर भारतीय बुलंद हौसले से भरा हुआ है। स्वच्छता का विषय याद होगा आपको। कुछ लोग कहते थे कि लाल किले से पीएम का स्वच्छता की बात करना, टॉयलेट की बात करना, इस पद की गरिमा के खिलाफ है। सैनिटरी पैड, ऐसा शब्द था जिसे लोग, खासकर पुरुष सामान्य बोलचाल की भाषा में भी बोलने से बचते थे। मैंने लालकिले से ये विषय उठाए। और वहीं से माइंडसेट बदलने की शुरुआत हुई। आज स्वच्छता एक जन-आंदोलन बन गया है। आप याद करिए, खादी को कोई पूछता तक नहीं था। बहुत, यानि हम जैसे नेताओं का विषय रह गया था, वो भी चुनाव में जरा लंबा कुर्ता पहनकर पहुंच जाना यहीं हो गया था। लेकिन अब पिछले 10 साल में खादी की बिक्री तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है।
साथियों,
जनधन बैंक अकाउंट्स की सफलता देशवासी जानते हैं। लेकिन जब हम इस योजना को लेकर आए थे, तो कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि ये अकाउंट खोलना संसाधनों की बर्बादी है, गरीब इनमें एक पैसा भी नहीं डालेगा। बात केवल पैसे की नहीं थी। बात थी मेंटल बैरियर तोड़ने की, माइंडसेट बदलने की। ये लोग गरीब के उस अभिमान को, उस स्वाभिमान को, कभी समझ ही नहीं पाए, जो जनधन योजना ने उस गरीब में जगाया। उसे तो बैंकों के दरवाजे तक जाने की हिम्मत नहीं होती थी, वो डरता था। उसके लिए बैंक अकाउंट होना भी अमीरों की चीज थी। जब उसने देखा कि बैंक खुद उसके दरवाजे तक आ रहे हैं, तो उसमें एक विश्वास जगा, एक स्वाभिमान जगा, उसके मन में एक नया बीज पनपा। आज वो बड़े अभिमान से अपनी जेब में से रूपे कार्ड निकालता है, रूपे कार्ड का इस्तेमाल करता है। और हम तो जानते हैं, आज से 5-10 साल पहले स्थिति ये थी कि किसी बड़े होटल में बड़े-बड़े लोग खाना खा रहे हैं तो उनके बीच में भी कंपटीशन रहता था, वो जब बटवा निकालता था तो चाहता था कि वो देखें कि उसके बटवे में 15-20 कार्ड हैं, कार्ड दिखाना भी फैशन था, कार्ड की संख्या status विषय था। मोदी ने उसको गरीब की जेब में डालकर के रख दिया। मेंटल बैरियर कैसे तोड़े जाते हैं।
दोस्तों, आज गरीब को लगता है कि जो अमीर के पास है, वो मेरे पास भी है। इस बीज ने वटवृक्ष बनकर कितने ही फल दिए हैं। AC कमरों की नंबर और नैरेटिव वाली दुनिया में रहने वाले लोग, गरीब के इस मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण को कभी नहीं समझ पाएंगे। लेकिन मैं एक गरीब परिवार से आय़ा हूं, गरीबी को जीकर यहां आया हूं, इसलिए जानता हूं कि सरकार के इन प्रयासों ने कितने सारे बैरियर्स को तोड़ने का काम किया है। माइंडसेट में ये परिवर्तन देश के भीतर ही नहीं, बाहर भी आया है। पहले आतंकी हमला होता था, तो हमारी सरकारें दुनिया से अपील करती थीं कि हमारी मदद करिए, वैश्विक मत बढ़ाने के लिए जाना पड़ता था। आतंकियों को रोकिए। हमारी सरकार में आतंकी हमला हुआ, तो हमले का जिम्मेदार देश दुनिया भर से खुद को बचाने के लिए गुहार लगाता है। भारत के एक्शन ने दुनिया का माइंडसेट बदला। 10 साल पहले दुनिया सोचती थी कि भारत Climate Action के संकल्पों में बाधा है, एक रूकावट है, negative है। लेकिन आज भारत दुनिया के Climate Action के संकल्पों को Lead कर रहा है, अपने Targets को समय से पहले हासिल करके दिखा रहा है। आज माइंडसेट बदलने का प्रभाव हम स्पोर्ट्स की दुनिया में भी देख रहे हैं। लोग खिलाड़ियों को कहते थे, खेल तो रहे हो लेकिन करियर में क्या करोगे, नौकरी का क्या करोगे? सरकारों ने भी खिलाड़ियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था। ना उनकी ज्यादा आर्थिक मदद होती थी और ना ही स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जाता था। हमारी सरकार ने इस बैरियर को भी हटाया। अब आज एक के बाद एक टूर्नामेंट में, हमारे यहां मेडल्स की बारिश हो रही है।
Friends,
