"पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों की मदद करना है"
“इस साल के बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा ने सबका ध्यान आकर्षित किया है”
“छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; पीएम विश्वकर्मा योजना उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है”
"पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपराओं को बनाए रखते हुए उनका विकास करना है"
“कुशल कारीगर आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार इन्हें नए भारत का विश्वकर्मा मानती है”
"भारत की विकास यात्रा के लिए गाँव को विकसित करने के क्रम में इसके प्रत्येक वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक है"
"हमें राष्ट्र के विश्वकर्माओं की जरूरतों के अनुरूप अपनी कौशल-अवसंरचना को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है"
"आज के विश्वकर्मा कल के उद्यमी बन सकते हैं"
"कारीगरों और शिल्पकारों को मजबूत किया जा सकता है, यदि वे मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनते हैं"

नमस्कार जी।

पिछले कई दिनों से बजट के बाद वेबिनार का एक सिलसिला चल रहा है। पिछले तीन साल से बजट के बाद बजट को ले करके स्टेकहोल्डर्स से बात करने की एक परंपरा हमने शुरू की है। और जो बजट आया है, उसको हम जल्‍दी से जल्‍दी बहुत ही focused way में कैसे लागू करें। स्टेकहोल्डर्स उसके लिए क्‍या सुझाव देते हैं, उनके सुझावों पर सरकार कैसे अमल करे, यानी एक बहुत ही उत्तम तरीके का मं‍थन चला है। और मुझे खुशी है कि सभी एसोसिएशंस, व्‍यापार और उद्योग से जुड़े हुए बजट का जिनके साथ सीधा संबंध है, चाहे वो किसान हो, महिला हो, युवा हो, आदिवासी हो, हमारा दलित भाई-बहन हो, सभी स्‍टेक होल्‍डर्स और हजारों की तादाद में और पूरा दिन भर बैठे, बहुत ही उत्तम सुझाव निकले हैं। सरकार के लिए भी उपयोग में आने वाले ऐसे सुझाव आए हैं। और मेरे लिए खुशी की बात ये है कि इस बार बजट के वेबिनार में बजट में ये होता, वो न होता, ये होता, ऐसी कोई चर्चा करने के बजाय सभी स्‍टेक होल्‍डर्स ने इस बजट को कैसे सर्वाधिक उपकारक बनाया जाये, इसके क्‍या रास्‍ते हो सकते हैं, इसकी सटीक चर्चा की है।

ये हमारे लिए लोकतंत्र का एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय है। जो चर्चा संसद में होती है, जो चर्चा सांसद करते हैं, वैसे ही गहन विचार जनता-जनार्दन से भी मिलना अपने आप में बहुत ही उपकारक ये एक्‍सरसाइज है। आज का बजट का ये वेबिनार, भारत के करोड़ों लोगों के हुनर, उनके कौशल को समर्पित है। बीते वर्षों में हमने स्किल इंडिया मिशन के माध्यम से, कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से करोड़ों युवाओं की स्किल बढ़ाने, उन्हें रोजगार के नए अवसर देने का काम किया है। कौशल जैसे क्षेत्र में हम जितना specific होंगे, जितनी targeted अप्रोच होगी, उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे।

पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना अब इसको अगर सरल भाषा में कहना है तो पीएम विश्वकर्मा योजना, ये इसी सोच का नतीजा है। इस बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना के एलान से आमतौर पर व्यापक चर्चा हुई है, अखबारों का भी ध्यान गया है, जो अर्थवत्ता हैं, उनका भी ध्यान गया है। और इसलिए इस योजना की घोषणा ही एक आकर्षण का केंद्र बन गई है। अब इस योजना की आवश्यकता क्या रही, क्यों इसका नाम विश्वकर्मा ही रखा गया, कैसे आप सभी स्टेकहोल्डर्स इस योजना की सफलता के लिए बहुत ही अहम हैं, इन सभी विषयों पर कुछ बातें मैं भी करूंगा और कुछ बातें आप लोग चर्चा से मंथन करके निकालेंगे।

साथियों,

हमारी मान्यताओं में भगवान विश्वकर्मा, सृष्टि के नियंता और निर्माता माने जाते हैं। उन्हें सबसे बड़ा शिल्पकार कहा जाता है और जो विश्‍वकर्मा की मूर्ति की लोगों ने कल्‍पना की उनके हाथों में सारे अलग-अलग औजार हैं। हमारे समाज में, अपने हाथ से कुछ ना कुछ सृजन करने वाले और वो भी औजार की मदद से करने वाले, उन लोगों की एक समृद्ध परंपरा रही है। जो टेक्‍सटाइल के क्षेत्र में काम करते हैं, उनकी तरफ तो ध्‍यान गया है, लेकिन हमारे लोहार, स्वर्णकार, कुम्हार, बढ़ई, मूर्तिकार, कारीगर, राजमिस्त्री, अनेकों हैं जो सदियों से अपनी विशिष्ट सेवाओं की वजह से समाज का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।

इन वर्गों ने बदलती हुई आर्थिक जरूरतों के मुताबिक समय-समय पर खुद में भी बदलाव किया है। साथ ही इन्होंने स्थानीय परंपराओं के अनुसार नई-नई चीजों का विकास भी किया है। अब जैसे महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हमारे किसान भाई-बहन अनाज को बांस से बने एक स्टोरेज स्ट्रक्चर में रखते हैं। इसे कांगी कहते हैं, और इसे स्थानीय कारीगर ही तैयार करते हैं। इसी तरह, अगर हम कोस्टल एरिया में जाएँ, तटीय इलाकों में जाएं तो समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए तरह-तरह के शिल्प का विकास हुआ है। अब केरल की बात करें तो केरल की उरू बोट पूरी तरह हाथ से तैयार की जाती है। मछली पकड़ने वाली इन नौकाओं को वहां के बढ़ई ही तैयार करते हैं। इसे तैयार करने के लिए विशेष तरह का कौशल, दक्षता और विशेषज्ञता चाहिए होती है।

साथियों,

स्थानीय शिल्प के छोटे पैमाने पर उत्पादन और उनके प्रति लोगों का आकर्षण बनाए रखने में कारीगरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लेकिन दुर्भाग्य से, हमारे यहां उनकी भूमिका एक प्रकार से समाज के भरोसे ही छोड़ दी गई, और उनकी भूमिका को सीमित कर दिया गया। स्थिति तो ये बना दी गई कि इन कार्यों को छोटा बताया जाने लगा, कम महत्व का बताया जाने लगा। जबकि एक समय ऐसा भी था कि इसी से दुनियाभर में हमारी पहचान थी। ये निर्यात का एक ऐसा प्राचीन मॉडल था, जिसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारे कारीगरों की ही थी। लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड में ये मॉडल भी चरमरा गया, इसको बहुत बड़ा नुकसान भी हो गया।

आजादी के बाद भी हमारे कारीगरों को सरकार से एक जो intervention की आवश्यकता थी, बहुत ही सुघड़ तरीके से intervention की आवश्यकता थी, जहां जरूरत पड़े मदद की आवश्यकता थी, वो नहीं मिल पाई। नतीजा ये हुआ कि आज अधिकांश लोग इस unorganized सेक्टर से सिर्फ अपना जीवन यापन करने के लिए कुछ न कुछ जुगाड़ करके गुजारा कर लेते हैं। कई लोग अपना पुश्तैनी और पारंपरिक व्यवसाय छोड़ रहे हैं। उनके पास आज की आवश्यकताओं के अनुसार ढलने के लिए सामर्थ्य कम पड़ रहा है।

हम इस वर्ग को ऐसे ही अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं। ये वो वर्ग है, जो सदियों से पारंपरिक तरीकों के उपयोग से अपने शिल्प को बचाए हुए हैं। ये वो वर्ग है, जो अपने असाधारण कौशल और यूनिक क्रिएशन्स से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। ये आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं। हमारी सरकार ऐसे लोगों को, ऐसे वर्गों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है। और इसलिए उनके लिए विशेष तौर पर पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना शुरू की जा रही है। ये योजना नई है, लेकिन महत्वपूर्ण है।

साथियों,

आमतौर पर हम एक बात सुनते रहते हैं मनुष्‍य तो सामाजिक प्राणी है। और समाज की विभिन्न शक्तियों के माध्यम से समाज व्यवस्था विकसित होती है, समाज व्‍यवस्‍था चलती है। कुछ ऐसी विधाएं होती हैं, जिनके बिना समाज का जीवन बसना भी मुश्किल होता है, बढ़ने का तो सवाल ही नहीं होता है। इसकी कल्पना ही नहीं कर सकते। हो सकता है उन कार्यों को आज टेक्‍नोलॉजी की मदद मिली हो, उनमें और आधुनिकता आई हो, लेकिन उन कार्यों की प्रासंगिकता पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकता। जो लोग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जानते हैं, वो ये भी जानते हैं कि किसी परिवार में फैमिली डॉक्टर भले हो या ना हो लेकिन आपने देखा होगा, फैमिली सुनार जरूर होता है। यानी हर परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी एक खास सुनार परिवार के यहां से ही गहने बनवाते हैं, गहने खरीदते हैं। ऐसे ही गांव में, शहरों में विभिन्न कारीगर हैं जो अपने हाथ के कौशल से औजार का उपयोग करते हुए जीवन यापन करते हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना का फोकस ऐसे एक बहुत बड़े बिखरे हुए समुदाय की तरफ है।