भारत में सामर्थ्य की कमी नहीं है, संसाधनों की कमी नहीं है। हमारे सामने एक बहुत बड़ा और Real Barrier रहा है- गरीबी का। गरीबी को Slogans से नहीं Solutions से ही लड़ा जा सकता है। गरीबी को नारे से नहीं, नीति और नीयत से ही हराया जा सकता है। हमारे यहां पहले की सरकारों की जो सोच रही उसने देश के गरीब को सामाजिक और आर्थिक रूप से आगे नहीं बढ़ने दिया। मैं मानता हूं, गरीब में खुद इतना सामर्थ्य होता है कि वो गरीबी से लड़ सके और उस लड़ाई में जीत सके। हमें उसे सपोर्ट करना होता है, उसे मूलभूत सुविधाएं देनी होती हैं, उसे Empower करना होता है। इसीलिए हमारी सरकार ने इन बाधाओं को तोड़ने के लिए, गरीब को Empower करके, उस काम को हमने सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में लिया। हमने ना सिर्फ लोगों का जीवन बदला, बल्कि गरीबों को गरीबी से उबरने में मदद भी की। इसके परिणाम आज देश स्पष्ट देख रहा है। और अभी शोभना जी बता रही थी सिर्फ 5 वर्षों में 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं। यानि हम कह सकते हैं कि 13 करोड़ लोगों ने अपनी गरीबी के Barrier को तोड़ा और देश के Neo Middle Class में शामिल हुए हैं।
साथियों,
भारत के विकास के सामने एक बहुत बड़ा Real Barrier रहा है, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद का। वही आदमी आसानी से आगे बढ़ पाता था जो किसी खास परिवार से जुड़ा हो या फिर किसी शक्तिशाली आदमी को जानता हो। देश के सामान्य नागरिक की कहीं कोई पूछ नहीं थी। चाहे खेल हो, विज्ञान हो, राजनीति हो या पद्म सम्मान हों, देश के सामान्य मानवी को लगता था कि अगर वो किसी बड़े परिवार से नहीं जुड़ा है तो उसके लिए सफल होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन आपने बीते कुछ सालों में देखा है कि इन सभी क्षेत्रों में देश का सामान्य नागरिक, अब Empowered और Encouraged feel करने लगा है। अब उसे इसकी चिंता नहीं होती कि उसे किसी ताकतवर आदमी के यहां चक्कर लगाने होंगे, उसकी सहायता लेनी होगी। Yesterday's Unsung Heroes are Country's Heroes today!
Friends,
भारत में वर्षों तक आधुनिक Infrastructure की कमी हमारे विकास के रास्ते में एक बड़े और Real Barrier के समान रही है। हमने इसका समाधान निकाला है, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी Infrastructure Building Drive शुरू हुई। आज देश में अभूतपूर्व Infrastructure Development हो रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जिससे आपको भारत की स्पीड और स्केल का अंदाजा लगेगा। साल 2013-14 में हर दिन 12 किलोमीटर हाइवे बनते थे। मेरा सेवाकाल शुरू होने से पहले की बात कर रहा हूं। 2022-23 में हमने लगभग प्रतिदिन 30 किलोमीटर हाइवे हर दिन बनाए हैं। 2014 में देश के 5 शहरों में मेट्रो रेल की कनेक्टिविटी थी। 2023 में देश के 20 शहरों में मेट्रो रेल कनेक्टिविटी है। 2014 में देश में करीब 70 ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स थे। 2023 में यह संख्या लगभग 150 तक पहुंच गई है, यानि ये आंकड़ा डबल हो गया है। 2014 में देश में करीब 380 मेडिकल कॉलेज थे। 2023 में हमारे पास 700 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं। 2014 में ग्राम पंचायतों तक सिर्फ 350 किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर पहुंचा था। 2023 तक हमने करीब 6 लाख किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर बिछाकर ग्राम पंचायतों को जोड़ा है। 2014 में 55 प्रतिशत गांव ही पीएम ग्राम सड़क योजना से जुड़े थे। हमने 4 लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाकर ये आंकड़ा 99 percent तक पहुंचा दिया है। 2014 तक भारत में करीब 20 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन होता था। ध्यान से सुनिए। 70 साल में 20 thousand किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन। जबकि हमारी सरकार ने 10 साल में करीब 40 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन किया है। ये आज के भारत की स्पीड है, स्केल है और भारत की सक्सेस का प्रतीक है।
साथियों,