साथियों,

महात्‍मा गांधी जी के ग्राम स्वराज की कल्पना को देखें तो गांव के जीवन में खेती-किसानी के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती हैं। गांव के विकास के लिए गांव में रहने वाले हर वर्ग को सक्षम बनाना, आधुनिक बनाना, ये हमारी विकास यात्रा के लिए आवश्‍यक है।

मैं अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली में आदि महोत्सव गया था। वहां मैंने देखा कि हमारे आदिवासी जनजातीय क्षेत्र के हस्‍तकला में और अन्‍य कामों में जो उन लोगों की महारत है, ऐसे कई लोग आए थे, वो स्‍टॉल लगाए थे। लेकिन मेरा ध्‍यान एक ओर गया, वहां जो लाख से चूड़ी बनाने वाले लोग थे, उन लोगों के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र था, ये लाख से चूड़ी कैसे बनाते हैं, उसकी प्रिंटिंग कैसे करते हैं, और गांव की महिलाएं कैसे कर रही हैं। साइज के विषय में उनके पास क्‍या टेक्नोलॉजी है। और मैं देख रहा था वहां जो लोग भी आते थे, वहां दस मिनट तो खड़े ही रहते थे।

उसी प्रकार से हमारे जो लोहे का काम करने वाले हमारे लोहार भाई-बहन हैं, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले हमारे कुम्हार भाई-बहन हैं, लकड़ी का काम करने वाले हमारे लोग हैं, सोने का काम करने वाले हमारे सुनार हैं, इन सभी को अब सपोर्ट किया जाना आवश्यक है। जैसे हमने छोटे दुकानदारों के लिए, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि योजना बनाई, इसका उन्हें लाभ मिला, वैसे ही पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों की बड़ी मदद होने जा रही है। मैं एक बार यूरोप के किसी देश में गया था, ये बहुत साल पहले की बात है। तो जो गुजराती वहां ज्‍वैलरी के बिजनेस में हैं, ऐसे लोगों से मिलना हुआ। तो मैंने कहा आजकल क्‍या है, उन्‍होंने कहा ज्‍वैलरी में तो इतनी टेक्नोलॉजी आई है, इतनी मशीन आई हैं, लेकिन आमतौर पर जो हाथ से बनी हुई ज्‍वैलरी है, उसका बहुत आकर्षण है और बहुत बड़ा मार्केट है, यानी इस विधा का भी सामर्थ्‍य है।

साथियों,

ऐसे कई अनुभव हैं और इसलिए इस योजना के द्वारा केंद्र सरकार, हर विश्वकर्मा साथी को होलिस्टिक इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट प्रदान करेगी। विश्वकर्मा साथियों को आसानी से लोन मिले, उनका कौशल बढ़े, उन्हें हर तरह का टेक्निकल सपोर्ट मिले, ये सब सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, digital empowerment, ब्रांड प्रमोशन और उत्पादों के बाजार तक पहुंच बनाने की व्यवस्था भी की जाएगी। रॉ-मैटेरियल भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित तो करना ही करना है, उसका बहुत विकास करना है।

साथियों,

अब हमें स्किल इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। सरकार आज मुद्रा योजना के जरिए, करोड़ों रुपए का लोन बिना बैंक गारंटी दे रही है। इस योजना का भी हमारे विश्वकर्मा साथियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ देना है। हमारे जो डिजिटल साक्षरता वाले अभियान हैं, उनमें भी हमें अब विश्वकर्मा साथियों को प्राथमिकता देनी है।

साथियों,

हमारा उद्देश्य आज के विश्वकर्मा साथियों को कल का बड़ा entrepreneur बनाने का है। इसके लिए उनके उप-बिजनेस मॉडल में स्थायित्व जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए, हम उनके बनाए प्रोडक्ट को बेहतर बनाने, आकर्षक डिजाइनिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर भी काम कर रहे हैं। इसमें ग्राहकों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जा रहा है। हमारी नजर सिर्फ स्थानीय बाजार पर ही नहीं है, बल्कि हम ग्लोबल मार्केट को भी टारगेट कर रहे हैं। आज यहां जुटे सभी स्टेकहोल्डर्स से मेरा आग्रह है कि वो विश्वकर्मा साथियों की Hand-Holding करें, उनमें जागरूकता बढ़ाएं, उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेंगे। इसके लिए आप सबसे आग्रह है कि हम सब जितना जमीन से जुड़े लोगों से जुड़ें, इन विश्वकर्मा साथियों के बीच कैसे जाएं, उनकी कल्‍पनाओं को कैसे पंख दें।