बीते वर्षों में हमारा देश कुछ perceived Barriers से भी बाहर निकला है। एक समस्या हमारे यहां Policymakers, हमारे Political Experts के दिमाग में भी थी। वो ये मानते थे कि Good Economics, Good Politics हो ही नहीं सकती। अनेक सरकारों ने भी इसे ही मान लिया और इसके कारण देश को राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही मोर्चे पर मुश्किलें बनने लगी। लेकिन हमने Good Economics और Good Politics को एक साथ लाकर के दिखाया है। आज सब ये स्वीकार कर रहे हैं कि Good Economics, Good Politics भी है। हमारी बेहतर आर्थिक नीतियों ने देश में तरक्की के नए रास्ते खोले हैं। इससे समाज के हर वर्ग का जीवन बदला और इन्हीं लोगों ने हमें इतना बड़ा बहुमत देने के लिए स्थिर सरकार के लिए वोट दिया है। चाहे जीएसटी हो, चाहे बैंकिंग क्राइसिस का समाधान हो, चाहे कोविड संकट से निकलने के लिए बनाई गईं नीतियां हों...हमने हमेशा उन नीतियों को चुना जो देश को Long Term Solution दें, और सिटिजन्स को Long Term फायदे की गारंटी दें।
साथियों,
Perceived Barriers का एक और उदाहरण है, महिला आरक्षण बिल। दशकों तक लटकने के बाद ऐसा लगने लगा था कि ये बिल कभी पास नहीं होगा। लेकिन अब ये बाधा भी हमने पार कर ली है। नारीशक्ति वंदन अधिनियम आज एक सच्चाई है।
Friends,
आपसे बात करने, शुरुआत में मैंने एक और विषय कहा था exaggerated Barriers की भी बात की थी। हमारे देश में कुछ बाधाएं, कुछ समस्याएं ऐसी भी रही जिन्हें पहले की सरकारों द्वारा और पंडितों के द्वारा, विवाद करने वाले लोगों के द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा बड़ा हौवा खड़ा कर दिया था, ऐसा बड़ा बना दिया था, उदाहरण के लिए, जब भी कोई आर्टिकल 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने की बात करता था तो अनेकों बातें मैदान में आ जाती। एक तरह से मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया था कि अगर ऐसा हुआ तो आसमान जमीन पर आ जाएगा। लेकिन 370 की समाप्ति ने उस पूरे इलाके में समृद्धि और शांति और विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं। लाल चौक की तस्वीरें बताती हैं कि कैसे जम्मू-कश्मीर का कायाकल्प हो रहा है। आज वहां Terrorism का अंत हो रहा है, Tourism लगातार बढ़ रहा है। जम्मू-कश्मीर, विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे, इसके लिए भी हमारा कमिटमेंट है।
साथियों,
यहां मौजूद अनेक लोग मीडिया के क्षेत्र से हैं। हम तक ब्रेकिंग न्यूज पहुंचाने वाले मीडिया की प्रासंगिकता बहुत अधिक रही है। समय-समय पर ब्रेकिंग न्यूज देने की परंपरा तो ठीक है, लेकिन ये Analysis भी जरूरी है कि पहले किस तरह की ब्रेकिंग न्यूज होती थी और अब क्या होती है। 2013 से 2023 के बीच भले ही एक दशक का समय बीता हो, लेकिन इस दौरान आए बदलावों में जमीन और आसमान का अंतर है। जिन लोगों ने 2013 में Economy को कवर किया है, उन्हें याद होगा कि कैसे Rating Agencies, भारत की GDP ग्रोथ फोरकास्ट का Downward Revision करती थीं। लेकिन 2023 में बिल्कुल विपरीत हो रहा है। अंतराष्ट्रीय संस्थाएं और Rating Agencies अब हमारी ग्रोथ फोरकास्ट का Upward Revision कर रही हैं। 2013 में बैंकिंग सेक्टर की खस्ता हालत की News आती थी। लेकिन अब 2023 में हमारे बैंक अपने Best Ever Profits और Performance को दिखा रहे हैं। 2013 में देश में अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले की खबर छाई रहती थी। लेकिन 2023 में अखबार और न्यूज चैनल्स में चलता है कि भारत का Defence Export अब Record High पर पहुंच गया है। 2013-14 की तुलना में इसमें 20 गुना से ज्यादा की बढोतरी हुई है। Record Scams से Record Exports तक, हमने एक लंबा रास्ता तय किया है।
साथियों,