साथियों,

कारीगरों, शिल्पकारों को हम वैल्यू चेन का हिस्सा बनाकर ही उन्हें मजबूत कर सकते हैं। उनमें से कई ऐसे हैं, जो हमारे MSME सेक्टर के लिए सप्लायर और प्रोड्यूसर बन सकते हैं। उन लोगों को टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद उपलब्ध कराकर उन्हें अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनाया जा सकता है। उद्योग जगत इन लोगों को अपनी जरूरतों के साथ Link करके उत्पादन बढ़ा सकता है। उद्योग जगत उन्हें स्किल और क्वालिटी की ट्रेनिंग भी दे सकता है।

सरकारें अपनी योजनाओं में बेहतर तालमेल बना सकती हैं और बैंक इन प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस कर सकते हैं। इस तरह, ये हर stakeholder के लिए win-win Situation हो सकती है। कॉर्पोरेट कंपनियों को competitive प्राइस पर क्वालिटी प्रोडक्ट मिल सकता है। बैंकों का पैसा ऐसी योजनाओं में लगेगा जिस पर भरोसा किया जा सकता है। और इससे सरकार की योजनाओं का व्यापक असर दिखेगा।

हमारे स्टार्टअप्स भी ई-कॉमर्स मॉडल के द्वारा शिल्प उत्पादों के लिए बड़ा बाजार तैयार कर सकते हैं। इन उत्पादों को बेहतर टेक्‍नोलॉजी, डिजाइन, पैकेजिंग और फाइनेंसिंग में भी स्टार्टअप्स से मदद मिल सकती है। मुझे उम्मीद है कि पीएम-विश्वकर्मा के द्वारा प्राइवेट सेक्टर के साथ साझेदारी और मजबूत होगी। इससे प्राइवेट सेक्टर की इनोवेशन की ताकत और बिजनेस कौशल का हम पूरा फायदा उठा सकेंगे।

साथियों,

मैं यहां मौजूद सभी स्टेकहोल्डर्स से कहना चाहूंगा कि वो आपस में चर्चा करके एक मजबूत कार्ययोजना तैयार करें। हम उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो बहुत दूर-सुदूर क्षेत्रों में भी रहते हैं। उनमें कई लोगों को पहली बार सरकारी योजना का लाभ मिलने की संभावना है। ज्यादातर हमारे भाई-बहन दलित, आदिवासी, पिछड़े, महिला और दूसरे कमजोर वर्गों से ही हैं। इसलिए एक व्यावहारिक और प्रभावशाली रणनीति बनाने की जरूरत है। जिसके द्वारा हम जरूरतमंदों तक पहुंच सकें और उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में बता सकें। उन तक योजना का लाभ पहुंचा सकें।

एक समय सीमा तय करके हमें मिशन मोड में काम करना ही है और मुझे विश्‍वास है कि आप आज जब चर्चा करेंगे तब आपके पास बजट ध्‍यान में होगा, साथ-साथ ऐसे लोग ध्‍यान में होंगे, उनकी जरूरतें आपके ध्‍यान में होंगी, उसको पूर्ण करने का तरीका क्‍या हो सकता है, योजना का डिजाइन क्‍या हो, प्रॉडक्‍ट क्‍या हो, ताकि हम सच्‍चे अर्थ में लोगों का भला सकें।

साथियों,

आज ये वेबिनार का आखिरी सत्र है। अब तक हमने 12 वेबिनार किए हैं, बजट के अलग-अलग हिस्‍सों पर किए हैं और बहुत मंथन हुआ है। अब परसों से पार्लियामेंट शुरू होगी, तो एक नए विश्‍वास के साथ, नए सुझावों के साथ सभी सांसद संसद में आएंगे और बजट पारित होने तक की प्रक्रिया में और नई प्राण शक्ति नजर आएगी। ये मंथन अपने-आप में एक अनोखा initiative है, उपकारक initiative है और पूरा देश इससे जुड़ता है, हिन्‍दुस्‍तान के हर जिले जुड़ते हैं। और जिन्‍होंने समय निकला, इस वेबिनार को समृद्ध किया, वे सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं।

एक बार फिर आज जो सब उपस्थित हैं, उनका भी अभिनंदन करता हूं, और अब तक सभी वेबिनार को जिन्‍होंने चलाया है, और आगे बढ़ाया है, उत्तम सुझाव दिए हैं, मैं उनका भी बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।