2013 में आपको ऐसे कई National और International Publications मिल जाएंगे, जो ये Headline देते थे कि कठिन आर्थिक स्थितियों के कारण मीडिल क्लास के सपने तबाह हो गए हैं। लेकिन साथियों, 2023 में बदलाव कौन कर रहा है? चाहे स्पोर्ट्स हो, स्टार्टअप हो, स्पेस हो या टेक्नॉलजी हो, देश का मिडिल क्लास हर विकास यात्रा में सबसे आगे खड़ा नजर आता है। बीते कुछ वर्षों में भारत के Middle Class ने तेजी से प्रगति की है। उनकी Income बढ़ी है, उनका आकार बढ़ा है। 2013-14 में करीब 4 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते थे। 2023-24 में यह संख्या डबल हो गई है और साढ़े 7 करोड़ से अधिक लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए हैं। Tax Information से जुड़ी एक स्टडी बताती है कि 2014 में जो Mean Income साढ़े चार लाख रुपए से भी कम थी, वो 2023 में 13 लाख रुपए तक बढ़ गई है। इसका मतलब है कि भारत में लाखों लोग Lower Income Groups से Higher Income Groups की ओर बढ़े हैं। मुझे याद है, हिंदुस्तान टाइम्स में ही पिछले दिनों एक लेख छपा था जिसमें इनकम टैक्स डेटा से जुड़े अनेक Interesting Facts बताए गए थे। एक बड़ा ही दिलचस्प आंकड़ा सालाना साढ़े 5 लाख रुपए से लेकर 25 लाख रुपये की तनख्वाह पाने वालों का है। साल 2011-12 में इस सैलरी ब्रेकेट में कमाने वालों की टोटल इनकम को जोड़ दें तो ये आंकड़ा था- करीब पौने तीन लाख करोड़ रुपए। यानि तब भारत में साढ़े पांच लाख से पच्चीस लाख सैलरी पाने वालों की कुल सैलरी जोड़ दें तो वो पौने तीन लाख करोड़ रुपए से भी कम थी। 2021 तक ये बढ़कर साढ़े 14 लाख करोड़ हो गई है। मतलब इसमें 5 गुना बढोतरी हुई है। इसकी दो वजहें स्पष्ट हैं। साढ़े पांच लाख से 25 लाख रुपए तक सैलरी पाने वालों की संख्या भी बहुत बढ़ी है और इस ब्रेकेट में लोगों की सैलरी में भी काफी वृद्धि हुई है। और मैं आपको फिर याद दिलाउंगा, ये Analysis सिर्फ Salaried Income पर आधारित है। अगर इसमें Business से हुई इनकम, House Property से हुई कमाई, दूसरी Investments से हुई कमाई और इसको जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा इससे भी ज्यादा बढ़ जाएगा।
साथियों,
भारत में बढ़ता हुआ मिडिल क्लास और कम होती हुई गरीबी, ये दो फैक्टर्स एक बहुत बड़ी इकॉनॉमिक सायकिल का आधार बन रहे हैं। जो लोग गरीबी से बाहर निकल रहे हैं, जो Neo Middle Class का हिस्सा बन रहे हैं, वो लोग अब देश की Consumption Growth को गति देने वाली बहुत बड़ी force के रूप में उभर रहे हैं। इस डिमांड को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारा मिडिल क्लास ही उठा रहा है। अगर एक गरीब को नए जूते खरीदने का मन करता है तो मिडिल क्लास की दुकान से खरीदता है मतलब कि इनकम मिडिल क्लास की बढ़ती है, जीवन गरीब का बदलता है। ये एक बढ़िया cycle के समय में से भारत आज गुजर रहा है। यानि देश में कम हो रही गरीबी, मिडिल क्लास को भी फायदा पहुंचा रही है। गरीब और मिडिल क्लास के ऐसे ही लोगों की आकांक्षा और इच्छाशक्ति, आज देश के विकास को शक्ति दे रही है। इन लोगों की शक्ति ने ही भारत को 10वीं अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। औऱ अब यही इच्छाशक्ति हमारे थर्ड टर्म में भारत को दुनिया की टॉप 3 अर्थव्यवस्था में शामिल कराने जा रही है।
साथियों,
इस अमृत काल में देश 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए काम कर रहा है। मुझे विश्वास है कि हर बाधा पार करते हुए हम अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होंगे। आज गरीब से गरीब व्यक्ति से लेकर दुनिया के सबसे अमीर इनवेस्टर्स तक ये मानने लगे हैं कि ये भारत का वक्त है- This is Bharat’s Time. हर भारतीय का आत्मविश्वास ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। इसके बल पर हम किसी भी बैरियर, के पार जा सकते हैं। और मुझे विश्वास है कि 2047 में यहां से कौन, कितने होंगे मुझे मालूम नहीं है, लेकिन मैं विश्वास से कहता हूं, 2047 में जब हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट होगी, तो उसकी थीम होगी- Developed Nation, What Next? एक बार फिर, इस समिट के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। बहुत बहुत धन्यवाद।